Martyn Luther King (hindi)

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  • Words: 58,170
  • Pages: 132
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अनु मिणका दो श द 1- आधुिनक युग के महामानव डॉ- मा टन लूथर कं ग 2- इनसािनयत के ित सम पत जी 3- आरं िभक जीवन 4- िश ा के पथ पर

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5- बो टन और फोरे टा

6- म टगोमरी म अ हंसक ितरोध 7- नाग रक अिधकार के िलए संघष 8- पा रवा रक जी 9- अनवरत संघष 10- िशकागो का आंदोलन 11- िवयतनाम, लैक पावर और वष 1967 12- म फस म शहादत मा टन लूथर कं ग के जीवन क मह वपूण ितिथयाँ संदभ ंथ संदभ पि काएँ

दो श द अमे रका म सन् 1950 और 1960 के दशक म रंगभेद के िखलाफ मा टन लूथर

कं ग जूिनयर क अगुवाई म अ हंसक ितरोध अपनाते ए जो नाग रक अिधकार आंदोलन चलाया गया था, उसक दा तान युग -युग तक मानव जाित को ेरणा देती रहेगी। इस पु तक म मा टन लूथर कं ग जूिनयर के जीवन के िविवध पहलु पर काश डाला गया है। नई पीढ़ी के िलए कं ग क जीवन-कथा से अवगत होना उपयोगी सािबत होगा। इस पु तक म बताया गया है क कस तरह धम पदेशक के नाती एवं पु होने और वयं धम पदेशक का पेशा चुनने के बावजूद कं ग ने अमे रका के दि णी और फर उ री िह स म रं गभेद के िखलाफ अ हंसक आंदोलन चलाते ए इितहास क दशा को मोड़ देने म सफलता हािसल क थी।

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कं ग का बचपन अटलांटा के अ ेत ब ल इलाके म ि थत सुखी-संप प रवार म गुजरा था। उ ह ने मोरे हाउस कॉलेज,“ रोजर िथयोलॉिजकल सेमीनरी और बो टन िव िव ालय से िश ा ा क । फोरे टा कॉट से उनका िववाह आ। फर कं ग समय क पुकार को सुनते ए नाग रक अिधकार आंदोलन के ित सम पत हो गए। महा मा गांधी के अ हंसक ितरोध को अपना अ बनाकर उ ह ने रं गभेद और गरीबी क जंजीर से अ ेत जनता को मुि दलाने के िलए रा ापी आंदोलन शु कर दया। इस आंदोलन के िलए कं ग को अपने जीवन को बिलदान करना पड़ा। इसके बावजूद इ ह ने सािबत कर दखाया क मानवता को बचाने के िलए हर तरह के संकट को हँसते-हँसते झेला जा सकता है और शासन तं को चुनौती दी जा सकती है। उ ह ने घृणा को ेम व भाईचारे से जीतने का यास कया और रं गभेद के समथक का दय-प रवतन करने पर लगातार जोर देते रहे। ऐसे महामानव क जीवनी सभी वग के पाठक के िलए िन य ही उपयोगी िस होगी।

आधुिनक युग के महामानव डॉ.मा टन लूथर कं ग डॉ-मा टन लूथर कं ग जूिनयर आधुिनक युग के एक मह वपूण श स थे। उनके िवचार और भाषण ने जहाँ जनमानस को झकझोरकर रख दया, वह एक पीढ़ी को जाग क बनाने म भी योगदान दया। अपने साहस और िन वाथ समपण भाव से उ ह ने जो आंदोलन शु कए, उनक वजह से अमे रक समाज क संरचना म मह वपूण बदलाव आए। उ ह ने िन ापूवक तेरह वष तक जन-अिधकार के प म िविभ गितिविधय का संचालन कया। अपने क र माई नेतृ व क मता से उ ह ने देश और दुिनया के ीपु ष , ब , युवा और वृ के मन म आशा का संचार कया। मानवता के ित डॉ- कं ग क भावना ने अ ेत और गरीब के मन म उ मीद और वािभमान क रोशनी जलाई। अ हंसक य जन-कारवाई के उनके दशन और तकसंगत तथा रचना मक सामािजक प रवतन क उनक नीितय ने अमे रका क चेतना को जगाने का काम कया। उनके िववेक, उनके िवचार, उनके काय, उनक ितब ता और जीवन के एक नए पथ का उनका सपना अमे रक जीवन-अनुभव से उपजे थे।

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ज म एंव प रवार मा टन लूथर कं ग जूिनयर का ज म 15 जनवरी, 1929 को दोपहर 501, ऑबन एवे यू, एन-ई-, अटलांटा, जॉ जया म आ। सव काल के िच क सक का नाम डॉ- चा स जॉनसन था। मा टन लूथर कं ग जूिनयर रे वरड मा टन लूथर कं ग सीिनयर एवं एलबेटो िविलय स कं ग के थम पु और दूसरी संतान थे। इस प रवार म ि टन और रे वरड अ े ड डेिनयल िविलय स कं ग का भी ज म आ। मा टन लूथर कं ग जूिनयर के नाना का नाम रे वरड एडम डेिनयल िवलयम, इबेनेजर बैप ट ट चच के सेकंड पे टोर और नानी जेनी पा स िविलय स थ । उनके दादा का नाम जे स अ बट और दादी का नाम डेिलया कं ग था। मा टन लूथर कं ग जूिनयर का िववाह फोरे टा कॉट से 18 जून, 1953 को आ। फोरे टा कॉट के िपता का नाम ओबेिडया और माता का नाम बन स मेकमरी कॉट था। िववाह समारोह का आयोजन कॉट प रवार के मे रयन, अलबामा म ि थत घर म आ था।

कं ग दंपती क चार संतान

-

योलांदा डेिनस (17 नवंबर, 1955, म टगोमरी, अलबामा) मा टन लूथर III(23 अ ू बर, 1957, म टगोमरी, अलबामा) डे टर कॉट (30 जनवरी, 1961, अटलांटा, जॉ जया) व नस अलबट न (28 माच, 1963, अटलांटा, जॉ जया) िश ा छह वष क वैधािनक आयु तक प च ँ ने से पहले पाँच वष क आयु म मा टन लूथर कं ग जूिनयर ने कू ली िश ा क शु आत क । उ ह अटलांटा के य ग ीट एलीमटरी कू ल म दािखला दया गया। जब उनक उ का पता चला तो छह वष क आयु पूरी होने तक उ ह पढ़ाई जारी रखने क अनुमित नह दी गई। य ग कू ल के बाद उ ह ने डेिवड टी- हावड एलीमटरी कू ल म पढ़ाई क । उ ह ने अटलांटा यूिनव सटी लेबोरे टरी कू ल और बुकर टीवॉ शंगटन हाई कू ल म भी पढ़ाई क । हाई कू ल म लाए गए अ छे अंक के कारण उ ह बुकर टीवॉ शंगटन से औपचा रक ेजुशन कए िबना ही मोरे हाउस कॉलेज म दािखला िमल गया। नौव और बारहव क ा क पढ़ाई नह करने के कारण पं ह साल क उ म ही उ ह मोरे हाउस कॉलेज म दािखला िमल गया। सन्1948 म उ ह ने मोरे हाउस कॉलेज से समाज-शा म बी-ए- क िड ी हािसल क । उसी साल उ ह ने चे टर, पेनिस वेिनया म“ रोजर िथयोलॉिजकल सेिमनरी म दािखला िलया।“ रोजर के साथ-साथ उ ह ने पेनिस वेिनया िव िव ालय म अ ययन भी जारी रखा। उ ह व र कला का अ य चुना गया और उ ह ने दी ांत समारोह म भाषण भी दया। सव े छा के प म उ ह ‘पेरल लाफनर पुर कार’ दया गया और अपनी पसंद के कसी िव िव ालय म अ ययन के िलए उ ह जेलेवीस“ रोजर फे लोिशप िमली। सन् 1951 म“ रोजर से उ ह बैचलर ऑफ िडिविनटी िड ी िमली।

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िसतंबर 1951 म कं ग ने बो टन िव िव ालय म िथयोलॉजी का अ ययन शु कया। उ ह ने हावड िव िव ालय म भी अ ययन कया। उनका शोधप ‘ए कं पे रजन ऑफ द कॉ से शंस ऑफ गॉड इन द थं कं ग ऑफ पॉल टिलच एंड हेनरी ने सन वीमन’ 1955 म पूरा आ और 5 जून, 1955 को उ ह पी-एच- डी- क िड ी दान क गई।

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मानद िडि याँ: कं ग को अमे रका एवं अ य देश के िविभ कॉलेज और िव िव ालय क तरफ से कई मानद िडि याँ दी ग , िजनम मुख िडि याँ थ 1- डॉ टर ऑफ “यूमन लेटस, मोरे हाउस कॉलेज 2- डॉ टर ऑफ लॉज, हावड िव िव ालय 3- डॉ टर ऑफ िडिविनटी, िशकागो िथयोलॉिजकल सेिमनरी 4- डॉ टर ऑफ लॉज, मोगन टेट िव िव ालय 5- डॉ टर ऑफ यूमनेरीज, स ल टेट िव िव ालय 6- डॉ टर ऑफ िडिविनटी, बो टन िव िव ालय 7- डॉ टर ऑफ लॉज, िलकन िव िव ालय 8- डॉ टर ऑफ लॉज, ि जपोट िव िव ालय 9- डॉ टर ऑफ िसिवल लॉज, बाड कॉलेज

10- डॉ टर ऑफ लेटस, के उका कॉलेज 11- डॉ टर ऑफ िडिविनटी, वेसिलयान कॉलेज 12- डॉ टर ऑफ लॉज, वीश िथयोलॉिजकल सेिमनरी 13- डॉ टर ऑफ लॉज, चेल िव िव ालय 14- डॉ टर ऑफ िडिविनटी, ि गफ ड कॉलेज 15- डॉ टर ऑफ लॉज, होफ ा िव िव ालय 16- डॉ टर ऑफ यूमन लेटस, ओबरलीन कॉलेज 17- डॉ टर ऑफ सोशल साइं स, ए सटडम“ री िव िव ालय 18- डॉ टर ऑफ िडिविनटी, सट पीटस कॉलेज 19- डॉ टर ऑफ िसिवल लॉ, यू कै सल िव िव ालय 20- डॉ टर ऑफ लॉज, ीनेल कॉलेज

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कम जीवन

मा टन लूथर कं ग जूिनयर ने ि यन िमिन ी म वेश कया और उ ीस वष क उ म, फरवरी 1948 म उ ह अटलांटा (जॉ जया) म ि थत एबेनेजर बैप ट ट चच म िनयु कया गया। उ ह एबेनेजर बैप ट ट चच म सहायक पे टर के पद पर िनयु कया गया। बो टन िव िव ालय म अपना अ ययन पूरा कर लेने के बाद उ ह ने अलबामा के म टगोमरी म ि थत डे सटर एवे यू बैप ट ट चच का आमं ण वीकार कर िलया। वह िसतंबर 1954 से नवंबर 1959 तक डे टर एवे यू बैप ट ट चच म पे टर के पद पर रहे। वहाँ से यागप देकर वह ‘आउबन ि यन लीडरिशप कॉ स क गितिविधय का संचालन करने के िलए अटलांटा चले गए। वष 1960 से अंितम समय 1968 तक वह एबेनेजर बैप ट ट चच म अपने िपता के सहायक पे टर रहे। डॉ- कं ग जन-अिधकार आंदोलन क ाण-शि थे। उ ह म टगोमरी इं ूवमट एसोिसएशन का अ य चुना गया। इसी सं था क अगुवाई म सन् 1955 से 1956 तक (381 दन) ‘म टगोमरी बस बिह कार अिभयान’ सफलतापूवक चलाया गया था। जन-अिधकार आंदोलन म भागीदारी के चलते डॉ- कं ग को तीस बार िगर तार कया गया। 1957 से 1968 तक वह ‘आउबन ि यन लीडरिशप कॉ स’ के सं थापक अ य थे। वह नेशनल संडे कू ल और नेशनल बैप ट ट क वशन क बैप ट ट टी चंग यूिनयन कां ेस के उपा य थे। वह कई रा ीय एवं थानीय बोड के िनदेशक और कई सं था तथा एजिसय के टी भी थे। उ ह अमे रकन एके डमी ऑफ आ स एवं साइं सेज सिहत कई िस सं था ने अपना सद य चुना था।

स मान जन-अिधकार आंदोलन का नेतृ व करने के िलए डॉ- कं ग को कई स मान िमले, िजनम मुख स मान इस कार थे• 1957 म टाइम पि का ने उ ह दस मह वपूण • 1957 म अमे रका क

इज

ि

व म एक

ि

व के

प म चुना।

सूची म शािमल कए गए।

• 1957 म एन-ए-ए-सी-पी- क तरफ से पंगटन मैडल िमला। • 1957 म नेशनल यूजपेपस पि लशस क तरफ से रसवम पुर कार दान कया गया। • 1958 म यूयॉक के पुिलस िवभाग के अिभभावक संघ क तरफ से ि तीय वा षक उपलि ध पुर कार दान कए गए। • 1959 म ‘िलग’ पि का के संसार के सोलह सवािधक भावशाली जननेता क सूची म एक जननेता के प म चुना। • 1963 म ‘टाइम’ पि का ने वष का सव े

ि

घोिषत कया।

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• सन् 1963 म लाउं ी ाईि लिनग एंड डाई वकस इं टरनेशनल यूिनयन ने ‘दशक का सव े अमे रक ’ का िखताब दान कया। • 1964 म यूनाइटेड फे डरे शन ऑफ टीचस क तरफ से जॉन डेवी पुर कार िमला।

• 1964 म कै थोिलक इं टरटेिशयल काउं िसल ऑफ िशकागो क तरफ से जॉन एफ- के नेडी पुर कार िमला। • 1964 म 35 वष क आयु म नोबेल शांित पुर कार िमला। इतनी कम आयु म यह स मान पहले कसी को नह िमला था और यह स मान पानेवाले वह दूसरे अमे रक तथा तीसरे अ ेत नाग रक थे। • 1968 म जमैका क सरकार ने मरणोपरांत मानवािधकार के िलए माकस गारवी पुर कार दान कया। • 1968 म आउबन ि यन लीडरिशप कॉ स ने मरणोपरांत रोजा एल पा स पुर कार दान कया। पु तक डॉ- कं ग अपने प रवार, चच, सदन ि यन लीडरिशप कॉ स, शांित और याय के िलए आंदोलन, िवदेश या एवं भाषण के िविभ काय म म त रहते थे। इसके बावजूद उ ह ने छह पु तक और अनिगनत िनबंध िलखे थे। उनक पु तक के नाम इस

कार ह1- ाइटू डवाड“ रीडम ( यूयॉक: हापर एंड रो, 1958) म टगोमरी बस बिह कार क दा तान। 2- द मीजर ऑफ ए मैन ( फलाडेि फया: िपलि म ेस, 1959) िवचार का संकलन। 3- नाई वी बैनोट वेट ( यूयॉक: हापर एंड रो, 1963) ब मघम अिभयान क दा तान। 4-

थ टु लव ( यूयॉक: हापर एंड रो, 1963) िवचार का संकलन।

5- हेयर डू वी गो“ रॉम हेयर: चाओज ऑर क युिनटी? ( यूयॉक: हापर एंड रो, 1967), वतमान िव क सम या , परमाणिवक ित पधा आ द से संबंिधत िवचार। 6- द ंपेट ऑफ कॉि शयस ( यूयॉक: हापर एंड रो, 1968) भाषण का संकलन। मृ यु डॉ- कं ग क ह या 5 अ ैल, 1968 को गोली मारकर उस समय कर दी गई, जब वह टेिनसी के म फस म ि थत लोराइन मोटल क बालकनी म पड़े थे। डॉ- कं ग म फस म सफाई कमचा रय के ितरोध आंदोलन म मदद करने के िलए प च ँ े थे, जो कम वेतन और नारक य काय थल के माहौल का िवरोध जता रहे थे। डॉ- कं ग क ह या के आरोप म जे स अल रे को 8 जून, 1968 को लंदन म िगर तार कया गया और अदालत ने उसे 99 वष के कारावास क सजा सुनाई।

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8 दसंबर, 1999 को म फस म मुकदमे का फै सला सुनाते ए बारह सद यीय जूरी ने डॉकं ग क ह या क सािजश के िलए लॉयड जोवस और कई सरकारी एजिसय को दोषी करार दया। 9 अ ैल, 1968 को डॉ- कं ग क अं येि ई। एबेनेजर बैप ट ट चच और मोरे हाउस कॉलेज प रषद् म शोकसभा का आयोजन कया गया। अमे रका के रा पित ने एक दन का रा ीय शोक घोिषत कया और रा ीय झंडे को झुका दया गया।

इनसािनयत के ित सम पत जीवन अचानक गोली चलने क

आवाज सुनाई पड़ी। सड़क के दूसरे कनारे पर ि थत कराए के घर क तरफ से यह आवाज आई थी। एक गवाह के अनुसार, ‘यह आवाज डायनामाइट फटने क तरह थी।’ दूसरे गवाह ने उस आवाज क तुलना पटाखे से क थी। आवाज सुनते ही डॉ- कं ग के तमाम सहयोगी खतरे क आशंका महसूस करते ए घटना थल पर प च ँ गए। 30-6 राइफल से चलाई गई गोली डॉ- कं ग क गरदन म घुसी थी, िजसक वजह से दाएँ जबड़े का िनचला िह सा और रीढ़ क ह ी ित त हो गई थी। गोली लगते ही वह पीछे क दीवार क तरफ िगर पड़े थे। िगरने से पहले उ ह ने हाथ से िसर को थाम िलया था।

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उनके सहयोिगय ने तौिलए से खून का बहाव रोकने का यास कया। 30 पुिलसकम घटना थल पर प च ँ गए, मगर वे ह यारे को पकड़ नह पाए, या क फौरन उ ह ने सामने के मकान क तलाशी नह ली थी। उस मकान से एक रे मंगटन पंप ए शन राइफल, दूरबीन और एक सूटके स बरामद कया गया। गोली लगने के एक घंटे बाद 39 वष य डॉ- मा टन लूथर कं ग जूिनयर क मौत म फस के सट जोसफ अ पताल के आपातकालीन क म हो गई। मृ यु से पहले उनके सहयोगी उनके मुँह से कोई आिखरी संदश े सुनना चाहते थे मगर गोली लगने के बाद वे होश खो बैठे थे। हलक सी ‘ओह’ क आवाज आिखरी बार उनके मुँह से िनकली थी। उ ह कसी तरह का संदश े देने क ज रत नह थी। चूँ क अपने जीवन से उ ह ने दुिनया को जो संदश े दया, वैसा संदश े लाख श द के ज रए भी नह दया जा सकता था। अटलांटा के पास म य वग य लोग क ब ती वाइन िसटी म ि थत कं ग प रवार के घर म मौजूद डॉ- कं ग क प ी फोरे टा कं ग को डॉ- कं ग के घायल होने क सूचना भेजी गई। जन-अिधकार आंदोलन के नेता और अटलांटा के मेयर इवान एलेन ने फोन के ज रए यह सूचना दी थी। मेयर ने फोरे टा कं ग को म फस जाने के िलए हवाई या का भी इं तजाम कर दया था; मगर हवाई अ ा प च ँ ने से पहले ही उ ह अपने पित क मौत क ददनाक खबर िमल गई। लंबे समय से वह इस तरह के हादसे को लेकर आशं कत थ । ले कन जब सचमुच डॉ- कं ग क ह या क खबर आई तो उनके िलए अपने आपको सँभालना मुि कल

हो गया। उ ह ने शालीनता के साथ अपने पित क मृ यु क खबर का सामना कया। डॉ- कं ग के ित ा करनेवाली जनता ज बाती हो रही थी। जीते-जी उनके ित िवरोध जतानेवाले भी अब मातम मना रहे थे। उनके शव को म फस के अं येि गृह म रखा गया था। उनके िवरोधी भी अपने आँसू रोक नह पा रहे थे। कु छ लोग उ ह चूम रहे थे या आदर के साथ उनका पश कर रहे थे। मिहलाएँ बेसुध होकर रो रही थ । कोई िव ास नह कर पा रहा था क उनका सबसे ि य ि इस तरह अचानक संसार से िवदा ले सकता था। जीवन के अंत म डॉ- कं ग को इस बात का संतोष था क उ ह ने अपने कत का ठीक से पालन कया था और एक ऐसा अनुकरणीय जीवन जीकर दखा दया था, िजसे आनेवाली पी ढ़याँ हरिगज नह भूलने वाली थ । उ ह ने एक बार कहा था, जंदगी का मू यांकन िजए गए साल से नह , कए गए काय के आधार पर होना चािहए।” उ ह ने यह भी कहा था,“ कसी रा क आ मा को बचाने के िलए शु कए गए आंदोलन म जान योछावर कर देना साहस क बात हो सकती है। ऐसा लगता था मानो भिव य के हादसे का पूव संकेत उनके अवचेतन मन म मौजूद था और अपने जीवन क सुर ा को लेकर वे जरा भी चंितत नह थे। मृ यु से एक दन पहले उ ह ने कहा था, म नह जानता क अब या होगा। आनेवाले समय म हम कु छ क ठनाइय का सामना करना पड़ सकता है। ले कन म क ठनाइय से िवचिलत होने वाला नह ,ँ य क म अब पवत के िशखर पर ।ँ

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अ य लोग क तरह म भी लंबा जीवन जीना चाहता ।ँ दीघ जीवन क अपनी अहिमयत होती है। मगर मुझे अभी इन बात क चंता नह है। म ई र के काय को पूरा करना चाहता ।ँ ” उनतालीस साल क उ म ही सावजिनक जीवन के चरम पर प च ँ े डॉ- कं ग क इहलीला एक ह यारे क गोली से य समा कर दी गई और िव के इितहास म उनक ह या को सवािधक सद घटना म से एक य माना गया, इन सवाल का जवाब हम उनक जीवन-कथा से ही िमल सकता है। इस तरह का सद अंत हम डॉ- कं ग क जीवन-कथा क पड़ताल करने के िलए िववश करता है। सन् 1929 म अटलांटा म कं ग का ज म आ। उनके िपता और दादा अ ेत को बराबरी का हक दलाने के िलए संघष कर रहे थे। उनके दादा ए- डी- िविलय स नेशनल एसोिसएशन फॉर द एडवांसमट ऑफ कलड पीपुल (एन- ए-ए-पी-सी-) क जॉ जया शाखा के मुख थे। उनके िपता मा टन लूथर कं ग सीिनयर ने अ ेत िश क को समान वेतन दलाने के िलए संघष कया और बालक कं ग को याय के िलए जूझने क ेरणा दी। बचपन म उनका नाम माइकल लूथर कं ग था और उनके िपता का भी यही नाम था। उनके िपता ने ोटे टट सुधार आंदोलन के नेता के स मान म अपना और अपने पु का नाम

बदलकर ‘मा टन’ रख िलया। जहाँ कं ग का ज म आ उस थान का नाम आउबन एवे यू है, जो अ ेत का इलाका माना जाता रहा है। वहाँ कई अ ेत वसायी और नौकरीपेशा लोग रहते थे। रे वरड मा टन लूथर कं ग सीिनयर एबेनेजर बैप ट ट चच और आउबन एवे यू के पे टर थे।

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अटलांटा के पि लक कू ल म कं ग ने आरं िभक िश ा ा क । बचपन म ही उ ह ने िहसा के ित िवरोध का भाव दरशाया था, िजससे उनके भावी जीवन क पूव सूचना िमल गई थी। अिहसा के िस ांत को अ छी तरह समझने से पहले ही वे जीवन म गांधीवादी तरीके से बरताव करने लगे थे। अगर कू ल म कोई सहपाठी उ ह थ पड़ मारता था तो वह बदले म उसे थ पड़ नह मारते थे। एक दुकान म एक ेत मिहला ने उ ह तमाचा मार दया और बोली,“ तुम काले हो और तुमने मेरे पाँव पर पाँव रख रख दया।” कं ग उस समय भी चुप रहे। भले ही उ ह ने मन म अपमान क पीड़ा को महसूस कया, मगर अपने संयम को बनाए रखा। ितर कार झेलने के बावजूद वह अपनी आंत रक शि को िबखरने नह देते थे। जब वह चुप रहते थे तब उनका अंतमन सुलगता रहता था। ितर कार सहने पर उनक आँख से आँसू भले ही छलक आते थे, मगर वह रोते नह थे। उनक दादी ने कहा था क“ शांत ि व के भीतर सदैव आग क लपट उठती रहती ह।” यह वैसी आग थी, जो पूरी दुिनया को राख करने का मा ा रखती थी। कम उ म ही कं ग क सामािजक िश ा क शु आत हो गई थी। जब वह आठ साल के थे, तभी एक ऐसी घटना घटी थी िजसका उनके जीवन पर गहरा भाव पड़ा था। उनके िपता उ ह जूते खरीदने के िलए अटलांटा के फाइव पॉइं स िडपाटमटल टोर म ले गए थे। दोन टोर के भीतर बैठ गए थे। तभी दुकान का ेत कमचारी उनके पास आया और बोला,“

बेहतर होगा क आप लोग पीछे क तरफ कु रिसय पर बैठकर अपनी बारी का इं तजार कर। यहाँ बैठने म कोई परे शानी नह है।’ कं ग के िपता ने कहा। आपको पीछे बैठने के िलए जाना ही होगा।” कमचारी ने कहा। हम यह बैठकर जूते खरीदगे, नह तो इस दुकान से जूते नह खरीदगे।” इतना कहकर िपता ने बेटे का हाथ थामा और गु से म दुकान से बाहर िनकल गए। इस घटना के ज रए कं ग ने महसूस कया क दि ण के समाज म कस तरह ेत का बोलबाला था और कस तरह अ ेत को रं गभेद का सामना करना पड़ता था। इस घटना ने उनके कोमल मन पर गहरा भाव डाला और इसी के आधार पर उनके भावी जीवन क दशा भी िनधा रत हो गई। इस घटना ने उनके मन म चंगारी पैदा कर दी। एक दूसरे अवसर पर जब कं ग अपने िपता के साथ कार म बैठकर जा रहे थे तब एक ेत पुिलस अिधकारी ने कार रोक और कं ग के िपता से कहा,“ ठीक है लड़के , तलाशी लेने दो।” िपता को अपने पु के सामने पुिलस अिधकारी के मुँह से अपमानजनक लहजा सुनकर शम महसूस ई और गु सा भी आया। िपता ने कहा,“ यह लड़का है। म एक अधेड़ आदमी ।ँ दोन संबोधन म फक है। अब बताओ, मुझे या करना है?”

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एक बार कं ग ने िलखा था -“ जहाँ तक मुझे याद आता है, मेरे मन म न लभेद के िखलाफ असंतोष था। जब म कू ल म भी नह प च ँ ा था, उसी समय रं गभेद के बारे म म जान चुका था। तीन या चार वष तक मेरे सहपा ठय म दो ेत लड़के शािमल थे, िजनके मातािपता अटलांटा म हमारे घर के सामने दुकान चलाते थे। तभी उनके बरताव म बदलाव आने लगा। जब म सड़क पार कर उनसे िमलने के िलए जाता तो उनके माता-िपता कहते थे क वे मेरे साथ नह खेल सकते थे। उनका रवैया श ुतापूण नह था, मगर वे झूठे बहाने बनाते थे। आिखरकार, मने अपनी माँ से इसके बारे म पूछा।” उनक माता ने उ ह समझाने का यास कया क रं गभेद मनु य ने पैदा कया था और ऐसी व था अिधक दन तक टकने वाली नह थी। फर अ याय क पीड़ा को कम करने के िलए अ य अ ेत लोग क तरह माँ ने उ ह तस ली देने क कोिशश क ,“ तुम दूसर के मुकाबले कसी भी मामले म कमतर नह हो।” कशोराव था म प च ँ ने पर कं ग ने देखा क कस तरह अ ेत जनता पर ेत लोग जु म ढा रहे थे। रात के अँधेरे म अ ेत के घर पर हमले कए जाते थे। अदालत म अ ेत को इनसाफ नह िमल पाता था। हालाँ क कं ग का ज म िजस प रवार म आ था, उसम उ ह कभी अभाव क ि थित का सामना नह करना पड़ा था। ले कन वे अपने अ ेत िम क बदहाली देखकर ममाहत हो उठते थे। रं गभेद पर आधा रत समाज- व था उ ह परे शान

करती थी और अपने िपता क तरह उ ह ने कभी इस व था के सामने िसर नह झुकाया। युवाव था म एक फै टरी म काय करते समय कं ग ने देखा क गरीब अ ेत मजदूर के साथ ही गरीब ेत मजदूर का भी शोषण कया जा रहा था। उ ह ने महसूस कया क न लगत भेद भाव और आ थक भेदभाव के बीच गहरा र ता था। छह साल क उ म उनका दािखला पि लक कू ल म करवाया गया और बाद म अटलांटा यूिनव सटी के एक ाइवेट लेबोरे टरी कू ल म भरती कया गया। सन् 1941 म वह बुकर टी वॉ शंगटन हाई कू ल म पढ़ाई करने लगे। उ ह ितभाशाली छा माना जाता था और िश कगण मेहनती, ऊजावान् कहकर उनक शंसा करते थे। 1942 म नौव क ा क पढ़ाई करने क जगह वह सीधे दसव क ा म प च ँ गए। उनका बचपन अ ेत के मोह ले म गुजरा था, जहाँ उनका प रवार सबके िलए मुख सहारा माना जाता था। उनके िपता िसटीजंस ट कं पनी के बोड सद य थे, जो उस समय फे डरल रजव णाली के तहत अ ेत के अधीन एकमा बक था। इसके अलावा उनके िपता अटलांटा िव िव ालय, मोरे हाउस कॉलेज और नेशनल बैप ट ट क वशन क बंधन सिमितय के सद य थे। जन-अिधकार के प म आवाज बुलंद करने क वजह से कं ग के िपता और उनके प रवार को लगातार धम कयाँ िमलती थ । कं ग जैसे-जैसे बड़े होते गए, वे समझने लगे क एक अ ेत ि के प म पैदा होना कस कदर पीड़ादायक अनुभव हो सकता था। भले ही अ ेत समुदाय के बीच उनके प रवार क ित ा थी, ले कन रं गभेद के देश को वे गहराई के साथ महसूस कर रहे थे।

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हाई कू ल के अंितम वष म अ ययन करते समय उ ह ने डॉ टर बनने के बारे म सोचा था, हालाँ क िच क सा के पेशे के ित उनका शु से लगाव नह रहा था। वे भाषण देकर पुर कार ज र जीतते रहे थे। िसतंबर 1944 म पं ह साल क उ म कं ग ने अपने प रवार क परं परा का पालन करते ए मोरे हाउस कॉलेज म दािखला िलया। यह अ ेत क शै िणक सं था थी, जहाँ छा और अ यापक क बेबाक कं ग को पसंद आई। उ ह ने कहा क जीवन म पहली बार उ ह महसूस आ क वहाँ कोई भी भयभीत नजर नह आ रहा था। कॉलेज के अ य डॉ- बजािमन ई- मेचीस ने उन दन को याद करते ए बताया,“ मा टन संतुिलत और प रप छा थे। कम आयु म ही जीवन और उससे जुड़ी सम या को वह समझने लगे थे।” उ ह ने समाज-शा िवषय म भावशाली अंक के साथ ातक क पढ़ाई पूरी क । उनके िपता उ ह धम-शा क िश ा दान करने के प म थे। कं ग िच क सा-शा या कानून क पढ़ाई करना चाहते थे। उ ह ने कहा, मुँझे संदह े था क धम का अ ययन बौि क प से सही हो सकता है। मने धम से जुड़े भावुकतावाद का िवरोध जताया था। मुझे िच लाना या आडंबर करना पसंद नह था। म इन बात को समझ नह पाता था और मुझे शम महसूस

होती थी।” मोरे हाउस कॉलेज म कं ग सामािजक दशन के िलए कसी बौि क आधार क तलाश कर रहे थे। उ ह ने थोरो क पु तक ‘िसिवल िडसओिबिडएंस’ को कई बार पढ़ा और इस नतीजे पर प च ँ े क सामािजक ितरोध के िवचार को वह धम संगठन के ढाँचे म रहकर कारगर तरीके से आजमा सकते थे। मोरे हाउस कॉलेज म वह िजन लोग के संपक म आए, उनसे भी उ ह काफ कु छ सीखने का मौका िमला था। कॉलेज के अ य डॉबजािमन ई- मेचीस और धम-शा िवभाग के िनदेशक डॉ- जॉज डी- के लसी के िवचार का उन पर गहरा भाव पड़ा था। इन दोन ि य के भाव से कं ग ने धम-शा का अ ययन करने का मन बनाया। उ ह ने अपने माता-िपता को इस िनणय के बारे म बता दया। माता-िपता के आशीवाद से उ ह अठारह वष क उ म बैप ट ट चच म एक ओहदा दान कया गया। ातक क पढ़ाई करने के अलावा उ ह ने चे टर म ि थत“ रोजर िथयोलॉिजकल सेिमनरी म भी दािखला ले िलया। वहाँ 100 छा म 6 छा अ ेत थे, िजनम कं ग भी एक थे। उ ह डर था क ेत क कसौटी पर कह नाकाम न होना पड़े। इसिलए उ ह ने जी-जान से मेहनत क । अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ-साथ कं ग महान् दाशिनक और िवचारक क पु तक का अ ययन भी करते रहे थे। उ ह ने लेटो, अर तू, सो, लौफे और हेगेल क पु तक का अ ययन कया। महा मा गांधी से संबंिधत लेख को वे यान से पढ़ते थे।“ ितरोध करने क ेरणा मुझे बाइिबल और जीसस से िमली।” कं ग ने कहा था और फर अपनी बात पूरी करते ए बोले थे,“ ितरोध के तरीके मने महा मा गांधी से सीखे थे।”

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हावड िव िव ालय के अ य डॉ- मोरडेफाई जॉनसन का एक भाषण सुनने के बाद कं ग महा मा गांधी के िवचार क तरफ आक षत ए थे। भाषण सुनने के बाद गांधी दशन संबंधी पु तक का उ ह ने अ ययन कया। गांधी के िवचार को पढ़ने से पहले उनके मन म इस बात को लेकर संदह े था क ेम क शि का इ तेमाल समाज-प रवतन के िलए कया जा सकता है। इसी तरह गांधी के िवचार को पढ़ने से पहले उ ह जीसस क इस नसीहत पर भरोसा नह था क एक गाल पर थ पड़ मारनेवाले के सामने दूसरा गाल बढ़ा देने से टकराव को टाला जा सकता है। गांधीजी मानते थे क जंग जीतने के िलए अिहसा या स या ह को स य क शि म पांत रत करने क ज रत थी। गांधीजी के िवचार को पढ़ने के बाद वे इस नतीजे पर प च ँ े क वतं ता और सामािजक याय के िलए वंिचत क लड़ाई म अ हंसक ितरोध सव े हिथयार हो सकता था। उ ह भावी जीवन क प दशा िमल गई थी। “ रोजर िथयोलॉिजकल सेिमनरी म अ ययन करते समय उ ह ने रौसनबाख क पु तक ‘ ि यिनटी एंड द सोशल लास’ पढ़ी। उस पु तक को पढ़ने के बाद वह इस नतीजे पर प च ँ े क अगर कोई धम मनु य क आ मा क चंता करता है, मगर उसक आ थक व सामािजक ि थित क चंता नह करता तो वह अ छा धम नह है। “ रोजर म पढ़ाई के दौरान जब उ ह ने अ ेत को बराबरी का हक हािसल करने के िलए आवाज बुलंद करते ए देखा तो उ ह गव महसूस आ।“ रोजर म कं ग को असाधारण

छा समझा जाता था। अपनी क ा म वह अ वल रहे थे। उनका उ लेख सेिमनरी के े छा के प म कया गया और उ ह छा संगठन का अ य चुना गया। वे थम अ ेत छा थे, िज ह ऐसा स मान िमला था। सन् 1951 म कं ग ने“ रोजर से ातक क पढ़ाई पूरी क । सव े छा होने के नाते उ ह ‘ लाफनर पुर कार’ दान कया गया। इसके अलावा उ ह 1,200 डॉलर क ‘जे“ रोजर छा वृि ’ दान क गई, िजसक सहायता से वे अपनी पसंद से कसी भी िव िव ालय म पढ़ाई कर सकते थे। उसी वष िसतंबर महीने म वह बो टन यूिनव सटी चले गए। उ ह ने बो टन यूिनव सटी से पी-एच-डी- क िड ी हािसल क । वहाँ पढ़ाई करते समय उनक मुलाकात फोरे टा कॉट नामक युवती से ई और उ ह यार हो गया। फोरे टा अलबामा के मे रयन क रहनेवाली थी। फोरे टा के आकषक ि व ने कं ग को मु ध कर दया था। कं ग और फोरे टा घर से दूर रहकर पढ़ाई कर रहे थे और दोन को ही दि ण म एक जैसे िवषम सामािजक जीवन का अनुभव आ था। बचपन म फोरे टा को 5 मील पैदल चलकर अ ेत के िलए बने एक कमरे ?वाले कू ल तक प च ँ ना पड़ता था। रा ते म वह एक कू ल क बस को देखती थी, जो ेत ब को लेकर धूल उड़ाती ई ेत के िलए बने खास कू ल क तरफ जाती थी। बचपन म ही वह हालात को बदलने के िलए कु छ करना चाहती थी और इस नतीजे पर प च ँ ी थी क उ िश ा हािसल करके ही बदलाव क दशा म कदम बढ़ाया जा सकता था। वह उ िश ा हािसल करने का संक प ले चुक थी। उसने मे रयन के िलकन कू ल से ातक क पढ़ाई पूरी क । एक छा वृि लेकर उसने ओिहयो के एंटीयोक कॉलेज म दािखला िलया। वहाँ पाँच अ ेत िव ा थय म वह भी एक थी। एंटीयोक कॉलेज से िश ा पूरी करने के बाद फोरे टा ने संगीत क िश ा ा करने के िलए छा वृि क मदद से यू इं लड कं जरवेटरी ऑफ यूिजक म दािखला िलया। वह गायन का िश ण ले रही थी। संगीत क ितभा के सहारे वह गायन के े म कै रयर बनाना चाहती थी।

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फोरे टा को जो छा वृि िमल रही थी, उससे िसफ ूशन फ स का बंध हो रहा था। रहने और खाने का खच जुटाने के िलए उसे हाउसक पंग का काम करना पड़ता था। एक दुबलीपतली लड़क को कठोर मेहनत करनी पड़ रही थी। ले कन गाियका बनने का वाब आँख म सँजोकर वह िह मत के साथ संघष करने म जुटी थी। एक िम मेरी पॉवेल ने कं ग और फोरे टा क जान-पहचान करवाई। आरं िभक मुलाकात म ही दोन एक-दूसरे क तरफ आक षत होते गए। शु आती मुलाकात को याद करते ए फोरे टा ने कहा,“ पहले तो मुझे लगा क वह दूसरे धम पदेशक के समान ही ह गे, ले कन बाद म पता चला क वह कतने अनूठे थे। 18 जून, 1953 को दोन का िववाह आ। िववाह समारोह अलबामा म ि थत फोरे टा के िनवास- थान पर आयोिजत कया गया था। िववाह अनु ान को वर के िपता मा टन लूथर कं ग सीिनयर ने संप करवाया। हनीमून से दोन बो टन यूिनव सटी लौट आए। जून 1954 म ीमती कं ग ने यू इं लड कं जरवेटरी

ऑफ यूिजक म अपनी पढ़ाई पूरी क । ीमती कं ग अपने पित के मुँह से भिव य क योजना के बारे म सुनती थ । कं ग शोिषत व वंिचत क बदहाली से दुःखी थे और उनक भलाई के िलए काय करना चाहते थे। सामािजक याय के े म काय करने के िलए ीमती कं ग अपने पित से े रत । इस तरह ीमती कं ग ने गाियका के प म कै रयर सँवारने का अपना इरादा छोड़ दया और आम आदमी क सेवा से जुड़े काय म अपने पित क मदद करने म जुट ग । प ीस साल क उ म ही कं ग दािय व िनभाने के िलए तैयार हो गए थे। पे टर पद के िलए दो ताव उनके पास आए। एक ताव डे टर एवे यू बैप ट ट चच, म टगोमरी, अलबामा से आया था और दूसरा ताव एक बड़े िव िव ालय से आया था। उ ह ने म टगोमरी के ताव को वीकार कया। सन् 1954 म कं ग अपनी प ी के साथ म टगोमरी प च ँ गए। उस समय शायद वह नह जानते थे क उस शहर क छोटी घटना के कारण वह इितहास िनमाण के पथ पर अ सर हो जाएँगे। जैसा क कालाइज ने कहा था, छ टी चीज से ही महानता का ज म होता है।” कं ग के अिहसा दशन पर ईसा मसीह के उपदेश और महा मा गांधी के िवचार का भाव था। बराबरी के हक के िलए उनके िपता ने जो संघष कया था, उसका भाव भी उनके िवचार पर पड़ा था।

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आरं िभक जीवन मा टन लूथर

कं ग जूिनयर ने एक बार उ लेख कया था क उनके िपता व भाई धम पदेशक थे और नाना तथा परनाना भी धमापदेशक ही थे। उ ह लगता था क धम पदेश देना ही उनके जीवन का ल य बन सकता था। अटलांटा के आउबन एवे यू म एक म य वग य प रवार म उनका ज म 15 जनवरी, 1929 को आ था। यह जगह अ ेत समुदाय के बेहद भावशाली और स मानजनक चच म से एक एबेनेजर बैप ट ट चच के करीब ही थी। वे माइकल कं ग सीिनयर और अलबटी ि टन िविलयम कं ग क दूसरी संतान तथा थम पु थे। दंपती ने िपता के नाम पर बेटे का नाम रखा, मगर प रवारवाले उ ह ‘एम एल’ कहकर पुकारते रहे। बाद म िपता और पु के नाम प रवतन कर ‘मा टन लूथर’ जोड़ िलया गया। यह नाम उन जमन धा मक नेता का था, िजनके लेख और यास से सोलहव शता दी म धा मक सुधार आंदोलन शु आ था।

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धम पदेश क परं परा कं ग क धमिनय म कई पी ढ़य से प रवार म चिलत धम पदेश क परं परा वािहत हो रही थी। अ ेत धम पदेशक जनता को तस ली देते रहे थे क ई र एक दन रं गभेद और अ याय का ज र अंत कर देगा। उनके प रवार क मजबूत धा मक जड़ का संबंध जॉ जया के ामीण े से था और दासता के दन से पहले गृहयु के जमाने से ही उनके पुरखे धम पदेशक क भूिमका िनभाते रहे थे। कं ग के परनाना िवलीस िविलय स एक दास थे और अटलांटा से 70 मील पूव जॉ जया के ीन काउं ी म ि थत िसलो बैप ट ट चच म धमापदेशक थे। वष 1840 म इस चच म 80 सद य थे, िजनम 20 दास थे। गृहयु के बाद िविलयम प रवार और दूसरे अ ेत प रवार ने देश के दि णी िह से म अपने बैप ट ट चच थािपत कर िलये थे। कं ग के नाना ए- डी- िविलय स ने अपने िपता से भाषण देने क कला सीखी थी। उ ह ने कथा और मुहावर के योग के ज रए आम लोग को धम पदेश देने क कला म महारत

हािसल कर ली थी और ई र के ित समपण भाव पैदा करने के िलए वह लोग क भावना को े रत करना भी सीख गए थे। ए- डी- िविलय स ने वष 1880 से 1890 के बीच वतं प से धम पदेशक के प म काय करना शु कर दया था। िविलय स प रवार अ ेत क नई आबाद हो रही ब ती अटलांटा म आकर बस गया था। अ ेत समुदाय िविलय स से अ यंत भािवत था और 1894 म उनसे एबेनेजर बैप ट ट चच का पे टर बनने का अनुरोध कया गया। उस समय शहर के िगने-चुने छोटे चच म वह भी एक चच था। िविलिय स के धम पदेश क भावशाली और अनूठी शैली के कारण शहर के गरीब और मेहनतकश अ ेत नाग रक उ ह सुनने के िलए एक होने लगे। धम पदेशक होने के साथसाथ िविलय स अ णी समाज-सुधारक भी थे। वह धा मक एवं सामािजक संगठन क गितिविधय म स य प से भागीदारी करते थे। वह एसोिसएशन फॉर द एडवांसमट ऑफ कलड पीपु स (एन-ए-ए-सी-पी) के साथ भी जुड़े ए थे। उ ह ने हाई कू ल क थापना म अहम भूिमका िनभाई, िजस हाई कू ल म बाद म उनके पोते ने पढ़ाई क । िविलय स के कु शल नेतृ व के कारण सन् 1913 तक एबेनेजर चच के सद य क सं या 750 हो चुक थी। दो अलग-अलग अवसर पर चच क जगह बदलने के बाद िविलय स ने सद य को आउबन एवे यू और जै सन ीट के बीच एक भूखंड खरीदकर चच बनाने का आ“वान कया। चच के भवन के िनमाण के िलए कोष जुटाने क घोषणा करते ए उ ह ने कहा क नए चच म 1,000 से अिधक लोग के िलए उपासना क व था होगी। भवन का मु य िह सा सन् 1922 म बनकर तैयार आ। 1886 म जहाँ एबेनेजर बैप ट ट चच क थापना के समय के वल 13 अ ेत अनुयायी मौजूद थे, वही चच आज क तारीख म अटलांटा म अ ेत क बड़ी आबादी के बीच मुख धा मक एवं सामािजक शि माना जाता है।

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िजस समय ए- डी- िविलय स अटलांटा के अ ेत समुदाय के बीच एबेनेजर बैप ट ट चच को सवािधक भावशाली चच बनाने म जुटे ए थे, उस समय उनक इकलौती बेटी अ बटा िश ा ा कर रही थी। अटलांटा क पेलमेन सेिमनरी से ातक करने के बाद अ बटा ने वज िनया क हपटन नॉमन एंड इं डि यल इं टी ूट से भी सन् 1924 म िश ण का स ट फके ट हािसल कया। जब वह वज िनया से अटलांटा वापस लौटी तो अकसर एक युवा और तेज वी धमापदेशक से उसक मुलाकात होने लग । उस धम पदेशक का नाम माइकल कं ग था। नौ भाई-बहन म माइकल कं ग सबसे बडे़ थे। उनके िपता खेितहर िमक थे और“ रलायड चैपल बैप ट ट चच के सद य थे। अ बटा के िपता क तरह माइकल कं ग के मन म भी रं गभेद को लेकर पीड़ा का भाव बना आ था। और वह इस अ याय के िखलाफ जाग कता पैदा करना चाहते थे। उ ह ने अपने माता-िपता को मामूली मजदूरी के बदले खेत म अपमानजनक प रि थितय म काम करते ए देखा था। कठोर मेहनत क वजह से उनके माता-िपता कमजोर होते गए थे और अपने जीवन क बदहाली को दूर करने का साम य

