Gurutva Jyotish Weekly E-magazine 11-november To 17 November 2018

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गुरुत्व कामाारम द्वारा प्रस्तुत...

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11 नलम्फय वे 17 नलम्फय 2018

Nonprofit Publications

.

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FREE E CIRCULAR गुरुत्व ज्मोततष

साप्ताहहक ई-ऩत्रिका 11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018 सॊऩादक

ध त ॊ न जोशी

गरु ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक ई-ऩत्रिका भें रेखन हे तु

फ्रीराॊस (स्वतॊि) रेखकों का स्वागत हैं...

सॊऩका गुरुत्व ज्मोततष ववबाग

गुरुत्व कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA

पोन

91+9338213418, 91+9238328785, ईभेर [email protected], [email protected],

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ऩत्रिका प्रस्तुतत

ध त ॊ न जोशी,

गरु ु त्व कामाारम पोटो ग्राफपक्स

ध त ॊ न जोशी,

गरु ु त्व कामाारम

गरु ु त्व

ज्मोततष

 साप्ताहहक

ई-ऩत्रिका भें आऩके द्वारा लरखे गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, पेंगशुई, टै यों, ये की एवॊ अन्म आध्मात्त्भक ऻान वधाक

रेख को प्रकालशत कयने हे तु बेज सकते हैं।

अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected]

सम ू ा उऩासना का अद्भत ू ा षष्ठी ु ऩवा सम हय कष्ट दयू होते हैं हनभ ु ान

ारीसा औय

फजयॊ ग फाण के ऩाठ से वास्तु: भानलसक अशाॊतत तनवायण उऩाम

अनुक्रभ 6

10

12

यत्नों का अद्भत ु यहस्म ऩन्ना

18

प्रकृतत की अरौफकक दे न रुद्राऺ धायण कयने से राब (तीन भख ु ी -

ाय भख ु ी)

वणाभारा के अनस ु ाय स्वप्न पर वव ाय

20

22

अॊक ज्मोततष का यहस्म- भर ू ाॊक 4

जऩ भारा का भहत्व

13

अॊग पड़कने से शक ु न अऩशक ु न

17

स्वाभी याहु

24

स्थामी औय अन्म रेख सॊऩादकीम

4

दै तनक शब ु एवॊ अशब ु सभम ऻान तालरका

46

11 नवम्फय-17 नवम्फय 2018 साप्ताहहक ऩॊ ाॊग

40

हदन के

46

11 - 17 नवम्फय 2018 साप्ताहहक व्रत-ऩवा..

40

हदन फक होया - सम ू ोदम से सम ू ाास्त तक

कामा लसवि मोग

78

ई- जन्भ ऩत्रिका अत्माधुतनक ज्मोततष ऩितत द्वाया उत्कृष्ट बववष्मवाणी के साथ १००+ ऩेज भें प्रस्तत ु

ौघडडमे

E HOROSCOPE Create By Advanced Astrology Excellent Prediction 100+ Pages

हहॊदी/ English भें भूल्म भाि 910/- Limited time offer 450 Only GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected]

48

वप्रम आत्त्भम, फॊध/ु फहहन जम गुरुदे व हहन्द ू सॊस्कृतत भें कातताक शुक्र षष्ठी की ततधथ को छठ ऩवा, सूमा षष्ठी ऩूजा के रुऩ भें भनामा जाता है । बायत के ववलबन्न प्राॊत भें भें ऩुयातन कार से ही सूमा उऩासना का मह अद्भत ु ऩवा अत्मॊत रोकवप्रम यहा हैं। क्मोफक हभाये ववद्वान ऋवष-भुतनमों ने हजायों वषा ऩहरे मह ऻात कय लरमा था की, सूमा जड़- ेतन सबी जीव-जॊतु, ऩेड़-ऩौधे के लरए जीवन मा उजाा का प्रभुख स्िोत है । बायतीम के अरावा ववश्व की अन्म ऩुयातन ववकलसत सॊस्कृततमाॊ बी ववलबन्न भाध्मभ से सूमा की ऩूजा-अ न ा ा मा अन्म उऩामों से सूमा के प्रतत अऩनी कृतऻता ववलबन्न भाध्मभ से प्रकट कयते आमे हैं। ऩौयाणणक भान्मता है फक सूमा की उजाा का भुख्म स्रोत उनकी ऩत्नीमाॊ उषा औय प्रत्मूषा हैं। इस लरए छठ ऩूजा भें सूमा के साथ उनकी दोनों ऩत्त्नमों की बी आयाधना होती है । इस लरए प्रात: कार भें सूमोदम कार भें सूमा के साथ उषा का औय सॊध्माकार भें सूमाास्त के सभम भें प्रत्मूषा को अर्घमा दे कय दो ऩत्नीमों का बी ऩूजन फकमा जाता है । सूमा को सभवऩात इस छठ ऩवा के ऩूजन हे तु साऺात बगवान सूमन ा ायामण की उऩासना से व्रतकताा को सुख-शॊतत, सभवृ ि एवॊ भनोवाॊतछत काभनाओॊ की ऩूतता हे तु काभना की जाती हैं। सूमा षष्ठी के हदन सॊध्मा भें श्रिारु फकसी ऩववि नदी-ताराफ के फकनाये नदी भें स्नान कय बीगे वस्िों भें डूफते सयू ज को अर्घमा दे ते हैं। फपय अगरे हदन उगते सम ू ा को अर्घमा दे ने के साथ ही छठ की ऩज ू ा सॊऩन्न भानी जाती है । सूमा षष्ठी व्रत से सॊफॊधधत ववलबन्न कथाएॊ प्र लरत हैं, ऩाठको की जानकायी हे तु इस अॊक भें हभनें कुछ ववशेष कथाओॊ को सॊकलरत कयने का प्रमास फकमा है । ऩौयाणणक कथा के अनस ु ाय, बगवान के ऩि ु साम्फ(शाम्फ) हुए । वह कुष्ठ योगी हो गमा था। साम्फ(शाम्फ) ने कुष्ठ से भुत्क्त के लरए बगवान सूमा की जगहों ऩय 12 सम ू ा उऩासना के तीथों औय उसके तनकट ताराफ का तनभााण कयामा था। साम्फ(शाम्फ) इन्हीॊ तीथों भें ऩूजा अ न ा ा कय व उससे रगे ताराफ भें

स्नान कय कुष्ठ योग से भुक्त हुआ था। आज बी छठ भहाऩवा स्नान कय कुष्ठ योग दयू होता है । ाय हदनों का भहाऩवा ाय हदनों तक रने वारा मह भहाऩवा फेहद आस्था, तनष्ठा व ऩवविता के साथ भनामा जाता है । इस साप्ताहहक ई-ऩत्रिका भें सॊफॊधधत जानकायीमों के ववषम भें साधक एवॊ ववद्वान ऩाठको से अनयु ोध हैं,

महद दशाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, साधना एवॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाव इत्मादी के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भें , डडजाईन भें , टाईऩीॊग भें , वप्रॊहटॊग भें , प्रकाशन भें कोई िुहट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ

सुधाय रें मा फकसी मोग्म ज्मोततषी, गुरु मा ववद्वान से सराह ववभशा कय रे । क्मोफक ववद्वान ज्मोततषी, गुरुजनो एवॊ साधको के तनजी अनुबव ववलबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, साधना, उऩाम के प्रबावों का वणान कयने भें बेद होने ऩय काभना लसवि हे तु फक जाने वारी वारी ऩूजन ववधध एवॊ उसके प्रबावों भें लबन्नता सॊबव हैं।

आऩका जीवन सुखभम, भॊगरभम हो ऩयभात्भा की कृऩा

आऩके ऩरयवाय ऩय फनी यहे । ऩयभात्भा से मही प्राथना हैं…

ध त ॊ न जोशी

5

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

***** साप्ताहहक ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत सू ना *****  ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख गुरुत्व कामाारम के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।

 ई-ऩत्रिका भें वणणात रेखों को नात्स्तक/अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।

 ई-ऩत्रिका के रेख आध्मात्भ से सॊफॊधधत होने के कायण बायततम धभा शास्िों से प्रेरयत होकय प्रस्तुत फकमा गमा हैं।

 ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभाणणकता ऩय फकसी बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।

 ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत जानकायीकी प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की

नहीॊ हैं औय ना हीॊ प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।

 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त

ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।

 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत फकसी बी प्रकाय की आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।

 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत रेख हभाये वषो के अनब ॊ ान के आधाय ऩय हदए गमे हैं। हभ ु व एवॊ अनश ु ध

फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वाया प्रमोग फकमे जाने वारे धालभाक, एवॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा

उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं। मह त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी।

 क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानूनी तनमभों के णखराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्वाथा ऩूतता हे तु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िुहट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।

 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत जानकायी को भाननने से प्राप्त होने वारे राब, राब की हानी मा हानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हैं।

 हभाये द्वाया ऩोस्ट फकमे गमे सबी जानकायी एवॊ भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा कव , भॊि-मॊि मा उऩामो द्वाया

तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।  ई-ऩत्रिका भें गरु ु त्व कामाारम द्वाया प्रकालशत सबी उत्ऩादों को केवर ऩाठको की जानकायी हे तु हदमा

गमा हैं, कामाारम फकसी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने हे तु फकसी बी प्रकाय से फाध्म नहीॊ कयता हैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कहीॊ से बी क्रम कयने हे तु ऩूणत ा ् स्वतॊि हैं। अधधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं। (सबी वववादो केलरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

6

सूमा उऩासना का अद्भत ु ऩवा सूमा षष्ठी

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम बायतीम सॊस्कृतत भें कातताक शुक्र षष्ठी की

सूमा को सभवऩात इस छठ ऩवा के ऩूजन हे तु

ततधथ को छठ ऩवा, सूमा षष्ठी ऩूजा के रुऩ भें भनामा

साऺात बगवान सूमन ा ायामण की उऩासना से व्रतकताा को

ही सूमा उऩासना का मह अद्भत ु ऩवा अत्मॊत रोकवप्रम यहा

हे तु काभना की जाती हैं।

जाता है । बायत के ववलबन्न प्राॊत भें भें ऩुयातन कार से

हैं। क्मोफक हभाये ववद्वान ऋवष-भुतनमों ने हजायों वषा

सुख-शॊतत, सभवृ ि एवॊ भनोवाॊतछत काभनाओॊ की ऩूतता सूमा षष्ठी के हदन सॊध्मा भें श्रिारु फकसी ऩववि

