Jyotish Is Spiritualism- Osho-hindi

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  • March 2021
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ज्योतितिष भी आध्यात्म है -ओशोत

सूयर के संबंध मे कुछ बातिे जान लेनी जररी है। सबसे पहली तिोत यह बाति जान लेनी जररी है िक वैजािनक दिष से सूयर से समसति सौर पिरवार का--मंगल का, बृहसपिति का, चंद का, पृथवी का जनम हु आ है। ये सब सूयर के ही अंग है। िफर पृथवी पर जीवन का जनम हु आ--पौधो से लेकर मनुषय तिक। मनुषय पृथवी का अंग है, पृथवी सूरज का अंग है। अगर हम इसे ऐसा समझे--एक मां है, उसकी एक बेटी है और उसकी एक बेटी है। उन तिीनो के शरीर मे एक ही रक पवािहति होततिा है, उन तिीनो के शरीर का िनमारण एक ही तिरह के सेलस से, एक ही तिरह के कोतषो से होततिा है। और वैजािनक एक शबद का पयोतग करतिे है एमपैथी का। जोत चीजे एक से ही पैदा होततिी है उनके भीतिर एक अंतिर-समानुभूिति होततिी है। सूयर से पृथवी पैदा होततिी है, पृथवी से हम सबके शरीर िनिमर ति होततिे है। थोतड़ा ही दरू फासले पर सूरज हमारा महािपतिा है। सूयर पर जोत भी घिटति होततिा है वह हमारे रोतम-रोतम मे सपंिदति होततिा है। होतगा ही। कयोिक हमारा रोतम-रोतम भी सूयर से ही िनिमर ति है। सूयर इतिना दरू िदखाई पड़तिा है, इतिना दरू नही है। हमारे रक के एक-एक कण मे और हडी के एक-एक टु कड़े मे सूयर के ही अणुओं का वास है। हम सूयर के ही टु कड़े है। और यिद सूयर से हम पभािवति होततिे हो तिोत इसमे कुछ आशचयर नही--एमपैथी है, समानुभूिति है। समानुभूिति कोत भी थोतड़ा समझ लेना जररी है, तिोत ज्योतितिष के एक आयाम मे पवेश होत सकेगा। कल मैने जुड़वां बचचो की बाति आपसे की। अगर एक ही अंडे से पैदा हु ए दोत

बचचो कोत दोत कमरो मे बंद कर िदया जाए--और इस तिरह के बहु ति से पयोतग िपछले पचास वषो ं मे िकए गए है। एक ही अंडज जुड़वां बचचो कोत दोत कमरो मे बंद कर िदया गया है, िफर दोतनो कमरो मे एक साथ घंटी बजाई गई है और दोतनो बचचो कोत कहा गया है, उनकोत जोत पहला खयाल आतिा होत वे उसे कागज पर िलख ले, या जोत पहला िचत उनके िदमाग मे आतिा होत वे उसे कागज पर बना ले। और बड़ी हैरानी की बाति है िक अगर बीस िचत बनवाए गए है दोतनो बचचो से तिोत उसमे नबबे पितिशति दोतनो बचचो के िचत एक जैसे है। उनके मन मे जोत पहली िवचारधारा पैदा होततिी है, जोत पहला शबद बनतिा है या जोत पहला िचत बनतिा है, ठीक उसके ही करीब वैसा ही िवचार और वैसा ही शबद दस ू रे जुड़वां बचचे के भीतिर भी बनतिा और िनिमर ति होततिा है। इसे वैजािनक कहतिे है एमपैथी। इन दोतनो के बीच इतिनी समानतिा है िक ये एक से पितिध्विनति होततिे है। इन दोतनो के भीतिर अनजाने मागो ं से जैसे जोतड़ है, कोतई कमयुिनकेशन है। सूयर और पृथवी के बीच ऐसा ही कमयुिनकेशन है, ऐसा ही संवाद है पितिपल। और पृथवी और मनुषय के बीच भी इसी तिरह का संवाद है पितिपल। तिोत सूयर, पृथवी और मनुषय, उन तिीनो के बीच िनरंतिर संवाद है, एक िनरंतिर डायलाग है। लेिकन वह जोत संवाद है, डायलाग है, वह बहु ति गुह है और बहु ति आं तििरक है और बहु ति सूकम है। उसके संबंध मे थोतड़ी सी बातिे समझेगे तिोत खयाल मे आएगा। अमरीका मे एक िरसचर सेटर है--टर ी िरंग िरसचर सेटर। वृको मे जोत, वृक आप काटे तिोत वृक के तिने मे आपकोत बहु ति से िरंगस, बहु ति से वतिुरल िदखाई पड़ेगे। फनीचर पर जोत सौदयर मालूम पड़तिा है वह उनही वतिुरलो के कारण है। पचास वषर से यह िरसचर केद, वृको मे जोत वतिुरल बनतिे है उन पर काम कर रहा है। तिोत पोतफेसर डगलस अब उसके डायरेकटर है, िजनहोने अपने जीवन का अिधकांश िहससा, वृको मे जोत वतिुरल बनतिे है, चक बन जातिे है, उन पर ही पूरा वयय िकया है। बहु ति से तिथय हाथ लगे है। पहला तिथय तिोत सभी कोत जाति है साधारणतिः िक वृक की उम उसमे बने हु ए िरंगस के दारा जानी जा सकतिी है, जानी जातिी है। कयोिक पितिवषर एक िरंग वृक मे िनिमर ति होततिा है। एक छाल वृक छोतड़ देतिा है, अपनी चमड़ी छोतड़ देतिा है, और एक िरंग िनिमर ति होत जातिा है। वृक की िकतिनी उम है, उसके भीतिर िकतिने िरंग बने है, इनसे तिय होत जातिा है। अगर वह पचास साल पुराना है, उसने पचास पतिझड़ देखे है, तिोत पचास िरंग उसके तिने मे िनिमर ति होत जातिे है। और हैरानी की बाति यह है िक इन तिनो पर जोत िरंग िनिमर ति होततिे है वे मौसम की भी खबर देतिे है! अगर मौसम बहु ति गमर और गीला रहा होत तिोत जोत िरंग है वह चौड़ा िनिमर ति होततिा है। अगर मौसम बहु ति सदर और सूखा रहा होत तिोत जोत िरंग है वह बहु ति संकरा िनिमर ति होततिा है। हजारो साल पुरानी लकड़ी कोत काट कर पतिा लगाया जा सकतिा है िक उस वषर जब यह िरंग बना था तिोत मौसम कैसा था। बहु ति वषार हु ई थी या नही हु ई थी। सूखा पड़ा था या नही पड़ा था। अगर बुद ने कहा है िक इस वषर बहु ति वषार हु ई, तिोत िजस बोतिधवृक के नीचे वे बैठे थे वह भी खबर देगा िक वषार हु ई िक नही हु ई। बुद से भूल-चूक होत जाए, वह जोत वृक है, बोतिधवृक, उससे भूल-चूक नही होततिी। उसका िरंग बड़ा होतगा, छोतटा होतगा। डगलस इन वतिुरलो की खोतज करतिे-करतिे एक ऐसी जगह पहु च ं गया िजसकी उसे कलपना भी नही थी। उसने अनुभव िकया िक पत्येक गयारहवे वषर पर िरंग िजतिना बड़ा होततिा है उतिना िफर कभी बड़ा नही होततिा। और वह गयारह वषर वही वषर है जब सूरज पर सवारिधक गितििविध होततिी है। हर गयारहवे वषर पर सूरज मे एक िरद, एक लयबदतिा है, हर गयारह वषर पर सूरज बहु ति सिकय होत जातिा है। उस पर रेिडयोत एिकटिवटी बहु ति तिीव होततिी है। सारी पृथवी पर उस वषर सभी वृक मोतटा िरंग बनातिे है। एकाध जगह नही, एकाध जंगल मे नही--सारी पृथवी पर, सारे वृक उस वषर उस रेिडयोत एिकटिवटी से अपनी रका करने के िलए मोतटा िरंग बनातिे है। वह जोत सूरज पर तिीव घटना घटतिी है ऊजार की, उससे बचाव के िलए उनकोत मोतटी चमड़ी बनानी पड़तिी है उस वषर , हर गयारह वषर । इससे वैजािनको मे एक नया शबद और एक नयी बाति शुर हु ई। मौसम सब जगह अलग होततिे है। यहां सदी है, कही गमी है, कही वषार है, कही शीति है--सब जगह मौसम अलग है। इसिलए अब तिक कभी पृथवी का मौसम, कलाइमेट ऑफ िद अथर --ऐसा कोतई शबद पयोतग नही होततिा था। लेिकन अब डगलस ने इस शबद का पयोतग करना शुर िकया है--कलाइमेट ऑफ िद अथर । ये सब छोतटे-मोतटे फकर तिोत है ही, लेिकन पूरी पृथवी पर भी सूरज के कारण एक िवशेष मौसम चलतिा है। जोत हम नही पकड़ पातिे, लेिकन वृक पकड़तिे है। हर गयारहवे वषर पर वृक मोतटा िरंग बनातिे है, िफर िरंग छोतटे होततिे जातिे है। िफर पांच साल के बाद बड़े होतने शुर होततिे है, िफर गयारहवे साल पर जाकर पूरे बड़े होत जातिे है।

अगर वृक इतिने संवेदनशील है और सूरज पर होततिी हु ई कोतई भी घटना कोत इतिनी वयवसथा से अंिकति करतिे है, तिोत कया आदमी के िचत मे भी कोतई पतिर होतगी, कया आदमी के शरीर मे भी कोतई संवेदना का सूकम रप होतगा, कया आदमी भी कोतई िरंग और वतिुरल िनिमर ति करतिा होतगा अपने वयिकत्व मे? अब तिक साफ नही होत सका। अभी तिक वैजािनको कोत साफ नही है कोतई बाति िक आदमी के भीतिर कया होततिा है। लेिकन यह असंभव मालूम पड़तिा है िक जब वृक भी सूयर पर घटतिी घटनाओं कोत संवेिदति करतिे हो तिोत आदमी िकसी भांिति संवेिदति न करतिा होत। ज्योतितिष, जोत जगति मे कही भी घिटति होततिा है वह मनुषय के िचत मे भी घिटति होततिा है, इसकी ही खोतज है। इस पर हम पीछेे बाति करेगेे किे मनुष्य भेी वृकोतं जैसेी हेी खबरें अपनेे भीतिर िलए चलतिेा हेै, लेिकन उसेे खोतलनेे केा ढंग उतिनेा आसान नहीं हेै िजतिनेा वृक्ष केोत खोतलनेे केा ढंग आसान है। वृक्ष केोत काट कर िजतिनेी सुिवधेा सेे हम पतिेा लगेा लेतिेे हैं उतिनेी सुिवधेा सेे आदमेी केोत काट कर पतिेा नहीं लगेा सकतिेे है। आदमेी केोत काटनेा सूक्म मामलेा है। और आदमेी केे पास िचति्ति हेै, इसिलए आदमेी केा शरीर उन घटनाओें केोत नहीं िरकार्ड करतिेा, िचति्ति िरकार्ड करतिेा है। वृकोतं केे पास िचति्ति नहीं हेै, इसिलए शरीर हेी उन घटनाओें केोत िरकार्ड करतिेा है। एक और बाति इस संबंध में खयाल लेे लेनेे जैसेी है। जैसेा मैनेे कहेा किे पतििे गयारह वर्ष में सूरज पर तिीव्र रेिडयेोत एिकटिवटेी, तिीव्र वैदुितिक तिूफान चलतिेे हैं, ऐसेा पतििे गयारह वर्ष पर एक िरद्म है। ठीक ऐसेा हेी एक दस ू रेा बड़ेा िरद्म भेी पतिेा चलनेा शुरेू हु आ हेै, वह हेै नबबेे वर्ष केा, सूरज केे ऊपर। और वह और हैरान करनेे वालेा है। और यह जेोत मैं कह रहेा हू ं येे सब वैजािनक तिथ्य है। ज्योतितिषेी इस संबंध में कुछ नहीं कहतिेे है। लेिकन मैं इसिलए यह कह रहेा हू ं किे इनकेे आधार पर ज्योतितिष केोत वैजािनक ढंग सेे समझनेा आपकेे िलए आसान हेोत सकेगा। नबबेे वर्ष केा एक दस ू रेा वतिुरल हेै जेोत किे अनुभव िकयेा गयेा है। उसकेे अनुभव केी कथेा बड़ेी अदभुति है। फैरोतह नेे इिजप्ति में आज सेे चार हजार साल पहलेे अपनेे वैजािनकोतं केोत कहेा किे नील नदेी में जब भेी पानेी घटतिेा हेै, बढ़तिेा हेै, उसकेा पूरेा बयोतरेा रखेा जाए। और अकेलेी नील एक ऐसेी नदेी हेै, िजसकेी चार हजार वर्ष केी बायोतगाफेी है। और िकसेी नदेी केी कोतई बायोतगाफेी नहीं है। उसकेी जीवन-कथेा हेै पूरी। कब उसमें इंच भर पानेी बढ़ेा हेै, तिेोत उसकेा पूरेा िरकार्ड हेै--चार हजार वर्ष, फैरोतह केे जमानेे सेे लेकर आज तिक। फैरोतह केा अर्थ होततिेा हेै सूरय ् , इिजप्ति केी भाषेा मे। फैरोतह, जेोत इिजप्ति केा समाट अपनेा नाम रखतिेा थेा, वह सूरय ् केे आधार पर था। और इिजप्ति में ऐसेा खयाल थेा किे सूरय ् और नदेी केे बीच िनरंतिर संवाद है। तिेोत फैरोतह, जेोत किे सूरय ् केा भक्ति थेा, उसनेे कहेा किे नील केा पूरेा िरकार्ड रखेा जाए। सूरय ् केे संबंध में तिेोत हमें

