Gurutva Jyotish Aug-2012

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गुरुत्व कामाारम द्राया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिका

NON PROFIT PUBLICATION

अगस्त- 2012

We are Celebrate 32 years of Success

We are Happy to Complete 32 years of its Establishment and that its work are a proof enough of its achievements of our Goal. We Are World's Leading Mantra Siddha Kavach Maker And We Are Expert in Advanced Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual Advice. We would like to Thank You For Your Continued Support and Contributions with us. We are Also Thanks and Salute to SRI BHUPENDRA BHAI JOSHI (Founder and Former Managing Spiritual Subject.

Director of GURUTVA KARYALAY) For her Bright Visionary in CHINTAN JOSHI All Team Member of GURUTVA JARYALAY And GURUTVA JYOTISH

GURUTVA JYOTISH In July-2012 We are Successfully Published Our 24th Edition of GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine

We are Thanks all of you, In 2 Years and 24 Edition of Online Publishing Experience We Received Lots of Suggestion and Feedback by our Readers. Our Some Readers Are Regularly Sent us Their Feedback us to Improve Our Publication Quality They also sending Us Lots of knowledgeable E-Book, Magazine, Article E.t.c Spiritual Material.

Dear All Readers Thank You For Your Continued Support and Contributions. Behind Our Success We are Also Thanks Our Freelance Graphics Designing Team SWASTIK.N.JOSHI, Digital Graph, Deepak Joshi, Shriya Joshi, Manish Joshi, Ajay Sharma, Ashish Patel And All Team Member of SWASTIK SOFTECH INDIA Our Freelance Writers Swastik.N.Joshi, Deepak Joshi, Shriya Joshi, Vijay Thakur, Rakesh Panda, Alok Sharma, Pt.Sri Bhagvandas Trivedi Jee, Shandip Sharma, E.t.c Team Member

CHINTAN JOSHI All Team Member of GURUTVA JARYALAY And GURUTVA JYOTISH

FREE E CIRCULAR

गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका अगस्त 2012 सॊऩादक

सिॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग

गुरुत्व कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA

ई- जन्भ ऩत्रिका अत्माधुसनक ज्मोसतष ऩद्धसत द्राया उत्कृ द्श बत्रवष्मवाणी के साथ १००+ ऩेज भं प्रस्तुत

पोन

91+9338213418, 91+9238328785, ईभेर

[email protected], [email protected],

वेफ

www.gurutvakaryalay.com http://gk.yolasite.com/ www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

ऩत्रिका प्रस्तुसत

सिॊतन जोशी,

E HOROSCOPE Create By Advanced Astrology Excellent Prediction 100+ Pages

स्वस्स्तक.ऎन.जोशी पोटो ग्राफपक्स

सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक आटा हभाये भुख्म सहमोगी

स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक सोफ्टे क इस्न्िमा सर)

फहॊ दी/ English भं भूल्म भाि 750/GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected]

गुरु ऩुष्म मोग के फाये भं त्रवद्रान ज्मोसतत्रषमो का कहना हं फक ऩुष्म नऺि भं धन प्रासद्ऱ, िाॊदी, सोना, नमे वाहन, फही-खातं की खयीदायी एवॊ गुरु ग्रह से सॊफॊसधत वस्तुए अत्मासधक राब प्रदान कयती है ।….53 बायतीम त्रवद्रानं के भतानुशाय अॊक त्रवऻान ज्मोसतष शास्त्र का एक असबऻ अॊग हं , क्मोफक सॊऩूणा ज्मोसतष शास्त्र एवॊ उसकी गणनाओॊ का भूख्म आधाय गस्णत हं औय गस्णत का भूख्म आधाय अॊक हं । हजायं वषा ऩूवा बायतीम त्रवद्रानो ने अऩने ऻान फर…6

अॊक ज्मोसतष भूराॊक त्रवशेष भं

त्रवशेष भं 

सवा कामा ससत्रद्ध कवि …19

गणेश रक्ष्भी मॊि…37

नवयत्न जफित श्रीमॊि.. 55

ऩुरुषाकाय शसन मॊि…54

भूराॊक 1 स्वाभी सूमा

8

द्रादश भहा मॊि

11

भूराॊक 2 स्वाभी िन्रभा

12

सवा कामा ससत्रद्ध कवि

19

भूराॊक 3 स्वाभी गुरू

16

बाग्म रक्ष्भी फदब्फी

21

भूराॊक 4 स्वाभी याहु

20

दग ु ाा फीसा मॊि

23

भूराॊक 5 स्वाभी फुध

24

भॊिससद्ध स्पफटक श्री मॊि

28

भूराॊक 6

27

कनकधाया मॊि

35

भूराॊक 7 स्वाभी केतु

31

धन वृत्रद्ध फिब्फी

36

भूराॊक 8 स्वाभी शसन

34

सयस्वती कवि औय मॊि

41

अॊक ज्मोसतष भूराॊक 9 स्वाभी भॊगर

38

सवाससत्रद्धदामक भुफरका

42

अॊक ज्मोसतष से जाने शुब यत्न

42

प्रद्ल कुॊिरी त्रवद्ऴेषण

45

वास्तु एवॊ योग 44

44

ऩुरुषाकाय शसन मॊि

54

धन प्रासद्ऱ भं फाधक हं भकिी के जारे 48

48

नवयत्न जफित श्री मॊि

55

असधक भास का धासभाक भहत्व 49

49

श्री हनुभान मॊि

56

गुरु ऩुष्माभृत मोग

53

भॊिससद्ध रक्ष्भी मॊिसूसि

57

 स्थामी औय अन्म रेख 

भॊि ससद्ध दै वी मॊि सूसि

57

सॊऩादकीम

6

यासश यत्न

58

भाससक यासश पर

65

भॊि ससद्ध रूराऺ

59

अगस्त 2102 भाससक ऩॊिाॊग

69

भॊि ससद्ध दर ा साभग्री ु ब

59

अगस्त-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय

71

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊिकवि /

60

याभ यऺा मॊि

61

जैन धभाके त्रवसशद्श मॊि

62

स्वाभी शुक्र

अगस्त 2102 -त्रवशेष मोग

यासश यत्न…58

भॊि ससद्ध रूराऺ …59

अभोद्य भहाभृत्मुज ॊ म कवि …64

हभाये उत्ऩाद 

दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका

76 76

फदन-यात के िौघफिमे

77

घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि

63

फदन-यात फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक

78

अभोद्य भहाभृत्मुॊजम कवि

64

ग्रह िरन अगस्त -2012

79

याशी यत्न एवॊ उऩयत्न

64

सूिना

87

शसन ऩीिा सनवायक

70

हभाया उद्दे श्म

89

सवा योगनाशक मॊि/

80

भॊि ससद्ध कवि

82

YANTRA LIST

83

GEM STONE

85

त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ु फफहन जम गुरुदे व बायतीम त्रवद्रानं के भतानुशाय अॊक त्रवऻान ज्मोसतष शास्त्र का एक असबऻ अॊग हं , क्मोफक सॊऩूणा ज्मोसतष शास्त्र एवॊ उसकी गणनाओॊ का भूख्म आधाय गस्णत हं औय गस्णत का भूख्म आधाय अॊक हं । हजायं वषा ऩूवा बायतीम त्रवद्रानो ने अऩने ऻान फर एवॊ खोज से अॊकं के गूढ़ यहस्म को ऻात कय सरमा था। अॊक ज्मोसतष के आधाय ऩय फकसी भनुष्म के िरयिगत रऺण, जीवन भं घफटत होने वारी शुब-अशुब घटना आफद को असत सयरता से ऻात फकमा जा सकता हं । अॊक त्रवद्या बत्रवष्म ऻात कयने की सफसे सयर त्रवसध हं , रेफकन इस त्रवद्या के आधाय ऩय ज्मोसतष शास्त्र की तयह एकदभ स्स्टक बत्रवष्मवाणी कयना कफिन हं । अॊक शास्त्र के गूढ यहस्मं को उजागय कय उसे असत सयर भाध्मभ फनाने

भं बायतीम त्रवद्रानो ने अऩना त्रवशेष मोगदान फदमा हं । आज के आधुसनक मुग भं सभम फदरने के साथ-साथ कुछ रोगं ने अॊक शास्त्र को ऩद्ळात्म दे शं की दे न भान सरमा जो की सिाई से ऩये हं । बायतीम त्रवद्रानो का भत हं की अॊक ज्मोसतष बत्रवष्म जानने की असत सयर प्रणारी होने के कायण सॊबवत इसका त्रवदे श भं असधक प्रिर यहा हं । क्मोफक अॊक ज्मोसतष भं ज्मोसतष शास्त्र के सभान असधक रम्फी गणनाएॊ मा ग्रहं का सूक्ष्भ अवरोकन आफद का सनयीऺण कयने की आवश्मक्ता नहीॊ होती हं । अॊक ज्मोसतष की गणनाएॊ अत्मॊत सयर होती हं , स्जसे कोई बी गस्णत का थोिा़ फहुत ऻान यखने वारा व्मत्रक्त बी आसानी से सभझ सकता हं । रेफकन ज्मोसतष शास्त्र की गणनाएॊ इतनी आसान नहीॊ होती।

अॊकं के आधाय ऩय ही फदनाॊक औय भफहनं का सनणाम फकमा गमा हं । जानकायं का भत हं की हय फदनाॊक औय उससे प्राद्ऱ होने वारे भूराॊक फकसी ना फकसी ग्रह के प्रसतसनसधत्व कयते हं । भूराॊक के स्वाभी ग्रह का प्रबाव सॊफॊसधत व्मत्रक्त के जीवन ऩय त्रवशेष रुऩ से ऩिता हं । भूराॊक व्मत्रक्त जन्भ तारयख से प्राद्ऱ होता हं । अॊक ज्मोसतष की भहत्वता को सभझते हुवे बायतीम त्रवद्रानं ने त्रवसबन्न यहस्मं को उजागय कयके भनुष्म के बूत, बत्रवष्म औय वताभान स्स्थती का आॊकरन कयने की सयर त्रवसध प्रदान की हं । इस अॊक ज्मोसतष त्रवशेष अॊक भं केवर भं भूराॊक से सॊफॊसधत जानकायीमा सॊरग्न की गई हं ।

ऩािकं के भागादशान के सरमे अॊक ज्मोसतष भूराॊक त्रवशेषाॊक फक प्रस्तुसत फक गई हं । सबी ऩािको के भागादशान मा ऻानवधान के सरए भूराॊक से सॊफॊसधत त्रवसबन्न उऩमोगी जानकायी इस अॊक भं त्रवसबन्न ग्रॊथो एवॊ सनजी अनुबवो के आधाय ऩय सॊकसरत की गई हं । जानकाय एवॊ त्रवद्रान ऩािको से अनुयोध हं , मफद अॊक ज्मोसतष भं भूराॊक से सॊफॊसधत त्रवषम भं सभम, स्थान, वस्तु, स्स्थसत इत्माफद के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भं, फिजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाशन भं कोई िुफट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ सुधाय रं मा फकसी मोग्म जानकाय मा त्रवद्रान से सराह त्रवभशा कय रे । क्मोफक जानकाय भूराॊक त्रवद्ऴेषण कयने वारे एवॊ त्रवद्रानो के सनजी अनुबव व त्रवसबन्न ग्रॊथो भं वस्णात अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत जानकायीमं भं एवॊ त्रवद्रानो के स्वमॊ के अनुबवो भं सबन्नता होने के कायण अॊक ज्मोसतष भं परकथन की बाग्माॊक, नाभाॊक आफद प्रभुख ऩद्धसत का बी त्रवशेष भहत्व होने के कायण पर कथन भं सबन्नता सॊबव हं ।

सिॊतन जोशी

7

*****

अगस्त 2012

अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत त्रवशेष सूिना*****

 ऩत्रिका भं प्रकासशत अॊक ज्मोसतष से सम्फस्न्धत सबी जानकायीमाॊ गुरुत्व कामाारम के असधकायं के साथ ही आयस्ऺत हं ।

 अॊक शास्त्र ऩय अत्रवद्वास यखने वारे व्मत्रक्त अॊक ज्मोसतष के त्रवषम को भाि ऩिन साभग्री सभझ सकते हं ।

 अॊक ज्मोसतष का त्रवषम ज्मोसतष से सॊफॊसधत होने के कायण इस अॊकभं वस्णात सबी जानकायीमा बायसतम अॊक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरखी गई हं ।

 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।

 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत बत्रवष्मवाणी फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक

नहीॊ हं औय ना हीॊ प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी के फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं ।

 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत रेखो भं ऩािक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष को फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम उनका स्वमॊ का होगा।

 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत ऩािक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।

 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत रेख अॊक शास्त्र के प्राभास्णक ग्रॊथो, हभाये वषो के अनुबव एव अनुशॊधान के आधाय ऩय फदमे गमे हं ।

 हभ फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष द्राया अॊक ज्मोसतष ऩय त्रवद्वास फकए जाने ऩय उसके राब मा नुक्शान की स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं । मह स्जन्भेदायी अॊक ज्मोसतष ऩय त्रवद्वास कयने वारे मा उसका प्रमोग कयने वारे व्मत्रक्त फक स्वमॊ फक होगी।

 क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ िं, साभास्जक, कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्वाथा ऩूसता हे तु अॊक ज्मोसतष का प्रमोग कताा हं अथवा अॊक ज्मोसतष का सूक्ष्भ अध्ममन कयने भे िुफट यखता हं मा उससे िुफट होती हं तो इस कायण से प्रसतकूर अथवा त्रवऩरयत ऩरयणाभ सभरने बी सॊबव हं ।

 अॊक ज्मोसतष से सॊफॊसधत जानकायी को भानकय उससे प्राद्ऱ होने वारे राब, हानी फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।

 हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे अॊक ज्मोसतष ऩय आधारयत रेखं भं वस्णात जानकायी को हभने सैकिोफाय स्वमॊ

ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ने बी अऩने नीजी जीवन भं अनुबव फकमा हं । स्जस्से हभ अनेको फाय अॊक ज्मोसतष के आधाय ऩय स्स्टक उत्तय की प्रासद्ऱ हुई हं । असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं ।

(सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेद्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)

अगस्त 2012

8

भूराॊक 1 स्वाभी सूमा

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी अत्मासधक सहनशीर, सफहष्णु एवॊ गॊबीय होते हं । व्मत्रक्त

भूराॊक:- 1

के जीवन भं सनयॊ तय उत्थान-ऩतन होत यहते हं तथा

स्वाभी ग्रह:- सूम

सॊघषा इनके जीवन का भुख्म अॊश होता हं । व्मत्रक्त का

सभि अॊक:- 2,3,9

आसथाक ऩऺ भजफुत होता हं । व्मत्रक्त सनयॊ तय धन अस्जात

शिु अॊक:- 6,8

कयने वारा होता हं ।

सभ-5-

भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त मफद नौकयी कयते हं तो वह

स्व अॊक-1

शीध्र उच्ि ऩद ऩय आसीन होने का प्रमास कयते हं तथा

तत्व:- अस्ग्न

मफद वह व्माऩायी हं तो फदन-यात ऩरयश्रभ कय अऩने

मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 1, 10, 19 व 28 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 1 होता है ।

भूराॊक 1 अॊक के व्मत्रक्त भेहनती, उद्यभी औय स्स्थय त्रविाय धाया वारे दृढ़ सनद्ळमी होते हं । व्मत्रक्त की प्रकृ सत कामा ऺेि भं असधक स्स्थयता मुक्त होती हं । भूराॊक 1 का स्वाभी ग्रह सूमा हं , इस सरए भूराॊक 1 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय सूमा का

व्माऩायी वगा भं प्रभुख स्थान फनाने भं सभथा होते हं । व्मत्रक्त िाहे व्माऩाय के ऺेि भं हो मा नौकयी के उसके नेतत्ृ व कयने भं कोई कभी नहीॊ आएगी। एसे व्मत्रक्त सनणाम रेने भं ितुय होते हं , स्वतॊि एवॊ स्वस्थ सिॊतन इनकी प्रभुख त्रवशेषता होती हं । इनका व्मत्रक्तत्व स्वत् ही दस ू यं से अरग फदखाई दे गा, फकसी के दफाव भं मे व्मत्रक्त कामा नहीॊ कय सकते हं ।

व्मत्रक्त अऩने जीवन का असधकतय सभम कयने

त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता के

कायण

व्मत्रक्त

भं

का सभावेश अन्म ग्रहं की

की बावना बी प्रफर होती हं । एसे व्मत्रक्त स्जस कामा को बी अऩने हाथ भं रेते हं , उस कामा को अच्छी तयह सनबाते हं व्मत्रक्त के सबतय उस कामा को सॊऩन्न कयने का साभर्थमा त्रवशेष रुऩ से होता हं । व्मत्रक्त

दे ते

हं

हं । सुॊदय, सुरूसिऩूणा जीवन

के कायण सूमा ग्रह के गुणं

गुणं के कायण ही व्मत्रक्त भं नेतत्ृ व

कय

ऩरयवतान

िरने के अभ्मस्त नहीॊ होते

सबतय सूमा ग्रह की अनुकूरता

हं । सूमा ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव

खिा

भं

हं , ऩूयानी जीवन शैरी ऩय

के

अऩेऺा बयऩूय भािा भं हो जाता

भं

ऺेि

ऩरयवतान इनका स्वाबाव होता

हं , क्मोफक 1 भूराॊक भं जन्भ रेने

प्रत्मेक

मे

त्रवद्वास

यखते

हं ।

व्मत्रक्त जीवन को जीना अच्छी तयह जानते हं । भूराॊक 1 भं जन्भं व्मत्रक्त अत्मासधक

अनुशासन

त्रप्रम

होते

हं ।

व्मत्रक्त को फकसी के दफाव भं मा फकसी के दफाव भं अॊदय यहकय कामा कयना ऩसॊद नहीॊ होता व्मत्रक्त स्वतॊिता त्रप्रम होते हं

इस सरए व्मत्रक्त को अऩने

उच्िासधकायी मा फकसी औय का हस्तऺेऩ ऩसॊद नहीॊ होता

अगस्त 2012

9

हं । स्जस प्रकाय ज्मोसतष ग्रॊथं भं उल्रेख हं की सूमा ग्रह

भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त स्जससे सभिता कयते हं उसे

की प्रधानता वारे व्मत्रक्त जीवन भं याजमोग का सुख

ऩूणत ा ् वपादायी से सनबाते हं , औय मफद फकसी से शिुता

बोगते हं (अथाात याजा के सभान सुख प्राद्ऱ कयने वारे

कयते हं तो उसे जल्द बुराते नहीॊ औय उस शिुताको

होते हं ) िीक उसी प्रकाय अॊक शास्त्र के अनुशाय बी

रम्फे सभम तक स्खिने का प्रमत्न कयने से ऩीछे नहीॊ

भूराॊक एक वारे व्मत्रक्त बी जीवन भं अऩने कभा से याजा

हटते। व्मत्रक्त सनयॊ तय अऩने शिु ऩऺ ऩय हात्रव होने का

के सभान सुख को शीघ्र प्राद्ऱ कयने भं सऺभ होते हं ।

प्रमत्न कयते यहते हं औय असधकतय भाभरं भं व्मत्रक्त शिु

भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त सूमा के प्रबाव से स्स्थय

को ऩये शान कयके मा ऩयास्जत कयके ही दभ रेते हं ।

त्रविायधाया वारे अऩने सनद्ळम ऩय दृढ़ यहने वारे होते हं ।

व्मत्रक्त को गुद्ऱ शिुओॊ का हभेशाॊ खतया यहता हं , व्मत्रक्त

दे ते हं , तो व्मत्रक्त उस विन को सनबाने का ऩूणा प्रमत्न

उसके शिु ऩीछे से वाय कयने की ताकभं यहते हं , इस सरए

कयता हं । व्मत्रक्त थोिे ़ स्िद्दी स्वबाव के होते हं स्जस

व्मत्रक्त को शिु ऩऺ से हभेशा सावधान यहना िाफहए, शिु

कायण व्मत्रक्तफकसी भहत्वऩूणा सनणाम रेने भं राऩयिाही

के त्रवषम भं व्मत्रक्त को फकसी बी प्रकाय की गरतफ़हभी,

फयते हं औय अऩने जीवन के फकसी भोि ऩय उसका

अपवाह मा उसे कभजो़य सभझ ने की बूर नहीॊ कयनी

खासभमाजा बुगतते हं । व्मत्रक्त अऩनी स्िद्द के कायण कबी

िाफहए क्मोफक जरूयत से असधक आत्भत्रवद्वास हानीकायक

कबी

होता हं । इस सरए व्मत्रक्त को अऩनी यऺा हे तु हभेशा

इस सरए व्मत्रक्त जीवन भं जफ बी फकसी को अऩना विन

अनुसित

कभं

भं

सरग्न

हो

जाते

हं

औय

ऩारयवायीक रोगं एवॊ त्रप्रमजनो से अऩभासनत होते हं ।

के असधकतय शिु उससे सीधे सबिने से कतयाते हं रेफकन

सिेत औय सजग यहना िाफहए।

क्मोफक एसे व्मत्रक्त के फदभाग भं एक फाय जो फात फैि

भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त न्माम त्रप्रम एवॊ उदाय रृदम

जाती हं वह असधक सभम तक सनकरती नहीॊ। फपय िाहं

के होते हं , इस सरए व्मत्रक्त दस ू यं की सहामता कयने भं

वह फात सही हो मा गरत व्मत्रक्त उसी फात ऩय अिे ़ यहते हं ।

बी तत्ऩय होते हं । व्मत्रक्त भं सभाज के सरए कुछ कय

गुियने की बावना बी प्रफर होती हं , इस कायण व्मत्रक्त

 क्मा आऩके फच्िे कुसॊगती के सशकाय हं ?  क्मा आऩके फच्िे आऩका कहना नहीॊ भान यहे हं ?  क्मा आऩके फच्िे घय भं अशाॊसत ऩैदा कय यहे हं ? घय ऩरयवाय भं शाॊसत एवॊ फच्िे को कुसॊगती से छुिाने हे तु फच्िे के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसधत्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने

घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ तो आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका इस कय सकते हं ।

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अगस्त 2012

10

सनयॊ तय अऩने कामा से ज्मादा दस ू यं की कामं भं उरझा

भूराॊक-1 हं वे फकसी ना फकसी रूऩ भं रृदम से सॊफॊसध

यहता हं । एसे व्मत्रक्त साभास्जक कामं से खुफ नाभ औय

योगं से ऩीफित होते हं । फदर की धिकने औय यक्त प्रवाह

मश प्राद्ऱ कयते हं । भूराॊक 1 वारे कुछ व्मत्रक्तमं भं कुछ

असनमसभत हो जाता हं । आॉख का दख ु ना एवॊ

भािा भं अहॊ बी ऩामा जाता हं । व्मत्रक्त के कभाऺेि के अनुशाय उसकी प्रशॊसा कयने वारे असधक होते हं स्जस

दृस्श्ट दोश

जैसे योग होते हं । उसित हं आऩ सभम-सभम ऩय आॉखं का ऩरयऺण कयवाते यहं ।

कायण व्मत्रक्त को कबी फकसी सिज औय ऩैसं की कभी भहसूस नहीॊ होती। आवश्मक्ता ऩिने ऩय व्मत्रक्त को त्रवसबन्न स्त्रोत से ऩैसे की भदद बी सभर जाती है ।

प्रेभ सॊफॊसधत भाभरं भं व्मत्रक्त असधक बावुक होते

हं , मफद फकसी से एक फाय प्रेभ कयरे तो उसके सरए कुछ बी कयने को तैमाय हो जाते हं , प्रेभ के भाभरं भं एसे व्मत्रक्त उसित अनुसित कामा कयने से बी ऩीछे नहीॊ हटते। भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त सुॊदय, स्वरुऩवान औय अच्छे दे हधायी होते हं । इन रोगं की आखं तेजस्वी होती हं स्जसभं अद्भत ु तेज होता है । भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त थोिे ़

खिॉरे होते हं । भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त का अध्मात्भ की ओय त्रवशेष रुझान यहता है ।

फकशसभश, संप, केसय, रंग, जामपर, सॊतये , नीॊफू, भोसॊफी, खजूय, अदयक, जौ, ऩारक, गाजय आफद उऩमोगी हं । रृदम योग के नभक कभ खना िाफहमे। अनुकूर व्मवसाम: व्मत्रक्त

त्रफजरी,

सिफकत्सा,

याजदत ू ,

त्रवऻान,

आबूषण, नेतत्ृ व, सभृरी व्मवसाम, प्रधान ऩद, हुकुभत, श्रभशीर कामा, सैन्म त्रवबाग, सयकायी कामो की िे केदायी, प्रशाससनक सेवा, खोज कामा, जहाजं से सॊफॊध यखने वारे कर-ऩुजे तथा जवाहयात आफद व्मवसाम भं असधक सपर होते हं ।

शुब फदन: भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त के सरए शुब वषा 19, 28, 37, 46, 55, 64, 73 वाॊ वषा हं , हय भफहने की 1, 10, 19, 28 सतसथमाॊ शुब दामक होती हं , व्मत्रक्त के सरए यत्रववाय, सोभवाय व गुरुवाय का फदन शुब होता है । मफद सम्फस्न्धत तायीखं भं सम्फस्न्धत फदन का मोग हो तो वह फदन उसके सरए अभृत ससद्ध मोग फन जाता है । व्मत्रक्त के सरए जनवयी, अप्रैर, जुराई एवॊ

उऩमुक्त आहाय्

अक्टू फय, भाह

शुब होता है । भािा, जून, ससतम्फय के भहीने भं सावधान यहं ।

शुब फदशा: भूराॊक 1 के व्मत्रक्त के सरए ईशान, वामव्म एवॊ दस्ऺण फदशा शुब होती है व्मत्रक्त के सरए भास्णक्म, भूॉगा, भोती एवॊ ऩोखयाज यत्न अनुकूर परादामी हंगे। ऩीरा हीया बी धायण कयना अनुकूर होगा। व्मत्रक्त के सरए द्वेत, गुराफी, ताम्रवणा एवॊ ऩीरा यॊ ग अनुकूर हं । भूराॊक 1 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम आऩका भूराॊक के स्वाभी ग्रह सूमा के शुब प्रबावो

स्वास्र्थम् भूराॊक 1 वारे व्मत्रक्त को तीव्र ज्वय, रृदम योग, आॉख का दख ु ना, िभा योग, िोट, कोढ़, भस्स्तश्क सॊफॊसध

ऩये षासन, अऩि, गफिआ, स्नामुत्रवकाय, आॊतं के योग तथा घुटने आफद की त्रषकामते होती हं । स्जन व्मत्रक्तमं का

की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी अनासभका उॊ गरी भं भास्णक धायण कय सकते हं । अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत भॊगर गणेश, सूमा मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं । मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा।

अगस्त 2012

11

वाय:- यत्रववाय

ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: यत्रववाय का व्रत: सूमा ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु यत्रववाय का व्रत फकमा जाता हं । सूमा का व्रत कयने से हिीमा

सूमा ग्रह फक शाॊसत हे तु गेहूॉ, ताॉफा, घी, गुि, भास्णक्म, रार कऩिा, भसूयकी दार, कनेय मा कभर के पूर, गौ दान

भजफूत होती हं , ऩेट सॊफॊधी सबी योगो का त्रवनाश होता हं ,

कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं

आॊखो फक योशनी फढती हं , व्मत्रक्त का साहय एवॊ ऺभता भं

ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:

वृत्रद्ध होकय उसका मश िायं औय फढता हं । यत्रववाय का व्रत कयने से सूमा के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।

फदन फहते ऩानी भं सात फादाभ औय एक नारयमर प्रवाफहत कयं ।

कामा ससत्रद्ध हे तु सात शुक्रवाय कुएॊ भं फपटकयी का

ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक स्वाभी सूमा हं अत् सूमा ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 1 भुखी मा 12 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए

उऩमुक्त यहे गा। आऩ 1 भुखी मा 12 भुखी रुराऺ के साथ भं 5 भुखी औय 3 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।

स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने हे तु शुक्रवाय के

टु किा िारं। सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा को योटी स्खराएॊ।

दयू कयने के सरए कुत्ते

बाग्मोदम हे तु रार यॊ ग का रुभार अऩने ऩास यखं। सौबाग्म वृत्रद्ध हे तु गणेश जी को सुखा भेवा िढाएॊ। अऩने भान-सम्भान एवॊ प्रसतद्षा फढाने हे तु सनमसभत सूमा को अध्म दं औय रार िॊदन का टीका रगाएॊ।

शाॊसत के सरए दान

***

ग्रह:- सूमा

द्रादश भहा मॊि मॊि को असत प्रासिन एवॊ दर ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान द्राया फनामा गमा हं । ु ब

 ऩयभ दर ा वशीकयण मॊि, ु ब

 सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्ध मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि

 भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्ध मॊि

 ऩूणा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदे व मॊि

 याज्म फाधा सनवृत्रत्त मॊि

 योग सनवृत्रत्त मॊि

 गृहस्थ सुख मॊि

 साधना ससत्रद्ध मॊि

 शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 शिु दभन मॊि

उऩयोक्त सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि के रुऩ भं शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ िैतन्म मुक्त फकमे जाते हं । स्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं ।

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अगस्त 2012

12

भूराॊक 2 स्वाभी िन्रभा

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 2

जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय िन्र ग्रह की

स्वाभी ग्रह:- िन्रभा

अनुकूरता के कायण िन्र ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । िन्र

सभि अॊक:- 1,3,5, 9

ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त

शिु अॊक:- -

असधक

सभ:-6,8-

कल्ऩनाशीर,

सयरसित्त

होते

हं ।

बावुक,

स्नेहशीर,

व्मस्क्त्त

असधक

मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 2,11,20 व 29 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 2 होता है ।

भूराॊक

2

अॊक

के

व्मत्रक्त

असधक

कल्ऩनाशीर औय िॊिर त्रविाय धाया वारे होते हं । व्मत्रक्त की प्रकृ सत कामा

औय न ही रम्फे सभम तक फकसी त्रवषम ऩय सोि सकते हं । इनके भन-भस्स्तष्क भं सनत्म नमे-नमे त्रविाय सूझते यहते हं औय उन त्रविायं को फक्रमाशीर कयने के सरए मे जूझते हुए फदखाई दे ते हं । स्जस प्रकाय िन्रभाॊ स्स्थय नहीॊ यहता अथाात घटता-फढ़ता फदखाई दे ता हं इसी

प्रकाय भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे रोगं के भहत्वऩूणा सनणाम मा मोजनाएॊ

ऺेि भं असधक करात्भक एवॊ

स्स्थय

करात्रप्रम होती हं । भध्मभ

मा

व्मत्रक्त की प्राम् कल्ऩनाएॊ उच्ि कोफट की यहती है । व्मत्रक्त की

भुकाफरे

फुत्रद्ध

असधक तेज एवॊ फुत्रद्धभान होते हं । भॊगरवाय

कामा

भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे

2 वारे व्मत्रक्त का फदभाग कामा

सोभवाय,

कायण

कयने हे तु प्रस्तुत हो जाते हं ।

शत्रक्त प्रफर होती हं । भूराॊक

2 भूराॊक वारं के सरए

असधकतय

इस

ही कोई नई मोजना मा कामा

फरशारी

के

यहती

मोजनाए ऩूणा होने से ऩहरे

होते हुवे बी उनकी भानससक

अन्म

नहीॊ

उनके

व्मत्रक्त की शायीरयक

भं

नई-नई

असधक सभम तक फकसी एक कामा ऩय स्स्थय यहते हं

तत्व:- जर

ऺेि

सभम

एवॊ

कल्ऩनाओॊ की दसु नमा भं यभं यहते हं । एसे व्मत्रक्त न तो

स्व अॊक:-2

फनावट

सरृदम

यत्रववाय

एवॊ गुरूवाय

का फदन बी

शुबसूिक होगा। भूराॊक 2 का स्वाभी ग्रह िन्रभा हं , इस सरए भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय िन्रभा का त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता हं , क्मोफक 2 भूराॊक भं

एवॊ

कुशरता

से

वह

भहत्वऩूणा कामं भं दस ू यं के भुकाफरे

आगे सनकर जाते हं ।

भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त असधय स्वबाव के होते हं , व्मत्रक्त फकसी कामा को कयते सभम जल्दी जल्द घफया जाते हं , एसे भं कई फाय इनके सबतय

कामा को ऩूणा कयने की त्रवरऺण शत्रक्तमाॊ छुऩी होने के

अगस्त 2012

13

फावजुद मह रोग आत्भ त्रवद्वास एवॊ सधयज की कभी के कायण कामा को अधूया छोि दे ते हं ।

भूराॊक 2 वारं के सरए फकसी बी कामा भं हभेशा शान्त यहना एवॊ एकाग्रता से कामा का सॊऩादन कयना

व्मत्रक्त अऩनी कामा कुशरता से शीघ्र ही सभाज भं एक सम्भासनम एवॊ रोकत्रप्रम व्मत्रक्त फन सकते हं । व्मत्रक्त भं आत्भ त्रवद्वास की कभी होने के परस्वरूऩ मे तुयॊत

अनुकूर यहे गा। क्मोकी व्मत्रक्त के फाय-फाय सनणाम फदरने वारे स्वबाव के कायण उसे शीघ्र सपरता नहीॊ सभरती हं ।