ऩहरे मह ऻात कय लरमा था की, सूमा जड़- त े न सबी

नदी-ताराफ के फकनाये नदी भें स्नान कय बीगे वस्िों भें

स्िोत है । बायतीम के अरावा ववश्व की अन्म ऩुयातन

को अर्घमा दे ने के साथ ही छठ की ऩूजा सॊऩन्न भानी

जीव-जॊत,ु ऩेड़-ऩौधे के लरए जीवन मा उजाा का प्रभुख

डूफते सूयज को अर्घमा दे ते हैं। फपय अगरे हदन उगते सूमा

ववकलसत सॊस्कृततमाॊ बी ववलबन्न भाध्मभ से सूमा की

जाती है ।

ऩूजा-अ न ा ा मा अन्म उऩामों से सूमा के प्रतत अऩनी कृतऻता ववलबन्न भाध्मभ से प्रकट कयते आमे हैं।

बगवान याभ से जुड़ी ऩौयाणणक कथा

स्रोत उनकी ऩत्नीमाॊ उषा औय प्रत्मष ू ा हैं। इस लरए छठ

ऩश् ात बगवान याभ, सीता औय रक्ष्भण के साथ

आयाधना होती है । इस लरए प्रात: कार भें सम ू ोदम कार

इस हदन दीऩावरी भनाई जाती है । बगवान याभ के

सभम भें प्रत्मष ू ा को अर्घमा दे कय दो ऩत्नीमों का बी

जराए गए थे। बगवान याभ के याज्मालबषेक के फाद,

ऩौयाणणक भान्मता है फक सूमा की उजाा का भुख्म

एसी भान्मता है फक

ौदह वषों के वनवास के

ऩज ू ा भें सम ू ा के साथ उनकी दोनों ऩत्त्नमों की बी

कातताक अभावस्मा के हदन अमोध्मा रौटे थे इस लरए

भें सम ू ा के साथ उषा का औय सॊध्माकार भें सम ू ाास्त के

वाऩस आने की खस ु ी भें उनके याज्म भें घी के हदमे

ऩज ू न फकमा जाता है ।

याभ याज्म की कल्ऩना कयके याभजी औय सीताजी ने

ई- जन्भ ऩत्रिका (एडवाॊस्ड)

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

7 कातताक शुक्र षष्ठी के हदन व्रत-उऩवास यखकय सूमा की

आयाधना कयके सप्तभी के हदन व्रत ऩूणा फकमा था। सयमू तट ऩय याभ-सीता के इस अनुष्ठान से प्रसन्न होकय बगवान सूमद ा े व ने उन्हें आशीवााद हदमा था। भान्मता हैं तफ से छठ ऩवा भनामा जा यहा है ।

ऩाॊडव से जुड़ी ऩौयाणणक कथा एक अन्म भान्मता है फक जुए भें ऩाॊडव अऩना

याजम हाय कय जॊगर भें बटक यहे थे, इस सॊकट से

भुत्क्त ऩाने के लरए स्वमॊ द्रौऩदी ने सूमद ा े व की आयाधना

कयते हुए छठ का व्रत फकमा था। सूमद ा े व की प्रसन्नता से ऩाॊडवों को आना खोमा याजम, भान-सम्भान, ऩद-

श्रीकृष्ण के ऩि ु से जड़ ु ी ऩौयाणणक कथा ऩौयाणणक कथा के अनुसाय, बगवान श्रीकृष्ण की आठवीॊ

ऩत्नी जाम्फवॊती से ऩुि साम्फ(शाम्फ) हुए । एक फाय साम्फ(शाम्फ) सफ ु ह की फेरा भें स्नान कय यहे थे, तबी गॊगा ामा ऋवष की नजय साम्फ(शाम्फ) ऩय ऩड़ गई। मह

दे ख ऋवष गॊगा ामा आगफफर ू ा हो गए औय शाम्फ को कुष्ठ से ऩीडड़त होने का श्राऩ दे हदमा। त्जससे वह कुष्ठ

प्रततष्ठा सफ ऩुन् प्राप्त हुआ।

भहवषा भनु के ऩि ु से जुड़ी ऩौयाणणक कथा एक अन्म कथा के अनुसाय भहवषा भनु के ऩुि याजा वप्रमव्रत को वववाह के ऩश््मात अधधक सभम फीत जाने के फाद बी कोई सॊतान नहीॊ हुई, तो भहवषा कश्मऩ

योगी हो गमा था। तफ नायद जी ने श्राऩ से भत्ु क्त के

ने ऩुित्े ष्ट मऻ का आमोजन कयाकय उनकी ऩत्नी को

सम ू ा की उऩासना का उऩाम फतामा। दे ववषा नायद जी के

को गबा ठहय गमा, रेफकन यानी ने एक भत ृ ऩुि को

लरए उन्हें 12 स्थानों ऩय सम ू ा भॊहदय की स्थाऩना कय

प्रसाद हदमा। मऻ के प्रबाव व ऋवष के प्रसाद से यानी

कथन से साम्फ(शाम्फ) ने कुष्ठ से भुत्क्त के लरए

जन्भ हदमा, त्जसे दे खकय यानी उस ऺण ही भत्ू ्छा त हो

बगवान सूमा की उऩासना का सॊकर कय, 12 भाह भें

12 जगहों ऩय 12 सूमा उऩासना के तीथों औय उसके तनकट ताराफ का तनभााण कयामा था। जो इस प्रकाय हैं दे वाका,

रोराका,

उराका,

कोणाका,

ऩुवमाका,

अॊजाका,

ऩॊडाका, वेदाका, भाकंडेमाका, दशानाका, फाराका व

ाणका।

साम्फ(शाम्फ) इन्हीॊ सूमा उऩासना केंद्रों भें ऩूजा अ न ा ा

कय व उससे रगे ताराफ भें स्नान कय कुष्ठ योग से

भुक्त हुआ था। आज बी छठ भहाऩवा कयने वारों की आस्था है फक छठ भइमा के प्रताऩ से कुष्ठ योगी तनयोग हो जाता है ।

ाय हदनों का भहाऩवा

ाय हदनों तक

रने

वारा मह भहाऩवा फेहद आस्था, तनष्ठा व ऩवविता के साथ भनामा जाता है ।

ववश्वालभि से जुड़ी ऩौयाणणक कथा

गईं। वप्रमव्रत ने बी प्राण त्मागने का तनश् म फकमा औय भत ृ लशशु को रेकय श्भशान की हदशा भें तनकर गए। उसी सभम षष्ठी दे वी वहाॊ प्रकट हुईं।

याजा ने भत ृ

लशशु को जभीन ऩय यखकय, दे वी को प्रणाभ फकमा। दे वी ने याजा को षष्ठी व्रत कयने का उऩाम फतामा औय भत ृ लशशु को ऩुन् जीववत कय हदमा। याजा लशशु ऩुि को रेकय घय वाऩस रौट गमे औय ववधध-ववधान से षष्ठी दे वी का ऩूजन फकमा।

स्कॊध से जुड़ी ऩौयाणणक कथा एक अन्म कथा के अनस ु ाय दे वी गॊगा ने एक स्कॊध फारक को जन्भ हदमा औय उसे सयकॊडे के वन भें यख

अन्म भान्मता के अनस ु ाय कातताक शक् ु र षष्ठी

हदमा। उसी वन भें छह कातताकाएॊ तनवास कयती थीॊ। उन

बगवान सम ू ा की आयाधना कयते हुए ववश्वालभि के भख ु से आकत्स्भक रुऩ से वेदभाता गामिी प्रकट हो गई थीॊ

ऩारन फकमा। मह स्कॊध फारक को छह कातताकाओॊ ने

के हदन सम ू ाास्त एवॊ सप्तभी के हदन सम ू ोदम के भध्म

तबी से कातताक शुक्र षष्ठी की ततधथ को छठ ऩवा भनामा जा यहा है ।

सफ छह कातताकाओॊ ने उस स्कॊध फारक का रारनफड़ा फकमा मा मह फारक उन्हें कातताक के भाह भें लभरा था इस

कायण

उस

स्कॊध

फारक का नाभ

आगे

कातताकेम ऩड़ गमा। इसी कायण मे छह कातताकाएॊ,

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

8 कातताकेम की षष्ठ भाताएॊ (छठ भाता मा छठी भईमा ) कही गईं। ऩौयाणणक ग्रॊथों भें मह व्रत स्कॊध षष्ठी के नाभ से वणणात है ।

नववववाहहत वधू ने वहाॊ अऩने ऩतत को ऩारकी भें भत ृ

अवस्था भें ऩामा। उसे दे ख नववधू ववराऩ कयने रगी,

त्जसे सुनकय एक वि ृ ा स्िी उसके ऩास आकय फोरी, भैं छठ भाता हूॊ। तुम्हायी सास सदै व भुझसे अऩनी काभना ऩूतता कयवाती यहीॊ है , रेफकन तुम्हायी सास ने सॊकल्ऩ

कातताकेम से जुड़ी ऩौयाणणक कथा एक अन्म कथा के अनस ु ाय, असयु ों के ववनाश के लरए दे वाताओॊ ने दे वी ऩावातीजी व बगवान शॊकयजी के ऩुि कातताकेमजी को अऩना सेनाऩतत तनधाारयत फकमा था। दे वी ऩावाती ने अऩने ऩुि के ववजम प्रात्प्त की काभना हे तु डूफते हुए सूमा को अध्मा दे कय ऩूजन कय औय तनजारा व्रत फकमा। कातताकेमजी के ववजमी होकय रौटने ऩय दे वी ऩावाती ने उदम होते सूमा को ववधध-ववधान से अध्मा दे कय अऩना व्रत तोड़ा था।

कयके बी कबी बी भेया ऩूजन-व्रत नहीॊ फकमा। रेफकन

तुम्हाया, ववराऩ दे खकय भें तम्हाये ऩतत को जीववत कय दे ती हूॊ। तुभ घय जाकय अऩनी सास से इस ववषम भें फात कयना, उससे मह व्रत ववधध-ववधान से सॊऩन्न कयाना। छठ भाता ने उसके ऩतत को जीववत कय हदमा। घय जाकय वधू ने अऩनी सास को सॊऩूणा घटना फताई,