अभेी कुछ पतिेा नहीं हेै, लेिकन कभेी तिेोत सूरय ् केे संबंध में भेी पतिेा हेोत जाएगेा, तिब यह िरकार्ड काम देे सकेगा। तिेोत चार हजार साल केी पूरेी कथेा हेै नील नदेी की। उसमें इंच भर पानेी कब बढ़ेा, इंच भर कब कम हु आ; कब उसमें पूर आयेा, कब पूर नहीं आयेा; कब नदेी बहु ति तिेजेी सेे बहेी और कब नदेी बहु ति धीमेी बहेी, इसकेा चार हजार वर्ष केा लंबेा इितिहास इंच-इंच उपलब्ध है। इिजप्ति केे एक िवदान तिसमान नेे पूरेे नील केी कथेा िलखी। और अब सूरय ् केे संबंध में वेे बातिें जाति हेोत गईें जेोत फैरोतह केे वक्ति जाति नहीं थीं और िजनकेे िलए फैरोतह नेे कहेा थेा पतिीकेा करनेा! इन चार हजार साल में जेोत कुछ भेी नील नदेी में घिटति हु आ हेै वह सूरज सेे संबंिधति है। और नबबेे वर्ष केी िरद्म केा पतिेा चलतिेा है। हर नबबेे वर्ष में सूरय ् पर एक अभूतिपूर्व घटनेा घटतिेी है। वह घटनेा ठीक वैसेी हेी हेै िजसेे हम मृत्येु कह सकतिेे हैं--येा जन्म कह सकतिेे है। ऐसेा समझ लें किे सूरय ् नबबेे वर्ष में पैतिालीस वर्ष तिक जवान होततिेा हेै और पैतिालीस वर्ष तिक बूढ़ेा होततिेा है। उसकेे भीतिर जेोत ऊजर ेा केे पवाह बहतिेे हैं वेे पैतिालीस वर्ष तिक जेोत जवानेी केी तिरफ बढ़तिेे हैं, कलाइमेक्स केी तिरफ जातिेे हैं, सूरज जैसेे जवान होततिेा चलेा जातिेा है। और पैतिालीस साल केे बाद ढलनेा शुरेू हेोत जातिेा हेै, उसकेी उम्र जैसेे नीचेे िगरनेे लगतिेी हेै, और नबबेे वर्ष में सूरय ् िबलकुल बूढ़ेा हेोत जातिेा है। नबबेे वर्ष में जब सूरय ् बूढ़ेा होततिेा हेै तिब सारेी पृथवेी भूकंपोतं सेे भर जातिेी है। भूकंपोतं केा संबंध नबबेे वर्ष केे वतिुरल सेे है। सूरय ् उसकेे बाद िफर जवान होतनेा शुरेू होततिेा है। वह बड़ेी भारेी घटनेा हेै; कयोकिे सूरज पर इतिनेा पिरवतिर न होततिेा हेै किे पृथवेी उससेे कंिपति हेोत जाए, यह िबलकुल सवाभािवक है। लेिकन जब पृथवेी जैसेी महाकाय वसतिेु भूकंपोतं सेे भर जातिेी हेै तिेोत आदमेी जैसेी छोतटेी सेी कायेा में कुछ नहीं होततिेा होतगेा? पृथवेी जैसेी महाकाय वसतिेु, जब सूरज पर पिरवतिर न होततिेे हैं तिेोत कंिपति हेोत जातिेी हेै, भूकंपोतं सेे भर जातिेी हेै, तिेोत आदमेी जैसेी छोतटेी सेी कायेा में कुछ भेी न होततिेा होतगेा! ज्योतितिषेी िसर्फ यहेी पूछतिेे रहेे है। वेे कहतिेे हैं, यह असंभव है। पतिेा हेोत तिुमहें येा न पतिेा हेोत, लेिकन आदमेी केी कायेा भेी अछूतिेी नहीं रह सकतिी।

पैतिालीस वषर जब सूरज जवान होततिा है, उस वक जोत बचचे पैदा होततिे है उनका सवासथय अदभुति रप से अचछा होतगा। और जब पैतिालीस वषर सूरज बूढ़ा होततिा है, उस वक जोत बचचे पैदा होगे उनका सवासथय कभी भी अचछा नही होत पातिा। जब सूरज खुद ही ढलाव पर होततिा है तिब जोत बचचे पैदा होततिे है उनकी हालति ठीक

वैसी है जैसे पूरब कोत नाव ले जानी होत और पिशचम कोत हवा बहतिी होत। तिोत िफर बहु ति डांड चलाने पड़तिे है, िफर पतिवार बहु ति चलानी पड़तिी है और पाल काम नही करतिे। िफर पाल खोतल कर नाव नही ले जाई जा सकतिी, कयोिक उलटे बहना पड़तिा है। जब सूरज ही बूढ़ा होततिा है, सूरज जोत िक पाण है सारे सौर पिरवार का, तिब िजसकोत भी जवान होतना है उसे उलटी धारा मे तिैरना पड़तिा है--हवा के िखलाफ। उसके िलए संघषर भारी है। जब सूरज ही जवान होत रहा होततिा है तिोत पूरा सौर पिरवार शिकयो से भरा होततिा है और उठान की तिरफ होततिा है। तिब जोत पैदा होततिा है, वह जैसे पाल वाली नाव मे बैठ गया। पूरब की तिरफ हवाएं बह रही है, उसे डांड भी नही चलानी है, पतिवार भी नही चलानी है, श्रम भी नही करना है, नाव खुद बह जाएगी। पाल खोतल देना है, हवाएं नाव कोत ले जाएं गी। इस संबंध मे अब वैजािनको कोत भी शक होतने लगा है िक सूरज जब अपनी चरम अवसथा मे जातिा है तिब पृथवी पर कम से कम बीमािरयां होततिी है। और जब सूरज अपने उतिार पर होततिा है तिब पृथवी पर सवारिधक बीमािरयां होततिी है। पृथवी पर पैतिालीस साल बीमािरयो के होततिे है और पैतिालीस साल कम बीमािरयो के होततिे है। नील ठीक चार हजार वषो ं मे हर नबबे वषर मे इसी तिरह जवान और बूढ़ी होततिी रही है। जब सूरज जवान होततिा है तिोत नील मे सवारिधक पानी होततिा है। वह पैतिालीस वषर तिक उसमे पानी बढ़तिा चला जातिा है। और जब सूरज ढलने लगतिा है, बूढ़ा होतने लगतिा है, तिोत नील का पानी नीचे िगरतिा चला जातिा है, वह िशिथल होतने लगतिी है और बूढ़ी होत जातिी है। आदमी इस िवराट जगति मे कुछ अलग-थलग नही है। इस सबका इकट्ठा जोतड़ है। अब तिक हमने जोत भी श्रेषतिम घिड़यां बनाई है वे कोतई भी उतिनी टु िद टाइम, उतिना ठीक से समय नही बतिातिी िजतिनी पृथवी बतिातिी है। पृथवी अपनी कील पर तिेईस घंटे छप्पन िमनट मे एक चककर पूरा करतिी है। उसी के आधार पर चौबीस घंटे का हमने िहसाब तिैयार िकया हु आ है और हमने घड़ी बनाई हु ई है। और पृथवी काफी बड़ी चीज है। अपनी कील पर वह ठीक तिेईस घंटे छप्पन िमनट मे एक चक पूरा करतिी है। और अब तिक कभी भी ऐसा नही समझा गया था िक पृथवी कभी भी भूल करतिी है एक सेकेड की भी। लेिकन कारण कुल इतिना था िक हमारे पास जांचने के बहु ति ठीक उपाय नही थे। और हमने साधारण जांच की थी। लेिकन जब नबबे वषर का वतिुरल पूरा होततिा है सूयर का तिोत पृथवी की घड़ी एकदम डगमगा जातिी है। उस कण मे पृथवी ठीक अपना वतिुरल पूरा नही कर पातिी। गयारह वषर मे जब सूरज पर उत्पाति होततिा है तिब भी पृथवी डगमगा जातिी है, उसकी घड़ी गड़बड़ होत जातिी है। जब भी पृथवी रोतज अपनी याता मे नये-नये पभावो के अंतिगर ति आतिी है, जब भी कोतई नया पभाव, कोतई नया कािसमक इनफ्लुएंस, कोतई महातिारा करीब होत जातिा है--और करीब का मतिलब, इस महा आकाश मे बहु ति दरू होतने पर भी चीजे बहु ति करीब है--जरा सा करीब आ जातिा है। हमारी भाषा बहु ति समथर नही है, कयोिक जब हम कहतिे है जरा सा करीब आ जातिा है तिोत हम

सोतचतिे है िक शायद जैसे हमारे पास कोतई आदमी आ गया। नही, फासले बहु ति बड़े है। उन फासलो मे जरा सा अंतिर पड़ जातिा है, जोत िक हमे कही पतिा भी नही चलेगा, तिोत भी पृथवी की कील डगमगा जातिी है। पृथवी कोत िहलाने के िलए बड़ी शिक की जररति है--इंच भर िहलाने के िलए भी। तिोत महाशिकयां जब गुजरतिी है पृथवी के पास से, तिभी वह िहल पातिी है। लेिकन वे महाशिकयां जब पृथवी के पास से गुजरतिी है तिोत हमारे पास से भी गुजरतिी है। और ऐसा नही होत सकतिा िक जब पृथवी कंिपति होततिी है तिोत उस पर लगे हु ए वृक कंिपति न हो। और ऐसा भी नही होत सकतिा िक जब पृथवी कंिपति होततिी है तिोत उस पर जीतिा और चलतिा हु आ मनुषय कंिपति न होत। सब कंप जातिा है। लेिकन कंपन इतिने सूकम है िक हमारे पास कोतई उपकरण नही थे अब तिक िक हम जांच करतिे िक पृथवी कंप जातिी है। लेिकन अब तिोत उपकरण है। सेकेड के हजारवे िहससे मे भी कंपन होततिा है तिोत हम पकड़ लेतिे है। लेिकन आदमी के कंपन कोत पकड़ने के उपकरण अभी भी हमारे पास नही है। वह मामला और भी सूकम है। आदमी इतिना सूकम है, और होतना जररी है, अनयथा जीना मुिशकल होत जाए। अगर चौबीस घंटे आपकोत चारो तिरफ के पभावो का पतिा चलतिा रहे तिोत आप जी न पाएं । आप जी सकतिे है तिभी जब िक आपकोत आसपास के पभावो का कोतई पतिा नही चलतिा। एक और िनयम है। वह िनयम यह है िक न तिोत हमे अपनी शिक से छोतटे पभावो का पतिा चलतिा है और न अपनी शिक से बड़े पभावो का पतिा चलतिा है। हमारे पभाव के पतिा चलने का एक दायरा है। जैसे समझ ले िक बुखार चढ़तिा है, तिोत अट्ठानबे िडगी हमारी एक सीमा है। और एक सौ दस िडगी हमारी दस ू री सीमा है। बारह िडगी मे हम जीतिे है। नबबे िडगी नीचे िगर जाए तिापमान तिोत हम समाप होत जातिे है। उधर एक सौ दस िडगी के बाहर चला जाए तिोत हम समाप होत जातिे है। लेिकन कया आप समझतिे है, दिु नया मे गमी बारह िडिगयो की ही है? आदमी बारह िडगी के भीतिर जीतिा है। दोतनो सीमाओं के इधर-उधर गया िक खोत जाएगा। उसका एक बैलेस है, अट्ठानबे और एक सौ दस के बीच मे उसकोत अपने कोत समहाले रखना है। ठीक ऐसा बैलेस सब जगह है। मै आपसे बोतल रहा हू ं, आप सुन रहे है। अगर मै बहु ति धीमे बोतलूं तिोत ऐसी जगह आ सकतिी है िक मै बोतलूं और आप न सुन पाएं । लेिकन यह आपकोत खयाल मे आ जाएगा िक बहु ति धीमे बोतला जाए तिोत सुनाई नही पड़ेगा, लेिकन आपकोत यह खयाल मे न आएगा िक इतिने जोतर से बोतला जाए िक आप न सुन पाएं । तिोत आपकोत किठन लगेगा, कयोिक जोतर से बोतलेगे तिब तिोत सुनाई पड़ेगा ही। नही, वैजािनक कहतिे है, हमारे सुनने की भी िडगी है। उससे नीचे भी हम नही सुन पातिे, उसके ऊपर भी हम नही सुन पातिे। हमारे आस-पास भयंकर आवाजे गुजर रही है। लेिकन हम सुन नही पातिे। एक तिारा टू टतिा है आकाश मे, कोतई नया गह िनिमर ति होततिा है या िबखरतिा है, तिोत भयंकर गजर ना वाली आवाजे हमारे चारो तिरफ से गुजरतिी है। अगर हम उनकोत सुन पाएं तिोत हम तित्काल बहरे होत जाएं । लेिकन हम सुरिकति है, कयोिक हमारे कान सीमा मे ही सुनतिे है। जोत सूकम है उसकोत भी नही सुनतिे, जोत िवराट है उसकोत भी नही सुनतिे। एक दायरा है, बस उतिने कोत सुन लेतिे है।