उनम नह रह गया था। माइकल कं ग अपने प रवार के सद य के साथ होनेवाले दु वहार को बचपन से देखते रहे थे। उ ह ने देखा था क उनके समुदाय के लोग हताशा और ोभ के गत म कस कदर डू बते जा रहे थे। उ ह ने पड़ोस म अ ेत के साथ ई िहसा का मंजर देखा था और एक बार उनके िपता को जान बचाने के िलए जंगल म जाकर िछपना पड़ा था।

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अटलांटा म जब उ ह ने धम पदेशक व कायकता के िवचार को सुना और अ ेत समुदाय के साथ होनेवाली यादितय को महसूस कया तो उनके मन म िनधनता और न लभेद के िखलाफ बगावत क भावना बलवती होती गई। कशोराव था म ही उ ह ने तय कर िलया क वह एक धम पदेशक बनगे। िश ा के अवसर से वंिचत रहनेवाले माइकल कं ग क सहायता चच के धम पदेशक ने क । उनक लगन और इ छा को देखते ए धम पदेशक ने उ ह िशि त बनाने म मदद क और उनक वभाव सुलभ बोलने क कला को िनखारने म अहम भूिमका िनभाई।

अ बटा के साथ जब उनका ेम संबंध चल रहा था तब िविलय स प रवार ने माइकल कं ग को धम पदेशक बनने के िलए हौसला बढ़ाया। उ ह ने माइकल को ीएंट ीपेटरी कू ल म पढ़ाई शु करने म सहायता क । ीएंट क पढ़ाई पूरी करने और अटलांटा के कई छोटे चच म पे टर के प म काम करने के बाद माइकल कं ग ने सन् 1926 म मोरे हाउस कू ल ऑफ रलीजन म तीन वष य िड ी काय म म दािखला िलया। उसी साल जून महीने म एबेनेजर चच क रिववारीय सभा म माइकल और अ बटा ने अपनी सगाई क घोषणा क । सन् 1926 के कृ त ता दवस के दन दोन का िववाह हो गया। िववाह के बाद दोन रहने के िलए आउबन एवे यू ि थत िविलय स प रवार के घर म आ गए। इसी घर म मा टन लूथर कं ग जूिनयर, उनके भाई अ े ड डेिनयल और बहन िवली ि टन का ज म आ।

सन् 1926 म िविलय स ने अपने दामाद तथा युवा धम पदेशक माइकल से एबेनेजर चच म सहायक पे टर के प म काम करने के िलए कहा। माइकल कं ग भारी-भरकम शरीरवाले ि थे, िजनका वजन लगभग 200 पाउं ड था। वे तेज वी व ा थे। जीवन के बाद के वष म लोग उ ह ‘डैडी कं ग’ कहकर पुकारने लगे। एबेनेजर चच म आनेवाले अ ेत लोग को उ ह ने गहराई से भािवत कया और उनके साथ घिन र ता कायम कर िलया। सन् 1931 म िविलय स का देहांत होने के बाद कं ग सीिनयर एबेनेजर चच के पे टर बन गए। आनेवाले वष म जहाँ उ ह ने भारी तादाद म लोग को चच का सद य बनाया वह उ ह ने अपनी पहचान एक भावशाली व ा के प म बनाई। बाद के वष म मा टन लूथर कं ग जूिनयर ने बताया था क कस तरह उनके िपता का गहरा भाव उनके जीवन पर पड़ा था। उ ह ने अपने िपता के साहस और आ मिव ास क शंसा करते ए कहा था क उनके िपता क ठन चुनौितय का सामना करते ए िबलकु ल नह घबराते थे। ेत समुदाय के दबाव के आगे उ ह ने झुकना नह सीखा था। उनके िपता ने बचपन म ही उनसे कहा था क वह अ ेत लोग के साथ होने वाले अ याय और भेदभाव को चुपचाप सहन न कर, य क िवरोध नह होने के कारण ही अ ेत को बदतर जंदगी गुजारनी पड़ रही थी। बैप ट ट क एक सभा को संबोिधत करते ए 1940 म कं ग सीिनयर ने धा मक समुदाय से आ“वान कया था क वह स े ईसाई लोकतं के प म आवाज बुलंद कर, य क ईसाई धम म ेम और समानता क िश ा दी गई है, भेदभाव और नफरत का पाठ नह पढ़ाया गया है। ईसाई धम सम वय का संदश े देता है। वह समाज को बाँटने क बात हरिगज नह करता।

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मा टन लूथर कं ग को जीवन भर आ य होता रहा क इतने प वादी और साहसी होने पर भी उनके िपता के ऊपर कभी शारी रक प से हमला नह कया गया। अटलांटा म एन-ए-ए-सी-पी- के अ य होने और सामािजक सुधार के समथक होने क वजह से हमेशा उनके ऊपर िहसक हमले का खतरा मँडराता रहता था। वष से समाज-सुधार के कई पैरोकार और अ ेत धम पदेशक को न लगत दु वहार और िहसा का िशकार होना पड़ रहा था। कई लोग मारे भी जा चुके थे। इसके बावजूद सीिनयर कं ग साहस के साथ अ ेत चेतना को जा त् करने के अिभयान म जुटे ए थे। आउबन एवे यू मे बचपन 1 मील लंबे और 2 वॉक चौड़े इलाके को ‘ वीट आउबन’ कहकर पुकारा जाता था। यह अटलांटा का एक िह सा था, जहाँ हजार नाग रक, कई पूव दास एवं उनके वंशज रहते थे। सन् 1906 म न लगत दंगा फै ल गया था। अटलांटा के कई इलाक म ेत क िहसक भीड़ ने अ ेत पर हमला कर दया था। जान बचाने के िलए काफ सं या म अ ेत नाग रक अटलांटा छोड़कर चले गए थे और काफ अ ेत ने सुर ा क दृि से आउबन एवे यू म बसना सही समझा था। उ ह लगा था क न लगत घृणा और िहसा से दूर रहने के िलए

उ ह अलग-थलग िह से म एकजुट होकर रहना चािहए। िजस तरह यूयॉक म हरलेम इलाका है, उसी तरह यह इलाका हजार अ ेत के वजूद क सां कृ ितक पहचान बन गया। अटलांटा के एक अ ेत सामािजक नेता जॉन वे ली डॉ स ने इस इलाके का नाम ‘ वीट आउबन’ रखा। अटलांटा म डॉ स को ‘अ ेत ापा रय का मसीहा’ कहा जाता था। उ ह ने अटलांटा नी ो वोटस लीग क शु आत क थी और 1940 म जहाँ अ ेत मतदाता क तादाद 2,000 थी, उसे बढ़ाकर 1950 म उ ह ने 22,000 कर दया था। वह अपनी प ी और छह पुि य के साथ आउबन एवे यू म कं ग प रवार के घर से कु छ दूरी पर रहते थे। बचपन म मा टन लूथर कं ग जूिनयर डॉ स के घर म उनके ब के साथ मोनोपोली खेलते ए नजर आते थे। इसी डॉ स के नाती मेनाड जै सन जूिनयर सन् 1970 म अटलांटा के थम अ ेत मेयर चुने गए थे। वीट आउबन एक ऐसी जगह थी, जहाँ अ ेत नाग रक वसाय कर सकते थे, पड़ोस म ि थत अ ेत के कॉलेज म अ छी िश ा ा कर सकते थे और जीवन म आगे बढ़ने के िलए य कर सकते थे। पूरे इलाके म जंदा दली नजर आती थी। रॉयल पीकॉक और टॉप हैट लब जैसे नाइट लब थे, िजनका संचालन अ ेत वसायी कर रहे थे। इन लब म कै ब फै लाएँ। बेसी ि मथ, रे चा स और ूफ एिलगटन जैसे कलाकार काय म पेश करते थे। इसके अलावा बड़े चच, महँगे रे टोरट, साफ-सुथरे होटल आ द थे। छोटे उ ोग धंध क भी भरमार नजर आती थी।

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1920 के दशक म वीट आउबन म अ ेत उ िमय क 100 से यादा दुकान थ । कई बड़े ित ान थे तो कई छोटी दुकान थ । इसी इलाके म एक अ ेत उ मी ने अटलांटा लाइफ इं योरस कॉप रे शन क थापना क थी। यह से अ ेत के थम दैिनक समाचार-प ‘अटलांटा डेली व ड’ का काशन शु आ था। यह अमे रका म अ ेत का पहला रे िडयो टेशन ‘वेड’ थािपत आ था।

इस तेज वी समुदाय म जहाँ एक वग अ यंत संप था, वह दूसरा वग अ यंत िनधन था। इस इलाके म अपराध क दर कम थी और यादातर लोग चच म भावना मक प से जुड़े ए थे। ऐसे माहौल म ही कं ग का बचपन गुजरा था। सन् 1935 म य ग ीट एिलमटरी कू ल म उ ह ने पढ़ाई शु क , फर डेिवड टी- हावड एिलमटरी कू ल म छठी ेड क पढ़ाई पूरी क । बाहर से आए एक धम पदेशक का वचन सुनकर वह अ यंत भािवत ए और उ ह ने अपने प रवारवाल को बताया क एक दन वह भी लोग के सामने भाषण दगे। एक धम पदेशक के पु होने के कं ग के जीवन क गितिविधय के क म चच था। उनका पालन-पोषण ऐसे प रवार म आ, जहाँ हर सद य बाइिबल पढ़ते थे और ाथनाएँ गाते थे। अपने भाइय और बहन के साथ कं ग से भी बाइिबल को याद करने क अपे ा क जाती थी।

इनके िपता जहाँ एक भावशाली चच के धम पदेशक थे, वह उनक माता ने एबेनेजर चच के वा संगीत कलाकार को िशि त कया था और वयं ऑरगन बजाती थ । अ बटा कं ग क ितभा से वा कफ होने के नाते जॉ जया के कई बैप ट ट संगठन उनसे संगीत काय म तुत करने का अनुरोध करते थे और उ ह ने अपने संगीत दल के साथ सालाना संगीत काय म आयोिजत करना शु कर दया था। बाद म कं ग ने िलखा - ‘चच हमेशा मेरे िलए दूसरे घर क तरह था। जहाँ तक मुझे याद आता है, म हर रिववार को चच म मौजूद रहता था। मेरे सबसे अ छे दो त संडे कू ल म थे और संडे कू ल ने मेरे ि व को सँवारने म अहम भूिमका का िनवाह कया।’ चच के काय म म कं ग जहाँ अपने िपता का वचन सुनते थे, वह उ ह दूसरे धमापदेशक के वचन सुनने का भी मौका िमलता था और दशक पर भावना मक िवचार के गहरे भाव को वह महसूस करने लगे थे। धा मक ाथना के साथ वचन के दौरान जब तािलयाँ बजाई जाती थ तब सुननेवाले मं मु ध हो उठते थे। अ ेत के तमाम चच क तरह एबेनेजर चच म भी एक होने वाले अ ेत नाग रक धम के साथ एकाकार हो जाते थे। चच म ई र के सामने एक क म का लोकतं था, जहाँ अमीर और गरीब के बीच कसी तरह का अंतर नह था। कं ग लोग के लगाव को महसूस कर सकते थे। मगर कम उ के बालक के िलए भीड़ का जोश समझ म न आने वाली पहेली क तरह था। बाद म उ ह ने वीकार कया क अित भावुकता का मंजर देखकर उ ह शम महसूस होती थी।

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वज िनया से आए एक धम-सुधारक ने जब धा मक जनता से आगे आने का आ“वान कया, उसी समय पाँच साल क आयु म कं ग चच के सद य बने। जब उनक बहन ने सद य बनने का फै सला कया तो कं ग भी इस मामले म पीछे नह रहे। बाद म इस संग को याद करते ए उ ह ने कहा था क धा मक अनु ान का आकषण अहम नह था, के वल अपनी बहन का अनुसरण करने के िलए उ ह ने सद य बनने का फै सला कया था।

बाद के वष म धम संदश े और अनु ान को लेकर कं ग के मन म संशय का भाव पैदा होने लगा। प रवार के सद य और समाज के लोग उनसे अपे ा रखते थे क वह एक धम ाण संतान क भूिमका िनभाएँगे। दूसरी तरफ धम के संदश े और कमकांड को लेकर उनके मन म कई तरह के सवाल पैदा हो रहे थे। कं ग ने िलखा - मुँझे लगता है क बारह वष क उ तक म धम संबंधी िवचार को िबना संदह े कए हण करता रहा। मगर मेरा यह रवैया अिधक दन तक कायम नह रह सका, य क ऐसा मेरी मूल वृि से मेल नह खाता था। म हमेशा धा मक कमकांड को लेकर संशयवादी बना रहा था। संडे कू ल म तेरह साल क उ म मने चम कार संबंधी घटना पर सवाल उठाना शु कर दया था।” कं ग का बचपन म य वग य सुख-सुिवधा के माहौल म गुजरा था, जहाँ उ ह प रवार के सद य का भरपूर यार िमला था। उनके प रजन हमेशा उनक आशा -आकां ा का यान रखते थे और उ ह ो सािहत करते थे। कं ग के िपता कठोर अनुशासन लागू करते थे, वह उनक माता अ यंत दयालु वभाव क थ । बाद म कं ग के िपता ने कहा था, हम ब

के भिव य को लेकर काफ चंितत रहते थे। म ब को मजबूत, यो य एवं खुशहाल देखना चाहता था और इसीिलए स ती से पेश आता था। मेरी प ी मेरी मंशा को अ छी तरह समझती थी।” कं ग के माता-िपता के बीच शायद ही कभी झगड़ा होता था और वे देखते थे क दोन के बीच गहरा लगाव और तालमेल था। कं ग ने बाद म कहा भी था क प रवार के शांत व खुशहाल माहौल के कारण ही वह दुिनया को आशावादी नजर से देखने लगे थे और मानवीय संबंध को अहिमयत देने लगे थे। एबेनेजर चच म 18 मई, 1941 को मिहला दवस के काय म म भाग लेते समय कं ग क नानी जेनी िविलय स का देहांत हाट अटैक क वजह से हो गया था। िजस समय उनक नानी क मौत ई, उस समय कं ग अपने माता-िपता क मरजी के िवरफ़ चुपके से एक परे ड देखने के िलए चले गए थे। बाद म उ ह इस बात का पछतावा आ। बारह वष य कं ग के कोमल मि त क पर इस घटना का गहरा भाव पड़ा और वह अवसाद म डू ब गए। उ ह लग रहा था क अगर वह परे ड देखने के िलए नह जाते तो उनक यारी नानी क मौत नह होती। दुःख और प ा प का भाव इस कदर गहरा हो गया क कं ग ने दूसरी मंिजल क िखड़क से छलाँग लगा दी थी। नानी क मौत और कं ग क छलाँग क घटना के बाद माता-िपता ने कं ग के साथ जीवन और मृ यु के बारे म काफ बात क थ । इन बात को सुनकर उ ह मरने के बाद फर ज म लेने क धारणा म िव ास होने लगा था। उनके माता-िपता ने उ ह अलग-थलग होकर रहने नह दया था। कं ग ने कई तरह के काय कए। आठ साल क उ म वह ‘अटलांटा जनल’ नामक समाचार-प लोग के बीच बाँटते थे। इसके अलावा कशोराव था म उ ह ने कई क म के काय कए। िसतंबर 1940 म ेड कू ल क पढ़ाई पूरी करने के बाद उ ह ने अटलांटा यूिनव सटी के लेबोरे टरी हाई कू ल म दािखला िलया। यह एक गितशील ाइवेट कू ल था, जहाँ स म अ ेत प रवार अपने ब को भीड़भाड़ वाले अ ेत के कू ल म बचाकर पढ़ाया करते थे। कं ग ने वहाँ दो वष र्ं तक पढ़ाई क । फर सन् 1942 म कू ल बंद हो गया। उनके ेड अ छे थे, हालाँ क समाज-अ ययन म उ ह कम अंक िमले थे।

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उ ह ने पि लक बुकर टी- वॉ शंगटन हाई कू ल म अपनी पढ़ाई जारी रखी। दूसरे वष म वह एक भाषण ितयोिगता जीत गए। इस तरह उ ह जॉ जया के डबिलन म आयोिजत होनेवाली रा य तरीय ितयोिगता म कू ल का ितिनिध व करने का मौका िमला। चौदह वष य कं ग सावजिनक प से भाषण क कला का दशन कर रहे थे और इस तरह उनके भिव य क दशा भी िनधा रत हो रही थी। भाषण ितयोिगता म भाग लेने के बाद डबिलन से लौटते समय कं ग का सा ा कार रं गभेद के अमानवीय और ददनाक मंजर से आ, िजसके बारे म अब तक वह अपने िपता, दादा और प रवार के अ य सद य के अनुभव व िवचार सुनते रहे थे। बस के ेत चालक ने

कं ग और दूसरे अ ेत छा को फटकारते ए कहा क उ ह ेत याि य के िलए आरि त सीट पर बैठने क कोिशश नह करनी चािहए थी। हालात िबगड़ते देख छा के साथ चल रहे िश क ने छा को टकराव से बचने का अनुरोध कया। इस घटना के कई वष गुजर जाने के बाद भी कं ग के मन म अ याय क टीस बनी रही। सन् 1965 म एक सा ा कार के दौरान कं ग ने कहा क बस म ए अपमान क वजह से उनके मन म ोध क आग धधकने लगी थी। डबिलन म कं ग ने जो भाषण दया था उसका िवषय था - ‘अ ेत और संिवधान’। अपने भाषण म उ ह ने कहा था, जब तक हम ईसा मसीह के ेम और भाईचारे के उपदेश को अपने जीवन म नह अपनाते तब तक हम स े ईसाई नह कहला सकते।” रं गजेद का दंश जब कं ग कशोराव था म थे तब उ ह ने अ ेत समुदाय को रं गभेद का दंश झेलते ए महसूस कया था। गृहयु के बाद कई पी ढ़याँ गुजर चुक थ , इसके बावजूद अ ेत को समाज म बराबरी का हक नह दया गया था। उ ह िनधनता के अँधेरे म जीवनयापन करना पड़ रहा था। रोजगार के िलए उनके पास अवसर सीिमत थे और ऊजावान् व ितभाशाली अ ेत को भी घुट-घुटकर जीने के िलए मजबूर होना पड़ता था।

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देश भर म अ ेत समुदाय के लोग क तरह अटलांटा के अ ेत समुदाय को भी कई तरह क बं दश के साथ जीवनयापन करना पड़ता था। शहर के िवकिसत इलाक म अ ेत को रहने क इजाजत नह दी जाती थी। कू ल और चच भी ेत व अ ेत के िलए अलगअलग बने ए थे। अ ेत को िथएटर , पु तकालय , रे टोरट आ द म घुसने क भी इजाजत नह दी जाती थी। बस एवं टेन जैसी सावजिनक प रवहन णाली म भी अ ेत व ेत के बीच उसी तरह िवभाजन रे खा ख ची गई थी, िजस तरह यायालय और अ य सरकारी इमारत म। झरन , ि व मंग पूल आ द सावजिनक थल पर ‘के वल ेत के िलए’ का बोड लगाया जाता था, जो अ ेत नाग रक के िलए अपमानजनक अनुभव क तरह होता था। अ ेत को कर अिनवाय प से चुकाना पड़ता था। कई मामल म तो उ ह वोट देने का अिधकार भी नह िमला था। बचपन से ही कं ग ने संभावना क जगह बं दश का अनुभव कया था। जब वह छह साल के थे तब अचानक एक ेत सहपाठी ने उनसे िमलना-जुलना बंद कर दया था, य क उसके माता-िपता ने एक अ ेत लड़के के साथ उसक दो ती पर रोक लगा दी थी। बचपन म ही उ ह महसूस हो गया था क सामािजक व था भेदभाव और अ याय पर आधा रत थी। बाद म उ ह ने बचपन के दन को याद करते ए बताया था क जब तक वाई- एम- सीए- क तरफ से अ ेत के िलए अलग से ि व मंग पूल का िनमाण नह कया गया था तब तक वह तैरने के िलए नह जा पाए थे। उ ह याद था क कस तरह सावजिनक पाक ,

रे टोरट , िथएटर आ द म उ ह जाने से रोक दया जाता था। दूसरी तरफ कं ग कम उ से ही देखते रहे थे क कस तरह उनके िपता इस अ यायपूण सामािजक व था के सामने िसर झुकाने से इनकार करते रहे थे। उनके िपता ने तमाम ितकू ल प रि थितय म भी अ यायपूण रं गभेद को वीकार नह कया था। इस तरह रं गभेद के िखलाफ आवाज बुलंद करने के िलए कं ग अपने िपता को अपना आदश समझने लगे थे। कं ग के िपता कई अवसर पर लोग को संबोिधत करते ए व था को चुनौती देने क ज रत पर रोशनी डालते रहे थे। वह कई बार ‘के वल ेत के िलए’ आरि त माग पर आगे बढ़ जाते थे। कं ग को अ छी तरह याद था क एक बार जूते क दुकान म जब उ ह िपछले िह से म बैठने के िलए कहा गया तो कस तरह वे गु से से सुलग उठे थे। कं ग ने िलखा था -“ उस घटना से मने समझ िलया क मेरे िपताजी भेदभाव पर आधा रत व था को वीकार नह कर पाए थे और इस मामले म उ ह ने मेरी चेतना का िनमाण करने म अहम भूिमका िनभाई। मुझे अभी भी याद है, जब म सड़क पर उनके साथ चल रहा होता था तो वह अकसर बुदबुदाते थे, ‘म नह जानता, मुझे कब तक इस व था के तहत जीना होगा, मगर म इसे हरिगज वीकार नह क ँ गा।’” कं ग के िपता ने अपने ब को ऐसे िथएटर म भेजने से इनकार कर दया, जहाँ भेदभाव के आधार पर िपछले िह से म अ ेत के बैठने का इं तजाम कया गया था। जब अ ेत पर िसटी बस म बबरतापूवक हमले कए गए तो उ ह ने िसटी बस म सफर करना छोड़ दया। सन् 1939 म राजनीितक भेदभाव से ु ध होकर उ ह ने मतािधकार क माँग करते ए सैकड़ अ ेत को साथ लेकर िसटी हॉल तक जुलूस िनकाला। एक बार यातायात के िनयम का उ लंघन करने के आरोप म पुिलसकम ने उ ह रोककर ‘लड़का’ कहकर संबोिधत कया। उ ह ने नाराज होकर कं ग क तरफ इशारा करते ए कहा,“ यह लड़का है। म एक आदमी ।ँ जब तक तुम ठीक से मुझे संबोिधत नह करोगे, म तु हारी कोई बात नह सुनूँगा।”

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एक मह वपूण चच के पे टर होने के नाते कं ग के िपता का सामािजक एवं राजनीितक भाव बढ़ता गया था, मगर रं गभेद के िखलाफ संघष को उ ह ने छोड़ा नह था। वह अटलांटा िसिवक एंड पोिल टकल लीग तथा अटलांटा बैप ट ट िमिन टर यूिनयन क अगुवाई कर रहे थे। दोन संगठन अ ेत को मतािधकार दलाने एवं अ य सम या को हल करने के िलए संघष कर रहे थे। वह एन- ए-ए-सी-पी- क अटलांटा शाखा के अ णी नेता थे। इस सं था ने अ ेत िश क को ेत िश क के समान वेतन दलाने क कानूनी लड़ाई जीती थी। रं गभेद के अिभशाप का सामना करने के िसलिसले म कं ग क माता हमेशा उनके हौसले को मजबूत करती रही थ । माता ने उ ह दासता के इितहास के बारे म बताया था और यह भी बताया था क अपने अिधकार को हािसल करने के िलए अ ेत आबादी कस तरह वष र्ं से संघष करती रही थी। उ ह ने भेदभाव पर आधा रत सामािजक व था को अ ेत के िवकास क राह का काँटा बताया था। माता ने उ ह समानता के आदश को अपनाने और अपने वजूद क अहिमयत को समझने क सीख दी थी।

वष 1944 म बुकर टी- वॉ शंगटन हाई कू ल से यारहव ेड क पढ़ाई पूरी करने के बाद कं ग को बारहव ेड को छोड़कर सीधे मोरे हाउस कॉलेज म दािखला लेने का अवसर िमला। उसी कॉलेज से उनके नाना और िपता ने ातक क पढ़ाई क थी। भारी सं या म अ ेत युवा ि तीय िव यु के दौरान सेना म शािमल हो गए थे। इसीिलए मोरे हाउस कॉलेज म नए छा क सं या घट गई थी। कॉलेज ने इसी वजह से यारहव ेड उ ीण करनेवाले िव ा थय के िलए अपना दरवाजा खोल दया। दािखले से पहले एक िवशेष वेश परी ा ली जाती थी। ेड कू ल और हाई कू ल म कं ग के अंक ब त यादा नह थे, फर भी वेश परी ा उ ीण करने म वह सफल रहे। प रवार का ो साहन िमलने पर उ ह ने दािखला लेने का फै सला कया। कॉलेज क छु ðय म पढ़ाई का खच जुटाने के िलए सन् 1944 म कं ग लगभग 100 छा के साथ िस सबरी म तंबाकू के खेत म काम करने के िलए गए। पहली बार कं ग अटलांटा म अपने प रवार को छोड़कर बाहर गए। तंबाकू फाम से जून 1944 म कं ग ने अपने िपता को खत म िलखा -“ उनका व अ छा गुजर रहा था, कड़ी मेहनत करनी पड़ रही थी। बेहतर खाना िमल रहा था और रिववारीय सभा म उ ह युवा का धा मक नेता बना दया गया था।” खत म उ ह ने रं गभेद क भी चचा क थी। उ ह ने िलखा था -“ सफर के दौरान मने कु छ ऐसा मंजर देखा, िजसक मने क पना नह क थी। जब हम वॉ शंगटन से आगे बढे़ तो हम कसी तरह का रं गभेद नजर नह आया। यहाँ के गोरे भले लोग ह। हम कसी भी जगह बेरोक-टोक जा सकते ह और कह भी अपनी मरजी से बेरोक-टोक बैठ सकते ह।”

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रे लगाड़ी से अटलांटा वापस लौटते समय वॉ शंगटन डी-सी- प च ँ ने पर कं ग ने जो ोभ और ितर कार महसूस कया था, उसे उ ह ने बाद म याद कया था। वॉ शंगटन डी-सी- म उ ह अ ेत के िलए अलग से िनधा रत वाहन म िबठाया गया। इस या से कं ग के कोमल मि त क पर यह भाव पड़ा क रं गभेद अ ेत क मयादा और आ मस मान के िलए अिभशाप क तरह था, िजसे ख म करना ज री हो गया था।

िश ा के पथ पर मोरे हाउस कॉलेज

िसतंबर 1944 म 15 साल क

उ म कं ग ने मोरे हाउस कॉलेज म दािखला िलया। यह कॉलेज दि ण म अ ेत के िलए उ िश ा का मुख क माना जाता था। गृहयु के बाद दासता से मु ए अ ेत के एक समूह ने ऑग टा इं टी ूट क थापना क थी, जो बाद म मोरे हाउस कॉलेज के प म िवकिसत होता गया था। थापना के समय से ही इस शै िणक सं थान का उ े य अ ेत िव ा थय को धम पदेशक एवं िश क के प म िशि त करना था।

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इसी मोरे हाउस म कं ग क मुलाकात बजािमन मेज जैसे भावशाली ि से ई, िजनसे उ ह ब त कु छ सीखने का मौका िमला। मेज 1940 म इस कॉलेज के अ य बने थे और अपने सश नेतृ व म काफ सकारा मक बदलाव लाने म सफल ए थे। दि ण के रोिलना के एक पूव गुलाम के पु होने के बावजूद मेज ने लगन व संक प के सहारे रं गभेद और वगभेद जैसी चुनौितय का साहस के साथ सामना कया था। बचपन म गरीबी क वजह से जहाँ उ ह कपास के खेत म मजदूरी करनी पड़ी थी, वह िनरं तर संघष करते ए वह बे स कॉलेज से ातक क पढ़ाई पूरी कर पाने म सफल ए थे। उ िश ा के िलए वह िशकागो प च ँ गए थे, जहाँ उ ह िशकागो यूिनव सटी के कू ल ऑफ रलीजन क तरफ से पी-एच-डी- क उपािध दान क गई थी। मेज 1934 से 1940 तक मोरे हाउस और साउथ के रोिलना टेट कॉलेज म अ यापन करते रहे थे, साथ ही वह हावड यूिनव सटी ऑफ रवीजन के डीन पद पर भी रहे थे। उनके सफल नेतृ व म हावड धा मक व शै िणक सं थान क पंि म शीष पर प च ँ गया था। अपने पेशे के िलहाज से मेज अमे रका के मुख अ ेत िव ान् माने जाते थे। उ ह ने मोरे हाउस के िव ा थय से आ“वान कया क वे यथाि थित को वीकार करने से इनकार कर द। गरीब और वंिचत के अिधकार के िलए संघष कर और मोरे हाउस म अ जत कए गए ान का इ तेमाल अ ेत समुदाय क ग रमा क र ा के िलए कर। मेज ने कई बार एिशया और यूरोप क या एँ क और एक बार भारत म महा मा गांधी से उ ह ने मुलाकात भी क । मेज ओज वी व ा और ब मुखी ि व के धनी थे। उ ह ने धम एवं समाज-

प रवतन के संबंध म कई पु तक भी िलखी थ । मोरे हाउस म अ ययन करते समय कं ग के िवचार और मा यता को ठोस श ल दान करने म मेज ने अहम भूिमका िनभाई। कं ग का प रचय सबसे पहले िजस सहपाठी से आ, उसका नाम वा टर मेकाल था, जो िनधन प रवार से आया था। वह मोरे हाउस के एक टू डट हॉल के बेसमट म हजामत का काम कर अपनी जीिवका का बंध करता था। मोरे हाउस म पढ़ते समय कं ग के पास भी थोड़े पैसे ही होते थे। मगर मेकाल पूरी तरह अभाव त रहता था। एक बार कं ग ने मेकाल से हजामत बनवाई, फर पाया क उनके पास मेकाल को देने के िलए पैसे नह थे। मेकाल आगबबूला हो उठा। दोन के बीच बाहर घास पर कु ती शु हो गई और भीड़ इक ी हो गई। इस झड़प के बाद दोन म गहरी दो ती हो गई। कं ग क तरह मेकाल भी कु छ धा मक मा यता व अनु ान पर संदह े करता था और चच जाने पर दोन बालकनी म बैठते थे। इस तरह दोन अपने वतं िवचार को दरशाने क कोिशश करते थे। इस समय कं ग धम पदेशक बनने क आव यकता नह महसूस कर रहे थे। उनका मन इसके िलए तैयार नह हो रहा था। उनके भीतर से आवाज आ रही थी क उ ह अपने प रवार, खासतौर से िपता क इ छा के िखलाफ बगावत कर देनी चािहए और धम पदेशक बनने से इनकार कर देना चािहए। मोरे हाउस म पढ़ाई म रम जाने के बाद उ ह ने तय कया क वह एक वक ल बनगे।

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मोरे हाउस म पढ़ाई करते समय कं ग अपने घर से ही आते-जाते थे और उ ह ने छा वास म रहने का फै सला नह कया था। इस दौरान उ ह ने कई नए दो त बना िलये थे और उनका सामािजक जीवन अ यंत त हो चुका था। पाँच फ ट सात इं च लंबे कं ग को नृ य करना पसंद था और वह आसानी से लड़ कय के साथ घुल-िमल जाता था। कॉलेज के कई समूह क सद यता उ ह ने ले ली थी, िजनम मुख समूह थे-सोिशयोलॉजी लब, ली लब, िमिन टस यूिनयन, एन-ए-ए-सी-पी- का मोरे हाउस चै टर। वह बटलर ीट वाईएम-सी-ए- म बा के टबॉल खेलने के िलए जाते थे। ज मजात व ा का गुण होने के कारण उ ह कई वाद-िववाद लब क सद यता आसानी से िमल गई थी। भाषण देने क एक ितयोिगता म उ ह ि तीय पुर कार िमला था। वह टू डट काउं िसल के भी सद य बन गए थे। मोरे हाउस म वैचा रक आदान- दान का माहौल पाकर कं ग उ सािहत ए थे। घर म रहते ए िजन िवचार को करने का उ ह मौका िमलता था, वैसे िवचार को करने क उ ह आजादी िमल रही थी। धम पदेशक क संतान के प म लाड़- यार के वातावरण म उनका पालन-पोषण कया गया था; मगर वह खुद को परं परा और मा यता के बंधन म भी बँधे ए महसूस करते थे। उनके सामने एक नए िव क िखड़क खुल गई थी, िजसके बारे म उ ह ने बाद म बताया था,“ मोरे हाउस म एक क म का वतं वातावरण था।” मेज के भाषण को सुनकर कं ग अ यंत भािवत ए थे। मंगलवार के दन मेज अपने

िव ा थय को खासतौर पर संबोिधत करते थे। उनके एक छा ने बाद म िलखा था-“ मेज सर मंगलवार क क ा म हमसे मुखाितब होते थे। वह कहते थे-हाँ, रं गभेद मौजूद है, मगर तु हारा मि त क वतं है। तु हारा काम है अपने मि त क क मता का अिधकतम उपयोग करना। रं गभेद अब एक यथाथ बन चुका है, मगर इसे बहाना नह बनाया जा सकता। सबसे मह वपूण है क तुम अपने मि त क का सदुपयोग करो।” मेज ने िलखा था क जब वह बचपन म साउथ के रोिलना म कपास के खेत म मजदूरी कर रहे थे, तभी से उनके मन म सीखने क इ छा थी। मुँझे ऐसा लगता था क ान ही मुझे मु कर सकता है।” और अब कं ग अपने अ यापक मेज के ज रए वही सबकु छ देख रहे थे, जो मेज पहले देख चुके थे, यानी ान क शि और िवचार क असाधारण मता। िश ा के ज रए मुि क राह उ ह नजर आने लगी थी। मोरे हाउस म कं ग ने एक युवा अ यापक क काफ सराहना क थी, जो उनके प रवार के िम भी थे। धम िवषय के ोफे सर जॉज ई- के लसी ने चेल यूिनव सटी से डॉ टरे ट क िड ी हािसल क थी। उ ह ने बाद म कहा था क िवषय अगर चुनौतीपूण होता था तो कं ग क उ सुकता बढ़ती जाती थी। जब के लसी क ा म बता रहे थे क अमे रका म रं गभेद का मसला नैितक दुिवधा का सबसे बड़ा मसला बन चुका था, तब कं ग के चेहरे पर मुसकान आ गई थी और आँख दमकने लगी थ ।

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मोरे हाउस म अ ययन करते ए कं ग के जीवन क बौि क या शु ई। उ ह ने धम के उपदेश को सामािजक सम या के संदभ म देखना शु कया। उ ह ने धम क संक णता से परे वैकि पक मत का िव ेषण करना सीखा। उ ह पता नह था क इस या क मंिजल कहाँ थी। उ ह समझ म आने लगा था क धम का सामािजक उ े य भी हो सकता है। मेज एवं के लसी जैसे अ यापक के साि य म आने के बाद उ ह ने नए िसरे से अपने जीवन क ाथिमकता का िनधारण करना शु कया। जुलाई 1946 म अटलांटा के थानीय चुनाव के बाद रं गभेद के मसले पर िहसक झड़प शु हो ग । मेिसपो ि स नामक एक ि , जो ि तीय िव यु म भाग ले चुका था और जो जॉ जया के टेलर कं ी िजले म मतदान करने वाला एकमा अ ेत था, को चार ेत ि य ने घेरकर गोली मार दी। थोड़ी देर बाद जॉ जया के मोनरो इलाके म दो अ ेत दंपितय क कार रोककर बीस लोग क भीड़ ने गोली मार दी। जब कं ग ने ‘अटलांटा कॉ टी ूशन’ म अ ेत क ह या क खबर पढ़ी तो नृशंसता और अमानवीयता पर ु ध होने के साथ-साथ अखबार क भाषा पर भी उ ह गु सा आया। अखबार के संपादक य म मरनेवाल के ित संवेदना क गई थी, वह दूसरी तरफ ऐसे कसी भी नए कानून का िवरोध कया गया था, िजसके ज रए भीड़ क िहसा पर काबू पाया जा सके और संघीय सरकार को इसका अिधकार दया जा सके । संपादक य म तक दया गया था क कानून- व था को बहाल रखने के िलए रा य पूरी तरह स म था।

इस तरह क प रि थित से कं ग आहत ए थे। मोरे हाउस के छा के प म उ ह ने अखबार को एक प िलखा। अखबार म उनका प 6 अग त, 1946 को कािशत कया गया। प के आरं भ म कं ग ने न ली शुिचता का समथन करनेवाल और न ली भेदभाव को िमटाने के यास को खतरनाक बतानेवाल क आलोचना क थी। उ ह ने तक दया था क रं गभेद के पूवा ह से त लोग ने िहसा क थी। उ ह ने िलखा- हम अमे रक नाग रक के प म मूलभूत अिधकार और अवसर चाहते ह। हम जीिवका का अिधकार चाहते ह, जो जीिवका हम िश ण और यो यता के आधार पर िमलती है। हम िश ा, वा य, मनोरं जन एवं अ य जन-सेवा म समान अवसर चाहते ह हम मतािधकार, समान कानून, समान मानवीय ग रमा और मयादा चाहते ह।’ कं ग के िपता ने बाद म बताया क ‘अटलांटा कॉ टी ूशन’ म कं ग के इस प के कािशत होने पर ही उ ह और उनक प ी को अंदाजा आ क उनका पु महानता के पथ पर कदम बढ़ा रहा था। वे समझ गए क उनका पु रं गभेद के मसले पर अपने िवरोध को खुलकर करने लगा था। इसका अथ था क वह मोरे हाउस म पढ़ाई करनेवाला एक सामा य छा नह रह गया था। कं ग के िपता चाहते थे क उनके दोन पु धम पदेशक के पेशे को अपनाएँ और एबेनेजर म उनके साथ काम कर। कं ग के भाई ए- डी- ने कु छ दन तक मोरे हाउस म पढ़ाई क , फर पढ़ाई छोड़ दी, हालाँ क बाद म वह भी एक धम पदेशक बने। कॉलेज म पढ़ते समय कं ग शु -शु म डॉ टर या वक ल बनना चाहते थे और उनके िपता को उनक इ छा जानकर तकलीफ भी ई थी, मगर कं ग क माता ने कं ग के िपता से कहा था क ब को अपनी राह चुनने क आजादी िमलनी चािहए। कं ग क बड़ी बहन ि टन भी पेलमेन कॉलेज म अथशा क पढ़ाई कर रही थी। इसके बाद वह कोलंिबया यूिनव सटी म उ िश ा के िलए दािखला लेने वाली थी।

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मोरे हाउस म पढ़ाई करते समय 17 साल क उ म कं ग ने धम पदेशक बनने का मह वपूण फै सला कया। बाद म अपने इस फै सले को याद करते ए कं ग ने कहा था,“ मानवता क सेवा करने क आंत रक इ छा के चलते उ होने इस तरह का फै सला कया था। इसके बावजूद धा मक कमकांड को लेकर उनके मन म संदह े बना आ था और वह ‘बुि संगत’ रवैया अपनाने के प म थे। वह चाहते थे क धम पदेशक के प म उनक शि का िवचार और सामािजक ितरोध के िलए इ तेमाल कया जा सके ।” अ ेत चच म चिलत कु छ मा यता को लेकर वह खुद को सहज महसूस नह कर रहे थे, मगर चच क परं परा से वह गहरा लगाव महसूस करते थे। उ ह संगीत पसंद था और वह खुद भी अ छे गायक थे। दासता के अनुभव से एक समुदाय सृिजत करनेवाले लोग के संघष के इितहास का वह आदर करते थे। उनके मन म कई धा मक नेता के नेतृ व क मता को लेकर सराहना का भाव था। वह अपने िपता के साथ-साथ रे वरड िविलयम हो स बोडस के शंसक थे। बोडस अटलांटा के नीट ीट चच से जुड़े ए थे और बेहतरीन शै िणक पृ भूिम वाले भावशाली व ा थे। वह अटलांटा के थम अ ेत

धम पदेशक थे, िज ह एक रे िडयो काय म क मेजबानी करने का अवसर िमला था। कशोराव था म कं ग अकसर रे िडयो से कान लगाकर रे वरड बोडस के वचन को सुना करते थे। उनके मन म संक प पैदा हो रहा था क वह भी एक व ा बनगे और सामािजक तथा राजनीितक बदलाव लाने क कोिशश करगे। जब उ ह ने अपने माता-िपता को अपनी इ छा के बारे म बताया तो िपता अ यंत खुश ए और त काल एबेनेजर बंधन को सूिचत कर दया क उनका पु धम पदेशक बनना चाहता था। एबेनेजर और अ य अ ेत बैप ट ट चच क परं परा के अनुसार रे वरड कं ग ने चच म अपने पु के वचन का काय म िनधा रत कया। एक रिववार क दोपहर म चच के बेसमट म लोग क भीड़ इक ी ई, जहाँ इस तरह के वचन के काय म आयोिजत कए जाते थे। धम पदेशक के पु के थम वचन के िलए वह जगह सही नह थी। इस बात को महसूस कर कं ग के िपता ने ोता से मु य सभाक म जाने के िलए कहा। अपना वचन तैयार करते समय कं ग ने यूयॉक के रवर साइड चच के हैरी इमसन फे सिडक के कािशत वचन क सहायता क थी। कं ग चच म वचन देने के िलए वह खड़े थे, जहाँ खड़े होकर उनके नाना और िपता वचन देते रहे थे। सबक नजर उनक तरफ टक ई थ । कं ग ने गहरी आवाज और संतुिलत व के ज रए ोता को अिभभूत कर दया। उ ह ने कसी अनुभवी धम पदेशक क तरह व दया।

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इस काय म के बाद बंधन ने रे वरड कं ग के अनुरोध पर युवा कं ग को एबेनेजर का धम पदेशक बनाने के ताव को मंजूरी दे दी। वह आिधका रक तौर पर चच के सहायक पे टर बना दए गए। फरवरी 1948 म मोरे हाउस म अंितम वष म पढ़ते समय उ ह धम पदेशक का दजा दान कया गया।

मोरे हाउस म पढ़ते समय कं ग सबको भािवत कर रहे थे। धम पदेशक बन जाने के कारण सभी उनको अ छी तरह पहचानने लगे थे। अटलांटा े के िविभ ेत और अ ेत के कॉलेज के संयु समूह क उ ह ने सद यता ले ली। यह समूह हर महीने सामािजक मु पर िवचार करने के िलए बैठक आयोिजत करता था। इस समूह के ज रए कं ग ने सबसे पहले अ ेत समुदाय से बाहर भी अपनी िविश पहचान बनाई। इस समूह के सद य बनकर उ ह ने सभी ेत से घृणा करने क मानिसकता म बदलाव लाया। बाद म उ ह ने कहा क इन बैठक के ज रए उनका ोभ घटता गया और वह सहयोग के िवक प के बारे म सोचने लगे। टकराव क मानिसकता म प रवतन आता गया। वह िविभ न ल के बीच दीवार तोड़ने और साझी जमीन तैयार करने क दशा म अपनी िनणायक भूिमका के बारे म िवचार करने लगे। जून 1948 म सोिशयोलॉजी म िड ी के साथ उ ह ने ेजुएट क पढ़ाई पूरी क । उसी दन उनक बहन ि टन को पेलमेन कॉलेज से ातक क िड ी िमली।

हालाँ क िपता ने कं ग को आगे क पढ़ाई जारी रखने के िलए ो सािहत नह कया; ले कन युवा धम पदेशक ने कु छ समय के िलए अटलांटा छोड़कर पेनिस वेिनया क “ रोजर िथयोलॉिजकल सेिमनरी म जाकर पढ़ाई करने का फै सला कया। जीवन म घटना का वाह बढ़ गया था। कं ग 19 साल के थे और उ ह अभी काफ कु छ सीखना था, जीवन के नए अनुभव को ा करना था। सन् 1948 म कं ग देश के उ र म ि थत छोटे औ ोिगक नगर चे टर प च ँ गए। ोजर “ रोजर िथयोलॉिजकल सेिमनरी क जड़ गृहयु क अविध से जुड़ी ई ह। फलाडेि फया के पास सन् 1857 म मु य भवन का िनमाण कया गया था। यु के समय इस भवन म अमे रक सेना के िलए अ पताल का संचालन कया जा रहा था।“ रोजर म पढ़ रहे तकरीबन 100 छा म कई ेत छा शािमल थे। 19 वष के कं ग अपनी क ा के यादातर सहपा ठय क तुलना म उ म छोटे थे, हालाँ क अटलांटा से 800 मील दूर ेत छा के िलए बनाए गए शै िणक सं थान म कं ग के अ ययन करने के िनणय से उनके िपता खुश नह थे। इसके बावजूद वह नह चाहते थे क उनके पु को कसी तरह क परे शानी हो, इसिलए वह हर संभव मदद करने के िलए त पर थे। उ ह ने बेलपरी बैप ट ट चच के पे टर जे- पायस बारबर से बात क थी। जब कं ग चे टर प च ँ े तो उनक अगवानी करने के िलए बारबर मौजूद थे।