सनणाम नहीॊ रे ऩाते। जीवन बय व्मत्रक्त के साभने िाहे

व्मत्रक्त भं आत्भत्रवद्वास की कभी होने के कायण

छोटी से छोटी मा फिी से फिी सभस्मा हो, मे उसभं

व्मत्रक्त थोिे से ऩरयश्रभ से मा कामा भं त्रफरम्फ होने से

उरझे ही यहते हं ।

सनयाश एवॊ हताश हो जाते हं । इस सरए मफद व्मत्रक्त

भूराॊक 2 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त स्वाबाव से थोिे ़ शॊकाशीर होते हं । व्मत्रक्त अऩने त्रप्रमजनं एवॊ आस्त्भमं के अनेक फाय शक की नियं से दे खता हं ,

अऩनी फाय-फाय सनणाम फदरने वारी भानससकता मा आदत ऩय सनमॊिण कय रे तो उसे फकसी बी कामा भं सनस्द्ळत रूऩ से सपर सभर सकती हं ।

स्जस कायण उसे स्वजनं से त्रवयोध सहना ऩिता हं ।

भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त की खास फात होती हं की

व्मत्रक्त हभेशा दस ू यं का ऩूया ध्मान यखते हं । व्मत्रक्त अऩने

मह

रोग

जीवन

भं

फकसी

भुसीफत

तथा

कफिन

त्रप्रमजनो एवॊ फॊधओ ु ॊ की बराई के सरए प्रमास यत यहता

ऩरयस्स्थसतमं भं बी भुस्कयाते यहते हं । व्मत्रक्त फकसी बी

हं । व्मत्रक्त सहामता हे तु तत्ऩय होते हं व्मत्रक्त फकसी को

फाधा, सॊकट मा ऩये शानी से सफक रेकय उससे द्दढ़

भना नहीॊ कय सकते।

सॊकल्ऩ, जोश औय रगन से अवश्म ऩूणा कयने का बी

भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त दस ू यं के भन की फात जान

साभर्थमा यखता हं । भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त को ऩुयानी वस्तु

सशद्श, उदाय, शाॊतसित्त, कल्ऩनाशीर, कराप्रेभी, भृदब ु ाषी

व्मत्रक्त सभाज भं अऩना भान-प्रसतद्षा फनामे यखने

रेने भं सनऩुण होते हं । भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त प्रकृ सत से

से असधक रगाव होता हं ।

एवॊ थोिे व्माकुर स्वबाव के होते हं । असधकतय भूराॊक 2

का सनयॊ तय प्रमास कयते हं । व्मत्रक्त को धन प्राद्ऱ कयने

वारे व्मत्रक्त भं स्त्रीगुणं की प्रधानता होती है ।

औय सॊग्रह कयने की इच्छा बी प्रफर होती हं ।

ऩसत-ऩत्नी भं करह सनवायण हे तु मफद ऩरयवायं भं सुख-सुत्रवधा के सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩत्नी के त्रफि भे करह होता यहता हं , तो घय के स्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ गृह करह नाशक फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भं त्रफना फकसी ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध ऩसत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गृह करह नाशक फिब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका आऩ कय सकते हं ।

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14

व्मत्रक्त के िॊिर स्वबाव अके कायण उसके स्वजन अनेक फाय उसकी बावनाओॊ की कदय नहीॊ कयते स्जस कायण व्मत्रक्त असधक उदास औय सनयाश फदखामी दे ता हं । भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त प्रेभ सॊफॊसधत भाभरं भं बी असधक कल्ऩनाशीर होते हं इस सरए व्मत्रक्त स्वजनं का त्रवयोध कयके मा सहन कयके ऩय स्त्री-ऩुरुष से सॊफॊध फनाने से ऩीछे नहीॊ यहते। व्मत्रक्त अनैसतक सॊऩका के ऩीछे अऩना सफ कुछ रुटाने से नहीॊ फहिफकिाते। व्मत्रक्त को ऩरयजनो से बावनात्भक सहमोग नहीॊ सभरने के कायण वह सयरता से ऩय स्त्री-ऩुरुष के िुग ॊ र भं पस जाते हं औय धीये -धीये उनका भन औय असधक फैिेन औय अशाॊत होता जाता हं । व्मत्रक्त के फॊधु-फाॊधव एवॊ सभिं का दामया असधक फिा होता हं ।

उऩमुक्त आहाय: फकशसभश, संप, केसय, रंग, जामपर, सॊतये , नीॊफू, भोसॊफी, खजूय, अदयक, जौ, ऩारक, गाजय आफद उऩमोगी हं । रृदम योग के नभक कभ खना िाफहमे।

अनुकूर व्मवसाम: व्मत्रक्त दरारी, होटर, तयर मा यसदाय ऩदाथा, जर मािा, तैयाकी, कागज, दवाई, भ्रभ कामा, सॊगीत, िीनी, सिफकत्सा, ऩिकारयता, नृत्म, रेखन, बूसभ, अन्न, ऩानी, िाॊदी, िे यी, कृ सश, बूगब ा कामा, ऩषुऩारन, ट्रावेर, ट्राॊसऩोटा , यत्न, त्रवसबन्न करा, आफकाटे क्िय आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं ।

शुब फदशा:

शुब फदन: शुब वषा 20,29,38,47,56,65,74 वाॊ वषा हं , सतसथ 2,11,20,29 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं सोभवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं ।

फदशाएॉ शुब सूिक हं । द्वेत, अॊगूयी, हया एवॊ क्रीभ यॊ ग अनुकूर एवॊ बाग्मवधाक हं । नीरा, रार, कारा यॊ ग प्रसतकूर परदामी हं ।

भूराॊक 2 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम आऩका भूराॊक स्वाभी ग्रह िॊर के शुब प्रबावो की

स्वास्र्थम्

वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी कसनत्रद्षका उॊ गरी भं भोसत,

व्मत्रक्त को तीव्र ज्वय, रृदम योग, आॉख का दख ु ना, िभा योग, िोट, कोढ़, भस्स्तश्क सॊफॊसध ऩये षासन, अऩि, गफिआ, स्नामुत्रवकाय, आॊतं के योग तथा घुटने आफद की त्रषकामते होती हं । स्जन व्मत्रक्तमं का भूराॊक-1 हं वे फकसी ना फकसी रूऩ भं ऩेटकी त्रफभायी से ऩीफित होते हं । फदर की धिकने औय यक्त प्रवाह असनमसभत हो जाता हं । आॉख का दख ु ना एवॊ

भूराॊक 2 वारे व्मत्रक्त के सरए उत्तय, उत्तयऩूवा एवॊ ऩस्द्ळभ

दृस्श्ट दोष जैसे योग होते हं । उसित हं

आऩ सभम-सभम ऩय आॉखं का ऩरयऺण कयवाते यहं ।

िॊरकाॊत भस्ण धायण कय सकते हं । अऩने

ऩूजा

स्थान

भं

प्राण-प्रसतत्रद्षत

स्पफटक

सशवसरॊग, िॊर मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं । मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा। ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: सोभवाय का व्रत: िॊर ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु सोभवाय का व्रत फकमा जाता हं । स्जस्से व्मत्रक्तने पेपिे के योग,

अगस्त 2012

15

दभा, भानससक योग से भुत्रक्त भरती हं । व्मत्रक्तनी िॊरता

ग्रह:- िॊर (वाय:- सोभवाय)

दयू होती हं , नशे फक रत छुिाने हे तु राब प्राद्ऱ होता हं ,

िॊर ग्रह फक शाॊसत हे तु भोती, िाॉदी, िावर, िीनी, जर से

स्त्रीओॊ भं भाससक यक्त-स्त्राव फक ऩीिा कभ होती हं ।

बया हुवा करश, सपेद कऩिा, दही, शॊख, सपेद पूर, साॉि

सोभवाय का व्रत सशव को त्रप्रम हं इस सरमे अत्रववाफहत

आफद का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं

रिकीमो कं 16 सोभवाय का व्रत कयने से उत्तभ वय फक

ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:

प्रासद्ऱ होती हं । सोभवाय का व्रत कयने से िॊर के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता

अनावश्मक फकसी से वाद-त्रववाद से फिने हे तु रार िॊदन सशव भॊफदय भं दान कयं । धन सॊिम हे तु फकसी दे वी भॊफदय भं गुद्ऱ दान कयं

हं ।

औय अऩनी भाॊ की सेवा कयं ।

ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक स्वाभी िॊर हं अत् िॊर ग्रह के अशुब

प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 3 नॊग मा 5 नॊग 2 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए

उऩमुक्त यहे गा। आऩ 2 भुखी रुराऺ के साथ भं 3 भुखी औय 5 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी। शाॊसत के सरए दान

कामा ससत्रद्ध हे तु सनमसभत ऩूजन के फाद िॊदन का टीका रगाएॊ। स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने हे तु फिे -फुजुगं फक फात का आदय, सम्भान कयं । फकसी नमे कामा फक शुरुवात कयने से ऩूयव त्रऩतयं को माद कयं । धन की इच्छा हो तो घय भं रार पूर के ऩौधे रगाएॊ।

नवयत्न जफित श्री मॊि शास्त्र विन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न जफित श्री मॊि कहराता हं । सबी यत्नो को उसके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रक्त को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं । नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं । गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को

रगते हं , वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोक्त विन हं । इस प्रकाय के नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनावाए जाते हं ।

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अगस्त 2012

16

भूराॊक 3 स्वाभी गुरू

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 3

उदाहयण होते हं । क्मोफक भूराॊक 3 वारे व्मफकमं का

स्वाभी ग्रह:- गुरू

जीवन सॊघषाभम

सभि अॊक- 1, 2, 9 शिु अॊक- 6 सभ- 8 स्व अॊक:- 3 तत्व:- आकाश मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 3, 12, 21 व 30 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 3 होता है ।

भूराॊक 3 अॊक के व्मत्रक्त असधक उत्साही, भहत्वाकाॊऺी औय अनुशासन त्रविाय धाया वारे होते हं । व्मत्रक्त की प्रकृ सत कामा ऺेि भं असधक रुसिऩूणा होती हं ।

होता है इससरए व्मत्रक्त को जीवन भं

ऩग-ऩग ऩय सॊघषा कयना ऩिता हं । भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त अऩने त्रविायं को व्मवस्स्थत रूऩ से असबव्मक्त कयने भं सनऩुणा होते हं । व्मत्रक्त की आसथाक स्स्थसत उत्तभ नहीॊ होती औय

व्मत्रक्त को ऩैसा सॊग्रह कयने भं कफिनाई होती हं । व्मत्रक्त

अथक ऩरयश्रभ कय ऩैसा कभाने भे फदन-यात एक कय रगे यहते हं । ऩय असधकतय व्मत्रक्त स्जतना बी कभाते हं , उसके अनुरुऩ व्मम हं जाता हं । इससरए व्मत्रक्त को धन सॊग्रह कयने के अवसय कभ ही प्राद्ऱ होते हं । ऐसे व्मत्रक्त की भहत्वकाॊऺाएॊ फिी होती हं । व्मत्रक्त असत शीघ्र उन्नसत के सशखय ऩय ऩहुॉिे, मही इनकी भहत्वकाॊऺा होती हं । भूराॊक

होते हं । व्मत्रक्त अऩने उद्दे श्म को ऩूणा कयने हे तु कफिन से

सरए भूराॊक 3 भं जन्भ रेने

हं , क्मोफक 3 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय गुरु ग्रह की अनुकूरता के कायण गुरु ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । गुरु ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त के सबतय साहस, शत्रक्त एवॊ दृढ़ता का त्रवशेष रुऩसे दे खने को सभरती हं । भूराॊक 3 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त श्रभ का प्रसतक तथा सॊघषा का जीवॊत

व्मत्रक्त

रृदम, भृदब ु ाषी एवॊ सत्मवक्ता

ग्रह गुरु (फृहस्ऩसत) हं , इस

त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता

वारे

स्वबाव से मे शान्त, कोभर

भूराॊक 3 का स्वाभी

वारे व्मत्रक्त के उऩय गुरु का

3

कफिन कद्शं को बी सहन कयते हं अऩने रक्ष्म को प्राद्ऱ कयते हं । भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्तमं को छोटा ऩद मा छोटा कामा ऩसॊद नहीॊ होता। व्मत्रक्त को स्वजनं से त्रवशेष राब की प्रासद्ऱ नहीॊ होतीॊ, फपय बी व्मत्रक्त अऩने स्वबाव के कायण आऩसी सॊफॊधं को फखूत्रफ सनबाते हं । व्मत्रक्त अऩने कामा ऺेि भं त्रवशेष सफक्रम यहते हं । व्मत्रक्त भं अनुशासन व शासन प्रधान गुणं की असधकता

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होने के कायण उसके अधीनस्त कभािायी से त्रवयोध यहता

इस सरए व्मत्रक्त त्रवऩरयत ऩरयस्स्थसतमं भं पसे होने के

हं । व्मत्रक्त अऩने कामा के प्रसत इतने सभत्रऩात होते हं की

फावजुद भुस्कयाते यहते है । भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त शाॊत

उन्हं अऩने कामा भं फकसी प्रकाय की िुफट मा राऩयवाही

स्वबाव के होने के फावजूद बी कबी-कबी जल्दफाजी हो

फयदास्त नहीॊ होती इस काय व्मत्रक्त अनेक रोगं को

जाते हं , स्जस कायण फकसी भहत्वऩूणा कामा को ऩूणा

अऩना शिु फना रेता हं । भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त की फुत्रद्ध

कयने से ऩहरे उसे फीि भं ही छोि दे ते हं । व्मत्रक्त थोिे

अत्मॊत तीक्ष्ण औय कल्ऩनाशीर होती हं । इस भूराॊक

स्जद्दी स्वबाव के होते हं स्जस कायण छोटी-छोटी फातं

वारे व्मत्रक्त असधक फोरने वारे होते हं ।

ऩय बी अि जाते हं । व्मत्रक्त भं अऩने सभि औय शिु को

व्मत्रक्त का साभास्जक का ऩद-प्रसतद्षा दस ू यं को

ऩहिान ने की ऺभता कभ होती हं , इस सरए उसके गुद्ऱ

कूशर होते हं की वह अऩने कामा कयते-कयते दस ू यं को

उताय-िढा़व होते यहते हं । व्मत्रक्त को फकसी भहत्वऩूणा

फन जाते हं । व्मत्रक्त एक अच्छा व्मवसामी औय त्रवक्रेता

सभम अत्मासधक सावधान यहना िाफहए। एसे कामा भं

प्रबात्रवत कयने वारी होती हं व्मत्रक्त अऩने कामा भं इतने प्रेयणा दे ने वारे स्रोत फन कय रोगं के आकषाण का केन्र फन सकता हं । व्मत्रक्त

का

व्मवहाय

दस ू यं

के

प्रसत

भैत्रिऩूणा,

स्नेहशीर औय साभास्जक होता हं । व्मत्रक्त थोिे फकसी

शिु की सॊख्मा असधक होती हं । व्मत्रक्त के जीवन भं प्राम्

सनणाम रेते सभम औय जोखभ बयं कामा को सॊऩन्न कयते जल्दफादी मा राऩयवाही फिा़ नुकसान कय सकती हं । शुब फदन:

त्रवशेष ऩरयस्स्थसतमं भं तुनक सभजाज हो सकते हं स्जसके कायण व्मत्रक्त के त्रविायं भं स्स्थयती की कभी हो जाती हं । भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त धासभाक त्रविायं के होने के कायण धभा-कभा के कामं भं फढ़-िढ़ कय फहस्सा रेते हं

औय अऩना त्रवशेष मोगदान दे ने से ऩीछे नहीॊ यहते हं । व्मत्रक्त की त्रवद्या-अध्ममन औय फैसधक कामा भं त्रवशेष रुसि होती हं इस सरए व्मत्रक्त सनयॊ तय इन त्रवषमं ऩय सिॊतनभनन कयते यहते हं । व्मत्रक्त की तका-त्रवतका भं त्रवशेष रुसि होती हं । भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त भानससक रूऩ से मे कापी सॊतुसरत एवॊ त्रवकससत होते हं तथा फकसी बी त्रवषम को सभझने ऺभता त्रवशेष रुऩ से होती है । गुरु के प्रबाव भं व्मत्रक्त धासभाक त्रविायं के होने के कायण भन से दस ू यं का अफहत नहीॊ कयते हं ।

भूराॊक 3 वारे व्मत्रक्त भं सकायात्भक गुणं की

प्रिुयता यहती हं । व्मत्रक्त हय ऩये शानी मा भुससफत भं अऩना धैमा नहीॊ खोते। व्मत्रक्त अऩनी ऩये शासनमाॊ फकसी को

जल्द नहीॊ फताते उसे छुऩाकय यखने का प्रमास कयते हं ,

शुब वषा 21,30,39,48,57,66,75 वाॊ वषा हं , सतसथ 3,12,21,30 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं गुरूवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं ।

स्वास्र्थम् व्मत्रक्त को प्राम् हस्डिमं भं ददा यहता हं औय थकावट सी यहती हं । अत्मसधक ऩरयश्रसभ होते हं अत् असत ऩरयश्रभ

कायण वे थके से यहते हं । स्नामु तॊि

कभजोय हो जाता हं । भधुभेह, िभायोग, दाद, खाज, षूर, भूियाग, वीमादोष, स्भयण शत्रक्त की कभी, फोरने भं ऩये षासन सॊबव, त्विा योग हो जाते हं । उऩमुक्त आहाय: िेयी, स्ट्रोफेयी, सेफ, नाशऩती, अनाय, अनानस, अॊगूय, पुफदना, गाजय, ऩारक एवॊ कये रे, केसय, जामपर, रंग, फादाभ, अॊजीय आफद राबदामक यहते हं ।

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अनुकूर व्मवसाम:

ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ:

व्मवसाम- व्मत्रक्त वस्त्र, ऩान, अध्ममन, उऩदे शक, प्राध्माऩक,

भॊिी,

जज,

ससिव,

करका,

सिफकत्सा,

असबनेता, सेल्सभैन, स्टे नो, जर-जहाज, त्रषऺा, अदारती, याजदत ू , वकारत, ऩुसरस, दषान, त्रवऻान, फंक, त्रवऻाऩन, दवाई आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं ।

आऩका भूराॊक स्वाभी गुरु हं अत् गुरु ग्रह के अशुब प्रबाव

को

दयू

कयने

औय

शुबपरं

की

प्रासद्ऱ

के

सरए 5 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहे गा। आऩ 5 भुखी रुराऺ के साथ भं 3 भुखी औय 2 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।

शुब फदशा:

शाॊसत के सरए दान

व्मत्रक्त के सरए फदशा ईशान कोण एवॊ ऩूव-ा उत्तय फदशा शुब होती हं । अनुकूर यॊ ग िभकीरा, गुराफी, हल्का जाभुनी हं ।

ग्रह:- फृहस्ऩसत (गुरु) वाय:- गुरुवाय फृहस्ऩसत

दार, हल्दी, ऩीरा

भूराॊक 3 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम

भूराॊक

स्वाभी

फृहस्ऩसत (गुरु) के

शुब

प्रबावो की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी तजानी उॊ गरी भं ऩीरा ऩुखयाज धायण कय सकते हं । आऩ ऩुखयाज के फदरे उसका उऩयत्न सुनहरा बी धायण कय सकते हं ।  अऩने

ऩूजा

स्थान

भं

प्राण-प्रसतत्रद्षत

फक

शाॊसत

हे तु

ऩुखयाज, िने

कऩिा, गुि, केसय, ऩीरा

पूर, घी

की औय

सोने की वस्तुओॊ का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ

कद्श सनवायक उऩाम  आऩक

ग्रह

भॊगर

गणेश, गुरु मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं ।  मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा। ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: गुरुवाय का व्रत: फृहस्ऩसत ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु गुरुवाय का व्रत फकमा जाता हं । गुरुवाय का व्रत कयने से धन - सॊऩत्रत्त फक प्रासद्ऱ होती हं घय भं सुख-शाॊसत औय

होती हं ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:  कामा भं सपरता हे तु भाथे ऩय केसय औय िॊदन का सतरक रगाएॊ।  नौकयी भं ऩये शानी आ यही हो तो ऩीऩर भं जर िढाएॊ।  आसथाक

ऩये शानी

के

सनवायण

हे तु

तेर

भं

िेहया दे ख कय तेर का दान कय दं ।  बूसभ-बवन से सॊफॊसधत सभस्मा हे तु गामको हयी घास स्खराएॊ।  बाग्म वृत्रद्ध हे तु हनुभान भॊफदय भं फेसन के रडिु का बोग रगाएॊ।  नौकयी-व्मवसाम भं उन्नसत हे तु 7 साफूत हल्दी

सभृत्रद्ध फढती हं । रिकी के त्रववाह भं आयही फाधाएॊ दयू

को ऩीरे कऩिे भं फाॊध कय अऩने घय भं सुयस्ऺत

आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता

 स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्मा के सनवायण हे तु स्नान

होती हं । गुरुवाय का व्रत कयने से फृहस्ऩसत के प्रबाव भं हं ।

यखदं । के ऩानी भं रारिॊदन घीस कय सभराकय स्नान कयं ।

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सवा कामा ससत्रद्ध कवि स्जस व्मत्रक्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊसछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भं ससत्रद्ध (राब) िाफहमे।

प्राद्ऱ नहीॊ होती, उस व्मत्रक्त को सवा कामा ससत्रद्ध कवि अवश्म धायण कयना

कवि के प्रभुख राब: सवा कामा ससत्रद्ध कवि के द्राया सुख सभृत्रद्ध औय नव ग्रहं के नकायात्भक

प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्रक्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयर का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ उन्नसत प्रासद्ऱ होकय जीवन भे ससब प्रकाय के शुब कामा ससद्ध होते हं । स्जसे

धायण कयने से व्मत्रक्त मफद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे वृत्रद्ध होसत हं औय मफद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नसत होती हं ।

 सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं सवाजन वशीकयण कवि के सभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस ू ये व्मत्रक्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हं ।

 सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं अद्श रक्ष्भी कवि के सभरे होने की वजह से व्मत्रक्त ऩय सदा भाॊ

भहा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हं । स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी,

(२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम रक्ष्भी, (७)त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।

 सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं तॊि यऺा कवि के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती

हं , साथ ही नकायात्भक शत्रक्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्रक्त ऩय नहीॊ होता। इस कवि के प्रबाव से इषाा-द्रे ष यखने वारे व्मत्रक्तओ द्राया होने वारे दद्श ु प्रबावो से यऺा होती हं ।

 सवा कामा ससत्रद्ध कवि के साथ भं शिु त्रवजम कवि के सभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊसधत

सभस्त ऩये शासनओ से स्वत् ही छुटकाया सभर जाता हं । कवि के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्रक्त का िाहकय कुछ नही त्रफगाि सकते।

अन्म कवि के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामाारम भं सॊऩका कये : फकसी व्मत्रक्त त्रवशेष को सवा कामा ससत्रद्ध कवि दे ने नही दे ना का अॊसतभ सनणाम हभाये ऩास सुयस्ऺत हं ।

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ Email Us:- [email protected], [email protected] (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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भूराॊक 4 स्वाभी याहु

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 4

त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त के सबतय सॊघषा

स्वाभी ग्रह: याहु

औय साहस ऩूणा कामा कयने के त्रवशेष गुण ऩामे जाते हं । व्मत्रक्त की प्रभुखता होती हं की वह असॊबव कामा औय

सभि अॊक- 1, 5

आद्ळमाजनक कामा को बी ऩूया कयने भं सभथा होते हं ।

शिु अॊक- 1, 7

भूराॊक 4 के व्मत्रक्त अन्म रोगं के भुकाफरे

सभ 3,6,8,9

असधक सॊघषाशीर होते हं , क्मोकी मह रोग दस ू यं से

स्व अॊक-4

अरग त्रविाय धाया यखते हं । व्मत्रक्त हय फकसी से अऩनी

मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की4,13,22 व 31 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 4 होता है ।

भूराॊक

4

असधक

क्रोसध

एवॊ

रेफकन

फक्रमाशीर

अॊक

के

सभि बी कबी-कबी शिु फन जाते हं । भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त अच्छे सभाज सुधायक, ऩौयास्णक प्रथा का आधुसनक

व्मत्रक्त

प्रथा भं फदने वारे होते हं । व्मत्रक्त

तुनकसभजाज त्रविाय

फात भनवाने का प्रमास कयता हं स्जस कायण व्मत्रक्त के

साभास्जक ऺेिं भं फदराव राने

धाया

भं अग्रणीम होते हं । व्मत्रक्त

वारे होते हं । व्मत्रक्त की प्रकृ सत कामा ऺेि भं दस ू यं रोगं से

आसानी से फकसी से शीघ्र

होती हं ।

एक फाय फकसी से सभिता

घुर-सभर नहीॊ ऩाते रेफकन

त्रवऩयीत असधक साहस ऩूणा

कयरे तो उसे सनबाने का

मह भूराॊक 4 त्रवषेशत् उथर-ऩुथर

का

घोतक

प्रमत्न कयते हं ।

हं ।

भूराॊक

भूराॊक-4 वारे व्मत्रक्त जीवन भं व्मत्रक्त

की

प्रकृ सत

के

अनुशाय

वारे

व्मत्रक्त

अऩनी गरसतमं के कायण जीवन

शाॊत होकय फैि जाएॊ, मह सॊबव नहीॊ हं ।

4

उसके

बाग्मोदम भं सनयॊ तय उताय-िढ़ाव होते यहते हं । भूराॊक 4 का स्वाभी ग्रह याहु हं , इस सरए भूराॊक

ऩमान्त

ऩये शान

यहता हं ,

व्मत्रक्त

ऩय

अऩने मा ऩयामे रोग जल्द त्रवद्ळास नहीॊ कय ऩाते। भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त मा तो उन्नसत के सवोच्ि

4 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय याहु का त्रवशेष

सशखय ऩय हंगे मा फपय ऩतन के गहये गता भं होते हं ।

रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय याहु ग्रह की अनुकूरता के

हं तो वहीॊ कर गहयी खाई भं होते हं । व्मत्रक्त को फाय-फाय

अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । याहु ग्रह के इस

प्रकाय की द्यटनाएॊ असधकाॊशत भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्तमं के

प्रबाव दे खने को सभरता हं , क्मोफक 4 भूराॊक भं जन्भ कायण याहु ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की

भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त मफद आज उन्नसत की ऩयाकाद्षा ऩय जेर मा कोटा -किहयी के िक्कय काटने ऩिते हं , इस जीवन भं ही घफटत होती हं ।

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व्मत्रक्त अऩने जीवन भं अऩनी गोऩसनम नीसतमं से

कयके धन सॊमि कयने ऩय असधक ध्मान यखना िाफहए।

अिानक आद्ळमाजनक रुऩ से प्रगसत के सशखय ऩय होते

व्मत्रक्त को धन सॊफॊसधत कामं भं फहसाफ साप-सुथया

हं । व्मत्रक्त फदन दोगुसन यात िौगुसन यफ्ताय से धन-वैबव

यखना िाफहए अन्मथा दस ू यं को फदमा गमा ऩैसा मा

प्राद्ऱ कयना िाहते हं । रेफकन व्मत्रक्त को धन सॊग्रह कयने

उधायी वाऩस नहीॊ सभरेगी औय फकसी से उधाय सरमे धन

भं कफिनाई होती हं । व्मत्रक्त की सोि एवॊ नजरयमा सभाज

मा साभान भं हे या-पेयी इत्माफद कयने से फिे अन्मथा

से सबन्न होता हं इस कायण व्मत्रक्त को सभाज भं रोक

स्जतने भूल्म की हे यापेयी होगी, आऩको उस्से कई गुना

सनॊदा, आरोिना एवॊ त्रवयोध का साभना कयना ऩिता हं ।

असधक का नुकसान उिाना ऩि सकता हं ।

भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त की साभास्जक कामा भं त्रवशेष रुसि

भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त को फकसी बी प्रकाय के

होती हं इस कायण व्मत्रक्त को सभाज भं अच्छा भान-

व्मसन औय नशे आफद से दयू यहना िाफहए, मफद व्मत्रक्त

सम्भान एवॊ ख्मासत प्राद्ऱ होती है । व्मत्रक्त के सबतय अद्भत ु

को एक फाय फकसी व्मसन की रत रग जाती हं तो वह

कामा दऺता होने के कायण मह दस ू यं के सरए एक प्रेयणा

जल्द नहीॊ छुटती व्मत्रक्त नशे का गुराभ हो जाता हं , औय

स्त्रोत फन सकते हं । व्मत्रक्त के जीवन भं सपरता एवॊ

अऩनी सॊसित जभा ऩूॊस्ज को नशे के ऩीछे ही खिा कय

असपरता प्राम् सभान रुऩ से िरने के कायण भूराॊक 4

दे ता हं । इसके अरावा व्मत्रक्त को जुआ, धृत क्रीिा, सट्टा,

वारे व्मत्रक्त असधकतय सिॊसतत एवॊ तनाव ग्रस्त होते दे खे

रॉटयी इत्माफद कामं से बी दयू यहना िाफहए नहीॊ तो

जाते हं । व्मत्रक्त को सभाज भं अऩना ऩद-प्रसतद्षा फनाएॊ

व्मत्रक्त इस कामं भं अऩना सफ कुछ खो फैिता हं । व्मत्रक्त

यखने के सरए सनयॊ तय प्रमास यत यहना ऩिता हं । व्मत्रक्त

को ऩाऩािाय, अनैसतक इत्मादी कामा कयने वारे रोगं से

हय सभम कुछ नमा कय फदखाने की िाह यखता हं ,

दयू यहना िाफहए औय स्वमॊ बी दयू यहना िाफहए, अन्मथा

स्जसके सरए वह सनयॊ तय नमे-नमे शोध एवॊ आत्रवष्काय कयने भं रगे यहते हं ।

व्मत्रक्त फकसी औय के फकमे गमे षिमॊि भं शीघ्र पॊस सकते हं मा फकसी फिे सॊकट भं त्रफना विह पॊस सकते

भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त बौसतक सुख साधन एवॊ ऐशोआयाभ के ऩीछे असधक धन व्मम कयते हं स्जस कायण उनके सरए धन सॊग्रह कयना कफिन हो जाता हं । इस सरए व्मत्रक्त को मथा सॊबव अऩनं व्ममं ऩय सनमॊिण

हं । व्मत्रक्त को त्रफना कायण जेर की हवा खानी ऩि सकती हं , इस सरए फकसी एसे कामा जो सभाज औय कानून की नियं भं अनुसित औय अनैसतक हो उससे दयू यहना िाफहए।

बाग्म रक्ष्भी फदब्फी सुख-शास्न्त-सभृत्रद्ध की प्रासद्ऱ के सरमे बाग्म रक्ष्भी फदब्फी :- स्जस्से धन प्रसद्ऱ, त्रववाह मोग, व्माऩाय वृत्रद्ध, वशीकयण, कोटा किेयी के कामा, बूतप्रेत फाधा, भायण, सम्भोहन, तास्न्िक फाधा, शिु बम, िोय बम जेसी अनेक ऩये शासनमो से यऺा होसत है औय घय भे सुख सभृत्रद्ध फक प्रासद्ऱ होसत है , बाग्म रक्ष्भी फदब्फी भे रघु श्री फ़र, हस्तजोिी (हाथा जोिी), ससमाय ससन्गी, त्रफस्ल्र नार, शॊख, कारी-सफ़ेद-रार गुॊजा, इन्र जार, भाम जार, ऩातार तुभिी जेसी अनेक दर ा साभग्री होती है । ु ब

भूल्म:- Rs. 1050 से Rs. 8200 तक उप्रब्द्ध

गुरुत्व कामाारम सॊऩका : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785 c

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व्मत्रक्त

को

प्राम्

प्रेभ

प्रसॊगं

भं

असपरता,

फदनाभी, धोखा आफद सभरते हं , इस सरए व्मत्रक्त को प्रेभ

इन सतसथमं भं शसनवाय का फदन ऩिे तो फहुत वषा होता हं ।

ऩसॊगं भं त्रवशेष सावधानी फयतनी िाफहए। अऩना व्मवहाय औय िरयि साप-सुथया यखं अन्मथा व्मत्रक्त को अऩने प्रेभी के साथ-साथ स्वजनं एवॊ सभाज से त्रवयोध एवॊ अऩभान सहना ऩि सकता हं । भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त कबी-कबी इतने स्वाथॉ हो जाते हं की वहॊ अऩने कामा-उद्दे श्म की ऩूसता के सरए उसित-अनुसित, नैसतक-अनैसतक सबी भूल्मं को ताक ऩय यख दे ते हं , औय केवर अऩने स्वाथा की ऩूसता भं ही रगे यहते हं , स्जस कायण व्मत्रक्त को प्राम् सभम कामा ऺेि भं असपरता का साभना कयना ऩिा़ता हं । इस सरए भूराॊक 4 वारे व्मत्रक्त मफद अऩने स्वबाव तथा त्रविायधाया भं सुधाय कयते हं तो व्मत्रक्त हय ऺेि भं सपरता प्राद्ऱ कय