तो सास को अऩनी गरती का अहसास हुआ औय उसने आगे से ववधध-ववधान से सूमा षष्ठी का व्रत कयने का ऩुन् सॊकल्ऩ लरमा था।

सम ू ा षष्ठी ऩवा का वैऻातनक भहत्व

वि ु से जुड़ी ऩौयाणणक कथा ृ ा के ऩि सूमा षष्ठी व्रत की अन्म कथा एक वि ृ ा की कोई

सॊतान नहीॊ थी। कातताक शुक्र सप्तभी के हदन उसने

सॊकल्ऩ फकमा फक महद उसके महाॊ ऩुि होगा तो वह मह

सूमा षष्ठी का व्रत कये गी। सूमा बगवान की कृऩा से उसे

ऩुि की हो गमी, रेफकन वि ृ ाने सूमा षष्ठी का व्रत नहीॊ

फकमा। रड़का फड़ा होगमा, उसकी वववाह मोग्म उम्र हो गामी। वि ृ ा ने रड़के का वववाह कयवा हदमा। एक फाय वि ृ ा रड़का ओय उसकी ऩत्नी घय रौटते सभम वय-वधू

ववद्वानों का कथन हैं की सूमा षष्ठी ऩवा की

ऩयॊ ऩया भें फहुत ही गहया वैऻातनक भहत्व तछऩा है । एसा दे खा गमा है की षष्ठी ततधथ के आसऩास के हदनों भें एक ववशेष खगोरीम फदराव दे खे जाते है , इस दौयान

सूयज की अल्रावाइरेट फकयणों की भािा साभान्म से अधधक होती है । सूयज की अल्रावाइरेट फकयणों के

कुप्रबावों से यऺण कयने का साभर्थमा इस सूमा षष्ठी ऩवा की ऩयॊ ऩया भें है ।

ने एक जॊगर भें ववश्राभ के लरए रुक गमे । रेफकन

नवयत्न जडड़त श्री मॊि

***

शास्ि व न के अनुसाय शुि सव ु णा मा यजत भें तनलभात श्री मॊि के

ायों औय महद

नवयत्न जड़वा ने ऩय मह नवयत्न जडड़त श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनत्श् त स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट के रूऩ भें धायण कयने से व्मत्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रात्प्त होती हैं। व्मत्क्त को एसा आबास होता हैं

जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशब ु दशा का धायण कयने वारे व्मत्क्त

ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं। गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो

जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस प्रकाय के नवयत्न जडड़त श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्वाया शुब भुहूता भें प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से 10,900 से अधधक

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सवा कामा लसवि कव त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊतछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें लसवि (राब) लसवि कव

प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा अवश्म धायण कयना

ाहहमे।

कलच के प्रभुख राब: सवा कामा लसवि कव

के द्वारा

सख ु सभवृ ि औय नल ग्रशों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र

का नाश हो कय सख ु -सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय

जीवन भे सलब प्रकाय के शब ु कामा लसि होते हैं। त्जसे धायण

कयने से व्मत्क्त महद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि होतत हैं औय महद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें वलवजन लळीकयण कव

के लभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस ू ये व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव

के

लभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रक्ष्भी

के अष्ट रुऩ (१)-आहद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)ववजम रक्ष्भी, (७)-ववद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें तंत्र यषा कव

के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,

साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव

के प्रबाव

से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें ळत्रु वलजम कव

के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त

ऩये शातनओ से स्वत् ही छुटकाया लभर जाता हैं। कव कुछ नही त्रफगाड़ सकते। अन्म कव

के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का

ाहकय

के फाये भे अधधक जानकायी के लरमे कामाारम भें सॊऩका कये :

फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा लसवि कव

दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सयु क्षऺत हैं।

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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हय कष्ट दयू होते हैं हनभ ु ान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ से

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम आज हय व्मत्क्त अऩने जीवन भे सबी बौततक सुख साधनो की प्रात्प्त के लरमे बौततकता की दौड भे बागते हुए फकसी न फकसी सभस्मा से ग्रस्त है । एवॊ व्मत्क्त उस सभस्मा

से ग्रस्त होकय जीवन भें हताशा औय तनयाशा भें फॊध जाता है । व्मत्क्त उस सभस्मा से अतत सयरता एवॊ सहजता से भत्ु क्त तो ाहता है ऩय मह सफ केसे होगा? उस की उध त जानकायी के अबाव भें भक् ु त हो नहीॊ ऩाते। औय उसे अऩने जीवन भें आगे गततशीर होने के लरए भागा प्राप्त नहीॊ होता। एसे भे सबी प्रकाय के दख ु एवॊ कष्टों को दयू कयने के लरमे अ क ु औय उत्तभ उऩाम है हनुभान ारीसा औय फजयॊ ग फाण का ऩाठ।

शनभ ु ान चारीवा औय फजयं ग फाण शी क्मु ? क्मोफक वताभान मुग भें श्री हनुभानजी लशवजी के एक

उऩमोगी जानकायी 

हनभ ु ान

ारीसा औय फजयॊ ग फाण के तनमलभत ऩाठ से

हनभ ु ान जी की कृऩा प्राप्त कयना

एसे अवताय है जो अतत शीघ्र प्रसन्न होते है जो अऩने बक्तो

ाहते हैं उनके लरए

प्रस्तत ु हैं कुछ उऩमोगी जानकायी ..

के सभस्त दख ु ो को हयने भे सभथा है । श्री हनुभानजी का नाभ स्भयण कयने भाि से ही बक्तो के साये सॊकट दयू हो जाते हैं।



हनुभानजी जन साधायण भे अत्मॊत रोकवप्रम है । इनके भॊहदय



तनमलभत ऩाठ भें शुिता एवॊ ऩवविता अतनवामा है ।



हनभ ु ान

क्मोफक इनकी ऩूजा-अ न ा ा अतत सयर है, इसी कायण श्री

दे श-ववदे श सवि त्स्थत हैं। अत् बक्तों को ऩहुॊ ने भें अत्माधधक कहठनाई बी नहीॊ आती है । हनुभानजी को प्रसन्न

कऩडे ऩहन कय ही ऩाठ का प्रायम्ब कये ।

से साधायण व्मत्क्त बी त्रफना फकसी ववशेष ऩज ा ा से ू ा अ न

अऩनी दै तनक हदन माा से थोडा सा सभम तनकार रे तो

भत्कायी एवॊ शीघ्र प्रबाव

प्राप्त होता है । 

दीऩ सॊबव न होतो केवर ३ अगयफत्ती जराकय ही ऩाठ कये ।

उसकी सभस्त ऩये शानी से भत्ु क्त लभर जाती है ।



“मश नातो वनु न वन ु ाइ फात शै ना ककवी ककताफ भे



जुडे रोगो के अनब ु त शै ।”



लरखी फात शै , मश स्लमं शभाया ननजी एलं शभाये वाथ

ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ कयते सभम

धऩ ू -दीऩ अवश्म रगामे इस्से

कयना अतत सयर है

हनुभान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के भाध्मभ

तनमलभत योज सुबह स्नान आहदसे तनवत ृ होकय स्व्छ

कुछ ववद्वानो के भत से त्रफना धऩ ू से हनुभान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ प्रबाव हहन होता है ।

महद सॊबव हो तो प्रसाद केवर शि ु घी का ढाए अन्म था न ढाए

जहा तक सॊबव हो हनुभान जी का लसर्ा ध ि (पोटो) यखे।

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महद घय भे अरग से ऩूजा घय की व्मवस्था हो तो वास्तुशास्ि के हहसाफ से भूतता यखना शुब होगा। नही तो हनुभान जी का लसर्ा ध ि (पोटो) यखे।



महद भूतता हो तो ज्मद फडी न हो एवॊ लभट्टी फक फनी नही

एसा प्रमोग कयने वारो से हभाय ववनम्र अनुयोध है कृप्मा



सभस्त दे व शत्क्त मा इश्वयीम शत्क्त का प्रमोग केवर शब ु कामा उद्देश्म की ऩतू ता के लरमे मा जन कल्माण हे तु

भतू ता यखना

कये ।

ाहे तो फेहतय है लसर्ा फकसी धातु मा ऩत्थय

की फनी भतू ता यखे। 



मह ऩाठ नकये ।

यखे। 

प्रत्मऺ दे खा है ।



ज्मादातय दे खा गमा है की १ से अधधक फाय ऩाठ कयने के उद्देश्म से सभम के अबाव भे जल्द से जल्द ऩाठ कने भे

हनुभान जी का पोटो/ भूतता ऩय सुखा लसॊदयू रगाना

रोग गरत उ् ायण कयते है । जो अन उध त है ।

ाहहए।

सभम के अबाव हो तो ज्मादा ऩाठ कयने फक अऩेऺा एक

तनमलभत ऩाठ ऩूणा आस्था, श्रिा औय सेवा बाव से की



यखे।





लसर्ा दे व शत्क्त की आजभाइस के लरमे मह ऩाठ न कये ।



मा फकसी को हातन, नुक्सान मा कष्ट दे ने के उद्देश्म से

महद जीवन भे ऩये शानीमाॊ औय शिु घेये हुए है एवॊ आगे कोइ यास्ता मा उऩाम नहीॊ सुझ यहा तो डये नही तनमलभत ऩाठ कये



जानी

कोइ ऩूजा ऩाठ नकये । 

ही ऩठ कये ऩय ऩूणा तनष्ठा औय श्रिा से कये ।

ाहहए। उसभे फकसी बी तयह की सॊका मा सॊदेह न

एसा कयने ऩय दे व शत्क्त मा इश्वयीम शत्क्त फुया प्रबाव

ऩाठ से ग्रहों का अशब ु त्व ऩण ू ा रूऩ से शाॊत हो जाता है ।

आऩके साये दख ु -ऩये शानीमाॊ दयू होजामेगी अऩनी आस्था एवॊ ववश्वास फनामे यखे।

डारती है मा अऩना कोइ प्रबाग नहह हदखाती! एसा हभने

***

भॊि लसि स्पहटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब

र्रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से अधधक से अधधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के लरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके

लरमे "श्री मॊि" अत्मन्त र्रदामी लसि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सख ु की प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भे सभाई अद्ववतीम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनुष्म की सभस्त शुब इ्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होतत है । त्जस्से

उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनष्ु म असर्रता से सर्रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता

है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सुखो फक प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्माफाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा

व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩये शातन भे न्मुनता आतत है व सुख-सभवृ ि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है ।

गुरुत्ल कामावरम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रब्ध है

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वास्तु: भानलसक अशाॊतत तनवायण उऩाम

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम आज की बागदौड़ से बयी त्जॊदगी भैं हय व्मत्क्त अऩने काभ भें व्मस्त हैं। त्जस कायण से अधधकतय रोग भानलसक शाॊतत से ग्रस्त होते है । व्मस्ता एवॊ बौततकता से बयी हदन ामाा भें व्मत्क्त के ऩास अऩने स्वमॊ के लरए बी वक्त ही नहीॊ होता है। महद आऩ इस तयह की ऩये शानी से ग्रस्त हैं औय आऩ भानलसक कष्ट तनाव इत्मादी से भुत्क्त

ाहते हैं, तो इस वास्तु सुझावो को जीवन भें अवश्म आजभाकय दे ख रे आऩको तनत्श् त राब प्राप्त होगा।

* अऩने शमन कऺ भें यात भें झूठे फतान न यखें। सोने से ऩूवा फतानो को साप कयरे। इससे स्िी वगा का स्वास्र्थम प्रबाववत होता हैं व धन का अबाव फना यहता हैं।

* भानलसक तनाव हो, जाए तो कभये भें शि ु घी का दीऩक जरा

कय

यखें।

* शमन कऺ भें झाड़ू इत्माहद सपाई की साभग्री न यखें। इससे व्मथा की ध त ॊ ा यहे गी।

* महद भानलसक तनाव अधधक हो जाएॊ तो, तफकए के नी े रार

द ॊ न

यखकय सोएॊ राब प्राप्त होगा। * सफ ु ह-सॊध्मा ऩज ू न भें घी औय कऩयू का हदऩ अवश्म जरामे। त्जससे तनवास स्थान मा व्मवसातमक स्थानो से नकायात्भक उजाा दयू होती हैं।

* शास्िोक्त तनमभो के अनुशाय सॊध्मा सभम अथाात धऩ ू -हदऩ के सभम सोना, खाना, स्नान कयना वत्जात भाना गमा हैं। अत् इन कामो को कयने से त्मागदे । *

सॊध्मा सभम अथाात धऩ ू -हदऩ के सभम हाथ-ऩैय धो सकते हैं।

* धऩ ू -हदऩ के सभम अऩने तनवास स्थान मा व्मवसातमक स्थानो ऩय सुगॊधधत व ऩववि अगयफत्त्त, धऩ ु इत्माहद अवश्म कयें ।

* अऩने शमन कऺ भें यात भें झूठे फतान न यखें। सोने से ऩूवा फतानो को साप कयरे। इससे स्िी वगा का स्वास्र्थम प्रबाववत होता हैं व धन का अबाव फना यहता हैं।

* भानलसक तनाव हो, जाए तो कभये भें शुि घी का दीऩक जरा

कय यखें ।

* शमन कऺ भें झाड़ू इत्माहद सपाई की साभग्री न यखें। इससे व्मथा की ध त ॊ ा यहे गी। * महद भानलसक तनाव अधधक हो जाएॊ तो, तफकए के नी े रार

ॊदन यखकय सोएॊ राब प्राप्त होगा।

* सुफह-सॊध्मा ऩूजन भें घी औय कऩूयका हदऩ अवश्म जरामे। त्जससे तनवास स्थान मा व्मवसातमक स्थानो से नकायात्भक उजाा दयू होती हैं।

* शास्िोक्त तनमभो के अनुशाय सॊध्मा सभम अथाात धऩ ू -हदऩ के सभम सोना, खाना, स्नान कयना वत्जात भाना गमा हैं। अत् इन कामो को कयने से त्मागदे । *

सॊध्मा सभम अथाात धऩ ू -हदऩ के सभम हाथ-ऩैय धो सकते हैं।

* धऩ ू -हदऩ के सभम अऩने तनवास स्थान मा व्मवसातमक स्थानो ऩय सुगॊधधत व ऩववि अगयफत्त्त, धऩ ु इत्माहद अवश्म कयें ।

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जऩ भारा का भहत्व

 सॊकरन गुरुत्व कामाारम धभा शास्िों भें भारा को ववशेष भहत्व हदमा गमा हैं। दे वी-दे वता को प्रसन्न कयने हे तु शास्िों भें भारा का ववशेष भहत्व फतामा गमा हैं। भन्ि साधना भें बी भारा का ववशेष भहत्व फतामा गमा हैं। क्मोफक भन्ि साधना की ऩूणा फक्रमा एवॊ सपरता भारा ऩय तनबाय होती हैं। भन्ि के जऩ के सभम भन्िो् ायण की गणना भारा ऩय कयना सुववधाजनक औय सयर होता हैं।

ववद्वानो का कथन हैं की भन्ि जऩ एवॊ इष्ट

राखों की सॊख्मा भें कयने हो तो कय भारा ऩय कयना कष्ट प्रद होता हैं। कय भारा का प्रमोग दै तनक जऩ भें मा छोटी सॊख्मा के जऩ भें फकमा जाता हैं। कय भारा से भन्ि जऩ कयने के कुछ शास्िोक्त तनमभ फताए गए हैं।

लसवि के लरए महद तनत्श् त भारा का प्रमोग फकमा जाए तो वह अधधक कायगय होता हैं। क्मोफक सॊफॊधधत दे वीदे वता की वप्रम वस्तु मा ऩदाथा से फनी होने के कायण

एवॊ उस भें कुछ ववशेष गुण होने से भारा शीघ्र पर प्रदान कयने वारी होती हैं।

भारा का भूर राब होता हैं की भन्िों की गणना

आसानी से हो सके औय दस ू या राब होता हैं शास्िों भें

वणणात हैं की फकसी भारा ववशेष से भन्ि जाऩ कयने से भन्ि जाऩ का प्रबाव कई गुना फढ जाता हैं। आऩके

भागादशान के लरए शास्िोक्त भत बी सॊरग्न फकए गए हैं।

अनालभका

के

भध्म

बाग से नी े की ओय धगने, फपय

कतनष्ठा

अग्रबाग अनालभका

तक। औय

के

भर ू

इसके

से फाद

भध्मभा

के

अग्रबाग होकय तजानी के भर ू तक धगनती कयें । इस प्रकाय से अनालभका के दो, कतनष्ठा के तीन, ऩन ु ्

अनालभका का एक, भध्मभा का एक, औय तजानी के तीन ऩवा कुर लभराकय दस सॊख्मा होती हैं।

इव वलऴम भें ळास्त्रोक्त भत शैं:-

आयम््मानालभका भध्मभ ् ऩलावनमुक्तान्मनुक्रभात ्।

प्रभख ु ग्रंथकायो ने भारा के तीन प्रकाय फतामे शैं। 1) कय भारा

2) वणा भारा 3) भणण भारा

कय भारा: कय भारा जऩ उसे कहते हैं त्जस भें भन्ि का जऩ उॉ गलरमों के ऩोयों ऩय तनत्श् त क्रभ भें फकमा जाता हैं, इस जऩ भें ऩवा के क्रभ ऩय ववशेष ध्मान यखना ऩड़ता हैं। इस लरमे रम्फी अवधध की साधना मा भन्ि जऩ के लरमे मह उऩमुक्त नहीॊ हैं। जफ भन्ि जऩ हजायों -

तजवनीभूरऩमवन्तं जऩेददळवु ऩलववु॥

भध्मभांगुलरभूरे तु मतऩलव दवलतमं बलेत ्।

तं लैं भेरुं वलजानीमज्जाप्ऩेतं नानतरंघमेत ्॥

अथावत: उॉ गुरी के भध्म ऩवा (ऩोय) से आयम्ब कय के

क्रभ से 10 ऩवों ऩय फयाफय जऩे। रेफकन भध्मभ अॊगुरी के जड़ के दो ऩवों को छोड़ दे , क्मोंफक वे अॊगुरी के भेरु हैं औय जऩ भें भेरु का रॊघन नहीॊ फकमा जाता हैं।

कय भारा के इस क्रभ से प्राम् सबी ववद्वान सहभत हैं। रेफकन ववलबन्न अनष्ु ठानो एवॊ साधनाओॊ के अन्तय होने ऩय क्रभ भें फदराव सॊबव हैं। दे ली अनुष्ठान: कुछ ववशेष दे वी अनुष्ठानो भें अनालभका के दो ऩवा,

कतनष्ठा के तीन, ऩुन् अनालभका के अग्रबाग का एक,

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

14 भध्मभा के तीन, औय तजानी के भूर का एक ऩवा कुर

 अऺत, उॊ गरी, ऩुष्ऩ,

रक्ष्भी अनुष्ठान:

लणवभारा:

भन्ि साधना के जानकाय एवॊ ववद्वानो के भत से कुछ

वणाभारा का प्रमोग अन्तय जऩ औय फहहय जऩ दोनो

अनालभका के भर ू भें एक, कतनष्ठा के तीन, अनालभका

वणाभारा जऩ अथाात अऺयों के अऺयों के द्वाया

लभराकय दस सॊख्मा होती हैं।

न्दन, लभट्टी, कॊकड़ आहद का

प्रमोग दशकों की गणना हे तु कयना वत्जात हैं।

ववशेष रक्ष्भी अनुष्ठा भें भध्मभा के भूर भें एक,

प्रकाय के जऩ भें सभान रुऩ से फकमा जाता हैं।

औय भध्मभा के एक-एक अग्रबाग औय तजानी के तीन

अॊख्मा की गणना कयना। इसके जऩ कयने का ववधान

इय अप्रकाय कुर लभराकय दस सॊख्मा ऩण ू ा होती हैं।

मह हैं फक ऩहरे वणाभारा का एक अऺय त्रफन्द ु रगाकय

उ् ायण कयें , फपय भन्ि का, त्जसके कायण भन्ि जऩ

कय भारा ऩय भन्त्र जऩ के ननमभ:  कय भारा ऩय जऩ कयते सभम उॊ गलरमाॊ ऩयस्ऩय एक दस ू ये से जुड़ी हुई यखे, अरग-अरग न यखें।  हथेरी को थोड़ी अॊदय की तयप भुड़ी हुई यखे।