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लंबे कद के बारबर का ि व कं ग के िपता से िमलता-जुलता था। चे टर प च ँ ने के बाद कं ग अ य बारबर के घर म राि भोज म शािमल होने के िलए जाते थे। ीमती ओली बारबर के हाथ के बनाए लजीज भोजन का वाद चखने के अलावा कं ग थानीय अ ेत समुदाय और चच क गितिविधय पर चचा भी करते थे। बारबर चचा म भाग लेने के िलए कं ग के सहपा ठय को भी आमंि त करते थे। माँ को िलखे गए एक शु आती प म कं ग ने अपनी पढ़ाई का उ लेख करने के साथ-साथ एक लड़क के साथ अपनी िम ता के बारे म भी बताया था, जो उ ह अटलांटा म िमली थी। उ ह ने िलखा - यहाँ आकर मेरी मुलाकात कई लड़ कय से ई है। बारबर ने चच के सद य को बताया है क म धनी प रवार से ता लुक रखता ,ँ इसिलए लड़ कयाँ मेरी तरफ आक षत हो रही ह। हालाँ क उनम मेरी दलच पी नह है, य क म पढ़ाई पर यान दे रहा ।ँ म अकसर बारबर के घर म खाना खाता ।ँ म उनसे िमलकर काफ भािवत आ ।ँ ” बारबर के ज रए कं ग ने अ ेत चच के साथ अपने र ते को कायम रखा। वह फे लवरी चच के संडे कू ल म पढ़ाते थे और कभी-कभार वचन भी देते थे। कं ग महान् दाशिनक और चंतक क रचना का अ ययन कर रहे थे। बारबर िव के ित उनके दृि कोण का िवकास करने म मदद कर रहे थे।“ रोजर म िव ाजन के ज रए जहाँ कं ग अपने नज रए

का िवकास कर रहे थे, वह धम पदेशक क परं परा से भी ब त कु छ सीख रहे थे। कं ग के िलए“ रोजर पहला शै िणक सं थान था, जहाँ रं गभेद लागू नह था। दूसरे शै िणक स म जब वा टर मैकाल कं ग के सहपाठी बने तो वह अपने िम क दनचया म बदलाव देखकर दंग रह गए।“ रोजर म आकर कं ग ेत िव ा थय क चुनौती को वीकार कर अपनी यो यता को सािबत करना चाहते थे। रात म वह देर तक जागते रहते थे और पढ़ाई म त लीन रहते थे। अब उनक दनचया उ मु और चंतामु नह रह गई थी। अब उ ह अनुशािसत होकर अ ययन करते ए देखा जा सकता था। कं ग िव - िस चंतक लेटो, जॉन लॉक, एमे यूल फांट आ द के ंथ का अ ययन कर रहे थे और“ रोजर से यादा-से- यादा सीखने क कोिशश कर रहे थे। मोरे हाउस म उ ह औसत अंक िमलते थे, ले कन“ रोजर म अब अ वल छा बनने के पथ पर कदम बढ़ा रहे थे। “ रोजर म अ ययन क शु आत करते समय कं ग ने महसूस कया क वह अपने ित काफ जाग क हो गए थे, मानो वह ेत आबादी को भािवत करना चाह रहे थे। वह क ा म समय क पाबंदी का खयाल रखते थे। वह साफ-सुथरी पोशाक पहनते थे और अपने कमरे को व छ रखते थे। इसके अलावा कम उ म ही उनके ि व म गंभीरता आ गई थी। उ ह ने कई िव ा थय से दो ती कर ली थी और सहजता के साथ दूसर से घुल-िमल सकते थे। दो त के साथ वह बीयर पीते थे, धू पान करते थे और खेलकू द म भागीदारी करते थे।

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लड़ कय के साथ भी कं ग क दो ती ई थी। एक लड़क अ ेत समुदाय क थी और जमन पृ भूिम क थी। उसके साथ कं ग क घिन िम ता ई थी। लड़क क माता“ रोजर म काम करती थी। दोन के बीच नजदी कयाँ बढ़ती देखकर बारबर ने कं ग को दूसरे न ल क लड़क के साथ र ता कायम करने म होनेवाली परे शानी के संबंध से सतक कया। उ ह ने बताया क इस तरह का ेम संबंध बनाकर कं ग घर लौटकर धमापदेशक क भूिमका कस तरह िनभा सकते थे? ावहा रक सुझाव होने के बावजूद बारबर क नसीहत सुनकर कं ग परे शान हो उठे । एक बार फर रं गभेद का मसला उनके जीवन के क म आ गया था। इसके बाद कं ग ने ेत लड़क से नाता तोड़ िलया था। उस दौरान कं ग के शै िणक लेख म प नज रया उजागर नह हो रहा था। िविभ ंथ के िवचार को वह हण कर अपने लेख तैयार कर रहे थे और उनम मौिलकता क कमी दखाई दे रही थी। िथयोलॉजी क दुिनया म दूसरे िवचारक के मत को हण करने क परं परा थी। धम पदेशक दूसरे िवचारक के उ रण का धड़ ले से इ तेमाल कया करते थे। वचन के मामले म दूसरे के िवचार का इ तेमाल करना अलग बात थी। वह शै िणक े म इस तरह क परं परा का अलग अथ था। कं ग लगन से पढ़ाई करते थे और िश क उनसे भािवत थे। उ ह अ छे अंक िमल रहे थे। िश क को लगता था क कं ग म असीम संभावनाएँ थ और भिव य म वह अपनी िविश पहचान बनाने वाले थे, इसिलए लेख म मौिलकता क कमी को वे नजरअंदाज कर देते थे।

इसके अलावा भाषण कला म द होने के कारण कं ग ने सभी को भािवत कया था। छा संगठन के सद य उनके वचन को पसंद करते थे और उनके काय म म भारी सं या म िव ाथ मौजूद रहते थे। जब भी“ रोजर प रसर म खबर फै लती क कं ग का भाषण होने वाला है तो लोग उ ह सुनने के िलए बेताब हो उठते थे। कं ग क िजन खूिबय को िव के लाख लोग ने बाद म देखा था, उन खूिबय का बीजारोपण“ रोजर म ही हो चुका था। छा देखते थे क कस तरह कं ग सधी ई आवाज म हा य के पुट के साथ अपनी बात कहते थे, आवाज म उतार-चढ़ाव का पूरा यान रखते थे और कस तरह अपने भाषण का जोरदार समापन करते थे। व र क ा के िव ा थय के संगठन के अ य के प म कं ग ने दी ांत भाषण दया था। असाधारण छा के प म उ ह पुर कार भी दान कया गया था और अपनी पसंद से कसी भी िव िव ालय म आगे क पढ़ाई करने के िलए छा वृि भी िमली थी। उ ह ‘बेचलर ऑफ िडवाइन’ िड ी िमल गई थी। मगर कं ग अभी जॉ जया म जाकर धम पदेशक का काय शु करने के िलए तैयार नह थे। उ ह लग रहा था क कसी मश र िव िव ालय से डॉ टरे ट क िड ी लेने पर अ ेत धम पदेशक के बीच उनक अलग पहचान बन सकती थी। वह“ रोजर क सफलता से उ सािहत थे। उ ह ने बो टन यूिनव सटी के कू ल ऑफ िथयोलॉजी म दािखला लेने का फै सला कया।

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“ रोजर म उनक बौि क िज ासा ती हो गई थी और उ ह ने धम पदेशक बनने का मह वपूण फै सला कया था।“ रोजर म ही उनका प रचय महा मा गांधी के िवचार से आ था, िजससे बाद म उनक सामािजक एवं धा मक िवचारधारा ठोस आकार लेने वाली थी। महा मा गाँधी और अ हंसक ितरोध कं ग के िपता से एक बार पूछा गया था क या उ ह ने अपने पु के बचपन म महानता के ल ण देखे थे, तो उ ह ने कहा था, नह ! जब उसने ईसाई मत के साथ गांधी को जोड़ा, तभी महानता क दशा म कदम बढ़ाया।” गांधी के जीवन-दशन का अ ययन करते ए कं ग इस बात से सवािधक भािवत ए क अ हंसक ितरोध क शि का योग कर हालात म प रवतन कया जा सकता है। “ रोजर म अमे रक िवचारक ए-जे- मु टे का भाषण सुनकर कं ग को सबसे पहले महा मा गांधी के िस ांत का पता चला था। महा मा गांधी के िवचार पर गौर करते ए कं ग ने अपने देश म रं गभेद क सम या के बारे म सोचा था। हालाँ क शु -शु म गांधी के योग को अपने देश म दोहराने को लेकर उनके मन म शंकाएँ भी थ ।

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इसी दौरान कं ग फलाडेि फया गए, जहाँ उ ह ने हावड िव िव ालय के अ य मोड काड जॉनसन का भाषण सुना। भारत क या से लौटे जॉनसन महा मा गांधी के योग क सराहना कर रहे थे। कं ग इस नतीजे पर प च ँ े क गांधी का तरीका कारगर था। स य, प असहयोग आंदोलन के ज रए अपनी माँग के िलए आवाज बुलंद क जा सकती थी। वह समझ गए थे क वंिचत को याय दलाने के िलए बिह कार, हड़ताल, िवरोध दशन आ द अ हंसक तरीके कारगर सािबत हो सकते थे। उ ह अहसास होने लगा था क रं गभेद िमटाने के िलए यही आदश माग हो सकता था। भाषण से भािवत होकर कं ग ने गांधी दशन से संबंिधत कई पु तक खरीद ली थ । बाद म कं ग ने िलखा -“ गांधीजी ने घृणा क दीवार को तोड़ते ए मानवीय ेम को सामािजक शि के प म पांत रत कर दया था।” उ ह ने िलखा था - अमे रका म रं गभेद क सम या को हल करने के िलए गांधीजी क अिहसा का िस ांत एकमा तकसंगत और नैितक तरीका हो सकता है।”

जब बाद म कं ग क ह या क गई तब उनक जेब से अ य चीज के अलावा कागज का एक टु कड़ा भी िमला, िजस पर गांधीजी का यह संदश े हाथ से िलखा आ था - मृ यु के बीच जीवन धड़कता है, अँधेरे के बीच उजाला चमकता है।” गांधीजी क राह पर चलते ए कं ग जीवन और उजाले को वीकार करने के िलए तैयार थे।

बो टन और फोरे टा िसतंबर 1951 के आरंिभक िह से म

कं ग अपना सामान बाँधकर ेजुएशन क पढ़ाई पूरी करने पर िपता क तरफ से दी गई हरे रं ग क चेवरोलेट कार म सवार ए और देश क उ री दशा क तरफ उ अ ययन के िलए रवाना हो गए। उ होने बो टन यूिनव सटी के कू ल ऑफ िथयोलॉजी म दािखला िलया।“ रोजर म कं ग के एक ि य अ यापक रे मंड बीन ने बो टन यूिनव सटी से ही पढ़ाई क थी और वह िव ा थय से कहते थे क बो टन यूिनव सटी म अ ेत को परे शानी का सामना नह करना पड़ता था। अ थायी प से कं ग रं गभेद णाली से त दि णी िह से को छोड़ आए थे, मगर बो टन म भी उ ह रं गभेद के िविवध प का दशन हो जाता था। बाद म उ ह ने कहा, मुँझे याद है क म रहने के िलए एक जगह क तलाश कर रहा था। म ऐसी जगह पर जा रहा था, जहाँ िलखा था क कराए का घर खाली है। खाली रहने के बावजूद घर मािलका को जैसे ही पता चलता था क म एक अ ेत ,ँ वे घर देने से मना कर देते थे।”

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आिखरकार मैसाचुसे स और कोलंबस एवे यू के बीच कं ग को रहने के िलए एक अपाटमट िमल गया। वह घर बो टन के बीच अ ेत आबादी के क - बंद ु म ि थत था। इस इलाके के रे टोरट और जॉज हॉल म सजे-धजे ाहक क भीड़ उमड़ती थी, जहाँ िव तरीय कलाकार के काय म आयोिजत होते थे। म महसूस कर रहा था क देश का वह िह सा अलग क म का था।” कं ग ने कहा था,“ उस इलाके म ले स, सेवोच, हाई िहट जॉज लब आ द रे टोरट व लब ि थत थे, जहाँ हर वग के लोग आते थे। यह एक जीवंत और गितशील इलाका माना जाता था।” कं ग के एक सहपाठी जॉन काटराइट ने उन दन को याद करते ए कहा क कं ग पी-एचडी- क पढ़ाई करने म जुटे थे और सामा य नवयुवक नजर आते थे, जो सभी से घुलतेिमलते थे। कं ग मजाक करते थे। लड़ कय से उनक दो ती थी। बो टन यूिनव सटी म पढ़ते समय कं ग डीन वा टर मॉ डर और ो- एलेन नाइट चा मस से बेहद भािवत ए थे। दोन ही ि सामािजक याय के िलए संघष के कारण मश र थे। एल- हेरो ड डेवो फ के मागदशन म कं ग ने अपना शोध काय कया। इस दौरान डेवो फ से उनक अ छी दो ती हो गई। उ ह ने एडगर एल- ाइटमेन से भी मागदशन

ा कया। डेवो फ और ाइटमेन ‘िनजतापािन’ दशन म आ था रखते थे। उनका मानना था क मनु य ई र का स य सहयोगी होता है। इस र ते से इनसािनयत और मानवीय ग रमा के ित आदर का भाव उजागर होता है। बाद म कं ग ने िलखा-“ 1954 म िविवध बौि क समूह के साथ मने औपचा रक िश ण पूरा कर िलया, िजन समूह से मुझे सकारा मक सामािजक दशन सीखने का अवसर िमला। मने सीखा क सामािजक याय हािसल करने के िलए वंिचत के पास अ हंसक ितरोध के प म अचूक हिथयार मौजूद है। रोचक बात यह है क इस समय तक म महज सै ांितक पहलू से प रिचत हो पाया था और अभी तक मने इसके सामािजक तर पर योग के बारे म कोई प मत नह बनाया था।” बो टन यूिनव सटी म कं ग को संतोषजनक ेड िमले। उनके शोध-प म मौिलकता भी नजर आने लगी। इससे पहले कं ग अपने िनबंध म दूसरे िवचारक क साम ी का धड़ ले से इ तेमाल करते रहे थे।“ रोजर म उनके अ यापक उनक भाषण कला से इतने भािवत थे क वे उनके लेख के मौिलक प क तरह यान देने क ज रत नह समझते थे। कं ग के वल यूिनव सटी प रसर म ही लोग का यान अपनी तरफ आक षत नह कर रहे थे, बि क वे बाहरी गितिविधय म भी बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रहे थे। उ ह ने िथयोलॉजी के एक दजन छा को लेकर एक डायलेि टकल सोसायटी बनाई थी, िजसक मािसक बैठक म दशन-शा और िथयोलॉजी के िस ांत पर चचा होती थी और रं गभेद क सम या के संदभ म उनक उपयोिगता पर िवचार कया जाता था। कं ग थानीय चच म वचन भी देते थे। रॉ सबरी के वे फथ बैप ट ट चच म अकसर उनका वचन होता था।

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ईसाई धम, बौ धम, िहदू धम और इसलाम धम का तुलना मक अ ययन करने के साथसाथ कं ग ने हेगेल, मा स आ द िवचारक के ंथ का भी अ ययन कया। पूँजीवाद, सा ा यवाद और अ य राजनीितक दशन का भी उ ह ने अ ययन कया। कं ग के मन म सामािजक अ याय से लड़ने के िलए महा मा गांधी के अ हंसक ितरोध के दशन के ित आदर का भाव उमड़ने लगा। वे इस नतीजे पर प च ँ े क अ हंसक ितरोध के ज रए अ याय को चुनौती दी जा सकती है और हालात म प रवतन लाया जा सकता है। उनका मानना था क अ हंसक ितरोध के साथ साहस और नैितक शि जुड़ी है। कं ग बो टन म अिववािहत जीवन क आजादी का लु फ उठा रहे थे। स ाहांत म वह एक जाज लब से दूसरे जाज लब म प च ँ जाते थे। कई लड़ कय से उनक दो ती थी। उनके एक िम ने दो ताना अंदाज म उ ह सावधान कया था क उनके िम उनसे काफ अपे ाएँ रखते थे और उ ह अपना समय इस तरह बरबाद नह करना चािहए। ले कन अ ययन के बीच तफरीह का जो िसलिसला चल रहा था, उसम अचानक एक मोड़ आ गया। कं ग के िम जॉन काटराइट ने बाद म उन दन को याद करते ए कहा, हम लोग तेजी से यू इं लड कं जरवेटरी ऑफ यूिजक क तरफ आक षत होते गए। हमने एक

ही थान पर इतनी सारी ितभाशाली लड़ कयाँ पहले कभी नह देखी थ ।” उ ह लड़ कय म से एक के साथ कं जरवेटरी म कं ग क मुलाकात ई। फोरे टा कॉट नामक वह लड़क कं ग के जीवन क दशा को ज द बदलने वाली थी। फोरे टा से िववाह 27 अ ैल, 1927 को अलबामा के मे रयन म जनमी फोरे टा कॉट का बचपन अपने मातािपता ओबी िलयोनाड कॉट और बन स मैफमरी कॉट के फाम म गुजरा था। फोरे टा के नाना आंिशक प से अमे रक इं िडयन थे। उनके बाल काले और शरीर का रं ग गोरा था, जैसा रं ग फोरे टा का था। फोरे टा के दादा जेफ कॉट एक कसान थे और ामीण अ ेत समुदाय के बीच, खासतौर पर चच के मामल म, अ णी ि माने जाते थे।

@BOOKHOUSE1 मे रयन शहर के सवािधक कामयाब अ ेत ि य म से एक ओबी कॉट ने शहर म सबसे पहले क खरीदा था, िजसके ज रए वह अपना कारोबार चलाते थे। अपने आसपास के न लगत माहौल के बीच ही वह वािभमान के साथ जीने का यास कर रहे थे। िवपरीत प रि थितय का सामना करते ए ओबी और बन स कॉट ने इतना धन जुटा िलया था, िजसक मदद से वे अपने ब को कॉलेजी िश ा हािसल करने के िलए े रत कर सकते थे। अपनी बहन एडीथे और भाई ओबी जूिनयर के साथ फोरे टा हमेशा इस बात को लेकर आशं कत रहती थी क कह उसके िपता िहसा के िशकार न हो जाएँ। दि णी िह से म

े के वच व को चुनौती देनेवाले अ ेत ि य के िखलाफ िहसा आम बात थी। ओबी त कॉट ने मेहनत और लगन से अपनी अलग पहचान बनाई थी। इस दौरान उ ह न लगत अपमान का भी सामना करना पड़ा था। फोरे टा के एक चाचा क ह या कर दी गई थी। “ 1942 म हमारा घर एक स ाहांत के दन जल गया। हम संदह े था क कसी ने हमारे घर म आग लगा दी थी।” फोरे टा ने बाद म याद करते ए कहा था, 1940 के दशक के न लगत और राजनीितक माहौल से हम अछू ते नह रह सकते थे। िपताजी ने िह मत नह हारी। उ ह ने नए घर का िनमाण कया और पूँजी जुटाकर एक लकड़ी िमल खरीद ली। जब उ ह ने एक ेत ि को िमल बेचने से इनकार कर दया तो उ ह जान से मारने क धमक दी गई। दो स ाह बाद िपताजी क िमल को जला दया गया। अब िपताजी के पास दूसर के िलए काम करने के िसवा कोई िवक प बचा नह रह गया था।’ अ ेत क शै िणक सं था ‘िलकन हाई कू ल’ से पढ़ाई पूरी करने के बाद फोरे टा ने अपनी बहन के कदम का अनुसरण करते ए येलो ंग के एंटीओक कॉलेज म दािखला िलया। यह एक उदारवादी शै िणक सं था थी, िजसक थापना वष 1853 म ई थी। अमे रका म पि लक कू ल िश ा णाली के अ दूत होरे स मान इसके थम अ य थे। उ ह ने जब सुना था क इस सं था म पु ष के समान ि य को भी िश ा का समान अिधकार दया जाएगा तब वह इसके अ य बनने के िलए सहमत हो गए थे। एंटीओक कॉलेज कला एवं सं कृ ित से जुड़ी गितिविधय का िविश क बन गया था और िश ा के े म भी उसने िविश पहचान बना ली थी।

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िश ा एवं संगीत िवषय म िड ी हािसल करने के बाद फोरे टा यह जानकर हताश हो गई क अ ेत होने क वजह से उ ह कसी पि लक कू ल म अ यापक बनने का अवसर नह िमलने वाला था। फोरे टा कई जन-अिधकार संगठन से जुड़ गई। वह एन-ए-ए-सी-पी- क एंटीओक शाखा और यंग ो ेिसव क सद य बन गई। सन् 1948 म फोरे टा ो ेिसव पाट के अिधवेशन म ितिनिध के प म शािमल । 1949 म एंटीओक से उ ह संगीत और बुिनयादी िश ा िवषय म बी-ए- क िड ी िमली।

फोरे टा क असाधारण संगीत ितभा को देखते ए उनके िश क ने एक यूिजक कं जरवेटरी म उ ह उ िश ा हािसल करने के िलए े रत कया। सन् 1951 म जेसी ि मथ नोएट फाउं डेशन के अनुदान क सहायता से उ ह ने बो टन म ि थत यू इं लड कं जरवेटरी ऑफ यूिजक म दािखला िलया, जहाँ से उ ह ने गायन कला म यूज-बी- क िड ी हािसल क। एक िम मेरी पावेल के मा यम से कं ग क मुलाकात फोरे टा से ई। शु आत म फोरे टा धम-दशन के युवा छा से िमलते ए िहचक रही थ । जब मेरी ने बताया क नौजवान एक धम पदेशक था तो मेरी उसम दलच पी ख म हो गई थी, य क मेरे जेहन म परं परागत पाद रय के चेहरे घूमने लगे थे, जो संक ण सोच रखनेवाले होते थे।” इसके अलावा फोरे टा संगीत जगत् म एक कै रयर बनाने का सपना देख रही थी और एक धम पदेशक के साथ

र ता कायम करना उ ह गैर-ज री लग रहा था। ले कन मेरी पॉवेल ने कं ग के प रवार का प रचय देते ए कहा क कं ग रो सबरी के वे थ बैप ट ट चच म भी बीच-बीच म वचन दे रहे थे। मेरी के आ ह को देखते ए फोरे टा कं ग से िमलने के िलए तैयार हो ग । फोन पर ई पहली बातचीत के अंत म कं ग ने फोरे टा से कहा, म बो टन यूिनव सटी से आ रहा ।ँ हालाँ क मुझे दस िमनट लगता है, मगर कल म सात िमनट म प च ँ जाऊँगा।” दोन ने मैसाचुसे स एवे यू के शराफ रे टोरट म िमलना तय कया था। वह नौजवान जब दृढ़ता के साथ समझदारी से भरपूर बातचीत करने लगा तो मेरी उसम दलच पी बढ़ती गई।” फोरे टा ने बाद म कहा,“ बातचीत के दौरान लगता है, मने भी कु छ समझदारी भरी बात कह , िजसे सुनकर वह बोला-देख रहा ,ँ संगीत के अलावा तुम दूसरी चीज के बारे म भी काफ कु छ जानती हो।” “ उस नौजवान म जो संवेदनशीलता, बुि म ा और अपने ल य के ित समपण का भाव नजर आ रहा था, वैसा दूसरे युवक म शायद ही नजर आता था।” फोरे टा ने िलखा, वह एक अ छा डांसर भी था। उसम गजब का हा य-बोध था और जो भी उसके संपक म आता था, िजसम म भी शािमल थी, वह सभी को िविश होने का अहसास करवाता था।”

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कं ग जब फोरे टा से िमले तो उसके सादय, ि व और खूिबय ने उनका दल जीत िलया। ज दी ही उ ह ने िववाह करने का फै सला कर िलया। कं ग फोरे टा को एक पाट म ले गए। जब दूसरी युवितयाँ कं ग का यान अपनी तरफ आक षत करने क कोिशश कर रही थ , कं ग शांत होकर फोरे टा के पास मौजूद थे और िसफ फोरे टा क तरफ यान दे रहे थे। कं ग फोरे टा को बो टन िसफोनी हॉल ले गए, जहाँ दोन ने मश र िपयानो वादक अटर िब टन का िपयानो वादन सुना। दोन बफ पर के टंग करने गए। दोन के बीच दशनशा के िस ांत पर गहन चचा हो रही थी। दोन एक साथ कृ ित क गोद म िवचरण करने लगे।

कं ग ने फोरे टा को धम पदेशक के जीवन के बारे म बताया और यह भी बताया क उनके िपता उनसे उ मीद रखते थे क वह अटलांटा क जान-पहचान वाली एक लड़क से िववाह करगे और एबेनेजर बैप ट ट चच म धमापदेशक का जीवन तीत करगे। फर कं ग ने बताया क वह अटलांटा क लड़क से िववाह नह करने वाले थे। दोन ने िववाह के बारे म बात क । कं ग ने कहा क प ी को घर म रहकर ब क देखभाल करनी चािहए और यह िज मेदारी कसी दूसरे पर नह छोड़नी चािहए। उ ह ने कहा क वह ऐसी प ी चाहते ह, जो अपने िवचार को उनके ऊपर थोपने क कोिशश न कर। उ ह ऐसी जीवनसंिगनी क तलाश थी, जो उनके सपन को बाँट सके और जो सामािजक मु से लड़ सके । जो महज ेिमका न हो बि क स े अथ म सहध मणी भी हो। आिखर म उ ह ने फोरे टा के सामने िववाह का ताव रख दया।

हालाँ क दोन क पृ भूिमय म िभ ता को लेकर फोरे टा िहचक रही थ और उ ह यह भी लग रहा था क कं ग के साथ िववाह करने के बाद गायन के े म उनका कै रयर बना पाना मुम कन नह होने वाला था, इसके बावजूद फोरे टा ने िववाह के ताव को वीकार कर िलया। 18 जून, 1953 को दोन का िववाह कॉट प रवार के लॉन म संप आ। कं ग के िपता जहाँ पादरी क भूिमका िनभा रहे थे, वह फोरे टा क बहन एडीथे बेगली मेड ऑफ ऑनर क भूिमका िनभा रही थी। कं ग के भाई रे वरड ए- डी- कं ग ने ‘बे ट मैन’ क भूिमका िनभाई। दोन ने कॉट प रवार के एक िम के घर म सुहागरात मनाई। बाद म जॉन काटराइट ने कहा, ‘अगर कं ग बो टन नह आते तो कभी उनक मुलाकात फोरे टा से नह होती। अगर फोरे टा जैसी गुणी और िवदुषी लड़क उ ह नह िमलती तो फर उनके िलए िवल ण जीवन गुजारना भी संभव नह होता।” कं ग दंपती क चार संतान - योलांडा डेिनस का ज म 17 नवंबर, 1955 को म टगोमरी म आ। मा टन लूथर कं ग तृतीय का ज म 23 अ ू बर, 1957 को म टगोमरी म आ। डे टर कॉट का ज म 30 जनवरी, 1961 को अटलांटा म आ। बिनस अलबटाइन का ज म 28 माच, 1963 को अटलांटा म आ।

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डे

टर एवे यू बैप ट ट चच

कं ग अपनी प ी के साथ कमर वाले एक अपाटमट म रहने लगे और अपनी पढ़ाई को जारी रखा। उनक क ा क पढ़ाई का दौर समा आ और अब वह पी-एच- डी- के िलए शोधप िलखने म जुट गए। इसके साथ ही वे गंभीरतापूवक अपने भावी जीवन क परे खा तैयार करने लगे। उनके कु छ िहतैिषय ने कसी कॉलेज या यूिनव सटी म उ ह अ यापक क नौकरी करने क सलाह दी, ले कन कं ग ने धमापदेशक बनने का ही िन य कया। जब कं ग ने बो टन यूिनव सटी म अ ययन समा कया, उस समय अलबामा के म टगोमरी म ि थत डे टर एवे यू बैप ट ट चच म पे टर क जगह खाली थी। इस चच के पादरी वरनोन जो स चच को स य भूिमका म देखना चाहते थे और रं गभेद व भेदभाव के िखलाफ सामािजक आंदोलन का बीजारोपण करना चाहते थे। तेज वी और िनभ क वभाव के जो स अपने वचन म कहते थे क ‘म टगोमरी म अ ेत क ह या करना आसान है’ और ‘मृ यु के बाद भी रं गभेद जारी रहता है।’ म टगोमरी क अ ेत आबादी डे टर एवे यू बैप ट ट चच को अपना गौरव समझती थी। शहर के म य म कई मश र इमारत के बीच चच एक सदी से मौजूद था। इसी चच क बगल म अलबामा टेट कै िपटल भवन था जहाँ जनवरी 1861 म िमसीिसपी के जेफरसन डेिवस ने कॉ फे डरे शन टे स ऑफ अमे रका के अ य पद का शपथ हण कया था। यह

पर पहली बार संघीय झंडा फहराया गया था। गृहयृ के बाद अ ेत ने बाजार म सबसे पहले एक हॉल का िनमाण कया था, िजसे बाद म चच का प दान कया गया था। इसी जगह पहले दास का सौदा कया जाता था। हजार अ ेत क खरीद-फरो त यह से क जाती थी। इसी जगह वष 1889 म सबसे पहले ाथना सभा आयोिजत क गई। चच के अिधकांश अनुयायी जो स के बागी िवचार से सहमत थे, मगर वे सामािजक ांित के आ“वान को वीकार करने म िहचक रहे थे। जो स चच म उ पाद क िब को ो साहन देकर ेत के ापार का बिह कार करने का आ“वान कर रहे थे। उ ह ने म टगोमरी म एक बस से कई अ ेत याि य को नीचे उतारकर रं गभेद का िवरोध जताया था। चच के कई अनुयाियय को लग रहा था क जो स क वजह से चच क छिव खराब हो रही थी। िसतंबर 1952 म जो स को िवदा कर दया गया। चच को एक उदार और सहनशील नेता क ज रत थी। डे टर म ज दी-ज दी धम पदेशक बदलते रहे थे। जो स के जाने के बाद रॉबट डीनेसबीट चच क देखरे ख कर रहे थे। नेसबीट कई सिमितय क अ य ता कर रहे थे। कसी काय से अटलांटा आने पर नेसबीट ने अपने एक िम से डे टर म धम पदेशक के खाली पद का उ लेख कया। िम ने एबेनेजर बैप ट ट चच के पे टर सीिनयर कं ग के पु को इस पद पर बहाल करने का सुझाव दया, िजनका घर पड़ोस म ही ि थत था। नेसिबट कं ग से िमले और उ ह ने कं ग को वचन देने के िलए आमंि त कया।

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सन् 1954 म कं ग वचन देने के िलए म टगोमरी प च ँ ।े डे टर बैप ट ट चच एबेनेजर क तरह बड़ा नह था। चच म तकरीबन 400 लोग मौजूद थे। एबेनेजर म कं ग 700 लोग क सभा को संबोिधत कर चुके थे। छोटा होने पर भी डे टर म अ ेत आबादी का पढ़ािलखा तबका एकि त होता था। उनम कई के पास कॉलेज क िड ी थी। कई सफल ापारी, डॉ टर एवं िश क थे। म टगोमरी के गरीब अ ेत इस चच को ‘बड़े लोग का चच’ कहकर पुकारते थे। कं ग चच और उसके अनुयाियय से भािवत ए। वहाँ उपि थत लोग भी कं ग से काफ भािवत ए। ी मकाल म कं ग को डे टर का बीसवाँ पे टर बनने का आमं ण िमला। ‘मुँझे लगता है, वह यहाँ का माहौल देखकर भािवत ए और हम लोग उ ह देखकर भािवत ए।” नेसबीट ने कहा,“ इसके बावजूद एक या दो बुजुग कह रहे थे क छोटा लड़का हम कै से वचन दे सकता है।” नेसबीट ने गुजरे दन को याद करते ए कहा,“ मगर मुझे यक न था क मने सही िनणय िलया था और ई र ने इस ि को खास उ े य के साथ यहाँ भेजा था।” हालाँ क कं ग के पास दूसरे चच से भी पे टर पद के ताव आए थे और कॉलेज म शासिनक व अ यापन संबंधी तीन ताव आए थे, मगर उ ह ने डे टर म दो बार वचन देने के बाद डे स टर के बुलावे को वीकार कर िलया।

फोरे टा कं ग ने िलखा है- कं ज़रवेटरी क पढ़ाई पूरी करने के बाद म अटलांटा म सास-ससुर के पास जाकर रहने लगी और कं ग बो टन म अपनी पढ़ाई पूरी करने के िलए रफ़क गए। जुलाई के स ाहांत म कं ग मुझे म टगोमरी अपने साथ ले गए, जहाँ उ ह ने अपने अनुयाियय से मुझे िमलवाया। िव टो रयन शैली का डे टर चच आकषक था, जो माटगोमरी शहर के म य पड़ा था। आिधका रक ेत के वच ववाला आउबन े यर म अ ेत का चच होना अजीब बात थी। मगर इस चच का िनमाण पुन नमाण के दन म आ था, जब गृहयु के बाद अ ेत को कु छ दन के िलए आजादी िमल गई थी। उस समय म टगोमरी के मुख िह स म अ ेत के पास काफ संपि थी, मगर बाद म उ ह बेदखल कर दया गया।” तब तक कं ग ने डॉ टरे ट क पढ़ाई पूरी नह क थी, इसिलए इस शत पर पे टर के पद पर उनक बहाली ई क 1 िसतंबर, 1954 से पहले उ ह पूणकािलक सेवा देने क ज रत नह होगी। अगले चार महीन तक कं ग बो टन और म टगोमरी के बीच िवमान से आवाजाही करते रहे। जून 1955 म उ ह पी-एच- डी- क िड ी िमली। 1 िसतंबर, 1954 को कं ग अपनी प ी के साथ म टगोमरी म रहने के िलए आ गए। दो महीने के बाद उनका पदािभषेक समारोह आयािजत आ, िजसम उनके िपता वचन देने के िलए अटलांटा से आए। उनके िपता अपने साथ तकरीबन 100 प रजन और िम को लेकर आए थे।

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अपना पद सँभालने के बाद कं ग ने चच के िव ीय बंधन का तरीका बदल दया। उ ह ने भवन कोष बनाया और मर मत क योजना बनाई। उ ह ने कई मौिलक सुझाव सामने रखे, िजससे सामािजक प रवतन का उनका मकसद उजागर हो रहा था। उ ह ने कहा क डे टर के येक सद य को पंजीकृ त मतदाता होना चािहए और सभी को एन-ए-ए-सीपी- क सद यता लेनी चािहए। अ ेत नाग रक को राजनीितक प से जाग क बनाने के िलए उ ह ने सामािजक एवं राजनीितक कायवाही सिमित बनाई।

म टगोमरी म अ हंसक ितरोध युवा धम पदेशक

कं ग के पास एक बंदक ू थी। ले कन ज द ही उ ह ने बंदक ू से छु टकारा पा िलया था। इसके बारे म उ ह ने बताया था क अपने पास हिथयार रखना आ मर ा के यास को नह जतलाता था, बि क इससे आ याि मक ित का खतरा बना आ था। कं ग भाईचारे का चार कर रहे थे। ले कन उ ह बार-बार जेल म बंद कया गया। उनके साथ दु वहार कया गया, उ ह धमकाया गया, ठोकर मारी ग , चाकू से जानलेवा हमला कया गया और आिखरकार गोली मारकर उनक ह या कर दी गई। कं ग रं गभेद क सम या का अ हंसक तरीके से समाधान करना चाहते थे, जो रं गभेद के समथक को पसंद नह आया और कम उ म ही उनक ह या कर दी गई। अ ेत नेता उनक अ हंसक नीित को उनक कमजोरी समझते थे। वह उनक नीितय को कारगर सािबत होते देख ेत नेता उनसे नफरत करते थे। कं ग अ छी तरह जानते थे क ितरोध क भूिमका िनभाने क वजह से उनक जान भी जा सकती थी। उ ह ने के वल साहस के साथ इस चुनौती को वीकार ही नह कया था, बि क जीवन को साथक बनाने के िलए इस संघष को वह अिनवाय भी मानते थे। उ ह ने कहा था,“ हर आदमी के पास कोई ऐसा मकसद होना चािहए, िजसके िलए वह जान दे सके । िजसके पास जान देने लायक कोई मकसद ही नह है, उसे जीने का भी हक नह है।” यही उनके जीवन का सू था। कं ग ने अपने जीवन के िलए असंभव नजर आनेवाला ल य चुन िलया था। दुिनया का यान उ ह ने सन् 1956 म अपनी तरफ आक षत कया, जब उनक 27 साल क थी और वह अलबामा के म टगोमरी म धम पदेशक के पद पर िनयु होकर आए थे। वष से माटगोमरी म िसटी बस के ाइवर अ ेत याि य के साथ दु वहार करते आ रहे थे। अ ेत के ित कसी तरह का शालीन बरताव नह कया जाता था। म टगोमरी के तकरीबन 50,000 अ ेत नाग रक िसटी बस म चिलत रं गभेद क नीित के िशकार हो रहे थे। उसी साल िसटी बस म रं गभेद के िखलाफ बिह कार का िसलिसला शु आ था। सावजिनक जीवन म अपमान झेलने के िलए िववश अ ेत ने दि ण म चिलत रं गभेद क व था के िखलाफ बिह कार के ज रए पहली बार भावशाली और शांितपूण जन- ितरोध दज करवाया था। इस आंदोलन का नेतृ व करते ए कं ग रातोरात जन-अिधकार के संघष के अ णी अमे रक नेता बन गए थे। वष से नेशनल एसोिसएशन फॉर द एडवांसमट ऑफ कलड पीपु स नामक संगठन अदालत म इस अ याय के िखलाफ कानूनी संघष करता रहा था।

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ले कन अब म टगोमरी बस बिह कार अिभयान के बाद रं गभेद-िवरोधी आंदोलन अ हंसक ितरोध का पयाय बन चुका था और कं ग इसके सवमा य नेता बन चुके थे। एक अ ेत मिहला के पाँव म दद होने के कारण इस िववाद क शु आत ई थी। 1 दसंबर, 1955, बृह पितवार क शाम म टगोमरी क एक िसटी लाइन बस कोट े यर से अगले पड़ाव क तरफ बढ़ रही थी। बस म 24 अ ेत या ी पीछे के म से और 12 ेत नाग रक आगे के म से बैठे ए थे। एंपायर िथएटर टॉप पर बस म 6 ेत नाग रक सवार ए। हमेशा क तरह ाइवर पीछे क तरफ बढ़ा और सामने बैठे अ ेत याि य से उठने के िलए कहा, ता क ेत या ी बैठ सक। 3 अ ेत खड़े हो गए; मगर रोजा पा स नामक मिहला उठने के िलए तैयार नह ई। वह मिहला पहले नेशनल एसोिसएशन फॉर द एडवांसमट ऑफ कलड पीपु स क सिचव रह चुक थी। मिहला ने कसी योजना के तहत उठने से इनकार नह कया था। मिहला ने थकान क वजह से ाइवर क बात मानने से इनकार कर दया था। वह मिहला एक ऐसे समुदाय का तीक बन गई थी, जो 350 वष के अ याय के चलते थककर चूर हो गया था। वह समुदाय अब अ याय से िनजात पाना चाहता था। म सचमुच नह जानती क उठने के िलए म य तैयार नह ई।” रोजा पा स ने कहा,“ इसके पीछे कसी तरह क योजना नह थी। खरीदारी क वजह से म थक गई थी। मेरे पाँव म दद हो रहा था।” रोजा पा स को ाइवर के िनदश पर बैठने के िनयम का उ लंघन करने के आरोप म िगर तार कर िलया गया और 10 डॉलर का जुमाना लगाया गया।

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अ ेत नाग रक को इस तरह के अपमान और दंड सहने क आदत पड़ चुक थी; मगर जब उस मिहला को दंिडत कया गया तो ऐसा तूफान शु आ, िजसने िव इितहास म एक नए अ याय का सू पात कर दया। माटगोमरी िसटी लाइन बस म दु वहार के चलते अ ेत समुदाय अपने आपको अपमािनत महसूस कर रहा था। बस म सफर करनेवाले याि य म 70 फ सदी तादाद अ ेत क होती थी। बस का टकट खरीदने के बाद अ ेत याि य को रं गभेद क पीड़ा को बरदा त करना पड़ता था। यह अपमान क पराका ा थी। अ ेत याि य को बस के अगले दरवाजे से चढ़कर टकट खरीदना पड़ता था, फर उ ह नीचे उतरना पड़ता था। उसके बाद िपछले दरवाजे से बस के भीतर चढ़कर ेत याि य के पीछे बैठना पड़ता था। इतना ही नह , अ ेत को ेत ाइवर गािलयाँ देते थे और लात-घूँसे भी मारते थे। रातोरात अ ेत क बि तय म संदश े फै ल गया - रोजा पा स का समथन कर। सोमवार को बस म या न कर। इस आ“वान क जबरद त ित या ई। घटना के 48 घंट के भीतर परचे िवत रत कए गए और अ ेत नाग रक से एक दवसीय बस बिह कार को सफल बनाने का आ“वान कया गया। सोमवार के दन म टगोमरी के अ ेत नाग रक पैदल, ब घी व िनजी वाहन म सवार होकर अपने काय- थल पर गए। ले कन उ ह ने बस म सफर नह कया। अ ेत के वािभमान क यह जीत थी। हड़ताल के दन दो दजन अ ेत धम पदेशक ने इस हड़ताल को आगे भी जारी रखने का

िनणय िलया। उनक माँग सामा य क म क थ - (1) अ ेत अभी भी पीछे क सीट पर और ेत आगे क सीट पर बैठगे मगर जो पहले चढ़ेगा उसे पहले बैठने का अिधकार होगा, (2) अ ेत के साथ शालीन वहार कया जाएगा, (3) अ ेत इलाक से गुजरनेवाली बस म अ ेत ाइवर को िनयु कया जाएगा। इस आंदोलन को ती करने के िलए धम पदेशक ने म टगोमरी इं ूवमट एसोिसएशन बनाने का फै सला कया। रे वरड मा टन लूथर कं ग जूिनयर को इस संगठन का अ य बनाया गया। उनके सहकम उनक यो यता से अ यंत भािवत थे और उनके तेज वी ि व ने उ ह अ ेत समुदाय के पर पर िवरोधी गुट के बीच भी उ ह लोकि य बना दया था। धीरे -धीरे बस बिह कार आंदोलन असरदार बनता गया। कभी यह सुिनयोिजत प से चला तो कभी वतः फू त भावना से। 200 से यादा अ ेत वयंसेवक ने अ ेत क आवाजाही के िलए अपनी कार मुहय ै ा करवा । शहर म अ ेत के िलए लगभग 100 पड़ाव िनधा रत कए गए। म टगोमरी इं ूवमट एसोिसएशन के िलए चच और जनसभा के ज रए चंदे का इं तजाम कया गया। इसके बाद अमे रका के िविभ इलाक म चंदे क बरसात होने लगी और टो यो जैसे दूर-दराज के शहर से भी लोग आ थक सहायता भेजने लगे। सन् 1956 के अंत तक एसोिसएशन 2,25,000 डॉलर खच कर चुका था। इस दौरान ेत अिधका रय क सभी चाल को कं ग मात देने म सफल हो रहे थे। उदाहरण के तौर पर, ेत अिधका रय ने अदालत से अनुरोध कया क एसोिसएशन के बक खात को सील कया जाए; मगर ऐसा मुम कन नह हो सका, या क कं ग ने धन को देश के उ री िह से के आधा दजन बक म जमा करवा रखा था, िजन बक के िखलाफ थानीय अिधकारी कारवाई नह कर सकते थे।

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इस आंदोलन क ित या म टगोमरी के ेत समुदाय म देखने को िमली। िसटी कमीशन क तरफ से समझौते का ताव रखा गया। अ ेत से कहा गया क ेत बस ाइवर उनके ित आंिशक प से सौज यता का दशन करगे। मेयर ड यू- ए- गेली ने अ ेत को मनाने के िलए एक कमेटी का गठन कया और रं गभेद समथक ेत नाग रक के संगठन के अ य को कमेटी का सद य बनाया। अ ेत नाग रक झुकने के िलए तैयार नह थे। ेत समुदाय का गु सा बढ़ रहा था। इस तरह क अफवाह फै लाई जा रही थ क आंदोलन के नेता कार खरीदने के िलए जनसभाएँ कर चंदा उगाही कर रहे थे। म टगोमरी िसटी कमीशन क दुिवधा बढ़ती जा रही थी। कमीशन इस संकट को कसी भी हालत म टालना चाहता था। उसने चालाक से काम िनकालना चाहा। कमीशन ने तीन अ ेत धम पदेशक को बुलाकर समझौता मान लेने के िलए दबाव बनाया। समझौते म अ ेत के िहत म कोई ठोस ताव नह रखा गया था। इस चाल क खबर भी कं ग को िमल गई। कं ग अपने सािथय के साथ रात भर अ ेत के मोह ल म जाकर लोग को समझाते रहे क समझौते के नाम पर धोखा देने का यास कया जा रहा है। लोग ने यान से उनक बात सुन । मेयर गेली अपनी चाल नाकाम होते देख झुँझला उठा और उसने स त कदम उठाने का िनदश दया। गेली िसटी किम र और नाइट िसटीजंस काउं िसल के साथ सलाह-मशिवरा कर कदम उठा रहा था।

आंदोलनका रय का दमन करने के िलए गेली ने कई तरह क सािजश रच । कं ग को िगर तार कर िलया गया। अ ेत कार चालक को िनयम तोड़ने के आरोप म अदालत म घसीटा गया। कई तरह से अ ेत को तंग कया गया। मगर दमन क सारी कोिशश के बावजूद आंदोलनका रय का हौसला बना रहा। े तबका कसी भी क मत पर अ ेत को सबक िसखाना चाहता था। कं ग को त आपि जनक भाषा म खत भेजे जा रहे थे। उनके घर रोज कम-से-कम 25 फोन कॉ स आती थ और उ ह गािलयाँ दी जाती थ । फोन पर दु वहार से बचने के िलए कं ग क प ी रसीवर को छू ने से िहचकने लगी थ । फोन पर भ ी गािलयाँ सुनने के बाद वह अपने कान को धोना चाहती थ । लोग तरह-तरह क अशालीन बात करने लगे थे। “ एक रात क बात है” , कं ग ने याद करते ए िलखा-“ धमक और गाली भरे कई फोन आने के बाद म रसोई म चला गया और उ ह भूलने क कोिशश करने लगा। म जोर-जोर से ाथना कर रहा था। म अपने आपसे बात करने लगा था-म एक मकसद के साथ यहाँ प च ँ ा ँ और अब अके ले चुनौती का सामना करना आसान नह रह गया है। तभी कह से जवाब आया-स ाई के साथ खडे़ रहो, ई र तु हारा साथ देगा।” इसके बाद कं ग का संक प और भी मजबूत हो गया। इस घटना के बाद उनके मन म कसी भी तरह के भय का भाव नह रह गया। अपने ल य के ित अपनी ितब ता को लेकर उनके मन म कोई संदह े नह रह गया।