स्वास्र्थम् व्मत्रक्त प्राम् यक्त की कभी से ऩीफित यहते हं । यक्त की कभी से अनेक योग आ घेयते हं । ऐसे व्मत्रक्तमं को रोहतत्व मुक्त बोजन कयना िाफहमं। िरने -फपयने तथा ष्वास रेने भं कश्ट होना, पैपिो की खयाफी, असनरा, भ्रभ, फहस्ट्रीयीमा, शदॊ, ऩैयं का पटना ऩैयं भं ददा , ऩैयं की अन्म फीभारयमाॊ होती हं । गुदे से सॊफॊसध योग बी हो जाते हं । व्मत्रक्त भानससक रूऩ से बी अस्वस्थ एवॊ तनावग्रस्त यहता हं । ससय ददा बी ऩामा जाता हं । उऩमुक्त आहाय्

सकते हं । व्मत्रक्त गुस्सेर मा तुनकसभजाज ककाश स्वबाव के होने के कायण व्मत्रक्त फात-फात भं सिि जाते हं । व्मत्रक्त के भन से अरग कामा हो जाने ऩय मे अऩने आऩे से

रौकी, ककिी, खीया, अॊगूय, सेफ, अनानस, तुरसी, कारीसभिा एवॊ हल्दी उऩमंगी हं । नषीरी िीजं से ऩयहे ज कयं तेज भसारेदाय बोजन से फिं, षाकाहाय ऩय असधक ध्मान दं ।

फाहय हो जाते हं । रेफकन स्जतनी गसत से क्रोध िढ़ता हं , उतनी ही तीव्र गसत से वह उतय बी जाता हं । गुस्से भं

व्मत्रक्त अऩना आऩा खं फेिते हं औय फकसे क्मा फोरना मा कहना िाफहए इस का होश नहीॊ होता स्जस कायण व्मत्रक्त हय फकसी से शिुता एवॊ त्रवयोध कय रेता हं । व्मत्रक्त के जीवन भं शिुओॊ की कभी नहीॊ होती, एक शिु को ऩयास्त कयने ऩय दस नए शिु ऩैदा हो जामंगे हं । व्मत्रक्त के शिु ऩीि ऩीछे कुिक्र यिंगे, षिमॊि कयते यहं गे रेफकन भुॊह के साभने कुछ बी नहीॊ कय ऩाएॊगे।

शुब फदन: शुब वषा 22,31,40,49,58,67,76 वाॊ वषा हं , सतसथ 4,13,22,31 वषा दामक होती हं , फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे,

अनुकूर व्मवसाम: व्मत्रक्त इॊ जीसनमय, सेल्सभैन, भुसनभ ;ब्ण ्। द्ध,

दारू, स्स्प्रट, तेर, केयोसीन, अका, ईि, वामु सेना, जर-

जहाज, यॊ ग कामा, टे सरपोन, ओऩये टय, करा, दजॉ, स्टे नो, त्रषल्ऩ काय, त्रवघुत, िे केदाय, खदान, वकारत, ये रवे, टे रीग्रापी, ऩिकारयता, तम्फाकू, रेखन, सॊऩादन, ट्राॊसऩोटा , याजनीसत, ज्मोसतष, फीभा, दरारी, ऩुयातत्व त्रवऻान आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं । शुब फदशा: व्मत्रक्त के सरए नौकत्म कोण एवॊ ऩस्द्ळतभ फदशा अनुकूर होती हं । व्मत्रक्त के सरए क्रीभयॊ ग, नीरा, सभसश्रत, खाकी, िभकदाय, नीरेयॊग के वस्त्र अनुकूर एवॊ बाग्मशारी होते हं ।

अगस्त 2012

23

भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहे गा।

भूराॊक 4 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम  आऩका भूराॊक के स्वाभी ग्रह याहु के शुब प्रबावो की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी भध्मभा उॊ गरी भं गोभेद

धायण कय सकते हं । अऩने ऩूजा स्थान भं प्राणप्रसतत्रद्षत याहु मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं ।

 मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा।

आऩ 8 भुखी रुराऺ के साथ भं 7 भुखी मा 14 भुखी औय 9 भुखी रुराऺ धायण कयने से बी आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी। शाॊसत के सरए दान ग्रह:- याहु वाय:- शसनवाय

याहु ग्रह फक शाॊसत हे तु कारी वस्तु एवॊ गोभेद, नीरा कऩिा, कॊफर, साफूत सयसं (याई), ऊनी कऩिा, कारे

ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: व्रत: याहु ग्रह के सरए कोई फदन सनस्द्ळत नहीॊ फकमा गमा हं , इस सरए याहु को प्रसन्न कयने हे तु शसनवाय के फदन व्रत फकमा जा सकता हं । याहु का व्रत कयने से शिुओॊ ऩय त्रवजम प्राद्ऱ हं , सयकायी कामं भं सहमोग प्राद्ऱ होता हं , याहु-केतु से सॊफॊसधत सबी योगो का शभन होता हं ।

सतर व तेर का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:  भाता-त्रऩता एवॊ फिे -़ फुजुगं का सम्भान कयं ।  सत्कभा कयते यहं आऩके सबी कामा स्वत् ससत्रद्ध होते जामेगं।  बगवान सशव, त्रवष्णु मा भाॉ दग ु ाा का स्भयण कयते हुवे फदन की शुरुवात कयं ।

ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक स्वाभी याहु हं अत् याहु ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 8

 बोजन कयते सभम ससय ढक कय न यखं औय दस्ऺण फदशा की ओय भुॊह कयके बोजन न कयं ।  फकसी से दव्ु मावहाय न कयं ।

दग ु ाा फीसा मॊि

शास्त्रोक्त भत के अनुशाय दग ु ाा फीसा मॊि दब ु ााग्म को दयू कय व्मत्रक्त के सोमे हुवे बाग्म को जगाने वारा भाना गमा हं । दग ु ाा फीसा मॊि द्राया व्मत्रक्त को जीवन भं धन से सॊफॊसधत सॊस्माओॊ भं राब प्राद्ऱ होता हं । जो व्मत्रक्त

आसथाक सभस्मासे ऩये शान हं, वह व्मत्रक्त मफद नवयािं भं प्राण प्रसतत्रद्षत फकमा गमा दग ु ाा फीसा मॊि को स्थासद्ऱ कय रेता हं , तो उसकी धन, योजगाय एवॊ व्मवसाम से सॊफॊधी सबी सभस्मं का शीघ्र ही अॊत होने रगता हं । नवयाि के फदनो भं प्राण प्रसतत्रद्षत दग ु ाा फीसा मॊि को अऩने घय-दक ु ान-ओफपस-पैक्टयी भं स्थात्रऩत कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं , व्मत्रक्त शीघ्र ही अऩने व्माऩाय भं वृत्रद्ध एवॊ अऩनी आसथाक स्स्थती भं सुधाय होता दे खंगे। सॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा िैतन्म दग ु ाा फीसा मॊि को शुब भुहूता भं अऩने घय-दक ु ान-ओफपस भं स्थात्रऩत कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं ।

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अगस्त 2012

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भूराॊक 5 स्वाभी फुध

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 5

असधक राब की प्रासद्ऱ होती हो, स्जस कामा भं सपरता

स्वाभी ग्रह:- फुध

जल्दी सभरे औय सनयॊ तय उन्नत्रत्त व तयक्की सभरती यहं । भूराॊक 5 का स्वाभी ग्रह फुध हं , इस सरए भूराॊक

सभि अॊक:- 1, 6, 8

5 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय फुध का त्रवशेष

शिु अॊक:- 2, 4

प्रबाव दे खने को सभरता हं , क्मोफक 5 भूराॊक भं जन्भ

सभ:- 3, 9

रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय फुध ग्रह की अनुकूरता के

स्व अॊक:- 5

कायण फुध ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । फुध ग्रह के इस

तत्व:- ऩृर्थवी मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 5,14 व 23 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 5 होता है ।

भूराॊक

5

अॊक

के

व्मत्रक्त

असधक सभरनसा औय फद्रस्वबाव की त्रविाय धाया वारे होते हं । व्मत्रक्त की कामा ऺेि भं रुसि नौकयी से असधक व्माऩाय भं

त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त नई से नई मुत्रक्तमाॉ आिभाने, नए से नए त्रविाय एवॊ सवाथा नूतन तको से कामा कयने वारे होते हं । व्मत्रक्त अऩने कामाऺेि भं ऩूणत ा ् फक्रमाशीर होते हं । क्मोकी मह रोग स्जस कामा को हाथ भं रेते हं उसे ऩूया कयने के सरए ऩूणा रगन औय एकाग्रता से जुट जाते हं औय उस कामा को तफ तक नहीॊ छोिं गे जफ तक फक कामा

होती हं । मफद व्मत्रक्त नौकयी

ऩूणत ा ् सॊऩन्न न हो जाए।

ऩसॊद कयता हं तो असधकतय एसी ही नौकयी को िुनते हं जो

रेन-दे न,

माॊत्रिक

औय

रेखा-जोखा, तकनीकी

कामा,

वास्णज्म, इत्माफद के कामा से जुिी हो। व्मत्रक्त थोिे वाक्ऩटु ता एवॊ तकाशीर होते हं , स्जससे व्मत्रक्त साभने वारे को सयरता से अऩनी फातं से प्रबात्रवत कय सकत हं , इस सरए मह रोग इनश्मोयं स, भाकेफटॊ ग आफद के कामं भं बी सपर हो सकते हं । भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त अऩने कामं को जल्दी सभाद्ऱ कयने हे तु तत्ऩय होते हं , इस सरए व्मत्रक्त प्राम् एसे ही कामं का िुनाव कयते हं स्जसभं कभ भेहनत से

भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त अऩने कामं

भं

असधक

जल्दफाजी

कयते हं व्मत्रक्त अऩने कामा को जल्द ऩूणा कयने के िक्कय भं कबी-कबी फिा़ नुकसान कय दे ते हं । भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त झुकते नहीॊ झुकाने भं असधक त्रवद्वास यखते हं । भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त की सफसे फिी़ खाससमत होते हं वह दस ू यं को प्रबात्रवत कयने की करा, क्मोफक व्मत्रक्त कुछ ही ऺणो की फातिीत

भं दस ू यं को अऩना फना रेते हं , उसे अऩना स्थाई सभि बी फनाने भं सभथा होते हं ।

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भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त का भस्स्तष्क तथा फुत्रद्ध

भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त की फोरने की शैरी दस ू यं

प्रखय होती हं । इस भूराॊक वारे व्मत्रक्त फिे ़ से फिे ़ औय

से रगत होती है व्मत्रक्त की फातं भं असधकतय कटाऺ

छोटे से छोटी सनणाम को त्रफना फकसी ऩये शानी के तत्कार

होते हं । व्मत्रक्त तनाव, सिॊता के कायण हभेशा भानससक

रे सकते हं । तत्कार सनणाम रेना व्मत्रक्त का सफसे फिा

रुऩ से अशाॊत होते हं । व्मत्रक्त का क्रोध असधक होता हं

गुण होता हं । फकसी व्मत्रक्त को क्मा कहना नहीॊ कहना

फपय बी मह रोग ऺस्णक क्रोध के फाद उस ऩय ऩछतावा

इसका तुयॊत औय ऩूवा सनणाम रेना इनकी त्रवशेषता होती

बी कयते हं । व्मत्रक्त थोिे स्जद्दी होते हं , एक फाय कोई

हं ।

सनणाम कय रे तो फाद भं उस सनणाम ऩय अिे यहते हं । भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त की दस ू ये व्मत्रक्तमं को

व्मत्रक्त फुत्रद्धशारी होने के कायण सभाज भं अच्छा भान-

रोग अऩरयसित व्मत्रक्त को बी एक ही निय भं दे खते ही

व्मत्रक्त को प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं थोिा़ सावधान

ऩहिानने की शत्रक्त बी अफद्रतीम होती हं इस सरए मह मे बाॊऩ जाते हं ।

भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त फकसी फात ऩय असधक फदन तक सोि त्रविाय नहीॊ कय सकते, मफद व्मत्रक्त को त्रवऩरयत ऩरयस्स्थसतमाॊ असधक प्रबात्रवत कयती हं , फपय बी व्मत्रक्त उन फातं को शीघ्र बुर कय आगे फढ़ने भं त्रवद्वास यखते हं । इस सरए व्मत्रक्त फकसी बी प्रकाय कफिन से कफिन ऩरयस्स्थसत से बी शीघ्र भुक्त हो जाते हं । भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त भं सििसििाऩन मा गुस्सा असधक होता है । इस सरए व्मत्रक्त का भन असधक िॊिर यहता हं औय कबी-कबी भानससक अशाॊसत एवॊ अस्स्थयता का अनुबव कय सकते हं । भूराॊक 5 वारे व्मत्रक्त का प्रभुख गुण मह होता हं की वह कफिन औय त्रवऩयीत ऩरयस्स्थतमं को बी अऩने अनुकूर फनाने की अद्भत ु ऺभता यखते है । व्मत्रक्त मफद

सम्भान एवॊ ऩद प्रसतद्षा औय ख्मासत अस्जात कय रेते हं ।

यहना िाफहए क्मोफक व्मत्रक्त इस भाभरे भं थोिे ़ असधक बावुक होते हं स्जसके कायण ऩय स्त्री-ऩुरुष उन्हं अऩने भोह जार भं पसाॊ कय उन्हं फयफाद कय सकते हं । जीवन भं झूिे प्ररोबन एवॊ कल्ऩना से केवर द्ु ख की ही प्रासद्ऱ होती हं । इस सरए नैसतक अनैसतक के त्रफि के पका को सभझ कय अऩनी सुझ-फुझ से सनणाम कयने िाफहए। शुब फदन: शुब

वषा 23,32,41,50,59,68,77

वाॊ

वषा हं ,

सतसथ

5,14,23 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं फुधवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं ।

एक फाय कोई सनणाम कय रे तो उसके साभने फकतने ही

स्वास्र्थम्

त्रवघ्न, फाधाएॉ आमे फपय बी व्मत्रक्त उस कामा को सॊऩन्न

व्मत्रक्त प्राम् सदॊ, जुकाभ आफद से ऩीफित यहना ऩिता हं ।

कयके ही छोिता हं । क्मोकी व्मत्रक्त कफिन ऩरयस्स्थसतमं भं बी अऩनी फहम्भत औय धैमा नहीॊ खोते हं , व्मत्रक्त एसी स्स्थसत भं औय बी असधक एकाग्र औय शाॊत होकय अऩने रक्ष्म की औय फढ़ते हं । व्मत्रक्त अऩने जीवन भं एक से असधक आजीत्रवका से धन प्राद्ऱ कयं गे, मानी व्मत्रक्त के आम के स्तोि एक से असधक हंगे।

नवास ब्रेकिाउन का बी बम फना यहता हं । कण्ि योग, जीब सॊफॊसध योग, कॊधे भं ददा , हस्डिमं सॊफॊसध योग, कान तथा ष्वास प्रफक्रमा

सॊफॊसधत फीभारयमाॊ हुआ कयती हं ।

रृदम योग, भोतीझय, भूि योग, वीमा दोष, सभगॉ, नाससका

योग, तीव्र ज्वय, ऩागरऩन, खाज-खुजरी, रकवा, ऩाॊवं की सूजन, भूच्छाा आना, नासूय, है जा, भॊदास्ग्न, गरे के योग तथा त्विा सॊफॊसधत फीभारयमाॊ हुआ कयती हं ।

अगस्त 2012

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उऩमुक्त आहाय:

प्रासद्ऱ होती हं । फुधवाय का व्रत कयने से फुध के प्रबाव भं

सेफ, केरा, िीकू, अनाय, अनानस, अॊगूय, ऩुफदना, गाजय,

आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता

ऩारक, सबण्िी, फंगन, कये रे, तुरसी, फादाभ, अॊजीय, केसय, अखयोट राबदामक यहते हं ।

हं । ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ:

अनुकूर व्मवसाम: व्मत्रक्त टे रीपोन त्रवबाग, ज्मोसतष, सेल्सभैन, फीभा, फंक, ये ल्वे इॊ जीसनमयीॊग, सॊऩादन, तम्फाकू,

भुसनभ, ऩिकारयता,

अनुवाद, याजनीसत, ऩुस्तक त्रवक्रेता, ऩुयातत्व त्रवऻान, आत्रवस्काय, त्रप्रॊटीॊग, रेखन, खोज, िाक, ऩमाटन त्रवबाग आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं ।

आऩके भूराॊक का स्वाभी फुध हं अत् फुध ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 4 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहे गा।

आऩ 4 भुखी रुराऺ के साथ भं 6 भुखी मा 13 भुखी औय 7 भुखी मा 14 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।

शुब फदशा:

शाॊसत के सरए दान

व्मत्रक्त के सरए ऩूवोतय एवॊ ऩस्द्ळभोत्तय फदशा शुबदामी

ग्रह:- फुध, वाय:- फुधवाय

यहती हं ।

व्मत्रक्त

के सरए हया, द्वेत, बूया,

कत्थई

िभकदाय एवॊ भटभैरा यॊ ग अनुकूर एवॊ राबप्रद होता है । भूराॊक 5 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम आऩके भूराॊक के स्वाभी ग्रह फुध के शुब प्रबावो की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी कसनत्रद्षका उॊ गरी भं ऩन्न धायण कय सकते हं । ऩन्नाके फदरे उसका उऩयत्न ओनेऺ मा भयगि धायण कय सकते हं । अऩने

ऩूजा

स्थान

भं

प्राण-प्रसतत्रद्षत

ऩन्ना

गणेश(भयगि गणेश), फुध मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं । मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा। ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: फुधवाय का व्रत: फुध ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु फुधवाय का व्रत फकमा जाता हं । फुधवाय का व्रत व्मवसाम कयने वारो हे तु राबदामी होता हं । फुधवाय का व्रत गणेश जी एवॊ भाॊ दग ु ाा फक कृ ऩा प्रासद्ऱ हे तु फकमा जाता हं । इस व्रत के कयने से फुत्रद्धका त्रवकास होता हं , इस फदन व्रत के साथ दग ु ाा सद्ऱशतीका ऩाि कयने से भनोवाॊसछत पर फक

फुध ग्रह फक शाॊसत हे तु हये ऩन्ना, भूॉग, घी, हया कऩिा, िाॉदी, पूर, काॉसे का फतान, कऩूय का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम: कामा ससत्रद्ध हे तु हये यॊ ग का रुभार हभेशा अऩने ऩास यखं। फीभायी भं ऩैसा खिा हो यहा हो तो जरुय भॊद व्मत्रक्त को भीिा व नभकीन दोनं प्रकाय का बोजन कायएॊ। घय भं करह होती हो तो नवयाि भं दग ु ाा सद्ऱशती का ऩाि कयं औय शुक्र ऩऺ की ितुथॉ को एक कुभायी कन्मा को बोजन कयाएॊ। दफ्तय की ऩये शासनमं से फिने के सरए 1 साफूत हल्दी की गाॊि रेकय उसे फहते ऩानी भं फहा दं औय 1 साफूत हल्दी की गाॊि को अऩने दफ्तय भं सुयस्ऺत यख रं। बूसभ-बवन से सॊफॊसधत त्रववाद को सुरझाने के सरए यात भं फुजुगं को दध ू ऩीराएॊ।

नौकयी-व्मवसाम के कामो भं त्रवध्न-फाधाएॊ आयही हो तो गयीफ व्मत्रक्त को कारा कॊफर दान दं । अऩने भान-सम्भान एवॊ प्रसतद्षा फढाने हे तु ऩानी भं थोिी

फपटकयी

िार

कय

स्नान

कयं ।

अगस्त 2012

27

भूराॊक 6 स्वाभी शुक्र

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी व्मत्रक्त का दस ू यं के भुकाफरे असधक सुॊदय फदखना औय

भूराॊक 6

फने यहना इनका स्वाबाव होता हं ।

स्वाभी ग्रह:- शुक्र

भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त की बौसतक सुखं भं असधक

सभि अॊक-:- 5, 8

रुसि होती हं इस सरए व्मत्रक्त जीवन जीने का सही आनॊद

शिु अॊक:- 1, 7

उिाते हं । मफद जीवन के फकसी भोि ऩय धन का अबाव

सभ:- 3, 9

हो तो बी व्मत्रक्त रृदम से उदाय एवॊ नीसतऻ होते हं ।

स्व अॊक:- 6

भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त को दस ू यं के सौन्दमा, सुख एवॊ

प्रगसत से असधक ईस्मा होती हं । कबी-कबी

तत्व:- जर मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 6, 15 व 24 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 6 होता है ।

भूराॊक 6 अॊक के व्मत्रक्त असधक

करा

प्रेभी

औय

भनोयॊ जन त्रप्रम त्रविाय धाया वारे

होते

हं ।

व्मत्रक्त

की

प्रकृ सत करा ऺेि भं असधक रुसिऩूणा होती हं । भूराॊक 6 का स्वाभी ग्रह शुक्र हं , इस सरए भूराॊक 6 भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय शुक्र का त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता हं , क्मोफक 6 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय शुक्र ग्रह की अनुकूरता के कायण शुक्र ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । शुक्र ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त फदधाामु, स्वस्थ, सफर, हॊ सभुख एवॊ दस ू यं को सॊभोफहत कयने का त्रवरऺण उनभं होता हं । भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त की प्राम्

जन्भजात से ही करा के प्रसत त्रवशेष रूसि होती हं ,

दस ू यं को

आगे सनकरने की होि भं औय प्रसतस्ऩधाा भं व्मत्रक्त स्जद्दी

हो जाते हं , व्मत्रक्त फकसी बी फकभत ऩय दस ू यं से आगे सनकरने

के

यासते

खोजता

हं ।

स्जसभं

कबी-कबी अनुसित यास्ते अऩनाते हं औय बायी नुकसान उिाते हं । भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त भं दस ू यं को अऩनी औय आकत्रषात औय प्रबात्रवत कयने की अद्भत ु

शत्रक्त होसत हं । व्मत्रक्त की फात कयने की शैरी अनूिी होती हं स्जस कायण व्मत्रक्त साभने वारे से अऩना काभ सनकारने भं भाफहय होते हं । भूराॊक

6

वारे

व्मत्रक्त

का

आकषाक शयीय, नम्रवाणी, भोहक व्मत्रक्तत्व तथा िेहये की सौम्मता सपरता भं त्रवशेष सहामक ससद्ध होते हं । इस सरए व्मत्रक्त प्राम् सबी ऺेि भं

रोकत्रप्रम

होते हं । भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त से की सॊगसत से रोग सुख-आनॊद का अनुबव कयते हं । व्मत्रक्त की रुसि करा

प्रेभी होने से मह रोग असबनम, सॊसगत, भनोयॊ जन, सौन्दमा प्रधान इत्माफद ऩय असधक धन व्मम कयते हं ।

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भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त को सुन्दय वस्त्र धायण

भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त का त्रवऩयीत सरॊग के प्रसत

कयना औय बौसतक सुख-साधनो से सुसस्ज्जत भकान भं

आकषाण असधक होता हं स्जस कायण व्मत्रक्त के एक से

यहना ऩसॊद कयते है ।

असधक प्रेभ सॊफॊध हो सकते हं ।

भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त अऩने ऩयामे सबी से अऩनी

भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त प्रेभ सॊफॊधं भं आनॊद

फात भनवाने ऩय असधक जोय दे ते हं , इन्हं अऩनी प्रशॊसा

खोजते हुवे जीवन माऩन कयते हं । व्मत्रक्त करा प्रेभी होने

असधक त्रप्रम होती हं । व्मत्रक्त सभरनसाय स्वबाव के होने के कायण आसानी से दस ू यं के फदर भं अऩने सरमे जगा

के कायण करा के ऺेि को अऩनी आभदनी का स्त्रोत बी फना सकते हं ।

फना रेते हं , मफह कायण हं की व्मत्रक्त शीघ्र अनजाने रोगं से सभिता स्थात्रऩत कय रेते हं स्जससे इनके सभिं के सॊख्मा फदन-प्रसतफदन फढ़ती यहती हं ।

ज्मोसतष शास्त्र के अनुशाय शुक्र ग्रह से प्रबात्रव जातक प्रेभी स्वबाव के होते हं , व्मत्रक्त की शायीरयक सुख प्राद्ऱ कयने की तीव्र होती हं इस कायण व्मत्रक्त शीघ्र

भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त अऩने जीवन भं सबी प्रकाय

त्रववाह कयने के सरए तैमाय होते हं , मफद त्रववाह नहीॊ

के बौसतक सुख-साधन प्राद्ऱ कयने की प्रफर इच्छा यखते

होता तो त्रववाह से ऩूवा शायीरयक सुख प्राद्ऱ कयने की

हं इससरए सनयॊ तय अऩने सुख-साधनं को जुटाने औय

इच्छा यखते हं । कबी-कबी व्मत्रक्त शायीरयक सुख प्राद्ऱ

वृत्रद्ध कयने भं ही रगे यहते हं ।

कयने हे तु उसित-अनुसित भागा अऩना ने से ऩीछे नहीॊ यहतं।

भॊि ससद्ध स्पफटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्रक्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब फ़रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से असधक से असधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्रक्त के सरए पामदे भॊद सात्रफत होता

है । ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त "श्री मॊि" स्जस व्मत्रक्त के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी ससद्ध होता है उसके दशान भाि से अन-सगनत राब एवॊ सुख की प्रासद्ऱ होसत है । "श्री मॊि" भे सभाई अफरसतम एवॊ अरश्म शत्रक्त भनुष्म की सभस्त शुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होसत है । स्जस्से उसका जीवन से हताशा औय सनयाशा दयू होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय सनयन्तय गसत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौसतक सुखो फक प्रासद्ऱ होसत है । "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भं उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का सनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थात्रऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फस्न्धत ऩये शासन भे न्मुनता आसत है व सुख-सभृत्रद्ध, शाॊसत एवॊ ऐद्वमा फक प्रसद्ऱ होती है ।

गुरुत्व कामाारम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रब्ध है

.

भूल्म:- प्रसत ग्राभ Rs. 9.10 से Rs.28.00

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भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त को भौज-भस्स्त, खाने-ऩीने, घुभने-फपयने, बोग-त्रवरास का असधक शौक होता हं , इससरए उसका असधक धन इस कामा भं खिा हो जाता हं ।

व्मत्रक्त

मफद अऩनी कभजोयीमं एवॊ आदतं ऩय

उऩमुक्त आहाय: तयफूज, खयफूज, आभ, सेफ, नासऩती, अनाय, ऩारक, गाजय, पुरगोबी, इभरी, अॊजीय, अखयोट, गुरकॊद आफद राबदामक होते हं ।

सनमॊिण कयरे तो वह जीवन भं उिे स्थान ऩय आससत हो सकते हं एवॊ अच्छा भान सम्भान एवॊ प्रसतद्षा प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद व्मत्रक्त अऩनी फुयी आदतं का गुराभ फन जाता हं तो वह सभाज भं अऩना फना फनामा नाभ, ऩद, प्रसतद्षा सफ को सभट्टी भं सभरा दे ता हं । रोग उस्से धृणा कयने रगते हं । इस सरए व्मत्रक्त को हभेशा अनुसित कामा से दयू यहना िाफहए। भूराॊक 6 वारे व्मत्रक्त स्वतॊिता त्रप्रम होते हं इस

अनुकूर व्मवसाम: व्मत्रक्त वासतु करा, त्रषल्ऩकाय, फिजाईनय, सॊगीत, नाट्मकाय, फागवानी, वस्त्र, असबनेता, ईि, तेर, पूर,घफि, त्रप्रॊटीॊग, इॊ जीसरमय,, जवाहयात, सेवा, आबूषण, सभिाई, त्रवदे षी भूरा, फकसी बी प्रकाय के खसनज खदान, होटर, रेखन, प्रकाशन, करा, दासवृत्रत्त

आफद सॊफॊसधत कामो भं

असधक सपर होते हं ।

सरए वह रोग स्जन्दगी एवॊ कामाऺेि भं फकसी का

शुब फदशा:

अनुशासन मा हस्तऺेऩ ऩसॊद नहीॊ कयतं, व्मत्रक्त स्जन्दगी

व्मत्रक्त के सरए अनुकूर फदशा ऩूवा है । व्मत्रक्त के सरए

को अऩने अॊदाज से जीने का प्रमत्न कयते हं ।

हल्का नीरा, आसभानी, हल्का ऩीरा, गुराफी यॊ ग, बी उऩमुक्त है , फकन्तु कारा, गहया रार यॊ ग अशुब सूिक है ।

शुब फदन: शुब वषा 15,24,33,42,51,60,69,78 वाॊ वषा हं , सतसथ 6,15,24 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं शुक्रवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं ।

भूराॊक 6 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम भूराॊक 6 हं स्जसके स्वाभी ग्रह शुक्र के शुब प्रबावो की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी अनासभका उॊ गरी भं हीया मा सपेद ऩुखयाज अथवा शुक्र के उऩयत्न जयकन, सपेद टोऩाज आफद अऩने साभर्थमा के अनुशाय धायण कय सकते हं ।

स्वास्र्थम् व्मत्रक्त पेपिो के योग से ग्रससत यहते हं । नाक, कान, आॉख, जीब, दाॊत, अॊगुरी, नाखून, हस्डि, वीमा सॊफॊसध फीभारयमाॊ हुआ कयती हं । स्त्री को भाससक धभा सॊफॊसध योग होते हं । भूच्छाा आना, अजीणा, नऩुॊसकता, ज्वय सॊफॊसध योग यहते हं ।

अऩने

ऩूजा

स्थान

भं

प्राण-प्रसतत्रद्षत

स्पफटक

गणेश, शुक्र मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं । मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा। ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: शुक्रवाय का व्रत: शुक्र ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु शुक्रवाय का व्रत फकमा जाता हं । शुक्रवाय का व्रत कयने से व्मत्रक्त

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के संदमा भं वृत्रद्ध होती हं , गुद्ऱ योगोभं राब होता हं , बोग-

कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं

त्रवरास फक सिज वस्तु भं वृत्रद्ध होती हं । शुक्रवाय का व्रत

ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:

कयने से शुक्र के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।

गुरुवाय को गयीफ ब्राम्हण को बोजन कयाएॊ। अऩाफहज व्मत्रक्त को दान दं ।

ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक 6 का स्वाभी शुक्र हं अत् शुक्र ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के

सरए एक नॊग 13 भुखी मा 6 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहे गा। आऩ 13 भुखी मा 6 भुखी रुराऺ के साथ भं 4 भुखी औय 7 भुखी मा 14 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।

नौकयी से सॊफॊसधत ऩये शानी हो तो सनमभीत ऩीऩर भं जर िढ़ाएॊ औय कौए को भीिी योटी िारं। योजगाय से सॊफॊसधत फदक्कत आयही हो तो भाथे ऩय केसय का टीका रगाएॊ। बूसभ-बवन से सॊफॊसधत त्रववाद को सुरझाने के सरए श्री गणेश फक आयाधना कयं । सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा को हया िाया स्खराएॊ।

शाॊसत के सरए दान ग्रह:- शुक्र

व्मवसामीक कामो भं त्रवध्न-फाधाएॊ आयही हो तो 21

दयू कयने के सरए गाम

 दाॊऩत्म जीवन की ऩये शानीमाॊ दयू कयने के सरएॊ

वाय:- शुक्रवाय

शुक्र ग्रह फक शाॊसत हे तु द्वेत यत्न, िाॉदी, िावर, दध ू , सपेद कऩिा, घी, सपेद पूर, धूऩ, अगयफत्ती, इि, सपेद िॊदन दान

भॊगरवाय के फदन हनुभान भॊफदय भं शुद्ध घी का दो

भुख वारा दीऩक जराएॊ औय रार पूर की भारा िढ़ाएॊ।

 क्मा आऩको उच्ि असधकायी से ऩये शानी हं ?  क्मा आऩकी अऩने सहकभािायी से अनफन होती हं ?  क्मा आऩके असधनस्थ कभािायी आऩकी फात नही भानते? मफद आऩको अऩने उच्ि असधकायी, सहकभािायी, असधनस्थ कभािायी से ऩये शानी हं । आऩके अनूकुर कामा नहीॊ कयते मा आऩको कयने नहीॊ दे ते? वह आऩकी फात नहीॊ भानतं? त्रफना वजह आऩको ऩये शान कयते हं ? अन आवश्मक कामा आऩसे कयवाते हं । आऩका प्रभोशन रुकवादे ते हं । उसित कामा कयने ऩय बी आऩके कामा भं नुक्श सनकारते हं ? मफद आऩ इसी तयह फक फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं तो आऩ उन असधकायी, सहकभॉ, असधनस्थकभॉ मा अन्म फकसी व्मत्रक्त त्रवशेष के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय-ओफपस भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका कयं ।

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भूराॊक 7 स्वाभी केतु

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त की

भूराॊक 7

स्वतॊि त्रविाय धाया औय त्रवशार व्मत्रक्तत्व होता हं ।

स्वाभी ग्रह:- केतु

भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त दस ू यं से जया हटके कामा

सभि अॊक:- 2, 6

कयने भं त्रवद्वास अयखते हं इसी सरमे इन भं त्रवशेष गुण

शिु अॊक:- 1, 9

होते हं की मह रोग वेस्ट भं से फेस्ट फना दे ते हं अथाात

सभ:- 3,4 5,8,

फेकाय मा व्मथा वस्तुओॊ भं से फहुउऩमोगी साभग्रीमाॊ प्राद्ऱ कय रेते मा फना रेते हं ।

स्व अॊक:- 7

भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त का भन-भस्स्तष्क खारी मा मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की 7, 16 व 25 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 7 होता है ।