 कय भारा कयते सभम भेरु का उल्रॊघन न कयें । भध्मभा के दो ऩवा को भेरु कहा जाता हैं।  कय भारा कयते सभम ऩवों की सॊधध का स्ऩशा तनवषि भाना गमा हैं।  हाथो को रृदम के साभने उॊ गलरमों को थोड़ी झुकाकय औय वस्ि से ढककय ही जऩ कयना

ाहहए।

 दस की सॊख्मा भें फकए जाने वारे जऩ की धगनती

की कूर सॊख्मा 50 होगी। अ वगा के

= 16

क से ऩ तक के

= 25

म से ह तक के

= 8

ऩुन् एक रकाय कुर

= 1 ________ 50

अ लगव के वोरश लणव इव प्रकाय शैं:-

अ आ इ ई उ ऊ ऋ क रृ ख ए ऐ ओ औ अं अ्

कयने के लरए राख अथाात रऺ, लसन्दयू औय गौ के

क लगव वे ऩ लगव तक के ऩच्चीव लणव इव प्रकाय शैं:-

गोलरमाॊ फनाकय उन्से गणना कयनी

न ऩ प फ ब भ

सख ू े कॊडे (उऩरे) का

ण ू ा कय के इन सफके लभश्रण की ाहहए।

क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध

रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि

श्रीमॊि को सभस्त प्रकाय के श्रीमॊिों भें सवाश्रेष्ठ भाना गमा है औय कुफेय मॊि को दे वताओॊ भें धन के दे वता कुफेय जी

का सफसे प्रबावशारी मॊि भाना जाता हैं इस मॊि के ऩूजन से अऺम धन कोष की प्रात्प्त होती हैं औय भनुष्म के लरए नवीन आम के स्रोत फनते हैं। प्रततहदन रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि का ऩूजन एवॊ दशान कयने से व्मत्क्त को

जीवन भें धन औय ऐश्वमा की कबी बी कभी नहीॊ होती है । ववद्वानों ने अऩने अनुबवों भें ऩामा हैं की जो भनुष्म

अऩने गह ृ स्थ जीवन भें धन, वैबव, ऐश्वमा, सुख-सभवृ ि, व्माऩाय भें सपरता, ववदे श राब, याजनीतत भें सपरता, नौकयी भें ऩदौत्न्न्त आहद की काभना यखता हैं तो उसके लरए श्री रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि सवाश्रेष मॊि हैं।

भनुष्म को रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि के ऩूजन से जीवन के सबी ऺेि भें सुख-सभवृ ि एवॊ सौबाग्म की प्राप्त होने रगती है । महद फकसी व्मत्क्त को व्माऩाय भें महद व्माऩाय भें ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ रगने से कामा कयने ऩय बी अधधक राब की प्रात्प्त नहीॊ हो यही हो, व्माऩाय भॊदा

र यहा हो मा फाय-फाय राब के स्थान ऩय हातन हो यही हो

तो उसे रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि को अवश्म अऩने व्मवसामीक स्थान ऩय स्थावऩत कयना

ाहहए। त्जससे

व्माऩाय भें फाय-फाय होने वारे घाटे मा नुकसान से शीघ्र ही राब प्राप्त होने के मोग फनने रगते हैं। >> Order Now

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

15

साभान्मत् वैष्णवों के लरए तुरसे तथा शैवों,

म लगव वे श काय तक आठ लणव इव प्रकाय शैं:-

म य र ल ळ ऴ व श

शाक्तों के लरए रुद्राऺ की भारा सवोत्तभ भानी गई हैं।

रकाय (ऱकाय) का एल लणव शैं:-

भें दस ू ये ऩदाथा का प्रमोग न फकमा गमा हों।





रेफकन इस फात का ध्मान यहें की एक ऩदाथा की भारा

ऩदाथा की भारा का प्रमोग कयना शीघ्र पर प्रदान

इस प्रकाय ऩ ाय की सॊख्मा हो जाने ऩय फपय रकाय से रौटकय अकाय तक आने ऩय ऩ ास औय हो जामेंगे, इस प्रकाय कुर लभराकय सौ की सॊख्मा ऩूणा हो

कयने वारा होता हैं। 

इसका उल्रॊघन तनवषि हैं।

 सॊस्कृत भें "त्र" औय "स" को स्वतॊि अऺय नहीॊ भाने जाते समुक्त अऺय भाने जाते हैं। इस लरए इन अऺयों की गणना नहीॊ की जाती।

इस कायण गणना भें सात वगा की जगह आठ वगा

ऩदाथों की भारा का प्रमोग कयना  

ाहहए।

इस प्रकाय जऩ की सॊख्मा 108



कॊु वायी

ब्राह्भण

कन्मा

द्वाया

सूत

रुद्राऺ के दानों की भारा फनाते सभम भनके वऩयोते यखना

ाहहए। रुद्राऺ भें भह ु ॊ का बाग कुछ ऊॉ ा

होता है औय ऩ् ु छ का बाग नी ा होता हैं। रुद्राऺ के भनके वऩयोते सभम यखना

जऩ आयोह-अवयोह अथाात उऩय से नी े तथा ऩन ु ् नी े

ाहहमे की दो रुद्राऺ के

दानों के भह ु ॊ से भह ु ॊ ऩयस्ऩय लभरते हों, औय ऩ् ु छ से ऩु्छ ऩयस्ऩय लभरते हों। 

वशीकयण भें यक्त वणा के सूत की भारा का प्रमोग कयें , शाॊतत कभा भें सपेद(श्वेत) वणा के सूत की

भणणभारा:

भारा, अलब ाय कभा भें कृष्ण वणा अथाात कारे वणा

त्जन साधकों को अधधक सॊख्मा भें जऩ कयने हो, उन्हें

के सूत की भारा का प्रमोग कयना राबदामक होता

ाहहए। इस भारा को

हैं। ऐश्वमा एवॊ सॊऩत्त्त की प्रात्प्त के लरमे ये शभी सूत

भणणमों से अथाात भतनमा मा भनकों से वऩयोई होने के कायण ही इसे भणणभारा कहा जाता हैं। मह भारा कई ऩदाथों से फनी हुई होती हैं। भणणभारा यत्न, रुद्राऺ, तर द ॊ न, शॊख, कभरगट्टा (कभर फीज), सव ु सी, ु णा, ाॊदी, कुशभर ू , स्पहटक, भोती, हल्दी, ऩि ु जीवा की फीज

इत्माहद ऩदाथों की भाराएॊ साभान्मत् प्रमोग की जाती हैं।

धागा

सभम रुद्राऺ के भह ु ॊ औय ऩ् ु छ का ववशेष ध्मान

आऻा क्र तक सूि रुऩ भें ववद्मभान हैं। इस प्रकाय मह

भणणभारा का प्रमोग कयना

शास्िोक्त ववधान के अनुसाय भारा भें प्रमोग होने

वारा होता है ।

क्र से

से ऊऩय होता हैं। इस प्रकाय फकमा हुआ जऩ ऩण ू ा एवॊ शीघ्र लसवि प्रदान कयने वारा होता हैं।

ाहहए।

कातकय फनामा फनागा गमा हों, तो शीघ्र परदे ने

इसे अऺय भारा के भणण भाना जाता हैं। इनका भूर सूि कुण्डलरनी शत्क्त हैं, जो भूराधाय

भारा भें कुर 108 भनको के साथ 1 सुभेरु अरग

वारा



हो जाती हैं।

भारा के भनके(दाने) एक सभान आकाय के हो, छोटे

से होना

ॊ टॊ तॊ ऩॊ मॊ शॊ" मह गणना कयके आठ

फाय औय जऩ कयना

ाहहए।

फड़े न हों।

होते हैं। आठवाॊ वगा "शकाय" से प्रायॊ ब होता हैं। इसके द्वाया " अॊ कॊ

अरग-अरग काभनाऩूतता, भन्ि साधना मा अनुष्ठा भें शीघ्र सपरता प्राप्त हो इस लरए बी अरग-अरग

जाती हैं।

 वणा भारा भें "ष" को सुभेरु भाना जाता हैं अत्अ

भन्ि जऩ के लरए सॊफॊधधत दे वी-दे वता से सॊफॊधधत

से फनी भारा का प्रमोग कयना 

ाहहए।

कुछ ववद्वानो का भत हैं की ब्राह्भण वगा के रोगो

कों श्वेत वणा के सूत की भारा, ऺत्रिम वगा के रोगो

कों यक्त वणा के सत ू की भारा, वैश्म वगा के रोगो कों ऩीत वणा के सूत की भारा औय शूद्रों वगा के

रोगो कों कृष्ण वणा के सूत की भारा का प्रमोग कयना श्रेष्ठ होती हैं।

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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यक्त वणा के सूत से फनी भारा का प्रमोग सफ वणों के रोग प्राम् सबी प्रकाय के अनुष्ठान भें कय सकते हैं।



भारा को सोने- ाॊदी के ताय भें बी गूॊथ कय फनामा

भॊि कारी हल्दी 11 नॊग साफत ू कारी हल्दी वजन 18 ग्राभ भाि रु.730/11 नॊग साफत ू कारी हल्दी वजन 27 ग्राभ भाि रु.910/-

सुभेरु के ऩाय गाॊठ तीन पेये की मा ढाई पेये के

हभायें महाॊ कारी हल्दी की गाॊठ एवॊ टुकड़े प्रतत नॊग

भारा का प्रत्मेक भनका वऩयोते सभम इष्ट भन्ि का

550, 730, 910, 1050, 1250, 1450,

रगानी 

ाहहमे।

भें गाॊठ रगाई हुई भारा प्रमोग औय त्रफना गाॊठ रगी भारा का प्रमोग सभान रुऩ से

जा सकता हैं। 

ऩश् मात भाराका सॊस्काय अवश्म कयना मा कयवा रेना

दों भनको के फी

फकमा जा सकता हैं। 

भारा का ववधधवत तनभााण कामा सॊऩन्न हो जानेके

ाहहए।

जऩ मा "ॐ" का उ् ायण कयते यहना

वज़न 3 ग्राभ से 21 ग्राभ तक उऩरब्ध

ाहहए।

ववशुि दोषयहीत उऩमुक्त भारा की प्रात्प्त के फाद मा

रु. 370, 460,

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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अॊग पड़कने से शक ु न अऩशक ु न