देखने के मामले मे भी हमारी वही सीमा है। हमारी सभी इंिदयां एक दायरे के भीतिर है, न उसके ऊपर, न उसके नीचे। इसीिलए आपका कुता है, वह आपसे ज्यादा सूंघ लेतिा है। उसका दायरा सूंघने का आपसे बड़ा है। जोत आप नही सूघ ं पातिे, कुता सूघ ं लेतिा है। जोत आप नही सुन पातिे, आपका घोतड़ा सुन लेतिा है। उसके सुनने का दायरा आपसे बड़ा है। एक-डेढ़ मील दरू िसंह आ जाए तिोत घोतड़ा चौक कर खड़ा होत जातिा है। डेढ़ मील के फासले पर उसे गंध आतिी है। आपकोत कुछ पतिा नही चलतिा। अगर आपकोत सारी गंध आने लगे िजतिनी गंध आपके चारो तिरफ चल रही है, तिोत आप िविकप होत जाएं । मनुषय एक कैप्सूल मे बंद है, उसकी सीमांति है, उसकी बाउं डरीज है।

आप रेिडयोत लगातिे है और आवाज सुनाई पड़नी शुर होत जातिी है। कया आप सोतचतिे है, जब रेिडयोत लगातिे है तिब आवाज आनी शुर होततिी है? आवाज तिोत पूरे समय बहतिी ही रहतिी है, आप रेिडयोत लगाएं या न लगाएं । लगातिे है तिब रेिडयोत पकड़ लेतिा है, बहतिी तिोत पूरे वक रहतिी है। दिु नया मे िजतिने रेिडयोत सटेशन है, सबकी आवाजे अभी इस कमरे से गुजर रही है। आप रेिडयोत लगाएं गे तिोत पकड़ लेगे। आप रेिडयोत नही लगातिे है तिब भी गुजर रही है, लेिकन आपकोत सुनाई नही पड? रही है। आपकोत सुनाई नही पड़ रही है। जगति मे न मालूम िकतिनी ध्विनयां है जोत चारो तिरफ हमारे गुजर रही है। भयंकर कोतलाहल है। वह पूरा कोतलाहल हमे सुनाई नही पड़तिा, लेिकन उससे हम पभािवति तिोत होततिे ही है। ध्यान रहे, वह हमे सुनाई नही पड़तिा, लेिकन उससे हम पभािवति तिोत होततिे ही है। वह हमारे रोतएं -रोतएं कोत सपशर करतिा है। हमारे हृदय की धड़कन-धड़कन कोत छूतिा है। हमारे सनायु-सनायु कोत कंपा जातिा है। वह अपना काम तिोत कर ही रहा है। उसका काम तिोत जारी है। िजस सुगंध कोत आप नही सूघ ं पातिे उसके अणु भी आपके चारो तिरफ अपना काम तिोत कर ही जातिे है। और अगर उसके अणु िकसी बीमारी कोत लाए है तिोत वे आपकोत दे जातिे है। आपकी जानकारी आवशयक नही है िकसी वसतिु के होतने के िलए। ज्योतितिष का कहना है िक हमारे चारो तिरफ ऊजारओं के केत है, एनजी फीलड्स है, और वे पूरे समय हमे पभािवति कर रहे है। जैसा मैने कल कहा िक जैसे ही बचचा जनम लेतिा है, तिोत जनम कोत वैजािनक भाषा मे हम कहे एकसपोतजर, जैसे िक िफलम कोत हम एकसपोतज करतिे है कैमरे मे। जरा सा शटर आप दबातिे है, एक कण के िलए कैमरे की िखड़की खुलतिी है और बंद होत जातिी है। उस कण मे जोत भी कैमरे के समक आ जातिा है वह िफलम पर अंिकति होत जातिा है। िफलम एकसपोतज होत गई। अब दबु ारा उस पर कुछ अंिकति न होतगा-अंिकति होत गया। और अब यह िफलम उस आकार कोत सदा अपने भीतिर िलए रहेगी। िजस िदन मां के पेट मे पहली दफा गभारधान होततिा है तिोत पहला एकसपोतजर होततिा है। िजस िदन मां के पेट से बचचा बाहर आतिा है, जनम लेतिा है, उस िदन दस ू रा एकसपोतजर होततिा है। और ये दोतनो एकसपोतजर उस

संवेदनशील िचत पर िफलम की भांिति अंिकति होत जातिे है। पूरा जगति उस कण मे बचचा अपने भीतिर अंिकति कर लेतिा है। और उसकी िसमपैथीज िनिमर ति होत जातिी है। ज्योतितिष इतिना ही कहतिा है िक यिद वह बचचा जब पैदा हु आ है तिब अगर राति है...और जान कर आप हैरान होगे िक सतर से लेकर नबबे पितिशति तिक बचचे राति मे पैदा होततिे है! यह थोतड़ा हैरानी का है। कयोिक आमतिौर से पचास पितिशति होतने चािहए। चौबीस घंटे का िहसाब है, इसमे कोतई िहसाब भी न होत, बेिहसाब भी बचचे पैदा हो, तिोत बारह घंटे राति, बारह घंटे िदन, साधारण संयोतग और कांिबनेशन से ठीक है पचास-पचास पितिशति होत जाएं ! कभी भूल-चूक दोत-चार पितिशति इधर-उधर होत। लेिकन नबबे पितिशति तिक बचचे राति मे जनम लेतिे है; दस पितिशति बचचे मुिशकल से जनम िदन मे लेतिे है। अकारण नही होत सकतिी यह बाति, इसके पीछे बहु ति कारण है। समझे, एक बचचा राति मे जनम लेतिा है। तिोत उसका जोत एकसपोतजर है, उसके िचत की जोत पहली घटना है इस जगति मे अवतिरण की, वह अंधेरे से संयक ु होततिी है, पकाश से संयक ु नही होततिी। यह िसफर उदाहरण के िलए कह रहा हू ं, कयोिक बाति तिोत और िवसतिीणर है। िसफर उदाहरण के िलए कह रहा हू ।ं उसके िचत पर जोत पहली घटना है वह अंधकार है। सूयर अनुपिसथति है। सूयर की ऊजार अनुपिसथति है। चारो तिरफ जगति सोतया हु आ है। पौधे अपनी पितयो कोत बंद िकए हु ए है। पकी अपने पंखो कोत िसकोतड़ कर आं खे बंद िकए हु ए अपने घोसलो मे िछप गए है। सारी पृथवी पर िनदा है। हवा के कण-कण मे चारो तिरफ नीद है। सब सोतया हु आ है। जागा हु आ कुछ भी नही है। यह पहला इंपैकट है बचचे पर। अगर हम बुद और महावीर से पूछे तिोत वे कहेगे िक अिधक बचचे इसिलए राति मे जनम लेतिे है कयोिक अिधक आत्माएं सोतई हु ई है, एसलीप है। िदन कोत वे नही चुन सकतिे पैदा होतने के िलए। िदन कोत चुनना किठन है। और हजार कारण है, और हजार कारण है, एक कारण महत्वपूणर यह भी है--अिधकतिम लोतग सोतए हु ए है, अिधकतिम लोतग तिंिदति है, अिधकतिम लोतक िनदा मे है, अिधकतिम लोतग आलसय मे, पमाद मे है। सूयर के जागने के साथ उनका जनम ऊजार का जनम होतगा, सूयर के डू बे हु ए अंधेरे की आड़ मे उनका जनम नीद का जनम होतगा। राति मे एक बचचा पैदा होत रहा है तिोत एकसपोतजर एक तिरह का होतने वाला है। जैसे िक हमने अंधेरे मे एक िफलम खोतली होत या पकाश मे एक िफलम खोतली होत, तिोत एकसपोतजर िभन होतने वाले है। एकसपोतजर की बाति थोतड़ी और समझ लेनी चािहए, कयोिक वह ज्योतितिष के बहु ति गहराइयो से संबंिधति है। जोत वैजािनक एकसपोतजर के संबंध मे खोतज करतिे है वे कहतिे है िक एकसपोतजर की घटना बहु ति बड़ी है, छोतटी घटना नही है। कयोिक िजंदगी भर वह आपका पीछा करेगी। एक मुगी का बचचा पैदा होततिा है। पैदा हु आ िक भागने लगतिा है मुगी के पीछे । हम कहतिे है िक मां के पीछे भाग रहा है। वैजािनक कहतिे है, नही। मां से कोतई संबंध नही है; एकसपोतजर! हम कहतिे है, अपनी मां के पीछे भाग रहा है। लेिकन वैजािनक कहतिे है, नही!

पहले हम भी ऐसा ही सोतचतिे थे िक मां के पीछे भाग रहा है, लेिकन बाति ऐसी नही है। और जब सैकड़ो पयोतग िकए गए तिोत बाति सही होत गई है। वैजािनको ने सैकड़ो पयोतग िकए। मुगी का बचचा जनम रहा है, अंडा फूट रहा है, चूजा बाहर िनकल रहा है, तिोत उनहोने मुगी कोत हटा िलया और उसकी जगह एक रबर का गुबबारा रख िदया। बचचे ने िजस चीज कोत पहली दफा देखा वह रबर का गुबबारा था, मां नही थी। आप चिकति होगे यह जान कर िक वह बचचा एकसपोतज्ड होत गया। इसके बाद वह रबर के गुबबारे कोत ही मां की तिरह पेम कर सका। िफर वह अपनी मां कोत नही पेम कर सका। रबर का गुबबारा हवा मे इधर-उधर जाएगा तिोत वह पीछे भागेगा। उसकी मां भागतिी रहेगी तिोत उसकी िफक ही नही करेगा। रबर के गुबबारे के पिति वह आशचयर जनक रप से संवेदनशील होत गया। जब थक जाएगा तिोत गुबबारे के पास िटक कर बैठ जाएगा। गुबबारे कोत पेम करने की कोतिशश करेगा। गुबबारे से चोच लड़ाने की कोतिशश करेगा--लेिकन मां से नही।

इस संबंध मे बहु ति काम लारेज नाम के एक वैजािनक ने िकया है और उसका कहना है िक वह जोत फसटर मोतमेट एकसपोतजर है, वह बड़ा महत्वपूणर है। वह मां से इसीिलए संबंिधति होत जातिा है--मां होतने की वजह से नही, फसटर एकसपोतजर की वजह से। इसिलए नही िक वह मां है इसिलए उसके पीछे दौड़तिा है; इसिलए िक वही सबसे पहले उसकोत उपलबध होततिी है इसिलए पीछे दौड़तिा है। अभी इस पर और काम चला है। िजन बचचो कोत मां के पास बड़ा न िकया जाए वे िकसी स्त्री कोत जीवन मे कभी पेम करने मे समथर नही होत पातिे--एकसपोतजर ही नही होत पातिा। अगर एक बचचे कोत उसकी मां के पास बड़ा न िकया जाए तिोत स्त्री का जोत पितििबंब उसके मन मे बनना चािहए वह बनतिा ही नही। और अगर पिशचम मे आज होतमोतसेकसुअिलटी बढ़तिी हु ई है तिोत उसके एक बुिनयादी कारणो मे वह कारण है। हेटरोतसेकसुअल, िवजातिीय यौन के पिति जोत पेम है वह पिशचम मे कम होततिा चला जा रहा है। और सजातिीय यौन के पिति पेम बढ़तिा चला जा रहा है, जोत िवकृिति है। लेिकन वह िवकृिति होतगी। कयोिक दस ू रे यौन के पिति जोत पेम है--पुरुष का स्त्री के पिति और स्त्री का पुरुष के पिति--वह बहु ति सी शतिो ं के साथ है। पहला तिोत एकसपोतजर जररी है। बचचा पैदा हु आ है तिोत उसके मन पर कया एकसपोतज होत! अब यह बहु ति सोतचने जैसी बाति है। दिु नया मे िस्त्रयां तिब तिक सुखी न होत पाएं गी जब तिक उनका एकसपोतजर मां के साथ होत रहा है। उनका एकसपोतजर िपतिा के साथ होतना चािहए। पहला इंपैकट लड़की के मन पर िपतिा का पड़ना चािहए। तिोत ही वह िकसी पुरुष कोत भरपूर मन से पेम करने मे समथर होत पाएगी। अगर पुरुष स्त्री से जीति जातिा है तिोत उसका कुल कारण इतिना है िक लड़के और लड़िकयां दोतनो ही मां के पास बड़े होततिे है। तिोत लड़के का एकसपोतजर तिोत िबलकुल ठीक होततिा है स्त्री के पिति, लेिकन लड़की का एकसपोतजर िबलकुल ठीक नही होततिा। इसिलए जब तिक दिु नया मे लड़की कोत िपतिा का एकसपोतजर नही िमलतिा तिब तिक िस्त्रयां कभी भी पुरुष के समकक खड़ी नही होत सकेगी--न राजनीिति के दारा, न नौकरी के दारा, न आिथर क सवतिंततिा के