भूराॊक

7

अॊक

के

व्मत्रक्त

असधक

सहनशीर औय सहमोगी त्रविाय धाया

सनस्ष्क्रम नहीॊ यह सकता, इस सरए वह हय ऺण कुछ ना कुछ सोिते ही यहते हं । इससरए व्मत्रक्त खारी सभम भं बी कुछ ना कुछ नमा कयने का अवसय खोजते यहते हं । भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त को अऩनी एवॊ दस ू यं की स्वतॊिता असधक त्रप्रम होती हं इस सरए व्मत्रक्त फकसी

प्रकाय से स्वतॊिता बॊग हो मह फदाास्त

वारे होते हं भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त को

ऩयखना

कफिन

होता

नहीॊ

हं

अनोखे

क्मोफक इन रोगं के स्वबाव

व्मत्रक्त

कामा ऺेि भं आधायबूत एवॊ

की

जान

उच्ि स्थान को प्राद्ऱ कयने भं

केतु हं , इस सरए भूराॊक 7 भं

सभथा होता हं । व्मत्रक्त को अऩने

जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय केतु का

अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । केतु

उसकी

होने के कायण व्मत्रक्त जल्द

भूराॊक 7 का स्वाभी ग्रह

की अनुकूरता के कायण केतु ग्रह के गुणं का सभावेश

कायण

इस

ऩेहिान ऊॉिे औय फिे रोगं से

असधक रुसिऩूणा होती हं ।

भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय केतु ग्रह

के

के

जया हटके होती हं ।

प्रकृ सत

त्रवशेष प्रबाव दे खने को सभरता हं , क्मोफक 7

गुण

व्मत्रक्त

ऩद-प्रसतद्षा दस ू यं के भुकाफरे

हं । की

सकते।

सभाज भं भान-सम्भान एवॊ

भं उताय-िढ़ाव होता यहता व्मत्रक्त

कय

सभिं एवॊ त्रप्रमजनं का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होता हं । भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त साहसी होने के कायण साहससक कामो भं त्रवशेष रूसि यखते हं स्जसभं उन्हं सपारता बी सभरती हं । इसके अरावा व्मत्रक्त का झुकाव

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करा के प्रसत बी हो सकता हं स्जस कायण उसे करा के

भं उसित कामा नहीॊ कय सकते मा अऩनी प्रसतबा नही

ऺेि भं बी सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं ।

फदखा सकतं मफद व्मत्रक्त फकसी कं अॊदय कामा कयता हं तो

भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त का आसथाक ऩऺ कभजोय होता हं स्जस कायण उन्हं

धन सॊग्रह कयने भं कफिनाई

उसकी प्रगसत असधक नहीॊ हो सकती व्मत्रक्त स्वमॊ बी अऩनी प्रगसत को रुका हुवा मा फॊधा हुवा ऩाते हं ।

होती हं । व्मत्रक्त को मािा-भ्रभण इत्माफद भं त्रवशेष रुसि

व्मत्रक्त को साभास्जक कामा मा दस ू यं के कामा भं

होने के कायण व्मत्रक्त इस ऩय असधक धन व्मम कय

सहामता मा हस्तऺेऩ कयने की आदत होती हं स्जस के

सकते हं ।

कायण उन्हं कई फाय सनन्दा एवॊ फदनाभी से सम्भुस्खन

भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त का आत्भ त्रवद्ळास अच्छा होता हं , इस कायण व्मत्रक्त दस ू यं के भन की फात ऩढ़ने

होना ऩिा़ता हं , स्जस कायण व्मत्रक्त हभेशा द्ु खी यहते हं । भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त की सफसे फिी़ कभी होती हं

भं बी भाफहय होते हं । इसके अरावा व्मत्रक्त भं दस ू यं को

की वह दस ू यं के साभने स्वमॊ को असधक फुत्रद्धभान,

कायण मह रोग प्राम् सभम

कायण कई रोगं से शिुता कय फैिते हं । व्मत्रक्त को

अऩनी औय आकत्रषात कयने के गुण बी होते हं । स्जस

रोगं से अऩना इस्च्छत

काभ सनकार रेते हं । भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त स्वतॊिता त्रप्रम होने के कायण उन्हं ऩुयानी रूफढ़वादी यीसत मा ऩयॊ ऩया असधक यास

शत्रक्तशारी एवॊ िाराक फदखाने का प्रमास कयते हं । स्जस अऩनी खुसाभद कयने वारे रोग असधक यास आते हं व्मत्रक्त खुसाभत कताा ऩय कुछ बी दे ने भं सॊकोि नहीॊ कयते।

नहीॊ आती व्मत्रक्त इन यीसत मा ऩयॊ ऩयाओॊ के सरए ऩरयवतानशीर त्रविायधाया यखते हं ।

मफद भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त दद्श ु प्रकृ त्रत्त के रोगं से

असधक सॊऩका भं यहते हं तो उनभं बी दद्श ु प्रवृत्रत्तमा जस्ल्द

प्राम् भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त दयू स्थ स्थानं मा दे शं

घय कय जाती हं । भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त त्रवदे श भ्रभण के

असधकतय भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त एसी ही योजगाय के

साभास्जक कामाकताा होने के कायण व्मत्रक्त साभास्जक

की मािा कयना असधक ऩसॊद कयते हं इस कायण

बी असधक इच्छुक होते हं । भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त

हं स्जसभं उन्हं फाय-फाय मािा के अवसय

कामा भं बी व्मस्त यहते हं । व्मत्रक्त का स्वबाव थोिा

भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त काल्ऩसनक त्रविाय असधक

भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त भं त्रवऩरयत ऩरयस्स्थसत भं

साधन खोजते प्राद्ऱ होते हं।

कयने वारे एवॊ बावुक स्वबाव के होते हं , इस कायण व्मत्रक्त को अच्छे फुये की की ऩयख नहीॊ होती। भूराॊक 7 वारे असधक तय रोगं को जल्दी से सनणाम रेने भं असपरता मा कद्श का अनुबव कयते हं । अनेक फाय व्मत्रक्त को िोस सनणाम के कायण ही असधक राब की प्रासद्ऱ बी होती हं । भूराॊक 7 वारे व्मत्रक्त भं अऩने कामा ऺेि की

व्मवस्था को सॊबारने की अद्भत ु शत्रक्त होती हं , स्जस कायण मह रोग फकसी के दफाव भं मा फकसी के नेतत्ृ व

शॊकाशीर होता हं । बी कद्शं एवॊ सॊकटं से रिने की अद्भत ु सहनशत्रक्त होती हं । मफद व्मत्रक्त एक फाय कुछ कयने की िान रे तो उस रक्ष्म ऩय ऩहूॊि कय ही दभ रेते हं ।

शुब वषा: 16,25,34,43,52,61,70 वाॊ वषा हं , सतसथ 6,15,24 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं सोभवाय मा शसनवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं ।

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 मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि

स्वास्र्थम् व्मत्रक्त को िभायोग घेये यहते हं । खुजरी मा दाद होनेकी सॊबावना फनी यही हं । िभा सॊफॊसध त्रषकामत होती ही यहती हं । आॉख, उदय तथा पेपिं से सॊफॊसध फीभारयमाॊ, गुद्ऱ तथा कफिन योग एवॊ पोिे आफद की त्रषकामते यहती हं । अत्मासधक तनाव, सदै व फकसी सिॊता भं यहते हं , फदहजभी एवॊ कब्ज की सशकामत, नीॊद बी कभ आती हं ।

का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा। ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: व्रत: केतु ग्रह के सरए कोई फदन सनस्द्ळत नहीॊ फकमा गमा हं , इस सरए केतु को प्रसन्न कयने हे तु भॊगरवाय मा शसनवाय के फदन व्रत फकमा जा सकता हं । केतु का व्रत कयने से आकस्स्भक दध ा ना आफद से यऺा होती औय ु ट द्ु ख दरयरता, आसध-व्मासध का अॊत होता हं ।

उऩमुक्त आहाय: सेफ, अॊगूय, ककिी, प्माज, भूरी, गाजय, टभाटय, ऩारक, इभरी एवॊ संप उऩमोगी हं ।

आऩका भूराॊक स्वाभी केतु हं अत् केतु ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए 9

अनुकूर व्मवसाम:

भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहे गा।

व्मत्रक्त फपल्भ, तैयाकी, वामुसेना, ऩमाटन, जर-जहाज, िे यी, ड्राईत्रवॊग, दवाई, जासूसी, तयर ऩदाथा, कुस्ती, यफि, प्रास्टीक, करा,

ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ:

जादग ु य, पूटनीसत,

बूसभगत ऩदाथा,

अनुवाद, रेखन, सॊऩादन, ऩिकारयता, याजनीसत आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं ।

शुब फदशा: व्मत्रक्त के सरए अनुकूर फदशा वामव्म एवॊ ऩस्द्ळभ है । व्मत्रक्त के सरए हल्का ऩीरा, सपेद, नीरा, आसभानी, गुराफी, आफद यॊ ग शुबसूिक है ।

भूराॊक 7 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम  आऩका भूराॊक के स्वाभी ग्रह केतु के शुब प्रबावो की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी भध्मभा उॊ गरी भं रहसुसनमा ( केटस आई) धायण कय सकते हं । अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत केतु मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं ।

आऩ 9 भुखी रुराऺ के साथ भं 7 भुखी मा 14 भुखी औय 4 भुखी रुराऺ धायण कयने से बी आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी। शाॊसत के सरए दान ग्रह:- केतु वाय:- भॊगरवाय केतु फक शाॊसत हे तु सात प्रकाय के वैदम ू ,ा अनाज, काजर, झॊिा, ऊनी कऩिा, सतर आफद का दान कयने से शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:  भाता-त्रऩता एवॊ फिे -़ फुजुगं का सम्भान कयं ।  अस्ऩतार, अनाथारम आफद भं सनस्वाथा सेवा कयॆ ।ॊ  बगवान सशव, त्रवष्णु मा भाॉ दग ु ाा का स्भयण कयते हुवे फदन की शुरुवात कयं ।

 बोजन कयते सभम ससय ढक कय न यखं औय दस्ऺण फदशा की ओय भुॊह कयके बोजन न कयं ।  सपाई कभािायी से दव्ु मावहाय न कयं ।

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भूराॊक 8 स्वाभी शसन

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 8

त्रवघ्न, फाधा, ऩये शानीमं से जूझते हुए सपरता प्राद्ऱ होती है ।

स्वाभी ग्रह:- शसन

भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त फिी़ से फिी़ ऩये शानी एवॊ

सभि अॊक:- 5, 6

िुनौसतमं से नहीॊ घफयाते। व्मत्रक्त हय ऩरयस्स्थसतमं का

शिु अॊक:- 1, 7, 9

दृढ़ताऩूवक ा साभना कयने के सरए तैमाय होते हं । भूराॊक

सभ:- 3

8

स्व अॊक:- 8

8, 17 व 26 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 8 होता है ।

भूराॊक 8 अॊक के व्मत्रक्त का असधक

सॊघषाभम

औय

कबी-कबी

मह

भं

यखता हं । सेवाबावी, भन भं करूणा, त्रविायं भं शाॊसत होती हं ।

अरुसि,

आरस्म

औय

ज्मोसतष के अनुशाय शसन ग्रह न्माम के दे वता हं , इस कायण व्मत्रक्त भं न्मामोसित

ग्रह शसन हं , इस सरए भूराॊक 8

गुण स्वत् ऩामे जाते हं , व्मत्रक्त

भं जन्भ रेने वारे व्मत्रक्त के उऩय प्रबाव

ऩरयस्स्थसत के अनुरूऩ अऩने आऩको ढार रेने की ऺभता

की आदत है ।

धीये -धीये

भूराॊक 8 का स्वाभी

त्रवशेष

टू टते नहीॊ, उसका व्मत्रक्तत्व सही शब्दं भं रिीरा हं जो

कामा को कर ऩय छोि दे ने

उन्नसत प्राद्ऱ होती हं ।

का

ज्मादा

के कायण फहुत से उताय-िढ़ाव दे खने के फाद बी वहॉ

प्रसत

धाया वारे होते हं । व्मत्रक्त को

शसन

से

सफसे फिा शिु उनकी कामा के

रोग

हताश औय सनयाशा त्रविाय ऺेि

सपरता-असपरता

भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त का

कफिनाईमं से बया होता हं इस

कामा

को

व्मत्रक्त के असधक सफर औय सजग व्मत्रक्तत्व होने

मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की

सरए

व्मत्रक्त

िुनौसतमं का साभना कयने भं रुसि यहती हं ।

तत्व:- वामु

जीवन

वारे

दे खने

को

सभरता हं , क्मोफक 8 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के सबतय शसन ग्रह की अनुकूरता के कायण शसन ग्रह के गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं हो जाता हं । शसन ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के कायण ही व्मत्रक्त को जीवन भं त्रवसबन्न

का मही गुण उसे सभाज भं उसे नाभ, मश, भान-सम्भान प्राद्ऱ कयाने भं सहामक होगा। व्मत्रक्त के न्माम त्रप्रम स्वबाव से सनयॊ तय उसके त्रवयोसध एवॊ शिु ऩऺ की वृत्रद्ध होती यहती हं । रेफकन शिु ऩऺ से व्मत्रक्त को त्रवशेष हानी नहीॊ होगी। भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त फदखावे से ज्मादा कुछ कयने भं असधक त्रवद्वास यखते हं । इस कायण आऩसी

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सॊफॊधो के भाभरो भं रोग इन्हं िॊ िा, किोय रृदम मा

भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त को प्राम् फकसी त्रवषम वस्तु

ऩत्थय फदर भान रेते हं । रेफकन वास्तत्रवकता इससे

से त्रवशेष भोह मा रगाव नहीॊ होता सभरगमा तो फिक

त्रवऩरयत होती हं । भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त फदर से दमारु

नहीॊ सभरे तो ज्मादा अपसोस नहीॊ कयतं। व्मत्रक्त को धन

एवॊ बावुक होते हं ।

सॊऩत्रत्त आफद का भोह बी असधक नहीॊ होता इस कायण

भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त अऩने काभ से ही काभ यखने भं

जीवन भं मफद धन-सॊऩत्रत्त फकसी को दे नी ऩिे ़ तो दे ने भं

त्रवद्वास कयते हं उन्हं दस ू यं की िाऩरूसी मा ख़ुशाभद

असधक सॊकोि बी नहीॊ कयते। व्मत्रक्त अऩने ऩरयश्रभ एवॊ

कायण उसकी आरोिना बी खुफ कयते हं । रेफकन भूराॊक

भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त अन्म रोगं के भुकाफरे

ऩसॊद नहीॊ होती हं । व्मत्रक्त के इस व्मवहाय के रोग 8 वारे व्मत्रक्त फकसी की ऩयवाह नहीॊ कयते।

भेहनत से उसे ऩुन् प्राद्ऱ कयने भं त्रवद्वास यखते हं । अत्मासधक ऩरयश्रसभ एवॊ सॊघषाशीर होते हं । मफद कायण हं

भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त स्जस कामा को हाथ भं रेते हं तो उसभं ऩूयी तयह िू फ कय कामा कयने का प्रमास कयते हं रेफकन कबी-कबी भानससक अशाॊसत एवॊ द्रॊ द के कायण एकाग्र हो कय कामा कयने भं असभथा हो जाते हं ।

की फकसी कामा भं िाहं स्जतना श्रभ, त्माग अथवा फसरदान दे ना ऩिे ़ उससे ऩीछे नहीॊ होते। व्मत्रक्त फिी़ से फिी़ िुनौसतमं को सयरता से ऩाय कय उन्नसत के सशखय ऩय ऩहूॊि ने भं सभथा होते हं ।

कनकधाया मॊि आज के मुग भं हय व्मत्रक्त असतशीघ्र सभृद्ध फनना िाहता हं । धन प्रासद्ऱ हे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत कनकधाया मॊि के साभने फैिकय कनकधाया स्तोि का ऩाि कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । इस

कनकधाया मॊि फक ऩूजा अिाना कयने से ऋण औय दरयरता से शीघ्र भुत्रक्त सभरती हं । व्माऩाय भं उन्नसत होती हं , फेयोजगाय को योजगाय प्रासद्ऱ होती हं ।

श्री आफद शॊकयािामा द्राया कनकधाया स्तोि फक यिना कुछ इस प्रकाय फक हं , स्जसके श्रवण एवॊ ऩिन कयने से आस-ऩास के वामुभॊिर भं त्रवशेष अरौफकक फदव्म उजाा उत्ऩन्न होती हं । फिक उसी

प्रकाय से कनकधाया मॊि अत्मॊत दर ा मॊिो भं से एक मॊि हं स्जसे भाॊ रक्ष्भी फक प्रासद्ऱ हे तु अिूक ु ब

प्रबावा शारी भाना गमा हं । कनकधाया मॊि को त्रवद्रानो ने स्वमॊससद्ध तथा सबी प्रकाय के ऐद्वमा प्रदान कयने भं सभथा भाना हं । जगद्गरु ु शॊकयािामा ने दरयर ब्राह्मण के घय कनकधाया स्तोि के ऩाि से स्वणा वषाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ शॊकय फदस्ग्वजम भं सभरता हं ।

कनकधाया भॊि:- ॐ वॊ श्रीॊ वॊ ऐॊ ह्रीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायमै स्वाहा' | भूल्म: Rs.550 से Rs.8200 तक

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: [email protected], [email protected],

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भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त का स्वबाव सेवाबावी होता हं इनके इसी स्वबाव के कायण साभास्जक कामा भं बी त्रवशेष रुसि होती हं रेफकन व्मत्रक्त को सभाज भं फकमे गमे कामं से त्रवशेष राब नहीॊ सभरता। असधकतय रोग भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त को असपर तथा उदासीन भानते हं , रेफकन वास्तव भं भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त मफद अऩने कामा ऩय त्रवशेष ध्मान दे एवॊ ऩूणा रगन एवॊ ऩरयश्रभ से कामा कयं तो मह रोग अन्म रोगं के भुकाफरे असधक

सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं इसभं जया बी सॊदेह नहीॊ हं । क्मोफक भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त अत्मासधक भहत्वाकाॊऺी

वारे व्मत्रक्त का स्वाबाव सहमोगी स्वबाव के होते हं , व्मत्रक्त मफद फकसी का सभि औय सहमोगी होता हं तो प्रत्मेक रूऩ से उसे सहामता ऩहुॉिाते यहते हं , भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त उसके जीवन की ढार फनकय यहते हं औय

त्रवशार वृऺ की तयह अऩनी शीतर छामा से उसे सुख ऩहुॉिाते यहते हं । ऩयतु जफ व्मत्रक्त फकसी ऩय क्रोसधत हो

मा शिुता कय रेते हं , तफ प्रिॊि रूऩ धायण कय रेते हं , सबी प्रकाय से उसे नद्श कयने ऩय उतय हो जाते हं ।

औय अऩनी धुन के ऩक्के होते हं , व्मत्रक्त की महीॊ

शुब फदन:

भहत्वकाॊऺा उसे उच्ि ऩद ऩहूॊिा दे ती हं ।

शुब

भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त सभिता सनबाने भं अव्वर होते हं । मफद कोई इन्हं छर कयं तो मह उसे आसानी से भाप बी नहीॊ कयते, व्मत्रक्त उसे दॊ ि दे कय ही छोिता हं । भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त प्राम् सभम हताश औय

वषा

17,26,35,44,53,62,71

वाॊ

वषा

हं ,

सतसथ

8,17,26 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे, इन सतसथमं भं शसनवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं ।

सनयाश होते हं क्मंकी मह रोग छोटी-छोटी फातं को फदर से रगा कय फैि जाते हं । भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त उस्म्भद से कहीॊ असधक िाराक होते हं , इन्हं कोई आसानी से िग नहीॊ सकता। व्मत्रक्त अऩने हो मा ऩयामे हय फकसी को शॊकाशीर नियं से दे खता हं । इस कायण व्मत्रक्त को सनॊदा एवॊ अऩभान का साभना कयना ऩिता हं । भूराॊक 8 वारे व्मत्रक्त को धन की कभी नहीॊ होती व्मत्रक्त को जीवन भं धन सभरता यहता है । भूराॊक 8 त्रवद्वास का अॊक भाना गमा हं । भूराॊक 8

स्वास्र्थम् व्मत्रक्त को स्जगय से सॊफसॊ ध योग रगे यहते हं । व्मत्रक्त के रीवय कभजोय होन की वजह से अन्म अनेक फीभारयमाॊ आकय घेय रेती हं । व्मसनं से हयदभ दयू यहना िाफहमे। दफ ा ता, ऩेट ददा , दॊ त योग, त्विा योग, ऩाॊव तथा घुटनं ु र से सॊफॊसधत फीतारयमाॊ, आॉख, कान, गफिमा, रकवा, जोिं भं ददा तथा घाव आफद की त्रषकामते बी होती यहती हं । स्त्री धभा सॊफॊसधत त्रवसबन्न फीतारयमाॊ हो जाती हं ।

धन वृत्रद्ध फिब्फी धन वृत्रद्ध फिब्फी को अऩनी अरभायी, कैश फोक्स, ऩूजा स्थान भं यखने से धन वृत्रद्ध होती हं स्जसभं कारी हल्दी, रार- ऩीरा-सपेद रक्ष्भी कायक हकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पफटक यत्न, 3 ऩीरी कौिी, 3 सपेद कौिी, गोभती िक्र, सपेद गुॊजा, यक्त गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊ र जार, भामा जार, इत्मादी दर ा वस्तुओॊ को शुब ु ब

भहुता भं तेजस्वी भॊि द्राया असबभॊत्रित फकम जाता हं ।

भूल्म भाि Rs-730

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शसनवाय का व्रत कयने से शसन के प्रबाव भं आने वारे

उऩमुक्त आहाय: सॊतया, ऩऩीता, अनानस, नीॊफू, ककिी, खीया, गाजय, टभाटय, ऩारक, ईसफगोर, संप एवॊ अजवामन उऩमोगी हं ।

व्मत्रक्त इॊ जीसनमय, कसयत, खेरकूद, सैन्म, रघु उघोग, ज्मोसतष, वैऻासनक, अध्माऩक, नगयऩासरका, धभा-कभा, वकारत,

ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩका भूराॊक स्वाभी शसन हं अत् शसन ग्रह के अशुब

अनुकूर व्मवसाम:

िे केदायी,

सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।

गािा न,

फागवानी,

कोमरा,

खान,

ऩषुऩारन, रोहा, रकिी, ऩुसरस, जेर आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं । शुब फदशा: व्मत्रक्त के सरए अनुकूर फदशा ऩस्द्ळभ औय नौऋत्म कोण

है । व्मत्रक्त के सरएगहया, बूया, कारा, गहया नीरा, जाभुनी, हया औय सपेद यॊ ग शुबता सूिक हं ।

प्रबाव

को

दयू

कयने

औय

शुबपरं

की

प्रासद्ऱ

के

सरए 7 भुखी मा 14 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहे गा। आऩ भुखी मा 14 भुखी रुराऺ के साथ भं 4 भुखी रुराऺ औय 6 भुखी मा 13 भुखी बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी। शाॊसत के सरए दान ग्रह:- शसन, वाय:- शसनवाय शसन ग्रह

फक शाॊसत हे तु सनरभ, कारा कऩिा, साफुत

उिद, रोहा, मथा

सॊबव

दस्ऺणा, तेर, कारा

ऩुष्ऩ, कारे

सतर, िभिा, कारे कॊफर का दान कयने से शुब पर फक भूराॊक 8 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम  आऩके भूराॊक स्वाभी शसन के शुब प्रबावो की वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी भध्मभा उॊ गरी भं सनरभ धायण कय सकते हं । जो सनरभ धायण कयने भं असभथा हो वे कटे रा मा नीरी धायण कय राबप्राद्ऱ कय सकते हं ।  अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत शसन गणेश, शसन मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं ।  मफद आसथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा।

प्रासद्ऱ होती हं ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम:  स्वास्र्थम राब हे तु शसनवाय के फदन योटी ऩय सयसो का तेर रगाकय कुत्ते औय कौएॊ को स्खराएॊ।  आसथाक राब के सरमे अऩने घय भं ऩीरे पूर का ऩौधा रगाएॊ।  बूसभ-बवन से सॊफॊसधत कामो भं सपरता हे तु िीटीओॊ को िीनी िारं.  सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा दयू कयने के सरए

ग्रह शाॊसत के सरए व्रत उऩवास: शसनवाय का व्रत: शसन ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु शसनवाय का व्रत फकमा जाता हं । शसनवाय का व्रत कयने से सॊऩत्रत्त भं वृत्रद्ध होती हं , खोमा हुवा धन ऩून् प्राद्ऱ होता हं । सशऺा

प्रासद्ऱ भं आयहे फाधा त्रवघ्न दयू होते हं । ऩेटा औय ऩैय के योग भं राब प्राद्ऱ होता हं , ऩूयाने योग बी सथक होजाते हं ।

गणऩसत जी की ऩूजा कयं ।

 दाॊऩत्म सुख भं वृत्रद्ध हे तु यात को ताॊफे के ऩाि भं जरबयकय यख रे औय सुफह भं उस जर को रार ऩुष्ऩ वारे ऩौधं भं िारदं ।

 बाग्म वृत्रद्ध हे तु शुक्रवाय के फदन घय भं सपेद सभद्षान ऩाकाएॊ औय ऩरयवाय के साथ भं खाएॊ।

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भूराॊक 9 स्वाभी भॊगर

 सिॊतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी भूराॊक 9

भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त अऩने अद्भत ु एवॊ िुनौती-बये

स्वाभी ग्रह:- भॊगर

कामो से सभाज भं नाभ अभय कय जाते हं । भूराॊक 9

सभि अॊक:- 1, 2, 3, 4, 7

वारे व्मत्रक्त ऊऩय से िाहं प्रिॊि, किोय एवॊ त्रवस्पोटक

शिु अॊक:- 5

फदखाई दे ते हो, रेफकन अॊदय से एकदभ कोभर रृदम के

सभ:- 6, 8

होते हं । भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त अनुशासन को जीवन भं

स्व अॊक:- 9

सवोऩरय भानते हं औय अनुशासन व्मवस्था से हय कामा

तत्व:- अस्ग्न

को ऩूया कयने भं त्रवद्वास यखते हं ।

मफद फकसी व्मत्रक्त का जन्भ फकसी बी भास की

भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त जॊग भं मा भुकाफरे भं

9, 18 व 27 तायीख को हुवा हं तो उनका भूराॊक 9

हायकय, ऩयास्त होकय मा नीिा दे खकय जीने वारे नहीॊ।

होता है ।

व्मत्रक्त हय जॊग का िॊ ट कय साभना कयने भं भाहीय होते हं ।

भूराॊक 9 अॊक के व्मत्रक्त का जीवन असधक साहसी औय अनुशासन

भूराॊक

9

वारे

व्मत्रक्त

त्रप्रम त्रविाय धाया वारे होते

धीये -धीये धुआॊ छोिती रकिी

हं । व्मत्रक्त को कामा ऺेि भं

की तयह मे जीॊदगी व्मतीत

एकासधकाय

का

कयना नहीॊ नहीॊ जानते, भगय

िुनाव कयना ऩसॊद कयता हं ।

फारूद की तयह बबक कय

भूराॊक 9 का स्वाभी

जीना औय जरना जानते हं ।

ग्रह

भॊगर

वारे

हं ,

ऺेिं

इस

ऺण-बय के सरए ही सही, ऩय

सरए

उस एक ऺण भं ही दसु नमाॉ को

भूराॊक 9 भं जन्भ रेने वारे

िकािंध कयने भं त्रवद्वास यखते

व्मत्रक्त के उऩय भॊगर का त्रवशेष

हं ।

प्रबाव दे खने को सभरता हं , क्मोफक 9 भूराॊक भं जन्भ रेने के कायण व्मत्रक्त के

ज्मोसतष भं भॊगर ग्रह को सेनाऩसत

सबतय भॊगर ग्रह की अनुकूरता के कायण भॊगर ग्रह के

भाना गमा हं , इस कायण भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त के अॊदय

गुणं का सभावेश अन्म ग्रहं की अऩेऺा असधक भािा भं

बी सेनाऩसत, भुस्खमा, नेता फकसी सॊस्था का प्रभुख आफद

हो जाता हं । भॊगर ग्रह के इस त्रवशेष प्रबात्रव गुणं के

फनने का नेतत्ृ व कयने का त्रवशेष गुण होता हं ।

कायण ही व्मत्रक्त को जीवन भं शायीरयक औय भानससक रूऩ से धनी होते हं । इनका साहस कबी-कबी इतना असधक असधक हो जाता हं फक दस् ु साहस का रूऩ धायण कय रेता हं ।

भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त अदम्म साहसी होने के कायण फकसी बी भुस्श्कर मा ऩये शानी भं त्रविसरत नहीॊ होती मह रोग उस कफिनाईमं को आसानी से ऩाय कय रेते हं ।

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भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त स्वबाव से थोिे तेज होते

वृत्रद्ध होती यहे गी। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त साहसी, ऩयाक्रभी

हं , व्मत्रक्त हय कामा को पुतॉ एवॊ जल्दफाजी से ऩुया कयने

तथा सॊघषाशीर होते हं । इस कायण इन्हं सॊघषा के ऩद्ळात

का प्रमत्न कयते हं ।

सपरता अवश्म सभरती है ।

भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त स्वबाव से साहसी होने से

भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त को हभेशा सजग औय

मे फकसी भुस्श्कर से भुस्श्कर कामा को बी कयने से नहीॊ

सतका यहना िाफहए अन्मथा जीवन भं व्मफक के साथ

फहिफकिाते भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त के उिे ऩद एवॊ प्रसतद्षा

िोट, घाव, शस्त्राघात, दघ ा ना इत्माफद घटनाएॊ होती यहती ु ट

के कायण उनके इदा -सगदा एसं रोग भॊियाते यहते हं जो उनकी खुशाभद मा िाऩरूसी कयते हो स्जस कायण उन्हं कबी-कबी नुकसान बी उिाना ऩिता हं ।

है ।

भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त को फकसी से वाद-त्रववाद इत्माफद मथा सॊबव टारना िाफहए अन्मथा मह रोग

भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त को क्रोध शीघ्र आता हं

जीवन ऩमान्त झगिे वाद-त्रववाद कोटा -किहयी, थाना-

स्जस कायण रोगं से त्रवयोध कय फैिते हं । व्मत्रक्त से

ऩुसरस आफद के िक्कयं भं ही उरझ कय यह जाते हं ।

शिुता कभ रोगं से ही होती हं क्मोफक भूराॊक 9 वारे

क्मोफक भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त उग्र स्वबाव के होने के

व्मत्रक्त अऩने शिुओॊ का दभन कयने के सरए सदै व तैमाय

कायण मह रोग जल्द फकसी से बी सबि़ जाते हं । व्मत्रक्त

ही होते हं । व्मत्रक्त का स्वबाव से उग्र होते हुवे बी उनकी

अऩने से ज्मादा फरशारी व्मत्रक्त से सबि नं भं बी नहीॊ

प्रकृ सत िॊिर होती हं । भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त मफद अऩने

कतयाते। भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त छोटे -फिे ़ फकसी प्रकाय के

कामा ऺेि भं त्रवशेष ध्मान दे औय नीसत से कामा कयं तो

वाद-त्रववाद भं अग्रस्त हो जाते हं । व्मत्रक्त को अऩनी सनॊदा

उनके बाग्म के फर से उनके सुख साधनो भं सनयॊ तय

मा आरोिना सुनना ऩसॊद नहीॊ होता।

 क्मा आऩको उच्ि असधकायी से ऩये शानी हं ?  क्मा आऩकी अऩने सहकभािायी से अनफन होती हं ?