 सॊकरन गुरुत्व कामाारम  भानव शयीय के ववलबन्न अॊगों भें कबी कबी पड़क होती हैं।  अॊग पड़क्ने का कायण भानव शयीय भें उतऩन्न होने वारे वामु-ववकाय आहद के कायण शयीय फक भाशऩेशी भें यह यहकय थोडा उबयना औय दफना फतामा जाता हैं।  हभाये बायत भें अॊगो के पड़कने के आधाय ऩय शब ु -

 महद महद भस्तक पड़के तो बूलभ राब लभरने का सॊकेत हैं।  महद महद कॊधा पड़के तो बोग-ववरास भें ववृ ि होने का सॊकेत हैं।  महद दोनों बौंहों के भध्म बाग भें पड़कन होतो सख ु प्रात्प्त का सॊकेत हैं।  महद कऩार पड़के तो शुब कामा होने का सॊकेत हैं।

अशब ु ऻात कयने की धायणा सारो से प्र लरत यही

 महद आॉख का पड़कना धन प्रात्प्त का सॊकेत हैं।

हैं।

 महद आॉख के कोने पड़के तो आधथाक उन्नतत होने

 प्राम् ऩुरुष का दाहहना (Right) अॊग औय स्री का फाॊमा (Left) अॊग पड़कना शब ु भाना जाता हैं।  महद फाएॊ ऩैय की ऩहरी औय आणखयी उॊ गरी पड़के, तो राब होता हैं।  महद दाएॊ ऩैय की ऩहरी औय आणखयी उॊ गरी पड़के तो अशुब होता हैं।  महद ऩाॊव की वऩॊडरीमाॊ पड़कने से काभ भें फाधा उतऩन्न होती हैं एवॊ मह शिु द्वाया ऩये शानी का सॊकेत हैं। दामाॊ घुटना पड़के, तो अशुब पर फक प्रात्प्त औय फामाॊ पड़के, तो शब ु पर फक प्रात्प्त होती हैं।  महद फामाॊ ऩैय पड़कना शुब होता हैं, दामाॊ ऩैय पड़कने से भस ु ीफतों का अॊत होने का सॊकेत हैं।  महद फाईं जाॊघ के पड़कने से दोस्त से सहामता लभरने का सॊकेत हैं।  महद दाईं जाॊघ पड़कने से शिु शाॊत होने का सॊकेत हैं।  महद दाएॊ हाथ का अॊगूठा पड़कने से शुब सभा ाय लभरने का सॊकेत हैं।  महद फाएॊ हाथ का अॊगूठा पड़कने से हानी होने का सॊकेत हैं।

का सॊकेत हैं।  महद आॉखों के ऩास का हहस्सा पड़के तो वप्रम व्मत्क्त से लभरन होने का सॊकेत हैं।  महद हाथों का पड़कना उत्तभ कामा द्वाया धन प्रात्प्त का सॊकेत हैं।  महद वऺ्स्थर का पड़कना ववजम प्रात्प्त का सॊकेत हैं।  महद रृदम पड़के तो इष्ट लसिी प्राप्त होने का सॊकेत हैं।  महद नालब के पड़क्ने से स्िी वगा को हातन होने का सॊकेत हैं।  महद ऩेट का पड़कना कोष ववृ ि होने का सॊकेत हैं।  महद गद फक प्रात्प्त का ु ा का पड़कना वाहन सख ु सॊकेत हैं।  महद कण्ठ के पड़कने से ऐश्वमा राब फक प्रात्प्त का सॊकेत हैं।  महद भुख के पड़कने से लभि द्वाया राब होने का सॊकेत हैं।  महद होठों का पड़कना वप्रम वस्तु की प्रात्प्त का सॊकेत हैं।

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यत्नों का अद्भत ु यहस्म

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम गताॊक से आगे...

ऩन्ना भुख्मत् ऩांच यं गों भें ऩामा जाता शै

1. भमयू ऩॊख के यॊ ग के सभान यॊ ग का

ऩन्ना

2. हये ऩानी के यॊ ग के सभान यॊ ग का

फुध का यत्न ऩन्ना फुध ग्रह के शुब परों की

3. सयसों के ऩुष्ऩ के सभान यॊ ग का

प्रात्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं।

4. हल्का शेन्डूर ऩुष्ऩ के सभान यॊ ग का

ऩन्ना को फुध का यत्न भाना गमा है । ऩन्ना फुध

ग्रह का प्रतततनधध यत्न भाना जाता है

5. तोते के ऩॊख के सभान हये यॊ ग का

ऩन्ना धायण कयने से राब:

इसे ववलबन्न नाभों से ऩुकाया जाता है -



ऩन्ने का ववशेष गुण हैं की वह धायण कताा भें उत्तेजना एवॊ भादक बाव ऩैदा कयता हैं।

हशन्दी भे :- ऩन्ना वस्कृत भे :- ऩन्ना, भयकत, ऩाध , गुरुत्भत, हरयतभणण,



इस लरमे ऩूयातन कार भें याजा-भहायाजा ऩन्ने के

गरुडाॊफकत गयतारय, सौऩणणा, गरुड़ोदग ू ांणा आहद नाभ से

फने धगरासों भें शयाफ ऩीमा कयते थे एसी भान्मता

फ़ायवी भे :-

नशा कई गुना फढ़ जाता हैं।

हैं की ऩन्ने के फने धगरासों शयाफ ऩीने से शयाफ का

जाना जाता हैं।

जभुईद, जभयन,



अंग्रेजी :- एभयाल्ड ऩन्ना

यत्न

को अतत

प्रा ीन

फहुप्र लरत व भूल्मवान भाना जाता हैं। ऩन्ना भूर रुऩ से फैरूज जातत के ऩत्थय भें से एक ववलशष्ठ जातत का ऩत्थय होता हैं।

हैं।  

रेकय हल्के हये यॊ ग का होता हैं। जानकायो की भाने तो



रुस,

ऩाफकस्तान,

कोरत्म्फमा

(अभेरयका),

ब्राजीर,

योडेलशमा(अफ्रीका), लभस्र, सेन्डेवान(अफ्रीका), भेडागास्कय आहद स्थानों से प्राप्त होता हैं। कोरत्म्फमा के ऩन्ना की भाॊग आज फाजायो भें सवााधधक हैं। ऩन्ना ऩायदशॉ औय अऩायदशॉ दोनों तयह के होते है । कभ भूल्म के ऩायदशॉ ऩन्ना यत्न भें प्राम्

ऩन्ना धायण कयने से व्मत्क्त का व

सॊमलभत

हो

जाता

हैं।

ॊ र ध त्त शाॊत

त्जससे

व्मत्क्त

एकाग्र हो जाता है । 

ऩन्ना काभ, क्रोध आहद ववकायों को शाॊत कय व्मत्क्त को असीभ सुख शात्न्त प्रदान कयता हैं।



ववद्या अध्ममन से जुड़े व्मत्क्त को भन की उत्तभ एकाग्रता एवॊ कुशाग्र फुवि की प्रात्प्त हे तु ऩन्ना अवश्म धायण कयना

ाहहए।

फकसी बी यालश यत्न एवॊ उऩयत्न प्राप्त कयने मा

फादर जैसा ये शा मा हल्का-सा जारा होता हैं, दोष यहहत

धायण कयने हे तु सॊऩका कयें ।

ऩन्ना कभ ही प्राप्त होते हैं इस लरमे दोष यहहत ऩन्ना

GURUTVA KARYALAY

का भूल्म अॊतयात्ष्रत फाजायो भें अधधक होता हैं।

को

भानलसक शाॊतत प्राप्त होती हैं औय व्मत्क्त का भन

गहये हयें यॊ ग के ऩन्न सवाश्रेष्ठ होते हैं।

अराव अन्मस्थानो से प्राप्त होता हैं। ववदे शों भें ऩन्ना

ऩन्ना धायण कताा के शयीय भें फर एवॊ वीमा की ववृ ि कयता हैं।

ऩन्ना ऩीरे व गर ु ाफी यॊ ग का बी ऩामा जाता हैं। रेफकन ऩन्ना बायत भें अधधकतय अजभेय व उदमऩयु के

ऩन्ना सत्न्नऩात, दभा, पोडे आहद व्माधधमों को को दयू कयता हैं।

उत्तभ गुणो वारा ऩन्ना हयी भखभरी घास के सभान

अतत सुन्दय हये यॊ ग का होता हैं। ऩन्ना गहये हये यॊ ग से

ऩन्ना धायण कयने से नेियोग एवॊ ज्वयनाशक होता

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

19 भान्मता: 





नाश कयने वारा होता हैं।

भक



असरी ऩन्ने ऩय ऩानी की फूॊद यखने से फूॊद ऩन्ना



असरी ऩन्ने को रकड़ी ऩय यगड़ने से इसकी भें ववृ ि होती है ।



धायण कयने से व्मत्क्त के फर, वीमा औय फवु ि का

ऩन्ना की औय दे खने से आॉखों को शीतरता भहसूस होती हैं।

इसभें बॊगुयता होने के कायण मह जोय से ठोकय रगने ऩय मा धगयने से टूट सकता है ।

 

काॊ

के धगरास भें ऩानी बय कय ऩन्ना को इस

धगरास भें डार दे ने से ऩानी से हये यॊ ग की फकयणे स्पूयीत होती हैं।

योग औय ऩन्ना: 

ऩन्ना धायण कयने से शायीरयक फर एवॊ सौदमा भें ववृ ि होती हैं।



ऩन्ना फुखाय, उल्टी, ववष, फवासीय इत्माहद योगो भें अतत राबदामक हैं।



ऩथयी, भूि योग आहद भें ऩन्ना की बस्भ राबदामक होती हैं।

ऩन्ना के दोऴ 

ववद्वानो के भत से ऩन्ना भें ववशेष कय तनम्न दोष ऩाए जाते हैं, अत् दोष-मुक्त ऩन्ना कबी बी धायण नहीॊ कयना

ाहहए। दोष मुक्त ऩन्ना धायण कयने से

राब के स्थान ऩय हातन हो सकती हैं। 

त्जस ऩन्ने का यॊ ग सोने के सभान हो मा उसका

भकहीन हदखाई दे ता हों, ऎसा



त्जस ऩन्ने भें छोटी-छोटी टूटी हुई धारयमों हदखे, ऎसा ऩन्ना धायण कयने से वॊशववृ ि हे तु हातन कयता हैं।



त्जस ऩन्ने भें गड्ढा हो, ऎसा ऩन्ना धायण कयने से आकत्स्भक दघ ा ना होने की सॊबावना को फढाता हैं। ु ट्



त्जस ऩन्ने भें कारे धब्फे हदखाई दे ते हों, ऎसा ऩन्ना धायण कयना स्िी के लरए हातनकायक



होता हैं।

त्जस ऩन्ने सीधी ये खा हदखाई दे ते हों, ऎसा ऩन्ना धायण कयना धन का कयने वारा होता हैं।

त्जस ऩन्ने को दे ख ने से वह खयु दया हदखाई दे ता हो मा उसका यॊ ग पटा-पटा सा हदखाई दे ता हो, ऎसा ऩना धायण कयने से हातन होती हैं।

>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...