दारा। कयोिक मनोतवैजािनक अथो ं मे एक कमी उनमे रह जातिी है। वह अब तिक की पूरी संसकृिति उस कमी कोत पूरा नही कर पाई है। अगर यह छोतटा सा गुबबारा, या मुगी, या मां, इनका एकसपोतजर पभावी होत जातिा है इतिना ज्यादा िक िचत सदा के िलए उससे िनिमर ति होत जातिा है! ज्योतितिष कहतिा है िक जोत भी चारो तिरफ मौजूद है, िद होतल यूिनवसर , वह सभी का सभी उस एकसपोतजर के कण मे, उस िचत के खुलने के कण मे भीतिर पवेश कर जातिा है और जीवन भर की िसमपैथीज और एं टीपैथीज िनिमर ति होत जातिी है। उस कण जोत नकत पृथवी कोत चारो तिरफ से घेरे हु ए है--नकत घेरे हु ए है, उसका कुल मतिलब इतिना िक उस कण पृथवी के ऊपर िजन नकतो की रेिडयोत एिकटिवटी का पभाव पड़ रहा है। अब वैजािनक मानतिे है िक पत्येक गह की रेिडयोत एिकटिवटी अलग है। जैसे वीनस; उससे जोत रेिडयोत सिकय तित्व हमारी तिरफ आतिे है वे चांद के रेिडयोत सिकय तित्वो से िभन है। या जैसे ज्युिपटर; उससे जोत रेिडयोत तित्व हम तिक आतिे है वे सूयर के रेिडयोत तित्वो से िभन है। कयोिक इन पत्येक गहो के पास अलग तिरह की गैसो और अलग तिरह के तित्वो का वातिावरण है। उन सबसे अलग-अलग पभाव पृथवी की तिरफ आतिे है। और जब एक बचचा पैदा होत रहा है तिोत पृथवी के चारो तिरफ िकितिज कोत घेर कर खड़े हु ए जोत भी नकत है--गह है, उपगह है, दरू आकाश मे महातिारे है--वे सब के सब उस एकसपोतजर के कण मे बचचे के िचत पर गहराइयो तिक पवेश कर जातिे है। िफर उसकी कमजोतिरयां, उसकी तिाकतिे, उसका सामथयर , सब सदा के िलए पभािवति होत जातिा है। अब जैसे िहरोतिशमा मे एटम बम के िगरने के बाद पतिा चला, उसके पहले पतिा नही था। िहरोतिशमा मे एटम जब तिक नही िगरा था तिब तिक इतिना खयाल था िक एटम िगरेगा तिोत लाखो लोतग मरेगे; लेिकन यह पतिा नही था िक पीिढ़यो तिक आने वाले बचचे पभािवति होत जाएं गे। िहरोतिशमा और नागासाकी मे जोत लोतग मर गए, मर गए! वह तिोत एक कण की बाति थी, समाप होत गए। लेिकन िहरोतिशमा मे जोत वृक बच गए, जोत जानवर बच गए, जोत पकी बच गए, जोत मछिलयां बच गई ं, जोत आदमी बच गए, वे सदा के िलए पभािवति होत गए। अब वैजािनक कहतिे है िक दस पीिढ़यो मे हमे पूरा अंदाज लग पाएगा िक कया-कया पिरणाम हु ए। कयोिक इनका सब कुछ रेिडयोत एिकटिवटी से पभािवति होत गया। अब जोत स्त्री बच गई है उसके शरीर मे जोत अंडे है वे पभािवति होत गए। अब वे अंडे, कल उनमे से एक अंडा बचचा बनेगा, वह बचचा वैसा ही बचचा नही होतगा जैसा साधारणतिः होततिा है। कयोिक एक िवशेष तिरह की रेिडयोत सिकयतिा उस अंडे मे पवेश कर गई है। वह लंगड़ा होत सकतिा है, लूला होत सकतिा है, अंधा होत सकतिा है। उसकी चार आं खे भी होत सकतिी है, आठ हाथ भी होत सकतिे है। कुछ भी होत सकतिा है! अभी हम कुछ भी नही कह सकतिे िक वह कैसा होतगा। उसका मिसतिषक िबलकुल रुगण भी होत सकतिा है, पितिभाशाली भी होत सकतिा है। वह जीिनयस भी पैदा होत सकतिा है, जैसा जीिनयस कभी पैदा न हु आ होत। अभी हमे कुछ भी पतिा नही िक वह कया होतगा। इतिना पकका पतिा है िक जैसा होतना चािहए था साधारणतिः आदमी, वैसा वह नही होतगा।

अगर एटम...एटम बहु ति छोतटी तिाकति है। हमारे िलए बहु ति बड़ी तिाकति है। एक एटम एक लाख बीस हजार आदिमयो कोत मार पाया िहरोतिशमा और नागासाकी मे। वह बहु ति छोतटी तिाकति है। सूयर के ऊपर जोत तिाकति है उसका हम इससे कोतई िहसाब नही लगा सकतिे। जैसे अरबो एटम बम एक साथ फूट रहे हो! उतिनी रेिडयोत एिकटिवटी सूरज के ऊपर है। और असाधारण है यह! कयोिक सूरज चार अरब वषो ं से तिोत पृथवी कोत ही गमी दे रहा है, और उससे पहले से है। और अभी भी वैजािनक कहतिे है िक कम से कम चार हजार वषर तिक तिोत ठंडे होतने की कोतई संभावना नही है। पितििदन इतिनी गमी! और सूरज दस करोतड़ मील दरू है पृथवी से। िहरोतिशमा मे जोत घटना घटी उसका पभाव दस मील से ज्यादा दरू नही पड़ सका। दस करोतड़ मील दरू सूरज है, चार अरब वषो ं से तिोत वह हमे सारी गमी दे रहा है, िफर भी अभी िरक नही हु आ है। पर यह सूरज कुछ भी नही है, इससे महासूयर है, ये सब तिारे है जोत आकाश के। और इन पत्येक तिारो से अपनी वयिकगति और िनजी कमतिा की सिकयतिा हम तिक पवािहति होततिी है। एक बहु ति बड़ा वैजािनक, जोत अंतििरक मे फैलतिी ऊजारओं के संबंध मे अध्ययन कर रहा है, गाकिलन, उसका कहना है िक िजतिनी ऊजारएं हमे अनुभव मे आ रही है उनमे से हम एक पितिशति के संबंध मे भी पूरा नही जानतिे। जब से हमने कृितम उपगह छोतड? है पृथवी के बाहर, तिब से उनहोने हमे इतिनी खबरे दी है िक हमारे पास न शबद है उन खबरो कोत समझने के िलए, न हमारे पास िवजान है। और इतिनी ऊजारएं, इतिनी एनजीज चारो तिरफ बह रही होगी, इसकी हमे कलपना ही नही थी। इस संबंध मे एक बाति और खयाल मे ले लेनी जररी है। इस जगति मे, जैसा मैने कल कहा, लोतग सोतचतिे है िक ज्योतितिष कोतई िवकिसति होततिा हु आ िवजान है। मैने आपसे कहा, हालति उलटी है। तिाजमहल अगर आपने देखा होत तिोत यमुना के उस पार कुछ दीवारे आपकोत उठी हु ई िदखाई पड़ी होगी। कहानी यह है िक शाहजहां ने मुमतिाज के िलए तिोत तिाजमहल बनवाया और अपने िलए, जैसा संगमरमर का तिाजमहल है, ऐसा ही अपनी कब के िलए संगमूसा का, काले पत्थर का महल वह यमुना के उस पार बना रहा था। लेिकन वह पूरा नही होत पाया। ऐसी कथा सदा से पचिलति थी। लेिकन अभी इितिहासजो ने खोतज की है तिोत पतिा चला िक वह जोत उस तिरफ दीवारे उठी खड़ी है वे िकसी बनने वाले महल की दीवारे नही है, वे िकसी बहु ति बड़े महल की, जोत िगर चुका, खंडहर है! पर उठतिी दीवारे और खंडहर एक से मालूम पड़ सकतिे है। एक नये मकान की दीवार उठ रही है, अधूरी है अभी, मकान बना नही। हजारो साल बाद तिय करना मुिशकल होत जाएगा िक यह नये मकान की बनतिी हु ई दीवार है या िकसी बने-बनाए मकान की, जोत िगर चुका, उसकी बची-खुची अवशेष है, खंडहर है। िपछले तिीन-चार सौ, पांच सौ सालो से यही समझा जातिा था िक वह जोत दस ू री तिरफ महल खड़ा हु आ है, वह शाहजहां बनवा रहा था, वह पूरा नही होत पाया। लेिकन अभी जोत खोतजबीन हु ई है उससे पतिा चलतिा है िक वह महल पूरा था। और न केवल यह पतिा चलतिा है िक वह महल पूरा था, बिलक यह भी पतिा चलतिा है

िक तिाजमहल शाहजहां ने खुद कभी नही बनवाया। वह भी िहंदओ ु ं का बहु ति पुराना महल है, िजसकोत िसफर कनवटर िकया, िजसकोत िसफर थोतड़ा सा फकर िकया। कयोिक...और कई दफे इतिनी हैरानी होततिी है िक िजन बातिो कोत हम सुनने के आदी होत जातिे है, िफर उनसे िभन बाति कोत हम सोतचतिे भी नही! तिाजमहल जैसी एक भी कब दिु नया मे िकसी ने नही बनाई है। कब ऐसी बनाई ही नही जातिी। कब ऐसी बनाई ही नही जातिी! तिाजमहल के चारो तिरफ िसपािहयो के खड़े होतने के सथान है, बंदक ू े और तिोतपे लगाने के सथान है। कबो की बंदक ू े और तिोतपे लगा कर कोतई रका नही करनी पड़तिी। वह महल है पुराना, उसकोत िसफर कनवटर िकया गया है कब मे। वह दस ू री तिरफ भी एक पुराना महल है जोत िगर गया, िजसके खंडहर शेष रह गए। ज्योतितिष भी खंडहर की तिरह है। वह बहु ति बड़ा महल था, पूरा िवजान था, जोत ढह गया। कोतई नयी चीज नही है, कोतई नया उठतिा हु आ मकान नही है। लेिकन जोत दीवारे रह गई है उनसे कुछ पतिा नही चलतिा िक िकतिना बड़ा महल उसकी जगह रहा होतगा। बहु ति बार सत्य िमलतिे है और खोत जातिे है। अिरसटीकारस नाम के एक यूनानी ने जीसस से दोत सौ, तिीन सौ वषर पूवर यह सत्य खोतज िनकाला था िक सूयर केद है, पृथवी केद नही है। अिरसटीकारस का यह सूत, हेिलयोत सेिटर क, िक सूरज केद पर है, जीसस से तिीन सौ वषर पहले खोतज िनकाला गया था। लेिकन जीसस के सौ वषर बाद टोतिलमी ने इस सूत कोत उलट िदया और पृथवी कोत िफर केद बना िदया। और िफर दोत हजार साल लग गए केपलर और कोतपरिनकस कोत खोतजने मे वापस िक सूयर केद है, पृथवी केद नही है। दोत हजार साल तिक अिरसटीकारस का सत्य दबा पड़ा रहा। दोत हजार साल बाद जब कोतपरिनकस ने िफर से कहा तिब अिरसटीकारस की िकतिाबे खोतजी गई।ं लोतगो ने कहा, यह तिोत हैरानी की बाति है! अमरीका कोतलंबस ने खोतजा, ऐसा पिशचम के लोतग कहतिे है। एक बहु ति पिसद मजाक पचिलति है। आसकर वाइलड अमरीका गया हु आ था। उसकी मानयतिा थी िक अमरीका और भी बहु ति पहले खोतजा जा चुका है। और यह सच है। यह सचचाई है िक अमरीका बहु ति दफे खोतजा जा चुका और पुनः-पुनः खोत गया। उससे संबंध-सूत टू ट गए। एक वयिक ने आसकर वाइलड कोत पूछा िक हम सुनतिे है िक आप कहतिे है, अमरीका पहले भी खोतजा जा चुका है। तिोत कया आप नही मानतिे िक कोतलंबस ने पहली खोतज की? और अगर कोतलंबस ने पहली खोतज नही की तिोत अमरीका बार-बार कयो खोत गया? तिोत आसकर वाइलड ने मजाक मे कहा िक कोतलंबस ने पुनः खोतज की है, ही िर-िडसकवडर अमेिरका। इट वाज़ िडसकवडर सोत मेनी टाइमस, बट एवरी टाइम हशड-अप। हर बार दबा कर इसकोत चुप रखना पड़ा, कयोिक यह उपदव, इसकोत बार-बार हशड-अप! महाभारति अमरीका की चचार करतिा है। अजुरन की एक पत्नी मेिकसकोत की लड़की है। मेिकसकोत मे जोत मंिदर है वे िहंद ू मंिदर है, िजन पर गणेश की मूितिर तिक खुदी हु ई है।