 क्मा आऩके असधनस्थ कभािायी आऩकी फात नही भानते? मफद आऩको अऩने उच्ि असधकायी, सहकभािायी, असधनस्थ कभािायी से ऩये शानी हं । आऩके अनूकुर कामा नहीॊ कयते मा आऩको कयने नहीॊ दे ते? वह आऩकी फात नहीॊ भानतं? त्रफना वजह आऩको ऩये शान कयते हं ? अन आवश्मक कामा आऩसे कयवाते हं । आऩका प्रभोशन रुकवादे ते हं । उसित कामा कयने ऩय बी आऩके कामा भं नुक्श सनकारते हं ? मफद आऩ इसी तयह फक फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं तो आऩ उन असधकायी, सहकभॉ, असधनस्थकभॉ मा अन्म फकसी व्मत्रक्त त्रवशेष के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्राया शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय-ओफपस भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रवसध-त्रवधान से आऩ त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं । मफद आऩ भॊि ससद्ध वशीकयण कवि एवॊ एस.एन.फिब्फी फनवाना िाहते हं , तो सॊऩका कयं ।

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अगस्त 2012

40 भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त प्रेभसॊफॊधो के असधक इच्छुक होते हं । भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त प्रेभ भं अॊधे हो जाते हं महीॊ कायण हं की मह रोग अऩने प्रेभी के सरए सफ कुछ न्मोछावय कय दे ते हं । मही कायण हं की भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त को कोई बी स्त्री मा ऩुरुष आसानी से भूखा फना सकती है । भूराॊक 9 वारे व्मत्रक्त का दाॊऩत्म जीवन असधक सुखभम नहीॊ यहता।

इस सरए गृहस्थ जीवन भं

अनुकूर व्मवसाम: व्मत्रक्त

सेना,

वकारत,

ऩुसरस,

सॊगिन,

कैसभस्ट,

सॊिारक,

भषीनयी,

सनमॊिण,

अस्ग्नशभन, सिफकत्सक,

ज्मासतष, गोरा-फारूद, धासभाक कामा, इॊ जीसनमय, औषसध आफद सॊफॊसधत कामो भं असधक सपर होते हं ।

न्मुनासधक रूऩ से त्रवऩयीतता फनी यहती हं । परस्वरूऩ

सरए गुराफी, गहया रार, सपेद, तथा ऩीरा यॊ ग अनुकूर

आफद सॊबव हं , अत् व्मत्रक्त मफद अऩने आऩ ऩय ऩूणा

भूॉगा, भास्णक, यत्न धायण कयना राबप्रद एवॊ बाग्मोन्नसत

व्मत्रक्त फात-फात भं झल्रा उिते हं , क्रोसधत हो जाना सनमॊिण यखं, तो सनस्द्ळत तौय ऩय अऩना जीवन सपर,

एवॊ शुबप्रद है । इनके सरए अनुकूर यत्न, रुफी, गायनेट, कायक होते हं । इनके सरए ऩूवा, उत्तयऩूवा एवॊ उत्तय ऩस्द्ळभ

उन्नत एवॊ श्रेद्ष फना सकते हं ।

फदशा अनुकूर होती है ।

शुब फदन:

शुब फदशा:

शुब

वषा

18,27,36,45,54,63,72

वाॊ

वषा हं ,

सतसथ

9,18,27 शुब दामक होती हं , फकसी कामा भं सपरता प्राद्ऱ कयने के सरमे इन्हीॊ सतसथ का प्रमोग कयना िाफहमे,

व्मत्रक्त के सरए अनुकूर फदशा दस्ऺण औय अस्ग्न कोण है । व्मत्रक्त के सरए गुराफी, गहया रार, सपेद, तथा ऩीरा यॊ ग अनुकूर एवॊ शुबप्रद है ।

इन सतसथमं भं भॊगरवाय का फदन ऩिे तो फहुत शुब होता हं ।

भूराॊक 9 के व्मत्रक्त के सरए कद्श सनवायक उऩाम: भूराॊक 9 स्वाभी भॊगर ग्रह के शुब प्रबावो की

स्वास्र्थम् व्मत्रक्त िभायोग तथा नासायॊ ध्र से सॊफॊसधत जुकाभ आफद योगं से ऩीफित हो सकते हं । भस्स्तश्क सॊफॊसधत योग, जननेस्न्रम सॊफॊसधत योग, भूि योग, यक्त एवॊ त्विा योग, खाज- खुजरी, पोिे , सूजन, नासूय, अषा तथा वीमा सॊफॊसधत त्रवकाय होते हं ।

उऩमुक्त आहाय: सॊतया, अभरूद, अॊगूय, केरा, ककिी, खीया, ऩारक, आरू, प्माज, रहसुन, अदयक उऩमोगी हं । सभिा से ऩयहे ज कयना िाफहमे।

वृत्रद्ध हे तु आऩ अऩनी अनासभका उॊ गरी भं भूॊगा धायण कय सकते हं । अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत भॊगर गणेश मॊि, भॊगर मॊि को स्थात्रऩत कय सकते हं । मफद जीवन भं आसथाक सभस्मा हो तो प्राणप्रसतत्रद्षत श्रीमॊि का सनमसभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा। भॊगरवाय का व्रत: भॊगर ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु भॊगरवाय का व्रत फकमा जाता हं । स्जस व्मत्रक्त स्वबाव उग्रता मुक्त मा फहॊ सात्भक, असधक गुस्से वारा हो उनके भॊगरवाय का व्रत कयने से भन शाॊत होता हं । भॊगरवाय का व्रत कयने से

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गणऩतीजी, हनुभानजी बी प्रसन्न होते हं । भॊगरवाय का

भॊगर ग्रह फक शाॊसत हे तु भूॊगा, भसूय, घी, गुि, रार कऩिा,

व्रत कयने से बूत-प्रेत फाधा दयू होती हं , व्मत्रक्त के सबी

यक्त िॊदन, गेहूॉ, केसय, ताॉफा, रार पूर का दान कयने से

सॊकट दयू हो जाते हं । भूराॊक 9 वारी अत्रववाफहत रिको के व्रत कयने से उसफक फुत्रद्ध औय फर का त्रवकास होता हं । भॊगरवाय का व्रत कयने से भॊगर के प्रबाव भं आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राद्ऱ होता हं ।

शुब पर फक प्रासद्ऱ होती हं

ग्रह शाॊसत के अन्म सयर उऩाम: भूराॊक 9 के रोगं को फकसी बी प्रकाय के द्ु खो एवॊ सॊकटो के सनवायण हे तु श्री गणेश जी फक आयाधना अवश्म कयनी िाफहमे।

ग्रह शाॊसत के सरए उऩमुक्त रुराऺ: आऩके भूराॊक का स्वाभी भॊगर हं अत् भॊगर ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरं की प्रासद्ऱ के सरए ऩाॊि दाने 3 भुखी रुराऺ धायण कयना आऩके सरए उऩमुक्त यहे गा। आऩ 3 भुखी रुराऺ के साथ भं 1 भुखी मा 12 भुखी औय 5 भुखी रुराऺ बी धायण कयने से आऩको त्रवशेष शुब ऩरयणाभो की प्रासद्ऱ होगी।

हय भॊगरवाय को हनुभान जी को फेसन के रडिू का बोग रगामे औय रडिू के प्रसाद को भॊफदय भं फाॊटदं । हनुभान जी के दशान कयते सभम ऩहरे ऩैय दे खं फपय अऩनी नजय उऩयकी औय कयते हुवे भुख दे खं।

धन वृत्रद्ध हे तु भछसरमं को आटे फक गोरीमा फनाकय स्खरामे औय ऩस्ऺमं को दाना िारे। सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा

ग्रह शाॊसत के सरए दान

रार पूर के ऩौधे रगाएॊ।

ग्रह:- भॊगर

दयू कयने के सरए

स्वास्र्थम राब हे तु रार योरी(कूभकूभ) िार कय

वाय:- भॊगरवाय

सूमा को जर िढ़ाएॊ।

त्रवद्या प्रासद्ऱ हे तु सयस्वती कवि औय मॊि आज के आधुसनक मुग भं सशऺा प्रासद्ऱ जीवन की भहत्वऩूणा आवश्मकताओॊ भं से एक है । फहन्द ू

धभा भं त्रवद्या की असधद्षािी दे वी सयस्वती को भाना जाता हं । फच्िो की फुत्रद्ध को कुशाग्र एवॊ तीव्र हो, फच्िो की फौत्रद्धक ऺभता औय स्भयण शत्रक्त का त्रवकास हो इस सरए सयस्वती कवि अत्मॊत राबदामक

हो सकता हं । सयस्वती कवि को दे वी सयस्वती के ऩयॊ भ दर ा तेजस्वी भॊिो द्राया ऩूणा भॊिससद्ध औय ू ब ऩूणा िैतन्ममुक्त फकमा जाता हं । स्जस्से जो फच्िे भॊि जऩ अथवा ऩूजा-अिाना नहीॊ कय सकते वह

त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सके औय जो फच्िे ऩूजा-अिाना कयते हं , उन्हं दे वी सयस्वती की कृ ऩा शीघ्र प्राद्ऱ हो इस सरमे सयस्वती कवि अत्मॊत राबदामक होता हं ।

सयस्वती कवि : भूल्म: 460 औय 550

सयस्वती मॊि :भूल्म : 370 से 1900 तक

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अॊक ज्मोसतष से जाने शुब यत्न

 आरोक शभाा जन्भ सतसथ

भूॊराॊक

स्वाभी ग्रह

शुब यत्न

अन्म शुब यत्न

1, 10, 19, 28

1

सूमा

भास्णक्म

भोसत, भूॊगा, ऩुखयाज

2, 11, 20, 29

2

िॊर

भोती

भास्णक्म, भूॊगा, ऩुखयाज

3, 12, 21, 30

3

गुरू

ऩुखयाज

भास्णक्म, भोसत, भूॊगा

4, 13, 22, 31

4

याहु

गोभेद

हीया, सनरभ, रहसुसनमा

5, 14, 23

5

फुध

ऩन्ना

भास्णक्म, हीया, सनरभ

6, 15, 24

6

शुक्र

हीया

ऩन्ना, सनरभ

7, 16, 25

7

केतु

रहसुसनमा

हीया, सनरभ, गोभेद

8, 17, 26

8

शसन

नीरभ

ऩन्ना, हीया,

9, 18, 27

9

भॊगर

भूॊगा

भास्णक्म, भोसत, ऩुखयाज

सवाससत्रद्धदामक भुफरका इस भुफरका भं भूॊगे को शुब भुहूता भं त्रिधातु (सुवणा+यजत+ताॊफ)ं भं जिवा कय उसे शास्त्रोक्त त्रवसधत्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया सवाससत्रद्धदामक फनाने हे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त फकमा जाता हं । इस भुफरका को फकसी बी वगा के व्मत्रक्त हाथ की फकसी बी उॊ गरी भं धायण कय सकते हं ।

महॊ भुफरका कबी फकसी बी स्स्थती भं अऩत्रवि नहीॊ होती। इस सरए कबी भुफरका को उतायने की

आवश्मक्ता नहीॊ हं । इसे धायण कयने से व्मत्रक्त की सभस्माओॊ का सभाधान होने रगता हं । धायणकताा को जीवन भं सपरता प्रासद्ऱ एवॊ उन्नसत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हं औय जीवन भं सबी प्रकाय की ससत्रद्धमाॊ बी शीध्र प्राद्ऱ होती हं ।

भूल्म भाि- 6400/-

(नोट: इस भुफरका को धायण कयने से भॊगर ग्रह का कोई फुया प्रबाव साधक ऩय नहीॊ होता हं ।)

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ऩत्रिका सदस्मता (Magazine Subscription)

आऩ हभायी भाससक ऩत्रिका

आऩ हभाये साथ त्रवसबन्न साभास्जक नेटवफकंग साइट के भाध्मभ से बी जुि सकते हं ।

सनशुल्क प्राद्ऱ कयं ।

हभाये साथ जुिने के सरए सॊफॊसधत सरॊक ऩय स्क्रक कयं ।

मफद आऩ गुरुत्व ज्मोसतष भाससक ऩत्रिका अऩने ई-भेर ऩते ऩय प्राद्ऱ कयना िाहते हं ! तो आऩना ई-भेर ऩता नीिे दजा

कयं

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उत्ऩाद सूिी

हभायी सेवाएॊ

आऩ हभाये सबी उत्ऩादो आऩ हभायी सबी बुगतान की सूसि एक साथ दे ख सकते हं औय िाउनरोि कय सकते हं । भूल्म सूसि िाउनरोि कयने के सरए कृ प्मा इस सरॊक ऩय स्क्रक कयं । Link Please click on the link to download Price List. Link

सेवाएॊ की जानकायी एवॊ सेवा

शुल्क सूसि की जानकायी दे ख सकते औय िाउनरोि कय सकते हं ।

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वास्तु एवॊ योग

 सिॊतन जोशी बवन

के

उत्तयऩस्द्ळभ

बाग(वामव्म

100 से असधक जैन मॊि

कोण) का सॊफॊध वामु

तत्त्व

साथ होता हं ।

के

वामु का प्राण के साथ

सॊफॊध

हं ।

इस सरमे बवन

दर ा एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ु ब ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ि (सोने)

के वामव्म कोण

भे उऩरब्ध हं ।

के

हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय

ज्मादा

से

ज्मादा

स्थानको

खुल्रा

याखना

िाफहमे। इस कोने भं बायी साभन नफहॊ यखना िाफहमे मा बायी बवन का सनभााण नफहॊ कयना िाफहमे अन्मथा द्वास से सॊफॊसधत ऩये शानी, वामुत्रवकाय तथा भानससक योग होने फक सॊबावना असधक फढ़ जाती हं ।  स्जस बवन के वामव्म कोण फक सतह उत्तय-ऩूवा फक सतह से थोिी ऊिाई ऩय एवॊ दस्ऺण-ऩस्द्ळभ फक सतह से थोिी नीिी हो वह बवन सनवास हे तु शुब होता हं ।  स्जस बवन भं उत्तय फदशा फक जगह असधक होतो ऩरयवाय भं भफहरा वगा भं त्विा सॊफॊधी योग एस्क्झभा, एरजॉ इत्माफद होने का खतया फढ जाता हं ।  मफद बवन के ऩस्द्ळभ भं जगह उत्तय से असधक होतो ऩुरुष वगा के सरमे शायीरयक कद्श होने का खतया फढ जाता हं ।  बवन के उत्तय-ऩूवा (ईशान कोण) का सॊफॊध जर तत्त्व के साथ होता हं ।  स्जस बवन का ईशान कोण बायी हो तो बवन भं ये हने वारे रोगो के शयीय भं जर तत्व के असॊतुरन के कायण त्रवसबन्न प्रकाय के योग एवॊ ऩये शासनमाॊ उतऩन्न होती हं ।

हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभुख,

ताम्र ऩि, ससरवय (िाॊदी) ओय गोल्ि (सोने) भे अरावा

फनवाए

आऩकी

जाते

है ।

आवश्मकता

इसके अनुशाय

आऩके द्राया प्राद्ऱ (सिि, मॊि, फििाईन) के अनुरुऩ मॊि बी फनवाए जाते है . गुरुत्व कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊफित एवॊ 22 गेज शुद्ध कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 टि शुद्ध

ससरवय (िाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ि (सोने) भे फनवाए जाते है । मॊि के त्रवषम भे

असधक

जानकायी

के

सरमे

हे तु

सम्ऩका कयं ।

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 मफद बवन का ईशान कोणस्जतना होसके खुरा एवॊ हरका यखा जामे उतना शुब होता हं ।  मफद बवन भं ईशान कोण भं यसोई घय होतो घयके सदस्मो भं ऩेट से सॊफॊसधत योग एवॊ ऩरयवाय के सदस्मो के त्रफिभं तनाव होता हं ।  ईशान कोण भं बूसभगत जर बॊिाय मा घयभं आनेवारे ऩानी फक राइन इस फदशा भे होतो असत उत्तभ होता हं ।  मफद घयभं फीभायी घय कय गई होतो योगी को घय के ईशान कोण फक औय भुख कयके दवाई का सेवन कयाने से योग जल्द थीक होजाता हं ।  मफद बवन का ईशान कोण कटा हो तो बवन भं सनवास कयने वारे रोग यक्त-त्रवकाय एवॊ मौन योग हो सकता हं एवॊ व्मत्रक्त फक प्रजनन ऺभता कभजोय होसकती हं ।

 मफद ईशान कोण से उत्तय का बाग ऊॊिा होम तो ऩरयवाय भं स्त्री वगा का स्वास्र्थम ऩय खयाफ असय होता हं ।  मफद ईशान कोण से ऩूवन ा ुॊ का बाग ऊॊिा होम तो ऩरयवाय भं ऩुरुषो के स्वास्र्थम ऩय खयाफ असय होता हं ।  बवन के ऩूवॉ-दस्ऺण (अस्ग्न कोण) का सॊफॊध अस्ग्न तत्व के साथ होता हं ।  स्जस बवन के अस्ग्न कोण भं यसोई घयको वास्तु फक रत्रद्श से शुब भानागमा हं ।  स्जस बवन के अस्ग्न कोण भं जर बॊिाय मा स्त्रोत हो वहा सनवास कयने वारे उदय योग एवॊ त्रऩत्त त्रवकाय होने फक सॊबावना होती हं ।  बवन के दस्ऺण-ऩूवा फदशाभे मफद दस्ऺण का स्थान ज्मादा होतो ऩरयवाय के ऩुरुष सदस्मो भं भानससक ऩये शानी होती हं ।  वास्तुशास्त्र के अनुसाय बवन का केन्र स्थान(ब्रह्म स्थान) को ज्मदा भहत्व फहमा गमा हं । जो वास्तु भं आकाश तत्त्व से सॊफॊध यखता हं । इस सरमे इस स्थान को मथा सॊबव खारी यखना आवश्मक हं स्जस्से ऩरयवाय के रोगो का स्वाश्र्थम उत्तभ होता हं एवॊ ऩरयवाय का त्रवकास शीघ्र होता हं ।  बवन के ब्रह्म स्थान ऩय फकसी बी प्रकाय फक अस्वच्छता होने से ऩरयवाय के सदस्मो के स्वास्र्थम ऩय फुया असय दे खा गमा हं ।  बवन के ब्रह्म स्थान ऩय शौिारम, ऩगसथमाॊ (सीिी), गटय, सेफ्टी टे न्क आफद होने से सदस्मो भं कान फक ऩये शानी, फदनाभी, धन हासन एवॊ ऩरयवाय के त्रवकास भं रुकावट होते दे खा गमा हं ।

प्रद्ल कुण्िरी से अऩने फकसी बी प्रद्लं का स्स्टक उत्तय प्राद्ऱ फकस्जए। क्मा आऩ अत्माधुसनक ज्मोसतष प्रणारी से अऩने बत्रवष्म से सॊफॊसधत प्रश्नो का स्स्टक उत्तय प्राद्ऱ कयना िाहते हं तो आऩ गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं । हभाये प्रद्ल ज्मोसतष त्रवशेऻ आऩके द्राया ऩूछे गमे प्रद्ल का ग्रहं के अधाय ऩय उनकी सूक्ष्भ गणना कय उसके स्स्टक परादे श से आऩको अवगत कयाने का प्रमास कयं गे। 3 प्रद्ल भाि :550

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धनप्रासद्ऱ भं फाधक हं भकिी के जारे

 सिॊतन जोशी भकिी के जारे ज्मादातय घय, ओफपस, दक ु ान इत्माफद

जगहो ऩय ऩामे जाते हं , त्रवद्रानो के भतानुशाय वास्तुशास्त्र के अनुशाय भकिी के जारे अशुब होते हं । भकिी के जारे से बवन भं सनवास कताा की आसथाक उन्नसत फासधत होती हं , आसथाक अबाव होने रगता हं , स्वास्र्थम से सॊफॊधी ऩये शासनमाॊ होने की सॊबावनाएॊ फढजाती हं । भकिी के जारे अशुब क्मं भाने जाते हं ? वास्तु के अनुसाय स्जस बवन भं भकिी के जारे होते हं , िीक सनमसभत साप-सपाई नहीॊ होती, उस बवन भं सनवास मा व्मवसाम कयने वारो को धन की कभी फनी यहती हं । भकिी के जारे की अशुबता के कायण व्मत्रक्त िाहे स्जतना धन कभा रं रेफकन फित कय ऩाता, धन की कभी फनी यहती हं । आम से व्मम असधक होने रगते हं । अनावश्मक खिा फढजाते हं , घय भं योग-त्रफभायी क्रेश इत्माफद घय कय जाते हं शीघ्र सभाद्ऱ नहीॊ होते। भकिी के जारे को दरयरता का प्रतीक भाना जाता हं । भकिी के जारे से घय की फयकत प्रबात्रवत होती हं । भकिी के जारे होते हं वहाॊ अरक्ष्भी सनवास कयती हं धन की दे वी भहारक्ष्भी वहाॊ सनवास नहीॊ कयती हं । स्जस घय भं मा बवन भं सनमसभत साप-सपाई होती यहती हं उस घय भं दे वी रक्ष्भी की कृ ऩा फयसती हं , ऎसा शास्त्रोक्त त्रवधान हं । अऩने घय, दक ु ान, ओफपस इत्मादी भं साप-सपाई के उऩयाॊत मफद भकिी के जारे रटकते हं , तो जारे को दे खते ही उसे उन्हं तुयॊत सनकार दं । भकिी के जारे सनकरते ही धन का आगभन होगा औय अनावस्मक खिा कभ हंगे औय धन का

सॊिम होने रगेगा। त्रवद्रानो के भतानुशाय भकिी के जारे स्वास्र्थम के सरए बी नुक्शानकायी होते हं । इसी सरए भकिी के जारे बवन भं नहीॊ यहने दे ना िाफहए। भानाजाता हं भकिी के जारे फुयी शत्रक्तमं को अऩनी औय आकत्रषात कयते हं , घय भं सकायात्भक उजाा खत्भ होती हं औय नकायात्भक उजाा का प्रबाव फढने रगता हं । स्जससे घय के सदस्मं के स्वास्र्थम ऩय फुया प्रबाव ऩिने रगता हं । इस सरमे बवन से भकिी के जारे फदखते ही हटा दे ने िाफहए। नोट: हय शसनवाय, अभावस्मा को घयकी साप-सपाई कयना असधक राबप्रद होता हं । इस फदन घय से ऩूयाना कफािबॊगाय(अनावश्मक सिज-वस्तु) इत्मादी बी सनकार दं ।

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असधक भास का धासभाक भहत्व

 सिॊतन जोशी बायतीम ऩॊिाॊग (खगोरीम गणना) के अनुसाय हय तीसये वषा एक असधक भास होता है । मह सौय औय िॊर भास को एक सभान राने की गस्णतीम प्रफक्रमा है । शास्त्रंक्त भतानुशाय ऩुरुषोत्तभ भास भं फकए गए जऩ, तऩ, दान से अनॊत ऩुण्मं की प्रासद्ऱ होती है । सूमा की फायह सॊक्राॊसत

होती हं औय इसी आधाय ऩय हभाये िॊर ऩय आधारयत 12 भाह होते हं । हय तीन वषा के अॊतयार ऩय असधक भास मा भरभास आता है । शास्त्रं भं उल्रेख हं :

मस्स्भन िाॊरे न सॊक्रास्न्त: सो असधभासो सनगह्यते ति भॊगर कामाासन नैव कुमाात कदािन ्।

मस्स्भन भासे फद्र सॊक्रास्न्त ऺम: भास: स कर्थमते तस्स्भन शुबास्ण कामाास्ण मत्नत: ऩरयवजामेत।।

ऩॊिाॊग भं असधक भास क्मा हं ? त्रवद्रानो के भतानुशाय एक सौय वषा औय िाॊर वषा के त्रफि

ऩौस भासं भं होता है । स्जस वषा ऺम भास ऩिता है , उसी वषा असध-भास बी ऩिता है ऩयन्तु मह स्स्थसत 19 वषं मा 141 वषं के ऩद्ळात ् आती है ।

असधक भास के सॊदबा भं त्रवसबन्न भत  असधक भास को कई नाभं से जाना जाता है -

भं साभॊजस्म स्थात्रऩत कयने के सरए हय तीसये वषा

असधभास,

ऩॊिाॊगं भं एक िान्रभास की वृत्रद्ध होती है । इसी को

सॊसऩा, अॊहस्ऩसत मा अॊहसस्ऩसत। इनकी व्माख्मा

असधक भास मा असधभास मा भरभास कहते हं । सौय वषा

आवश्मक है । मह स्ऩद्श है फक फहुत प्रािीन कार

का भान 365 फदन, 15 घिी, 22 ऩर औय 57 त्रवऩर हं ।

भरभास,

ऩुरुषोत्तभभास,

भसरम्रुि,

से असधक भास अशुब िहयामे गए हं ।

जफफक िाॊरवषा 354 फदन, 22 घिी, 1 ऩर औय 23

 ऐतये म ब्राह्मण भं उल्रेख हं की दे वं ने सोभ की

त्रवऩर का होता है । इस प्रकाय दोनं वषाभानं भं प्रसतवषा

रता 13वं भास भं ख़यीदी, जो व्मत्रक्त इसे फेिता

10 फदन, 53 घटी, 21 ऩर (अथाात रगबग 11 फदन) का

है वह ऩसतत है , 13वाॉ भास परदामक नहीॊ होता।

अन्तय ऩिता है । इस अन्तय भं सभानता राने के सरए िाॊरवषा 12 भासं के स्थान ऩय 13 भास का हो जाता है । वास्तव भं मह स्स्थसत स्वमॊ ही उत्त्ऩन्न हो जाती है , क्मंफक स्जस िॊरभास भं सूमा सॊक्राॊसत नहीॊ ऩिती, उसी

 तैतयीम सॊफहता भं 13 वं भास को सॊसऩा एवॊ अॊहस्ऩसत कहा गमा है ।  ऋग्वेद के अनुशाय अॊहस ् का अथा ऩाऩ फतामा गमा है । मह असतरयक्त भास है , अत् असधभास मा

को असधक भास की सॊऻा दे दी जाती है तथा स्जस

असधक भास नाभ ऩि गमा है । इसे भरभास

िॊरभास भं दो सूमा सॊक्राॊसत का सभावेश हो जाम, उसे

इससरए कहा जाता है फक भानं मह कार का भर

ऺमभास कहाॉ जाता है । प्राम् ऺमभास कासताक, भागा व

है ।

अगस्त 2012

50

 अथवावेद भं भसरम्रुि फतामा गमा है , रेफकन इसका अथा स्ऩद्श नहीॊ है ।

 असधभास भं वस्जात कामा के सॊदबा भं अस्ग्न ऩुयाण भं उल्रेख फकमा गमा है वैफदक ऩद्धसत से

 कािसॊफहता भं असधक भास का उल्रेख फकमा गमा है ।

अस्ग्न को प्रज्वसरत कयना, भूसता प्रसतद्षा, मऻ, दान, व्रत, सॊकल्ऩ के साथ वेद-ऩाि, साॉि छोिना

 ऩद्ळात्कारीन साफहत्म भं भसरम्रुि का अथा है िोय फतामा गमा हं ।  भरभासतत्त्व

भं

(वृषोत्सगा),

िूिाकयण,

उऩनमन,

नाभकयण,

असबषेक आफद कामा असधभास भं नहीॊ कयने

मह

व्मुत्ऩत्रत्त

है ्

भरी

म्रोिसत गच्छतीसत भसरम्रुि्

सन ्

 अथाात ् भसरन (गॊदा) होने ऩय मह आगे फढ़ जाता है ।

िाफहए।  हे भाफर भं वस्जात एवॊ भान्म कृ त्मं का उल्रेख कयते हुए कहाॊ हं

 भरभास भं सनत्म कभं एवॊ नैसभत्रत्तक कभं

 सॊसऩा एवॊ अॊहसस्ऩसत शब्द का वणान वाजसनेमी

सॊफहता

भं

अॊहसस्ऩसतम

वाजसनेमी

(कुछ त्रवसशद्श अवसयं ऩय फकए जाने वारे

तथा

कभं) को सुिारु रुऩ से कयते यहना

सॊफहता

िाफहए, मथा सन्ध्मा, ऩूजा, ऩॊिभहामऻ

भं सभरता हं ।

(ब्रह्ममऻ, वैद्वदे व आफद), अस्ग्न भं

 अॊहसस्ऩसत का शास्ब्दक अथा है

हत्रव िारना (अस्ग्नहोि के रूऩ भं),

ऩाऩ का स्वाभी।

ग्रहण-स्नान नैसभत्रत्तक है , अन्त्मेत्रद्श

 ऩौयास्णक गॊथं भं सॊसऩा एवॊ

कभा बी आकस्स्भक अथाात नैसभत्रत्तक

अॊहसस्ऩसत के अॊतय को स्ऩद्श

हं । मफद शास्त्र कहता है फक मह

शब्दं भं त्रवबास्जत फकमा गमा

कृ त्म (मथा सोभ मऻ) नहीॊ कयना

हं ।

िाफहए तो उसे असधभास भं स्थसगत

जफ

एक

वषा

भं

दो

असधभास हं औय एक ऺम

कय दे ना िाफहए।

भास हो तो दोनं असधभासं भं

 मह बी साभान्म सनमभ है फक

प्रथभ सॊसऩा कहा जाता है औय मह

त्रववाह

को

छोिकय

काम्म कभा(जो सनत्म नहीॊ फकमा जाता,

अन्म

जो केवर फकसी पर की प्रासद्ऱ के सरए

धासभाक कृ त्मं के सरए अशुब भाना जाता है ।

फकमा जाता है ) उसे नहीॊ कयना िाफहए। कुछ अऩवाद बी हं , मथा कुछ कभा, जो कभा

 अॊहसस्ऩसत ऺम भास तक सीसभत है । कुछ ऩुयाणं

असधभास के ऩूवा ही आयम्ब हो गए हं (मथा 12

भं गॊथकायं ने असधभास को ऩुरुषोत्तभ भास कहा

फदनं वारा प्राजाऩत्म प्रामस्द्ळत, एक भास वारा

है औय सम्बव है , असधभास की अशुबता को कभ

िन्रामण व्रत), असधभास तक बी िराए जा

कयने के सरए ऐसा नाभ फदमा गमा हं , क्मोफक

सकते हं । मफद दसु बऺ हो, वषाा न हो यही हो तो

बगवान त्रवष्णु को ऩुरुषोत्तभ कहा जाता हं ।  त्रवसबन्न ग्रन्थं भं असधभास के त्रवषम त्रवसबन्न जानकायीमा प्राद्ऱ होती है -

उसके सरए कायीयी इत्रद्श असधभास भं कयना वस्जात नहीॊ है , क्मंफक ऐसा न कयने से हासन हो जाने की

सम्बावना

यहती

है ।

इस

कारसनणाम-कारयका भं वस्णात हं ।

का

त्रववयण

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51

 कुछ जानकायं का कथ हं

की भरभास की

असधकायं के कायण वे स्वतॊि एवॊ सनबाम यहते हं । एक भं

प्रसतफदन मा कभ से कभ एक फदन ब्राह्मणं को

ही बाग्महीन हूॉ स्जसका कोई स्वाभी नहीॊ है , अत: हे प्रबु

33 अऩूऩं (ऩूओॊ) का दान कयना िाफहए।

भुझे इस ऩीिा से भुत्रक्त फदराइए। असधक भास की प्राथाना

 वाऩी एवॊ तिाग (फावरी एवॊ तराफ) खुदवाना,

को सुनकय श्री हरय ने कहा हे भरभास भेये अॊदय स्जतने

कूऩ फनवाना, मऻ कभा, भहादान एवॊ व्रत जैसे

बी सद्गण ु हं वह भं तुम्हं प्रदान कय यहा हूॊ औय भेया

कभा को केवर शुद्ध भासं भं ही कयना िाफहए।  गबा का कृ त्म (ऩुॊसवन जैसे सॊस्काय), ब्माज रेना, ऩारयश्रसभक

दे ना,

भास-श्राद्ध

(अभावस्मा

ऩय),

आफिक दान, अन्त्मेत्रद्श फक्रमा, नव-श्राद्ध, भघा

त्रवख्मात नाभ ऩुरुषोत्तभ भं तुम्हं दे यहा हूॊ औय तुम्हाया भं ही स्वाभी हूॊ। तबी से भरभास का नाभ ऩुरुषोत्तभ भास हो गमा औय बगवान श्री हरय की कृ ऩा से ही इस

भास भं बगवान का कीतान, बजन, दान-ऩुण्म कयने वारे

नऺि की िमोदशी ऩय श्राद्ध, सोरह श्राद्ध, िान्र

भृत्मु के ऩद्ळात श्री हरय धाभ को प्राद्ऱ होते हं ।

एवॊ सौय ग्रहणं ऩय स्नान, सनत्म एवॊ नैसभत्रत्तक

शास्त्रंक्त भत

कृ त्म होने के कायण मह कभा असधभास एवॊ शुद्ध

असन्क्रास्न्तभासोऽसधभास् स्पुट् स्माद् फद्रसन्क्रस्न्तभास् ऺमाख्म् कदासित ् । ( ज्मोसत्शास्त्र )

भास, दोनं भं फकए जा सकते हं ,

द्रात्रिॊशत्रद्भगातैभााफदा नै् षोिशसबस्तथा ।

असधक भास भं फकमे जाने वारे कभा

घफटकानाॊ ितुष्केण ऩतसत ह्यसधभासक् ॥ (वससद्षससद्धान्त)

इस भाह भं व्रत, दान, ऩूजा, हवन, ध्मान कयने

वरुण् सूमो बानुस्तऩनद्ळण्िो यत्रवगाबस्स्तद्ळ ।

से ऩाऩ कभा सभाद्ऱ हो जाते हं औय फकए गए ऩुण्मं का

अमाभफहयण्मये तोफदवाकया सभित्रवष्णू ि ॥ ( ज्मोसत्शास्त्र)

पर कई गुणा असधक प्राद्ऱ होता है । दे वी बागवत ऩुयाण भं उल्रेख हं की भरभास भं फकए गमे सबी शुब कभो

न कुमाादसधके भासस काम्मॊ कभा कदािन । ( स्भृत्मन्तय)

का पर अनॊत गुना प्राद्ऱ होता है । इस भाह भं बागवत कथा श्रवण कयने का त्रवशेष भहत्व है । ऩुरुषोत्तभ भास भं

वाप्मायाभतिागकूऩबवनायम्बप्रसतद्षे व्रता

तीथा स्थरं ऩय स्नान का बी त्रवशेष भहत्त्व है ।

यम्बोत्सगावधूप्रवेशनभहादानासन सोभाद्शके । गोदानाग्रमणप्रऩाप्रथभकोऩाकभावेदव्रतॊ नीरोद्राहभथासतऩन्नसशशुसॊस्कायान ् सुयस्थाऩनभ ् ॥

ऩुरुषोत्तभ भास भं शुब कामा वस्जात क्मं?