*** भॊि लसि ऩन्ना गणेश बगवान श्री गणेश फवु ि औय लशऺा के कायक

ग्रह फध ु के अधधऩतत दे वता हैं। ऩन्ना गणेश फध ु के सकायात्भक प्रबाव को फठाता हैं एवॊ

हैं।

फ् ो फक ऩढाई हे तु बी ववशेष पर प्रद हैं ऩन्ना गणेश इस

त्जस ऩन्ने भें यक्त वणा के रार छीॊटे हो ऎसा ऩन्ना शहद के यॊ ग के सभान यॊ ग वारा ऩन्ना धायण कयना भाता-वऩता के लरए हातनकायक होता हैं।



सुन्न सा उदास मा

नकायात्भक प्रबाव को कभ कयता हैं।. ऩन्न

धायण कयने से सख ु -सम्ऩतत को नष्ट हो जाती हैं। 

भकहीन हो, उल्टा दे खने से

भख ु ऩीरे यॊ ग का हो, तो इस प्रकाय के ऩन्ना को

धायण कयने से सबी प्रकाय से हातनकायक लसि होता 

जो ऩन्ना दे खने भें

ऩन्ना धायण कयने से धनहातन होती हैं।

ऩन्ना को सूमा की योशनी भे दे खने से हये यॊ ग की छामा तनकरती है |

त्जस ऩन्ने भें जार जैसी ये खाओॊ का सभूह हो ऎसा ऩन्ना धायण कयना स्वास्र्थम के लरए हातन होता हैं।

ऩय फनी यहती है, पैरती नहीॊ हैं। 

त्जस ऩन्ने भें दो से अलशक यॊ ग हो, एसा ऩन्ना

त्जस ऩन्ने भें ऩीरे यॊ ग के छीॊटे हो ऎसा ऩन्ना धायण कयने से सॊतान ऩऺ के लरए हातनकायक होता हैं।

गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन भें ववृ ि भें ववृ ि होती हैं। के प्रबाव से फ् े फक फवु ि कूशाग्र होकय उसके आत्भववश्वास भें बी ववशेष ववृ ि होती हैं। भानलसक अशाॊतत को कभ कयने भें भदद कयता हैं, व्मत्क्त द्वाया अवशोवषत हयी ववफकयण शाॊती

प्रदान कयती हैं, व्मत्क्त के शायीय के तॊि को तनमॊत्रित कयती

हैं। त्जगय, पेपड़े, जीब, भत्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्माहद योग भें सहामक होते हैं। कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हैं।

Rs.550 वे Rs.8200 तक

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

20

प्रकृतत की अरौफकक दे न रुद्राऺ धायण कयने से राब

 सॊकरन गुरुत्व कामाारम गताॊक से आगे...



तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयना भॊदफुवि फ् ों के

फौधधक ववकास के लरए अत्मॊत राबदामक लसि

तीन भख ु ी रुद्राष:

होता हैं। 

तनम्न यक्त ाऩ को दयू कयने भें बी तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयना राबदामक होता हैं।



तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अत्ग्नदे व की कृऩा प्राप्त होती हैं।



तीन भुखी रुद्राऺ से अत्ग्न बम से यऺण होता हैं।

तीनभुखी रुद्राष को धायण कयने का भन्त्र:-

ॐ यॊ हूॊ ह्ीॊ हूॊ ओॊ॥



तीन

भुखी

रुद्राऺ

थोडा रॊफे आकाय भें व

गोराकाय स्वरुऩ दोनो स्वरुऩों भें प्राप्त होता हैं।  

Natural Nepali 5 Mukhi Rudraksha

1 Kg Seller Pack

तीन भुखी रुद्राऺ साऺात अत्ग्न का स्वरुऩ हैं।

तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से गॊलबय फीभारयमों से यऺा होती हैं।



महद कोई रम्फे सभम से योगग्रस्त हैं तो उसके तीन भख ु ी रुद्राऺ धायण कयने से योग से शीघ्र भत्ु क्त लभरती हैं।



तीन भख ु ी रुद्राऺ धायण कयना ऩीलरमा के योगी के लरए अत्माधधक राबकायी होता हैं।



तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से स्पूतता, कामाऺभता भें ववृ ि होती हैं।



जानकायों के भतानुशाय तीन भुखी रुद्राऺ धायण

कयने से स्िी हत्मा इत्माहद ऩाऩों का नाश होता हैं। कुछ ववद्वानो का भत हैं की तीन भुखी रुद्राऺ ब्रह्भ हत्मा के ऩाऩ को नाश कयने भें बी सभथा हैं। 

तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शीत ज्वय दयू होता हैं।



तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अद्भत ु ववद्या की प्रात्प्त होती हैं।

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चाय भख ु ी रुद्राष:

21

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018



ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से वाणी भें लभठास

आती हैं। 

ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भानलसक ववकाय

दयू होते हैं। 

ववद्वानो का कथन है की

ाय भुखी रुद्राऺ के दशान

एवॊ स्ऩशा से धभा, अथा, काभ औय भोऺ इन

ायों

ऩुरुषाथो की शीघ्र प्रात्प्त होती हैं। 

ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से जीव हत्मा के ऩाऩों

का नाश होता हैं। 

ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से हदव्म ऻान की

प्रात्प्त होती हैं।   

ाय भुखी रुद्राऺ साऺात ब्रह्भा का स्वरुऩ हैं।

ाय भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से फौधधक शत्क्त

का ववकास होता हैं। 

ववद्याध्ममन कयने वारे फ् ो के फौधधक ववकास एवॊ स्भयण शत्क्त के ववकास के लरए उत्तभ परदातम लसि होता हैं।

ाय भुखी रुद्राऺ

ाय भुखी रुद्राऺ को अबीष्ट लसविमों को प्राप्त कयने

भें सहामक व कल्माणकायी हैं।

चाय भुखी रुद्राष को धायण कयने का भन्त्र:-

ॐ व्राॊ क्राॊ ताॊ हाॊ ई॥

>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...

***

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

22

वणाभारा के अनुसाय स्वप्न पर वव ाय

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम गताॊक से आगे...

 स्वप्न भें णखरणखराते दे खना दख ु द सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें णखल्री उडाते दे खना स्वजनों से तनयाशा लभरने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें णखरौना दे खना सुख लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें खज ु री होते दे खना योग से छुटकाया लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें ऽश ु ी लभरते दे खना ऩये शानी फढ़ने का  स्वप्न भें खयों

रगना शयीय स्वस्थ होने का सॊकेत

है ।  स्वप्न भें खटभर दे खना जीवन भें सॊघषा फढ़ने का सॊकेत है ।

सॊकेत है ।

 स्वप्न भें खश ु फू रगाते दे खना सम्भान फढ़ने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें खन ू दे खना धन राब लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें खटभर भायते दे खना कहठनाई से छुटकाया

 स्वप्न भें खन ू -खयाफा होते दे खना सौबाग्म ववृ ि होन

 स्वप्न भें खयफूजा दे खना कामा ऺेि भें सपरता

 स्वप्न भें खन ू की वषाा होते दे खना याज्म मा दे श भें

 स्वप्न भें ऽत ऩढ़ना फकसी शुब सभा ाय के लभरने

 स्वप्न भें खन ू भें रुढ़के दे खना धन-सम्ऩतत प्राप्त

 स्वप्न भें खयगोश दे खना स्िी से फेवपाई का सॊकेत

 स्वप्न भें खेर कूद भें बाग रेते दे खना बाग्मोदम

लभरने का सॊकेत है । लभरने का सॊकेत है । का सॊकेत है । है ।

 स्वप्न भें खलरहान दे खना भान-सम्भान फढ़ने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें खटाई खाते दे खना धन हातन होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें खॊबा (रोहे का) दे खना शीघ्र वववाह होने औय कामा भें सपरता लभरने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें खॊबा मा भीनाय दे खना हदधाामु होने औय सख ु शात्न्त फढ़ने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें खारी खहटमा दे खना फकसी फीभायी से कष्ट लभरने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें खारी फतान दे खना कामा भें नक् ु शान होन का सॊकेत है ।

का सॊकेत है ।

अकार ऩड़ने का सॊकेत है । होने का सॊकेत है । होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें खेत दे खना दयू स्थ स्थानो की मािा एवॊ ववद्या, धन की ववृ ि का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें खेत काटते दे खना ऩत्नी से भन भुटाव होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें खोऩडी दे खना फौधधक कामो भें सपरता लभरने का सॊकेत है ।

Manta Siddha

Natural 1 Mukhi

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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 स्वप्न भें गाजय दे खना खेत भें पसर अ्छी होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें गालरमा दे ते दे खना सभाज भें फदनाभी होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें गामिी भॊि का ऩाठ कयते दे खना सकर भनोयथों की ऩूतता एवॊ सुख सभवृ ि फढ़ने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धगरास दे खना अनावश्मक ख ो भें कटोटी  स्वप्न भें गधा दे खना स्वजनो से प्माय लभरने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें गधे ऩय भार रदा हुआ दे खना व्माऩाय भें राब लभरने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें गधे की का सॊकेत है ।

ीख तनकरते सुनना दख ु लभरने

का सॊकेत है ।  स्वप्न भें धगनती कयते दे खना कामा भें हातन होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें धगयधगट दे खना फकसी झगडे भें पसने का सॊकेत