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ज दी ही उनके धैय और साहस को इ तहान देना पड़ा। एक रात 9 बजकर 15 िमनट पर कं ग जनसभा को संबोिधत कर रहे थे। उनक प ी 309 साउथ जै सन ीट के िनवास पर अितिथ क म एक िम से वा ालाप कर रही थ । ीमती कं ग को एक आवाज सुनाई पड़ी। उ होने सोचा क ट के टु कड़े क आवाज होगी। इस अविध म प थरबाजी कं ग के िनवास के िलए सामा य बात थी। ीमती कं ग िम के साथ िपछले कमरे म चली ग । तभी डायनामाइट बम के धमाके क आवाज सुनाई पड़ी और अितिथ क म चार तरफ काँच के टु कड़े नजर आने लगे। अगर ीमती कं ग िम को लेकर थोड़ी देर पहले अितिथ क से दूसरे कमरे म नह गई होत तो दोन क जान जा सकती थी।

कसी ने इस घटना क सूचना मेयर गेली को भेजी। गेली पुिलस के साथ घटना थल क तरफ रवाना आ। वहाँ प च ँ कर गेली ने कु छ अ ेत क भीड़ को देखा। कं ग ने जो अिहसा का संदश े दया था, उसका काफ चार- सार हो चुका था। जब से बस का बिह कार शु आ था, म टगोमरी म अ ेत समुदाय क िहसा म 20 फ सदी क कमी दज क गई थी मगर उस समय ेत क िहसा का जवाब अ ेत समुदाय िहसा क भाषा म ही देना चाहता था। मेयर गेली और उसके साथ गए पुिलसकम घबरा गए थे। उ ह लगा था क उनका सुरि त लौट पाना संभव नह होगा। एक गोरा आदमी दौड़ता आ कं ग के पास प च ँ ा और उसने उ ेिजत भीड़ को शांत करने का अनुरोध कया। कं ग ने वैसा ही कया।

कृ पया शांत हो जाएँ।” उ ह ने अपने घर के सामने खड़े होकर कहा, हम कानून व था पर भरोसा करते ह। हम िहसा का समथन नह कर रहे ह। हम अपने श ु से भी यार करना चाहते ह। भले ही कोई मेरी जान ले ले, मगर मेरी लड़ाई कने वाली नह है, य क हम स ाई क राह पर चल रहे ह। याय के रा ते पर चलने क वजह से ई र हमारे साथ है।” इस तरह िहसक भीड़ को उ ह ने शांत कया। अिहसा क शि प प से नजर आई। म टगोमरी के अ ेत नाग रक अपने-अपने घर लौट गए। एक ेत पुिलसकम ने कहा, म तो घबरा ही गया था। मेरी जान उस अ ेत पादरी ने बचाई। उसने दूसरे ेत लोग क भी जान बचाई, जो उस समय वहाँ मौजूद थे।फ् अपने घर म बम धमाके क घटना से कं ग अवा फ़ रह गए थे। रात के स ाटे म धमाके के बाद उस घटना और उसके नतीजे के बारे म सोच रहे थे। यह सोचकर उ ह तकलीफ ई क बम धमाके म उनक प ी और बेटी योलांडा डेिनस क जान जा सकती थी। ब ी एक पालने म सो रही थी, िजस समय बम िव फोट आ था। इसके बावजूद कं ग ने अपने आपको तस ली देने क कोिशश क । उ ह ने महसूस कया क कसी भी ि थित म वह नफरत को अपने ऊपर हावी नह होने दगे। उ ह ने सोचा क ईसा मसीह क दखाई गई राह पर चलते ए हमलावर के ित उ ह ेमपूण बरताव करना चािहए। उनके अंदर कशमकश चलती रही और आिखरकार अिहसा क शि के ित उनक आ था और भी मजबूत हो गई।

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बस का बिह कार जारी था और बस कं पिनय क आ थक दशा िबगड़ने लगी थी। कं ग एवं उनके 89 सहयोिगय के िखलाफ सन् 1921 के एक बिह कार िवरोधी कानून के तहत मामला दज कया गया। इसके बाद म टगोमरी के अिधका रय ने एक चाल चली, िजसका अपेि त भाव भी पड़ा। उ ह ने म टगोमरी इं ूवमट एसोिसएशन पर गैर-कानूनी प रवहन णाली िवकिसत करने का आरोप लगाते ए उसे ितबंिधत करने क माँग क । कं ग इस तरह क कारवाई को लेकर पहले से ही आशं कत थे। अ ेत के यातायात के िलए एसोिसएशन ने जो 20 नए वाहन खरीदे थे, कं ग उन वाहन पर अलग-अलग अ ेत चच के नाम िलखवाना चाहते थे, ता क कानूनी कारवाई से बचा जा सके । जब मुकदमे क सुनवाई शु ई तो सरकारी वक ल ने आरोप लगाया क बिह कार को जारी रखने के िलए म टगोमरी इं ूवमट एसोिसएशन ने 30 हजार डॉलर मुहय ै ा करवाए थे और अ ेत क आवाजाही के िलए इ तेमाल होनेवाले वाहन चालक को ित स ाह 24 डॉलर दए जा रहे थे। ऐसे कई गवाह को अदालत म पेश कया गया, िज ह ने बिह कार के दौरान बल- योग का आरोप लगाया। 7 बस ाइवर ने अदालत को बताया क उनक बस पर प थर बरसाए गए या गोलीबारी क गई। आरोपी कं ग कसी तरह क िहसा से नह जुड़े ए थे, बि क इस बात के माण थे क उ ह ने िहसा का लगातार िवरोध कया था।

बचाव प क गवाही-अ ेत गृिहिणय , नौकरािनय , मजदूर , िव ा थय ने अपने साथ होनेवाले दु वहार का उ लेख करते ए बिह कार को उिचत ठहराने का यास कया। जीवन भर चुपचाप रं गभेद का अिभशाप झेलते रहने वाले अ ेत गवाह मामले क सुनवाई के दौरान भावुक हो उठे और अदालत म ही रोने लगे। माथा के ट वाकर नामक एक मिहला ने बताया क कस तरह उसके अंधे पित का पाँव उस समय ज मी हो गया, जब एक बस ाइवर ने झटके से दरवाजा बंद कर बस को आगे बढ़ा दया। टेला ु स ने बताया क जब उसके पित ने बस ाइवर क आ ा का पालन नह कया तो उसे गोली मार दी गई। (उसक गवाही को अदालत के रकॉड से िनकाल दया गया, य क उसने अपनी आँख से अपने पित को गोली मारने क घटना नह देखी थी।) रचड जोडेन ने बताया क उसक गभवती प ी को एक ेत या ी के िलए बस क सीट छोड़नी पड़ी। जॉ जया टेरेसा िगलमोर ने कहा क जब वह एक बस म सवार ई तो ाइवर िच लायानीचे उतर काली कह क । जाकर िपछले दरवाजे से चढ़ो! और जब वह नीचे उतरी तो ाइवर ने बस क र तार बढ़ा दी। एक गवाह के प म कं ग ने तक रखा क बस बिह कार आंदोलन वतः फू त प से शु आ था और इसके िलए उ ह ने कसी को उकसाया नह था। स कट जज यूगीन काटर कं ग के तक को मानने के िलए तैयार नह आ और कं ग को दोषी ठहराते ए 500 डॉलर का जुमाना लगाया गया और जमानत पर रहा कया।

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सन् 1956 के उ रा म एक दन कं ग अपने सािथय के साथ ितबंध के िखलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे, उसी समय ेत वक ल के बीच फु सफु साहट तेज हो गई थी। उनके पास उसी समय एक खबर प च ँ ी थी-अमे रका के सु ीम कोट ने म टगोमरी क बस म रं गभेद णाली को गैर कानूनी घोिषत कर दया था। एक अ ेत ि ने िच लाकर कहा-आिखरकार ई र ने वॉ शंगटन डी-सी- से अपना फरमान सुना ही दया है। अगली रात कं ग ने चच म उपि थत भावुक अ ेत क सभा को संबोिधत कया और अपने समथक से अनुरोध कया क वे िवन ता के साथ अपनी जीत को वीकार कर। उ ह ने कहा,“ अगर आपम से कोई जाकर चीख-चीखकर कहेगा क हमने ेत से लड़ाई जीत ली है तो मुझे तकलीफ होगी।”

जनसभा म म टगोमरी इं ूवमट एसोिसएशन के समथक एक युवा ेत पादरी रे वरड रॉबट ी ज ने सट पॉल रिचत ंथ के एक अ याय का पाठ कया, िजसम िलखा आ थाजब म बालक था तब बालक क तरह चीज को समझता था, बालक क तरह सोचता था। जब म बड़ा हो गया तो मने बचपना छोड़ दया।” अ ेत के साथ कई ेत का वहार बचपना का ही नमूना था। मगर ी ज जैसे ेत लोग भी थे, जो अ ेत को मानवीय नजर से देखते ए उनक सम या के ित हमदद रखते थे। नाराज ेत समुदाय ने अ ेत को िविभ तरीके से परे शान करना शु कर दया। रात म चलनेवाली बस पर पहले शॉटगन से हमले कए गए। एक रात कई अ ेत चच और

नाग रक अिधकार के िलए संघष कर रहे दो नेता के घर म डायनामाइट का िव फोट कया गया। बाद म कं ग के घर प रसर से एक बम बरामद कया गया, जो फट नह पाया था। कं ग को जान से मारने क धम कयाँ िमल रही थ । रोज फोन के ज रए उनके साथ दु वहार कया जा रहा था। कं ग ऐसी धम कय या गािलय को नजरअंदाज कर रहे थे और यह मानकर चल रहे थे क नेतृ व क भूिमका िनभाने के कारण उ ह िनशाने पर रखा जा रहा था। उ ह महसूस हो रहा था क इस संघष म उनक जान भी जा सकती थी। संघष क जीत का गहरा भाव जनमानस पर पड़ा था। िहसा के समथक अ हंसक आंदोलन के भाव को देखकर दंग रह गए थे। लोग समझ नह पा रहे थे क अ ेत ने कस तरह अिहसा का सहारा लेकर अपने साथ हो रहे अ याय का ितरोध कया था। लोग को अपनी-अपनी बंदक ू से अपनी िहफाजत करने क आदत पड़ी ई थी। अब लोग देख रहे थे क शि बंदक ू क जगह अ हंसक ितरोध म यादा थी। कं ग जन-साधारण के िलए मागदशक नेता बन गए थे। कं ग ने दि णी इलाके और अ य िह स म हर कार के रं गभेद को समा करने के िलए आंदोलन जारी रखने का फै सला कया। म टगोमरी बस बिह कार क सफलता से कं ग का आ मिव ास मजबूत आ और महा मा गांधी के अ हंसक ितरोध के िस ांत पर उनक आ था गहरी हो गई, िजस िस ांत का इ तेमाल कर महा मा गांधी ने भारत म ि टश शासन क कमर तोड़ दी थी। कं ग ने रं गभेद के िखलाफ लड़ाई म अिहसा को बुिनयादी हिथयार बनाने का फै सला कया।

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जब कं ग ने सबसे पहले अ हंसक ितरोध के तरीके को आजमाने के बारे म सोचा था, तब उनके जेहन म ईसा मसीह का ेम संदश े और महा मा गांधी के अिहसा संबंधी िवचार मौजूद थे। उ ह ने कहा,“ अगर तुम साहस, ग रमा और धम-स मत ेम के साथ संघष करोगे, तब भिव य म इितहास क पु तक िलखी जाएँगी तो इितहासकार को ठठककर कहना पड़ेगा-एक समय महान् लोग रहते थे जो अ ेत थे, िज ह ने स यता क धमिनय म नए अथ और मयादा का संचार कया था। यह हमारे िलए चुनौती है और िज मेदारी भी।” कं ग ने अ हंसक ितरोध के कई पहलु को प कया। उ ह ने इसक खूिबय के बारे म लोग को बताया। कं ग ने कहा क अ हंसक ितरोध कायर के िलए नह है। इसके तहत ितरोध जताया जाता है, मगर तरीका अ हंसक होता है। गांधीजी कह चुके ह क अगर िहसा का एकमा िवक प कायरता हो तो यु करना बेहतर होगा। कसी भी अ याय के सामने हम झुकना नह है, न ही जवाबी कारवाई करते ए िहसा का सहारा लेना है। हम िवरोध जता सकते ह, मगर हमारा िवरोध अ हंसक होना चािहए। कु छ लोग सोचते ह क िनि य ितरोध का कोई मतलब नह होता और िवरोध करने वाला शारी रक प से लड़ता नह है मगर वह अपने िवरोधी को लगातार बताता रहता है क वह गलत कर रहा है।

दूसरा पहलू दरशाता है क अ हंसक ितरोध करनेवाला अपने िवरोधी पर िवजय हािसल करना नह चाहता, न ही उसे अपमािनत करना चाहता है। वह अपने िवरोधी का दय प रवतन कर उसे अपना िम बनाना चाहता है। ितरोध करनेवाला बिह कार या दूसरे तरीके अपनाकर अपने िवरोध को कट कर सकता है। इस तरह िवरोधी को नैितक प से दोषी महसूस करने के िलए े रत कया जाता है। इसका ल य भाईचारे और स ाव का िवकास करना होता है। तीसरा पहलू दरशाता है क हम बुराई से लड़ना चािहए, बुरे ि से नह । न लगत समानता के िलए कए जा रहे संघष म यह देखना ज री है क मु य संघष दो न ल के बीच नह है, बि क याय और अ याय के बीच है। म टगोमरी के संघष के उदाहरण को सामने रखते ए कं ग ने कहा,“ अ याय पर जीत हािसल करनी चािहए, ेत लोग पर नह जो अ याय कर रहे ह।” चौथा पहलू दरशाता है क हम बदले क भावना नह रखते ए तकलीफ को वीकार करते ह। अ हंसक ितरोध करनेवाले जवाबी हमले क चाह नह रखते और अपने ऊपर होनेवाले हमले को झेलने के िलए तैयार रहते ह, ज रत पड़ने पर वे जेल जाने के िलए भी तैयार रहते ह। पाँचवाँ पहलू दरशाता है क अ हंसक ितरोध करनेवाला न तो शारी रक िहसा का सहारा लेता है, न ही मानिसक िहसा के िलए तैयार होता है। न तो वह अपने िवरोधी को कोई नुकसान प च ँ ाता है, न ही उसे नुकसान प च ँ ानेवाले िवचार मन म लाता है। अिहसा का क - बंद ु ेम होता है।

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अ हंसक ितरोध के साथ साहस जुड़ा है और यह अ यंत स य भी होता है। कं ग ने कहा,“ अिहसा समुदाय का सृजन एवं संर ण करती है। जब िवरोधी शि याँ समुदाय को न करना चाहती ह तब अिहसा इसका बचाव करती है। अ हंसक ितरोध समुदाय क सुर ा का तरीका है। इसके तहत सभी मनु य को भाई समान समझा जाता है। अगर मेरे भाई को पीड़ा होगी तो मुझे भी पीड़ा होगी।” म टगोमरी बस कं पनी और म टगोमरी इं ूवमट एसोिसएशन के बीच एक बार बातचीत हो रही थी, िजसम एसोिसएशन क तरफ से कं ग व ा क भूिमका िनभा रहे थे। बैठक को एक थानीय रं गभेद समथक पादरी ने संबोिधत कया। उसने कहा,“ अ ेत पादरी बिह कार का समथन कर गलत रा ते पर चल रहे थे।” इसके बाद उसने कहा,“ अ ेत पाद रय को धा मक याकलाप के ित वयं को सम पत करना चािहए और सामािजक सम या क तरफ यान देने से बचना चािहए।” कं ग ने उस पादरी के कथन का िवरोध करते ए कहा क वह तथा उनके सहयोगी पादरी ईसा मसीह के ित पूरी तरह सम पत थे और उ ह बस बिह कार के आंदोलन और ईसा मसीह के ित समपण के बीच कसी तरह का िवरोधाभास दखाई नह दे रहा था।“ अगर कोई ि स ा ईसाई है तो सामािजक बुराई के िखलाफ उसका लड़ना अनुिचत नह है। धम का संदश े िजतना िनजी है

उतना ही सामािजक भी है।” कं ग ेत पादरी के िवचार से असहमत थे, कतु उ ह ने धैय के साथ उसके तक को सुना था। कं ग ने कहा,“ वष क सामािजक परं परा के चलते ेत पादरी इस तरह क बात सोच रहे थे।” उ ह उनके माता-िपता ने अ ेत को नीची नजर से देखना िसखाया था। उनके भीतर उ भावना का िवकास कू ल , पा पु तक और उनके धमगु ने कया था। जब वे रं गभेद का समथन कर रहे होते थे तो वे समाज म चिलत परं परा का पालन कर रहे होते थे। कं ग ने अपने समथक से कहा क वे कु छ कानून का पालन कर, मगर सभी कानून का पालन नह कर। उ ह ने कहा,“ कु छ कानून- यायसंगत ह और कु छ कानून अ यायपूण ह।” उ ह ने कहा क वह संत अग टीन के उस कथन से सहमत ह क अ यायपूण कानून को सही अथ म कानून नह माना जा सकता। उनका मानना था क यायसंगत कानून इनसािनयत को यान म रखकर बनाया जाता है। दूसरी तरफ अ यायपूण कानून बनाते समय नैितक मू य को यान म नह रखा जाता। जो कानून मनु य के ि व को खर बनाता है, उसे यायपूण कहा जा सकता है। जो कानून मनु य के ि व को नुकसान प च ँ ाता है, वह अ यायपूण है। रं गभेद के सारे ावधान अ यायपूण ह, य क रं गभेद से आ मा न होती है और ि व का नुकसान होता है।

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कं ग ने कहा, अ यायपूण कानून वह होता है, िजसे ब सं यक अ पसं यक पर थोपता है और िजस कानून का पालन ब सं यक वयं नह करता। दूसरी तरफ यायपूण कानून वह होता है, िजसे ब सं यक अ पसं यक के िलए बनाता है और वयं भी उस कानून का पालन करता है।”

अ ेत समुदाय िजस तरह अपने संसाधन का इ तेमाल कर रहा था, उससे कं ग सहमत नह थे। उ ह ने कहा, हम (अ ेत) ेत लोग के धन पर ज रत से यादा िनभर करते ह। हमारे म य वग के लोग दखावे क जंदगी जी रहे ह। िजन चीज क हम कोई ज रत नह , हम वैसी चीज भी खरीद रहे ह। दूसरी तरफ हम मह वपूण संगठन को आ थक सहायता दान करने से िहचक रहे ह।” े और मा का संदश म े कं ग बार-बार दोहराते रहे थे। उ ह ने कहा क नफरत का जवाब अगर हम नफरत से दगे तो दुिनया म बुराई कभी ख म नह होगी। उनका मानना था क नफरत से नफरत पैदा होती है, िहसा से िहसा पैदा होती है, कटु ता से कटु ता पैदा होती है। इसिलए हम नफरत का जवाब यार से देना चािहए। उनका एक मश र वा य था, हमारे पास िव ास, उ मीद और ेम है, िजसम सबसे महान् शि ेम है।” मा के मामले म कं ग ईसा मसीह का उदाहरण देते थे, जो बार-बार अपने श ु को भी मा करने क सीख दे चुके थे। डॉ- कं ग कहते थे क अपने दु मन से रोमां टक अंदाज म ेम जताना हा या पद बात हो

सकती थी। मगर हमारे मन म क याण को दरशानेवाला ेम होना चािहए। इस संदभ म ीक के ेम क प रभाषा का वह इ तेमाल करते थे। ीक ‘ यू टे टामट’ म ेम का पहला श द ‘इरोज’ है, िजसका अथ रोमां टक ेम होता है। अगला श द ‘ फिलया’ है, िजसका अथ दो िम का ेम होता है। अंितम श द ‘अगापे’ है, िजसका अथ क याण क भावना से यु ेम होता है। कं ग इसी तरह का ेम अपने िवरोिधय से करने क नसीहत देते थे। इस ेम के पीछे वह ई र है, जो हमारे भीतर बसता है। कभी-कभी इसे दैवी ेम भी कहा जाता है। ‘अगापे’ के मा यम से बंधु व का िवकास कया जाता है और दूसर क भलाई क कामना क जाती है। इसके तहत क ह खूिबय के चलते ि िवशेष के ित यार का दशन नह कया जाता। इसके तहत दो त से भी यार कया जाता है और दु मन से भी। सामािजक प रवतन और सामािजक एकजुटता के िलए अ हंसक उपाय आजमाने के चलते कं ग क िसि दुिनया भर म फै ल गई। िति त पि का म उनक तसवीर कािशत क ग । उनके िवचार को दुिनया भर के प -पि का म कािशत कया गया। जैसा क महा मा गांधी का िव के जनमानस ने वागत कया था, उसी तरह कं ग के ि व म लोग को नैितक उ मीद दखाई देने लगी थी। िबना खून बहाए बस बिह कार आंदोलन चलाकर म टगोमरी शहर क बस म चिलत रं गभेद क व था को समा करने क घटना से दि णी िह स के अ य शहर के अ ेत भी रं गभेद के िखलाफ संघष करने के िलए े रत ए थे। दूसरे युवा अ ेत पादरी भी यक न करने लगे थे क वे कं ग क तरह रं गभेद के िखलाफ लड़ाई जीत सकते ह। दि णी िह से के िविभ शहर म बिह कार आंदोलन क शु आत हो गई। इस तरह कं ग क िसि बढ़ती गई। पचास वष से अ ेत आबादी एक नेता क राह देख रही थी। जैसे-जैसे कं ग क याित बढ़ती गई, अ ेत आबादी उ ह अपना नेता समझने लगी।

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सन् 1957 म वॉ शंगटन म एक जनािधकार ाथना स मेलन आयोिजत कया गया। तीस रा य के ितिनिध उस स मेलन म शािमल ए थे। यह काय म वॉ शंगटन डी-सी- के िलकन मेमो रयल सभागृह म आयोिजत आ था। इसम नेशनल एसोिसएशन फॉर द एडवांसमट ऑफ कलड पीपु स के कायकारी सिचव रॉय िवल कस, जनािधकार कायकता एसोिसएशन फिलप रोडॉ फ व सांसद एडम लेटन पॉवेल ने भाषण दया। हालाँ क ोता ने इन व ा को यान से सुना। मगर जब कं ग ने भाषण दया तो ोता ज बाती हो उठे । अपने भाषण म कं ग ने कहा क रा पित नाग रक अिधकार के ित उदासीन रवैया बरत रहे थे और संसद् ‘पाखंड व जड़ता’ का प रचय दे रही थी। कं ग ने कहा क रा पित को नाग रक अिधकार िवधेयक तेजी से पा रत करवाना चािहए और ेत सांसद को इस दशा म सहयोग करना चािहए। ‘ यूयॉक ए टडम यूज’ के संपादक जे स एल- िह स के अनुसार, इस स मेलन के बाद कं ग िन ववाद प से अमे रक अ ेत के सव प र नेता बन गए।

सन् 1957 से 1960 के बीच कं ग अ हंसक सं ाम क जमीन तैयार करते रहे। उ ह ने नाग रकता अिभयान चलाया। इसके तहत अ ेत नाग रक के नाम को मतदाता सूची म दज करने का अिभयान चलाया गया। सन् 1957 म कं ग और उनक प ी को घाना के वतं ता दवस समारोह म भाग लेने के िलए आमंि त कया गया। अपने पूवज क जमीन पर कदम रखकर कं ग को काफ खुशी ई। उ ह अ ेत अिधका रय और अ ेत धानमं ी से िमलना अ छा लगा। बाद म उ ह ने कहा क उनक यह या उनके जीवन के महान् अनुभव म से एक थी। वापस लौटकर कं ग अपनी पहली पु तक ‘ ाइट टु वाड“ रीडम’ िलखने म जुट गए। जब वह अपनी पु तक क ितय पर ह ता र कर शंसक को दे रहे थे, तभी उनके ऊपर जानलेवा हमला कया गया। मानिसक प से बीमार अ ेत घरे लू कमचारी इजोला वारे करी ने चाकू से उनके सीने पर उस समय हमला कया, जब वह 20 िसतंबर, 1958 को हरलेम िडपाटमटल टोर म पु तक क ितय पर ह ता र कर रहे थे। डॉ टर को उनके सीने से चाकू िनकालने म तीन घंटे का समय लगा और चाकू के साथ उनक पसली का एक िह सा भी बाहर िनकल गया। कं ग मृ यु के ार तक प च ँ गए थे। उनक जान बच गई, ले कन जीवन भर उ ह सीने का दद बना रहा। कं ग ने हमलावर मिहला को मा कर दया था।

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नाग रक अिधकार के िलए संघष द साउथन

ि यन लीडरिशप कॉ



जब म टगोमरी के अ

े नाग रक को अपमान और दु वहार के िबना िसटी बस म त या करने का अिधकार िमल गया, उसके कु छ दन बाद 10 जनवरी, 1957 को कं ग अटलांटा प च ँ े। एबेनेजर बैप ट ट चच म कई अ ेत नेता के साथ कं ग क मुलाकात ई, जहाँ ‘बस बिह कार आंदोलन’ क सफलता से अ ेत आबादी म पैदा ई जाग कता को यान म रखते ए प रवतन क लड़ाई जारी रखने के िलए एक संगठन बनाने क योजना पर िवचार कया गया।

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सु ीम कोट के फै सले क वजह से कं ग और उनके समथक का उ साह बढ़ गया था। वे इसी फै सले से संतु होकर बैठ जाना नह चाहते थे। वे प रवतन के मौके को हाथ से गँवाना नह चाहते थे। एक तरफ एन-ए-ए- सी-पी- जैसा संगठन था, जो कानूनी लड़ाई लड़ने, मतदाता का पंजीयन अिभयान चलाने और अ य संवैधािनक अिधकार हािसल करने के िलए य कर रहा था। दूसरी तरफ कं ग ऐसा संगठन बनाना चाहते थे, िजसके ज रए जमीनी तर पर ितरोध आंदोलन चलाया जा सके , जो कायवाही म रखे और जो म टगोमरी म आजमाए जा चुके अ हंसक ितरोध के हिथयार का सफलतापूवक इ तेमाल कर सके । जब कं ग और उनके सहयोगी अटलांटा म जुटे थे, तभी उ ह म टगोमरी म िहसा फै लने क सूचना िमली। 10 जनवरी, 1957 क सुबह चच और िनवास- थान पर छह बम धमाके ए थे। कं ग और एबरनेथी िवमान से म टगोमरी लौटे। जब वे बम धमाक वाले थान पर प च ँ े तो उ ह ने अ ेत क ु भीड़ को देखा, जो हमले का ितरोध लेना चाहती थी। एक बुजुग ि ने कं ग से कहा, जब वे लोग ई र के घर पर बम फक सकते ह तो हम चुप रहना ठीक नह होगा।” बम धमाक के बाद तनाव और उ ेजना बढ़ने से कं ग चंितत हो उठे थे। उ ह ने बेथेल बैप ट ट चच म अपने समथक क एक सभा आयोिजत क । जन-समूह के साथ ाथना का

नेतृ व करते ए कं ग भावुक हो उठे । आनेवाले समय म आंदोलनका रय क चुनौितय का उ लेख करते ए उ ह ने भराई ई आवाज म कहा,“ अगर कसी को मारा जाना चािहए तो वह म ।ँ ”

@BOOKHOUSE1 इसके बाद कं ग कु छ नह बोल सके । कई पाद रय ने आगे आकर कं ग को सहारा दया। कं ग शहर म घूम-घूमकर उ ेिजत लोग से संयम बरतने का अनुरोध करने लगे। उनके इस कदम का ेत ग यमा य ि य और ेस ने वागत कया। गवनर ने घटना- थल का मुआयना कया और अपरािधय को पकड़ने के िलए इनाम क घोषणा क । ‘म टगोमरी एडवरटाइजर’ नामक समाचार-प ने कड़े श द म बम धमाक क िनदा क और ेत पाद रय ने इस हमले को धम के िव आचरण बताया। म टगोमरी क अ ेत आबादी वष से अपने हक के िलए संघष कर रही थी और इस हमले क घटना को भी बरदा त करने के िलए तैयार थी। एक अ ेत मिहला ने रपोटर को बताया,“ या आप क पना कर सकते ह क एक ही दन आपको 1 करोड़ पए िमल जाएँ और आप सारी मनचाही चीज खरीद सक? हमारे िलए अभी का व 1 करोड़ पए िमल जाने क तरह है। हमने इसके िलए 100 साल तक इं तजार कया। यह शु वार क दोपहर है और बक सोमवार से पहले नह खुलने वाला है। सोमवार तक हम चेक का भुगतान नह

होगा तो कोई बात नह , हम यादा इं तजार नह करना पड़ेगा।” जब कं ग को म टगोमरी म हालात सामा य होने का यक न हो गया तो वह अबरनथी के साथ 10 दि णी रा य के 60 धम पदेशक से अपनी बातचीत को जारी रखने के िलए चले गए। लंबे िवचार-िवमश के बाद इस नतीजे पर प च ँ े क रं गभेद के िखलाफ अ ेत को अ हंसक ितरोध करना चािहए और रा पित आइजनहॉ वर से दि ण का दौरा करके रं गभेद का जायजा लेने का अनुरोध करना चािहए। आइजनहॉवर ने दौरे के िनमं ण को वीकार नह कया। 14 फरवरी को अगली बैठक यू आ लएंस म आयोिजत ई, जहाँ ‘साउथन ि यन लीडरिशप कॉ स (एस-सी-एल-सी-) नामक संगठन क थापना क गई और कं ग को उसका थम अ य चुना गया। कं ग क दृि और दशन को अपनाकर एस-सी-एल-सी- ने आगे चलकर ईसाई धम के ेम और भाईचारे के िस ांत के आधार पर जन-आंदोलन चलाया और अमे रक राजनीित म अहम शि बन गया। कं ग और एस-सी-एल-सी- के अ य नेता, िजनम यादातर युवा और धमापदेशक थे, आंदोलन के दौरान शहर-दर-शहर अलख जगाने का काम करने लगे। वे अ ेत आबादी को अ हंसक तरीके से लड़ने का मं िसखाने लगे। उनके सामने सरकार और पूँजीपितय क चुनौती थी; मगर रं गभेद िमटाने और याय हािसल करने के िलए वे हर बाधा से टकराने का संक प ले चुके थे, उ ह हमल और ितर कार क परवाह नह रह गई थी। वे मामूली नाकािमय से हौसला हारने वाले नह थे। वे लगातार लोग को एकजुट करते रहे, आंदोलनका रय क अगुवाई करते रहे। एक शहर से दूसरे शहर तक, एक प रि थित से दूसरी प रि थित तक वे जुलूस, बिह कार और दशन के ज रए अ याय के िखलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे। वे देश के दि णी िह से म चिलत रं गभेद को िमटाने के िलए योजनाब तरीके से शांितपूण आंदोलन चलाते रहे थे।

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देश के दि णी िह से म स य रहते ए एस-सी-एल-सी- अपने नाम के अनु प काय कर रहा था। संगठन क तरफ से नेतृ व िश ण काय म और नाग रक िश ा अिभयान क शु आत क गई। हालाँ क कं ग संगठन के सबसे बड़े नेता थे, इसके बावजूद और भी कई कायकता स य थे। उनम अबरनथी कं ग के घिन सहयोगी थे। नेशनल काउं िसल ऑफ चचज के एं ू यंग एक मुख नेता थे, जो बाद म संयु रा संघ म अमे रका के राजदूत और अटलांटा के मेयर बने। म टगोमरी के िव ान् पादरी जोसेफ लोरी और जॉ जया के नाग रक अिधकार कायकता एला बेकर संगठन के अ य मुख नेता थे। ‘म टगोमरी बस बिह कार आंदोलन’ के बाद कु छ ही दन म कं ग अंतररा ीय तर पर यात हो चुके थे। समान अिधकार के िलए अपने संघष और अ हंसक ितरोध क शैली के चलते दुिनया भर म उनक याित फै ल चुक थी। फरवरी म ‘टाइम’ पि का ने आवरण पर कं ग क तसवीर छापी और आवरण कथा ‘चेतना पर हमला’ शीषक से कािशत क । इसम म टगोमरी के युवा अ ेत नेता का उ लेख कया गया था, िजसक तरफ देश भर क

अ ेत आबादी उ मीद भरी नजर के साथ देख रही थी और समझ रही थी क यही ि उसे रं गभेद के अिभशाप से मु करवाएगा।“ लोग िजस ि क तरफ उ मीद भरी नजर से देख रहे ह, वह कोई यायाधीश, वक ल, कू टनीित या भावशाली व ा नह है, बि क वह 28 वष य िशि त बैप ट ट धमािधकारी है, जो एक वष से भी कम समय म गुमनामी के अँधेरे से िनकलकर देश का मह वपूण ि व बन चुका है।” 17 मई, 1975 को कं ग नाग रक अिधकार आंदोलन के अ य नेता के साथ एक ाथना सभा म भाग लेने के िलए वॉ शंगटन डी-सी- प च ँ े। वहाँ उ ह ने अपना पहला मह वपूण रा ीय भाषण दया, िजसम उ ह ने अ ेत को मतािधकार देने क माँग क । िलकन मेमो रयल हॉल म जब कं ग भाषण दे रहे थे तब 20 हजार से अिधक ोता गौर से उनक बात सुन रहे थे। छह साल बाद कं ग फर अमे रक इितहास के एक यादगार लमहे म िलकन मेमो रयल लौटकर आने वाले थे। िल टल राक का संकट सन् 1957 म अकासास के िल टल रॉक म ‘ ाउन बनाम बोड ऑफ एजुकेशन’ मामले पर सु ीम कोट के एक फै सले को लेकर िववाद क ि थित पैदा हो गई। अ ेत नेता ने ेत के िलए आरि त पि लक कू ल म अ ेत को िश ा का समान अिधकार दलाने का अिभयान छेड़ रखा था। सु ीम कोट ने अपने फै सले म ‘पृथक् मगर समान व था’ पर रोक लगा दी थी (िजसके तहत ावधान था क समान गुणव ावाले कू ल ेत व अ ेत के िलए अलग-अलग हो सकते ह)।

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िल टल रॉक म पैदा ए िववाद से जहाँ सु ीम कोट के फै सले क सीमा का पता चला, वह नाग रक अिधकार आंदोलन म संघीय ह त ेप का मंच भी तैयार आ और कं ग व दूसरे नाग रक अिधकार नेता के िलए रा ीय आंदोलन शु करने का माग भी श त आ तथा अ हंसक आंदोलनका रय के बीच साहस का संचार आ। 2 िसतंबर क रात गवनर ऑरिबल फॉबस ने टी-वी- के ज रए अकासास के नाग रक को संबोिधत करते ए कहा क कानून- व था को बहाल रखने के िलए उ ह ने नेशनल गा स को बुला िलया था। उ ह ने घोषणा क क जो नौ अ ेत छा िल टल रॉक के स ल हाई कू ल म पढ़ने के िलए जाना चाह रहे थे, उ ह जबरन वहाँ से िनकाल दया जाएगा और कू ल को पहले क तरह ेत के िलए आरि त रखा जाएगा। फॉबस, गवनर के दो वष य कायकाल के तहत दूसरी बार गवनर बना था। राजनीितक उदारवादी होने के नाते वह दि णपंिथय के िनशाने पर था, जो उसे िलबरल बता रहे थे। कू ल सम वय िववाद के बहाने फॉबस अपने आलोचक का मुँह बंद कर देना चाहता था। वह देश के सम वय िवरोधी संगठन को रणनीितक परामश देने म जुट गया। फॉबस ने टी-वी- पर बताया क ेत क भीड़ िल टल रॉक प च ँ कर सम वय के माण को रोकना चाहती थी। उसने कहा क अगर अ ेत छा स ल हाई कू ल म कदम रखने क कोिशश

करगे तो सड़क पर खून-खराबा शु हो जाएगा। एन-ए-ए-सी-पी- क अकासास शाखा क अ य होने के नाते डेजी बे स नौ छा के िलए संर क, मागदशक और गु क भूिमका िनभा रही थी। उसके घर म छा इक े होते थे। िववाद के शु आती दन म छा उसके घर से ही आवाजाही कर रहे थे। ेस से जुड़े लोग घटना म क जानकारी लेने के िलए बे स के घर आ रहे थे। वह ेत दशनकारी बे स के घर को िनशाना बना रहे थे। सेना और एयर नेशनल गाड के लगभग 300 जवान स ल हाई कू ल के सामने जमा हो गए और उनक उपि थित क वजह से अ ेत छा कू ल म वेश नह कर पाए। डेली बे स, नाग रक अिधकार आंदोलन के अ य नेता और अ ेत छा कसी तरह क रोक को वीकार करने के िलए तैयार नह थे। 4 िसतंबर को बे स ने छा से कू ल जाने के िलए कहा। छा जब कू ल क तरफ बढ़े तब अकासास नेशनल गाड के जवान ने पुिलसक मय के साथ िमलकर छा को कू ल के भीतर कदम नह रखने दया। जैसा क ‘ यूयॉक टाइ स’ म समाचार कािशत आ‘हिथयार से लैस जवान ने छा को कू ल से दूर रखा, वह 400 ेत क भीड़ छा को गािलयाँ देकर घर लौट जाने क धमक देती रही। सैकड़ फौिजय ने कू ल को चार तरफ से घेर रखा था।’

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कू ल सम वय के अदालती आदेश का जब अकासास के गवनर ने खुले तौर पर उ लंघन कया तो इसके साथ ही संघीय और ादेिशक शासन के बीच टकराव क शु आत ई। साथ ही सु ीम कोट के आदेश का परी ण भी शु हो गया। कं ग बेकरारी के साथ नतीजे का इं तजार कर रहे थे। 9 िसतंबर को कं ग ने नाग रक अिधकार आंदोलन के व ा के प म इस मामले म ह त ेप करने का िन य कया। उ ह ने रा पित आइजनहॉवर को तार भेजकर चेतावनी दी क अगर संघीय सरकार अकासास म हालात को िनयंि त करने के िलए कोई कदम नह उठाएगी तो सम वय क या 50 साल पीछे जा सकती है। आइजनहॉवर के सलाहकार ने कं ग के मत को उिचत बताया और राजनीितक यथाथ के आधार पर आइजनहॉवर ने फॉबस को रोडे आइलड के यूपोट म मुलाकात के िलए बुलाया, जहाँ वह दौरे पर जा रहे थे। 14 िसतंबर को दोन क मुलाकात ई और उ ह ने िल टल रॉक क सम या के बारे म बातचीत क । संि मुलाकात म आइजनहॉवर इस नतीजे पर प च ँ े क फॉबस ने अ ेत छा के कू ल म वेश पर अपनी सहमित दे दी थी। रा पित ने फॉबस से कहा क छा क सुर ा सुिनि त करने के िलए स ल हाई कू ल म नेशनल गाड के जवान को तैनात रखा जा सकता था।

ले कन अकासास लौटने पर फॉबस ने एक नई रणनीित पर िवचार कया। आइजनहॉवर ने फॉबस क नीयत समझने म गलती क थी। फॉबस ने सैिनक को हटाने का आदेश दे दया। अब नौ छा क सुर ा क िज मेदारी िल टल रॉक क पुिलस पर रह गई थी।

23 िसतंबर को अ ेत छा ने फर स ल हाई कू ल म वेश करने का यास कया, मगर उ ह ु भीड़ के िवरोध का सामना करना पड़ा। गािलय , फि तय और थूक फकने जैसे अपमानजनक बरताव के बीच छा कसी तरह कू ल म दािखल हो पाए। 24 िसतंबर को िल टल रॉक के मेयर वुडरो मान ने रा पित आइजनहॉवर को तार भेजकर आगाह कया क शहर क पुिलस के िलए कानून व था क ि थित को बहाल रख पाना संभव नह रह गया था। उ ह ने सेना भेजने का अनुरोध कया था, ता क छा क सुर ा सुिनि त क जा सके । मेल-िमलाप क या म इस तरह क कावट को देखकर आइजनहॉवर को वाभािवक प से गु सा आ गया। रा पित कसी रा य सरकार के िखलाफ संघीय बल के योग के िखलाफ थे। ले कन वे अ छी तरह समझ गए क िल टल रॉक म फॉबस ने वादा-िखलाफ क थी, इसिलए हालात तेजी से बेकाबू होते चले गए थे। आिखरकार रा पित ने सै य कारवाई करने का फै सला कया। सबसे पहले उ ह ने अकासास नेशनल गाड का रा ीयकरण कर दया। इस तरह उस पर फॉबस का िनयं ण ख म हो गया। इसके बाद उ ह ने 101 एयरबोन िडवीजन के 1,000 सैिनक को स ल हाई कू ल भेजने का आदेश दे दया। सेना भेजने का आदेश देते ए रा पित ने रा ीय टी-वी- पर कहा,“ संघीय अदालत के आदेश को लागू करने के संबंध म संघीय सरकार के अिधकार सीिमत ह, िजनका योग असाधारण और संकटजनक प रि थितय म कया जाना चािहए। िल टल रॉक म इसी तरह क प रि थित पैदा हो गई है। चुनौती से हम िनपटना होगा और नाग रक के यायसंगत अिधकार क सुर ा करनी होगी।”

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25 िसतंबर को सेना के जवान के साथ अ ेत छा सैिनक वाहन म सवार होकर कू ल के वेश ार तक प च ँ ।े हेलीकॉ टर से हालात पर नजर रखी जा रही थी। सेना ु भीड़ को रोकने का यास कर रही थी। भीड़ म स ल हाई कू ल के कई छा , उनके अिभभावक और दूसरे कई लोग शािमल थे। सैिनक ने भीड़ को पीछे क तरफ हटने के िलए मजबूर कया और नौ अ ेत छा अपनी क ा म चले गए। कु छ दन तक येक अ ेत छा के साथ एक-एक सैिनक को अंगर क के तौर पर तैनात रखा गया। इससे पहले कभी भी कसी पि लक कू ल म अ ेत छा क िश ा सुिनि त करने के िलए संघीय सेना का इ तेमाल नह कया गया था। कं ग जानते थे क िल टल रॉक मामले म रा पित आइजनहॉवर के उठाए गए कदम का गहरा भाव नाग रक अिधकार आंदोलन पर पड़ने वाला था और इससे संघीय भूिमका क प रभाषा िनधा रत होने वाली थी। कं ग ने रा पित को प िलखा-“ इितहास म इस बात को िवशेष प से दज कया जाएगा क कु छ िमत लोग के िहसक िवरोध क परवाह कए िबना आपने देश-िहत म कस कदर मह वपूण कदम उठाया। आपने ईसाई परं परा के भाईचारे और याय के िस ांत का अ छी तरह पालन कया।”

धीरे -धीरे िहसक भीड़ िबखरती गई और घटना क रपो टग करनेवाले प कार क िच भी इस मामले म नह रह गई। नौ अ ेत ब को अब अपने बलबूते पर पढ़ाई को जारी रखना था। उन छा के अिभभावक , सलाहकार और कू ल अिधका रय ने उनसे कहा क िवरोध क ि थित म उ ह कसी तरह क हाथापाई से दूर रहना था और अपमान या गाली-गलौज क कसी भी घटना क िशकायत कू ल शासन से करनी थी। ऐसी ि थित म छा वयं को अ यंत असुरि त महसूस कर रहे थे। ऐसी प रि थित का फायदा ेत का एक समूह उठा रहा था। वह िनयिमत प से अ ेत छा के साथ मारपीट करने लगा था। अ ेत छा के साथ दु वहार करने के नए-नए बहान क खोज क जाती थी। ेत समूह ने अ ेत छा को जान से मारने क धमक भी दी थी। अ ेत छा के घर म धमक भरे फोन िनयिमत प से आते थे। कई बार उनके घर क िखड़ कय पर गोलीबारी भी क जाती थी। एक छा के चेहरे पर तेजाब भी फका गया था। 9 म से 8 अ ेत छा ने 27 मई, 1958 को स ल हाई कू ल म अपनी पढ़ाई पूरी क और दी ांत समारोह म शािमल ए। पुिलसक मय के अलावा 125 संघीय सैिनक को सुर ा के िलए तैनात कया गया था। इसके बाद िहसा फै ली थी। मेयर मान और उनके प रवार को जान से मारने क धमक िमली थी। बम धमाके भी ए थे।

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ातक िड लोमा िवतरण समारोह म 600 ेत छा के साथ 1 अ ेत छा भी शािमल आ था। कं ग के िलए िल टल रॉक का संग आनेवाले समय म जन- ितरोध आंदोलन का आरं िभक कदम सािबत होनेवाला था। अटलांटा वापसी दो साल तक कं ग अटलांटा और म टगोमरी के बीच आवाजाही करते रहे। डे टर बैप ट ट चच के पे टर क िज मेदारी, नाग रक अिधकार आंदोलन क बढ़ती िज मेदारी और माता-िपता के ित संतान क िज मेदारी के बीच संतुलन बनाए रखने का यास वे करते रहे। 23 अ ू बर, 1958 को कं ग क दूसरी संतान और थम पु मा टन लूथर कं ग तृतीय का ज म म टगोमरी म आ। उन दन के अनुभव के बारे म फोरे टा कं ग ने बताया था क कस तरह उनके िलए भावना मक और शारी रक प से दबाव को झेलना क ठन होता जा रहा था, हम संगीत सुनना और कताब पढ़ना पसंद था, मगर अपने शौक के िलए हमारे पास खाली व नह था। हम जब भोजन के िलए बैठते थे तभी कोई-न-कोई आगंतुक आ जाता था। इस तरह के दबाव स हमारी परे शानी बढ़ती जा रही थी।” जब िज मेदा रय के बीच संतुलन बनाए रखना नामुम कन हो गया तब कं ग और उनक प ी ने महसूस कया क उ ह अपने िपता के ताव को वीकार कर अटलांटा लौट जाना