दीऺोभौस्जजत्रववाहभुण्िनभऩूवं दे वतीथेऺणॊ

फहन्द ु ऩॊिाॊग भं सतसथ, वाय, नऺि एवॊ मोग के

सॊन्मासास्ग्नऩरयग्रहौ नृऩसतसॊदशाासबषेकौ गभभ ् ।

असतरयक्त सबी भास के कोई न कोई दे वता मा स्वाभी हं ,

िातुभाास्मसभावृती श्रवणमोवेधॊ ऩयीऺाॊ त्मजेद्

ऩयॊ तु भरभास मा असधक भास का कोई स्वाभी नहीॊ

वृद्धत्वास्तसशशुत्व इज्मससतमोन्मून ा ासधभासे तथा ॥

होता, अत: इस भाह भं सबी प्रकाय के भाॊगसरक कामा, शुब एवॊ त्रऩतृ कामा वस्जात भाने जाते हं ।

ऩुयाण भं वस्णात ऩुरुषोत्तभ भास का नाभ कयण असधक भास स्वाभी के ना होने ऩय त्रवष्णुरोक ऩहुॊिे औय बगवान श्रीहरय से अनुयोध फकमा फक सबी भाह अऩने स्वासभमं के आसधऩत्म भं हं औय उनसे प्राद्ऱ

(भुहूतसा िन्ताभस्ण)

धभाग्रॊथं भं वस्णात असधक (ऩुरुषोत्तभ) भास भं त्माज्म कभा धभाग्रॊथं भं असधक भास भं पर-प्रासद्ऱ की काभना से फकए जाने वारे सभस्त नैसभत्रत्तक कभा वस्जात कहे गए हं ।

स्जसभं

त्रववाह,

भुण्िन,

मऻोऩवीत,

गृह-प्रवेश,

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गृहायम्ब, नमे व्माऩाय का शुबायॊ ब, नववधु का प्रवेश,

भफदया सवाथा त्माग दं । केवर एक सभम सास्त्वक

दीऺा-ग्रहण, दे व-प्रसतद्षा, सकाभ मऻाफद का अनुद्षान,

बोजन, सनत्म बजन-सॊकीतान तथा मथासम्बव बूसभ ऩय

अद्शका श्राद्ध तथा फहुभूल्म वस्तु, बूसभ, आबूषण, वस्त्र,

शमन कयना िाफहए।

सभस्त

त्रवद्रानो नं असधक भास भं वस्जात कृ त्मं को

काम्म (साॊसारयक) कभं का सनषेध फकमा गमा है । असधक

त्रवस्ताय से फताते हुए कहाॊ हं की जो ऩहरे कबी न दे खे

गािी

आफद

का

खयीदना

अथाात ्

भास भं केवर बगवान ऩुरुषोत्तभ (श्रीहरय) की प्रसन्नता के सरए फकमे जाने वारे सनष्काभ बाव के व्रत, उऩवास,

हुए दे व औय तीथंका सनयीऺण, सॊन्मास, अस्ग्नऩरयग्रह ( अस्ग्नका स्थामी स्थाऩन); याजाके दशान, असबषेक, प्रथभ

स्नान, दान मा ऩूजनाफद फकए जाते हं । असधक भास भं

मािा,

श्रीकृ ष्ण की उऩासना, जऩ, व्रत, दानाफद कृ त्म कयना

तथा उनके सशशुत्व औय फारत्वके तीन तीन फदनंभे औय

िाफहए।

न्मून भासभं बी सवाथा वस्जात हं । इनके असतरयक्त तीव्र

ऩुरुषोत्तभ-भाहात्म्म

का

ऩाि,

बगवान ् त्रवष्णु

अथवा

िातुभाासीम

व्रतंका

प्रथभायम्ब,

कणा-वेध

औय

ऩयीऺा मे सफ काभ असधभासभं औय गुरु मा शुक्रके अस्त

भहत्रषा वाल्भीफक के अनुसाय ऩुरुषोत्तभ भास भं

ज्वयाफद प्राणघातक योगाफदकी सनवृत्रत्तके रुरजऩाफद अनुद्षान;

गेहूॊ, िावर, भूॊग, जौ, भटय, सतर, ककिी, फथुआ,

कत्रऩरषद्षी जैसे अरभ्म मोगंके प्रमोग् अनावृत्रद्शके अवसयभं

आॊवरा, संधानभक आफद का सेवन कयना िाफहए।

ग्रहणसम्फन्धी श्राद्ध; दान औय जऩाफद; ऩुिजन्भके कृ त्म

कटहर, केरा, घी, आभ, जीया, संि, सुऩायी, इभरी,

वषाा कयानेके ऩुयद्ळयण; वषटकायवस्जात आहुसतमंका हवन;

ऩयन्तु मह ध्मान यहे फक ऩुरुषोत्तभ भास भं उिद, याई,

औय त्रऩतृभयणके श्राद्धफद तथा गबााधान, ऩुॊसवन औय

प्माज, रहसुन, गाजय, भूरी, गोबी, दार, शहद, सतर का

सीभन्त जैसे सॊस्काय औय सनमत अवसधभं सभाद्ऱ कयनेके

तेर, ताभससक बोजन, ऩयामा अन्न, भसारा-तम्फाकू,

ऩूवाागत प्रमोगाफद फकमे जा सकते हं ।

द्रादश भहा मॊि मॊि को असत प्रासिन एवॊ दर ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान द्राया फनामा गमा हं । ु ब

 ऩयभ दर ा वशीकयण मॊि, ु ब

 सहस्त्राऺी रक्ष्भी आफद्ध मॊि

 भनोवाॊसछत कामा ससत्रद्ध मॊि

 ऩूणा ऩौरुष प्रासद्ऱ काभदे व मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि

 याज्म फाधा सनवृत्रत्त मॊि  गृहस्थ सुख मॊि

 योग सनवृत्रत्त मॊि

 शीघ्र त्रववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 साधना ससत्रद्ध मॊि  शिु दभन मॊि

उऩयोक्त सबी मॊिो को द्रादश भहा मॊि के रुऩ भं शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से भॊि ससद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एवॊ िैतन्म मुक्त फकमे जाते हं । स्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष राब प्राद्ऱ कय सकते हं ।

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गुरु ऩुष्माभृत मोग

 सिॊतन जोशी हय फदन फदरने वारे नऺि भे ऩुष्म नऺि बी एक नऺि है , एवॊ अन्दाज से हय २७वं फदन ऩुष्म नऺि होता है । मह स्जस वाय को आता है , इसका नाभ बी उसी प्रकाय यखा जाता है । इसी प्रकाय गुरुवाय को ऩुष्म नऺि होने से गुरु ऩुष्म मोग कहाजात है । गुरु ऩुष्म मोग के फाये भं त्रवद्रान ज्मोसतत्रषमो का कहना हं फक ऩुष्म नऺि भं धन प्रासद्ऱ, िाॊदी, सोना, नमे वाहन, फही-खातं की खयीदायी एवॊ गुरु ग्रह से सॊफॊसधत वस्तुए अत्मासधक राब प्रदान कयती है । हय व्मत्रक्त अऩने शुब कामो भं सपरता हे तु इस शुब भहूता का िमन कय सफसे उऩमुक्त राब प्राद्ऱ कय सकता

है औय अशुबता से फि सकता है । अऩने

जीवन

भं

फदन-प्रसतफदन

वारे फदन फकसी बी नमे कामा को जेसे

सपरता की प्रासद्ऱ के सरए इस अद्भत ु भहूता

हो िुके कामा शुरू कयने के सरमे एवॊ

16 अगस्त

कामा कयने से 99.9% सनस्द्ळत सपरता

सूमोदम से



गुरुऩुष्माभृत

मोग

फहोत

कभ

होता है । तफ फनता है गुरु ऩुष्म 

सामॊ 7.20 तक

गुरुवाय के फदन शुब कामो एवॊ

नौकयी, व्माऩाय मा ऩरयवाय से जुिे कामा, फॊध जीवन के कोई बी अन्म भहत्वऩूणा ऺेि भं की सॊबावना होसत है । फनता है जफ गुरुवाय के फदन ऩुष्म नऺि मोग।

आध्मात्भ से सॊफॊसधत कामा कयना असत शुब

एवॊ भॊगरभम होता है । 

ऩुष्म नऺि बी सबी प्रकाय के शुब कामो एवॊ आध्मात्भ से जुिे कामो के सरमे असत शुब भाना गमा है ।



जफ गुरुवाय के फदन ऩुष्म नऺि होता तफ मह मोग फन जाता है अद्भत ु एवॊ अत्मॊत शुब पर प्रद अभृत मोग।



एक साधक के सरए फेहद पामदे भॊद होता हं गुरुऩुष्माभृत मोग।



इस फदन त्रवद्रान एवॊ गुढ यहस्मो के जानकाय भाॊ भहारक्ष्भी की साधना कयने की सराह दे ते है ।



मह मोग त्रवशेष साधना के सरमे असत शुब एवॊ शीघ्र ऩयीणाभ दे ने वारा होता है ।



भाॊ भहारक्ष्भी का आह्वान कयके अत्मॊत सयरता से उनकी कृ ऩा रत्रद्श से सभृत्रद्ध औय शाॊसत प्राद्ऱ फक जासकती है ।

ऩुष्म नऺि का भहत्व क्मं हं ?

शास्त्रो भं ऩुष्म नऺि को नऺिं का याजा फतामा गमा हं । स्जसका स्वाभी शसन ग्रह हं । शसन को ज्मोसतष भं स्थासमत्व का प्रतीक भाना गमा हं । अत् ऩुष्म नऺि सफसे शुब नऺिो भं से एक हं । मफद यत्रववाय को ऩुष्म नऺि हो तो यत्रव ऩुष्म मोग औय गुरुवाय को हो तो औय गुरु ऩुष्म मोग कहराता हं । शास्त्रं भं ऩुष्म मोग को 100 दोषं को दयू कयने वारा, शुब कामा उद्दे श्मो भं सनस्द्ळत सपरता प्रदान कयने वारा

एवॊ फहुभूल्म वस्तुओॊ फक खयीदायी हे तु सफसे श्रेद्ष एवॊ शुब परदामी मोग भाना गमा है ।

गुरुवाय के फदन ऩुष्म नऺि के सॊमोग से सवााथा अभृतससत्रद्ध मोग फनता है । शसनवाय के फदन ऩुष्म नऺि के

सॊमोग से सवााथसा सत्रद्ध मोग होता है । ऩुष्म नऺि को ब्रह्माजी का श्राऩ सभरा था। इससरए शास्त्रोक्त त्रवधान से ऩुष्म नऺि भं त्रववाह वस्जात भाना गमा है । 3

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अगस्त 2012

सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफित

ऩुरुषाकाय शसन मॊि

ऩुरुषाकाय शसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शसन की कायक धातु शुद्ध स्टीर(रोहे ) भं फनामा गमा हं । स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं । मफद जन्भ कॊु िरी भं

शसन प्रसतकूर होने ऩय व्मत्रक्त को अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती है , कबी व्मवसाम भं घटा, नौकयी भं ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गृह क्रेश आफद ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी स्स्थसतमं भं ु ट

प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रह ऩीिा सनवायक शसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने से अनेक राब सभरते हं । मफद शसन की ढै ़मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩूजना िाफहए। शसनमॊि के ऩूजन भाि से व्मत्रक्त को भृत्मु, कजा, कोटा केश, जोिो का ददा , फात योग तथा रम्फे सभम

के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्रक्त के सरमे शसन मॊि असधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आफद

के रोगं को ऩदौन्नसत बी शसन द्राया ही सभरती है अत् मह मॊि असत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्राया शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है ।

भूल्म: 1050 से 8200

सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफित

शसन तैसतसा मॊि

शसनग्रह से सॊफॊसधत ऩीिा के सनवायण हे तु त्रवशेष राबकायी मॊि। भूल्म: 550 से 8200

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अगस्त 2012

नवयत्न जफित श्री मॊि

शास्त्र विन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न जफित श्री मॊि कहराता हं । सबी यत्नो को उसके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रक्त को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं । नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायणकयने वारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं ।

गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे

तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उत्तभ कोई औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोक्त विन हं । इस प्रकाय के नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनावाए जाते हं ।

असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।

GURUTVA KARYALAY 92/3BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)

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56

अगस्त 2012

भॊि ससद्ध वाहन दघ ा ना नाशक भारुसत मॊि ु ट

ऩौयास्णक ग्रॊथो भं उल्रेख हं की भहाबायत के मुद्ध के सभम अजुन ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्वज एवॊ भारुसत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुद्ध के दौयान हिायं-राखं प्रकाय के आग्नेम अस्त्र-

शस्त्रं का प्रहाय होने के फाद बी अजुन ा का यथ जया बी ऺसतग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृ ष्ण भारुसत मॊि के इस अद्भत ा नाग्रस्त कैसे हो ु यहस्म को जानते थे फक स्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते हं, वह दघ ु ट सकता हं । वह यथ मा वाहन तो वामुवेग से, सनफाासधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय त्रवजम ऩतका रहयाता हुआ ऩहुॊिेगा। इसी सरमे श्री कृ ष्ण नं अजुन ा के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयवामा था।

स्जन रोगं के स्कूटय, काय, फस, ट्रक इत्माफद वाहन फाय-फाय दघ ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन को ु ट

नुऺान हो यहा हं! उन्हं हानी एवॊ दघ ा ना से यऺा के उद्दे श्म से अऩने वाहन ऩय भॊि ससद्ध श्री भारुसत मॊि अवश्म ु ट

रगाना िाफहए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटं ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जुिे हं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने वाहन भं अवश्म स्थात्रऩत कयना िाफहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जुिे सैकिं रोगं का अनुबव यहा हं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत कयने से उनके वाहन असधक फदन तक अनावश्मक खिो से एवॊ दघ ा नाओॊ से सुयस्ऺत यहे हं । हभाया स्वमॊका एवॊ अन्म ु ट त्रवद्रानो का अनुबव यहा हं , की स्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हं , उन रोगं के वाहन फिी से

फिी दघ ा नाओॊ से सुयस्ऺत यहते हं । उनके वाहनो को कोई त्रवशेष नुक्शान इत्माफद नहीॊ होता हं औय नाहीॊ अनावश्मक ु ट रुऩ से उसभं खयाफी आसत हं ।

वास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊि: मह भारुसत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । मफद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस ऩय कोई वाद-त्रववाद हो, तो इच्छा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उसित भूल्म ऩय त्रफक जामे इस सरमे इस भारुसत मॊि का प्रमोग फकमा जा सकता हं । इस भारुसत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रववादभुक्त हो जाएगी। इस सरमे मह मॊि दोहयी शत्रक्त से मुक्त है ।

भारुसत मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं । भूल्म Rs- 255 से 10900 तक

श्री हनुभान मॊि

शास्त्रं भं उल्रेख हं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद ा े व ने ब्रह्मा जी के आदे श ऩय हनुभान

जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भं हनुभान को सबी शास्त्र का ऩूणा

ऻान दॉ ग ू ा। स्जससे मह तीनोरोक भं सवा श्रेद्ष वक्ता हंगे तथा शास्त्र त्रवद्या भं इन्हं भहायत हाससर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषं की त्रवसबन्न फीभारयमं

दयू होती हं , इस मॊि भं अद्भत ु शत्रक्त सभाफहत होने के कायण व्मत्रक्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा,

नऩुॊसकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी हं । अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुद्श कयता हं । श्री हनुभान मॊि व्मत्रक्त को सॊकट, वाद-त्रववाद, बूत-प्रेत, द्यूत फक्रमा, त्रवषबम, िोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माफद से सॊकटो से यऺा कयता हं औय ससत्रद्ध प्रदान कयने भं सऺभ हं । श्री हनुभान मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भं सॊऩका कयं । भूल्म Rs- 730 से 10900 तक

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अगस्त 2012

57

भॊि ससद्ध त्रवशेष दै वी मॊि सूसि आद्य शत्रक्त दग ु ाा फीसा मॊि (अॊफाजी फीसा मॊि)

सयस्वती मॊि

भहान शत्रक्त दग ु ाा मॊि (अॊफाजी मॊि)

सद्ऱसती भहामॊि(सॊऩूणा फीज भॊि सफहत)

नव दग ु ाा मॊि

कारी मॊि

नवाणा मॊि (िाभुॊिा मॊि)

श्भशान कारी ऩूजन मॊि

नवाणा फीसा मॊि

दस्ऺण कारी ऩूजन मॊि

िाभुॊिा फीसा मॊि ( नवग्रह मुक्त)

सॊकट भोसिनी कासरका ससत्रद्ध मॊि

त्रिशूर फीसा मॊि

खोफिमाय मॊि

फगरा भुखी मॊि

खोफिमाय फीसा मॊि

फगरा भुखी ऩूजन मॊि

अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि

याज याजेद्वयी वाॊछा कल्ऩरता मॊि

एकाॊऺी श्रीपर मॊि

भॊि ससद्ध त्रवशेष रक्ष्भी मॊि सूसि श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भहारक्ष्भमै फीज मॊि

श्री मॊि (भॊि यफहत)

भहारक्ष्भी फीसा मॊि

श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सफहत)

रक्ष्भी दामक ससद्ध फीसा मॊि

श्री मॊि (फीसा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीसा मॊि

श्री मॊि श्री सूक्त मॊि

रक्ष्भी गणेश मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम)

ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि

रक्ष्भी फीसा मॊि

कनक धाया मॊि

श्री श्री मॊि (श्रीश्री रसरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमं श्री भहामॊि)

वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान ससत्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)

अॊकात्भक फीसा मॊि ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस (Gold Plated) साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800

ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस (Silver Plated) साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 370 640 1090 1650 2800 5100 8200

ताम्र ऩि ऩय (Copper)

साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 255 460 730 1090 1900 3250 6400

मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।

GURUTVA KARYALAY

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अगस्त 2012

58

यासश यत्न भेष यासश:

भूग ॊ ा

Red Coral (Special) 5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800

वृषब यासश:

हीया

Diamond (Special) 10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent

Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

सभथुन यासश:

कका यासश:

ससॊह यासश:

कन्मा यासश:

Green Emerald

Naturel Pearl (Special)

Ruby (Old Berma) (Special)

Green Emerald

ऩन्ना

(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

भोती

5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. 910 Rs. 1250 Rs. 1450 Rs. 1900 Rs. 2300 Rs. 2800

भाणेक

2.25" 3.25" 4.25" 5.25" 6.25"

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

12500 15500 28000 46000 82000

ऩन्ना

(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

** All Weight In Rati

All Diamond are Full White Colour.

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

तुरा यासश:

वृस्द्ळक यासश:

धनु यासश:

कॊु ब यासश:

भीन यासश:

हीया

भूग ॊ ा

ऩुखयाज

भकय यासश:

नीरभ

नीरभ

Diamond (Special)

Red Coral

Y.Sapphire

B.Sapphire

B.Sapphire

Y.Sapphire

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent

Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

All Diamond are Full White Colour.

5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800 ** All Weight In Rati

ऩुखयाज

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

* उऩमोक्त वजन औय भूल्म से असधक औय कभ वजन औय भूल्म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भूल्म ऩय उप्रब्ध हं ।

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अगस्त 2012

59

भॊि ससद्ध रूराऺ Rudraksh List

Rate In Indian Rupee

Rate In Indian Rupee

Rudraksh List

एकभुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

2800, 5500

आि भुखी रूराऺ (नेऩार)

एकभुखी रूराऺ (नेऩार)

750,1050, 1250, आि भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

दो भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय)

30,50,75

नौ भुखी रूराऺ (नेऩार)

910,1250

दो भुखी रूराऺ (नेऩार)

50,100,

नौ भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

2050

दो भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

450,1250

दस भुखी रूराऺ (नेऩार)

1050,1250

तीन भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय)

30,50,75,

दस भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

2100

तीन भुखी रूराऺ (नेऩार)

50,100,

ग्मायह भुखी रूराऺ (नेऩार)

1250,

तीन भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

450,1250,

ग्मायह भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

2750,

िाय भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय)

25,55,75,

फायह भुखी रूराऺ (नेऩार)

1900,

िाय भुखी रूराऺ (नेऩार)

50,100,

फायह भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

2750,

ऩॊि भुखी रूराऺ (नेऩार)

25,55,

तेयह भुखी रूराऺ (नेऩार)

3500, 4500,

ऩॊि भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

225, 550,

तेयह भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

6400,

छह भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय)

25,55,75,

िौदह भुखी रूराऺ (नेऩार)

10500

छह भुखी रूराऺ (नेऩार)

50,100,

िौदह भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

14500

सात भुखी रूराऺ (हरयराय, याभेद्वय)

75, 155,

गौयीशॊकय रूराऺ

1450

सात भुखी रूराऺ (नेऩार)

225, 450,

गणेश रुराऺ (नेऩार)

550

सात भुखी रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

1250

गणेश रूराऺ (इन्िोनेसशमा)

750

820,1250 1900

रुराऺ के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY, 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: [email protected], [email protected],

भॊि ससद्ध दर ा साभग्री ु ब हत्था जोिी- Rs- 370

घोिे की नार- Rs.351

भामा जार- Rs- 251

त्रफल्री नार- Rs- 370

भोसत शॊख- Rs- 550

धन वृत्रद्ध हकीक सेट Rs-251

ससमाय ससॊगी- Rs- 370

दस्ऺणावतॉ शॊख- Rs- 550

इन्र जार- Rs- 251

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अगस्त 2012

60

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि फकसी बी व्मत्रक्त का जीवन तफ आसान फन जाता हं जफ उसके िायं औय का भाहोर उसके अनुरुऩ उसके वश भं हं। जफ कोई व्मत्रक्त का आकषाण दस ु यो के उऩय एक िुम्फकीम प्रबाव िारता हं , तफ

रोग उसकी सहामता एवॊ

सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना असधक कद्श व ऩये शानी से सॊऩन्न हो जाते हं । आज के बौसतकता वाफद मुग भं हय व्मत्रक्त के सरमे दस ॊ कत्व को कामभ ू यो को अऩनी औय खीिने हे तु एक प्रबावशासर िुफ

यखना असत आवश्मक हो जाता हं । आऩका आकषाण औय व्मत्रक्तत्व आऩके िायो ओय से रोगं को आकत्रषात कये इस सरमे सयर उऩाम हं , श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि। क्मोफक बगवान श्री कृ ष्ण एक अरौफकव एवॊ फदवम िुॊफकीम व्मत्रक्तत्व के धनी थे। इसी कायण से श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन एवॊ दशान से आकषाक व्मत्रक्तत्व प्राद्ऱ होता हं । श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के साथ व्मत्रक्तको दृढ़ इच्छा शत्रक्त एवॊ उजाा प्राद्ऱ होती हं , स्जस्से व्मत्रक्त हभेशा एक बीि भं हभेशा आकषाण का कंर यहता हं । मफद फकसी व्मत्रक्त को अऩनी प्रसतबा व आत्भत्रवद्वास के स्तय भं वृत्रद्ध, अऩने सभिो व ऩरयवायजनो के त्रफि भं रयश्तो भं सुधाय कयने की ईच्छा होती हं उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि का ऩूजन एक सयर व सुरब भाध्मभ सात्रफत हो सकता हं । श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि ऩय अॊफकत शत्रक्तशारी त्रवशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ

श्रीकृ ष्ण फीसा कवि श्रीकृ ष्ण

फीसा

कवि

को

केवर

त्रवशेष शुब भुहुता भं सनभााण फकमा जाता हं । कवि को त्रवद्रान कभाकाॊिी

ब्राहभणं द्राया शुब भुहुता भं शास्त्रोक्त

अॊको से व्मत्रक्त को अद्द्द्भत ु आॊतरयक शत्रक्तमाॊ प्राद्ऱ होती हं जो व्मत्रक्त को

त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन व सनमसभत दशान के भाध्मभ से बगवान

मुक्त कयके सनभााण फकमा जाता हं ।

सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भं अग्रस्णम फनाने भं सहामक ससद्ध होती हं ।

श्रीकृ ष्ण का आशीवााद प्राद्ऱ कय सभाज भं स्वमॊ का अफद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं । श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि अरौफकक ब्रह्माॊिीम उजाा का सॊिाय कयता हं , जो एक प्राकृ त्रत्त भाध्मभ से व्मत्रक्त के बीतय सद्दबावना, सभृत्रद्ध, सपरता, उत्तभ स्वास्र्थम, मोग औय ध्मान के सरमे एक शत्रक्तशारी भाध्मभ हं !  

श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के ऩूजन से व्मत्रक्त के साभास्जक भान-सम्भान व

द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म स्जस के पर स्वरुऩ धायण कयता व्मत्रक्त को शीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ होता हं । कवि को गरे भं धायण कयने से वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हं । गरे भं धायण कयने से कवि

ऩद-प्रसतद्षा भं वृत्रद्ध होती हं ।

हभेशा रृदम के ऩास यहता हं स्जस्से

कंफरत कयने से व्मत्रक्त फक िेतना शत्रक्त जाग्रत होकय शीघ्र उच्ि स्तय

एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हं ।

त्रवद्रानो के भतानुशाय श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग

व्मत्रक्त ऩय उसका राब असत तीव्र

को प्राद्ऱहोती हं । 

भूरम भाि: 1900

जो ऩुरुषं औय भफहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव िारना िाहते हं औय उन्हं अऩनी औय आकत्रषात कयना िाहते हं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि उत्तभ उऩाम ससद्ध हो सकता हं ।



ऩसत-ऩत्नी भं आऩसी प्रभ की वृत्रद्ध औय सुखी दाम्ऩत्म जीवन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीसा मॊि राबदामी होता हं ।

भूल्म:- Rs. 730 से Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध

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अगस्त 2012

61

याभ यऺा मॊि याभ यऺा मॊि सबी बम, फाधाओॊ से भुत्रक्त व कामो भं सपरता प्रासद्ऱ हे तु उत्तभ मॊि हं । स्जसके प्रमोग से धन राब होता हं व व्मत्रक्त का सवांगी त्रवकाय होकय उसे सुख-सभृत्रद्ध, भानसम्भान की प्रासद्ऱ होती हं । याभ यऺा मॊि सबी प्रकाय के अशुब प्रबाव को दयू कय व्मत्रक्त को जीवन की सबी प्रकाय की कफिनाइमं से यऺा कयता हं । त्रवद्रानो के भत से जो व्मत्रक्त बगवान याभ के बक्त हं मा श्री हनुभानजी के बक्त हं उन्हं अऩने सनवास स्थान, व्मवसामीक स्थान ऩय याभ यऺा मॊि को अवश्म स्थाऩीत कयना िाफहमे स्जससे आने वारे सॊकटो से यऺा हो उनका जीवन सुखभम व्मतीत हो सके एवॊ उनकी सभस्त आफद बौसतक व आध्मास्त्भक भनोकाभनाएॊ ऩूणा हो सके।

ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस

ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस

ताम्र ऩि ऩय

(Gold Plated)

(Silver Plated)

(Copper)

साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800

साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 370 640 1090 1650 2800 5100 8200

साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected] Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/

भूल्म 255 460 730 1090 1900 3250 6400

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अगस्त 2012

जैन धभाके त्रवसशद्श मॊिो की सूिी श्री िौफीस तीथंकयका भहान प्रबात्रवत िभत्कायी मॊि

श्री एकाऺी नारयमेय मॊि

श्री िोफीस तीथंकय मॊि

सवातो बर मॊि

कल्ऩवृऺ मॊि

सवा सॊऩत्रत्तकय मॊि

सिॊताभणी ऩाद्वानाथ मॊि

सवाकामा-सवा भनोकाभना ससत्रद्धअ मॊि (१३० सवातोबर मॊि)

सिॊताभणी मॊि (ऩंसफिमा मॊि)

ऋत्रष भॊिर मॊि

सिॊताभणी िक्र मॊि

जगदवल्रब कय मॊि

श्री िक्रेद्वयी मॊि

ऋत्रद्ध ससत्रद्ध भनोकाभना भान सम्भान प्रासद्ऱ मॊि

श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि

ऋत्रद्ध ससत्रद्ध सभृत्रद्ध दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि

श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि

त्रवषभ त्रवष सनग्रह कय मॊि

श्री ऩद्मावती मॊि

ऺुरो ऩरव सननााशन मॊि

श्री ऩद्मावती फीसा मॊि

फृहच्िक्र मॊि

श्री ऩाद्वाऩद्मावती ह्रंकाय मॊि

वॊध्मा शब्दाऩह मॊि

ऩद्मावती व्माऩाय वृत्रद्ध मॊि

भृतवत्सा दोष सनवायण मॊि

श्री धयणेन्र ऩद्मावती मॊि

काॊक वॊध्मादोष सनवायण मॊि

श्री ऩाद्वानाथ ध्मान मॊि

फारग्रह ऩीिा सनवायण मॊि

श्री ऩाद्वानाथ प्रबुका मॊि

रधुदेव कुर मॊि

बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक)

नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका त्रवसशद्श मॊि

भस्णबर मॊि

उवसग्गहयॊ मॊि

श्री मॊि

श्री ऩॊि भॊगर भहाश्रृत स्कॊध मॊि

श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय व्माऩाय वधाक मॊि

ह्रीॊकाय भम फीज भॊि

श्री रक्ष्भीकय मॊि

वधाभान त्रवद्या ऩट्ट मॊि

रक्ष्भी प्रासद्ऱ मॊि

त्रवद्या मॊि

भहात्रवजम मॊि

सौबाग्मकय मॊि

त्रवजमयाज मॊि

िाफकनी, शाफकनी, बम सनवायक मॊि

त्रवजम ऩतका मॊि

बूताफद सनग्रह कय मॊि

त्रवजम मॊि

ज्वय सनग्रह कय मॊि

ससद्धिक्र भहामॊि

शाफकनी सनग्रह कय मॊि

दस्ऺण भुखाम शॊख मॊि

आऩत्रत्त सनवायण मॊि

दस्ऺण भुखाम मॊि

शिुभख ु स्तॊबन मॊि

(अनुबव ससद्ध सॊऩण ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)

मॊि के त्रवषम भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।

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घॊटाकणा भहावीय सवा ससत्रद्ध भहामॊि को स्थाऩीत

कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हं । सवा प्रकाय के योग बूत-प्रेत आफद उऩरव से यऺण होता हं । जहयीरे औय फहॊ सक प्राणीॊ से सॊफसॊ धत बम दयू होते हं । अस्ग्न बम, िोयबम आफद दयू होते हं ।

दद्श ु व असुयी शत्रक्तमं से उत्ऩन्न होने वारे बम

से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हं ।

मॊि के ऩूजन से साधक को धन, सुख, सभृत्रद्ध,

ऎद्वमा, सॊतत्रत्त-सॊऩत्रत्त आफद की प्रासद्ऱ होती हं । साधक की सबी प्रकाय की सास्त्वक इच्छाओॊ की ऩूसता होती हं ।

मफद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय

वशीकयण, भायण,

उच्िाटन इत्माफद जाद-ू टोने वारे

प्रमोग फकमे गमं होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नद्श हो जाते हं औय बत्रवष्म भं मफद कोई प्रमोग कयता हं तो यऺण होता हं ।

कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका

मॊि से जुिे अद्द्द्भत ु अनुबव यहे हं । मफद घय भं श्री

घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थात्रऩत फकमा हं औय मफद

कोई इषाा, रोब, भोह मा शिुतावश मफद अनुसित कभा

कयके फकसी बी उद्दे श्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हं तो मॊि के प्रबाव से सॊऩण ू ा ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हं , कबी-कबी शिु के द्राया फकमा गमा अनुसित कभा शिु ऩय ही उऩय उरट वाय होते दे खा हं ।

भूल्म:- Rs. 1650 से Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध

सॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Email Us:- [email protected], [email protected] Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/

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अभोद्य भहाभृत्मुॊजम कवि अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवि व

उल्रेस्खत अन्म साभग्रीमं को शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से त्रवद्रान

ब्राह्मणो द्राया सवा राख भहाभृत्मुज ॊ म भॊि जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्राया सनसभात कवि अत्मॊत प्रबावशारी होता हं ।

अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवि कवि फनवाने हे तु: अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

अभोद्य् भहाभृत्मुॊजम कवि दस्ऺणा भाि: 10900

याशी यत्न एवॊ उऩयत्न त्रवशेष मॊि हभायं महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने-िाॊफदताम्फे भं आऩकी आवश्मक्ता के अनुशाय

फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी आवश्मक फिजाईन के अनुशाय २२ गेज सबी साईज एवॊ भूल्म व क्वासरफट के

असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध हं ।

शुद्ध ताम्फे भं अखॊफित फनाने की त्रवशेष सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।

हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हं । ज्मोसतष कामा से जुिे़

फधु/फहन व यत्न व्मवसाम से जुिे रोगो के सरमे त्रवशेष भूल्म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म सुत्रवधाएॊ उऩरब्ध हं ।

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भाससक यासश पर

 सिॊतन जोशी भेष:

1 से 15 अगस्त 2012 : आसथाक रेन-दे न के त्रवषम भं असधक रुझान यख सकते हं । व्माऩाय उद्योग से जुिे़ रोगो को नमे अवसय प्राद्ऱ हंगे। कामा फक असधकता औय व्मस्तता से भानससक शाॊसत भं कभी यहे गी। िर-अिर सॊऩत्रत्त मा फकसी घये रू भाभरं भं फदराव हो सकता है । ऩरयवाय औय रयश्तेदायं से आस्त्भमता के अनुबव भं कभी यह सकती हं । भनोनुकूर जीवन साथी फक प्रासद्ऱ हे तु सभम उसित नहीॊ हं । 16 से 31 अगस्त 2012 : भहत्व के कामो के सरमे आऩको कजा रेना ऩि सकता हं जो राब प्रद ससद्ध हो सकता हं । ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ किी भेहनत से फकमे गमे कामो भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । कामा फक व्मस्तता के कायण त्रवश्राभ का अबाव यहे गा। इद्श