बहु ति बार सत्य खोतज िलए जातिे है, खोत जातिे है। बहु ति बार हमे सत्य पकड़ मे आ जातिा है, िफर खोत जातिा है। ज्योतितिष उन बड़े से बड़े सत्यो मे से एक है जोत पूरा का पूरा खयाल मे आ चुका और खोत गया। उसे िफर से खयाल मे लाने के िलए बड़ी किठनाई है। इसिलए मै बहु ति सी िदशाओं से आपसे बाति कर रहा हू ।ं कयोिक ज्योतितिष पर सीधी बाति करने का अथर होततिा है िक वह जोत सड़क पर ज्योतितिषी बैठा है, शायद मै उसके संबंध मे कुछ कह रहा हू ।ं िजसकोत आप चार आने देकर और अपना भिवषय-फल िनकलवा आतिे है, शायद उसके संबंध मे या उसके समथर न मे कुछ कह रहा हू ।ं नही, ज्योतितिष के नाम पर सौ मे से िननयानबे धोतखाधड़ी है। और वह जोत सौवां आदमी है, िननयानबे कोत छोतड़ कर उसे समझना बहु ति मुिशकल है। कयोिक वह कभी इतिना डागमेिटक नही होत सकतिा िक कह दे िक ऐसा होतगा ही। कयोिक वह जानतिा है िक ज्योतितिष बहु ति बड़ी घटना है। इतिनी बड़ी घटना है िक आदमी बहु ति िझझक कर ही वहां पैर रख सकतिा है। जब मै ज्योतितिष के संबंध मे कुछ कह रहा हू ं तिोत मेरा पयोतजन है िक मै उस पूरे-पूरे िवजान कोत आपकोत बहु ति तिरफ से उसके दशर न करा दं ू उस महल के। तिोत िफर आप भीतिर बहु ति आशवसति होतकर पवेश कर सके। और मै जब ज्योतितिष की बाति कर रहा हू ं तिोत ज्योतितिषी की बाति नही कर रहा हू ।ं उतिनी छोतटी बाति नही है। पर आदमी की उत्सुकतिा उसी मे है िक उसे पतिा चल जाए िक उसकी लड़की की शादी इस साल होतगी िक नही होतगी। इस संबंध मे यह भी आपकोत कह दं ू िक ज्योतितिष के तिीन िहससे है। एक--िजसे हम कहे अिनवायर , एसेिशयल, िजसमे रती भर फकर नही होततिा। वही सवारिधक किठन है उसे जानना। िफर उसके बाहर की पिरिध है--नॉन एसेिशयल, िजसमे सब पिरवतिर न होत सकतिे है। मगर हम उसी कोत जानने कोत उत्सुक होततिे है। और उन दोतनो के बीच मे एक पिरिध है--सेमी एसेिशयल, अदर अिनवायर , िजसमे जानने से पिरवतिर न होत सकतिे है, न जानने से कभी पिरवतिर न नही होगे। तिीन िहससे कर ले। एसेिशयल--जोत िबलकुल गहरा है, अिनवायर , िजसमे कोतई अंतिर नही होत सकतिा। उसे जानने के बाद उसके साथ सहयोतग करने के िसवाय कोतई उपाय नही है। धमो ं ने इस अिनवायर तिथय की खोतज के िलए ही ज्योतितिष की ईजाद की, उस तिरफ गए। उसके बाद दस ू रा िहससा है--सेमी एसेिशयल, अदर अिनवायर । अगर जान लेगे तिोत बदल सकतिे है, अगर नही जानेगे तिोत नही बदल पाएं गे। अजान रहेगा, तिोत जोत होतना है वही होतगा। जान होतगा, तिोत आलटरनेिटवस है, िवकलप है, बदलाहट होत सकतिी है। और तिीसरा सबसे ऊपर का सरफेस, वह है--नॉन एसेिशयल। उसमे कुछ भी जररी नही है। सब सांयोतिगक है। लेिकन हम िजस ज्योतितिषी की बाति समझतिे है, वह नॉन एसेिशयल का ही मामला है। एक आदमी कहतिा है, मेरी नौकरी लग जाएगी या नही लग जाएगी? चांदतारो के पभाव से आपकी नौकरी के लगने, न लगने का कोतई भी गहरा संबंध नही है। एक आदमी पूछतिा है, मेरी शादी होत जाएगी या नही होत जाएगी? शादी के िबना भी समाज होत सकतिा है। एक आदमी पूछतिा है िक मै गरीब रहू गं ा िक अमीर रहू गं ा? एक समाज कमयुिनसट होत सकतिा है, कोतई गरीब और अमीर नही होतगा। ये नॉन एसेिशयल िहससे है जोत हम पूछतिे है। एक आदमी पूछतिा

है िक अससी साल मे मै सड़क पर से गुजर रहा था और एक संतिरे के िछलके पर पैर पड़ कर िगर पड़ा, तिोत मेरे चांदतारो का इसमे कोतई हाथ है या नही है? अब कोतई चांदतारे से तिय नही िकया जा सकतिा िक फलांफलां नाम के संतिरे से और फलां-फलां सड़क पर आपका पैर िफसलेगा। यह िनपट गंवारी है। लेिकन हमारी उत्सुकतिा इसमे है िक आज हम िनकलेगे सड़क पर से तिोत कोतई िछलके पर पैर पड़ कर िफसल तिोत नही जाएगा। यह नॉन एसेिशयल है। यह हजारो कारणो पर िनभर र है, लेिकन इसके होतने की कोतई अिनवायर तिा नही है। इसका बीइंग से, आत्मा से कोतई संबंध नही है। यह घटनाओं की सतिह है। ज्योतितिष से इसका कोतई लेना-देना नही है। और चूिं क ज्योतितिषी इसी तिरह की बाति-चीति मे लगे रहतिे है इसिलए ज्योतितिष का भवन िगर गया। ज्योतितिष के भवन के िगर जाने का कारण यह हु आ िक ये बातिे बेवकूफी की है। कोतई भी बुिदमान आदमी इस बाति कोत मानने कोत राजी नही होत सकतिा िक मै िजस िदन पैदा हु आ उस िदन िलखा था िक मरीन डर ाइव पर फलां-फलां िदन एक िछलके पर मेरा पैर पड़ जाएगा और मै िफसल जाऊंगा। न तिोत मेरे िफसलने का चांदतारो से कोतई पयोतजन है, न उस िछलके का कोतई पयोतजन है। इन बातिो से संबंिधति होतने के कारण ज्योतितिष बदनाम हु आ। और हम सबकी उत्सुकतिा यही है िक ऐसा पतिा चल जाए। इससे कोतई संबंध नही है। सेमी एसेिशयल कुछ बातिे है। जैसे जनम-मृत्यु सेमी एसेिशयल है। अगर आप इसके बाबति पूरा जान ले तिोत इसमे फकर होत सकतिा है; और न जाने तिोत फकर नही होतगा। िचिकत्सा की हमारी जानकारी बढ़ जाएगी तिोत हम आदमी की उम कोत लंबा कर लेगे--कर रहे है। अगर हमारी एटम बम की खोतजबीन और बढ़तिी चली गई तिोत हम लाखो लोतगो कोत एक साथ मार डालेगे--मारा है। यह सेमी एसेिशयल, अदर अिनवायर जगति है। जहां कुछ चीजे होत सकतिी है, नही भी होत सकतिी है। अगर जान लेगे तिोत अचछा है; कयोिक िवकलप चुने जा सकतिे है। इसके बाद एसेिशयल का, अिनवायर का जगति है। वहां कोतई बदलाहट नही होततिी। लेिकन हमारी उत्सुकतिा पहले तिोत नॉन एसेिशयल मे रहतिी है। कभी शायद िकसी की सेमी एसेिशयल तिक जातिी है। वह जोत एसेिशयल है, अिनवायर है, अपिरहायर है, िजसमे कोतई फकर होततिा ही नही, उस केद तिक हमारी पकड़ नही जातिी, न हमारी इचछा जातिी है। महावीर एक गांव के पास से गुजर रहे है। और महावीर का एक िशषय गोतशालक उनके साथ है, जोत बाद मे उनका िवरोतधी होत गया। एक पौधे के पास से दोतनो गुजरतिे है। गोतशालक महावीर से कहतिा है िक सुिनए, यह पौधा लगा हु आ है। कया सोतचतिे है आप, यह फूल तिक पहु च ं ेगा या नही पहु च ं ेगा? इसमे फूल लगेगे या नही लगेगे? यह पौधा बचेगा या नही बचेगा? इसका भिवषय है या नही? महावीर आं ख बंद करके उसी पौधे के पास खड़े होत जातिे है। गोतशालक पूछतिा है िक किहए! आं ख बंद करने से कया होतगा? टािलए मति।

उसे पतिा भी नही िक महावीर आं ख बंद करके कयो खड़े होत गए है। वे एसेिशयल की खोतज कर रहे है। इस पौधे के बीइंग मे उतिरना जररी है, इस पौधे की आत्मा मे उतिरना जररी है। िबना इसके नही कहा जा सकतिा िक कया होतगा। आं ख खोतल कर महावीर कहतिे है िक यह पौधा फूल तिक पहु च ं ेगा। गोतशालक उनके सामने ही पौधे कोत उखाड़ कर फेक देतिा है, और िखलिखला कर हंसतिा है, कयोिक इससे ज्यादा और अतिकरय पमाण कया होतगा? महावीर के िलए कुछ कहने की अब और जररति कया है? उसने पौधे कोत उखाड़ कर फेक िदया, और उसने कहा िक देख ले। वह हंसतिा है, महावीर मुसकुरातिे है। और दोतनो अपने रासतिे चले आतिे है।

साति िदन बाद वे वापस उसी रासतिे पर लौट रहे है। जैसे ही महावीर और वे दोतनो अपने आश्रम मे पहु च ं े जहां उनहे ठहर जाना है, बड़ी भयंकर वषार हु ई। साति िदन तिक मूसलाधार पानी पड़तिा रहा। साति िदन तिक िनकल नही सके। िफर लौट रहे है। जब लौटतिे है तिोत ठीक उस जगह आकर महावीर खड़े होत गए है जहां वे साति िदन पहले आं ख बंद करके खड़े थे। देखा िक वह पौधा खड़ा है। जोतर से वषार हु ई, उसकी जड़े वापस गीली जमीन कोत पकड़ गई ,ं वह पौधा खड़ा होत गया। महावीर िफर आं ख बंद करके उसके पास खड़े होत गए, गोतशालक बहु ति परेशान हु आ। उस पौधे कोत फेक गए थे। महावीर ने आं ख खोतली। गोतशालक ने पूछा िक हैरान हू ं! आशचयर ! इस पौधे कोत हम उखाड़ कर फेक गए थे, यह तिोत िफर खड़ा होत गया है! महावीर ने कहा, यह फूल तिक पहु च ं ेगा। और इसीिलए मै आं ख बंद करके खड़े होतकर इसे देखा! इसकी आं तििरक पोतटेिशएिलटी, इसकी आं तििरक संभावना कया है? इसकी भीतिर की िसथिति कया है? तिुम इसे बाहर से फेक दोतगे उठा कर तिोत भी यह अपने पैर जमा कर खड़ा होत सकेगा? यह कही आत्मघातिी तिोत नही है, सुसाइडल इंिसटंकट तिोत नही है इस पौधे मे, कही यह मरने कोत उत्सुक तिोत नही है! अनयथा तिुमहारा सहारा लेकर मर जाएगा। यह जीने कोत तित्पर है? अगर यह जीने कोत तित्पर है तिोत...मै जानतिा था िक तिुम इसे उखाड़ कर फेक दोतगे। गोतशालक ने कहा, आप कया कहतिे है? महावीर ने कहा िक जब मै इस पौधे कोत देख रहा था तिब तिुम भी पास खड़े थे और तिुम भी िदखाई पड़ रहे थे। और मै जानतिा था िक तिुम इसे उखाड़ कर फेकोतगे। इसिलए ठीक से जान लेना जररी है िक पौधे की खड़े रहने की आं तििरक कमतिा िकतिनी है? इसके पास आत्म-बल िकतिना है? यह कही मरने कोत तिोत उत्सुक नही है िक कोतई भी बहाना लेकर मर जाए! तिोत तिुमहारा बहाना लेकर भी मर सकतिा है। और अनयथा तिुमहारा उखाड़ कर फेका गया पौधा पुनः जड़े पकड़ सकतिा है। गोतशालक की दबु ारा उस पौधे कोत उखाड़ कर फेकने की िहममति न पड़ी; डरा। िपछली बार गोतशालक हंसतिा हु आ गया था, इस बार महावीर हंसतिे हु ए आगे बढ़े। गोतशालक रासतिे मे पूछने लगा, आप हंसतिे कयो है? महावीर ने कहा िक मै सोतचतिा था िक देखे, तिुमहारी सामथयर िकतिनी है! अब तिुम दबु ारा इसे उखाड़ कर