चािहए और एबेनेजर बैप ट ट चच के पे टर का दािय व हण कर लेना चािहए। इस तरह वे जहाँ अपने गृहनगर म अपने माता-िपता और करीबी दो ता के बीच रह सकते थे, वह एस-सी-एल-सी- के काय का संचालन बेहतर तरीके से उनके मु यालय म रहकर कर सकते थे। 29 नवंबर, 1959 को ालु क सभा को ज बाती अंदाज म संबोिधत करते ए कं ग ने डे टर के पे टर पद से अपने यागप क घोषणा क , म आप लोग को बताना चाहता ँ क काफ सोच-िवचार के बाद म इस नतीजे पर प च ँ ा ँ क अब म और क नह सकता। इितहास ने मेरे कं धे पर एक जवाबदेही डाल दी है, िजसे म हरिगज नजरअंदाज नह कर सकता।” ालु खड़े होकर ाथना गाने लगे और कं ग क आँख नम हो ग । सबोरो का आंदोलन नॉथ के रोिलना के सबोरो म फरवरी 1960 म नॉथ के रोिलना ए ीक चरल एंड टे कल कॉलेज के 4 अ ेत छा ने वूलवथस टोर से खाने क चीज खरीद और लंच काउं टर पर बैठ गए। जब उनसे एक वे ेस ने कहा क वे ेत के िलए आरि त काउं टर पर बैठ नह सकते तो छा ने तक दया क उ ह ने उसी टोर से सामान खरीदा था, इसिलए खड़े रहने क जगह उ ह बैठने क इजाजत िमलनी चािहए। जब टोर के मैनेजर ने छा पर वहाँ से जाने के िलए दबाव नह डाला तो वे लगभग एक घंटे तक काउं टर पर बैठे रहे। उसके बाद टोर बंद हो गया।

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अगली सुबह चार अ ेत छा 20 से यादा अ ेत सािथय के साथ वूलवथस टोर म प च ँ गए। जब रा ीय अखबार म सजे-धजे कॉलेजी अ ेत छा के िवरोध के इस तरीके और मानवािधकार के प म संघष करने, साथ ही हर दन के िवरोध काय म के अंत म ाथना करने क खबर कािशत तो देश भर के लोग का यान आक षत आ। यह िसलिसला पाँच महीन तक चलता रहा। आंदोलनका रय और ेत समूह के बीच झड़प । रं गभेद को माननेवाली दुकान का अ ेत ने बिह कार करना शु कया। इस तरह के िवरोध का भाव भी पड़ा। थानीय शासन ने आंदोलन रोकने क शत पर दुकान क नीितयाँ बदलने का आ ासन दया। उसी वष के आिखरी िह से म देश के सैकड़ नगर म अ ेत छा ने रं गभेद क नीित के िखलाफ आंदोलन शु कर दया। यह आंदोलन देश के दि णी िह से के साथ उ री िह से म भी शु कया गया। नॉथ के रोिलना के राले नगर म पुिलस ने 40 छा को िगर तार कया।

नासिवले म 100 से अिधक छा को पुिलस लंच काउं टर से पकड़कर जेल ले गई। नासिवले का आंदोलन सुिनयोिजत तरीके से चलाया गया था, िजसका नेतृ व जॉन लेवीस और वडरिब ट िडिविनटी कू ल के छा जे स लॉसन ने कया था। लॉसन भी कं ग क तरह महा मा गांधी के अ हंसक ितरोध म िव ास रखता था। लॉसन के यास म युवा का

बड़ा िह सा अिहसा के िस ांत से दीि त आ और िज ह ने आनेवाले समय म नाग रक अिधकार आंदोलन म अहम भूिमका िनभाई। उनम मे रयन बैरी और डायन नास का नाम मुखता से िलया जा सकता है। नासिवले का आंदोलन खासतौर पर कामयाब रहा था, जहाँ के ावसाियक ित ान ने रं गभेद को ख म करना शु कर दया था। नॉथ के रोिलना के डरहम म आयोिजत जनसभा म िविभ रा य के छा शािमल ए थे। जनसभा को संबोिधत करते ए कं ग ने कहा था क उ ह जेल भरने के िलए हमेशा त पर रहना पड़ेगा। कं ग ने एक रपोटर को बताया,“ िवरोध दशन के आंदोलन के ज रए लोग को अपने दल क भावना को करने का अवसर िमला है और थानीय तर पर लोग इस लड़ाई से जुड़ने लगे ह।”

@BOOKHOUSE1 नाग रक अिधकार आंदोलन के कई नेता ने आंदोलनरत छा को नॉथ के रोिलना के राले म ि थत शॉ यूिनव सटी म एक सभा म भाग लेने के िलए आमंि त कया। नेता म कं ग क सहयोगी एला बेकर भी शािमल थ , जो एस-सी-एल-सी- के संचालन से जुड़ी थ । बैठक म जहाँ अ हंसक ितरोध के उपाय पर िवचार कया गया, वह बेकर और अ य नेता ने इस बात पर जोर दया क छा को अपना संगठन बनाना चािहए। कई कॉलेज और सुधार संगठन से जुड़े 200 छा ितिनिध बैठक म शािमल ए थे। इसी बैठक के बाद टू डट नॉन वाइलट कॉ डने टंग कमेटी (एस-एन-सी-सी) नामक संगठन क थापना क गई। मे रयन बेरी को एस-एस-सी-सी- का अ य बनाया गया। लेवीस और नास समेत

नासिवले के कई कायकता ने संगठन क गितिविधय क अहम िज मेदारी वीकार क । बेकर नए संगठन का दािय व सँभालने के िलए एस-सी-एल-सी- से मु हो ग । हालाँ क वह कं ग और एस-सी-एल-सी- क सलाहकार बनी रह । अटलांटा के रचस िडपाटमटल टोर म कं ग छा के साथ िवरोध काय म म शािमल ए। 13 छा के साथ कं ग को िगर तार कर जेल भेज दया गया। अदालत म कं ग ने कहा,“ टोर म जाकर हमने कोई गलत काम नह कया।” िवरोध दशन का कारण उ ह ने बताया क वे रं गभेद के िवरोध म अटलांटा के लोग म जाग कता पैदा करना चाहते थे। डम राइड सन् 1960 म अमे रक सु ीम कोट ने बटम बनाम वज िनया मामले म फै सला सुनाया क अंतररा यीय या के दौरान रं गभेद का चलन गैर-कानूनी था। इस फै सले के बाद बस ट मनल , ती ा गृह , रे टोरट , िव ामगृह और अंतररा यीय या से जुड़े अ य थान पर रं गभेद गैर-कानूनी घोिषत कर दया गया। इस फै सले के तुरंत बाद नासिवले के दो छा जॉन लेवीस और बनाड लफायेटे ने अदालती फै सले क असिलयत को आजमाना चाहा और दोन रा य से बाहर जा रही एक बस म सामने क सीट पर बैठ गए। जब दोन को सफर के दौरान अिधक िवरोध का सामना नह करना पड़ा तो एक रा ीय नाग रक अिधकार संगठन ने दोन छा से एक और साहसपूण या क अगुवाई करने के िलए कहा। ि तीय िव यु के बाद थािपत नाग रक अिधकार संगठन कां ेस ऑफ रे िसयल इ े िलटी (CORE) ने दोन छा से एक ‘ डम राइड’ म शािमल होने के िलए कहा। तािवत बस या देश के दि णी िह से म िनकाली जानी थी, ता क अदालती आदेश के भाव का अंदाजा लगाया जा सके । इस सफर म भाग लेनेवाले क जान भी जा सकती थी, इसिलए लफायेटे के माता-िपता ने उसे या म शािमल होने क इजाजत नह दी; मगर लेवीस ‘कोर’ (CORE) क तरफ से चुने गए 12 युवा कायकता के साथ या के िलए तैयार हो गया। म टगोमरी बस बिह कार आंदोलन के दौरान िजस तरह अ ेत ने अ हंसक ितरोध के िविभ तरीक को आजमाया था, ऐसे तमाम तरीक का गहन िश ण इन युवा कायकता को दान कया गया था।

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4 मई, 1961 को ‘ डम राइड’ क शु आत वॉ शंगटन डी-सी- से ई। ‘ े हाउं ड’ और ‘ ेलवेज’ नामक बस म कायकता ने सफर क शु आत क । वे 17 मई को लूिसयाना के यू ऑ लए स शहर म प च ँ ना चाहते थे। उसी दन साल भर पहले सु ीम कोट ने रं गभेद को गैर-कानूनी घोिषत करने का फै सला सुनाया था। इस रणनीित का उ े य प था-ऐसा माहौल तैयार करना, ता क संघीय सरकार को कानून क बहाली के िलए उसी तरह ह त ेप करना पड़े, िजस तरह िल टल रॉक के मामले म करना पड़ा था। ‘ डम राइड’ के कायकता ने तय कया था क वे बस म अलग-अलग बैठकर या करगे और जब बस

आरि त पड़ाव पर कगी तो अ ेत कायकता ेत के िलए आरि त सुिवधा का लाभ उठाएँगे और कु छ ेत कायकता अ ेत के िलए िनधा रत सुिवधा का इ तेमाल करगे। ये कायकता जानते थे क उ ह िवरोध का सामना करना पड़ेगा; मगर वे इस बात को लेकर पहले से ही तैयार थे। कोर (CORE) के िनदेशक जे स फामर ने बाद म बताया, जब हम लोग ने सफर क शु आत क , उसी समय हम जानते थे क हम अिधक-से-अिधक िहसा का सामना करने के िलए तैयार रहना पड़ेगा। हम अपनी मौत का सामना करने के िलए भी तैयार हो गए थे।” सफर के दौरान कायकता को धम कय और िछटपुट िहसक झड़प का सामना करना पड़ा; मगर अलबामा म असली खतरा उनका इं तजार कर रहा था। अटलांटा से म टगोमरी क तरफ रवाना होने से पहले कं ग ने ‘ डम राइड’ के कायकता को एक सभा म आमंि त कया। कं ग ने कायकता के साहस क सराहना करते ए कहा क वे लोग जान जोिखम म डालकर याय के िलए आवाज बुलंद कर रहे थे। एकांत म कं ग ने महसूस कया क कायकता पर कभी भी जानलेवा हमला हो सकता था। 14 मई, 1961 को मदस डे मनाया जा रहा था। कायकता दो समूह म बँटकर अलबामा इलाके म या कर रहे थे। अलबामा के एनी टन म करीब 200 ेत क भीड़ चाकू , लाठी, लोहे क छड़ आ द हिथयार के साथ उनक राह देख रही थी। जैसे ही बस वहाँ प च ँ ी, भीड़ ने प थर बरसाना शु कर दया और बस के टायर को काट डाला। नर-संहार क आशंका को देखते ए बस ाइवर ने बस को लेकर अमे रक राजमाग सं या 78 पर तेजी से भागने क कोिशश क । टायर बेकार होने पर भी बस कु छ दूर आगे ले जाने म ाइवर को सफलता िमली; मगर कु छ कार ने बस को घेरना शु कर दया।

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आिखरकार ाइवर ने बस खड़ी कर दी। हमलावर ने बस म आग लगा दी और कायकता को बस से बाहर िनकलने से रोकने लगे। उसी दौरान ‘ डम राइड’ म शािमल युवा पर भीड़ क तरफ से कई तरह क चीज फक ग । उसी समय अलबामा के सुर ाकम घटना थल पर प च ँ गए। उ ह ने भीड़ को िततरिबतर कर दया और घायल छा को नजदीक अ पताल म भरती करवाया। जलती ई बस क तसवीर बाद म पूरी दुिनया ने देखी और यह महसूस कया क रं गभेद िमटाने क कोिशश करनेवाल को कै सी नफरत और िहसा का सामना करना पड़ रहा था। ‘ डम राइड’ के दूसरे समूह क अि परी ा ब मघम म ई। ब मघम बस अ े पर बुरी तरह उनक िपटाई क गई। अलबामा के गवनर ने कहा,“ अगर कोई जानबूझकर मुसीबत मोल लेना चाहता है तो फर या कया जा सकता है। मूख क सुर ा सुिनि त नह क जा सकती और ये लोग मूख ही ह।” बाद म यह त य प प से सामने आया क कायकता क िपटाई करने के िलए कू लू स लेन के सद य को पुिलस, गवनर कायालय और अ य थानीय अिधका रय क तरफ से खुली छू ट दी गई थी।

िजस पैमाने पर हमले कए गए, उसे देखकर जहाँ कायकता त ध रह गए वह बस कं पिनय को भी हैरानी महसूस ई। बस कं पिनय को ाइवर क सुर ा क चंता सताने लगी। घायल कायकता िवमान म सवार होकर यू ओ लएंस प च ँ े। इस बीच िव ा थय क तरफ से आंदोलन को आगे बढ़ाने का िसलिसला शु हो गया। नासिवले म डायन नास क अगुवाई म युवा ने ब मघम से माटगोमरी तक क या शु क । बाद म डायन नास ने कहा,“ िहसा क वजह से ‘ डम राइड’ म शािमल कायकता को अपना सफर रोकना पड़ा था। तब मने महसूस कया क हमारे आंदोलन के भिव य के िलए यह अ छी बात नह थी। इस तरह का माहौल बनाया गया था क जब भी अ ेत कोई आंदोलन शु कर तो िहसा का इ तेमाल कर उनके इरादे को तोड़ डाला जाए।” 17 मई को ब मघम पुिलस ने नासिवले के युवा को िगर तार कर जेल म डाल दया। पुिलस का कहना था क ऐसा उसने अपनी सुर ा को यान म रखते ए कया था। अगली सुबह पुिलस ने युवा को जेल से िनकालकर रा य क सीमा के बाहर टेनीसी म सड़क कनारे छोड़ दया। ब मघम शासन ने सोचा था क इस तरह िनकाले जाने के बाद छा ब मघम लौटकर नह आएँग।े छा रे लवे क पटरी पर चलते रहे और एक अ ेत प रवार मप च ँ गए। अ ेत प रवार उनक मदद करने के िलए तैयार हो गया। प रवार ने एक ाइवर से बात क , जो छा को ब मघम प च ँ ाने के िलए तैयार हो गया। इस तरह छा वापस वहाँ प च ँ गए।

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चूह-े िब ली का यह खेल अब खतरनाक होता जा रहा था। वॉ शंगटन म रा पित जॉन एफ- के नेडी क अगुवाई म नए डेमो े टक शासन ने स ा सँभाल ली थी। वाभािवक प से के नेडी शासन नाग रक अिधकार मामले म ह त ेप करने से बचना चाहता था। डेमो े टक पाट का जनाधार देश के दि णी िह से म मजबूत था और दि ण के मतदाता क मदद से सन् 1960 के रा पित पद के चुनाव म उसे ब मत हािसल हो पाया था। के नेडी और उनके भाई रॉबट के नेडी ि गत प से दि ण के अ ेत के ित सहानुभूितशील थे। ले कन रं गभेद के मसले पर वे अपने मतदाता को नाराज करने क ि थित म नह थे।

राजनीितक घटना म का िव ेषण करने म िस ह त कं ग का मानना था क अगर अ ेत आबादी अ हंसक ितरोध जारी रखेगी और अपनी माँग के िलए अनवरत संघष करती रहेगी तो सरकार के िलए याय क उपे ा करना क ठन हो जाएगा। उनका सोचना िबलकु ल सही था। अलबामा के गवनर कायालय म आंदोलन पर िवचार करने के िलए अिधका रय क बैठक आयोिजत ई, िजसम अपने राजनीितक कै रयर को लेकर चंितत रं गभेद समथक गवनर जॉन पैटरसन ने कहा,“ डम राइड के िखलाफ उठाए गए मेरे कदम को लेकर मुझे देश भर से बधाई संदश े िमल रहे ह। आज क तारीख म म के नेडी से यादा लोकि य ।ँ ” इतना कु छ कहने के बावजूद गवनर को कहना पड़ा क वह अलबामा म सफर करनेवाले

अ ेत क सुर ा करे गा। 20 मई को ब मघम से म टगोमरी तक 90 मील क या शांितपूण रही थी, य क 15-20 मील क दूरी पर सुर ा बल क गािड़या तैनात थ और हेलीकॉ टर से िनगरानी क जा रही थी। प कार और गु चर ेहाउं ड बस के पीछे-पीछे कार म सवार होकर आगे बढ़ते जा रहे थे। ले कन बस जब माटगोमरी प च ँ ी तो सारा मंजर ही बदल गया। वहाँ कह भी पुिलसकम नजर नह आ रहे थे। बस ट मनल सुनसान नजर आ रहा था। ‘ डम राइड’ म शािमल कायकता को अहसास हो गया क उ ह फँ साया गया था। यही अनुभव ब मघम म कायकता को पहले भी हो चुका था। और फर पलक झपकते ही चार तरफ अ ेत हमलावर क भीड़ दखाई देने लगी थी। ब मघम क तरह म टगोमरी म भी उस दन पीट-पीटकर कई कायकता को बेहोश कर दया गया था। ेत ने कायकता को खदेड़-खदेड़कर बेरहमी के साथ पीटा था। एक ेत कायकता िजम वेग बुरी तरह घायल आ था। के नेडी शासन क तरफ से हालात को काबू म रखने के िलए भेजा गया ितिनिध जॉन सीजेनथालर भी हमले म ज मी हो गया था।

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म टगोमरी के हमले क खबर जब वॉ शंगटन प च ँ ी तो एटॉन जनरल रॉबट के नेडी दंग रह गए। उ ह ने फे डरल माशल को म टगोमरी रवाना कर दया। रिववार 21 मई को कं ग म टगोमरी वापस आए। हवाई अ े पर 50 फे डरल एजट ने कं ग से मुलाकात क और रॉ फ आबरनथी ि थत उनके घर तक प च ँ ने के िलए सुर ा का बंध कया। घर प च ँ कर कं ग ने अपने सहयोिगय के साथ िवचार-िवमश कया और उसी शाम आबरनथी चच म जनसभा आयोिजत करने का फै सला कया। अपने भाषण म कं ग ने कोर (CORE) संगठन को ‘ डम राइड’ आयोिजत करने के िलए ध यवाद दया। उ ह ने कायकता के साहस क सराहना क , िज ह ने िनभ कतापूवक ु भीड़ क िहसा का सामना कया था। कं ग ने ेत हमलावर क नृशंसता और ू रता क तुलना जमनी म िहटलर के शासनकाल के आतंक के साथ क । कं ग ने िहसा के िलए गवनर कायालय को पूरी तरह िज मेदार ठहराया। कं ग ने गवनर पैटरसन क भूिमका क िनदा करते ए कहा क अगर मामले म संघीय सरकार ह त ेप नह करे गी तो पूरी तरह अराजकता क ि थित पैदा हो जाएगी। उ ह ने कहा क जब दि ण के अ ेत नाग रक पर कहर बरपाया जाएगा तो वे मूकदशक बनकर बैठे नह रहगे।

कं ग ने कहा, म आप लोग से अनुरोध करता ँ क आप अिहसा के पथ पर पहले क तरह चलते रह। ‘ डम राइड’ म शािमल कायकता ने हमारे सामने साहस का अ भुत उदाहरण तुत कया है और उ ह ने दखा दया है क अ हंसक ितरोध क शि के ज रए िहसा का कस तरह सामना कया जा सकता है। रं गभेद क बेिड़य से अपने आपको मु करने के िलए हमारे पास यही बेहतर तरीका है। जैसे-जैसे हम अलबामा, िमसीिसपी

और दि ण के दूर-दराज के इलाक म अपने आंदोलन को तेज करते जाएँगे, हम और भी अिधक क ठनाइय का सामना करना पड़ेगा। हमारे िवरोध म िहसा क लहर तेज होती जाएगी। म मानता ँ क इस समय हम लोग तकलीफ के दौर से गुजर रहे ह ले कन इस समय हम जो तकलीफ झेलगे, उसका सही प रणाम एक दन ज र सामने आएगा। स े उ े य के िलए तकलीफ उठाना मानवता क सेवा है। हम खुद को और अमे रक समाज को बदलने के िलए अि -परी ा से होकर गुजरना होगा। आनेवाले समय म हम िहसा को देखकर िबलकु ल नह घबराना है। हम ेम और भाईचारे के िस ांत का साथ कभी नह छोड़गे।” जब कं ग चच म भाषण दे रहे थे तब फे डरल माशल का ज था चच के बाहर सैकड़ ु ेत को िनयंि त करने क कोिशश कर रहा था। इस अवसर पर भीड़ को िनयंि त करने के िलए आँसू गैस के गोले का योग करना पड़ा। 24 मई को के नेडी ने फे डरल माशल को िनदश दया क िमसीिसपी तक ‘ डम राइड’ के कायकता क सुर ा सुिनि त क जानी चािहए। के नेडी ने िमसीिसपी के सांसद जे स इ टलड से समझौता कया क अगर इ टलड अपने भाव का इ तेमाल कर ‘ डम राइड’ के कायकता के िखलाफ िहसा रोकगे तो रं गभेद-िवरोधी कानून के प म संघीय सेना का इ तेमाल नह कया जाएगा। िमसीिसपी के जै सन बस अ े पर इस बार ु भीड़ दखाई नह दे रही थी।“ रे ड रक िलओनाड ने बाद म कहा,“ अब हम लोग आगे बढ़े तो पुिलस ने हमसे बेिहचक बढ़ने के िलए कहा। हम कह रोका नह गया। ले कन फर हम िगर तार कर जेल म ठूँ स दया गया।”

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“ रीडम राइड आंदोलन ने के नेडी शासन को नाग रक अिधकार मसले पर पहल करने के िलए मजबूर कर दया। के नेडी शासन ने अंतररा यीय वािण य कमीशन को आदेश दया क वह अपने अिधकार- े के तमाम थल पर रं गभेद को ितबंिधत कर द। कं ग मानते थे क रं गभेद क बेिड़य से मुि के िलए ‘ डम राइड’ युवा अ ेत का एक इ तहान था। युवा क इ छा-शि ही आंदोलन के िलए धन का काम करने वाली थी।

पा रवा रक जीवन नाग रक अिधकार के िलए

कए जा रहे कं ग के संघष म उनक प ी सदैव उनके कं धे से कं धा िमलाकर काम करती रह । कं ग ने िववाह के तुरंत बाद ही अपना संघष शु कर दया था। वष 1968 से पहले के वष म फोरे टा कं ग को भय के साये म जीने क आदत डालनी पड़ी थी। 4 अ ैल, 1968 को उनके पित के साथ जो सदीपूण हादसा आ, उस तरह के हमले क आशंका उनके मन म पहले से ही बनी ई थी। उ ह ने अपने पित को िमलने वाली धम कय को करीब से महसूस कया था और सदैव अपने पित के िसर पर मृ यु के साये को मँडराते ए देखा था। हालाँ क वह जानती थ क कसी भी पल उनका सुहाग उजड़ सकता है और ब के पालन-पोषण क िज मेदारी उ ह अके ले िनभानी पड़ सकती है। इसके बावजूद उ ह ने कभी अपने पित को उनके चुने गए माग से हटाने का यास नह कया। वह जानती थ क उनके पित ने मरते दम तक अपने समुदाय के लोग को याय और समानता दलाने के िलए संघष करने का संक प िलया था।

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फोरे टा कं ग को याद था क बचपन म कस तरह 5 मील पैदल चलकर पढ़ने के िलए एक कमरे वाले कू ल म प च ँ ती थ , िजसका िनमाण अ ेत ब के िलए कया गया था। जब वह रोजाना पैदल चलती ई 5 कलोमीटर क दूरी तय कर अ ेत के िलए एक कमरे के कू ल म प च ँ त तो रा ते म कू ल बस मे सजे-सँवरे ेत ब को बेहतरीन कू ल म पढ़ने के िलए जाते ए हसरत भरी िनगाह से देखत ।“ जहाँ तक मुझे याद है, मने उसी समय संक प िलया था क हालात को सुधारने के िलए मुझे कु छ-न-कु छ करना होगा।” फोरे टा कं ग ने बाद म कहा।

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वह जानती थ क हालात म बदलाव लाने के िलए उसे अ छी िश ा ा करने क ज रत होगी। वह मेहनत और लगन के साथ अपने ल य को पाने म जुट गई थ । उ ह ने अलबामा के मे रयन म ि थत िलकन हाई कू ल से ातक क पढ़ाई पूरी क । ज द ही उ ह ओिहयो के येलो ंग म ि थत एंटीयोक कॉलेज म उ िश ा ा करने के िलए छा वृि िमल गई। कॉलेज म पाँच अ ेत िव ा थय म वह भी एक थ । वहाँ से पढ़ाई पूरी करने के बाद फोरे टा कं ग ने एक छा वृि क सहायता से बो टन म ि थत यू इं लड

कं जरवेटरी ऑफ यूिजक म दािखला ले िलया। संगीत क िश ा हण करते समय ही फोरे टा क मुलाकात अपने भावी जीवन साथी कं ग से ई। कं ग से िमलने के बाद फोरे टा उनके ि व से इस कदर भािवत क उ ह ने संगीत के े म कै रयर बनाने का अपना इरादा छोड़ दया। सन् 1953 म दोन का िववाह हो गया। कं ग दंपती क चार संतान पैदा । ब ने भी खतरे के साये म जीने क आदत डाल ली। फोरे टा कं ग ने कहा, हमारे जीवन के संकट के समय म हमारे ब े पैदा ए और पले-बढ़े।” जब उनक बेटी चोलांडा छोटी सी थी, उसी समय म टगोमरी म ि थत कं ग के घर म बम फका गया था। उनके पु मा टन लूथर कं ग तृतीय क उ जब एक साल क थी, तभी एक मनोरोगी अ ेत मिहला ने कं ग पर चाकू से जानलेवा हमला कया था। जब उनका पु डे टर गभ म था, उसी समय पुिलस कं ग को जंजीर म जकड़कर अटलांटा जेल म घसीटती ई ले गई थी। जब ब े बड़े ए तो वे अपनी माँ फोरे टा कं ग से पूछने लगे क य उनके िपता दूसरे ब के िपता क तरह घर म नह रहते? कं ग िविभ सभा और िवरोध काय म म भाग लेने के िलए जाते रहते थे। फोरे टा कं ग ने ब को िपता के महान् उ े य के बारे म बताया। उ ह ने ब को बताया क उनके िपता भी उनसे बेहद यार करते थे। ले कन लोग क भलाई के काय म त रहने के कारण ब को समय नह दे पा रहे थे। ब े समझ गए क कस तरह उनके िपता अ ेत समुदाय को याय दलाने क जंग लड़ रहे थे।

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ब े पूछते थे,“ डैडी को जेल य जाना पड़ता है?” फोरे टा कं ग को इस सवाल का जवाब देने म क ठनाई होती थी। वह ब को संतु करने के िलए कहती थ ,“ लोग क मदद करने के िलए तु हारे डैडी को जेल जाना पड़ता है। ब त सारे लोग ऐसे ह िजनके पास रहने के िलए बेहतर घर नह ह, खाने के िलए अनाज नह ह, पहनने के िलए कपड़े नह ह। तु हारे डैडी कोिशश कर रहे ह क सभी लोग रोटी-कपड़ा-मकान िमले।” फोरे टा कं ग ने उन दन को याद करते ए कहा,“ ब े अपने िपता से बेहद लगाव रखते थे। वे ब से ब त लगाव रखते थे और अिधकतर समय घर से बाहर रहने के कारण उ ह ब क चंता रहती थी। जब भी वे घर लौटते थे, ब े खुशी से झूम उठते थे और उनसे िलपट जाते थे।” जब रा पित के नेडी क ह या क गई तो कं ग के ब को भी अहसास होने लगा क कसी दन उनके िपता क भी ह या हो सकती थी। के नेडी क ह या के बाद योलांडा ने कहा,“ रा पित के नेडी मारे जा चुके ह। उ ह ने कसी का कु छ नह िबगाड़ा था, फर भी उन लोग ने उनक ह या कर दी। म मी, लगता नह क हम आसानी से आजादी िमल पाएगी।” फोरे टा कं ग ने अपनी युवा पु ी को समझाने क कोिशश करते ए कहा,“ ई र हमारे साथ है। वही हम लोग क र ा भी करे गा।” फोरे टा कं ग सन् 1964 म अपने पित के साथ गई थ , जब वह नोबेल शांित पुर कार हण करने के िलए गए थे। या के दौरान उ ह योलांडा क कही बात याद आ रही थ । उनके पित को जान से मारने क कई धम कयाँ िमल चुक थ । नॉव म कसी तरह का रं गभेद न

देखकर फोरे टा कं ग ने कहा,“ काश, हम लोग यहाँ हमेशा के िलए रह पाते। िपछले दस साल से हम लोग दन-रात मौत के साये म जीते रहे ह।” मगर उनके पित अपने लोग और उनक सम या से दूर नॉव जैसे देश म हमेशा के िलए नह रह सकते थे, न ही पित के ित सम पत फोरे टा कं ग उ ह अपने उ े य से िवचिलत होने के िलए कह सकती थ । इस तरह वे अपने देश लौट आए। नाग रक अिधकार के िलए कए जा रहे संघष के दौरान कं ग दंपती को िविभ तरह क मुसीबत का सामना करना पड़ा। इस दौरान कई लोग को जान भी गँवानी पड़ी। सन् 1963 म ब मघम के एक चच म चार ब ने बम से हमला कया गया। नाग रक अिधकार आंदोलन के एक नेता मेडगर इबनस क ह या उसी साल गोली मारकर कर दी गई। लोग सोचते थे क इन हमल से कं ग हौसला खो सकते थे, मगर कं ग अपने पथ पर अिडग बने रहे। उ ह ने कहा,“ अ हंसक आंदोलन म कु बानी देनी पड़ती है। आप िवरोधी के साथ िहसा नह करते, मगर आपको िहसा का सामना करने के िलए तैयार रहना पड़ेगा।”

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अनवरत संघष सन् 1959 म

कं ग अपने प रवार के साथ अटलांटा लौट आए और एबेनेजर बैप ट ट चच म अपने िपता के साथ पे टर का दािय व िनभाने लगे। ले कन म टगोमरी क कामयाबी उ ह आनेवाले समय म चैन से नह बैठने देने वाली थी और उ ह मरते दम तक नाग रक अिधकार के िलए जंग लड़नी थी। म टगोमरी क बस म रं गभेद का िनयम ख म होना अ हंसक ितरोध क नैितक िवजय थी; ले कन इसके साथ ही जोिखम क ि थित भी पैदा हो गई थी। उ िवचार वाले ेत नाग रक अ ेत क िवजय देखकर ु ध और िहसक हो उठे थे। वे कसी भी क मत पर अ ेत के बढ़ते कदम को रोकना चाहते थे। दूसरी तरफ अ ेत के बीच हताशा बढ़ती जा रही थी, य क वे ती ता के साथ याय संगत अिधकार हािसल करने के िलए बेताब थे। इस तरह एक वग के मन म गु सा और नफरत का भाव बढ़ गया था तो दूसरा वग िहसा का सहारा लेकर अपना हक हािसल करने क बात करने लगा था। उ अ ेत का एक समूह मानता था क ेत कभी अिहसा क भाषा समझ नह सकते और िसफ िहसा का सहारा लेकर ही समानता का अिधकार हािसल कया जा सकता है।

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इसी दौरान म टगोमरी म ेत हमलावर ने िहसा क कई वारदात को अंजाम दया था और बिह कार आंदोलन को रोकना पड़ा था। इसके बाद िव ा थय का िवरोध दशन तेज होने लगा था। कं ग एक तरफ अ ेत क बेस ी को महसूस कर रहे थे तो दूसरी तरफ ेत क आ ामकता बढ़ती ही जा रही थी।

बस बिह कार आंदोलन के बाद शृंखलाब बम धमाक क वारदात ने माटगोमरी को िहलाकर रख दया था। एक ही रात म ये बम धमाके ए थे। रात 1-55 बजे पहला धमाका अ ेत क ब ती म कया गया। 4 िमनट बाद शहर के अ य िह से म दूसरा धमाका आ। इसके तुरंत बाद 2 और धमाके ए। सुबह होते-होते 6 धमाके हो चुके थे, िजसम अ ेत के 4 चच को नुकसान प च ँ ा था। इसके अलावा रं गभेद-िवरोधी पादरी और कं ग के सहयोगी रॉ फ अबेरनाथी और रॉबट े ज के आवास को भी नुकसान प च ँ ा था। इस तरह के धमाक के चलते अ ेत समुदाय त ध रह गया था। इस तरह क बेरहमी के िखलाफ जनमानस म ती ित या ई थी। रं गभेद के िखलाफ रणनीित तैयार करने के िलए दि ण के नौ रा य के 60 अ ेत नेता अटलांटा म आयोिजत दो दवसीय स मेलन म भाग ले रहे थे, िजसक अगुवाई कं ग कर रहे थे। उसी स मेलन के तुरंत बाद म टगोमरी म बम धमाके कए गए थे। स मेलन म ‘साउथन ि यन लीडरिशप कॉ स’ नामक नए संगठन क थापना क गई। संगठन ने अमे रका के एटॉन जनरल से िमलने का समय माँगा था, ता क म टगोमरी म फै ली िहसा

पर रोकथाम के िलए याय िवभाग के संभािवत उपाय पर िवचार कया जा सकता था। संगठन के अनुरोध को वीकार नह कया गया था। जनवरी 1960 म जब एस-सी-एलसी- संगठन के प म पहचान बना रहा था, कं ग अटलांटा आ गए। मगर म टगोमरी के बदलते हालात के साथ कं ग क चुनौितयाँ भी बढ़ती चली ग । फरवरी 1960 म एक दन अनहोनी हो गई। नॉथ के रोिलना क व नगरी सबोरो म अ ेत िव ा थय के िलए थािपत ए ीक चरल एंड टे कल कॉलेज के थम वष के छा साउथ ए म ीट पर ि थत एफड यू- वूलवथ टोर के लंच काउं टर पर बैठ गए, जो काउं टर िसफ ेत के िलए आरि त था। ाहक और दूसर के िलए यह अचरज भरा मंजर था। कु छ ेत ाहक ने उ ह नजरअंदाज कया तो कु छ ने सद नजर से उनक तरफ देखा। अ ेत छा कताब पढ़ रहे थे। ेत वे ेस अ ेत छा क फरमाइश को अनसुनी कर रही थ । टोर बंद होने के समय तक छा वह बैठे रहे। यह धैय का क ठन इ तहान था। अगली सुबह छा 25 सािथय को लेकर लंच काउं टर पर आ गए। उनके योग से अ य अ ेत युवा भी े रत ए। एक महीने के भीतर पाँच दि णी रा य के 14 शहर म छा ने इस तरह का ‘िसट-इन’ आंदोलन शु कर दया। लंच काउं टर म िनयम चिलत था क के वल खड़े रहनेवाले अ ेत को ही खाने क चीज परोसी जा सकती थ बैठे रहनेवाले अ ेत को नह । छा इस िनयम को चुनौती दे रहे थे। वे समानता का अिधकार हािसल करने के िलए ‘िसट-इन’ आंदोलन को तेज करते जा रहे थे। आिखरकार इस िनयम को बदलने के िलए टोर मािलक को मजबूर होना पड़ा।

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रं गभेद का समथन करनेवाला संगठन लू स लेन और अ य िहसक समूह युवा के ऐसे अिभयान से आगबबूला हो उठे । इन संगठन ने बल- योग और धमक का इ तेमाल शु कर दया। बम धमाके क धम कयाँ िमलने के बाद साउथ के रोिलना के डरहम, सबोरो और रॉक िहल म ि थत टोर बंद कर दए गए। जैसा क वाभािवक था, नाग रक अिधकार संगठन ने ह त ेप कया और दि ण के दूसरे इलाक म ‘िसट-इन’ काय म को ो सािहत करना शु कर दया। सबोरो म िसट डाउन आंदोलन शु होने के पाँच दन के बाद कां ेस ऑफ रे िसयन इ े िलटी का एक ितिनिध सबारे ो प च ँ ा। उसने ऐलान कया क उसका संगठन आंदोलन क अगुवाई करने के िलए तयै शर था। तिनिध ने छा से कहा क वे अिधक-से-अिधक टारे शमिसट इन अिभयान चलाएँ। छा नेता ने कहा क उनका आंदोलन थानीय क म का था और उनका नाता कसी रा ीय तर के संगठन के साथ नह था। यह बात पूरी तरह सच थी। िसट इन आंदोलन भले ही बड़े पैमाने पर फै लता गया था, मगर इसके पीछे कसी संगठन का योगदान नह था। यह एक िवचार पर आधा रत आंदोलन था, जो वतः फू त प से शु हो गया था। ले कन अिहसा के िस ांत को माननेवाले कं ग छा के िवचार और अनुभूितय से सीधे तौर पर जुड़े ए थे। वे छा के िलए ेरणा का काम कर रहे थे। कं ग क तरह छा अपने तर पर समाधान का अ वेषण कर रहे थे। इस अिभयान के दौरान छा को पीटा गया, थ पड़ बरसाए गए, थूक फके गए, िसगरे ट से चमड़ी जलाई

गई, गािलयाँ सुनाई ग , फर भी वे चुपचाप सड़क पर शांितपूण जुलूस िनकालते रहे। ेत का समूह उ ह ‘क युिन ट’ या ‘देश ोही’ कहकर पुकारता था और उन पर प थर बरसाता था। सारे जु म को सहन करते ए अ ेत छा अ याय को ख म करने के संक प पर अिडग बने ए थे। िहसा व दु वहार बढ़ते जाने के साथ ही छा का फौलादी इरादा और भी मजबूत होता गया था। छा ने अ याय के सामने साहस क शि का अ भुत उदाहरण तुत कया था। यह युवा क नई जमात थी, िजनक आ मा म वतं ता िहलोर मार रही थी और आँख ान क रोशनी से चमक रही थ । इसी दौरान अटलांटा के सबसे बड़े िडपाटमटल टोर री स म कं ग छा के साथ िसट इन काय म म शािमल ए। री स म अ ेत को लंच काउं टर पर भोजन नह परोसा जाता था। अ य दशनका रय के साथ कं ग को भी िगर तार कर िलया गया। री सिवले कारागार म कं ग को चार महीने के कारावास क सजा झेलने के िलए भेज दया गया। िजस शहर म न लगत सिह णुता का माहौल बना आ था, उस शहर म इस तरह का दंड अ याय का उदाहरण बन गया था। डे काप काउं टी अदालत के जज ऑ कर िमशेल का कहना था क कं ग क अटलांटा म िगर तारी होने से प था क उ ह ने पहले से लगाए गए ितबंध का उ लंघन कया था, य क कं ग अलबामा के लाइसस के आधार पर जॉ जया म वाहन चलाते रहे थे। कं ग पर 25 डॉलर का जुमाना भी लगाया गया। कं ग के वक ल ने दलील दी क एक साल का ितबंध और चार महीने क कै द क सजा कानूनन अनुिचत फै सला था। सन् 1960 म कं ग जब जॉ जया जेल म थे तब उनक प ी फोरे टा कं ग चौथी बार गभवती थ । फोरे टा कं ग को सीनेटर जॉन एफ- के नेडी ने फोन कया, जो डेमो े ट उ मीदवार के प म रा पित पद के िलए चुनाव लड़ रहे थे।

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फोरे टा कं ग ने प कार को बताया क के नेडी ने फोन पर उ ह बताया क वे कं ग दंपती के िलए चंितत थे। वे कह रहे थे क“ उ ह हमारा खयाल है और वे हमारी मदद करने क हर संभव कोिशश करगे।” अगले ही दन कं ग को रहा कर दया गया और के नेडी को हजार अ ेत का वोट िमला, िजसक वजह से उ ह अमे रका का 35वाँ रा पित बनने म मदद िमली। जहाँ दूसरे नाग रक अिधकार के नेता मतदाता पंजीयन और िश ा संबंधी दीघकालीन योजना पर काय कर रहे थे, कं ग अपने संगठन के साथ अ प अविध के ल य का िनधारण कर रहे थे- कसी भी रे टोरट म अ ेत के िलए भोजन का अिधकार, पुिलस िवभाग और अि -शमन िवभाग म अ ेत क बहाली, कसी भी िडपाटमटल टोर म अ ेत मिहला ारा कपड़ क खरीदारी का अिधकार आ द। कामयाबी के साथ-साथ नई-नई सम याएँ भी पैदा हो रही थ । अ ेत समुदाय इस बात पर सहमत था क रं गभेद िमटाने के िलए अ हंसक ितरोध ज री था। ले कन लड़ाई के तरीक को लेकर अ ेत का एक वग कं ग के िवचार से सहमत नह था। उस वग का मानना था क हक हािसल करने के िलए िहसा का सहारा लेना ज री हो गया था। कं ग सावधानी और धैय के साथ भिव य क रणनीित तैयार कर रहे थे। वे जानते थे क

अ हंसक ितरोध का जवाब िहसा से दया जाएगा और इस बात को लेकर वे चंितत भी थे। अलबामा के एक समुदाय के नेता ने उ ह प िलखकर पूछा क या उ ह िसट इन काय म म भाग लेना चािहए। कं ग ने उ ह मना कर दया। उ ह ने ऐसा करते ए जो तक दया, उससे उनके नेतृ व क मता और जवाबदेही का अंदाजा लगाया जा सकता है। उस थान पर अ ेत क तादाद ेत से यादा थी। कं ग यह भी जानते थे क उस थान पर अ ेत को अ हंसक ितरोध के बारे म अिधक जानकारी नह थी और कसी भी तरह क उ ेजना के चलते जातीय दंगा फै लने क आशंका थी। िसट इन काय म क जगह कं ग ने वहाँ अ ेत के िलए अिहसा अ ययन समूह बनाने का सुझाव दया। इस काय म मदद करने के िलए उ ह ने एस-सी-एल-सी- के एक कायकता को भेज दया। अ हंसक ितरोध के अनुभव से अ ेत छा का मनोबल मजबूत होता गया; मगर इसके चलते हताशा और बेस ी का भाव भी पैदा होने लगा। सन् 1960 म कं ग के साथ िजन छा को िगर तार कया गया, उनम से यादातर नवग ठत संगठन टू डट नॉन-वायलट कॉ डने टंग कमेटी के सद य थे। सन 1962 तक इस संगठन म कसी भी सद य क हैिसयत इस बात से आँक जाती थी क उसे कतनी बार िगर तार कया गया था। छा का एक वग कं ग के ित असंतु होता जा रहा था। इस वग का कहना था क कं ग के वल भाषण देने म यादा दलच पी ले रहे थे और ठोस कारवाई करने से बच रहे थे। मई 1961 म कं ग जब िमसीिसपी म एक ‘ डम राइड’ को सफल नह बना पाए तो युवा का एक वग उनक आलोचना करने लगा।

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उस दौरान ऐसा लगने लगा था मानो अिहसा के िस ांत पर चलनेवाले नेता के पैर के नीचे क जमीन िखसकती जा रही थी। कं ग परे शान थे, मगर वे हताश नह ए थे। उ ह पूरा िव ास था क अंितम िवजय अिहसा क ही होने वाली थी। वे मानते थे क अ याय के िखलाफ संघष म ई र सदैव उनके साथ था। वे लगातार यही मानते थे क वे ई र क मरजी के अनुसार एक िनि त ल य को हािसल करने के िलए संघष कर रहे थे। उ ह िव ास था क ई र कभी भी उनका साथ नह छोड़ने वाला था।

सन् 1961 म एस-सी-एल-सी- नाग रक अिधकार आंदोलन का अहम संगठन बन चुका था। हालाँ क अभी तक उसे कसी संघष को ठोस पहचान या मुकाम तक प च ँ ाने म सफलता नह िमल पाई थी। कं ग और उनके सहयोिगय का मानना था क जॉ जया के अलबानी म संगठन क मता को सािबत करने का मौका िमला थ। दसंबर 1961 म एक ‘ डम राइड’ के ज रए अलबानी का आंदोलन शु कर दया। अलबानी म दशन के ज रए“ रीडम आंदोलन का नया चरण शु आ। कं ग चाहते थे क रं गभेद को समा करने के िलए अलबानी के अ ेत नाग रक अपने सम त संसाधन का इ तेमाल कर। कं ग अ ेत के िलए सभी े म समान अिधकार क माँग कर रहे थे। वे चाहते थे क सावजिनक थल पर हर तरह का भेदभाव समा हो और अ ेत समुदाय को मयादा के साथ-साथ जीने का अिधकार िमले।

कं ग चाहते थे क हजार अ ेत नाग रक एकजुट होकर भेदभाव पर आधा रत व था के िखलाफ आंदोलन शु कर द। अलबानी के अ ेत को जाग क और एकजुट बनाने के िलए जनसभा और अिहसा िश ण कायशाला का आयोजन कया गया। उसके बाद िसटी हॉल इलाके म कई रै िलयाँ िनकाली ग । पु तकालय म िसट-इन काय म आयोिजत कए गए और शहर के िविभ इलाक म जनसभा का आयोजन कया गया। अलबानी म जारी आंदोलन के दौरान कं ग और उनके कई सािथय को िगर तार कर जेल भेज दया गया। सन् 1961 म ‘ डम राइड’ क नाकामी के चलते कं ग से युवा का एक तबका नाराज था। जब वे अलबानी म िगर तार ए तो वह वग उनसे और भी खफा हो गया, य क िगर तारी के व कं ग ने कहा था क वे अिनि त काल के िलए जेल म बंद रहने के िलए तैयार थे ले कन दो दन बाद ही शपथ-प पर ह ता र कर वे जेल से रहा हो गए थे। ु ध युवा ने उनक आलोचना करते ए कहा क उनक कथनी और करनी म अंतर था। अलबानी का आंदोलन तेज होता जा रहा था। अपने धा मक िस ांत को यान म रखते ए अलबानी म रं गभेद-िवरोधी एक ाथना सभा म भाग लेने के िलए कं ग ने पूरे अमे रका से िविभ धम के 75 गु को आमंि त कया था। एक दन अलबानी के पाइन ीट म कार का एक का फला आकर का। मैनह न के ेस मेथोिड ट चच के पादरी रे वरड रॉ फ लॉड राय कार से उतरे । उनके साथ उनके अनुयाियय का दल था। वे िसटी हॉल के सामने कतार म खड़े हो गए। अलबानी के पुिलस मुख लॉरी ीटचेट ने तुरंत वहाँ प च ँ कर पूछा,“ रे वरड, म आपका मकसद जानना चाहता ।ँ ” पादरी ने जवाब दया, हम लोग ई र से ाथना करना चाहते ह।”

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पुिलस मुख ने कहा,“ आप लोग कानून का उ लंघन करनेवाल क सहायता करने के िलए आए ह। अपने घर लौट जाएँ। अपने शहर को पाप और िहसा से मु कर। फौरन इस जगह को खाली कर द।” उसी समय येल यूिनव सटी के िहलेज फाउं डेशन के कायकता रे वी रचड इजरायल ने ‘ओ ड टे टामट’ का पाठ शु कर दया। पुिलस मुख ने फर उन लोग से वापस लौट जाने के िलए कहा। मगर पादरी वहाँ से हटने वाले नह थे। अचानक पुिलस मुख ने अपने मातहत को आदेश दया,“ इन लोग को जेल म डाल दो।” ेत क भीड़ ने यह दृ य देखकर जोशीले नारे लगाए। दशनका रय को शांितपूण तरीके से िगर तार कर जेल ले जाया गया। टी-वी- के कै मरे से वह दृ य देश भर के लोग ने देखा। दूसरे शहर क तरह अलबानी क पुिलस ने नाग रक अिधकार कायकता के साथ िहसक बरताव नह कया था। जो कायकता आगे बढ़ने से इनकार कर रहे थे, उ ह ेचर पर िबठाकर ले जाया गया। पुिलस मुख ने जानबूझकर अ हंसक तरीके को आजमाने क रणनीित बनाई थी। 75 कायकता