सभिो

के

साथा

सॊफन्धं

के

सरमे

प्रसतकूर

सभम

हं ।

सभिं ऩय अॊधात्रवद्वास कयने के

कायण आऩके ऩरयवय भं त्रववाद फढ सकते है ।

वृषब: 1 से 15 अगस्त 2012 : बूसभ-बवन से सॊफॊसधअ भाभरो भं त्रवशेष धन राब के मोग फन यहे हं । अऩनी वाणी एवॊ क्रोध ऩय सनमॊिण यखे अन्मथा फने-फनामे रयश्ते व कामा दोनो त्रफगि सकते हं । आऩके रुके हुए कामा ऩूणा हंगे। इद्श सभिं एवॊ सॊफॊधीमं धनराब प्राद्ऱ होगा। ऩुयानी स्वास्र्थम सॊफॊसधत सभस्माओॊ का सनवायण होगा। दाॊऩत्म जीवन सुखभम यहने के मोग हं । 16 से 31 अगस्त 2012 : अऩने स्वबाव भं दमा, भृदत ु ा व त्रवनम्रता राने का प्रमास कयं । अऩने दृत्रद्शकोण भं सकायात्भक सोि से आऩ भुस्श्कर से भुस्श्कर सभस्माओॊ के सुरझाने भं सपर हंगे।

मफद साझेदायी भं व्मवसाम कयने के सोि यहे है , तो सभम

अनुकूर हं रेफकन अऩने सनणाम ऩय ऩुन् त्रविाय कयना िाफहए स्जससे आऩके सॊफॊध खयाफ नहीॊ हो। शिु ऩऺ ऩय आऩका दफदफा यहे गा।

सभथुन: 1 से 15 अगस्त 2012 : आसथाक ऩऺ साभान्म से उत्तभ यहे गा। अनावश्मक आऩके स्वबाव भं सििसििा ऩन आसकता हं । अऩने क्रोध ऩय सनमॊिण यखे। अनािश्मक खिा कयने से फिे अन्मथा फिा नुकसान सॊबव हं । ऩरयवाय औय रयश्तेदायं से आस्त्भमता के अनुबव भं कभी यह सकती हं । इद्श सभिं के सहमोग से नमे सभि फन सकते हं । अऩनी ऺभता से आऩ स्स्थती ऩय ऩूवा से सनमॊिण यख सकते हं । 16 से 31 अगस्त 2012 : आरस्म के कायण आऩके भहत्व ऩूणा कामा प्राबात्रवत होस अकते

हं

सावधानी

वते।

अनावश्मक

सिन्ता

से

भुक्त

होकय

अऩने कामा ऩय ध्मान रगाना उसित होगा। व्मवसासमक मािा भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती है ।

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कोटा -किहयी के कामो भं त्रवजम प्राद्ऱ हो सकती हं । आऩका आध्मास्त्भक जीवन उच्ि स्तय का हो सकता हं ।

कका: 1 से 15 अगस्त 2012 : ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ किी भेहनत से फकमे गमे कामो भं सनस्द्ळत सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । आसथाक स्स्थती साभान्म यहे गी। आऩकी आभदनी ऩानी के जैसे खिा हो सकती हं । ऩारयवारयक भाहोर छोटी-छोटी घटनाओॊ के कायण तनावऩूणा हो सकता हं । जीवन साथी से आस्त्भमता की कभी भहसूस कय सकते हं । अत्मासधक बागदौि के कायण आऩको उजाा व उसाह की कभी भहसूस हो सकती हं । 16 से 31 अगस्त 2012 : व्मवसामीक मािाएॊ सपर होगी। आसथाक स्स्थती भं सुधाय होने के अच्छे सॊकेत हं । सॊतान सुख की प्रासद्ऱ हे तु सभम उत्तभ ससद्ध होगा। आऩ धासभाक आमोजन भं त्रवशेष रुसि रे सकते हं । प्रेभ सॊफॊधं भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । भानससक तनाव भहसूस कय सकते हं । ऩरयवाय भं भाॊगसरक कामा हो सकते हं एवॊ शुब सभािाय फक प्रासद्ऱ हो सकती हं ।

ससॊह:

1 से 15 अगस्त 2012 : आसथाक स्स्थती थोिी कभजोय हो सकती हं । स्जस कायण आऩको भहत्वऩूणा कामो के सरए कजा रेना ऩि सकता हं । जीवनसाथी से अऩने सॊफॊध भधुय यखने का प्रमास कयं । शिुओॊ ऩय आऩका

प्रबाव

यहे गा।

आऩके

त्रवयोधी

एवॊ

शिु

ऩऺ

ऩयास्त हंगे।

त्रवऩयीत सरॊग के प्रसत आऩका असधक आकषाण ऩये शानीमाॊ खिी कय सकता हं । 16 से 31 अगस्त 2012 : साभास्जक भान-सम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं वृत्रद्ध होगी। ऩूवा कार भं फकमे गमे

कामा एवॊ रुके हुवे कामा से आकस्स्भक धन राब प्राद्ऱ

होगा। इद्शसभि एवॊ ऩरयवाय के रोगो का सहमोग प्राद्ऱ होगा। कोटा -किहयी के कामो भं

त्रवरॊफ सॊबव हं । सभिवगा एवॊ इद्शवगा के रोगो ऩय आऩका व्मम फढे गा। जीवन साथी से सहमोग प्राद्ऱ होगा। शुब सभािाय की प्रासद्ऱ हो सकती हं ।

कन्मा: 1 से 15 अगस्त 2012 : फकमे गमे ऩूॊस्ज सनवेश द्राया आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग फन यहे है । आऩको इद्श सभि एवॊ साथी के कायण व्मम फढ सकते हं । आऩके साभस्जक भान-सम्भान भं वृत्रद्ध होगी। फकसी व्मत्रक्त त्रवशेष से वाद-त्रववाद से फिने का प्रमास कये । नमे रोगो की सभिता से राब प्राद्ऱ कय सकते हं । जीवनसाथी से साथ व्मवहाय कूशर यहं । 16 से 31 अगस्त 2012 : अऩने कामाऺेि भं आत्भत्रवद्वास के फर ऩय अऩनी आम भं वृत्रद्ध कय सकते हं । नौकयी-व्मवसाम का तेजी से त्रवस्ताय हो सकता हं । अऩनी असधक खिा कयने फक प्रवृत्रत्त ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं । कोटा -किहयी के कामो भं असतरयक्त सावधानी फयते। प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है । दाॊऩत्म जीवन सुखभम यहे गा।

अगस्त 2012

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तुरा: 1 से 15 अगस्त 2012 : आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग फनेगं स्जस्से आसथाक स्स्थती भं सुधाय होगा। अऩनी असधक खिा कयने फक प्रवृत्रत्त ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं । कोटा -किहयी के कामो भं सपरता प्राद्ऱ हो सकती हं । दयू स्थानो की व्मवास्मीक मािाएॊ राबप्रद यहे गी। ऩरयवाय के रोग एवॊ सभि वगा का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होगा। वाहन से सावधान यहे आकस्स्भक दघ ा ना हो सकती हं । ु ट 16 से 31 अगस्त 2012 : व्मवसाम भं धन प्रासद्ऱ के नमे भागा प्राद्ऱ हो सकते हं ।आऩके बौसतक सुख-साधनो भं वृत्रद्ध होगी। स्जस कायण आऩकी आम के अनुरुऩ खिा के मोग बी फन सकते हं । बूसभ-बवन से सॊफॊसधत भाभरो भं सिॊता यह सकती हं । प्रेभ सॊफॊधो भं

सपरता

प्राद्ऱ

होगी।आऩका

साभास्जक

जीवन

उच्ि

स्तय

का

हो

सकता

हं । ऩरयवाय

के

फकसी

सदस्म का स्वस्र्थम कभजोय हो सकता हं ।

वृस्द्ळक: 1 से 15 अगस्त 2012 : धन सॊफॊधी ऩूयानी सभस्माओॊ का सभाधान सॊबव हं । बूसभ-बवन से सॊफॊसधअ भाभरो भं आऩकी भहत्वऩूणा रुसि हो सकती है । दाॊऩत्म जीवन सुखभम यहे गा। ऩरयवाय भं फकसी सदस्म के स्जद्दी स्वबाव के कायण आऩके ऩरयवाय भं भानससक अशाॊसत का भाहोर हो सकता है । प्रेभ प्रसॊग भं सपरता प्राद्ऱ होगी, अनैसतक कभा व अनुसित कामो से फिे। 16 से 31 अगस्त 2012 : नौकयी-व्मवसाम भं उन्नसत के मोग फन यहे हं । धनराब के उत्तभ मोग फन यहे हं साथ ही अनावश्मक खिा बी फढ़ सकता हं । भहत्व के कामो के सरमे इद्श सभिं एवॊ सॊफॊधीमं से आऩको कजा रेना ऩि सकता हं । भौसभ के फदराव से आऩको सदॊ-जुकाभ की सभस्मा हो सकती हं । त्रवऩयीत सरॊग के प्रसत आऩका असधक आकषाण आऩकी भानससक शाॊसत छीन सकता हं ।

धनु:

1 से 15 अगस्त 2012 : अऩने भहत्वऩूणा कामो को कुशरता से ऩूया कयने का प्रमास कयं ।

खिा आवश्मक्ता से

असधक हो सकता हं खिा ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं । व्मवासाम भं साझेदायी की मोजना फना यहे हं तो सभम प्रसतकूर सात्रफत हो सकता हं । अऩने त्रप्रमजनो से वादत्रववाद भं उरझने से फिने का प्रमास कये । प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है । 16 से 31 अगस्त 2012 : अऩने इद्श सभिं मा ऩरयवाय के फकसी सदस्मके साथ भं भतबेद सॊबव हं । आऩके उच्िासधकायी एवॊ सहकभॉमं से सॊफॊध प्रसतकूर होने के सॊकेत हं । शिु ऩऺ से सावधान यहं आऩ ऩय झूिे आयोऩ रग सकते है । अत् व्मवहय कूशर यहे । खाने- ऩीने का ध्मान यखे नहीॊ तो स्वास्र्थम नयभ हो सकता है । जीवन साथी से सहमोग प्राद्ऱ होगा।

अगस्त 2012

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भकय: 1 से 15 अगस्त 2012 : व्मवसाम से सॊफॊसधत का कामं से कफिन ऩरयश्रभ के उऩयाॊत सपता प्रासद्ऱ के सॊकेत हं । बूसभ-बवन सॊफॊसधत कामा एवॊ सनणामं को थोिे सभम के सरए स्थसगत कयना ऩि सकता हं । खाने- ऩीने का ध्मान यखे नहीॊ तो स्वास्र्थम नयभ हो सकता है । प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है । जीवन साथी का ऩूणा सहमोग प्राद्ऱ होगा। 16 से 31 अगस्त 2012 : मफद आऩ नौकयी भं हं तो ऩदौन्नसत हो सकती हं । अऩने सॊसित धन से ऩूॊस्ज सनवेश कयने हे तु सभम प्रसतकूर सात्रफत हो सकता हं । व्मवसासमक मािा राबदामक ससद्ध होगी। अऩने त्रप्रमजनो से वाद-त्रववाद भं उरझने से फिने का प्रमास कये । धासभाक कामो भं त्रवशेष रुसि यख सकते हं । ऩरयवाय के फकसी सदस्म का स्वास्र्थम आऩकी सिॊता का त्रवषम हो सकता हं ।

कॊु ब: 1 से 15 अगस्त 2012 : नौकयी/व्मवसाम के भहत्व ऩूणा कामो भं आऩको असतरयक्त सावधानी यखनी िाफहमे अन्मथा कुछ कामो भं नुक्शान सॊबव है ।

ऩरयवाय के

सदस्मं से छोटी-छोटी फातं भं त्रववाद हो सकते हं । नमे रोगो से सभिता राबप्रद हो सकती हं । खिा आवश्मक्ता से असधक हो सकता हं खिा ऩय सनमॊिण कयने का प्रमास कयं । प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं बी सपरता प्राद्ऱ कय सकते है । 16 से 31 अगस्त 2012 : अऩने कामाऺेि भं इस दौयान आवश्मकता से असधक सॊघषा कयना ऩि सकता है ।

अत्मासधक व्मस्तता औय बागदौि के कायण आऩके स्वास्र्थम भं

सगयावट हो सकती हं । ऋण दे ने से फिं अन्मथा धन की ऩुन् प्रासद्ऱ भं त्रवरॊफ हो सकता हं । ऩरयवाय भं फकसी सदस्म के स्वबाव के कायण आऩके ऩरयवाय भं भानससक अशाॊसत का भाहोर हो सकता है ।

भीन:

1 से 15 अगस्त 2012 : नौकयी-व्मवसाम भं धन राब की प्रासद्ऱ हो सकती

हं । कामाऺेि भं आऩके जोश एवॊ उत्साह भं वृत्रद्ध होगी। आऩके साभास्जक भान-सम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं वृत्रद्ध होगी। फकसी से वाद-त्रववाद कयने से फिे। ऩरयवाय के फकसी सदस्म का स्वास्र्थम कभजोय हो सकता हं । जीवन साथी के साथ व्मवहाय अच्छा यखे अन्मथा सभस्माओॊ का साभना कय सकते हं । 16 से 31 अगस्त 2012 : नौकयी, व्माऩाय, ऩूॊजी सनवेश इत्माफद से आकस्स्भक रुऩ से धन प्रासद्ऱ हो सकती हं । ऩैतक ृ सॊऩत्रत्त की प्रासद्ऱ हे तु राबप्रद यहे गा। कोटा -किहयी के कामो भं सपरता प्राद्ऱ कय सकते हं । नमे रोगो की सभिता से राब प्राद्ऱ कय सकते हं । धासभाक मािा मा दयु स्थ स्थानो की मािा होने के मोग हं । प्रेभ सॊफॊसधत भाभरो भं अनफन हो सकती हं ।

अगस्त 2012

69

अगस्त 2012 भाससक ऩॊिाॊग फद

वाय

भाह

ऩऺ

सतसथ

सभासद्ऱ

नऺि

सभासद्ऱ

मोग

सभासद्ऱ

कयण

सभासद्ऱ

िॊर

यासश

सभासद्ऱ

1 फुध

श्रावण

शुक्र ितुदाशी

10:59:28

उत्तयाषाढ़

22:19:10

प्रीसत

23:42:36

वस्णज

10:59:28

भकय

-

2 गुरु

श्रावण

शुक्र ऩूस्णाभा

08:57:13

श्रवण

21:16:55

आमुष्भान

21:12:13

फव

08:57:13

भकय

-

3 शुक्र

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण एकभ

07:22:10

धसनद्षा

20:42:47

सौबाग्म

19:06:13

कौरव

07:22:10

भकय

08:56:00

4 शसन

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण फद्रतीमा

06:18:58

शतसबषा

20:47:06

शोबन

17:29:17

गय

06:18:58

कुॊब

-

5 यत्रव

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण तृतीमा

05:54:13

ऩूय.् बारऩद

21:31:43

असतगॊि

16:25:10

त्रवत्रद्श

05:54:13

कुॊब

15:16:00

6 सोभ

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण ितुथॉ

06:12:36

उ.बारऩद

22:58:32

सुकभाा

15:55:43

फारव

06:12:36

भीन

-

7 भॊगर शुद्ध.बारऩद कृ ष्ण ऩॊिभी

07:15:02

ये वसत

25:06:36

धृसत

15:59:06

तैसतर

07:15:02

भीन

25:06:00

8 फुध

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण षद्षी

08:57:47

अस्द्वनी

27:45:35

शूर

16:31:32

वस्णज

08:57:47

भेष

-

9 गुरु

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण सद्ऱभी

11:11:27

बयणी

30:47:05

गॊि

17:24:35

फव

11:11:27

भेष

-

10 शुक्र

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण अद्शभी

13:42:01

बयणी

06:46:42

वृत्रद्ध

18:27:57

कौरव

13:42:01

भेष

13:34:00

11 शसन

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण नवभी

16:13:30

कृ सतका

09:53:49

ध्रुव

19:29:26

गय

16:13:30

वृष

-

12 यत्रव

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण दशभी

18:30:56

योफहस्ण

12:48:45

व्माघात

20:20:37

त्रवत्रद्श

18:30:56

वृष

26:09:00

13 सोभ

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण एकादशी

20:22:06

भृगसशया

15:22:06

हषाण

20:47:25

फव

07:30:32

सभथुन

-

14 भॊगर शुद्ध.बारऩद कृ ष्ण द्रादशी

21:34:50

आरा

17:18:54

वज्र

20:47:58

कौरव

09:02:58

सभथुन

-

15 फुध

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण िमोदशी

22:10:04

ऩुनवासु

18:40:04

ससत्रद्ध

20:17:34

गय

09:57:53

सभथुन

12:23:00

16 गुरु

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण ितुदाशी

22:04:59

ऩुष्म

19:20:56

व्मसतऩात

19:15:18

त्रवत्रद्श

10:12:29

कका

-

17 शुक्र

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण अभावस्मा

21:25:13

अद्ऴेषा

19:27:06

वरयमान

17:44:54

ितुष्ऩाद

09:48:39

कका

19:27:00

18 शसन

अ.बारऩद

शुक्र एकभ

20:14:30

भघा

19:02:19

ऩरयग्रह

15:49:12

फकस्तुघ्न

08:53:53

ससॊह

-

19 यत्रव

अ.बारऩद

शुक्र फद्रतीमा

18:41:17

ऩू.पाल्गुनी

18:15:02

सशव

13:33:47

फारव

07:30:02

ससॊह

24:00:00

20 सोभ

अ.बारऩद

शुक्र तृतीमा

16:50:16

उ.पाल्गुनी

17:10:53

ससत्रद्ध

11:03:23

गय

16:50:16

कन्मा

-

अगस्त 2012

70

21 भॊगर अ.बारऩद शुक्र ितुथॉ

14:49:51

हस्त

15:56:25

साध्म

08:23:36

त्रवत्रद्श

14:49:51

कन्मा

22 फुध

अ.बारऩद

शुक्र ऩॊिभी

12:43:49

सििा

14:35:23

शुक्र

26:49:26

फारव

12:43:49

तुरा

-

23 गुरु

अ.बारऩद

शुक्र षद्षी

10:34:58

स्वाती

13:14:20

ब्रह्म

24:01:13

तैसतर

10:34:58

तुरा

-

24 शुक्र

अ.बारऩद

शुक्र सद्ऱभी

08:27:59

त्रवशाखा

11:52:21

इन्र

21:13:55

वस्णज

08:27:59

तुरा

06:13:00

शसन

अ.बारऩद

शुक्र अद्शभी-

06:21:00

अनुयाधा

10:33:11

वैधसृ त

18:28:30

फव

06:21:00

वृस्द्ळक

-

09:17:00

27:16:00

नवभी

25 26 यत्रव

अ.बारऩद

शुक्र दशभी

26:20:34

जेद्षा

09:17:46

त्रवषकुॊब

15:45:53

तैसतर

15:18:42

वृस्द्ळक

27 सोभ

अ.बारऩद

शुक्र एकादशी

24:29:31

भूर

08:06:05

प्रीसत

13:07:58

वस्णज

13:23:54

धनु

-

28 भॊगर अ.बारऩद शुक्र द्रादशी

22:47:51

ऩूवााषाढ़

07:02:51

आमुष्भान

10:37:32

फव

11:36:36

धनु

12:49:00

29 फुध

अ.बारऩद

शुक्र िमोदशी

21:20:13

उत्तयाषाढ़

06:09:55

सौबाग्म

08:15:32

कौरव

10:01:28

भकय

-

30 गुरु

अ.बारऩद

शुक्र ितुदाशी

20:11:21

धसनद्षा

29:17:55

शोबन

06:06:40

गय

08:42:17

भकय

17:22:00

31 शुक्र

अ.बारऩद

शुक्र ऩूस्णाभा

19:27:47

शतसबषा

29:27:47

सुकभाा

26:45:36

त्रवत्रद्श

07:46:32

कुॊब

-

शसन ऩीिा सनवायक सॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज शुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफित ऩौरुषाकाय शसन मॊि ऩुरुषाकाय शसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शसन की कायक धातु शुद्ध स्टीर(रोहे ) भं फनामा गमा हं । स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राद्ऱ होता हं । मफद जन्भ कुॊिरी भं शसन प्रसतकूर होने ऩय व्मत्रक्त को अनेक कामं भं असपरता प्राद्ऱ होती है , कबी व्मवसाम भं घटा, नौकयी भं ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गृह क्रेश आफद ु ट

ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी स्स्थसतमं भं प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रह ऩीिा सनवायक शसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने से अनेक राब सभरते हं । मफद शसन की ढै ़मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩूजना िाफहए। शसनमॊि के ऩूजन भाि से व्मत्रक्त को भृत्मु, कजा, कोटा केश, जोिो का ददा , फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्रक्त के सरमे शसन मॊि असधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आफद के रोगं को ऩदौन्नसत बी शसन द्राया ही सभरती है अत् मह मॊि असत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्राया शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है ।

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अगस्त 2012

71

अगस्त-2012 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय फद 1

वाय फुध

भाह

ऩऺ

सतसथ

सभासद्ऱ

श्रावण

शुक्र

ितुदाशी

10:59:28

प्रभुख व्रत-त्मोहाय ऩूस्णाभा व्रत, श्रीसत्मनायामण कथा-ऩूजा, फरबर ऩूजा, कुरधभा-कृ त्म, श्रीअभयनाथ त्रवशेष दशान 2 फदन, रोकभान्म सतरक स्भृसत फदवस, स्नान-दान हे तु उत्तभ श्रावणी ऩूस्णाभा, यऺाफॊधन (याखी), वैफदक उऩाकभा

2

गुरु

श्रावण

शुक्र

ऩूस्णाभा

08:57:13

(श्रावणी), सॊस्कृ त फदवस, गामिी जमॊती, झूरनमािा सभाऩन, कोफकरा व्रत ऩूणा, नायमरी ऩूस्णाभा, रव-कुश जमॊती, श्रीदाऊजी एवॊ ये वती भाता का बव्म शृॊगाय (ब्रज), फृहस्ऩसत भहाऩूजा, गामिी ऩुयद्ळयण प्रायॊ ब बारऩद भं िातुभाास के व्रती हे तु दही वस्जात , श्रीभहारक्ष्भी व्रत-ऩूजा,

3

शुक्र

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

एकभ

07:22:10

4

शसन

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

फद्रतीमा

06:18:58

5

यत्रव

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

तृतीमा

05:54:13

6

सोभ

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

ितुथॉ

06:12:36

श्रीभहाकार सवायी (उज्जैन), नागऩॊिभी (गुज), गोगा ऩॊिभी,

7

भॊगर

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

ऩॊिभी

07:15:02

यऺाऩॊिभी (उिी), हरषद्षी व्रत (भतान्तय से), िॊरषद्षी व्रत,

8

फुध

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

षद्षी

08:57:47

गुरु

शुद्ध.बारऩद

10

शुक्र

11

अशून्मशमन व्रत, फहॊ िोरा सभाद्ऱ, त्रवॊध्मािरी बीभिण्िी जमॊती, कज्जरी (कजयी) तीज, तीजिी (ससन्धी), फूढ़ी तीज, गोऩूजा तृतीमा, सातूिी तीज, सॊकद्शी श्रीगणेशितुथॉ व्रत

हरषद्षी व्रत (ररही छि), िम्ऩाषद्षी, याॊधण छि (गुज), भहाव्मसतऩात यात्रि 11.07 फजे से, हयदे व जमॊती, शीतरा सद्ऱभी, िॊ ियी का ऩूजन, काराद्शभी व्रत, श्रीकृ ष्णावताय अद्शभी व्रत,

कृ ष्ण

सद्ऱभी

11:11:27

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

अद्शभी

13:42:01

शसन

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

नवभी

16:13:30

नन्दोत्सव दसध काॊदौ

12

यत्रव

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

दशभी

18:30:56

श्रीकृ ष्ण-योफहणी व्रत,

13

सोभ

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

एकादशी

20:22:06

अजा (जमा) एकादशी व्रत,

14

भॊगर

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

द्रादशी

21:34:50

गोवत्स द्रादशी,

15

फुध

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

िमोदशी

22:10:04

16

गुरु

शुद्ध.बारऩद

कृ ष्ण

ितुदाशी

22:04:59

9

(िॊ.उ.या.8.46), फहुरा ितुथॉ,

भोहयात्रि, आद्याकारी जमॊती, भहाव्मसतऩात प्रात: 6.32 फजे तक, दव ू ााद्शभी व्रत, नागासाकी फदवस,

श्रीकृ ष्ण-जन्भाद्शभी व्रत, गोकुराद्शभी श्रीकृ ष्ण का जन्भोत्सव, सॊत ऻानेद्वय जमॊती,

प्रदोष व्रत, भाससक सशवयात्रि व्रत, कसरमुगाफद सतसथ, स्वतॊिता फदवस, मोगी अयत्रवॊद जमॊती, अघोय ितुदाशी, ससॊह-सॊक्रास्न्त सामॊ 5.58 फजे तक, भनसा ऩूजा ऩूणा (फॊ),

अगस्त 2012

72

श्रीयाभकृ ष्ण ऩयभहॊ स स्भृसत फदवस,

शुक्र

शुद्ध.बारऩद

18

शसन

19

स्नान-दान-श्राद्ध हे तु उत्तभ बारऩदी अभावस्मा, कुशोत्ऩाटनी (कुशग्रहणी)

कृ ष्ण

अभावस्मा

21:25:13

अ.बारऩद

शुक्र

एकभ

20:14:30

यत्रव

अ.बारऩद

शुक्र

फद्रतीमा

18:41:17

नवीन िॊर दशान,

20

सोभ

अ.बारऩद

शुक्र

तृतीमा

16:50:16

सद्भावना फदवस,

21

भॊगर

अ.बारऩद

शुक्र

ितुथॉ

14:49:51

22

फुध

अ.बारऩद

शुक्र

ऩॊिभी

12:43:49

23

गुरु

अ.बारऩद

शुक्र

षद्षी

10:34:58

24

शुक्र

अ.बारऩद

शुक्र

सद्ऱभी

08:27:59

25

शसन

अ.बारऩद

शुक्र

26

यत्रव

अ.बारऩद

शुक्र

27

सोभ

अ.बारऩद

28

भॊगर

29

17

अद्शभी-

अभावस, त्रऩिौयी अभावस, सती-ऩूजा, ससॊहाफद नववषाायॊब (केयर), भदनरार धीॊगया शहीद फदवस ऩुरुषोत्तभ भास (असधक भास) प्रायॊ ब, त्रवद्रानं के भत से इस भास भं धभााफद कामा से अनॊत ऩुण्मपर की प्रासद्ऱ,

अॊगायकी वयदत्रवनामक ितुथॉ व्रत

(िॊ.उ.या.9.10) , साभवेदी उऩाकभा,

वैधसृ त भहाऩात यात्रि 10.47 से शेषयात्रि 4.10 फजे तक, सूमा सामन कन्मा यासश भं यात्रि 10.38 फजे, सौय शयद् ऋतु प्रायॊ ब, स्कन्दषद्षी व्रत

-

06:21:00

श्रीदग ु ााद्शभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााद्शभी व्रत

दशभी

26:20:34

-

शुक्र

एकादशी

24:29:31

कभरा (ऩुरुषोत्तभी) एकादशी व्रत, भदय टे येसा जमॊती,

अ.बारऩद

शुक्र

द्रादशी

22:47:51

श्माभफाफा द्रादशी, एकादशी व्रत (सनम्फाका)

फुध

अ.बारऩद

शुक्र

िमोदशी

21:20:13

प्रदोष व्रत, ओनभ (केयर)

30

गुरु

अ.बारऩद

शुक्र

ितुदाशी

20:11:21

-

31

शुक्र

अ.बारऩद

शुक्र

ऩूस्णाभा

19:27:47

स्नान-दान-व्रत हे तु उत्तभ ऩुरुषोत्तभी ऩूस्णाभा, श्रीसत्मनायामण ऩूजा-कथा

नवभी

क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं ? आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हे तु ऩूजा-अिाना, साधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हं ? अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी त्रवशेष ऩूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता प्राद्ऱ कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व कामाारत द्राया हभाया उद्दे श्म शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त त्रवसबन्न प्रकाय के

मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का है ।

अगस्त 2012

73

गणेश रक्ष्भी मॊि प्राण-प्रसतत्रद्षत गणेश रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दक ु ान-ओफपस-पैक्टयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी भं स्थात्रऩत कयने व्माऩाय भं त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । मॊि के प्रबाव से बाग्म भं उन्नसत, भान-प्रसतद्षा एवॊ

व्माऩय भं वृत्रद्ध होती

हं एवॊ आसथाक स्स्थभं सुधाय होता हं । गणेश रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने से बगवान गणेश औय दे वी रक्ष्भी का

Rs.730 से Rs.10900 तक

सॊमुक्त आशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।

भॊगर मॊि से ऋण भुत्रक्त भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयक्त व्मत्रक्त को ऋण भुत्रक्त हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं ।

त्रववाह आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर

मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं । प्राण प्रसतत्रद्षत भॊगर मॊि के ऩूजन से बाग्मोदम, शयीय भं खून की कभी, गबाऩात से फिाव, फुखाय, िेिक, ऩागरऩन, सूजन औय घाव, मौन शत्रक्त भं वृत्रद्ध, शिु त्रवजम, तॊि भॊि के दद्श ु प्रबा,

भूल्म भाि Rs- 730

बूत-प्रेत बम, वाहन दघ ा नाओॊ, हभरा, िोयी इत्मादी से फिाव होता हं । ु ट

कुफेय मॊि कुफेय मॊि के ऩूजन से स्वणा राब, यत्न राब, ऩैतक ृ सम्ऩत्ती एवॊ गिे हुए धन से राब प्रासद्ऱ फक काभना कयने वारे

व्मत्रक्त के सरमे कुफेय मॊि अत्मन्त सपरता दामक होता हं । एसा शास्त्रोक्त विन हं । कुफेय मॊि के ऩूजन से एकासधक स्त्रोि से धन का प्राद्ऱ होकय धन सॊिम होता हं ।

ताम्र ऩि ऩय सुवणा ऩोरीस

ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीस

ताम्र ऩि ऩय

(Gold Plated)

(Silver Plated)

(Copper)

साईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800

साईज

भूल्म

साईज

भूल्म

1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

370 640 1090 1650 2800 5100 8200

1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

255 460 730 1090 1900 3250 6400

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74

अगस्त 2012

नवयत्न जफित श्री मॊि शास्त्र विन के अनुसाय शुद्ध सुवणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नवयत्न जिवा ने ऩय मह नवयत्न जफित श्री मॊि कहराता हं । सबी यत्नो को उसके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने से व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ होती हं । व्मत्रक्त को एसा आबास होता हं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हं । नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहं की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हं । गरे भं होने के कायण मॊि ऩत्रवि यहता हं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हं , वह गॊगा जर के सभान ऩत्रवि होता हं । इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदासम कहजाता हं । जैसे अभृत से उत्तभ कोई

औषसध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भं नहीॊ हं एसा शास्त्रोक्त विन हं । इस प्रकाय के नवयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्राया शुब भुहूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनावाए जाते हं ।

अद्श रक्ष्भी कवि अद्श रक्ष्भी कवि को धायण कयने से व्मत्रक्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृ ऩा एवॊ आशीवााद फना

यहता हं । स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रवजम रक्ष्भी, (७)-त्रवद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का स्वत् अशीवााद प्राद्ऱ होता हं ।

भूल्म भाि: Rs-1250

भॊि ससद्ध व्माऩाय वृत्रद्ध कवि व्माऩाय वृत्रद्ध कवि व्माऩाय के शीघ्र उन्नसत के सरए उत्तभ हं । िाहं कोई बी व्माऩाय हो अगय उसभं राब के स्थान ऩय फाय-फाय हासन हो यही हं । फकसी प्रकाय से व्माऩाय भं फाय-फाय फाॊधा उत्ऩन्न हो यही हो! तो सॊऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत भॊि ससद्ध ऩूणा िैतन्म मुक्त व्माऩात वृत्रद्ध मॊि को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थात्रऩत कयने से शीघ्र ही व्माऩाय वृत्रद्ध एवॊ

भूल्म भाि: Rs.730 & 1050

सनतन्तय राब प्राद्ऱ होता हं ।

भॊगर मॊि (त्रिकोण) भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रववादो को हर कयने के काभ भं राब दे ता हं , इस के असतरयक्त व्मत्रक्त को ऋण भुत्रक्त हे तु भॊगर साधना से असत शीध्र राब प्राद्ऱ होता हं । त्रववाह आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर मॊि की ऩूजा कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं ।

भूल्म भाि Rs- 730

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: [email protected], [email protected], Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/

75

अगस्त 2012

त्रववाह सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩके रिके-रिकी फक आऩकी शादी भं अनावश्मक रूऩ से त्रवरम्फ हो यहा हं मा उनके वैवाफहक जीवन भं खुसशमाॊ कभ होती जायही हं औय सभस्मा असधक फढती जायही हं । एसी स्स्थती होने ऩय अऩने रिके-रिकी फक कुॊिरी का अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके वैवाफहक सुख को कभ कयने वारे दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।