फेकतिे होत या नही? गोतशालक ने पूछा िक आपकोत तिोत पतिा चल जाना चािहए िक मै उखाड़ कर फेकूंगा या नही! तिोत महावीर ने कहा, वह गैर अिनवायर है। तिुम उखाड़ कर फेक भी सकतिे होत, नही भी फेक सकतिे होत। अिनवायर यह था िक पौधा अभी जीना चाहतिा था, उसके पूरे पाण जीना चाहतिे थे। वह अिनवायर था; वह एसेिशयल था। यह तिोत गैर अिनवायर है, तिुम फेक भी सकतिे होत, नही भी फेक सकतिे होत--तिुम पर िनभर र है। लेिकन तिुम पौधे से कमजोतर िसद हु ए होत, हार गए होत।

महावीर से गोतशालक के नाराज होत जाने के कुछ कारणो मे एक कारण यह पौधा भी था--महावीर कोत छोतड़ कर चले जाने मे। ज्योतितिष का--िजस ज्योतितिष की मै बाति कर रहा हू -ं -उसका संबंध अिनवायर से, एसेिशयल से, फाउं डेशनल से है। आपकी उत्सुकतिा ज्यादा से ज्यादा सेमी एसेिशयल तिक जातिी है। पतिा लगाना चाहतिे है िक िकतिने िदन जीऊंगा? मर तिोत नही जाऊंगा? जीकर कया करंगा, जी ही लूगं ा तिोत कया करंगा, इस तिक आपकी उत्सुकतिा ही नही पहु च ं तिी। मरंगा तिोत मरतिे मे कया करंगा, इस तिक आपकी उत्सुकतिा नही पहु च ं तिी। घटनाओं तिक पहु च ं तिी है, आत्माओं तिक नही पहु च ं तिी। जब मै जी रहा हू ं, तिोत यह तिोत घटना है िसफर। जीकर मै कया कर रहा हू ,ं जीकर मै कया हू ,ं वह मेरी आत्मा है! जब मै मरंगा, वह तिोत घटना होतगी। लेिकन मरतिे कण मे मै कया होतऊंगा, कया करंगा, वह मेरी आत्मा होतगी। हम सब मरेगे। मरने के मामले मे सब की घटना एक सी घटेगी। लेिकन मरने के संबंध मे, मरने के कण मे हमारी िसथिति सब की िभन होतगी। कोतई मुसकुरातिे हु ए मर सकतिा है! मुल्ला नसरुद्दीन से कोतई पूछ रहा है जब वह मरने के करीब है। उससे कोतई पूछ रहा है िक आपका कया खयाल है मुल्ला, लोतग जब पैदा होततिे है तिोत कहां से आतिे है? जब मरतिे है तिोत कहां जातिे है? मुल्ला ने कहा, जहां तिक अनुभव की बाति है, मैने लोतगो कोत पैदा होततिे वक भी रोततिे ही पैदा होततिे देखा और मरतिे वक भी रोततिे ही जातिे देखा है। अचछी जगह से न आतिे है, न अचछी जगह जातिे है। इनकोत देख कर जोत अंदाज लगतिा है, न अचछी जगह से आतिे है, न अचछी जगह जातिे है। आतिे है तिब भी रोततिे हु ए मालूम पड़तिे है, जातिे है तिब भी रोततिे हु ए मालूम पड़तिे है। लेिकन नसरुद्दीन जैसा आदमी हंसतिा हु आ मर सकतिा है। मौति तिोत घटना है, लेिकन हंसतिे हु ए मरना आत्मा है। तिोत आप कभी ज्योतितिषी से पूछे िक मै हंसतिे हु ए मरंगा िक रोततिे हु ए? नही पूछा होतगा। पूरी पृथवी पर एक आदमी ने नही पूछा ज्योतितिषी से जाकर िक मै मरतिे वक हंसतिे हु ए मरंगा िक रोततिे हु ए मरंगा? यह पूछने जैसी बाति है, लेिकन यह एसेिशयल एसटर ोतलाजी से जुड़ी हु ई बाति है। आप पूछतिे है, कब मरंगा? जैसे मरना अपने आप मे मूलयवान है बहु ति! कब तिक जीऊंगा? जैसे बस जी लेना काफी है! िकसिलए जीऊंगा, कयो जीऊंगा, जीकर कया करंगा, जीकर कया होत जाऊंगा, कोतई पूछने नही जातिा! इसिलए महल िगर गया। कयोिक वह महल िगर जाएगा िजसके आधार नॉन एसेिशयल पर रखे हो। गैर-जररी चीजो पर िजसकी हमने दीवारे खड़ी कर दी हो वह कैसे िटकेगा! आधारिशलाएं चािहए। मै िजस ज्योतितिष की बाति कर रहा हू ,ं और आप िजसे ज्योतितिष समझतिे रहे है, उससे गहरी है, उससे िभन है, उससे आयाम और है। मै इस बाति की चचार कर रहा हू ं िक कुछ आपके जीवन मे अिनवायर है। और वह

अिनवायर आपके जीवन मे और जगति के जीवन मे संयक ु और लयबद है, अलग-अलग नही है। उसमे पूरा जगति भागीदार है। उसमे आप अकेले नही है। जब बुद कोत जान हु आ तिोत बुद ने दोतनो हाथ जोतड़ कर पृथवी पर िसर टेक िदया। कथा है िक आकाश से देवतिा बुद कोत नमसकार करने आए थे िक वह परम जान कोत उपलबध हु ए है। बुद कोत पृथवी पर हाथ टेके िसर रखे देख कर वे चिकति हु ए। उनहोने पूछा िक तिुम और िकसकोत नमसकार कर रहे होत? कयोिक हम तिोत तिुमहे नमसकार करने सवगर से आतिे है। और हम तिोत नही जानतिे िक बुद भी िकसी कोत नमसकार करे ऐसा कोतई है। बुदत्व तिोत आिखरी बाति है। तिोत बुद ने आं खे खोतली और बुद ने कहा, जोत भी घिटति हु आ है उसमे मै अकेला नही हू ं, सारा िवशव है। तिोत इस सबकोत धनयवाद देने के िलए िसर टेक िदया है। यह एसेिशयल एसटर ोतलाजी से बंधी हु ई बाति है। सारा जगति...। इसिलए बुद अपने िभकुओं से कहतिे थे िक जब भी तिुमहे कुछ भी भीतिरी आनंद िमले, तित्कण अनुगृहीति होत जाना समसति जगति के। कयोिक तिुम अकेले नही होत। अगर सूरज न िनकलतिा, अगर चांद न िनकलतिा, अगर एक रती भर भी घटना और घटी होततिी तिोत तिुमहे यह नही होतने वाला था जोत हु आ है। माना िक तिुमहे हु आ है, लेिकन सबका हाथ है। सारा जगति उसमे इकट्ठा है। एक कािसमक, जागितिक अंतिर-संबंध का नाम ज्योतितिष है। तिोत बुद ऐसा नही कहेगे िक मुझे हु आ है। बुद इतिना ही कहतिे है िक जगति कोत मेरे मध्य हु आ है। यह जोत घटना घटी है एनलाइटेनमेट की, यह जोत पकाश का आिवभारव हु आ है, यह जगति ने मेरे बहाने जाना है। मै िसफर एक बहाना हू ,ं एक कास रोतड, जहां सारे जगति के रासतिे आकर िमल गए है। कभी आपने खयाल िकया है िक चौराहा बड़ा भारी होततिा है। लेिकन चौराहा अपने मे कुछ नही होततिा, वे जोत चार रासतिे आकर िमले होततिे है उन चारो कोत हटा ले तिोत चौराहा िवदा होत जातिा है। हम सब िकसकास प्वाइंट्स है, जहां जगति की अनंति शिकयां आकर एक िबंद ु कोत काटतिी है; वहां वयिक िनिमर ति होत जातिा है, इंिडिवजुअल बन जातिा है। तिोत वह जोत सारभूति ज्योतितिष है उसका अथर केवल इतिना ही है िक हम अलग नही है। एक, उस एक बह के साथ है, उस एक बहांड के साथ है। और पत्येक घटना भागीदार है। तिोत बुद ने कहा है िक मुझसे पहले जोत बुद हु ए उनकोत नमसकार करतिा हू ,ं और मेरे बाद जोत बुद होगे उनकोत नमसकार करतिा हू ।ं िकसी ने पूछा िक आप उनकोत नमसकार करे जोत आपके पहले हु ए, समझ मे आतिा है। कयोिक होत सकतिा है, उनसे कोतई जानाअनजाना ऋण होत। कयोिक जोत आपके पहले जान चुके है उनके जान ने आपकोत साथ िदया होत। लेिकन जोत अभी हु ए ही नही, उनसे आपकोत कया लेना-देना है? उनसे आपकोत कौन सी सहायतिा िमली है? तिोत बुद ने कहा, जोत हु ए है उनसे भी मुझे सहायतिा िमली है, जोत अभी नही हु ए है उनसे भी मुझे सहायतिा िमली है। कयोिक जहां मै खड़ा हू ं वहां अतिीति और भिवषय एक होत गए है। वहां जोत जा चुका है वह उससे िमल रहा है जोत अभी आने कोत है। वहां जोत जा चुका उससे िमलन होत रहा है उसका जोत अभी आने कोत है। वहां सूयोदय और सूयारसति एक ही िबंद ु पर खड़े है। तिोत मै उनहे भी नमसकार करतिा हू ं जोत होगे; उनका भी मुझ पर ऋण है। कयोिक अगर वे भिवषय मे न हो तिोत मै आज न होत सकंू गा। इसकोत समझना थोतड़ा किठन पड़ेगा। यह एसेिशयल एसटर ोतलाजी की बाति है। कल जोत हु आ है अगर उसमे से कुछ भी िखसक जाए तिोत मै न होत सकूंगा,