को गैर-कानूनी हरकत और अशांित पैदा करने के आरोप म अलबानी

इलाके क चार जेल म बंद कर रखा गया। ह ते भर बाद 19 कायकता दया गया। आंदोलन क र तार धीमी हो रही थी।

को रहा कर

ले कन अलबानी के अनुभव से कं ग ने एक सबक सीखा। उ ह ने कहा, हमने आ थक शि के ढाँचे पर हमला करने क जगह राजनीितक शि के ढाँचे पर हमला कया था।” अलबानी म आंिशक असफलता क एक वजह से वे मानते थे क वह शहर कोई औ ोिगक क नह था। औ ोिगक क म उ पाद का बिह कार कया जा सकता था और इस तरह ेता क शि संरचना को नुकसान प च ँ ाया जा सकता था। वैसी ि थित म ेत क तरफ से लचीलेपन का ख अपनाया जा सकता था। यह भी कहा जाता है क अलबानी के आंदोलन क कं ग ने पूरी तैयारी नह क थी। इस थान का चयन उ ह ने अपनी मरजी से नह कया था और उनके कु छ मातहत पर उनका पूण िनयं ण नह था। जे स रसेल लावेल के एक गीत क पंि है-‘नए अवसर नए दािय व क िश ा देते ह।’ िसट-इन आंदोलन ने ऐसा ही अवसर मुहय ै ा करवाया था और कं ग आंदोलन के मुखर व ा के प म आगे आए थे। अपने सहयोिगय क मदद से उ ह ने ठोस पहल क थी। नासिवले, टेिनसी, टालहासे,“ रलो रडा और म टगोमरी म ि थत एस-सी-एल-सी- क शाखा ने नाग रक अिधकार आंदोलन को आगे बढ़ाने म मह वपूण भूिमका िनभाई थी। देश का दि णी िह सा उबलने लगा था।

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इस दौरान कं ग अ हंसक ितरोध आंदोलन के िलए युवा का समथन जुटाने क कोिशश करते रहे थे। वे जानते थे क अगर आंदोलनकारी संग ठत नह रहगे तो उनक ऊजा बेकार ही न हो जाएगी। उ ह ने अपनी सहयोगी एला बेकर के साथ िसट-इन आंदोलन के युवा नेता का एक स मेलन आयोिजत करने का फै सला कया। नॉथ के रोिलना के राले म ि थत शॉ िव िव ालय म यह स मेलन आयोिजत आ। 15 अ ैल से 17 अ ैल, 1960 तक आयोिजत इस स मेलन म बीज भाषण देते ए कं ग ने तीन िबदु क चचा क -(1) आंदोलन क िनरं तरता बनाए रखना, (2) खरीदारी को लेकर रा ापी अिभयान और (3) ऐसे वयंसेवक तैयार करना, जो जमानत पर छू टने क जगह वे छा से जेल जाने के िलए तैयार रह। उ ह ने कहा क छा नेता को अिहसा के िस ांत को जीवन म उतारना चािहए। उ ह ने कहा क इस िस ांत को जीवन म अपनाए िबना अ हंसक ितरोध का इ तेमाल हिथयार के प म कर पाना मुम कन नह होगा। स मेलन म कं ग और उनके सहयोगी जे स एम- लॉसन के बीच वैचा रक मतभेद भी आया। लॉसन कं ग क तुलना म अिहसा को अिधक कारगर राजनीितक हिथयार बनाने पर जोर दे रहे थे। कं ग नैितक पहलु पर अिधक जोर दे रहे थे और रं गभेद के समथक के दय प रवतन क बात कर रहे थे। वह लॉसन राजनीितक तं को चुनौती देने क बात कर रहे थे और छा नेता उनक बात से सहमत नजर आ रहे थे। इसी स मेलन म टू डट नॉन-वायलट कॉ डनेशन कमेटी का गठन कया गया। कमेटी के िस ांत पर लॉसन का गहरा भाव नजर आ रहा था। उ र का नाग रक अिधकार

संगठन ‘कोर’ ( म्) भी कं ग क िवचारधारा के ित असहमित जता रहा था। मुसीबत जब आती है, चार तरफ से आती है। कं ग के िखलाफ कई मनगढ़ंत आरोप लगाए गए। उ ह सन् 1956 और 1958 के आय कर रटन म गलत त य देने के आरोप म िगर तार कर िलया गया। हालाँ क 2,000 डॉलर का बॉ ड का भरने के बाद उ ह रहा कर दया गया। ले कन कं ग अपनी ईमानदारी पर सवाल कए जाने क वजह से अ यंत आहत ए। इस तरह अलबामा क सरकार कं ग से बदला चुका रही थी, य क वे नाग रक अिधकार आंदोलन के रा ते से हटने के िलए तैयार नह थे। कं ग संवेदनशील इनसान थे। झूठे आरोप क वजह से उ ह तकलीफ प च ँ ी थी। उनका जीवन स य एवं अिहसा के िस ांत पर आधा रत था और सरकार ने उनक ईमानदारी पर हार कर दया था। कं ग के वक ल ने अदालत को बताया क कं ग क आय म सरकार क तरफ से गलत त य को जोड़ दया गया था। आंदोलन के दौरान प रवहन, होटल एवं अ य मद म खच क गई रािश को सरकार ने उनक िनजी आय क ेणी म जोड़ दया था। अदालत म कं ग के वक ल ने जब मु य सरकारी गवाह से सवाल पूछे तो उसने बताया क कं ग के आयकर रटन म उसे कोई अिनयिमतता दखाई नह दी थी। 12 सद यीय जूरी ने कं ग को ‘बेगुनाह’ घोिषत कर दया। नाग रक अिधकार संघष का नया आयाम सन् 1961-62 म ‘ डम राइड’ के प म सामने आया। कमेटी ऑन रे िसयल इ े िलटी ( म्) क तरफ से इस तरह क या का आयोजन कया गया था। इस अिभयान का मकसद था यह सािबत कर दखाना क रं गभेद-िनवारण संबंधी अंतररा यीय प रवहन कमेटी और यायालय के िनदश का कस तरह धड़ ले से उ लंघन कया जा रहा था और अंतररा यीय प रवहन के मामले म रं गभेद क नीित कस तरह पहले क तरह लागू थी। 4 मई, 1961 को ेत व अ ेत कायकता वॉ शंगटन से बस म सवार होकर दि ण क तरफ रवाना ए। एक हद तक उनक या शांितपूण रही थी; ले कन अलबामा के एनी टन के पास रं गभेद समथक ने उनक बस पर बम से हमला कया और बस को जला दया। उसी दन अलबामा के ब मघम म भी ‘ डम राइड’ के कायकता पर हमला कया गया। कायकता के िलए बस या जारी रख पाना असंभव हो गया था। वे िवमान म सवार होकर यू ओ लएंस प च ँ गए थे। इसके बावजूद नए कायकता ने साहसपूवक अपने-अपने तर पर“ रीडम राइड अिभयान को जारी रखा। माटगोमरी म कायकता पर हमला कया गया। एटॉन जनरल रॉबट के नेडी ने म टगोमरी म हालात सँभालने के िलए 400 माशल को भेज दया। कं ग म टगोमरी प च ँ े और फ ट बैप ट ट चच म एक जनसभा को संबोिधत कया। उ ह ने कहा क िहसा के िलए अलबामा का गवनर दोषी था। कं ग ने कहा, हम सुनते आए ह क नैितकता अपनाने के िलए कसी को मजबूर नह कया जा सकता। यह बात सच हो सकती है मगर आचरण के िलए कसी भी ि को िज मेवार ठहराया जा सकता है। कानून भले ही कसी आदमी को मुझसे यार करना नह िसखा सकता, मगर वह उसे मेरी ह या करने से तो रोक ही सकता है।”

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जब जॉन एफ- के नेडी ने रा पित पद सँभाला तब कं ग ने उनसे सावजिनक थल पर रं गभेद को ितबंिधत करने का अ यादेश जारी करने और इस मामले क देखरे ख के िलए एक मं ी िनयु करने का अनुरोध कया। इसके अलावा अमे रका से िनधनता-उ मूलन के िलए एक कारगर योजना बनाने का भी उ ह ने अनुरोध कया। के नेडी शासन का जब एक साल पूरा हो गया तब कं ग अमे रका के अ ेत के िहत को नजरअंदाज करने क वजह से रा पित क आलोचना करने लगे। उ ह ने कहा क नई सरकार क तरफ से प रवतन क जो भी कोिशश क गई थी, उसम गंभीरता का अभाव था। उ ह ने कहा क शासन नाग रक अिधकार क बहाली क दशा म धीमी गित से कदम बढ़ा रहा था। उनका मानना था क लंबे समय से जारी दु वहार और शोषण को िमटाने के िलए तेजी से ठोस उपाय करने क ज रत थी। समय गुजरता जा रहा था। सन् 1963 म अ ेत तथाकिथत ‘ वतं ता’ का शता दी वष मना रहे थे। इस वष म अ ेत के बीच अपने अिधकार को लेकर वैसी ही चेतना पैदा ई जैसी चेतना वष 1863 म पैदा ई थी। अ ेत समझ रहे थे क वतं ता का शता दी वष उनके िलए तभी साथक हो सकता है जब वे इसे उ सव के प म न मनाकर अमे रक समाज म बराबरी का हक हािसल करने और स ी वतं ता ा करने के िलए कर। वे चाहते थे क संिवधान क तावना अिधकार का िवधेयक, तेरहव, चौदहव और पं हवे संशोधन और संिवधान म िजस तरह क समानता का आ ासन दया गया था, उसे हािसल करने के िलए मुिहम शु करने क ज रत थी। बिह कार और जुलूस जैसे िवरोध काय म के ज रए इस ऐितहािसक आंदोलन क शु आत हो चुक थी।

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िजस तरह आधे-अधूरे अंदाज म कू ल से रं गभेद को हटाने क कोिशश हो रही थी, उससे अ ेत जनता संतु नह थी। सु ीम कोट ने जहाँ ‘ज द से ज द’ रं गभेद समा करने का आदेश दया था, वह सरकार मंथर गित से इस आदेश का पालन करने क कोिशश कर रही थी। कई थान पर अदालत के आदेश का मजाक उड़ाया जा रहा था और याय के नाम पर समानता का हसन कया जा रहा था।

िजस तरह बेमन से कू ल म रं गभेद को िमटाने क कोिशश क जा रही थी, उससे तो यही लगता था क इस या को पूण करने म 100 वष से अिधक का समय लग सकता था। इसी दौरान सु ीम कोट ने नरमी बरतते ए एक ऐसे कानून को मंजूरी दे दी थी, िजसके आधार पर रा य सरकार कू ल म रं गभेद के मु े पर िनणय ले सकती थ । दूसरे श द म, इस कानून के ज रए रं गभेद को बनाए रखना आसान हो गया था। देश क दोन राजनीितक पा टयाँ अ ेत के नाग रक अिधकार क सुर ा सुिनि त करने के वादे पूरे नह कर पाई थ । इस तरह अ ेत नाग रक ु ध होते जा रहे थे। चुनाव चार के दौरान के नेडी ने आवास के े म भेदभाव समा करने का वादा कया था। रा पित बनने के बाद के नेडी ने इस आशय के एक आदेश पर ह ता र भी कया था। मगर उस आदेश के बावजूद आवास े म भेदभाव समा नह हो पाया था, य क शासन ने सम या क जड़ क तरफ यान नह दया था। बक एवं अ य िव ीय सं थान क तरफ से

अ ेत के साथ िजस तरह का भेदभाव कया जा रहा था, उसे समा करने के िलए कोई कदम नह उठाया गया था। अ ेत को कु छ सरकारी नौक रयाँ दी जा रही थ मगर अ ेत आबादी महसूस कर रही थी क सरकार वा तिवक सम या को हल कए िबना ता कािलक राहत देने क नीित अपना रही थी। सरकार चाहती थी क अ ेत आबादी अपने मतािधकार के मसले पर मुकदमेबाजी म उलझी रहे। मगर अब अ ेत के संघष को दायरे म बंद कर रखना संभव नह रह गया था। अ ेत जानते थे क उ ह कतने अिधकार से वंिचत रखा गया था। वे और यादा इं तजार करना नह चाहते थे। वे अपने हक के िलए जंग लड़ना चाहते थे। इस संदभ म अंतररा यीय प रि थितय का दबाव भी बढ़ता जा रहा था। अमे रका िव के दूसरे देश क वतं ता के प म आवाज बुलंद कर रहा था, जब क अमे रका के भीतर ही 2 करोड़ से यादा लोग वतं ता के िलए आंदोलन कर रहे थे। सरकार नए-नए कानून बनाकर अ ेत के गु से को शांत करने क चाल चल रही थी। अ ेत आबादी समझ चुक थी क नाग रक अिधकार आंदोलन के ज रए ही वह संपूण िव का यान अपनी तरफ आक षत कर सकती थी। कं ग के सामने नेतृ व क ज टल चुनौितयाँ थ । उ ह नैितक और ावहा रक तर पर तय करना था क कब कायवाही करनी चािहए और कब नह करनी चािहए। उ ह आंदोलन को काबू म भी रखना था। उ ह आंदोलन क शि का इ तेमाल रचना मक नतीजे हािसल करने के िलए करना था।

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सन् 1960 के म य से नाग रक अिधकार आंदोलन तेज हो गया था और अ ेत जनता जाग क हो उठी थी। उस समय कं ग क जवाबदेही काफ बढ़ गई थी। इस अविध म कं ग क अगुवाई ने नाग रक अिधकार आंदोलन को कई मोरचे पर अभूतपूव सफलता हािसल ई थी। यह सही था क अलबानी म आंिशक असफलता से सबक लेते ए कं ग ने रं गभेद के िखलाफ बड़े पैमाने पर ह ला बोलने क रणनीित तैयार कर ली थी। उनका ल य अलबामा का ब मघम शहर था, जो रं गभेद के िलए जाना जाता था। काफ सोच-समझकर आंदोलन क परे खा तैयार क गई थी। कं ग के सहयोगी ाट टी- वॉकर ने कहा, हम चुनौती का सामना करना था। नरम रवैया अपनाते ए ेत क मदद हािसल करने क उ मीद थ थी। वे कसी भी ि थित म झुकने वाले नह थे।” अ ेत ने अपने हक के िलए आंदोलन शु कया। यह आंदोलन िबखरा आ नह था। इसके िलए सोच-समझकर तैयारी क गई थी। ब मघम प च ँ कर कं ग ने अ हंसक ितरोध के उपाय क कायशाला का संचालन कया था। उ ह ने ऐसे 200 ि य को िश ण दया, जो जेल जाने के िलए तैयार थे। कं ग ने अ ेत नेता के साथ 10 सभा का आयोजन कर आंदोलन क योजना तैयार क ।

अ ैल 1964 म िवरोध काय म शु हो गया। अ त े ी, पु ष, ब े िवरोध दशन म शािमल होकर िगर ता रयाँ देने लगे। सहष िगर तारी दे रहे हजार लोग को देखकर पुिलसवाले भी सहमकर रह जाते थे। े का एक वग जहाँ कं ग के नेतृ व को मंजूरी दे चुका था, वह दूसरा वग उनक त आलोचना करता था। 8 ेत पाद रय ने िवरोध दशन को अनुिचत ठहराते ए कं ग क िनदा क थी। इस िनदा का जवाब देते ए कं ग ने कहा था,“ उन लोग के िलए यह सब कहना आसान है, िजन लोग ने जीवन म कभी भी रं गभेद क पीड़ा को महसूस नह कया है। ले कन जब आप देख चुके ह क कस तरह ु भीड़ कसी के भाई या कसी क बहन क पीट-पीटकर ह या कर देती है, जब आप पुिलसवाल क गािलयाँ सुन चुके ह, लात-घूँसे बरदा त कर चुके ह, हर तरह क नृशंसता का सामना कर चुके ह, जब आप अपनी छह साल क बेटी के उस सवाल का जवाब नह दे पाते क वह पाक म खेलने के िलए य नह जा सकती और जब उसे पता चलता है क अ ेत ब के िलए पाक म वेश व जत है, तो उसके आँसू को बहते ए आप देखते ह। आप अपने ब के मन म पनपती ई हीन ंिथ को महसूस करते ह। जब आप सावजिनक थल और अ ेत के बीच िवभाजन को देखते ह, जब आप अपनी पहचान बचाने के िलए जी-जान से कोिशश कर रहे होते ह, तब आप समझ सकते ह क हम िवरोध क आवाज य बुलंद करना चाहते ह” उन पाद रय ने जब कं ग क बात सुन तो उ ह अपनी कही बात पर शम महसूस होने लगी। उ ह ने फर कभी कं ग क आलोचना नह क ।

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7 मई को अ ेत नाग रक चच से बाहर सड़क पर िनकल आए। वे पुिलसक मय क परवाह कए बगैर शहर के अिभजात इलाक क तरफ बढ़ने लगे। पुिलस ने भीड़ पर जु म ढाना शु कर दया। कं ग समेत 3,300 अ ेत नाग रक को िगर तार कर िलया गया। पुिलस के अ याचार क तसवीर ने दुिनया भर का यान आक षत कया। रा ीय तर पर लोग क चेतना पुिलस क ू रता क वजह से जाग उठी। देश के हर िह से म अ ेत नाग रक अपने आपको असुरि त महसूस कर रहे थे। िसट-इन आंदोलन और िवरोध दशन का िसलिसला तेज होता गया। अ ेत रोजगार के बेहतर अवसर और कू ल म रं गभेद का खा मा करने क माँग कर रहे थे। एन-ए-ए-सी-पी- के नेता राय िवल कस ठं डे िमजाज के िवन ि थे। मगर वे भी पुिलस क यादती को देखकर भावुक हो उठे । उ ह ने कहा,“ मेरी तट थता उस समय ख म हो गई, जब मने पुिलसक मय क वैसी तसवीर देख , िजनम वे मिहला क पीठ पर चढ़कर उनका गला दबाने क कोिशश कर रहे थे।” िवल कस भी िवरोध दशन म शािमल हो गए और उ ह ने अपनी िगर तारी दी। अ य नरमपंथी अ ेत नेता भी िवरोध दशन म बढ़-चढ़कर भाग लेने लगे। कई ेत कायकता भी इस आंदोलन का समथन करने लगे। ऐसे लोग म पादरी एवं धमगु भी शािमल थे, जो अ ेत के साथ कं धे से कं धा िमलाकर िगर ता रयाँ दे रहे थे। देश ने ऐसा दृ य पहले कभी नह देखा था। चच क तरफ से याय क इस जंग म समथन क घोषणा होने लगी थी। अमे रका के यूनाइटेड ेसिवट रयन चच के मुख डॉ- यूगीन

कारसन लैक ने कहा, हम अपना प कभी-न-कभी प करना ही होगा क हम कसके साथ ह और हमने वंिचत का साथ देने का फै सला कया है।” इसके बाद लैक दो दजन पाद रय के साथ जुलूस म शािमल ए। उ ह िगर तार कर िलया गया। ब मघम म अ ेत ने जो हक के िलए आंदोलन शु कया था, वह 800 नगर म फै लता चला गया। अ हंसक ितरोध का भाव सावजिनक जीवन पर नजर आने लगा था। मीिडया के ज रए देश-िवदेश क जनता इस आंदोलन क जानकारी उ सुकता के साथ ा कर रही थी। इस िसलिसले म टेलीिवजन क भूिमका उ लेखनीय रही थी। जन- ितरोध के चरम पर प च ँ कर अ ेत नेता ने ‘माच ऑन वॉ शंगटन’ का आयोजन कया। इस बात म कोई संदश े नह क इस माच के भाव के चलते नाग रक अिधकार कानून वजूद म आया। यह माच एक ऐितहािसक ण था। तकरीबन 2 लाख नाग रक वॉ शंगटन मा यूमट से िलकन मेमो रयल तक जुलूस िनकालकर प च ँ े थे। वहाँ प च ँ कर नाग रक अिधकार आंदोलन के नेता राय िवल कस, ए- फलीप रडॉ फ, ि नटनी यंग और जॉन लेवीस से भाषण दया। मगर इस अवसर पर दया गया कं ग का भाषण सबसे अिधक भावशाली और यादगार भाषण था। िजसने भी उस भाषण को सामने मौजूद रहकर या टी-वी- के परदे पर देखा-सुना, वह मु ध हो गया। कं ग के जीवन का यह सवािधक मश र भाषण था। इस भाषण म ज बात के साथ त य का अ भुत िम ण कया गया था।

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गृहयु के समापन के बाद के वष म अ ेत को कभी उतनी सफलता नह िमली थी िजतनी सफलता सन् 1963 म िमली। दि ण के कू ल म रं गभेद उ मूलन का अिभयान तेजी से चलाया गया। देश के उ री िह स म भी हालात क समी ा क गई और िशकायत को दूर करने का यास कया गया। देश के हर े म अ ेत के िलए रोजगार के अवसर खोले गए। िशि त अ ेत को रोजगार दया गया। अिशि त अ ेत के िलए िश ण काय म का इं तजाम कया गया। बक , सुपर माकट , होटल और िडपाटमटल टोर म अ ेत कमचा रय क सं या बढ़ाई गई। देश के दि णी िह से म भी रोजगार के मामले म सुधार नजर आने लगा। नॉथ के रोिलना रा य सरकार म अ ेत क अहम उपि थित दखाई देने लगी। नासिवले के तीन बक ने अ ेत को लक ेणी क नौकरी देने क पेशकश क । साउथ के रोिलना म भी अ ेत को नौक रयाँ िमलने लग ।

अ ेत के दृि कोण म भी ापक प रवतन दखाई देने लगा था। रं गभेद क बेिड़य म जकड़े ए लोग को लंबे समय से अलग-थलग रखा गया था। अब वे खुलकर सामने आ रहे थे। उनक मौजूदगी रे टोरट , िश ा प रषद , नगर आयोग , नगर सिमितय , िथएटर, सामािजक गितिविधय और नौक रय म बढ़ती जा रही थी। एन-ए-ए-सी-पी- क िमसीिसपी शाखा के अ य एरोन हेनरी ने कहा, हमारी दासता क मानिसकता म बदलाव आया है, जो पहले समझती थी क घर के मु य क म बैठने क माँग करने क जगह िपछवाडे़ म जगह िमलने से ही संतु रहना चािहए।”

इस तरह के प रवतन के साथ अ ेत क सोच म भी मह वपूण बदलाव आ रहा था और वे अपनी पहचान को लेकर श²मदा होने क जगह गव महसूस करने लगे थे। पहले अ ेत अपनी अ क जड़ को जानबूझकर नजरअंदाज करते थे और महा ीप के अ ेत क तरफ हीन नजर से देखते थे। अब वे लोग अ का को स मान भरी नजर से देखने लगे थे। अ ेत का नया नारा था-‘ लैक इज यूटीफु ल, लैक इज ांग’। अ ेत मिहलाएँ अब अ क मिहला क तरह सजने-सँवरने लगी थ । अ ेत अपने घर म अ क सं कृ ित को ित बंिबत करनेवाली कलाकृ ितयाँ सजाने लगे थे। लोग ेत क जीवन-शैली का अनुसरण भी करने लगे थे। गोरा बनानेवाली म क िब घट गई थी। पहले अ ेत होने के हीनता-बोध से छु टकारा पाने के िलए अ ेत लोग िजन साधन सामि य का इ तेमाल करते रहे थे, अब वैसी सामि य म उनक कोई दलच पी नह रह गई थी। अब कू ल म भी ब े नारे लगाते थे-‘ लैक इज यूटीफु ल।’ अ ेत पर ेत के वच व का युग समा हो रहा था और समानता का नया युग आरं भ हो रहा था। 14 अ ू बर, 1964 को कं ग अटलाटं श अ पताल म वा य परी ण करवा रहे थे और महीन क त गितिविधय के बाद िव ाम कर रहे थे, तभी ओ लो से खबर आई क उ ह ‘नोबेल शांित पुर कार’ देने क घोषणा क गई थी। यह खबर कं ग के िलए सुखद आ य क तरह थी, िज ह ने नाग रक अिधकार क सुर ा के आंदोलन के िलए अपने जीवन को सम पत कर दया था।

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कं ग ने कहा क यह स मान के वल उनका स मान नह था बि क अ याय के िखलाफ अ हंसक तरीके से संघष करनेवाले येक ि का स मान था। कं ग के सहयोिगय और समथक के िलए यह खबर उ साह बढ़ानेवाली थी। अ हंसक ितरोध के ित उनक आ था और भी मजबूत हो गई थी। ले कन देश के दि णी िह से म रं गभेद समथक इस खबर को सुनकर ु ध रह गए। उ ह यक न नह हो रहा था क कसी अ ेत ि को ‘नोबेल शांित पुर कार’ दया जा सकता था। ओ लो म ‘नोबेल शांित पुर कार’ हण करते ए कं ग ने कहा क“ यह स मान मुझे ऐसे समय म दया गया है, जब अमे रका म 2 करोड़ 20 लाख अ ेत नाग रक रं गभेद समा करने क जंग लड़ रहे ह।”

कं ग ने पुर कार के प म िमली 54 हजार डॉलर क रािश नाग रक अिधकार आंदोलन के िलए दान कर दी। उनके साथ उनक प ी फोरे टा कं ग भी ओ लो गई थ । सन् 1964 का नाग रक अिधकार कानून वागत यो य था, िजसके ज रए सावजिनक थल पर अ ेत के वेश पर लगी रोक को ख म कर दया गया था, ले कन मतािधकार के मामले म अभी भी अ ेत को संपूण अिधकार नह िमल पाया था। ावधान रखा गया था क कम-से-कम छठी उ ीण ि ही मतदान कर सकता था। महा मा गांधी क तरह

रा ीय संघष म कं ग कसी थान िवशेष का इ तेमाल लोग का यान आक षत करने के िलए तीक के प म करने म िव ास रखते थे। यही सोचकर कं ग ने सन् 1965 म अलबामा के सेलमा नगर म अ ेत मतदाता का पंजीयन अिभयान शु करने का फै सला कया। अ ेत के मतािधकार के प म कं ग इस अिभयान को तीक बनाना चाहते थे। सेलमा क आबादी 29,500 थी। ेत क तादाद 14,400 थी और अ ेत क तादाद 15,100 थी। इस शहर क मतदाता सूची म 99 फ सदी ेत के नाम और 1 फ सदी अ ेत के नाम दज थे। सेलमा का शे रफ जे स लाक रं गभेद का क र समथक था और एक ऐसे समूह का नेता था, िजससे ू लू स लेन के कायकता जुड़े ए थे। वष से लेन के सद य अ ेत के साथ अमानवीय अ याचार करते रहे थे। वे रात के व अ ेत पर हमले करते थे और उनक वजह से दहशत का माहौल बना रहता था। सेलमा को कं ग ने जानबूझकर अपना ल य बनाया था। शहर के नाग रक अिधकार का इितहास शोचनीय था। शहर का पुिलस मुख रं गभेद समथक था। इसी तरह शहर का मेयर टी- मीथरमेन रं गभेद का क र समथक था, जो अलबामा के रं गभेद समथक गवनर जॉज वेलेस का घिन िम भी था। सेलमा प च ँ ने के बाद कं ग ने सैकड़ अ ेत को एकजुट कया और मतािधकार सूची म उनका नाम दज करवाने के िलए वे जुलूस बनाकर अदालत क तरफ बढ़े। इससे पहले जब भी अ ेत पंजीयन करवाने जाते थे, लाक उ ह अदालत क अवमानना के आरोप म िगर तार कर लेता था। कई बार अ ेत से ज टल फॉम भरने के िलए कहा जाता था और उनक सा रता क जाँच के नाम पर उनके साथ दु वहार कया जाता था। अ ेत को मतािधकार से वंिचत रखने के िलए इस तरह के हथकं डे वष से अपनाए जाते रहे थे। रं गभेद समथक नह चाहते थे क अ ेत को कसी तरह का राजनीितक अिधकार िमले। पंजीयन के िलए अ ेत नाग रक ने कई बार कोिशश क थी, मगर हर बार लाक ने उनक कोिशश को नाकाम कर दया था। इस तरह अ ेत आबादी वयं को वंिचत और उपेि त महसूस कर रही थी।

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अ ेत पर िजतना जु म ढाया जाता था, संघष करने के िलए उनका मनोबल उतना ही मजबूत होता जा रहा था। सात ह ते क अविध म लाक ने कं ग समेत 2,000 ी, पु ष एवं ब को िगर तार कया था। इसके बावजूद अ ेत समूह बनाकर पंजीयन के िलए आते थे और गाते थे-‘वी शैल ओवर कम’ (हम ह गे कामयाब)। लाक ने अपनी कमीज पर िलख रखा था-कभी नह ! वह उस िलखावट क तरफ इशारा करता था, ले कन वह अंदर से उतना मजबूत नह था िजतना दखावा करता था। आंदोलन के बढ़ते दबाव के बीच लाक के सीने म दद होने लगा और उसे िब तर पकड़ना पड़ा। शहर म माहौल तेजी से िबगड़ता जा रहा था। शहर का ापार बुरी तरह अ त- त हो गया था। गवनर वेलेस ने भी हालात को सुधारने का कोई यास नह कया। गवनर ने सेलमा म पुिलसक मय क सं या बढ़ाने का आदेश दया और आंदोलनका रय के साथ स ती का रवैया अपनाने के

िलए कहा। वह अ ेत के ितरोध को कसी भी क मत पर कु चल देना चाहता था। इसके बाद मे रयन क घटना घटी, जब 400 आंदोलनका रय पर सुर ा बल के 50 जवान ने कहर बरपाया। इस घटना म एक युवा लकड़हारे िजमी ली जै सन के पेट म गोली मार दी गई। आठ दन के बाद जै सन क मृ यु हो गई। मृ यु से पहले उसने बयान दया क सुर ा बल के एक जवान ने उसे गोली मारी थी। शहीद के खून ने आंदोलनका रय को संघष तेज करने क ेरणा दी। कं ग ने सेलमा से रा य क राजधानी म टगोमरी तक जुलूस िनकालने क घोषणा क । सेलमा से माटगोमरी क दूरी 50 मील थी। आंदोलनका रय को संबोिधत करते ए कं ग ने कहा, म आप लोग से इस बात का वादा नह कर सकता क आपके घर पर बम नह फका जाएगा। म आप लोग से इस बात का वादा नह कर सकता क आपके ऊपर जु म नह ढाया जाएगा। ले कन हम याय के हक म संघष करना ही होगा!” 7 माच, रिववार को यह जुलूस िनकाला गया। आंदोलनका रय ने गवनर वेलेस क िनषेधा ा क परवाह नह क । सेलमा के िसलवन ीट पर ि थत ाउन चेपल चच म 650 अ ेत नाग रक और कु छ ेत नाग रक एक ए। वह से जुलूस क शु आत ई। वे अलबामा नदी पर िन मत एडमंड पीटस ि ज क तरफ बढ़ते जा रहे थे।

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अमे रक राजमाग 80 पर पुल के पास 60 पुिलसकम तैनात थे, िजनका नेतृ व कनल एलिलगो कर रहा था। िलगो जॉज वेलेस का सहयोगी रह चुका था। सड़क कनारे शे रफ लाक के सुर ाकम घोडे़ पर और पैदल तैनात थे। वे कसी भी ि थित म जुलूस को रोकना चाहते थे। जब आंदोलनकारी 100 गज क दूरी पर थे तब एक पुिलस अिधकारी ने पुिलसक मय से गैस मा क पहनने के िलए कहा। 25 गज क दूरी पर आंदोलनका रय से कने के िलए कहा गया। रा य पुिलस का मेजर जॉन लाउड िच लाया, अपने-अपने चच क तरफ लौट जाओ! तु ह आगे बढ़ने क इजाजत नह दी जाएगी! तु ह वापस लौटने के िलए 2 िमनट का समय दया जाता है।” तनावपूण माहौल म स ाटा पसर गया था। आंदोलनकारी वापस लौटने के िलए नह आए थे। उनका इरादा मजबूत था। वे जान योछावर करने के िलए तैयार थे। 2 िमनट का व गुजर गया। मा कधारी पुिलसकम आदेश क ती ा कर रहे थे। वे तनकर खड़े थे और हमले क पूरी तैयारी कर चुके थे। आंदोलनकारी दृढ़ता के साथ कदम बढ़ाते जा रहे थे। तभी मेजर लाउड ने आदेश दया, िसपािहयोआगे बढ़ो!’’ पुिलसकम जुलूस के सामने दीवार क तरह खड़े हो गए और आंदोलनका रय को पीछे क तरफ धके लने लगे। कई अ ेत ि ध े क वजह से लड़खड़ाकर िगर गए। कु छ िसपाही भी ध े क वजह से िगर पड़े। अचानक पुिलसक मय ने डंडा बरसाना शु कर दया। सड़क कनारे तमाशा देख रहे

ेत

लोग ने खुशी का इजहार करना शु कर दया। वे िसपािहय का हौसला बढ़ा रहे थे। िसपाही िहसक होकर अ ेत पर कहर बरपा रहे थे। उसी समय आँसू गैस के गोले दागे गए। सड़क पर सफे द और पीले धुएँ के बादल नजर आने लगे। घुड़सवार बेरहमी के साथ अ ेत क िपटाई कर रहे थे। एक घुड़सवार ने एक वृ मिहला को धके लते ए कहा,“ बु ढ़या, तू जुलूस िनकालना चाहती थी न! अब िनकाल जुलूस!” लाक के लोग क खुशी का ठकाना नह था। वे सड़क पर उछल-कू द करते ए अपनी खुशी का इजहार कर रहे थे। वे अ ेत के वाहन पर डंडे बरसाते ए चीख रहे थे,“ इस शहर को छोड़कर चले जाओ। हम इस शहर म एक भी काले ि को देखना नह चाहते।” दमन क इस कारवाई के बाद ज मी हालत म 78 अ ेत को अ पताल म भरती करना पड़ा। ू रता और नृशंसता के दृ य को देश व दुिनया के लोग ने टी-वी- के परदे पर देखा। लोग को यक न नह हो पा रहा था क कसी अ हंसक भीड़ के साथ ऐसा िहसक सलूक भी कया जा सकता था। समाचार-प म रं गभेद क वजह से हो रही दमन क कारवाई क खबर कािशत क ग । देश भर म इस घटना क चचा होने लगी। अंतररा ीय तर पर भी इस िहसक कारवाई क भ सना क गई। इितहास म ऐसे पल कम ही आते ह जब कसी घटना क वतः फू त ित या होती है और वैसा ही पल तब आया जब लोग ने ोभ व लािन के भाव के साथ इस घटना पर अपनी ित या जािहर क । डे ायट म मेयर जेहोन कावानाउ और िमिसगन के गवनर जॉज रोमनी ने 10 हजार लोग के साथ िवरोध जुलूस िनकाले। िशकागो म दशनका रय ने यातायात को अव कर दया। टोरं टो म 2,000 लोग ने िवरोध जुलूस िनकाला। इसी तरह यू जस और वॉ शंगटन म िवरोध जुलूस िनकाले गए। देश के अलग-अलग िह स म लोग ोभ करने के िलए सड़क पर उतर आए। रा पित जॉनसन ने नृशंसता क िनदा क और अ ेत के मतािधकार को सुिनि त करने के िलए कारगर कदम उठाया।

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कं ग ने ऐलान कया क अपनी अंतरा मा क आवाज को सुनते ए रा के िववेक को जगाने के िलए वे सेलमा से म टगोमरी तक जुलूस िनकालने वाले थे। इस जुलूस क योजना को थिगत रखना पड़ा। संघीय सरकार के अनुरोध पर ऐसा कया गया। चूँ क उसे आशंका थी क जुलूस के दौरान काफ खून-खराबा हो सकता था। फर जब इस जुलूस को िनकाला गया तो उससे पहले संघीय अदालत ने अलबामा के गवनर को आदेश दया क वह कसी भी ि थित म जुलूस को रोक नह सकता था। गवनर वेलेस ने बहाना बनाया क सुर ा उपल ध कराने के िलए उसके पास पया धन नह था। तब रा पित जॉनसन ने सेना को भेज दया और इस तरह जुलूस सफलतापूवक म टगोमरी प च ँ पाया। जुलूस म दो ि ऐसे थे, िज ह सुर ा न होने के कारण िहसा का िशकार होना पड़ा। बो टन के एक ेत पादरी रे वरड जे स रीव सेलमा के बाहर अ ेत के एक रे टोरट म भोजन कर रहे थे, जब ेत हमलावर ने उनक ह या कर दी। डे ायट क 39 वष य ेत मिहला िवयोला िलयूजो आंदोलनका रय को सेलमा से म टगोमरी कार म प च ँ ा रही थी। िवयोला िलयूजो क ह या रं गभेद समथक ने गोली मारकर कर दी।

इतनी सारी कु बािनय के बावजूद रं गभेद िमटाने के िलए संघष कर रहे कं ग और उनके समथक का इरादा तिनक भी नह डगमगाया था। सेलमा संग म कं ग ने आिखरी भाषण म कहा था,“ अब कोई भी शि हमारी संघष को रोक नह सकती। उन लोग ने हमसे कहा था क हम यहाँ कभी नह प च ँ ने वाले थे। ऐसे भी लोग थे िज ह ने कहा था क हम उनक लाश पर चढ़कर ही यहाँ प च ँ सकते थे। मगर आज पूरी दुिनया जान गई है क हम यहाँ प च ँ चुके ह।” कं ग कू ल को रं गभेद से मु करने, गरीबी िमटाने और मतािधकार हािसल करने के िलए अिधक-से-अिधक सं या म लोग को आंदोलन म शािमल होने का आ“वान कर रहे थे। वे तब तक संघष को जारी रखना चाहते थे जब तक राजनीितक प रदृ य से न लभेद का वजूद पूरी तरह ख म नह हो जाता। कं ग ोता को ज बात के सैलाब म बहाते ए ले जा रहे थे, म जानता ँ क आप लोग आज यह जानना चाहते ह क हम याय हािसल करने म कतना व लगेगा? म आपसे कहना चाहता ,ँ भले ही कतनी ही िनराशा य न हो, भले ही कतनी ही क ठनाई य न हो, स य क जीत ज र होगी। कतना व लग सकता है? यादा व नह लगेगा, य क आप जब संघष करगे तो उसका फल भी आपको िमलेगा।” सन् 1960 के म य म नाग रक अिधकार आंदोलन के सामने देश के उ री िह से क झोपड़प य म रहने वाले अ ेत क बदहाली चुनौती के प म सामने आई। देश के दि णी िह से से इन झोपड़प य म रं गभेद का मु ा सीधे तौर पर अ ेत क आ थक बदहाली से जुड़ा आ था। उनके सामने रोजगार, आवास और िश ा क सम या थी। बुिनयादी सुिवधा से वंिचत ऐसे िनधन अ ेत के साथ पशुवत् बरताव कया जा रहा था। उ ह रोटी, कपड़ा और मकान के िलए टहलना पड़ रहा था। बेरोजगारी के चलते वे बेहाल होते जा रहे थे। उ ह भूख और कु पोषण का सामना करना पड़ रहा था।

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सन् 1960 के उ रा म अ ेत समुदाय क बेचैनी बढ़ती गई थी। अ ेत म अपने साथ हो रहे गैर-बराबरी के बरताव के चलते गु से का भाव बढ़ता जा रहा था। उनके बीच नए नेता उभर रहे थे। वे टॉकली काम कल और टैप ाउन जैसे उ युवा नेता थे, जो सामािजक सुधार क धीमी र तार से संतु नह थे। लैक पथस, रवो यूशनरी ए शन मूवमट जैसे उ वादी संगठन का ज म आ था। कोर टू डट नॉन-वायलट कॉ डने टंग कमेटी जैसे पुराने संगठन भी अिहसा से अपना नाता तोड़ रहे थे। ेत शि क ित या म ‘अ ेत शि ’ पैदा हो रही थी। देश के िविभ शहर म जातीय दंगे फै ल गए थे। कं ग का सपना र और आग म न होता आ दखाई देने लगा था। ऐसा लग रहा था मानो अिहसा का दीपक िहसा के जबड़े म समा गया था। वा स, नेवाक और डे ाइट म सवािधक िहसा ई। सन् 1964 से 1967 के बीच 58 अमे रक शहर म दंगे ए, जहाँ झोपड़प य म रहनेवाले अ ेत को जलाया गया, लूटा गया और पुिलस के साथ भी दंगाइय क मुठभेड़ ई। इस तरह के र पात के दौरान 141 ि य क मौत ई और 4,552 ि घायल हो गए। लोग के बीच कड़वाहट बढ़ती गई। देश भावना मक प से िहल गया। ऐसे हालात को

देखकर देश के संवेदनशील नाग रक चंितत हो उठे । कं ग कसी भी हालत म अिहसा का दामन छोड़ना नह चाहते थे। वे इस नतीजे पर प च ँ े थे क बदले ए माहौल म उ ह अिधक सावधानी और दृढ़ता के साथ कदम बढ़ाना होगा। उ ह ने अपने समथक से और अिधक दृढ़ संक प लेने का आ“वान कया। उ ह ने कहा, हम क ठन और कड़वे अनुभव से सीख चुके ह क जब तक सरकार को सीधी चुनौती नह दी जाती तब तक वह न लवाद के मसले पर अपनी गलती सुधारने के बारे म नह सोचती।”

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िशकागो का आंदोलन मतािधकार कानून पा रत होने पर

कं ग के मन म उ मीद पैदा ई क अ ेत को वैधािनक और सामािजक समानता दलाने क दशा म अ हंसक आंदोलन को कामयाबी ज र िमलेगी। दूसरी तरफ, अग त 1965 म लॉस एंिज स म ि थत वॉ स इलाके म यातायात के एक झगड़े को लेकर दंगा शु हो गया। अ ेत और जॉज एंिज स पुिलस के बीच श ुता इस कदर बढ़ गई क 30 से यादा लोग क मौत हो गई। मृतक म यादातर अ ेत शािमल थे। दुकान को लूटने, भवन और वाहन म आग लगाने के आरोप म 3,500 से यादा लोग को िगर तार कया गया। िहसा और अराजकता को देखते ए कानून व था क बहाली के िलए नेशनल गा स को तैनात करना पड़ा।

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इसके बाद अमे रका के िविभ शहर म ि थत झोपड़प य म दंगे फै ल गए। नाग रक अिधकार आंदोलन ने मौजूदा आ थक व राजनीितक शि संरचना को सीधे तौर पर चुनौती दे दी थी और यह सािबत कर दखाया क आंदोलन के ज रए अ पसं यक आम नाग रक के जीवन म मह वपूण बदलाव लाया जा सकता है ले कन इसके साथ-साथ अ ेत क अपे ाएँ भी उसी अनुपात म बढ़ती गई थ और वे तुरंत बदलाव के िलए दबाव डालने लगे थे। हजार अ ेत नाग रक िजस रं गभेद पर आधा रत समाज- व था के अंतगत जीवनयापन कर रहे थे। उसम उ ह बुिनयादी सुिवधा से वंिचत होकर अपमािनत तरीके से जीना पड़ता था, अब उ ह बेहतरी क उ मीद दखाई देने लगी थी; ले कन प रवतन क माँग का जवाब कठोरतापूवक दमन क भाषा म दया जा रहा था। यही वजह थी क अमे रका के कई शहर म वंिचत जीवन जी रहे अ ेत का गु सा िव फोटक ि थित म प च ँ चुका था।

जातीय िहसा क खबर से कं ग आहत ए थे। उ ह ने देश के उ री िह से के िव तृत शहरी इलाक म सामािजक व न लगत याय का आंदोलन तेज करने का फै सला कया। उ ह ने कहा, हमने अ हंसक आंदोलन के ज रए िनचले तबके के लोग के मन म उ मीद क लौ जलाने का काम कया है। िसफ दि ण म ही नह , समूचे देश भर म हमने िजन उ मीद को जगाया, उ र म वैसी उ मीद पूरी नह हो पाने क वजह से लोग िहसा करने पर उता हो गए ह। इसिलए हम इस घटना म के ित तट थ नह बने रह सकते। हम ऐसा नह सोच सकते क िशकागो म रहने क वजह से वे हमारे अपने लोग नह ह।”

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कं ग इस बात को लेकर भी आशं कत थे क उ री शहर म उनके आंदोलन के चलते आंदोलनका रय , सरकारी प और जनता के बीच टकराव क नौबत आ सकती थी। इसके बावजूद उ ह यक न था क बराबरी का हक और आ थक वतं ता हािसल करने के िलए नाग रक अिधकार आंदोलन जारी रखना ज री था। कं ग झोपड़प य क बुिनयादी सम या क तरफ यान देने लगे। वे गरीब के मु े को जोड़कर अपने आंदोलन को और अिधक ापक व प दान करना चाहते थे। अब उनका ल य िशकागो था। िशकागो क सामािजक

व था को चुनौती

26 जनवरी, 1966 को कं ग एस-सी-एल-सी- के सहयोिगय के साथ िशकागो के लाउनडेल इलाके म 4 कमरे के अपाटमट म रहने के िलए आ गए। यह अपाटमट 1,550 एस, हैमिलन एवे यू म तीसरी मंिजल पर ि थत था, जहाँ रहकर कं ग िनधन अ ेत के हक क आवाज