सशऺा से सॊफॊसधत सभस्मा क्मा आऩके रिके-रिकी की ऩढाई भं अनावश्मक रूऩ से फाधा-त्रवघ्न मा रुकावटे हो यही हं ? फच्िो को अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत का उसित पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रिके-रिकी की कुॊिरी का त्रवस्तृत अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके त्रवद्या अध्ममन भं आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण एवॊ उन दोषं के सनवायण के उऩामो के फाय भं त्रवस्ताय से जनकायी प्राद्ऱ कयं ।

क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हं ? आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हे तु ऩूजा-अिाना, साधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का सभम नहीॊ हं ? अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी त्रवशेष ऩूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आऩको अऩने कामा भं सपरता प्राद्ऱ कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ हो सके इस सरमे गुरुत्व कामाारत द्राया हभाया उद्दे श्म शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त त्रवसबन्न प्रकाय के मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का हं ।

ज्मोसतष सॊफॊसधत त्रवशेष ऩयाभशा ज्मोसत त्रवऻान, अॊक ज्मोसतष, वास्तु एवॊ आध्मास्त्भक ऻान सं सॊफॊसधत त्रवषमं भं हभाये 30 वषो से असधक वषा के अनुबवं के साथ ज्मोसतस से जुिे नमे-नमे सॊशोधन के आधाय ऩय आऩ अऩनी हय सभस्मा के सयर सभाधान प्राद्ऱ कय सकते हं ।

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected]

ओनेक्स जो व्मत्रक्त ऩन्ना धायण कयने भे असभथा हो उन्हं फुध ग्रह के उऩयत्न ओनेक्स को धायण कयना िाफहए। उच्ि सशऺा प्रासद्ऱ हे तु औय स्भयण शत्रक्त के त्रवकास हे तु ओनेक्स यत्न की अॊगूिी को दामं हाथ की सफसे छोटी

उॊ गरी मा रॉकेट फनवा कय गरे भं धायण कयं । ओनेक्स यत्न धायण कयने से त्रवद्या-फुत्रद्ध की प्रासद्ऱ हो होकय स्भयण

शत्रक्त का त्रवकास होता हं ।

अगस्त 2012

76

अगस्त 2012 -त्रवशेष मोग कामा ससत्रद्ध मोग 2 5 11 13

सूमोदम से प्रात: 8.57

सूमोदम से सामॊ 7.20 तक

16 19 24 26

यात्रि 9.30 से यातबय प्रात: 9.52 से फदन-यात सूमोदम से दे य यात 3.20 तक

सामॊ 6.14 से यातबय फदन 11.51 से यातबय प्रात: 9.17 से फदन-यात

अभृत मोग 7/8

यात्रि 1.06 से सूमोदम तक

13

सूमोदम से फदन 3.20 तक

11

प्रात: 9.52 से फदन-यात

16

सूमोदम से सामॊ 7.20 तक

त्रिऩुष्कय मोग (तीन गुना) मोग 14 19

सामॊ 5.18 से यात्रि 9.35 तक

28

प्रात: 7.02 से यात्रि 10.46 तक

सामॊ 6.14 से 6.40 तक

गुरु ऩुष्माभृत मोग 16

सूमोदम से सामॊ 7.20 तक

मोग पर :

 कामा ससत्रद्ध मोग भे फकमे गमे शुब कामा भे सनस्द्ळत सपरता प्राद्ऱ होती हं , एसा शास्त्रोक्त विन हं ।  त्रिऩुष्कय मोग भं फकमे गमे शुब कामो का राब तीन गुना होता हं । एसा शास्त्रोक्त विन हं ।

 गुरु ऩुष्माभृत मोग भं फकमे गमे फकमे गमे शुब कामा भे शुब परो की प्रासद्ऱ होती हं , एसा शास्त्रोक्त विन हं ।

दै सनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तासरका गुसरक कार

मभ कार

(शुब)

(अशुब)

सभम अवसध

सभम अवसध

सभम अवसध

यत्रववाय

03:00 से 04:30

12:00 से 01:30

04:30 से 06:00

सोभवाय

01:30 से 03:00

10:30 से 12:00

07:30 से 09:00

भॊगरवाय

12:00 से 01:30

09:00 से 10:30

03:00 से 04:30

फुधवाय

10:30 से 12:00

07:30 से 09:00

12:00 से 01:30

गुरुवाय

09:00 से 10:30

06:00 से 07:30

01:30 से 03:00

शुक्रवाय

07:30 से 09:00

03:00 से 04:30

10:30 से 12:00

शसनवाय

06:00 से 07:30

01:30 से 03:00

09:00 से 10:30

वाय

याहु कार (अशुब)

अगस्त 2012

77

फदन के िौघफिमे सभम

यत्रववाय

सोभवाय

भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय

शुक्रवाय

शसनवाय

06:00 से 07:30

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

शुब

िर

कार

07:30 से 09:00

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

शुब

09:00 से 10:30

राब

शुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

10:30 से 12:00

अभृत

योग

राब

शुब

िर

कार

उद्रे ग

12:00 से 01:30

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

शुब

िर

01:30 से 03:00

शुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

03:00 से 04:30

योग

राब

शुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

04:30 से 06:00

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

शुब

िर

कार

यात के िौघफिमे सभम

यत्रववाय

सोभवाय

भॊगरवाय

फुधवाय गुरुवाय

शुक्रवाय

शसनवाय

06:00 से 07:30

शुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

09:00 से 10:30

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

शुब

10:30 से 12:00

योग

राब

शुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

12:00 से 01:30

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

शुब

िर

01:30 से 03:00

राब

शुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

03:00 से 04:30

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

शुब

िर

कार

04:30 से 06:00

शुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

07:30 से 09:00

अभृत

योग

राब

शुब

िर

कार

उद्रे ग

शास्त्रोक्त भत के अनुशाय मफद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शुब भुहूता मा शुब सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भं सपरता

प्राद्ऱ होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हं । इस सरमे दै सनक शुब सभम िौघफिमा दे खकय प्राद्ऱ फकमा जा सकता हं ।

नोट: प्राम् फदन औय यात्रि के िौघफिमे फक सगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हं । प्रत्मेक िौघफिमे फक अवसध 1

घॊटा 30 सभसनट अथाात िे ढ़ घॊटा होती हं । सभम के अनुसाय िौघफिमे को शुबाशुब तीन बागं भं फाॊटा जाता हं , जो क्रभश् शुब, भध्मभ औय अशुब हं ।

* हय कामा के सरमे शुब/अभृत/राब का

िौघफिमे के स्वाभी ग्रह

शुब िौघफिमा

भध्मभ िौघफिमा

अशुब िौघफिमा

िौघफिमा स्वाभी ग्रह

िौघफिमा स्वाभी ग्रह

िौघफिमा

स्वाभी ग्रह

शुब

गुरु

िय

उद्बे ग

सूमा

अभृत

िॊरभा

कार

शसन

राब

फुध

योग

भॊगर

शुक्र

िौघफिमा उत्तभ भाना जाता हं ।

* हय कामा के सरमे िर/कार/योग/उद्रे ग का िौघफिमा उसित नहीॊ भाना जाता।

अगस्त 2012

78

फदन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक वाय

1.घॊ

2.घॊ

3.घॊ

4.घॊ

5.घॊ

6.घॊ

7.घॊ

8.घॊ

9.घॊ

यत्रववाय

सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

सोभवाय

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

भॊगरवाय

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

फुधवाय

फुध

िॊर

शसन

गुरु भॊगर सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर

गुरुवाय

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

शुक्रवाय

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु

शसनवाय

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

िॊर

िॊर फुध

10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ

यात फक होया – सूमाास्त से सूमोदम तक यत्रववाय

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

सोभवाय

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

भॊगरवाय

शसन

गुरु

भॊगर

फुधवाय

सूमा

शुक्र

फुध

गुरुवाय

िॊर

शसन

गुरु

शुक्रवाय

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

गुरु भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु

सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

भॊगर सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शसन

गुरु

भॊगर

सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसनवाय

फुध

िॊर

शसन

गुरु भॊगर सूमा

शुक्र

फुध

िॊर

शसन

गुरु

भॊगर

िॊर

िॊर

होया भुहूता को कामा ससत्रद्ध के सरए ऩूणा परदामक एवॊ अिूक भाना जाता हं , फदन-यात के २४ घॊटं भं शुब-अशुब सभम को सभम से ऩूवा ऻात कय अऩने कामा ससत्रद्ध के सरए प्रमोग कयना िाफहमे।

त्रवद्रानो के भत से इस्च्छत कामा ससत्रद्ध के सरए ग्रह से सॊफॊसधत होया का िुनाव कयने से त्रवशेष राब प्राद्ऱ होता हं ।

 सूमा फक होया सयकायी कामो के सरमे उत्तभ होती हं ।  िॊरभा फक होया सबी कामं के सरमे उत्तभ होती हं ।  भॊगर फक होया कोटा -किेयी के कामं के सरमे उत्तभ होती हं ।  फुध फक होया त्रवद्या-फुत्रद्ध अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ होती हं ।  गुरु फक होया धासभाक कामा एवॊ त्रववाह के सरमे उत्तभ होती हं ।  शुक्र फक होया मािा के सरमे उत्तभ होती हं ।  शसन फक होया धन-रव्म सॊफॊसधत कामा के सरमे उत्तभ होती हं ।

अगस्त 2012

79

ग्रह िरन अगस्त -2012 Day 1

Sun

Mon

Ma

03:15:07

09:00:06

05:21:58

2

03:16:04

09:14:12

3

03:17:01

4

Me

Jup

Ven

Sat

Rah

Ket

Ua

Nep

Plu

03:09:54

01:16:13

02:00:19

05:29:48

07:08:53

01:08:53

11:14:21

10:08:19

08:13:27

05:22:34

03:09:18

01:16:24

02:01:09

05:29:52

07:08:44

01:08:44

11:14:21

10:08:18

08:13:26

09:28:02

05:23:10

03:08:46

01:16:34

02:01:59

05:29:55

07:08:33

01:08:33

11:14:20

10:08:16

08:13:24

03:17:59

10:11:34

05:23:46

03:08:19

01:16:44

02:02:50

05:29:59

07:08:22

01:08:22

11:14:19

10:08:15

08:13:23

5

03:18:56

10:24:44

05:24:22

03:07:56

01:16:54

02:03:42

06:00:03

07:08:12

01:08:12

11:14:18

10:08:13

08:13:22

6

03:19:54

11:07:33

05:24:58

03:07:39

01:17:03

02:04:34

06:00:07

07:08:04

01:08:04

11:14:17

10:08:12

08:13:21

7

03:20:51

11:20:01

05:25:35

03:07:28

01:17:13

02:05:27

06:00:10

07:07:58

01:07:58

11:14:15

10:08:10

08:13:20

8

03:21:49

00:02:13

05:26:11

03:07:23

01:17:23

02:06:20

06:00:14

07:07:54

01:07:54

11:14:14

10:08:09

08:13:19

9

03:22:46

00:14:11

05:26:48

03:07:25

01:17:32

02:07:14

06:00:19

07:07:52

01:07:52

11:14:13

10:08:07

08:13:18

10

03:23:44

00:26:02

05:27:25

03:07:33

01:17:41

02:08:09

06:00:23

07:07:52

01:07:52

11:14:12

10:08:05

08:13:17

11

03:24:41

01:07:50

05:28:01

03:07:49

01:17:50

02:09:04

06:00:27

07:07:52

01:07:52

11:14:10

10:08:04

08:13:15

12

03:25:39

01:19:41

05:28:38

03:08:11

01:18:00

02:09:59

06:00:31

07:07:51

01:07:51

11:14:09

10:08:02

08:13:14

13

03:26:37

02:01:41

05:29:16

03:08:41

01:18:08

02:10:56

06:00:36

07:07:49

01:07:49

11:14:08

10:08:01

08:13:13

14

03:27:34

02:13:53

05:29:53

03:09:17

01:18:17

02:11:52

06:00:40

07:07:45

01:07:45

11:14:06

10:07:59

08:13:12

15

03:28:32

02:26:21

06:00:30

03:10:01

01:18:26

02:12:49

06:00:45

07:07:38

01:07:38

11:14:05

10:07:57

08:13:11

16

03:29:29

03:09:08

06:01:07

03:10:51

01:18:35

02:13:47

06:00:49

07:07:28

01:07:28

11:14:03

10:07:56

08:13:11

17

04:00:27

03:22:14

06:01:45

03:11:48

01:18:43

02:14:45

06:00:54

07:07:17

01:07:17

11:14:02

10:07:54

08:13:10

18

04:01:25

04:05:39

06:02:23

03:12:51

01:18:51

02:15:43

06:00:59

07:07:04

01:07:04

11:14:00

10:07:53

08:13:09

19

04:02:23

04:19:19

06:03:00

03:14:00

01:18:59

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अगस्त 2012

सवा योगनाशक मॊि/कवि भनुष्म अऩने जीवन के त्रवसबन्न सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता हं । उसित उऩिाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुत्रक्त सभर जाती हं , रेफकन कबी-कबी साध्म योग होकय बी असाध्म होजाते हं , मा कोइ असाध्म योग से ग्रससत होजाते हं । हजायो राखो रुऩमे खिा कयने ऩय बी असधक राब प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता। िॉक्टय द्राया फदजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के सरमे कायगय सात्रफत होती हं , एसी स्स्थती भं राब प्रासद्ऱ के सरमे व्मत्रक्त एक िॉक्टय से दस ू ये िॉक्टय के िक्कय रगाने को फाध्म हो जाता हं । बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊसत हे तु त्रवसबन्न आमुवये औषधो के असतरयक्त मॊि, भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा फकमा था। फुत्रद्धजीवो के भत से जो व्मत्रक्त जीवनबय अऩनी फदनिमाा ऩय सनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हं , एसे व्मत्रक्त को त्रवसबन्न योग से ग्रससत होने की सॊबावना कभ होती हं । रेफकन आज के फदरते मुग भं एसे व्मत्रक्त बी बमॊकय योग से ग्रस्त होते फदख जाते हं । क्मोफक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हं । एवॊ भृत्मु सनस्द्ळत हं स्जसे त्रवधाता के अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता, रेफकन योग होने फक स्स्थती भं व्मत्रक्त योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हं । इस सरमे मॊि भॊि एवॊ तॊि के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्रक्त योगो से भुत्रक्त ऩाने का मा उसके प्रबावो को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हं । ज्मोसतष त्रवद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को उजागय कय सकते हं । ज्मोसतष शास्त्र के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकिने भे सहमोग सभरता हं , जहा आधुसनक सिफकत्सा शास्त्र अऺभ होजाता हं वहा ज्मोसतष शास्त्र द्राया योग के भूर(जि) को ऩकि कय उसका सनदान कयना राबदामक एवॊ उऩामोगी ससद्ध होता हं । हय व्मत्रक्त भं रार यॊ गकी कोसशकाए ऩाइ जाती हं , स्जसका सनमभीत त्रवकास क्रभ फद्ध तयीके से होता यहता हं । जफ इन कोसशकाओ के क्रभ भं ऩरयवतान होता है मा त्रवखॊफिन होता हं तफ व्मत्रक्त के शयीय भं स्वास्र्थम सॊफॊधी त्रवकायो उत्ऩन्न होते हं । एवॊ इन कोसशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हं । स्जस्से योगो के होने के कायण व्मत्रक्त के जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गोिय स्स्थती से प्राद्ऱ होता हं । सवा योग सनवायण कवि एवॊ भहाभृत्मुॊजम मॊि के भाध्मभ से व्मत्रक्त के जन्भाॊग भं स्स्थत कभजोय एवॊ ऩीफित ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक ा फकमा जासकता हं । जेसे हय व्मत्रक्त को ब्रह्माॊि फक उजाा एवॊ ऩृर्थवी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हं फिक उसी प्रकाय कवि एवॊ मॊि के भाध्मभ से ब्रह्माॊि फक उजाा के सकायात्भक प्रबाव से व्मत्रक्त को सकायात्भक उजाा प्राद्ऱ होती हं स्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भुक्त कयने हे तु सहामता सभरती हं । योग सनवायण हे तु भहाभृत्मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फिा भहत्व हं । स्जस्से फहन्द ू सॊस्कृ सत का प्राम् हय व्मत्रक्त भहाभृत्मुॊजम भॊि से ऩरयसित हं ।

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अगस्त 2012

कवि के राब : एसा शास्त्रोक्त विन हं स्जस घय भं भहाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत होता हं वहा सनवास कताा हो नाना प्रकाय फक



आसध-व्मासध-उऩासध से यऺा होती हं । ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त सवा योग सनवायण कवि फकसी बी उम्र एवॊ जासत धभा के रोग िाहे स्त्री



हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हं । 

जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रसतकूरता से योग उतऩन्न होते हं ।



कुछ योग सॊक्रभण से होते हं एवॊ कुछ योग खान-ऩान फक असनमसभतता औय अशुद्धतासे उत्ऩन्न होते हं । कवि एवॊ मॊि द्राया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नद्श कय, स्वास्र्थम राब औय शायीरयक यऺण प्राद्ऱ कयने हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हं । आज के बौसतकता वादी आधुसनक मुगभे अनेक एसे योग होते हं , स्जसका उऩिाय ओऩये शन औय दवासे बी कफिन



हो जाता हं । कुछ योग एसे होते हं स्जसे फताने भं रोग फहिफकिाते हं शयभ अनुबव कयते हं एसे योगो को योकने हे तु एवॊ उसके उऩिाय हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि राबादासम ससद्ध होता हं । प्रत्मेक व्मत्रक्त फक जेसे-जेसे आमु फढती हं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हं । स्जसके साथ अनेक



प्रकाय के त्रवकाय ऩैदा होने रगते हं एसी स्स्थती भं उऩिाय हे तु सवायोगनाशक कवि एवॊ मॊि परप्रद होता हं । स्जस घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक फह नऺिभे जन्भ रेते हं , तफ उसकी भाता के सरमे



असधक कद्शदामक स्स्थती होती हं । उऩिाय हे तु भहाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद होता हं । स्जस व्मत्रक्त का जन्भ ऩरयसध मोगभे होता हं उन्हे होने वारे भृत्मु तुल्म कद्श एवॊ होने वारे योग, सिॊता भं उऩिाय



हे तु सवा योगनाशक कवि एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हं । नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एवॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त सवा योग सनवायण कवि एवॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी हे तु सॊऩका कयं ।

Declaration Notice    

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Our Goal  Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door step.

अगस्त 2012

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भॊि ससद्ध कवि

भॊि ससद्ध कवि को त्रवशेष प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय शीघ्र प्रबाव शारी फनाने के सरए तेजस्वी भॊिो द्राया

शुब भहूता भं शुब फदन को तैमाय फकमे जाते हं . अरग-अरग कवि तैमाय कयने केसरए अरग-अरग तयह के भॊिो का प्रमोग फकमा जाता हं .

 क्मं िुने भॊि ससद्ध कवि?

 उऩमोग भं आसान कोई प्रसतफन्ध नहीॊ  कोई त्रवशेष सनसत-सनमभ नहीॊ  कोई फुया प्रबाव नहीॊ

 कवि के फाये भं असधक जानकायी हे तु

भॊि ससद्ध कवि सूसि सवा कामा ससत्रद्ध

4600/-

ऋण भुत्रक्त

910/-

त्रवघ्न फाधा सनवायण

550/-

सवा जन वशीकयण

1450/-

धन प्रासद्ऱ

820/-

निय यऺा

550/-

अद्श रक्ष्भी

1250/-

तॊि यऺा

730/-

460/-

सॊतान प्रासद्ऱ

1250/-

शिु त्रवजम

दब ु ााग्म नाशक

730/-

* वशीकयण (२-३ व्मत्रक्तके सरए)

1050/-

स्ऩे- व्माऩय वृत्रद्ध

1050/-

त्रववाह फाधा सनवायण

730/-

* ऩत्नी वशीकयण

640/-

कामा ससत्रद्ध

1050/-

व्माऩय वृत्रद्ध

730/--

* ऩसत वशीकयण

640/-

आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ

1050/-

सवा योग सनवायण

730/-

सयस्वती (कऺा +10 के सरए)

550/-

नवग्रह शाॊसत

910/-

भस्स्तष्क ऩृत्रद्श वधाक

640/-

सयस्वती (कऺा 10 तकके सरए)

460/-

बूसभ राब

910/-

काभना ऩूसता

640/-

* वशीकयण ( 1 व्मत्रक्त के सरए)

640/-

काभ दे व

910/-

त्रवयोध नाशक

640/-

योजगाय प्रासद्ऱ

550/-

ऩदं उन्नसत

910/-

योजगाय वृत्रद्ध

730/-

*कवि भाि शुब कामा मा उद्दे श्म के सरमे

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ Email Us:- [email protected], [email protected] (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION) (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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YANTRA LIST

अगस्त 2012

EFFECTS

Our Splecial Yantra 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

12 – YANTRA SET VYAPAR VRUDDHI YANTRA BHOOMI LABHA YANTRA TANTRA RAKSHA YANTRA AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA PADOUNNATI YANTRA RATNE SHWARI YANTRA BHUMI PRAPTI YANTRA GRUH PRAPTI YANTRA KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA

For all Family Troubles For Business Development For Farming Benefits For Protection Evil Sprite For Unexpected Wealth Benefits For Getting Promotion For Benefits of Gems & Jewellery For Land Obtained For Ready Made House -

Shastrokt Yantra 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42

AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) BHAGYA VARDHAK YANTRA BHAY NASHAK YANTRA CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA DARIDRA VINASHAK YANTRA DHANDA POOJAN YANTRA DHANDA YAKSHANI YANTRA GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) GARBHA STAMBHAN YANTRA GAYATRI BISHA YANTRA HANUMAN YANTRA JWAR NIVARAN YANTRA JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA KALI YANTRA KALPVRUKSHA YANTRA KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) KANAK DHARA YANTRA KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA KARYA SHIDDHI YANTRA  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA KRISHNA BISHA YANTRA KUBER YANTRA LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA LAKSHAMI GANESH YANTRA MAHA MRUTYUNJAY YANTRA MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA NAVDURGA YANTRA

Blessing of Durga Win over Enemies Blessing of Bagala Mukhi For Good Luck For Fear Ending Blessing of Chamunda & Navgraha Blessing of Chhinnamasta For Poverty Ending For Good Wealth For Good Wealth Blessing of Lord Ganesh For Pregnancy Protection Blessing of Gayatri Blessing of Lord Hanuman For Fewer Ending For Astrology & Spritual Knowlage Blessing of Kali For Fullfill your all Ambition Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga Blessing of Maha Lakshami For Successes in work For Successes in all work Blessing of Lord Krishna Blessing of Kuber (Good wealth) For Obstaele Of marriage Blessing of Lakshami & Ganesh For Good Health Blessing of Shiva For Fullfill your all Ambition For Marriage with choice able Girl Blessing of Durga

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YANTRA LIST

43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64

अगस्त 2012

EFFECTS

NAVGRAHA SHANTI YANTRA NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA  SURYA YANTRA  CHANDRA YANTRA  MANGAL YANTRA  BUDHA YANTRA  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA)  SUKRA YANTRA  SHANI YANTRA (COPER & STEEL)  RAHU YANTRA  KETU YANTRA PITRU DOSH NIVARAN YANTRA PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA RAM YANTRA RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA SANKAT MOCHAN YANTRA SANTAN GOPAL YANTRA SANTAN PRAPTI YANTRA SARASWATI YANTRA SHIV YANTRA

For good effect of 9 Planets For good effect of 9 Planets Good effect of Sun Good effect of Moon Good effect of Mars Good effect of Mercury Good effect of Jyupiter Good effect of Venus Good effect of Saturn Good effect of Rahu Good effect of Ketu For Ancestor Fault Ending For Pregnancy Pain Ending For Benefits of State & Central Gov Blessing of Ram Blessing of Riddhi-Siddhi For Disease- Pain- Poverty Ending For Trouble Ending Blessing Lorg Krishana For child acquisition For child acquisition Blessing of Sawaswati (For Study & Education) Blessing of Shiv Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & 65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth 66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA For Bad Dreams Ending 67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Vehicle Accident Ending 68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All 69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes For Bulding Defect Ending 70 VASTU YANTRA VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning 71 Blessing of Lord Vishnu (Narayan) 72 VISHNU BISHA YANTRA Attraction For office Purpose 73 VASI KARAN YANTRA Attraction For Female  MOHINI VASI KARAN YANTRA 74 Attraction For Husband  PATI VASI KARAN YANTRA 75 Attraction For Wife  PATNI VASI KARAN YANTRA 76 Attraction For Marriage Purpose  VIVAH VASHI KARAN YANTRA 77 Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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अगस्त 2012

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GURUTVA KARYALAY NAME OF GEM STONE

GENERAL

Emerald (ऩन्ना) Yellow Sapphire (ऩुखयाज) Blue Sapphire (नीरभ) White Sapphire (सफ़ेद ऩुखयाज) Bangkok Black Blue(फंकोक नीरभ) Ruby (भास्णक) Ruby Berma (फभाा भास्णक) Speenal (नयभ भास्णक/रारिी) Pearl (भोसत) Red Coral (4 यसत तक) (रार भूॊगा) Red Coral (4 यसत से उऩय)( रार भूॊगा) White Coral (सफ़ेद भूॊगा) Cat’s Eye (रहसुसनमा) Cat’s Eye Orissa (उफिसा रहसुसनमा) Gomed (गोभेद) Gomed CLN (ससरोनी गोभेद) Zarakan (जयकन) Aquamarine (फेरुज) Lolite (नीरी) Turquoise (फफ़योजा) Golden Topaz (सुनहरा) Real Topaz (उफिसा ऩुखयाज/टोऩज) Blue Topaz (नीरा टोऩज) White Topaz (सफ़ेद टोऩज) Amethyst (कटे रा) Opal (उऩर) Garnet (गायनेट) Tourmaline (तुभर ा ीन) Star Ruby (सुमक ा ान्त भस्ण) Black Star (कारा स्टाय) Green Onyx (ओनेक्स) Real Onyx (ओनेक्स) Lapis (राजवात) Moon Stone (िन्रकान्त भस्ण) Rock Crystal (स्फ़फटक) Kidney Stone (दाना फफ़यॊ गी) Tiger Eye (टाइगय स्टोन) Jade (भयगि) Sun Stone (सन ससताया) Diamond (.05 to .20 Cent )

(हीया)

MEDIUM FINE

200.00 550.00 550.00 550.00 100.00 100.00 5500.00 300.00 30.00 75.00 120.00 20.00 25.00 460.00 15.00 300.00 350.00 210.00 50.00 15.00 15.00 60.00 60.00 60.00 20.00 30.00 30.00 120.00 45.00 15.00 09.00 60.00 15.00 12.00 09.00 09.00 03.00 12.00 12.00 50.00

500.00 1200.00 1200.00 1200.00 150.00 190.00 6400.00 600.00 60.00 90.00 150.00 28.00 45.00 640.00 27.00 410.00 450.00 320.00 120.00 30.00 30.00 120.00 90.00 90.00 30.00 45.00 45.00 140.00 75.00 30.00 12.00 90.00 25.00 21.00 12.00 11.00 05.00 19.00 19.00 100.00

(Per Cent )

(Per Cent )

FINE

SUPER FINE

1200.00 1900.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 200.00 500.00 370.00 730.00 8200.00 10000.00 1200.00 2100.00 90.00 120.00 12.00 180.00 190.00 280.00 42.00 51.00 90.00 120.00 1050.00 2800.00 60.00 90.00 640.00 1800.00 550.00 640.00 410.00 550.00 230.00 390.00 45.00 60.00 45.00 60.00 280.00 460.00 120.00 280.00 120.00 240.00 45.00 60.00 90.00 120.00 90.00 120.00 190.00 300.00 90.00 120.00 45.00 60.00 15.00 19.00 120.00 190.00 30.00 45.00 30.00 45.00 15.00 30.00 15.00 19.00 10.00 15.00 23.00 27.00 23.00 27.00 200.00 370.00 (PerCent )

(Per Cent)

SPECIAL

2800.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 1000.00 & above 1900.00 & above 21000.00 & above 3200.00 & above 280.00 & above 280.00 & above 550.00 & above 90.00 & above 190.00 & above 5500.00 & above 120.00 & above 2800.00 & above 910.00 & above 730.00 & above 500.00 & above 90.00 & above 90.00 & above 640.00 & above 460.00 & above 410.00& above 120.00 & above 190.00 & above 190.00 & above 730.00 & above 190.00 & above 100.00 & above 25.00 & above 280.00 & above 55.00 & above 100.00 & above 45.00 & above 21.00 & above 21.00 & above 45.00 & above 45.00 & above 460.00 & above (Per Cent )

Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus

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BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual Science in the modern context, across the world. Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man. exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

PHONE/ CHAT CONSULTATION Consultation 30 Min.: Consultation 45 Min.: Consultation 60 Min.:

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*While booking the appointment in Addvance

How Does it work Phone/Chat Consultation This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of consideration. Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a confirmation whether the time is available for consultation or not.  We send you a Phone Number at the designated time of the appointment  We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment  You would need to refer your Booking number before the chat is initiated  Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.  Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications  We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.  For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat is recommended  Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate. All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T. Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be answered right away. BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT

GURUTVA KARYALAY Call Us:- 91+9338213418, 91+9238328785. Email Us:- [email protected], [email protected], [email protected],

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सूिना  ऩत्रिका भं प्रकासशत सबी रेख ऩत्रिका के असधकायं के साथ ही आयस्ऺत हं ।  रेख प्रकासशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन त्रविायो से सहभत हं।  नास्स्तक/ अत्रवद्वासु व्मत्रक्त भाि ऩिन साभग्री सभझ सकते हं ।  ऩत्रिका भं प्रकासशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष मा फकसी बी स्थान मा घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हं ।  प्रकासशत रेख ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण मफद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तत्रवक जीवन से भेर होता हं तो मह भाि एक सॊमोग हं ।  प्रकासशत सबी रेख बायसतम आध्मास्त्भक शास्त्रं से प्रेरयत होकय सरमे जाते हं । इस कायण इन त्रवषमो फक सत्मता अथवा प्राभास्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं ।  अन्म रेखको द्राया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभास्णकता एवॊ प्रबाव फक स्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हं । औय नाहीॊ रेखक के ऩते फिकाने के फाये भं जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हं ।  ज्मोसतष, अॊक ज्मोसतष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भं ऩािक का अऩना त्रवद्वास होना आवश्मक हं । फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष को फकसी बी प्रकाय से इन त्रवषमो भं त्रवद्वास कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्वमॊ का होगा।  ऩािक द्राया फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।  हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय सरखे होते हं । हभ फकसी बी व्मत्रक्त त्रवशेष द्राया प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी स्जन्भेदायी नफहॊ रेते हं ।  मह स्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्रक्त फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन त्रवषमो भं नैसतक भानदॊ िं , साभास्जक , कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्वाथा ऩूसता हे तु प्रमोग कताा हं अथवा प्रमोग के कयने भे िुफट होने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ सॊबव हं ।  हभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकिोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हं स्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनस्द्ळत सपरता प्राद्ऱ हुई हं ।  ऩािकं फक भाॊग ऩय एक फह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का असधकाय यखता हं । ऩािकं को एक रेख के ऩून् प्रकाशन से राब प्राद्ऱ हो सकता हं ।  असधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भं सॊऩका कय सकते हं । (सबी त्रववादो केसरमे केवर बुवनेद्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)

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FREE E CIRCULAR

गुरुत्व ज्मोसतष ऩत्रिका अगस्त -2012 सॊऩादक

सिॊतन जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोसतष त्रवबाग

गुरुत्व कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA पोन

91+9338213418, 91+9238328785 ईभेर [email protected], [email protected],

वेफ

www.gurutvakaryalay.com http://gk.yolasite.com/ http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

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हभाया उद्दे श्म त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ु फफहन जम गुरुदे व जहाॉ आधुसनक त्रवऻान सभाद्ऱ हो जाता हं । वहाॊ आध्मास्त्भक ऻान प्रायॊ ब हो जाता हं , बौसतकता का आवयण ओढे व्मत्रक्त जीवन भं हताशा औय सनयाशा भं फॊध जाता हं , औय उसे अऩने जीवन भं गसतशीर होने के सरए भागा प्राद्ऱ नहीॊ हो ऩाता क्मोफक बावनाए फह बवसागय हं , स्जसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता सनफहत हं । उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेद्षकय सपरता हं । सपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ असधकाय हं । ईसी सरमे हभायी शुब काभना सदै व आऩ के साथ हं । आऩ अऩने कामा-उद्दे श्म एवॊ अनुकूरता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर ा भॊि शत्रक्त से ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत सिज वस्तु का हभंशा ु ब प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी सरमे हभाया उद्दे श्म महीॊ हे की शास्त्रोक्त त्रवसध-त्रवधान से त्रवसशद्श तेजस्वी भॊिो द्राया ससद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त सबी प्रकाय के मन्ि- कवि एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहोिाने का हं ।

सूमा की फकयणे उस घय भं प्रवेश कयाऩाती हं । जीस घय के स्खिकी दयवाजे खुरे हं।

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ Email Us:- [email protected], [email protected] (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION) (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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