कयोिक मै एक शृंखला मे बंधा हू ।ं यह समझ मे आतिा है। अगर मेरे िपतिा न हो जगति मे तिोत मै न होत सकूंगा। यह समझ मे आतिा है। कयोिक एक कड़ी अगर िवदा होत जाएगी तिोत मै नही होत सकूंगा। अगर मेरे िपतिा के िपतिा न हो तिोत मै न होत सकूंगा, कयोिक कड़ी िवसिजर ति होत जाएगी। लेिकन मेरा भिवषय अगर उसमे कोतई कड़ी न होत तिोत मै न होत सकूंगा, समझना बहु ति मुिशकल पड़ेगा। कयोिक उससे कया लेना-देना, मै तिोत होत ही गया हू !ं लेिकन बुद कहतिे है िक अगर भिवषय मे भी जोत होतने वाला है, वह न होत, तिोत मै न होत सकंू गा। कयोिक भिवषय और अतिीति दोतनो के बीच की मै कड़ी हू ।ं कही भी कोतई बदलाहट होतगी तिोत मै वैसा ही नही होत सकूंगा जैसा हू ।ं कल ने भी मुझे बनाया, आने वाला कल भी मुझे बनातिा है। यही ज्योतितिष है! बीतिा कल ही नही, आने वाला कल भी; जा चुका ही नही, जोत आ रहा है वह भी; जोत सूरज पृथवी पर उगे वे ही नही, जोत उगेगे वे भी, वे भी भागीदार है। वे भी आज के कण कोत िनिमर ति कर रहे है। कयोिक यह जोत वतिर मान का कण है यह होत ही न सकेगा अगर भिवषय का कण इसके आगे न खड़ा होत! उसके सहारे ही यह होत पातिा है। हम सब के हाथ भिवषय के कंधे पर रखे हु ए है। हम सब के पैर अतिीति के कंधो पर पड़े हु ए है। हम सब के हाथ भिवषय के कंधो पर रखे हु ए है। नीचे तिोत हमे िदखाई पड़तिा है िक अगर मेरे नीचे जोत खड़ा है वह न होत तिोत मै िगर जाऊंगा। लेिकन भिवषय मे मेरे जोत फैले हाथ है, वे जोत कंधो कोत पकड़े हु ए है, अगर वे भी न हो तिोत भी मै िगर जाऊंगा। जब कोतई वयिक अपने कोत इतिनी आं तििरक एकतिा मे अतिीति और भिवषय के बीच जुड़ा हु आ पातिा है तिब वह ज्योतितिष कोत समझ पातिा है। तिब ज्योतितिष धमर बन जातिा है, तिब ज्योतितिष अध्यात्म होत जातिा है। और नही तिोत, वह जोत नॉन एसेिशयल है, गैर-जररी है, उससे जुड़ कर ज्योतितिष सड़क की मदारीिगरी होत जातिा है, उसका िफर कोतई मूलय नही रह जातिा। श्रेषतिम िवजान भी जमीन पर पड़ कर धूल की कीमति के होत जातिे है। हम उनका कया उपयोतग करतिे है इस पर सारी बाति िनभर र है। इसिलए मै बहु ति दारो से एक तिरफ आपकोत धकका दे रहा हू ं िक आपकोत यह खयाल मे आ सके िक सब संयक ु है--संयक ु तिा, इस जगति का एक पिरवार होतना या एक आगेिनक बॉडी होतना, एक शरीर की तिरह होतना। मै सांस लेतिा हू ं तिोत पूरा शरीर पभािवति होततिा है। सूरज सांस लेतिा है तिोत पृथवी पभािवति होततिी है। और दरू के महासूयर है, वे भी कुछ करतिे है तिोत पृथवी पभािवति होततिी है। और पृथवी पभािवति होततिी है तिोत हम पभािवति होततिे है। सब चीज, छोतटा सा रोतआं तिक महान सूयो ं के साथ जुड़ कर कंपतिा है, कंिपति होततिा है। यह खयाल मे आ जाए तिोत हम सारभूति ज्योतितिष मे पवेश कर सके। और असारभूति ज्योतितिष की जोत वयथर तिाएं है उनसे भी बच सके। कुदतिम बातिे हम ज्योतितिष से जोतड़ कर बैठ गए है। अिति कुद! िजनका कही भी कोतई मूलय नही है। और उनकोत जोतड़ने की वजह से बड़ी किठनाई होततिी है। जैसे हमने जोतड़ रखा है िक एक आदमी गरीब पैदा होतगा या एक आदमी अमीर पैदा होतगा तिोत इसका संबंध ज्योतितिष से होतगा। नही, गैर-जररी बाति है। अगर आप नही जानतिे है तिोत ज्योतितिष से संबंध जुड़ा रहेगा; अगर आप जान लेतिे है तिोत आपके हाथ मे आ जाएगा। एक बहु ति मीठी कहानी आपकोत कहू ं तिोत खयाल मे आए। िजंदगी ऐसा ही बैलेस है, ऐसा ही संतिुलन है। मोतहममद का एक िशषय है, अली। और अली मोतहममद से पूछतिा है िक बड़ा िववाद है सदा से िक मनुषय सवतिंत है अपने कृत्य मे या परतिंत! बंधा है िक

मुक! मै जोत करना चाहतिा हू ं वह कर सकतिा हू ं या नही कर सकतिा हू !ं सदा से आदमी ने यह पूछा है। कयोिक अगर हम कर ही नही सकतिे कुछ, तिोत िफर िकसी आदमी कोत कहना िक चोतरी मति करोत, झूठ मति बोतलोत, ईमानदार बनोत, नासमझी है! एक आदमी अगर चोतर होतने कोत ही बंधा है, तिोत यह समझातिे िफरना िक चोतरी मति करोत, नासमझी है! या िफर यह होत सकतिा है िक एक आदमी के भागय मे बदा है िक वह यही समझातिा रहे िक चोतरी न करोत--जानतिे हु ए िक चोतर चोतरी करेगा, बेईमान बेईमानी करेगा, असाधु असाधु होतगा, हत्या करने वाला हत्या करेगा, लेिकन अपने भागय मे यह बदा है िक अपन लोतगो कोत कहतिे िफरोत िक चोतरी मति करोत! एबसडर है! अगर सब सुिनिशचति है तिोत समसति िशकाएं बेकार है; सब पोतफेट और सब पैगंबर और सब तिीथरकर वयथर है। महावीर से भी लोतग पूछतिे है, बुद से भी लोतग पूछतिे है िक अगर होतना है, वही होतना है, तिोत आप समझा कयो रहे है? िकसिलए समझा रहे है? मोतहममद से भी अली पूछतिा है िक आप कया कहतिे है? अगर महावीर से पूछा होततिा अली ने तिोत महावीर ने जिटल उतर िदया होततिा। अगर बुद से पूछा होततिा तिोत बड़ी गहरी बाति कही होततिी। लेिकन मोतहममद ने वैसा उतर िदया जोत अली की समझ मे आ सकतिा था। कई बार मोतहममद के उतर बहु ति सीधे और साफ है। अकसर ऐसा होततिा है िक जोत लोतग कम पढ़े-िलखे है, गामीण है, उनके उतर सीधे और साफ होततिे है। जैसे कबीर के, या नानक के, या मोतहममद के, या जीसस के। बुद और महावीर के और कृषण के उतर जिटल है। वह संसकृिति का मकखन है। जीसस की बाति ऐसी है जैसे िकसी ने लट्ठ िसर पर मार िदया होत। कबीर तिोत कहतिे ही है: कबीरा खड़ा बजार मे, िलए लुकाठी हाथ। लट्ठ िलए बाजार मे खड़े है! कोतई आए हम उसका िसर खोतल दे! मोतहममद ने कोतई बहु ति मेटािफिजकल बाति नही कही। मोतहममद ने कहा, अली, एक पैर उठा कर खड़ा होत जा! अली ने कहा िक हम पूछतिे है िक कमर करने मे आदमी सवतिंत है िक परतिंत! मोतहममद ने कहा, तिू पहले एक पैर उठा! अली बेचारा एक पैर--बायां पैर--उठा कर खड़ा होत गया। मोतहममद ने कहा, अब तिू दायां भी उठा ले। अली ने कहा, आप कया बातिे करतिे है! तिोत मोतहममद ने कहा िक अगर तिू चाहतिा पहले तिोत दायां भी उठा सकतिा था। अब नही उठा सकतिा। तिोत मोतहममद ने कहा िक एक पैर उठाने कोत आदमी सदा सवतिंत है। लेिकन एक पैर उठातिे ही तित्काल दस ू रा पैर बंध जातिा है। वह जोत नॉन एसेिशयल िहससा है हमारी िजंदगी का, जोत गैर-जररी िहससा है, उसमे हम पूरी तिरह पैर उठाने कोत सवतिंत है। लेिकन ध्यान रखना, उसमे उठाए गए पैर भी एसेिशयल िहससे मे बंधन बन जातिे है। वह जोत बहु ति जररी है वहां भी फंसाव पैदा होत जातिा है। गैर-जररी बातिो मे पैर उठातिे है और जररी बातिो मे फंस जातिे है।

मोतहममद ने कहा िक तिू उठा सकतिा था पहला पैर भी, दायां भी उठा सकतिा था, कोतई मजबूरी न थी। लेिकन अब चूंिक तिू बायां उठा चुका इसिलए अब दायां उठाने मे असमथर तिा होत गई। आदमी की सीमाएं है। सीमाओं के भीतिर सवतिंततिा है। सवतिंततिा सीमाओं के बाहर नही है। तिोत बहु ति पुराना संघषर है आदमी के िचंतिन का िक अगर आदमी पूरी तिरह परतिंत है, जैसा ज्योतितिषी साधारणतिः कहतिे हु ए मालूम पड़तिे है। साधारण ज्योतितिषी

कहतिे हु ए मालूम पड़तिे है िक सब सुिनिशचति है, जोत िविध ने िलखा है वह होतकर रहेगा। तिोत िफर सारा धमर वयथर होत जातिा है। और या िफर जैसा िक तिथाकिथति तिकरवादी, बुिदवादी कहतिे है िक सब सवचछं द है, कुछ बंधा हु आ नही है, कुछ होतने का िनिशचति नही है, सब अिनिशचति है। तिोत िजंदगी एक केआस और एक अराजकतिा और एक सवचछं दतिा होत जातिी है। िफर तिोत यह भी होत सकतिा है िक मै चोतरी करं और मोतक पा जाऊं, हत्या करं और परमात्मा िमल जाए। कयोिक जब कुछ भी बंधा हु आ नही है और िकसी भी कदम से कोतई दस ू रा कदम बंधतिा नही है और जब कही भी कोतई िनयम और सीमा नही है...। मुल्ला का िफर मुझे खयाल आतिा है। मुल्ला नसरुद्दीन एक मिसजद के नीचे से गुजर रहा है। और एक आदमी मिसजद के ऊपर से िगर पड़ा। नमाज या अजान पढ़ने चढ़ा था मीनार पर, ऊपर से िगर पड़ा। मुल्ला के कंधे पर िगरा। मुल्ला की कमर टू ट गई। असपतिाल मे मुल्ला भतिी िकए गए, उनके िशषय उनकोत िमलने गए। और िशषयो ने कहा, मुल्ला, इससे कया मतिलब िनकलतिा है? हाऊ डू यू इंटरपीट इट? इस घटना की वयाख्या कया है? कयोिक मुल्ला हर घटना से वयाख्या िनकालतिा था। मुल्ला ने कहा, इससे साफ जािहर होततिा है िक कमर का और फल का कोतई संबंध नही है। कोतई आदमी िगरतिा है, िकसी की कमर टू ट जातिी है। इसिलए अब तिुम कभी सैदांितिक िववाद मे मति पड़ना। यह बाति िसद होततिी है िक िगरे कोतई, कमर िकसी की टू ट सकतिी है। वह आदमी तिोत मजे मे है--वह इसके ऊपर सवार होत गया था ऊपर से--हम मर गए! न हम अजान पढ़ने चढ़े, न हम मीनार पर चढ़े। हम अपने घर लौट रहे थे, हमारा कोतई संबंध ही न था। इसिलए, मुल्ला ने कहा, आज से सब िसदांति की बातिचीति बंद! कुछ भी होत सकतिा है! कुछ भी होत सकतिा है, कोतई कानून नही है, अराजकतिा है। नाराज था। सवाभािवक था, उसकी कमर टू ट गई थी। दोत िवकलप सीधे रहे है। एक िवकलप तिोत यह है िक ज्योतितिषी साधारणतिः जैसे सड़क पर बैठने वाला ज्योतितिषी कहतिा है। वह चाहे गरीब आदमी का ज्योतितिषी होत और चाहे मोतरारजी देसाई का ज्योतितिषी होत, इससे कोतई फकर नही पड़तिा। वह सड़क छाप ही है ज्योतितिषी, िजससे कोतई नॉन एसेिशयल पूछने जातिा है िक इलेकशन मे जीतिेगे िक हार जाएं गे? जैसे िक आपके इलेकशन से चांदतारो का कोतई लेना-देना है। वह कहतिा है, सब बंधा हु आ है; कुछ इंच भर यहां-वहां नही होत सकतिा। वह भी गलति कहतिा है। और दस ू री तिरफ तिकरवादी है, बुिदवादी है। वह कहतिा है, िकसी चीज का कोतई संबंध नही है। कुछ भी घट रहा है, सांयोतिगक है, चांस है, कोतइंसीडेस है, संयोतग है। यहां कोतई िनयम नही है। सब अराजकतिा है। वह भी गलति कहतिा है। यहां िनयम है। कयोिक वह बुिदवादी कभी बुद की तिरह आनंद से भरा हु आ नही िमलतिा। वह बुिदवादी धमर और ईशवर कोत और आत्मा कोत तिकर से इनकार तिोत कर लेतिा है, लेिकन कभी महावीर की पसनतिा कोत उपलबध नही होततिा। जरर महावीर कुछ करतिे है िजससे उनकी पसनतिा फिलति होततिी है। और बुद कुछ करतिे है िजससे उनकी समािध िनकलतिी है। और कृषण कुछ करतिे है िजससे उनकी बांसुरी के सवर अलग है। िसथिति तिीसरी है। और तिीसरी िसथिति यह है िक जोत िबलकुल सारभूति है, जोत अंतिरतिम है, वह िबलकुल सुिनिशचति है। िजतिना हम अपने केद की तिरफ आतिे है उतिना िनशचय के करीब आतिे है। िजतिना हम अपनी पिरिध की तिरफ, सरकमफेरेस की तिरफ जातिे है, उतिना