बुलंद करना चाहते थे। कं ग और नाग रक अिधकार आंदोलन के दूसरे नेता ने जुलूस व बिह कार क योजनाएँ बना । वे आवास, रोजगार और कू ल म भेदभाव समा करना चाहते थे। उनका आंदोलन इितहास म ‘िशकागो मुि आंदोलन’ के नाम से दज होने वाला था। कं ग ने िशकागो म स ा तं को चुनौती देने का फै सला कया। तब उनका मुकाबला अमे रका के अहम राजनीितक ि व मेयर रचड जे- डाले से होना तय हो गया था। डाले को राजनीितक जंग जीतने का ापक अनुभव था। िशकागो म पला-बढ़ा डाले कई तरह के झंझावात का सामना कर चुका था। डाले ने मेयर के प म जो हैिसयत हािसल क थी, वह दूसर के िलए ई या क बात थी। उसके पास राजनीितक कायकता क फौज थी और उसक मरजी के बगैर िशकागो म एक प ा भी नह िहल सकता था। डाले नह चाहता था क कं ग क तरह कोई नाग रक अिधकार आंदोलन का नेता दि ण से िशकागो आए और उसे नसीहत दे क कस तरह शहर का संचालन करना चािहए। पहले कं ग और एस-सी-एल-सी- ने िजन शहर म आंदोलन चलाया था, उनक तुलना म िशकागो के हालात अलग थे। अ ेत समुदाय के पास अपने थानीय नेता थे। वे कं ग के आगमन का िवरोध कर रहे थे। वे नह चाहते थे क कं ग दुिनया को यह दखलाने क कोिशश कर क अ ेत को कस तरह रं गभेद के अिभशाप को झेलना पड़ रहा था।

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वैसे कई अ ेत नेता और धमािधकारी कं ग का समथन भी कर रहे थे। रे वरड जे- इवांस ने फे लोिशप िमशनरी बैप ट ट चच म कं ग का हा दक वागत कया था; ले कन दूसरे नेता वयं को असुरि त महसूस कर रहे थे। उ ह लग रहा था क कं ग के आगमन के कारण नेतृ व क बागडोर उनके हाथ म नह रह जाएगी। िशकागो के दि णी िह से म ि थत ऐितहािसक ओलीवर बैप ट ट चच के पे टर और नेशनल बैप ट ट चच के अ य रे वरड जोसेफ एच- जै सन ने कं ग के आगमन का िवरोध कया। पूव ओलंिपक िखलाड़ी रॉ फ मेटका फे ने जै सन का समथन करते ए कहा क िशकागो के अ ेत नाग रक नह चाहते थे क कं ग उनके िहत के िलए कसी तरह का आंदोलन शु कर। मेटका फे ने कहा क िशकागो के अ ेत नाग रक अपने िहत क सुर ा वयं कर पाने म स म थे। डाले पहले दि ण म कं ग के आंदोलन क तारीफ कर चुका था। िशकागो म कं ग के तािवत आंदोलन के बारे म उसने चतुराई के साथ जवाब दया,“ गरीबी और भेदभाव के िखलाफ उनके िवचार को देखते ए उ ह नोबेल शांित पुर कार से स मािनत कया गया। उनक ऐसी भूिमका का येक जाग क अमे रक नाग रक सराहना करे गा।” राजनीितक शतरं ज का मािहर िखलाड़ी होने के नाते डाले ने शु आत म कू टनीितक तरीके आजमाने क कोिशश क । जब उसने सुना क कं ग और नाग रक अिधकार के दूसरे नेता िशकागो के िनधन अ ेत क सम या का उ लेख कर रहे थे तब उसने गव के साथ ऐलान कया क उसने वष 1967 के अंत तक शहर क झोपड़प य का वजूद ख म करने क योजना बनाई थी।

िशकागो प च ँ कर कं ग को कई ऐसे नेता क चुनौितय का सामना करना पड़ा, जो अपने-अपने िहत के बारे म सोच रहे थे। कं ग के िलए आगे बढ़ने का रा ता आसान नह था। ऑपरे शन ेड बा के ट िशकागो म मेयर डाले और उसके राजनीितक वाथ को चुनौती देने क तैयारी करते ए कं ग ने अपना यान एक अ य आ थक मोरचे क तरफ क त कया। सन् 1960 के पूवा म फलाडेि फया म नाग रक अिधकार आंदोलन के नेता िलयोन सुलीवन ने एक सामुदाियक सहायता और सश करण अिभयान चलाया था, जो महा मा गांधी के अिहसा और य कायवाही के िस ांत पर आधा रत था। उस अिभयान क कं ग ने सराहना क थी। कं ग क तरह ही सुलीवन ने भी पढ़ाई करते समय गांधी दशन का अ ययन कया था। जो कं पिनयाँ अ ेत ी-पु ष को रोजगार नह देती थ , सुलीवन ने ऐसी कं पिनय के उ पाद का बिह कार करना शु कया था। सुलीवन के अिभयान को आदश मानकर कं ग ने एस-सी-एल-सी- के ज रए वैसा ही अिभयान चलाने का फै सला कया। कं ग ने अपने इस अिभयान का नाम ‘ऑपरे शन ेड बा के ट’ रखा। िन आय वग के अ ेत को रोजगार दलाने के िलए एस-सी-एल-सी- क तरफ से बिह कार क धमक देने क रणनीित अपनाई जा रही थी। जो कं पिनयाँ अ ेत को रोजगार नह दे रही थ , उनके उ पाद का बिह कार करने क धमक दी जा रही थी। तय कया गया था क जब तक कं पिनयाँ रोजगार देने के िलए तैयार नह होत तब तक उनका बिह कार जारी रहने वाला था। इस अिभयान के संबंध म कं ग का तक था,“ अगर आप मेरे डॉलर क इ त कर सकते ह तो मेरे लोग क भी इ त करनी होगी। और जहाँ अ ेत को रोजगार नह दया जाएगा, वहाँ हम अपनी रािश खच भी नह करगे।”

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िशकागो म पहला ेड बा के ट आंदोलन िथयोसॉ फकल सोसायटी के एक युवा छा जेसी जै सन क अगुवाई म शु आ था। जै सन तेज-तरार व ा और लगनशील कायकता था तथा सेलमा म आंदोलन के दौरान मह वपूण भूिमका िनभा चुका था। कं ग और उनके सहयोगी जै सन क ितभा से काफ भािवत थे। जै सन ऊजा और तेजि वता से ओतोत युवा था, जो जनिहत के काय म जी-जान से जुटा रहता था। कं ग ने जै सन के ि व क संभावना को देखते ए उसे िशकागो के अिभयान से जोड़ा था। शहर के दि णी िह से म ि थत एक छोटे से कायालय से जै सन ने अ ैल 1966 म अ ेत समुदाय क आ थक मता पर आधा रत ऑपरे शन ेड बा के ट क शु आत क । एक डेयरी को िनशाना बनाया गया था, िजसके 100 से यादा आउटलेट िशकागो के अ ेत ब ल इलाक म थे। जै सन ने डेयरी के कमचा रय क सूची देखने क इ छा जािहर क , िजसे डेयरी बंधन ने ठु करा दया था। इसके बाद अ ेत के चच के पाद रय ने अपने-

अपने अनुयाियय से उस डेयरी के उ पाद के बिह कार करने के िलए कहा। कु छ ही दन म कं पनी समझौता करने के िलए तैयार हो गई। वह 44 पद पर या अपने 20 फ सदी पद पर अ ेत को नौकरी देना चाहती थी। हमारी रणनीित कसी को डराने-धमकाने क नह है।” जै सन ने कहा, हमारा ल य है एक र ता िवकिसत करना, ता क कं पिनयाँ उपभो ा का स मान कर और उपभो ा कं पिनय का स मान कर। जब अ ेत समुदाय क य मता बढे़गी तो लोग उ पाद को खरीदने के िलए अिधक खच कर पाएँगे। इस तरह दोन प को लाभ होगा।” जै सन का मानना था क अ ेत को अपने समुदाय के संसाधन को िनयंि त रखना होगा। हम बक, ापार, भवन-िनमाण और अपने ब क िश ा पर अपना िनयं ण चाहते ह। हमारी ऐसी इ छा बचाव क दशा म उठाया गया कदम है, ता क हम अपने समुदाय व ेत के िनयं ण को ख म कर सक। जो मुनाफा और आय अ ेत के िह से का है, उस पर अ ेत का अिधकार होना चािहए।” जै सन क पहली बड़ी कामयाबी ए- एंड पी- कं पनी के िखलाफ िमली। वह कं पनी देश-भर म परचून क दुकान क शृंखला संचािलत करनेवाली सबसे बड़ी कं पनी थी। 6 महीने तक िशकागो के अ ेत ब ल इलाक म ए- एंड पीक 36 दुकान का बिह कार कया गया। गृिहिणयाँ पाद रय के साथ कतार म खड़ी होकर अ य दुकान से समान खरीदने लग । अ भुत एकजुटता का प रचय देते ए अ ेत समुदाय ने ए- एंड पी- का बिह कार जारी रखा।

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इस बिह कार के चलते ए- एंड पी- को बड़े पैमाने पर नुकसान सहना पड़ा। इस बिह कार का गहरा भाव पड़ा और 220 अ ेत को रोजगाार िमल गया। उ ह िडलीवरी बॉय से लेकर िडपाटमट मैनेजर के पद पर िनयु कया गया। इसके अलावा कं पनी ने आ ासन दया क वह अ ेत ापा रय के उ पाद क िब बढ़ाएगी और अ ेत का बक के वसाय के िलए इ तेमाल करे गी। वेल टी- कं पनी ने 600 अ ेत कमचा रय को िनयु कया। अ य दजन कं पिनय ने बिह कार का इं तजार नह कया और उ ह ने जै सन को सूिचत कर दया क वे अ ेत के िलए नौक रय का सृजन कर रही थ । जै सन ने एक प कार को बताया,“ आप नई नौक रय क िगनती नह कर सकते, य क कं पिनय ने बिह कार क आहत पहले ही सुन ली।” कं ग ने िशकागो म एक और मह वपूण काय के - जै सन क ितभा का इ तेमाल कया। जै सन ने अ ेत ारा िनयंि त िव ीय सं था का िव तार कया, जो सं थाएँ अ ेत क े िनधनता क सम या के ित संवेदनशील रवैया अपनाती थ । अ ेत के बक का संसाधन बढ़ते जाने से अ ेत ापा रय को आसानी से ऋण िमल सकता था, जो अ ेत कमचा रय को रोजगार देकर समुदाय के उ थान म अहम भूिमका का िनवाह कर सकते थे। ऑपरे शन ेड बा के ट अ ेत समुदाय के बीच उ थान और उपभो ावाद के च का िनमाण कर रहा था।

िशकागो म जै सन को ऑपरे शन ेड बा के ट चलाने म जो कामयाबी िमली, उसे देखते ए दूसरे शहर से भी बुलावा आने लगा। इस अिभयान ने जै सन को नाग रक अिधकार आंदोलन क अि म पंि म लाकर खड़ा कर दया और बाद म मह वपूण रा ीय नेता बना दया। मेरडीथ माच कं ग के जीवन म जैसा क अनेक अवसर पर हो चुका था, सोची-समझी योजना के बावजूद कई सम याएँ कट हो जाती थ । 6 जून को कं ग को सूचना िमली क नाग रक अिधकार आंदोलन के नेता जे स मेरडीथ को िमसीिसपी म गोली मार दी गई थी। सन् 1951 से 1960 तक वायु सेना म नौकरी करने के बाद मेरडीथ ने दो साल तक जै सन टेट कॉलेज म पढ़ाई क थी। सन् 1962 म वह थम अ ेत छा बने, िजसे िमसीिसपी िव िव ालय म दािखला िमला था। मेरडीथ के दािखले क वजह से िमसीिसपी के ऑ सफोड प रसर म िहसा फै ल गई थी और 2 ि य क जान गई थी।

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अब मेरडीथ ने नाग रक अिधकार के िलए अिभयान छेड़ रखा था। मतािधकार के समथन म अ ेत क िनभ कता और िन ा को जताने के िलए उ ह ने टेिनसी के म फस से िमसीिसपी के जै सन तक या करने का फै सला कया था। 32 वष य मेरडीथ क ‘भय के िव या ’ िमसीिसपी के हेरनडो तक प च ँ चुक थी। उ ह ने 30 मील क दूरी तय कर ली थी। एक हाथ म छड़ी और दूसरे हाथ म ‘बाइिबल’ लेकर वह कदम बढ़ा रहे थे, तभी सड़क कनारे क झािड़य म िछपे एक ि ने मेरडीथ क पीठ और पेट पर 3 गोिलयाँ चला । समय पर हमलावर को मेरडीथ ने देख िलया था और वह जमीन पर लेट गए थे, इस तरह उनक जान बच गई थी। हमलावर को एफ-बी-आई- एजट ने िगर तार कर

िलया था, िजसे 5 साल क सजा सुनाई गई थी। कं ग फौरन मेरडीथ का हाल-चाल जानने के िलए म फस प च ँ गए। मेरडीथ के घाव गंभीर नह थे। दोन ने ‘ टू डट नॉन वॉयलट कॉ डने टग कमेटी’ के टॉफली काम के ल और फोर के “ रलाइड म फिसक के साथ जै सन तक क या पर िवचार करना शु कर दया। इस या को ‘मेरडीथ माच’ के नाम से जाना गया। जब मेरडीथ को हमले क वजह से म फस से ठठक जाना पड़ा था, तब दूसरे समथक ने हरनडो से या को जारी रखा था। वे लोग 3 ह ते तक चलते रहे थे और उ ह ने िमसीिसपी के हजार अ ेत मतदाता का पंजीयन करवाने म सहायता क थी। 26 जून को मेरडीथ फर या म शािमल ए और जै सन प च ँ गए। मेरडीथ माच के दौरान िमसीिसपी के ीन वुड म टॉफली काम के ल को िगर तार कया गया और फर रहा कर दया गया। टॉफली ने अपने एक भाषण से सनसनी फै ला दी थी। उ ह ने आंदोलनका रय से कहा था क“ लैक पावर क माँग करने का व आ गया था।” यह ऐसी माँग थी, जो नाग रक अिधकार आंदोलन को आनेवाले समय म भािवत करनेवाली थी। यह माँग कं ग के अ हंसक नाग रक अिधकार आंदोलन के िस ांत पर चोट करने वाली थी। बाद म कं ग ने टॉफली के भाषण के बारे म कहा क“ श द का उ ह ने दुभा यपूण चयन कया था।” आने वाले समय म कं ग को इस मसले पर क ठन चुनौती का सामना करना पड़ा।

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िशकागो का आिसयान

10 जुलाई, 1966 को िशकागो के िवशाल सो जस फ ड म ‘ डम डे’ के प म जनसभा का आयोजन कया गया, िजसम लगभग 60,000 ेत व अ ेत नागा रक एक ए। इस अवसर पर महािलया जै सन ने गीत गाए। कं ग अपने समथन म आक िबशप जॉन काड नाल कोडी से एक बयान जारी करवाने म सफ़ल हो गए। काड नाल ने अपने संदश े म कहा था, आपका संघष मेरा संघष है। आपक यं णा मेरी यं णा है। जब तक िशकागो और अमे रका क धरती से भेदभाव और अ याय का नामोिनशान ख म नह हो जाता, तब तक जारी रहनेवाले संघष म म आपके साथ ।ँ ” लगभग 5,000 आंदोलनकारी कं ग के नेतृ व म सो जस फ़ ड से जुलूस िनकालकर िसटी हॉल तक प च ँ ,े जहाँ मेयर रचड जे- डाले के दरवाजे पर कं ग ने अपना माँग-प िचपका दया। उस माँग-प को उ ह ने ‘अ हंसक वतं ता सेनानी’ का माँग-प बताया था। कं ग िशकागो म आवास, रोजगार और िश ा के े म भेदभाव समा करवाना चाहते थे। दरवाजे पर माँग-प िचपकाकर कं ग ने उस घटना क याद दला दी थी, जब उनके ही नामवाले जमन िव ान् मा टन लूथर ने 31 अ ू बर, 1517 को जमनी के पीटनबग म ि थत कै सल चच के दरवाजे पर माँग-प िचपकाया था। उनके इस काय म ोटे टट सुधार आंदोलन क शु आत ई थी।

कं ग ने प कार को बताया क िशकागो म 80,000 अ ेत नाग रक को मिलन बि तय म रहने के िलए मजबूर होना पड़ा था, जो घ रया आवाज के िलए महँगा कराया चुका रहे थे, िजनके ब के िलए बेहतर कू ल नह बनाए गए थे। उनके बीच बेरोजगारी 13 फ़ सदी थी। यह ितशत रा ीय औसत से काफ़ अिधक था। यादातर अ ेत को के वल मजदूरी के काय िमल सकते थे। उ ह गरीबी और रं गभेद के दो पाट के बीच िपसना पड़ रहा था। िशकागो जुलूस क तैया रयाँ करते ए जहाँ कं ग ने चच के नेता और राजनेता से बातचीत क , वह कोबरा और लैक टोन रै जस जैसे युवा के संगठन से भी बात क । कं ग सभी से आ वान कर रहे थे क आनेवाले समय म वे हंसा के माग से दूर ही रह। ऐसी मुलाकात के दौरान याय िवभाग का अिधकारी रोजर िवल कस भी उपि थत था, िजसे रा पित जॉनसन ने भेजा था। िवल कस ने बाद म िलखा क युवा के साथ कं ग कसी संत क तरह बरताव कर रहे थे और उनके भीतर क मानवता व आ था को जगाने का यास कर रहे थे। युवा िहसा म िव ास रखते थे, ले कन कं ग उ ह यह समझाने म सफ़ल रहे क िहसा का सहारा लेना आ मघाती कदम सािबत हो सकता था। 12 जुलाई क रात िशकागो म भयंकर गरमी पड़ रही थी। सावजिनक ि व मंग पूल म अ ेत का वेश व जत था। कु छ अ ेत ब े सरकारी नल खोलकर नहाने लगे थे, तभी पुिलसकम प च ँ गए थे और नल को बंद कर दया था। लड़क ने नल को फर खोल दया था। जब पुिलसकम दोबारा आए तो उन पर प थर व बोतल क बरसात क गई और चार तरफ़ अराजकता क ि थित पैदा हो गई। अ ेत क भीड़ सड़क से गुजरनेवाले वाहन पर चीज फ़कने लगी और पड़ोस क दुकान के शीशे तोड़ने लगी। तनाव क खबर पाकर कं ग अपने सहयोिगय के साथ घटना- थल पर प च ँ ।े उ ह ने लोग से शांत होने का अनुरोध कया। रातोरात माहौल शांत हो गया।

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अगली सुबह शहर के अिधका रय ने ित या क । कमचा रय को तैनात कया गया, ता क अ ेत ब े नल न खोल सक। गरमी के दन म िशकागो के अ ेत ब े सरकारी नल खोलकर नहाते रहे थे। सरकार ने जब नहाने पर रोक लगा दी तो वाभािवक प से अ ेत आबादी को गु सा आ गया। देखते-ही-देखते समूचा इलाका रणभूिम म त दील हो गया। शहर के दि ण-पि म और पूव र िह से तथा उपनगर म िहसा फै ली थी, जहाँ नाग रक अिधकार आंदोलन के कायकता शांित जुलूस िनकाल रहे थे। उनके ऊपर कई चीज फक जाती थ , अपमािनत कया जाता था, जान से मारने क धमक दी जाती थी; मगर सामािजक याय के ित कायकता के मन म िन ा अटू ट बनी ई थी। एक कायकता ने कहा, हम जुलूस म शािमल होकर घर लौटते थे और साहस बटोरकर फर अगले दन जुलूस म शािमल हो जाते थे।” कायकता म गजब का अनुशासन था। उ युवा समूह के सद य भी पूरी तरह अ हंसक बने ए थे। बाद म कं ग ने कहा, मने देखा, उनक नाक म

चोट लगती थी, खून बहने लगता था; मगर उनम से कसी ने िहसा का जवाब िहसा से नह दया।” एस-सी-एल-सी- के सद य टोनी कु क ने बताया क जुलूस म शािमल लोग पर बीयर क बोतल फक जा रही थ । कु क ने बताया,“ एंडी यंग क कार मने खड़ी क थी, िजसे भीड़ ने धके लकर गत म फककर आग लगा दी थी।” एक ह ते म 2 लोग मारे गए, 80 ि घायल ए। 2 पुिलसक मय को गोली मारी गई थी। 400 से अिधक अ ेत युवक को िगर तार कया गया था। ापार को सवािधक नुकसान प च ँ ा था। कानून व था को िनयंि त करने के िलए डाले ने गवनर ओरो कनल से नेशनल गा स भेजने का अनुरोध कया था। कं ग ने महसूस कया क िशकागो म अिधक प ल य को सामने रखकर आंदोलन चलाने क आव यकता थी। कं ग ने अपने सहयोिगय के साथ अ ेत के आवास के मु े पर यान देने का फै सला कया। गरीब अ ेत को मिलन बि तय म नारक य जंदगी गुजारनी पड़ रही थी। कु छ कायकता को यह मु ा िपछले लंच काउं टर के मु े के समान ही लग रहा था, िजसे लेकर शु कए गए आंदोलन को उ लेखनीय सफलता िमली थी। िशकागो म हजार मकान िब या कराए के िलए उपल ध थे, मगर अ ेत को उनम रहने का अिधकार नह था।

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कायकता ने रयल इ टेट कं पिनय से संपक कर मकान क सूची क जाँच शु कर दी थी। वे इस नतीजे पर प च ँ े क िगने-चुने इलाके म ही मु ी भर अ ेत को बेहतर आवास क सुिवधा िमल पाई थी। ऐसे िनधा रत इलाके म ही अ ेत घर खरीद सकते थे। इस मामले म अ ेत के साथ भेदभाव का बरताव कया जा रहा था। कायकता ने ेत के मोह ले म जुलूस िनकालकर इस तरह के भेदभाव का िवरोध जताया। इस अिभयान को ‘आवास अिभयान’ कहकर पुकारा गया।

28 जुलाई को कायकता ने गेग पाक म रयल इ टेट के एक कायालय का घेराव कया। इस दशन पर थानीय िनवािसय ने िहसक ित या जताते ए कायकता पर प थर और बोतल बरसा , साथ ही उ ह गािलयाँ भी द । पुिलस ने अ ेत क सुर ा करने का यास कया, मगर इससे ेत का गु सा और भी बढ़ता गया। ेता क भीड़ ने 24 कार को तहस-नहस कर दया और 30 ि य को घायल कर दया। इस अराजक दृ य को एं यू यंग ने अपनी आँख से देखा था। और बाद म इसके बारे म बताया था,“ 10 हजार से यादा लोग हमारे ऊपर टू ट पड़े थे। वे हम गािलयाँ दे रहे थे। हमारे ऊपर कचरा फ़क रहे थे, ऐसा लग रहा था मानो कसी यु - े म हम चार तरफ़ से घेर िलया गया था।” 5 अग त को कं ग क अगुवाई म िशकागो के दि ण-पि म इलाके म जुलूस िनकाला गया, जहाँ ु भीड़ ने कायकता पर प थर बरसाए। कं ग िशकागो म फ़ै ली नफरत को देखकर अवा फ़ रह गए थे। उस रात कु छ थके ए अंदाज म कं ग अपने

िम के घर म बैठे ए थे। उ ह ने धीरे से कहा, मने पहले कभी ऐसी घृणा और श ुता नह देखी थी। ये लोग मनु य के ित मनु य के अमानवीय वहार के तीक क तरह ह।” 8 अग त को जेसी जै सन ने घोषणा क क िशकागो के पि म म ि थत उपनगर ेत के उपनगर िससरो म जुलूस िनकाला जाएगा। देश के उ र म िससरो को सवािधक रं गभेद से त इलाका माना जाता था और आंदोलनका रय ने जोिखम भरा े चुन िलया था। चार महीने पहले चार गोर ने एक अ ेत कशोर को पीट-पीटकर मार डाला था। सन् 1951 म जब एक अ ेत प रवार ने िससरो म बसने क कोिशश क थी तो इसी बात पर दंगा फ़ै ल गया था। िससरो म जुलूस िनकालने क घोषणा सुनकर िशकागो के नेता आशं कत हो गए। उ ह लग रहा था क इस तरह भयंकर र पात हो सकता था। इस दौरान िशकागो हे स, मा कट पाक और के गीन इलाके म जुलूस िनकाले गए। नेतृ व ने िससरो तक जुलूस िनकालने क तारीख रिववार 28 अग त क घोषणा कर दी थी। िनरं तर िवरोध म िनकाले जा रहे जुलूस से िशकागो म तनाव बढ़ता जा रहा था और सुलह क कोिशश करने के िलए दबाव बढ़ता जा रहा था। शहर के अिधका रय और नाग रक अिधकार आंदोलन के नेता के बीच कई बैठक । इन बैठक म मेयर डाले, रयल इ टेट एजट, ापारी और धा मक नेता ने भी भागीदारी क ।

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26 अग त, 1966 को मेयर ने कं ग को पामर हाउस होटल म बातचीत के िलए आमंि त कया। एक समझौता तैयार करने के िलए डाले के साथ कं ग और उनके सहयोिगय ने दस घंटे तक बैठक क । कं ग चाहते थे क शहर के कसी भी इलाके म अ ेत को घर खरीदने या कराए पर लेने का अिधकार िमलना चािहए। डाले चाहता था क आंदोलन को रोका जाए और यथाि थित को बहाल रखा जाए। इस तरह बातचीत के दौरान गितरोध बना आ था। जब सभी बैठक से बाहर िनकले तो डाले ने नतीजे क सराहना क । कं ग भी संतु नजर आए। हालाँ क समझौते के ताव को लागू करने क कोई समय सीमा िनधा रत नह क गई थी। ले कन कं ग इस िन कष पर प च ँ े थे क मुि क दशा म आंदोलन ने साथक ह त ेप कया था, िजससे आने वाले समय म बदलाव होना िनि त था।

िवयतनाम, लैक पावर और वष 1967 वष 1967 के आरंभ म

कं ग को उथल-पुथल भरे राजनीितक प रदृ य का सामना करना पड़ा। िवयतनाम यु पर हो रहे खच को देखते ए संसद् और शासन ने िनधनताउ मूलन संबंधी सारी योजनाएँ थिगत कर दी थ । युवा म अब नाग रक अिधकार को लेकर वैसा जोश नह रह गया था। सबका यान यु पर क त था। और यु का िवरोध जताया जा रहा था। दूसरी तरफ़ नाग रक अिधकार क आवाज बुलंद करनेवाले अब व रत प रवतन क बात करने लगे थे और इसके िलए िहसा को भी ज री बता रहे थे। वा स दंगे के कड़वे अनुभव के बाद ‘ लैक पावर’ का उ थान होने लगा था। दूसरी तरफ़ नाग रक अिधकार संघष को लेकर ेत के मन म असिह णुता का भाव बढ़ता जा रहा था।

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िवयतनाम यु

दूसरे अमे रक ि य क तरह कं ग भी अमे रक इितहास के सबसे बड़े यु को लेकर दुःखी थे। िवयतनाम यु क जड़ सन् 1954 क घटना से जुड़ी थ , जब उ री िवयतनाम म सा यवादी सेना ने हो ची िम ह के नेतृ व म“ रांसीसी सेना को परािजत कर दया था। दि णी िवयतनाम पर ांस एक सौ से अिधक वष से शासन करता रहा था। स ा से उखाड़े जाने पर अमे रका क सहायता लेकर ांस ने नए िसरे से स ा हािसल करने क कोिशश क । मगर उसे उ री िवयतनाम के सैिनक ठकाने डीन बीन फू म करारी िशक त का सामना करना पड़ा। 56 दवसीय संघष िवराम क समाि के साथ इं डो-चीन म“ रांस का औपिनवेिशक शासन भी समा हो गया। जेनेवा शांित समझौते के तहत“ रांस का आिधप य समा होने और सन् 1950 म िवयतनाम म आम चुनाव करवाने क घोषणा क गई।

सा यवाद के सार से चंितत होने के कारण अमे रक रा पित आइजनहॉवर ने दि णी िवयतनाम म गो दीन देन के नेतृ व म सरकार ग ठत करने म सहायता क । इसके साथ ही अमे रका“ रांस क तरह िवयतनाम के अिभभावक क भूिमका िनभाने लगा। जेनेवा शांित संिध के तहत कए गए वादे से मुकरते ए दि ण िवयतनाम क नई सरकार ने जब चुनाव करवाने से इनकार कर दया तब िवयतनाम के सा यवादी छापामार ने नई सरकार के िखलाफ यु का ऐलान कर दया।

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रा पित के नेडी ने िवयतनाम के हालात का जायजा लेने के िलए एक दल भेजा। दल ने अपनी रपोट म बताया क अमे रका को िवयतनाम म ह त ेप करने क ज रत थी। इस समय अमे रका सै य ह त ेप करते ए िहच कचा रहा था, य क उसे भी“ रांसीसी सेना क तरह भीषण चुनौती का सामना करना पड़ सकता था। सन् 1963 म िलडन जॉनसन अमे रका के रा पित बने। इसके साथ ही िवयतनाम का संकट बढ़ता ही गया। अमे रक रणनीितकार समझ गए थे क दि ण िवयतनाम क सेना सा यवादी यो ा को परािजत नह कर सकती थी। जॉनसन पर अमे रक सेना का दबाव बढ़ा क उ र िवयतनाम के िखलाफ़ अिधक आ ामक कारवाई क जाए। सेना मुख ने रा पित को सलाह दी क दि ण िवयतनाम म अमे रक सेना को भेज देना चािहए।

2 अग त, 1964 को अमे रक िवमान ‘मेडो स’ पर टोनफ़ न खाड़ी म िवयतनाम के तीन टोरपेडो जहाज से गोिलयाँ चलाई ग । मंडो य ने जवाबी हमला कया और िवयतनाम का एक जहाज डू ब गया । उ री िवयतनाम पर आ मण के औिच य को उिचत ठहराने के िलए जॉनसन को एक बहाना िमल गया। जॉनसन ने उ र म चार टोरपेडो जहाज और एक तेल भंडार पर बम बरसाने का आदेश दे दया। इस हमले क योजना तीन महीने पहले ही बना ली गई थी। इसके बाद टी-वी- के ज रए देश को संबोिधत करते ए जॉनसन ने

यु शु होने क घोषणा कर दी। संसद् ने उ री िवयतनाम पर बमबारी करने के जॉनसन के फ़ै सले को तुरंत मंजूरी दे दी और उ री िवयतनाम के िव तमाम ज री कदम उठाने का अिधकार रा पित को स पने का ताव पा रत कया यु म अमे रका क भागीदारी बढ़ती गई। युवा अमे रक सैिनक क लाश वदेश लौटकर आने लग । यु के मसले पर राजनीितक िवभाजन तीखा होता गया। टी-वी- के परदे पर िव वंस और मृ यु के दृ य नजर आने लगे। यु का उ माद थमता गया। और यु को रोकने क माँग तेज होती गई। अग त 1965 एस-सी-एल-सी- के सलाना अिधवेशन म कं ग ने यु पर अफसोस जताया और इसके िलए देश क सरकार क आलोचना क । उ ह ने अपने सािथय से आ वान कया क वे यु को रोकने क अपील सरकार से कर। कं ग ने त काल िवयतनाम म अमे रक बमबारी रोकने क माँग क । कं ग के िवरोध को देखकर सरकार नाराज ई। शु -शु म कं ग यु को लेकर खामोश बने ए थे। उ ह लग रहा था क कह संसद् नाग रक अिधकार िवधेयक को नजरअंदाज न कर दे। दसंबर 1966 म रा पित जॉनसन ने जब ऐलान कर दया क गरीबी-उ मूलन के िलए िनधा रत पँ◌ूजी का इ तेमाल िवयतनाम यु के िलए कया जाएगा तो कं ग ने यु को अनैितक और तकहीन कहकर सरकार के रवैए क आलोचना शु कर दी। सन् 1966 म ए संसदीय चुनाव म डेमो े ट को नाटक य िशक त का सामना करना पड़ा। इस दौरान कं ग ने रा पित जॉनसन से फोन पर बात क । कं ग यु का िवरोध कर रहे थे, इसिलए रा पित उनके ित नाराज हो गए थे। ले कन कं ग रा पित पर जोर दे रहे थे क यु पर होनेवाले खच के बावजूद सरकार को आवास एवं अ य बुिनयादी मसल क तरफ गौर करना चािहए था और नाग रक अिधकार आंदोलन क माँग क उपे ा नह करनी चािहए थी। बातचीत के दौरान जॉनसन ने भी यु के ित अपनी झुँझलाहट को उजागर कया। कं ग समझ गए क लंबे समय से जारी िवयतनाम यु क वजह से रा पित हताश हो रहे थे। एक तरफ सेना और भी फौिजय क माँग कर रही थी, दूसरी तरफ देश भर म शांित के समथन म आंदोलनकारी सड़क पर दशन कर रहे थे। जॉनसन ने कं ग को बताया क वह एक म य माग अपनाने क कोिशश कर रहे थे, ता क सभी प को संतु रखा जा सके । कं ग ने रा पित क बात यान से सुन और कहा क उ ह रा पित से हमदद थी। जब कं ग के सहयोिगय ने उनसे पूछा क उ ह ने वा ालाप के दौरान नाग रक अिधकार आंदोलन क चचा य नह क , तो कं ग ने कहा,“ ि को कभी मसीहा तो कभी उपदेशक बनना पड़ता था। एक े मसीहा एक े उपदेशक भी हो सकता है।” जॉनसन के साथ कं ग क यह आिखरी बातचीत थी।

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जनवरी 1967 म कं ग क प ी फोटेरा सिहत अ य करीबी सहयोिगय ने उनसे िवयतनाम यु का सावजिनक प से िवरोध करने का अनुरोध कया। कं ग के सहयोगी बनाड ली ने उस समय के एक संग को याद करके बताया,“ कं ग भोजन करते व ‘टपा स’ नामक पि का के प े पलट रहे थे। अचानक वे ठठक गए। उ ह ने पि का म मृत ब े के साथ

िवयतनामी माता क तसवीर देखी।“ ब े को हमारी सेना ने मारा था।” ली ने बताया,“ कं ग ने खाने का लेट दूर िखसका दया। मंने उनसे पूछा क या खाना अ छा नह था?” उ ह ने जवाब दी-जब तक म यु को समा करने के िलए यास नह करता तब तक मुझे भी अ छा नह लगने वाला।” फरवरी म यु -िवरोधी सांसद को कं ग ने बताया क अमे रका ने िवयतनाम के साथ यु शु कर सरकार और जनता का यान नाग रक अिधकार आंदोलन से हटा दया। कु छ कायकता और अखबार ने कं ग के िवचार का समथन कया, वह एक दूसरे तबके ने उनक िनदा क । नाग रक अिधकार आंदोलन के कई नेता कं ग के यु -िवरोधी रवैए से सहमत नह थे। और वे मानते थे क नाग रक अिधकार आंदोलन का शांित समथक आंदोलन म िवलय करना उिचत नह होगा। कं ग ने उनक बात क तरफ यान नह दया। 4 अ ैल, 1967 को यूयॉक के रवरजाइड चच म 3,000 लोग क भीड़ को कं ग ने संबोिधत कया। उनके भाषण का शीषक था-िवयतनाम से आगे। कं ग ने कहा, म आज क रात इस अ भुत उपासना गृह म आया ।ँ य क मेरे िववेक ने मुझे ऐसा करने के िलए मजबूर कया है।” कं ग ने कहा क िजस तरह अमे रका के गरीब और कमजोर तबके को यु म मरने के िलए भेजा जा रहा था, वह ू रता और संवेदनशू यता का प रचायक था। यह एक ऐसे देश का आचरण था, जो अपने काले िव ा थय को गोरे िव ा थय के साथ क ा म एक साथ बैठने देने क इजााजत देने के िलए तैयार नह था। कं ग मिलन बि तय म रहनेवाले गरीब अ ेत को उनके हाल पर कै से छोड़ सकते थे, िजन लोग के मन म उ ह ने उ मीद जगाई थी और अ हंसक ितरोध का रा ता दखाया था। उ ह ने कहा था क गरीब तबके के युवा और अमे रका क आ मा को बचाने के िलए वे मूक दशक बनकर बैठे नह रह सकते थे।

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कं ग ने कहा,“ कसी भी ि थित म इस उ माद को रोकना होगा। हम यु रोकना होगा। म ई र क संतान और िवयतनाम के बेबस भाइय क तरफ से अनुरोध कर रहा ,ँ िजनके घर को न कया जा रहा है, िजनके खेत को उजाड़ा जा रहा है, िजनक सं कृ ित को िमटाया जा रहा है। म अमे रका क गरीब जनता क तरफ से अनुरोध कर रहा ,ँ िजसे िवयतनाम क तबाही क दोहरी क मत चुकानी पड़ रही है। म समूचे िव क तरफ से अनुरोध कर रहा ,ँ जो जंग के रा ते का िवरोध करता है। म अमे रका से यार करता ।ँ अपने नेता से अनुरोध करता ँ क िजस तरह उ ह ने जंग क शु आत क , उसी तरह जंग को समा भी कर द।” कं ग ने बमबारी रोकने और एकप ीय यु -िवराम क घोषण करने क माँग क , ता क अमन क बहाली हो सके । उ ह ने दि ण एिशयाई देश म अमे रका क सै य उपि थित घटाने क माँग क । उ ह ने कहा क अमे रका को वीकार करना चािहए क उ री

िवयतनाम को दि णी िवयतनाम म पया राजनीितक समथन ा है। और अमे रका को वा ा के िलए िवयतनाम म भिव य क सरकार के गठन का माग श त करना चािहए। कं ग ने अमे रक सरकार से माँग क क वह िवयतनाम से अपनी सेना को हटाने क तारीख क घोषणा करे । इस भाषण के बाद कं ग सन् 1967 के शांित दशन म शािमल ए। इस दशन म 1,00,000 से अिधक लोग ने यु का िवरोध कया। कं ग ने युवा से अनुरोध कया क वे जाग कता के साथ यु का िवरोध कर। कं ग ने परमाणु परी ण पर ितबंध लगाने क माँग क । उ ह ने िनर ीकरण का िवरोध कया। उ ह ने बताया क िहसा का जवाब िहसा से देने पर आ मघाती प रणाम ही सामने आ सकता है। कं ग ने कहा,“ िवयतनाम म बम धमाके करने से एक सुस य अमे रका क संभावना को न कर कया गया है।” उ ह ने कहा क िहसा का जवाब िहसा से देने से हम दोहरी नाग रकता का सामना करना पड़ सकता है। कं ग के िनभ क ले कन िववादा पद व के कारण समूचे अमे रका म उनके ित समथन घट गया। नाग रक अिधकार आंदोलन के कई नेता कं ग से इस बात पर नाराज हो गए क उ ह ने यु -िवरोधी आंदोलन के साथ नाग रक अिधकार आंदोलन का घालमेल कर दया था। एन-ए-ए-सी-पी- के राय िवल कस, अबेन लीग, ि नटनी यंग, अ ेत सांसद एडम लेटन पॉवेल आ द ने उनक आलोचना क । बेसबॉल िखलाड़ी और नाग रक अिधकार आंदोलन के नेता जैक रोिबसन ने कं ग से अनुरोध कया क वे रं गभेद िमटाने के िलए चलाए जा रहे आंदोलन को राजनीितक मसले क वजह से कमजोर न कर और जब अिधकतर लोग यु का समथन कर रहे ह तो वे यु का िवरोध न कर।

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‘ यूयॉक टाइ स’ और ‘वॉिशगटन पो ट’ सिहत िविभ प -पि का ने कं ग क आलोचना क । अचानक नोबेल शांित पुर कार िवजेता, नैितकता के व ा, मानवािधकार के प धर कं ग पर चार तरफ से हमले होने लगे। जो लोग पहले उनके आंदोलन क सराहना करते रहे थे, वही लोग उनक िनदा करने लगे थे। िवयतनाम म भले ही अमे रका अपनी सारी ताकत झ ककर वांिछत प रणाम हािसल करने म नाकाम रहा था, मगर देशवासी यु को रोकना नह चाहते थे। शु -शु म कं ग के िपता ने भी अपने बेटे के िवचारा का समथन नह कया; पर बाद म उ ह भी यक न हो गया क उनका पु सही बात कर रहा था। ले कन शु से अंत तक कं ग के कॉलेज के अ य और उनके संर क बजािमन मेज उनका समथन करते थे। उ ह ने कहा, म नाग रक अिधकार के उन नेता से सहमत नह ,ँ जो यह कहकर कं ग क िनदा कर रहे ह क उ ह िसफ नाग रक अिधकार क चंता करनी चािहए और िवदेश नीित के साथ नाग रक अिधकार को नह जोड़ना चािहए।” सन् 1968 म रा पित चुनाव करीब आने पर जॉनसन शासन ने यु को रोकने क जगह उसक र तार और बढ़ा दी। साल के आरं भ म उ री िवयतनामी सेना ने दि णी

िवयतनाम पर िव वंसक आ मण शु कर दया। टी-वी- के परदे पर दुिनया भर म लोग यु क िवभीिषका को देख रहे थे। नापाम बम बरसाए जाने से शहर म तबाही का आलम नजर आ रहा था। ल लुहान सैिनक और नाग रक को अ पताल म भरती कया जा रहा था। ऐसा लग रहा था मानो मानवता कराह रही थी। यु कभी ख म होता आ दखाई नह दे रहा था। सन् 1968 म अमे रका के 5 लाख सैिनक िवयतनाम म मौजूद थे। चार साल पहले अमे रका ने हमले क शु आत क थी। हर स ाह दो सौ अमे रक सैिनक और हजार िवयतनामी ि य क मौत हो रही थी। कं ग इस यु को शमनाक और अनैितक मानते थे। जलेक पावर सन् 1967 क गरिमय म िवयतनाम यु क िवभीिषका जारी रहने के साथ ही कं ग एक और बात को लेकर चंितत हो उठे थे। नाग रक अिधकार आंदोलन से जुड़े मु े को लेकर बढ़ती िहसा क घटनाएँ अखबार क सु खय म नजर आ रही थ । अमे रका क मिलन बि तयाँ सुलगने लगी थ । नाग रक अिधकार आंदोलन को रं गभेद और बेरोजगारी के मसले को हल करने म काफ़ सफ़लता िमली थी और अ ेत आबादी को लगने लगा था क ज द ही देश म उसे बराबरी के साथ जीने का अिधकार िमलने वाला था। ले कन देश के उ र म अ ेत को आ थक अिधकार दए जाने का बल िवरोध भी हो सकता था। इस बात क क पना कं ग ने नह क थी। अमे रका के टी-वी- के परदे पर मिलन बि तय के अ ेत युवा और पुिलसक मय क झड़प के दृ य नजर आने लगे थे। सन् 1967 म 75 शहर म िहसक टकराव ए थे।

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यूजस के नेवाक म िहसा के दौरान 26 अ ेत क जान गई थ िमिसगन के डे ाइट म ह ते-भर तक िहसा जारी रही थी और 40 लोग क मौत ई थी। शहर के अ ेत के इलाके जलते रहे थे और चार तरफ़ आग क लपट नजर आती रही थ । िहसा को बेकाबू होते देख रा पित जॉनसन ने िमिसगन के गवनर के अनुरोध पर 4,700 सैिनक को नेवाक म तैनात कया था। कं ग िहसा क िनदा कर रहे थे ले कन वे सबसे अिधक उस सामािजक व था क िनदा कर रहे थे, िजसके तहत अमे रक अ ेत को पशुवत् जीवन गुजारना पड़ रहा था। उनका मानना था क वैसी सामािजक व था क वजह से ही िहसा क नौबत आई थी। सन् 1965 म दंगे के बाद कं ग ने जब वा स का दौरा कया तो उ ह ने बताया क शहर के अिधकारी बेरोजगार को रोजगार के अवसर देकर और बुिनयादी सुिवधाएँ मुहय ै ा करा िहसा को टाल सकते थे। कं ग का मानना था क अमे रक समाज म ा आ थक िवषमता को ख म करने पर ही मसले का थायी समाधान ढू ँढ़ा जा सकता था। अब अ ेत नेता कं ग क आलोचना कर रहे थे और आरोप लगा रहे थे क उनके अ हंसक आंदोलन क वजह से ही दंगे फै ल रहे थे। ये नेता ‘ लैक पावर’ का आ वान कर रहे थे और

अ ेत जनता को सलाह दे रहे थे क कसी भी हमले का जवाब िहसक तरीके से देना सीख ल और चुपचाप अपने ऊपर होनेवाले हमले को बरदा त नह कर। अब तक कं ग नाग रक अिधकार मसले पर काफ गित हािसल कर चुके थे, मगर अब घृणा और भय के सामािजक माहौल को िनयंि त करना आसान नह लग रहा था। और ऐसा तीत हो रहा था मानो अब तक उनका संघष थ ही चला जाएगा। ‘ लैक पावर’ के िस ांत क शु आत काफ पहले ई थी। जब वष 1920 के दशक म मा स गाव ने अ ेत के िलए आंदोलन चलाया था। इस िस ांत को बाद म मैलकम ए स ने भी अपनाया था। अ ेत क मयादा, सामुदाियक एकजुटता, आ थक वावलंबन और ल य हािसल करने के िलए बल- योग क बात इस िस ांत म कही गई थी। इस िस ांत के तहत ेत क शि संचालन के साथ कसी तरह के समझौते क बात से इनकार कया गया था। कु छ अ ेत रा वादी नेता अ ेत के िलए अलग रा बनाने का सपना देखते ए इस िस ांत का समथन कर रहे थे। नाग रक अिधकार को हािसल करने के िलए कं ग के अ हंसक आंदोलन क मैलकम ए स तीखी आलोचना कर रहे थे। नवंबर 1963 म डे ायट म आयोिजत अ ेत नेता के स मेलन म मैलकम ए स ने कहा था क अ क -अमे रक जनता कं ग के अ हंसक आंदोलन के ज रए कभी अपने ल य हािसल नह कर पाएगी। उ ह ने कहा क अ ेत और ेत के बीच सामंज य मुम कन नह था। कं ग मान रहे थे क िहसा का समथन करते ए मैलकम अ ेत को गुमराह करने क कोिशश कर रहे थे।

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लैक पावर के एक और समथक टॉफली काम वेल का मानना था क जब तक ेत तं अ ेत क पहचान का िनधारण करता रहेगा तब तक अ ेत को ेत क दया का मोहताज रहना पड़ेगा। टॉफली का कहना था, ‘लोग को यह बात समझनी होगी क हम सामंज य कायम करने के िलए नह कह रहे ह बि क हम ेत के वच व के िखलाफ संघष कर रहे ह। ेत के वच व को समझने से पहले हम इस भा्र मक मत का खडं न करना हागे श क ते समदु शय कसी दूसरे समुदाय को आजादी दे सकता है। मनु य वतं प म पैदा होता है। कसी को पैदा होने के बाद ही गुलाम बनाया जा सकता है, जैसा क इस देश म होता रहा है। यहाँ अ ेत को पैदा होने पर गुलाम बना दया जाता है। ेत समुदाय अ ेत को आजादी नह दे सकता। कसी-न- कसी को िवरोध का वर बुलंद करना ही होगा और कहना ही होगा क यह देश कोई भगवान् नह है, िजसक मरजी को पूरी दुिनया मानती रहेगी। हम अपनी आजादी क राह पर चल रहे ह। हम ेत के सामने िगड़िगड़ाते ए थक चुके ह। हम अपनी आजादी खुद ही हािसल करनी होगी और इसके िलए हम कसी से भीख माँगने क ज रत नह है। सवाल है, या गोरे लोग रं गभेद को समा करगे और इस देश म सभी को बराबरी के साथ जीने दगे? अगर नह तो हमारे सामने प िवक प है क हम तु हारे साथ नह रहगे या तुम हमारे साथ नह रह पाओगे।’’ काम वेल का ज म सन् 1941 म ि नीडाड के पोट ऑफ़ पेन म आ था। वह अपने