संयोतग के करीब जातिे है। िजतिना हम बाहर की घटना की बाति कर रहे है उतिनी सांयोतिगक बाति है। िजतिनी हम भीतिर की बाति कर रहे है उतिनी ही िनयम और िवजान पर, उतिनी ही सुिनिशचति बाति होत जातिी है। दोतनो के बीच मे भी जगह है जहां बहु ति रपांतिरण होततिे है। जहां जानने वाला आदमी िवकलप चुन लेतिा है। नही जानने वाला अंधेरे मे वही चुन लेतिा है जोत भागय है। जोत अंधेरा, जोत संयोतग उसकोत पकड़ा देतिा है। तिीन बातिे हु ई।ं ऐसा केत है जहां सब सुिनिशचति है। उसे जानना सारभूति ज्योतितिष कोत जानना है। ऐसा केत है जहां सब अिनिशचति है। उसे जानना वयावहािरक जगति कोत जानना है। और ऐसा केत है जोत दोतनो के बीच मे है। उसे जान कर आदमी, जोत नही होतना चािहए उससे बच जातिा है, जोत होतना चािहए उसे कर लेतिा है। और अगर पिरिध पर और पिरिध और केद के मध्य मे आदमी इस भांिति जीये िक केद पर पहु च ं पाए तिोत उसकी जीवन की याता धािमर क होत जातिी है। और अगर इस भांिति जीये िक केद पर कभी न पहु च ं पाए तिोत उसके जीवन की याता अधािमर क होत जातिी है। जैसे एक आदमी चोतरी करने खड़ा है। चोतरी करना कोतई िनयिति नही है। चोतरी करनी ही पड़ेगी, ऐसा कोतई सवाल नही है। सवतिंततिा पूरी मौजूद है। हां, करने के बाद एक पैर उठ जाएगा, दस ू रा पैर फंस जाएगा। करने के बाद न करना मुिशकल होत जाएगा। करने के बाद बचना मुिशकल होत जाएगा। िकए हु ए का सारा का सारा पभाव वयिकत्व कोत गिसति कर लेगा। लेिकन जब तिक नही िकया है तिब तिक िवकलप मौजूद है। हां और न के बीच मे आदमी का िचत डोतल रहा है। अगर वह न कर दे तिोत केद की तिरफ आ जाएगा। अगर वह हां कर दे तिोत पिरिध पर चला जाएगा। वह जोत मध्य मे है चुनाव, वहां अगर वह गलति कोत चुन ले तिोत पिरिध पर फेक िदया जातिा है और अगर सही कोत चुन ले तिोत केद की तिरफ आ जातिा है। तिोत उस ज्योतितिष की तिरफ, जोत हमारे जीवन का सारभूति है, कुछ बातिे मैने कही है। आज मैने एक बाति आपसे कही और वह यह िक सूयर के हम फैले हु ए हाथ है। सूयर से जनमतिी है पृथवी, पृथवी से जनमतिे है हम। हम अलग नही है, हम जुड़े है। हम सूयर की ही दरू तिक फैली हु ई शाखाएं और पते है। सूयर की जड़ो मे जोत होततिा है वह हमारे पतो के रोतएं -रोतएं , रेशे-रेशे तिक फैल जातिा है और कंिपति कर जातिा है। यिद यह खयाल मे होत तिोत हम जगति के बीच एक पािरवािरक बोतध कोत उपलबध होत सकतिे है। तिब हमे सवयं की अिसमतिा और अहंकार मे जीने का कोतई पयोतजन नही है। और ज्योतितिष की सबसे बड़ी चोतट अहंकार पर है। अगर ज्योतितिष सही है तिोत अहंकार गलति है, ऐसा समझे। और अगर ज्योतितिष गलति है तिोत िफर अहंकार के अितििरक कुछ सही होतने कोत नही बचतिा। अगर ज्योतितिष सही है तिोत जगति सही है और मै गलति हू ं अकेले की तिरह। जगति का एक टु कड़ा ही हू ,ं एक िहससा ही हू ं; और िकतिना नाचीज टु कड़ा, िजसकी कोतई गणना भी नही होत सकतिी। अगर ज्योतितिष सही है तिोत मै नही हू ;ं शिकयो का एक पवाह है, उसी मे एक छोतटी लहर मै हू ।ं िकसी बड़ी लहर पर सवार कभी-कभी भ्रम पैदा होत जातिा है िक मै भी हू ।ं वह बड़ी लहर का खयाल नही रह जातिा, और बड़ी लहर भी िकसी सागर पर सवार है उसका तिोत िबलकुल खयाल नही रह जातिा। नीचे से सागर हाथ अलग कर लेतिा है, बड़ी लहर िबखरने लगतिी है; बड़ी लहर िबखरतिी है, मै खोत जातिा हू ।ं अकारण दख ु ले लेतिा हू ं िक िमट रहा हू ,ं कयोिक अकारण मैने सुख िलया था िक हू ।ं अगर उसी वक देख लेतिा िक मै नही हू ं, बड़ी

लहर है, बड़ा सागर है। सागर की मजी उठतिा हू ,ं सागर की मजी खोत जातिा हू ।ं अगर ऐसी भाव-दशा बन जातिी िक अनंति की मजी का मै एक िहससा हू ं, तिोत कोतई दख ु न था। हां, वह तिथाकिथति सुख भी िफर नही होत सकतिा जोत हम लेतिे रहतिे है। मैने जीतिा, मैने कमाया, वह सुख भी नही रह जाएगा। वह दख ु भी नही रह जाएगा िक मै िमटा, मै बबारद हु आ, मै टू ट गया, मै नष होत गया, हार गया, परािजति हु आ, वह दख ु भी नही रह जाएगा। और जब ये दोतनो सुख और दख ु नही रह जातिे है तिब हम उस सारभूति जगति मे पवेश करतिे है जहां आनंद है। ज्योतितिष आनंद का दार बन जातिा है, अगर हम ऐसा देखे िक वह हमारी अिसमतिा कोत गलातिा है, हमारा अहंकार िबखेरतिा है, हमारी ईगोत कोत हटा देतिा है। लेिकन जब हम बाजार मे सड़क पर ज्योतितिषी के पास जातिे है तिोत अपने अहंकार की सुरका के िलए पूछने, िक घाटा तिोत नही लगेगा? यह लाटरी िमल जाएगी? नही िमलेगी? यह धंधा हाथ मे लेतिे है, सफलतिा िनिशचति है? अहंकार के िलए हम पूछने जातिे है। और मजा यह है िक ज्योतितिष पूरा का पूरा अहंकार के िवपरीति है। ज्योतितिष का अथर ही यह है िक आप नही होत, जगति है। आप नही होत, बहांड है। िवराट शिकयो का पभाव है, आप कुछ भी नही होत। इस ज्योतितिष की तिरफ खयाल आए, और वह तिभी आ सकतिा है जब हम इस िवराट जगति के बीच अपने कोत एक िहससे की तिरह देखे। इसिलए मैने कहा िक सूयर से िकस भांिति यह सारा का सारा संयक ु और जुड़ा हु आ है। अगर सूयर से हमे पतिा चल जाए िक हम जुड़े हु ए है तिोत िफर हमकोत पतिा चलेगा िक सूयर और महासूयो ं से जुड़ा हु आ है। कोतई चार अरब सूयर है। और वैजािनक कहतिे है िक इन सभी सूयो ं का जनम िकसी महासूयर से हु आ है। अब तिक हमे उसका कोतई अंदाज नही वह कहां होतगा। जैसे पृथवी अपनी कील पर घूमतिी है और साथ ही सूरज का चककर लगातिी है, ऐसे ही सूरज अपनी कील पर घूमतिा है और िकसी िबंद ु का चककर लगा रहा है। उस िबंद ु का ठीक-ठीक पतिा नही है िक वह िबंद ु कया है िजसका सूरज चककर लगा रहा है। िवराट चककर जारी है। िजस िबंद ु का सूरज चककर लगा रहा है वह िबंद ु और सूरज का पूरा का पूरा सौर पिरवार भी िकसी और महािबंद ु के चककर मे संलग है। मंिदरो मे पिरकमा बनी है। वह पिरकमा इसका पतिीक है िक इस जगति मे सारी चीजे िकसी की पिरकमा कर रही है। पत्येक अपने मे घूम रहा है और िफर िकसी की पिरकमा कर रहा है। िफर वे दोतनो िमल कर िकसी और बड़े की पिरकमा कर रहे है। िफर वे तिीनो िमल कर और िकसी की पिरकमा कर रहे है। वह जोत अलटीमेट है िजसकी सभी पिरकमा कर रहे है, उसकोत जािनयो ने बह कहा है-उस अंितिम कोत, जोत िकसी की पिरकमा नही कर रहा है, जोत अपने मे भी नही घूम रहा है और िकसी की पिरकमा भी नही कर रहा है। ध्यान रखे, जोत अपने मे घूमेगा वह िकसी की पिरकमा जरर करेगा। जोत अपने मे भी नही घूमेगा वह िफर िकसी की पिरकमा नही करतिा। वह शूनय और शांति है। वह धुरी, वह कील िजस पर सारा बहांड घूम रहा है, िजससे सारा बहांड फैलतिा है और िसकुड़तिा है। िहंदओ ु ं ने तिोत सोतचा है िक जैसे कली फूल बनतिी है, िफर िबखर जातिी है; ऐसे ही यह पूरा जगति िखलतिा है, फैलतिा है, एकसपैड होततिा है, िफर पलय कोत उपलबध होत जातिा है। जैसे िदन होततिा है और राति होततिी है, ऐसे ही सारे जगति का िदन है और िफर सारे जगति की राति होत जातिी है। जैसा मैने कहा िक गयारह वषर की एक लय है, नबबे वषर की एक लय है।

ऐसा िहंद ू िवचार का खयाल है िक अरबो-खरबो वषर की भी एक लय है। उस लय मे जगति उठतिा है, जवान होततिा है। पृिथवयां पैदा होततिी है, चांदतारे फैलतिे है, बिसतियां बसतिी है। लोतग जनमतिे है, करोतड़ो-करोतड़ो पाणी पैदा होततिे है। और कोतई एक अकेली पृथवी पर होत जातिे है, ऐसा नही। अब वैजािनक कहतिे है िक कम से कम पचास हजार गहो पर जीवन होतना चािहए, कम से कम! यह िमिनमम है, इतिना तिोत होतगा ही, इससे ज्यादा होत सकतिा है। इतिने बड़े िवराट जगति मे अकेली पृथवी पर जीवन होत, यह संभव नही मालूम होततिा। पचास हजार गहो पर, पचास हजार पृिथवयो पर जीवन है। अनंति फैलाव है। िफर सब िसकुड़ जातिा है। यह पृथवी सदा नही थी, यह सदा नही होतगी। जैसे मै सदा नही था, सदा नही होतऊंगा। वैसे ही यह पृथवी सदा नही थी, सदा नही होतगी। यह सूरज भी सदा नही था, सदा नही होतगा। ये चांदतारे भी सदा नही थे, सदा नही होगे। इनके होतने और न होतने का वतिुरल घूमतिा रहतिा है। उस िवराट पिहए मे हम भी कही एक पिहए की िकसी धुरी पर न होतने जैसे कही है। और अगर हम सोतचतिे हो िक हम अलग है तिोत हमारी िसथिति वैसी ही है जैसे कोतई आदमी टर ेन मे बैठा होत...। मैने सुना है िक एक आदमी एक हवाई जहाज मे सवार हु आ। और जलदी पहु च ं जाए इसिलए तिेजी से हवाई जहाज के भीतिर चलने लगा--जलदी पहु च ं जाने के खयाल से! सवाभािवक तिकर है िक अगर जलदी चिलएगा तिोत जलदी पहु च ं जाइएगा। याितयो ने उसे पकड़ा और कहा िक आप कया कर रहे है? उसने कहा िक मै थोतड़ा जलदी मे हू ।ं जमीन पर उसका जोत तिकर था--वह पहली दफे ही हवाई जहाज मे सवार हु आ था--जमीन पर वह जानतिा था िक जलदी चिलए तिोत जलदी पहु च ं जातिे है। हवाई जहाज पर भी वह जलदी चल रहा था, इसका िबना खयाल िकए िक उसका चलना अब इररेलेवेट है, अब असंगति है। अब हवाई जहाज चल ही रहा है। वह चल कर िसफर अपने कोत थका ले सकतिा है; जलदी नही पहु च ं ेगा, यह होत सकतिा है िक पहु च ं तिे-पहु च ं तिे इतिना थक जाए िक उठ भी न पाए। उसे िवश्राम कर लेना चािहए। उसे आं ख बंद करके लेट जाना चािहए। धािमर क वयिक मै उसे कहतिा हू ं जोत इस जगति की िवराट गिति के भीतिर िवश्राम कोत उपलबध है। जोत जानतिा है िक िवराट चल रहा है, जलदी नही है। मेरी जलदी से कुछ होतगा नही। अगर मै इस िवराट की लयबदतिा मे एक बना रहू ,ं वही काफी है, वही आनंदपूणर है। ज्योतितिष के िलए मै इसीिलए आपसे इतिनी बातिे कहा हू ।ं यह खयाल मे आ जाए तिोत ज्योतितिष आपके िलए अध्यात्म का दार िसद होत सकतिा है। ************************************

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