प रवार के साथ हारलेम आए थे और अमे रका के नाग रक बन गए थे। वॉिशगटन क हॉवड यूिनव सटी म उ ह ने िश ा पाई थी। वह नाग रक अिधकार आंदोलन के िविवध े म स य प से भागीदारी करते रहे थे। सन् 1961 म काम वेल िमसीिसपी के जै सन म आयोिजत एक“ रीडम राइड म शािमल ए। अलबानी के दशन म उ ह ने भागीदारी क और यूयॉक म अ पताल क मय क हड़ताल से भी जुड़े रहे। सन् 1964 म दशनशा से ातक क पढ़ाई पूरी करने के बाद काम वेल एस-एन-सी-पी- से जुड़े और िमसीिसपी म मतदाता पंजीयन अिभयान चलाने लगे। धीरे -धीरे उनक िवचारधारा उ होती गई और वह सम वय के यास को संदह े क नजर से देखने लगे। सन् 1965 म उ ह ने अलबामा म अ ेत के एक समूह क मदद ‘ लैक पथर’ पाट बनाने म क । मई 1966 म काम वेल को एस-एन-सी-सी- का अ य चुना गया। नेतृ व म इस प रवतन के साथ एस-एन-सी-सी- ने कं ग क िहसक िवचारधारा पर भरोसा करना छोड़ दया। सन् 1966 म िमसीिसपी म मेरडीथ क ‘भय के िव या ’ के दौरान काम वेल कं ग के सीधे संपक म आए। काम वेल िनजी तौर पर कं ग के शंसक थे। काम वेल ने कहा,“ लोग कं ग से यार करते थे। मने दि ण के नगर म लोग को कहते सुना है क कस तरह कं ग को उ ह ने छु आ था। लोग उ ह ई र क तरह मानते थे। वे आम लोग थे, िजनके िलए हम काम कर रहे ह और हम कं ग का अनुसरण करना होगा। लोग नही जानते थे क एस- एनसी-सी- या है। वे यही कहते थे, ‘आप कं ग के आदमी ह।’ हाँ, मैडम हम उनके ही आदमी ह।”

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हालाँ क कं ग और काम वेल एक-दूसरे का आदर करते थे, ले कन वैचा रक तर पर दोना पर पर िवरोधी नजर आ रहे थे। कं ग मानते थे क एक हताश आदमी क कुं ठा से लैक पावर का िवचार पैदा आ था। कं ग मानते थे क िहसा का सहारा लेने पर मूल उ े य को ही नुकसान प च ँ ने वाला था। वैसे आ थक और राजनीितक शि हािसल करने के िलए कं ग लैक पावर दशन को सकारा मक मानते थे, मगर अ ेत को अलगाववाद के िलए े रत करने के िवचार पर उ ह ऐतराज था, साथ ही इसम जुड़े िहसा के समथन को वे मानने के िलए तैयार नह थे। िनधन के िलए संघष देश ापी दंग,े लैक पावर आंदोलन के उ थान और लंबा खंचता आ िवयतनाम यु नाग रक अिधकार आंदोलन के नेता को परे शानी म डाल रहे थे। देश के संकट के समय कं ग यही मानकर चल रहे थे क काय को जारी रखना चािहए और पहले क तुलना म अिधक मेहनत करनी चािहए। कं ग ने अपने समथक से कहा क वे एकजुट होकर देश के नेतृ व पर दबाव डाल क वे इनसाफ़ के हक म फ़ै सले कर। नवंबर 1967 म कं ग अपने सहयोिगय के साथ नाग रक अिधकार संघष के दूसरे चरण क तैयारी कर रहे थे। इस चरण म देश भर म ा आ थक िवषमता और अ ेत क गरीबी

को मु य मु ा माना गया था। कं ग के नेतृ व म चलाए गए आंदोलन के शु आती एक दशक म कानूनी और संवैधािनक अिधकार हािसल करने पर जोर दया गया था, िजनअिधकार से अ ेत को सां थािनक और सामािजक तरीके स वंिचत रखा गया था। कं ग ने कू ल म अ ेत के साथ रं गभेद िमटाने, अ ेत को मतािधकार दान करने और सावजिनक सेवा म रं गभेद िमटाने के िलए संघष चलाया था। अब कं ग चाहते थे क देश के अ पसं यक को िनधनता के दायरे से उबारने के िलए देश ापी दंग,े लैक पावर आंदोलन के उ थान और लंबा खंचता आ िवयतनाम यु नाग रक अिधकार आंदोलन के नेता को परे शानी म डाल रहे थे। देश के संकट के समय कं ग यही मानकर चल रहे थे क काय को जारी रखना चािहए और पहले क तुलना म अिधक मेहनत करनी चािहए। कं ग ने अपने समथक से कहा क वे एकजुट होकर देश के नेतृ व पर दबाव डाल क वे इनसाफ़ के हक म फ़ै सले कर। नवंबर 1967 म कं ग अपने सहयोिगय के साथ नाग रक अिधकार संघष के दूसरे चरण क तैयारी कर रहे थे। इस चरण म देश भर म ा आ थक िवषमता और अ ेत क गरीबी को मु य मु ा माना गया था। कं ग के नेतृ व म चलाए गए आंदोलन के शु आती एक दशक म कानूनी और संवैधािनक अिधकार हािसल करने पर जोर दया गया था, िजनअिधकार से अ ेत को सां थािनक और सामािजक तरीके स वंिचत रखा गया था। कं ग ने कू ल म अ ेत के साथ रं गभेद िमटाने, अ ेत को मतािधकार दान करने और सावजिनक सेवा म रं गभेद िमटाने के िलए संघष चलाया था। अब कं ग चाहते थे क देश के अ पसं यक को िनधनता के दायरे से उबारने के िलए संघष कया जाए। अ पसं यक म अ क अमे रक , इं िडयन, यूरेटो रक स और िनधन गोरे लोग शािमल थे।

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4 दसंबर, 1967 को कं ग ने अटलांटा म संवाददाता स मेलन आयोिजत कर बताया क एस-सी-एल-सी- ने ‘गरीब जनता’ के िलए आंदोलन शु करने का फ़ै सला कया था। यह अब तक का सबसे कड़ा सिवनय आंदोलन होने वाला था। गरीब और वंिचत क आवाज वॉिशगटन डी-सी- तक प च ँ ाई जाने वाली थी और अमे रक सरकार से माँग क जाने वाली थी क वह आ थक िवषमता को दूर करने के िलए कदम उठाए और येक ि के िलए रोजगार सुिनि त करे । हम लोग राजधानी जाएँगे। हम अपनी माँग रखगे और जब तक सरकार हम जवाब नही देगी, हम अपनी जगह से िहलगे नह । अगर हमारे आंदोलन पर बल- योग कया जाएगा तो हम उसका सामना करगे, जैसा क हम पहले भी करते रहे ह। अगर इसके िलए हम तकलीफ़ उठानी पड़ेगी, कु बानी देनी पड़ेगी, हम अभी से तैयार ह। कं ग क योजना के अनुसार देश भर के नगर और गाँव म एस-सी-एलसी- के सद य अलग-अलग समूह बनाकर वॉिशगटन प च ँ कर अमे रक सरकार से िविभ सुधार क माँग करने के िलए ापन देने वाले थे। कं ग ने अपने समथक से कहा क वॉ श्ांगटन आंदोलनका रय के साथ श ुतापूण बरताव कर सकता था। िशकागो के मेयर जे- डाले क

तरह रा पित जॉनसन भी गरीब के ित कठोर रवैया अपना सकते थे, जो गरीब अपने हालात को सुधारने के िलए सरकार पर दबाव डालने वाले थे। सन् 1963 म वॉ श्ांगटन म माच िनकाला गया था और िलकन मेमो रयल म कं ग ने िजस तरह यादगार भाषण दया था, वैसा माहौल अब नह रह गया था। और इस बार सरकार तट थ नह रहने वाली थी। कं ग ने इस तरह का अनुमान जताते ए कहा क 1,500 आंदोलनकारी वॉ श्ांगटन से तब तक नह हटगे, जब तक सरकार गरीबी और बेरोजगारी को िमटाने के िलए कसी ठोस नीित क घोषणा नह करे गी। कं ग ने कहा क सेलमा के आंदोलन के बाद ही सरकार ने अ ेत को मतािधकार दया था, ब²मघम के आंदोलन के बाद ही सावजिनक सेवा से सरकार ने रं गभेद को ख म कया था। उनका आ वान िसफ़र् अ ेत नाग रक के िलए नह था, बि क अमे रका के सम त गरीब के िलए था, िजनम गोरे , इं िडयन, मेि सकन अमे रक , पुत रक स और अ य समुदाय के लोग शािमल थे। कं ग मानते थे क िजस हताशा के चलते लोग िविभ शहर म दंगे कर रहे थे, उसी हताशा को ऊजा बनाकर लोग सरकार पर दबाव बना सकते थे क वह आ थक िवषमता और भेदभाव का समाधान करे । आंदोलनकारी ‘आ थक अिधकार कानून’ क माँग करने वाले थे, िजसके तहत येक ि के िलए रोजगार के अिधकार को सुिनि त कया जा सकता था, असहाय के िलए आ थक सहायता सुिनि त क जा सकती थी, कम लागतवाले घर का िनमाण कया जा सकता था और आवाज के मामले म भेदभाव को समा कया जा सकता था।

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कं ग ने जैसी आशंका क थी, उसी तरह गरीब के आंदोलन के ताव पर सरकार और राजनेता ने तीखी ित या जािहर क थी। वॉ श्ांगटन म कोई नह चाहता था क शहर म आंदोलनका रय क भीड़ इक ी हो य क इस तरह अराजकता, िहसा और तोड़-फ़ोड़ क घटना हो सकती थी। सरकारी अिधका रय और मीिडया ने इस ताव का खुलकर िवरोध जताया था। पि मी वज िनया के सांसद रॉबट बड ने कहा क कं ग आ मचार के भूखे थे और अशांित फ़ै लाने क कोिशश कर रहे थे। बड ने आरोप लगाया था क कं ग र पात करवाना चाहते थे और सरकार को बड़े पैमाने पर नुकसान प च ँ ाने क सािजश रच रहे थे। कं ग गरीब के आंदोलन को आगे बढ़ाने क तैयारी म जुटे थे। उसी समय उनका यान अ ेत मजदूर के संघष क तरफ़ आक षत आ था। टेिनसी के म फस शहर म अ ेत सफ़ाई कमचारी एकजुट होकर हड़ताल कर रहे थे। वे बेहतर काय के माहौल और तन वाह के िलए यूिनयन बनाकर संघष कर रहे थे। इस हड़ताल के दौरान दो सफ़ाई कमचा रय क मौत हो चुक थी। बा रश या तूफान के मौसम म, म फस म अ ेत सफ़ाई कमचा रय को कसी भवन पर या कू ड़े ढोनेवाले क तक म शरण लेने क इजाजत नह िमली ई थी। वे क के नीचे बैठकर अपना बचाव कर सकते थे। एक सद घटना म दो सफ़ाई कमचा रय को क ने बा रश के दौरान कु चल

दया था। इस घटना के बाद जनता का यान सफ़ाई कमचा रय क शोचनीय ि थित क तरफ़ आक षत आ था। न तो उ ह कसी तरह क सुर ा िमली ई थी, न ही उ ह मेहनत के आधार पर उिचत वेतन दया जा रहा था। यूिनयन बनाकर सफ़ाई कमचारी अपने हालात म सुधार करने क माँग कर रहे थे। म फस के नविनवािचत मेयर हैरी लोबे ने सफ़ाई कमचा रय से कसी तरह क बातचीत करने से इनकार कर दया था और काम पर नह लौटने पर सभी सफ़ाई कमचा रय को नौकरी से िनकाल देने क धमक दी थी। फ़रवरी के आरं भ म के वल एक-चौथाई सफ़ाई कमचारी काम कर रहे थे और कू ड़ा को हटाने के िलए ठे के के मजदूर क सेवा ली जा रही थी। जब नाग रक अिधकार से जुड़े संगठन और िमक नेता ने कं ग के संगठन से मदद माँगी तब कं ग ने मामले म ह त ेप करने का फ़ै सला कया। एं ू यंग सिहत उनके कई सहयोिगय ने उनसे कहा क म फस क या करने से िनधन के िलए तािवत आंदोलन भािवत हो सकता था। मगर कं ग म फस के िनबल समुदाय क ज रत के व पीठ फ़े रना उिचत नह समझ रहे थे। 28 माच को कं ग लगभग 200 पाद रय के साथ एक बार िपफ़र आ थक और जातीय याय के प म म फस क सड़क पर िवरोध दशन का नेतृ व कर रहे थे। आंदोलनका रय पर पुिलस ने डंडे बरसाए, आँसू गैस छोड़े और गोिलयाँ चला । गोली लगने से 16 वष य एक कशोर क मौत हो गई। िखड़ कयाँ तोड़ने और दुकान लूटने के आरोप म 300 आंदोलनका रया को िगर तार कर िलया गया। 60 ि बुरी तरह घायत ए। शहर म नेशनल गा स को तैनात कया गया और क यू लागू कर दया गया। म फस सुलग रहा था।

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कु छ समय के िलए अटलांटा आने के बाद कं ग म फस लौट गए, जहाँ वे मसले को हल करने के िलए सरकार और हड़तालक मय के बीच बातचीत करवाना चाहते थे और 5 अ ैल को िनकाले जानेवाले एक और जुलूस क तैयारी करना चाहते थे। कं ग एक स ते दोमंिजला होटल म ठहरे थे। सन् 1920 म इस होटल का िनमाण कया गया था, तब इसका नाम ‘ वंडसर’ था। यह एकमा होटल मु य शहरी इलाके म ि थत था, जहाँ अ ेत को ठहरने दया जाता था। अब इसका नाम ‘लोराइन’ रख दया गया था। कं ग कमरा नं- 306 म ठहरे थे।

म फस म शहादत 3अ

ै , 1968 क शाम कं ग म फस के मेसोिनक टपल म आयोिजत सभा को संबोिधत ल कर रहे थे। म फस नगर शासन ने कं ग पर दूसरा जुलूस िनकालने पर ितबंध लगाने क घोषणा कर दी थी। इस अवसर पर कं ग ने असामा य क म का भाषण दया। उनका भाषण ेरक और बेबाक था, मगर उनके लहजे म दद का भाव िछपा आ था। उ ह ने कहा क कस तरह लोग िनजी खुिशय को योछावर कर आंदोलन म उनका साथ देते रहते थे, कस तरह उ ह ने साहसपूवक तमाम बाधा का सामना कया था और कै सी क ठन चुनौितयाँ भिव य म उनका इं तजार कर रही थ ।

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उ ह ने अपने समथक से आ वान कया क चाहे िजतनी भी बाधाएँ सामने य न आएँ, उ ह सामािजक समानता हािसल करने के िलए एकजुट रहना चािहए। हमारे सामने कु छ क ठनाइय से भरे ए दन ह।” कं ग ने उमड़ी ई भीड़ को संबोिधत करते ए कहा,“ ले कन इस बात से मुझे कोई फक नह पड़ता, य क म पवत क चोटी पर प च ँ चुका ।ँ म यहाँ से ल य थान को देख रहा ।ँ हो सकता है क म आप लोग के साथ वहाँ प च ँ नह पाऊँ। ले कन आज क रात म आप लोग को बताना चाहता ँ क हम लोग को वह ल य थान अव य िमलेगा।” और फर भावुकता के साथ िसर उठाकर कं ग ने कहा,“ ले कन इससे मुझे अब कोई फक नह पड़ता, य क म पवत क चोटी पर प च ँ चुका ,ँ और म िचता नह करता। दूसर क तरह म भी एक लंबी जंदगी गुजारना पसंद क ँ गा। दीघ जीवन का अपना अलग मह व होता है, ले कन अभी म इस बात के बारे म सोचना नह चाहता। म के वल ई र क मरजी का पालन करना चाहता ।ँ और उसी ने मुझे पवत क चोटी तक प च ँ ने क इजाजत दी है। और मने अ छी तरह देखा है। मने प प से ल य थान को देख िलया है। हो सकता है, म वहाँ आप लोग के साथ प च ँ नह पाऊँ। ले कन आज क रात म आप लोग से ब त खुश ।ँ मुझे कसी बात क चंता नह है। म कसी ि से डर नह रहा ।ँ मेरी आँख ने ई र क रोशनी का दशन कर िलया है।”

अगली सुबह कं ग और उनके सहयोिगय को खुशखबरी िमली क नगर शासन ने जुलूस पर लगाए गए ितबंध को वापस ले िलया था। दोपहर म जुलूस के आयोजक से मुलाकात

करने के िलए लोराइन होटल म जाने क तैयारी करते ए कं ग अपने कमरे से िनकलकर बालकनी म आ गए। जेसी जै सन नीचे पा²कग थल पर खड़े थे। कं ग और जै सन के बीच कु छ श द का आदान- दान आ। और तभी राइफल से गोिलयाँ चलाने क आवाज सुनाई पड़ी। गोिलयाँ कं ग के चेहरे और गरदन पर लग । कं ग बालकनी क फश पर लुढ़क गए। एं यू यंग, रे वरड सैमुअल काय स और दूसरे सहयोगी दौड़ते ए कं ग के पास प च ँ े। कं ग के करीबी साथी रॉ फ आबरनाथी ने उ ह सहारा दया। फश पर चार तरफ खून फै ल गया था। म फस के मा यूमटल बैप ट ट चच के पे टर और अिधकार आंदोलन के कायकता काय स ‘लोराइन’ होटल के कमरे म कं ग के जीवन क आिखरी घिड़य म कं ग और आबरनाथी के साथ मौजूद थे। काय स ने जुलूस क तैया रय म सहयोग कया था और वे सफाई कमचा रय क हड़ताल से शु से ही जुड़े ए थे। उस शाम कं ग काय स के घर म आयोिजत होनेवाले राि भोज म जै सन के साथ शािमल होने वाले थे। “ लगभग छह बजे हम लोग कमरे से िनकलकर बालकनी म आ गए।” काय स ने घटना म को याद करते ए बताया,“ कं ग उन लोग के अिभवादन को वीकार कर रहे थे, िजन लोग से वे िमल नह पाए थे।” कसी ने कहा था, ‘ठं ड बढ़ रही है, कोट पहन लीिजए।’ वे कमरे म वापस नह लौटे। वे दरवाजे के पास गए और बोले, ‘रॉ फ, मेरा कोट देना।’ रॉ फ कमरे म शेव बनाने के िलए चेहरे पर म लगा रहे थे। उ ह ने कहा, ‘म लेकर आ रहा ।ँ ’ कं ग फर बालकनी क रे िलग के पास चले गए और लोग के अिभवादन का जवाब देने लगे। उ ह ने जेसी जै सन से कु छ कहा और दूसरे लोग से भी एकाध बात कह । हम एक साथ खड़े थे। मने कहा, ‘चिलए, हम चलना चािहए।’

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उस दन के बाद काय स िवचार करते रहे क उस समय वे य कं ग के साथ मौजूद थे। वे इस िन कष पर प च ँ े क घटना का सा ी बनने के िलए ही ई र ने उ ह वहाँ भेज दया था। काय स ने कहा,“ मा टन लूथर कं ग जूिनयर क मौत कसी िनरथक प रि थित म नह ई। उ ह ने न द क यादा गोिलयाँ नह खा । उ ह कसी ई यालु ेमी क गोली का िशकार नह होना पड़ा। वे सफाई कमचा रय क मदद करने क कोिशश करते ए मारे गए।’’ काय स ने इस बात का भी उ लेख कया क कं ग ने कई बार कहा भी था क वे चालीस साल क उ तक जंदा नह रह सकगे। िजस दन ह यारे क गोिलय से उनक मौत म फस म ई, उस दन उनक उ महज 39 साल थी।

अपनी मृ यु से कु छ महीने पहले जनवरी 1968 म कानसस टेट यूिनव सटी म एक सभा को संबोिधत करते ए कं ग ने नाग रक अिधकार आंदोलन का गव के साथ पुनरावलोकन कया था-िजस आंदोलन म हजार लोग ने भागीदारी क थी, शहर-दर-शहर इस आंदोलन के साथ जुड़ते चले गए थे, जुलूस का िसलिसला चलता रहा था। इतने सारे लोग ने मानिसक और आ थक बाधा को लाँघकर प रवतन के िलए शु कए गए जनआंदोलन को उ कष तक प च ँ ाया था। कू ली क ा या बस म ेत के साथ बैठने का अिधकार अ ेत को आसानी से हािसल नह हो पाया था। कं ग ने कहा था क इस आंदोलन क सफलता से सािबत हो गया था क समाज व था के तहत अ ेत के िलए बराबरी का अिधकार हािसल करना मुम कन था। हर तरह के अ याय से छु टकारा पाने के िलए जी-जान से संघष करने क ज रत थी और ऐसा तभी संभव हो सकता था, जब लोग क एकता कायम रहती। हाल के महीन क असफलता और िनराशा के अवसर के बावजूद कं ग को पूरा िव ास था क अंितम जीत उ ह ही हािसल होने वाली थी।

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अपने जीवन के अंितम दन म कं ग अ ेत सफ़ाई कमचा रय के ‘आई एम ए मनै ’ शीषक आंदोलन म शरीक हो गये थ और उनके िवरोध श दशन को वे सही दशा म मोड़ने क कोिशश कर रहे थे। उनके सामने रा ीय तर पर िनधन जनता के िलए शु कए जानेवाले आंदोलन का ल य था। उ ह सफ़ाई कमचा रय के आंदोलन म तािवत रा ीय आंदोलन क झलक दखाई दे रही थी चूँ क एस आंदोलन भी िनधन तम लागे िबु नयादी चीजा के िलए जी-जान से संघष कर रहे थे और व था से अपना हक माँग रहे थे। कं ग क

ापक योजना के प र े य म म फस के आंदोलन को अलग-थलग नह माना जा

सकता था। कं ग मानते थे क व था प रवतन क दशा म सफाई कमचा रय क हड़ताल आंरिभक कदम हो सकती थी, उसी राह पर चलते ए गरीबी के अँधेरे म जी रहे मिलन बि तय के िनवािसय के िलए रोजगार-सृजन का संघष आगे बढ़ाया जा सकता था। म फस के सफाई कमचा रय क आिखरकार जीत ई। कं ग क शहादत ने रं गभेद समथक मेयर को हड़तालक मय से समझौता करने के िलए मजबूर कर दया। इस समझौते से म फस म रह रहे म य वग के अ ेत को फायदा प च ँ ा। हाल के दन म म फस के एक सफाई कमचारी रे लर रोजस ने कहा,“ िसटी हॉल अ ेत से भरा आ है। मेयर के पद पर भी अ ेत ि ह। संग ठत अ ेत कायकता ह, िजनके वोट से अ ेत ितिनिध चुने जाते ह। शहर और गाँव म अ ेत नौकरी कर रहे ह। वे छोटे से लेकर बड़े पद तक काम कर रहे ह। अ ेत को आज ऐसी कामयाबी नह िमली होती, अगर कं ग यहाँ आकर अपनी जान नह देत।े ” म फस क हड़ताल क सफलता के बाद सरकारी नौक रय के गरीब कमचा रय ने देशभर म यूिनयन बना और ऐसी यूिनयन लगातार शि शाली होती ग । कं ग क ह या क खबर अमे रका के साथ दुिनया भर म तुरंत फै ल गई। इसके साथ ही अमे रका म चार तरफ आग क लपट नजर आने लग । देश के 125 थान म दंगा फै ल गया। िहसा क आग म शहर जलने लगे। िचितत होकर रा पित जॉनसन ने हालात सँभालने के िलए कई शहर म सेना को तैनात कया। िहसा के दौरान लगभग 50 ि य क मौत हो गई। ितशोध के िलए हो रही िहसा कने का नाम नह ले रही थी। कै सी अजीब िवडंबना थी, िजस ि ने आजीवन लोग को अिहसा का पाठ िसखाया था उसक ह या ने लोग को िहसा करने के िलए े रत कर दया था। कं ग ने कभी भी िहसा का समथन नह कया था।

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धीरे -धीरे अराजकता शांत होती गई, मानो लोग का गु सा पूरी तरह िनकल चुका था। पूरा देश मातम मनाने लगा। शोकसभा और शांित जुलूस का आयोजन शु हो गया। कं ग के स मान म सारे ित ान को एक दन के िलए बंद रखा गया। 8 अ ैल को शोकसंत रे वरड रॉ फ आबरनाथी को कं ग के उ रािधकारी के प म एस-सी-एल-सी- के स मान म और सफाई कमचा रय क सहायता के िलए जुलूस िनकाला, िजसम फोटेरा और कं ग व कं ग के प रवार के दूसरे सद य भी शािमल ए। 9 अ ैल को एबेनेजर बैप ट ट चच म कं ग के िपता और उनके प रवार के ित सां वना करने के िलए देश के कई राजनेता और जननेता उपि थत ए थे। सभी कं ग के ित ांजिल कर रहे थे। हजार लोग चच के बाहर खड़े होकर रो रहे थे। कं ग के शव को ताबूत म रखकर 3 मील क दूरी तय कर अटलांटा म ि थत साउथ ू क गाह म दफनाया गया। मोरे हाउस कॉलेज के अ य बजािमन मेज 70 वष के थे। कं ग

के साथ उनका समझौता आ था क दोन म से जो जीिवत बचा रहेगा, वह मरनेवाले का अंितम सं कार संप करे गा। मेज ने उदास होकर उस सं कार को संप कया। उ म मेज अपने पूव छा से 30 वष बड़े थे। शोक-संत भीड़ को संबोिधत करते ए मेज ने कहा,“ जो लोग िहसा का समथन करते ह, कं ग उनक तुलना म अिधक साहसी थे। उ ह ने पुिलस, जेल, िनदा और अंततः मृ यु का सामना कया। वे अपनी सुर ा के िलए कभी बंदक ू तो या एक चाकू तक अपने साथ लेकर नह चलते थे। उ ह ई र पर पूरा िव ास था। अगर अमे रका को पूव ह और अ यायपूण नीितय से मु करने के िलए उनके जीवन का बिलदान देना ज री था तो इससे अिधक तकलीफ क बात और कु छ नह हो सकती।’’ ह यारे क तलाश अंतररा ीय तर पर शु हो गई और इस िसलिसले म रं गभेद समथक गोरे ि जे स अल रे को िगर तार कर िलया गया, जो ह याकांड के बाद भागकर इं लड चला गया था। टेनीसी अदालत के सामने मृ युदड ं क सजा के बदले आजीवन कारावास दए जाने का आ ासन पाने के बाद जे स ने ह या का जुम कबूल कर िलया। कई वष गुजर जाने के बाद जे स ने सजा माफ के िलए कानूनी लड़ाई शु कर दी। उसने कहना शु कर दया क कं ग क ह या के पीछे गहरी सािजश थी। सन् 1998 म जे स क मृ यु के समय तक कं ग के कई प रजन ने भी नए िसरे से मामले क सुनवाई करने के ताव का समथन कया था। कं ग के पु डे टर कॉट कं ग ने सावजिनक प से कहा भी क जे स िनद ष था। सन् 1963 म रा पित के नेडी क ह या क तरह कं ग क ह या क सािजश को लेकर अलग-अलग तरह क कहािनयाँ चिलत रही ह।

@BOOKHOUSE1 कं ग का दशन

1962 म रॉ फ कने टीकर के िनटी कॉलेज म छा थे। नाग रक अिधकार आंदोलन से भािवत होकर एलेन ने अपने कु छ सािथय के साथ अलबानी जाकर मतदाता पंजीयन अिभयान म मदद करने का फै सला कया। वहाँ प च ँ कर थानीय कायकता और कं ग के संगठन के सद य के साथ िमलकर उ ह ने चार काय शु कर दया और मतदाता पंजीयन के संबंध म लोग को जाग क बनाने के िलए बैठक का आयोजन करने लगे।

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गरमी के मौसम म एलेन क मुलाकात कं ग, एं यू यंग, टॉकली काम के ल, जे स फामेर और अ य अ णी जननेता से ई। एलेन और उनके साथी दशन व जुलूस म शािमल होने क जगह मतदाता पंजीयन अिभयान पर अपना यान क त कर रहे थे। कई बार पुिलस ने उ ह िगर तार भी कया था।

ओिलप बैप ट ट चच म सा ािहक बैठक आयोिजत होती थी, िजसम मतदाता पंजीयन अिभयान के िविवध पहलु पर चचा होती थी। इस अवसर पर ाथना क जाती थी। जुलाई के म यम म ऐसी ही बैठक म शे रफ जेफ टी- मै यू 15-20 ेत अिधका रय के साथ प च ँ गया। शेरीफ एक-एक कायकता को धमकाते ए पूछताछ करने लगा। समूह के नेता लूिसयन होलोपे सिहत कोई भी अ ेत ि वोट देने म दलच पी नह रखता था; मगर बाहर से आए आंदोलनका रय ने उन लोग का दमाग खराब कर दया था। अग त के अंत म ओिलप चच पर रिववार क सुबह बम से हमला कया गया। नाग रक अिधकार आंदोलन मे नेता ने कं ग को सूचना भेजी िमलकर उ ह ने चार काय शु कर दया और मतदाता पंजीयन के संबंध म लोग को जाग क बनाने के िलए बैठक का आयोजन करने लगे। गरमी के मौसम म एलेन क मुलाकात कं ग, एं यू यंग, टॉकली काम के ल, जे स फामेर और अ य अ णी जननेता से ई। एलेन और उनके साथी दशन व जुलूस म शािमल होने क जगह मतदाता पंजीयन अिभयान पर अपना यान क त कर रहे थे। कई बार पुिलस ने उ ह िगर तार भी कया था।

ओिलप बैप ट ट चच म सा ािहक बैठक आयोिजत होती थी, िजसम मतदाता पंजीयन अिभयान के िविवध पहलु पर चचा होती थी। इस अवसर पर ाथना क जाती थी। जुलाई के म यम म ऐसी ही बैठक म शे रफ जेफ टी- मै यू 15-20 ेत अिधका रय के साथ प च ँ गया। शेरीफ एक-एक कायकता को धमकाते ए पूछताछ करने लगा। समूह के नेता लूिसयन होलोपे सिहत कोई भी अ ेत ि वोट देने म दलच पी नह रखता था; मगर बाहर से आए आंदोलनका रय ने उन लोग का दमाग खराब कर दया था। अग त के अंत म ओिलप चच पर रिववार क सुबह बम से हमला कया गया। नाग रक अिधकार आंदोलन मे नेता ने कं ग को सूचना भेजी जो उस समय अटलांटा म थे और एबेनेजर म सुबह ही वचन देने क तैयारी पर रहे थे। वे उसी समय अपने सािथय के साथ अलबानी क तरफ रवाना हो गए थे, जहाँ चच पर बम से हमला कया गया था। एलेन ने याद कया क कं ग कस तरह लोग को अपनापन और ेह बाँटते थे। वे हमेशा ऐसा वहार करते थे मानो सभी एक ही प रवार के सद य ह । सभी पास ही ि थत कपास के खेत के पास खुली जगह म एकि त हो गए, जहाँ कं ग ने घोषणा क , हम लोग नए िसरे से चच का िनमाण कर।” एलेन ने कहा क सभी ने ाथना क और िमलकर वतं ता का गीत गाया। अंत म हम लोग वृ बनाकर एक-दूसरे का हाथ थामकर खड़े हो गए और गाने लगे-“ वी शैल ओवरकम---।”

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“ दि ण-पि म जा जया म इस अनु ान के अंत म सभी यही गीत गाते थे और कसी को दल क बात कहनी होती थी तो वह खुलकर कहता था। मेरे िम स पॉटर का कहना था क स ा िम वह होता है िजसे आप देर से पुकार सकते ह, मगर वह ज दी प च ँ जाता है। कं ग उसी तरह के स े िम थे। उनक इस िवशेषता के बारे म चचा करना चाहता ।ँ वे जहाँ एक दूर ा थे, वह भावशाली लेखक और व ा भी थे। उनम इतना अिधक साहस था क हमेशा िसर पर मौत का साया मँडराते रहने पर भी हँसी-मजाक करते रहते थे। वे अपने समुदाय के िजन लोग को जानते भी नह थे, उनक सहायता के िलए तुरंत प च ँ जाते थे।” िम , नेता और सही अथ म एक तीक के प म मा टन लूथर कं ग जूिनयर एक भावशाली उपदेशक थे। उनक जडं◌़े ितभा और दुिनया को देखने का उनका नज रया बचपन के पा रवा रक, मौिलक और अ क -अमे रक पाद रय क संगित म िवकिसत आ था। बचपन म एबेनेजर और दूसरे चच म उपदेशक के वचन को सुनकर उ ह ने अपनी मेधा शि का िवकास कया था। जीवन के आरं िभक वष म भले ही धा मक आ था और अनु ान के ित उनका मन शंकालु आ था, ले कन जीवन भर वे एक धम पदेशक बन रहे थे और उ ह हताशा के अँधेरे म संभावना क करण दखाई देती थी तथा अ यायपूण जगत् म भी याय क उ मीद दखाई देती थी। सन् 1963 म िलकन मेमो रयल म दए गए अपने ऐितहािसक भाषण म कं ग ने धा मक मा यता के साथ रा ीय लामबंदी के आ वान का सम वय करके दखलाया था। अपने

भाषण के बीच म उ ह ने िलिखत भाषण के प को एक तरफ रखकर कं ग ने हजार ोता क तरफ देखा था और अपने दृि कोण के बारे म बताना शु कर दया था। उनका दृि कोण धम ंथ से े रत था। ई र क संतान अ ेत और ेत, अमीर और गरीब-जहाँ एक-दूसरे को आदर और ेम भरी नजर से देख।े उ ह ने एक ऐसे समाज के सपने के बारे म बताया था। यह सपना भले ही आसानी से साकार होने वाला नह था, मगर इसका गहरा भाव जनमानस पर पड़ा था।

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मा टन लूथर कं ग के जीवन क मह वपूण ितिथयाँ माइकल कं ग जूिनयर का ज म अटलांटा, जा जया म आ। िपता माइकल थे और माता अ बटा कं ग। बालक को बाद म एम-एल15 जनवरी, 1929 : कं ग के नाम से पुकारा गया और फर मा टन लूथर कं ग जूिनयर के नाम से पुकारा गया। यारहव क पढ़ाई बुकर टी- वॉ श्ांगटन हाई कू ल म पूरी क और 15 साल क उ म अटलांटा के मोरे 1944

:

हाउस कॉलेज म दािखला िलया। यारहव क पढ़ाई बुकर टीवॉ श्ांगटन हाई कू ल

@BOOKHOUSE1 म पूरी क और 15 साल क उ म अटलांटा के मोरे

हाउस कॉलेज म दािखला िलया। 19 वष क आयु म बैप ट ट िमिन ी म आमंि त और एबेनेजर 25 फ़रवरी, 1948 : बैप ट ट चच म सहायक पे टर के प म िनयुि । मोरे हाउस कॉलेज से समाज-शा म ातक क 8 जून, 1948 : पढ़ाई पूरी क । पेनिस वेिनया के चे टर म ि थत“ रोजर िथयोलॉिजकल 14 िसतंबर, 1948 : सेिमनरी म दािखला। मई 1951 : ोजर से बैचलर ऑफ िडिविनटी क िड ी हािसलक । बो टन िव िव ालय म ातक के छा के प म िसतंबर 1951 : णालीब िथयोलॉजी का अ ययन आरं भ कया। फोरे टा कॉट के साथ मे रयन, अलबामा म ि थत उनके 18 जून, 1953 : पैतृक आवास म िववाह। 1954 : म टगोमरी, अलबामा के डे टर एवे यू बैप ट ट चच

के पे टर िनयु ए। बो टन िव िव ालय, बो टन से दशन-शा



5 जून, 1955

:

17 नवंबर, 1955

डॉ टरे ट। : कं ग क थम संतान योलांडा डेिनस का ज म। रोजा पा स नामक एक अ ेत बस या ी को म टगोमरी,

1 दसंबर, 1955

:

अलबामा म बस म

ेत

ि

के िलए सीट खाली

नह करने पर थानीय िवशेषािधकार िनयम के उ लंघन के आरोप म िगर तार कया गया। अ ेत ने बस बिह कार अिभयान शु 5 दसंबर, 1955

कया और

: इस अिभयान को चलाने के िलए ग ठत सं था म टगोमरी इं ूवमट एसोिसएशन का अ य कं ग को बनाया गया। अमे रक सु ीम कोट ने फ़ै सला सुनाया क बस म

13 नवंबर, 1956

:

कसी समुदाय िवशेष को िवशेषािधकार दान करना

@BOOKHOUSE1 21 दसंबर, 1956 :

गैर-कानूनी था। म टगोमरी म सभी याि य के िलए भेदभाव समा

करते ए समानता का िनयम लागू कया गया। भेदभाव के िखलाफ़ लड़ने और नाग रक अिधकारा जनवरी, 1957

:

क बहाली करने के िलए साउथन कॉ

17 मई, 1957

:

ि यन लीडरिशप

स (एस-सी-एल-सी-) का गठन कया और इसके

अ य बने। वॉ श्ांगटन, डी-सी- म 15,000

ि य क भीड़ को

संबोिधत कया। 23 अ ू बर, 1957 : दूसरी संतान मा टन लूथर कं ग III का ज म। 23 जून, 1958 : रा पित वाइट डी- आइजनहॉवर से मुलाकात। महा मा गांधी के अिहसा के िस ांत के अ ययन के फ़रवरी, 1959 : िलए एक महीने तक भारत क या क । डे टर बैप ट ट चच से यागप दया और प रवार

के साथ अटलांटा प च ँ कर अपने िपता के सहायक फ़रवरी 1960

: पे टर के

प म एबेनेजर बैप ट ट चच म काम करने

लगे तथा एस-सी-एल-सी- क गितिविधयाँ संचािलत

1960

:

करने लगे। सबोरो, नॉथ कै रोिलना म लंच काउं टर धरना क

शु आत। 19 अ ू बर, 1960 : अटलांटा म धरने के दौरान िगर तारी। 31 जनवरी, 1961 : तीसरी संतान डे टर का ज म। दि ण म बससेवा म भेदभाव के िखलाफ िवरोध जताने 1961

: के िलए कां ेस ऑन रे िसयल इ िलटी (

म्)

ने थम ‘ डम राइड’ शु कया। नाग रक अिधकार आंदोलन के िलए समथन ा करने 16 अ टू बर, 1961 : के उ े य से रा पित जॉन एफ-के नेडी से मुलाकात

@BOOKHOUSE1 क। अलबानी, जॉ जया म िवरोध आंदोलन के दौरान कं ग

27 जुलाई, 1962

:

28 माच, 1963

क िगर तारी ई और उ ह जेल भेज दया गया। : चौथी संतान ब नस अलबट न का ज म। ब मघम अलबामा म इजाजत िलये िबना िवरोध दशन करने के आरोप म पुिलस किम र युगीन बुल कोनर ने िगर तार कया। िगर तारी के बाद उ ह ने ‘ब²मघम

12 अ ैल, 1963

: जेल से एक प ’ िलखा। कं ग क िगर तारी से ब²मघम म न लभेद-िवरोधी आंदोलन तेज हो गया और आंदोलनका रय को कु चलने के िलए दमन िहसा क

10 मई, 1963

:

चचा दुिनया भर म होने लगी। दुकान , रे टोरट और कू ल म न लभेद समा करने के िलए ब²मघम म समझौता आ।

23 जून, 1963

: डे ायट, िमिशगन म 1,25,000 लोग का नेतृ व करते ए ‘ वतं ता जुलूस’ िनकाला। रोजगार एवं वतं ता के िलए िनकाले गए वॉ श्ांगटन

28 अग त, 1963

3 जनवरी, 1964

:

:

जुलूस के मौके पर उ ह ने िलकन मेमो रयल म 2-50 लाख लोग को संबोिधत करते ए ‘मेरा एक सपना है’ शीषक भाषण दया। ‘टाइम’ पि का के आवरण पर वष के सव े ि के

2 जुलाई, 1964

प म िच कािशत। नाइट हाउस म नाग रक अिधकार अिधिनयम 1964

: पर द तखत के िलए आयोिजत समारोह म शािमल ए। 35 वष क आयु म नोबेल शांित पुर कार से स मािनत।

10 दसंबर, 1964 : इतनी कम उ म यह स मान पाने वाले पहले

ि

@BOOKHOUSE1 2 फरवरी, 1965

:

बने। सेलमा, अलबामा म मतािधकार के िलए दशन करते व िगर तारी। िनधन क बदहाली क तरफ यान आक षत करने के िलए िशकागो क झु गी-झापिड़य म गए।

7 जून, 1966: जब नाग रक अिधकार आंदोलन के नेता जे स मेरडीथ 22 जनवरी, 1966: : को गोली मारकर घायल कर दया गया तो मेरडीथ क ‘भय के िव माच’ को मंिजल तक प चाने के िलए“ रलाइड मेफ फ क और टॉकली काम के ल के साथ रवाना हो गए। यह माच म फस से जै सन िमसीिसपी तक िनकाला गया था। िशकागो के सो जर फ ड म 50,000 से अिधक लोग

को संबोिधत करने के बाद जुलूस का नेतृ व करते 10 जुलाई, 1966

:

ए िसटी हॉल तक गए, जहाँ उ ह ने मेयर रचड जेडेली के दरवाजे पर आवास, रोजगार एवं कू ल म

17-25 माच, 1967 : 4 अ ैल, 1967:

:

न लभेद समा करने संबंधी माँग-प िचपकाया। मतािधकार क माँग करते ए सेलमा से म टगोमरी तक माच का नेतृ व कया। यूयॉक िसटी के रवरसाइड चच म िवयतनाम यु के िवरोध म भावना मक बयान दया। िनधन जनता अिभयान क शु आत क , जो सभी न ल

27 नवंबर, 1967

: के िनधन लोग के िलए रोजगार और वतं ता पर

28 माच, 1968

क त था। म फस, टेनेसी म हड़ताल कर रहे सफाई कमचा रय का नेतृ व : करते ए माच िनकाला। माच के दौरान

@BOOKHOUSE1 3 अ ैल, 1968

:

िहसा फै ल गई। मेसन टपल म सफाई कमचा रय के माच का नेतृ व कया और अपने जीवन का अंितम भाषण दया। म फस के लॉरे न मोरे ल क बालकनी म जब खड़े

4 अ ैल, 1968

:

9 अ ैल, 1968

थे, तभी गोली मारकर उनक ह या कर दी गई। : अटलांटा म अं येि ।

संदभ ंथ ♦ अबरनाथी, रॉ फ, एंड द वॉ स फे म टंब लंग डाउन, यूयॉक: हापर एंड रो, 1989 ांच, टेलर, पा टग, द वाटस: अमे रका इन द कं ग इयस, 1954-63, यूयॉक ◌ः टच ♦ टोन, 1988 ♦ कारो, रॉबट ए, मा टर ऑफ द सीनेट, यूयॉक: अ े ड ए नोफ, 2002 कारसन, लेबोन, संपादन द पेपस ऑफ मा टन लूथर कं ग, जूिनयर वो यूम 1, का ड ♦ टू सव, बकली: यूिनव सटी ऑफ कै िलफो नया ेस, 1992 ♦ ऑटोबायो ाफ ऑफ मा टन लूथर कं ग जूिनयर, यूयॉक: वानर बु स, 1998 डाइसन, माइकल एरीक, आई मे नोट गेट देयर िवद यू: द मा टन लूथर कं ग ♦ जूिनयर, यूयॉक: टच टोन 2000 ♦ डी, माशल, मा टन लूथर कं ग जूिनयर, यूयॉक: िव कं ग, पगुइन, 2002 एट लॉ ट: ए िह टरी ऑफ द िसिवल राइ स मूवमट एंड दोज डाइड इन द ♦ गल, म टगोमरी, आला: साउथन पॉवट लॉ सटर, 2004 ♦ गेरो, डेिवड जे-, िबय रं ग द ॉस, यूयॉक: िविलयम मोरो, 1986 जॉडन, वनन ई-, वनन कै न रीड: ए मेमोयर, यूयॉक: वेिसक बु स, 2001 काशर, ♦ टीवन, द िसिवल राइ स, मूवमट: ए फोटो ा फक िह टरी, 1954-68, यूयॉक: एबेिवले ेस, 1996 कं ग, फोरे टा कॉट, माई लाइफ िवद मा टन लूथर कं ग जूिनयर, यूयॉक: हो ट, ♦ टाइनहाट और िवसटन, 1969 ♦ ♦ कं ग, मा टन लूथर जूिनयर, ाइड आड“ रीडम, यूयॉक: हापर एंड रो, 1958 कं ग, मा टन लूथर, सीिनयर, लेटन टली के साथ, डैडी कं ग: एन ऑटोबायो ाफ , ♦ यूयॉक: िविलयम मोरो, 1980 को ज, िनक, जजमट डेज: लंडन वस जॉनसन, मा टन लूथर कं ग जूिनयर एंड द लॉज ♦ दैट चं ड अमे रका, बो टन: हाउटन िमफलीन, 2005 लेवी, पीटर वी, संपादन डॉ यूमटरी िह टरी ऑफ द मॉडन िसिवल राइ स मूवमट, ♦ वे टपोट, कॉन: ीनवुड ेस, 1992 ♦ मैक नोटेट, डायन, कै री मी होम, यूयॉक: सीमन एंड क टर, 2001

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संदभ पि काएँ ♦ ♦ ♦ ♦ ♦ ♦ ♦ ♦ ♦ ♦ ♦ ♦

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Published by Granth Akademi 1659 Old Darya Ganj, New Delhi-110002 ISBN: 978-93-5048-907-9 Martin Luther King by Dinkar Kumar Edition First, 2011

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