है ।

 स्वप्न भें धगरहयी को दे खना अत्मॊत शुब सॊकेत

है ।

 स्वप्न भें गधे की सवायी कयते दे खना शुब सभा ाय

 स्वप्न भें गीदढ़ को दे खना शिु से कष्ट लभरने का

 स्वप्न भें गाम दे खना उत्तभ धन राब प्राप्त होने

 स्वप्न भें गीरी वस्तु दे खना रम्फी फीभायी से कष्ट

लभरने का सॊकेत है । का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गाम मा फैर को ऩीरे यॊ ग की दे खना याज्म मा दे श भें भहाभायी होने का सॊकेत है ।

सॊकेत है ।

होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गीता दे खना कष्टों से भक् ु त एवॊ शब ु सभम आने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गयभ ऩानी दे खना फुखाय मा अन्म फीभायी

 स्वप्न भें गर ु ाफ के पूर दे खना भान-सम्भान भें

 स्वप्न भें गॊजा लसय दे खना ऩयीऺा भें ऩास होने एवॊ

 स्वप्न भें गड ु खाते दे खना फकसी कामा भें सपरता

होने का सॊकेत है ।

भान-सम्भान फढ़ने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें गरी दे खना, सन ु सान गरी दे खने से राब की प्रात्प्त का सॊकेत एवॊ बीड़-बाड़ वारी गरी दे खने से भत्ृ मु का सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गवाही दे ते दे खना फकसी अऩयाध भें पॊसने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें गभरा दे खना, गभरा खारी दे खने ऩय झभेरे भें पसने का सॊकेत, गभरे भें पूर णखरे दे खने ऩय शुब सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गरी ा अथवा ़ारीन दे खना मा उस ऩय फैठना फकसी वप्रमजन के महाॉ शोक भें शालभर होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें ग्वारा (दध ू वारा) मा ग्वालरन (दध ू वारी) को दे खना शुब पर लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गाड़ी दे खना मािा सपर होने का सॊकेत है ।

ववृ ि का सॊकेत है ।

लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गडु डमा दे खना शीघ्र वववाह होने का मा दाॊऩत्म जीवन भें प्रेभ फढ़ने का, सॊतान सुख लभरने सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गुठरी खाते मा पेंकते दे खना प्र यू भािा भें धन राब प्राप्त होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गें हू दे खना कहठन ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत से धन राब लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गें द दे खना ऩये शानी फढ़ने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें गें दे का पूर दे खना भानलसक अशाॊतत होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें गेरुआ वस्ि दे खना शुब सभम के आगभन का सॊकेत है ।

>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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अॊक ज्मोततष का यहस्म

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम गताॊक से आगे...

भूराॊक 4 स्वाभी याहु भूराॊक 4 स्वाभी ग्रह: याहु लभि अॊक- 1, 5 शिु अॊक- 1, 7 सभ 3,6,8,9 स्व अॊक-4 महद फकसी व्मत्क्त का जन्भ फकसी बी भास की4,13,22 व 31 तायीख को हुवा हैं तो उनका भूराॊक 4 होता है । भूराॊक 4 अॊक के व्मत्क्त अधधक

क्रोधध एवॊ तुनकलभजाज रेफकन फक्रमाशीर वव ाय धाया

वारे होते हैं। व्मत्क्त की प्रकृतत कामा ऺेि भें दस ू यें रोगों से ववऩयीत अधधक साहस ऩूणा होती हैं।

मह भर ू ाॊक 4 ववषेशत् उथर-ऩथ ु र का घोतक हैं।

भर ू ाॊक-4 वारे व्मत्क्त जीवन भें शाॊत होकय फैठ जाएॊ, मह सॊबव नहीॊ हैं। व्मत्क्त की प्रकृतत के अनश ु ाय उसके बाग्मोदम भें तनयॊ तय उताय- ढ़ाव होते यहते हैं।

भूराॊक 4 का स्वाभी ग्रह याहु हैं, इस लरए भूराॊक 4 भें जन्भ रेने वारे व्मत्क्त के उऩय याहु का ववशेष प्रबाव दे खने को लभरता हैं , क्मोफक 4 भूराॊक भें

जन्भ रेने के कायण व्मत्क्त के लबतय याहु ग्रह की अनुकूरता के कायण याहु ग्रह के गुणों का सभावेश अन्म

ग्रहों की अऩेऺा अधधक भािा भें हो जाता हैं। याहु ग्रह के इस ववशेष प्रबावव गुणों के कायण ही व्मत्क्त के लबतय सॊघषा औय साहस ऩूणा कामा कयने के ववशेष गण ु ऩामे जाते हैं। व्मत्क्त की प्रभुखता होती हैं की वह असॊबव

कामा औय आश् माजनक कामा को बी ऩयू ा कयने भें सभथा होते हैं।

भर ू ाॊक 4 के व्मत्क्त अन्म रोगों के भक ु ाफरे

अधधक सॊघषाशीर होते हैं, क्मोकी मह रोग दस ू यों से अरग वव ाय धाया यखते हैं। व्मत्क्त हय फकसी से अऩनी फात भनवाने का प्रमास कयता हैं त्जस कायण व्मत्क्त के लभि बी कबी-कबी शिु फन जाते हैं।

व्मत्क्त

भूराॊक

अ्छे

4

वारे सभाज

सुधायक, ऩौयाणणक प्रथा का

आधतु नक प्रथा भें फदने वारे

होते हैं। व्मत्क्त साभात्जक ऺेिों भें फदराव राने भें अग्रणीम होते हैं ।

व्मत्क्त आसानी से फकसी से शीघ्र घुर-लभर

नहीॊ ऩाते रेफकन एक फाय फकसी से लभिता कयरे तो उसे तनबाने का प्रमत्न कयते हैं।

भर ू ाॊक 4 वारे व्मत्क्त अऩनी गरततमों के कायण

जीवन ऩमान्त ऩये शान यहता हैं , व्मत्क्त ऩय अऩने मा ऩयामे रोग जल्द ववश् ास नहीॊ कय ऩाते। भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त मा तो उन्नतत के सवो्

लशखय ऩय होंगे मा फपय ऩतन के गहये गता भें होते हैं। भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त महद आज उन्नतत की ऩयाकाष्ठा ऩय हैं तो वहीॊ कर गहयी खाई भें होते हैं। व्मत्क्त को फाय-फाय जेर मा कोटा -क हयी के

क्कय काटने ऩड़ते हैं,

इस प्रकाय की द्मटनाएॊ अधधकाॊशत भूराॊक 4 वारे व्मत्क्तमों के जीवन भें ही घहटत होती हैं।

व्मत्क्त अऩने जीवन भें अऩनी गोऩतनम नीततमों से अ ानक आश् माजनक रुऩ से प्रगतत के लशखय ऩय होते हैं। व्मत्क्त हदन दोगतु न यात

ौगतु न यफ्ताय से

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

25 धन-वैबव प्राप्त कयना

ाहते हैं। रेफकन व्मत्क्त को धन

सॊग्रह कयने भें कहठनाई होती हैं। व्मत्क्त की सो

एवॊ

नजरयमा सभाज से लबन्न होता हैं इस कायण व्मत्क्त

व्मत्क्त को ऩाऩा ाय, अनैततक इत्मादी कामा कयने वारे रोगों से दयू यहना

ाहहए औय स्वमॊ बी दयू यहना

ाहहए, अन्मथा व्मत्क्त फकसी औय के फकमे गमे षड़मॊि

को सभाज भें रोक तनॊदा, आरो ना एवॊ ववयोध का

भें शीघ्र पॊस सकते हैं मा फकसी फड़े सॊकट भें त्रफना

साभना कयना ऩड़ता हैं।

वज़ह पॊस सकते हैं। व्मत्क्त को त्रफना कायण जेर की

भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त की साभात्जक कामा भें ववशेष

हवा खानी ऩड़ सकती हैं, इस लरए फकसी एसे कामा जो

भान-सम्भान एवॊ ख्मातत प्राप्त होती है । व्मत्क्त के

हो उससे दयू यहना

रुध

होती हैं इस कायण व्मत्क्त को सभाज भें अ्छा

लबतय अद्भत ू यों के ु कामा दऺता होने के कायण मह दस

सभाज औय कानून की नज़यों भें अनुध त औय अनैततक ाहहए।

व्मत्क्त को प्राम् प्रेभ प्रसॊगों भें असपरता,

लरए एक प्रेयणा स्िोत फन सकते हैं। व्मत्क्त के जीवन

फदनाभी, धोखा आहद लभरते हैं, इस लरए व्मत्क्त को

भें सपरता एवॊ असपरता प्राम् सभान रुऩ से

प्रेभ ऩसॊगों भें ववशेष सावधानी फयतनी

रने के

ाहहए। अऩना

कायण भर ू ाॊक 4 वारे व्मत्क्त अधधकतय ध तॊ तत एवॊ

व्मवहाय औय

तनाव ग्रस्त होते दे खे जाते हैं। व्मत्क्त को सभाज भें

अऩने प्रेभी के साथ-साथ स्वजनों एवॊ सभाज से ववयोध

अऩना ऩद-प्रततष्ठा फनाएॊ यखने के लरए तनयॊ तय प्रमास

एवॊ अऩभान सहना ऩड़ सकता हैं।

यत यहना ऩड़ता हैं। व्मत्क्त हय सभम कुछ नमा कय हदखाने की

ाह यखता हैं , त्जसके लरए वह तनयॊ तय नमे-

नमे शोध एवॊ आववष्काय कयने भें रगे यहते हैं। भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त बौततक सुख साधन एवॊ

ऐशोआयाभ के ऩीछे अधधक धन व्मम कयते हैं त्जस कायण उनके लरए धन सॊग्रह कयना कहठन हो जाता हैं। इस लरए व्मत्क्त को मथा सॊबव अऩनें व्ममों ऩय तनमॊिण कयके धन सॊम

कयने ऩय अधधक ध्मान यखना

ाहहए। व्मत्क्त को धन सॊफॊधधत कामों भें हहसाफ सापसुथया यखना

ाहहए अन्मथा दस ू यों को हदमा गमा ऩैसा

मा उधायी वाऩस नहीॊ लभरेगी औय फकसी से उधाय लरमे

धन मा साभान भें हेया-पेयी इत्माहद कयने से फ े अन्मथा त्जतने भूल्म की हे यापेयी होगी, आऩको उस्से कई गुना अधधक का नुकसान उठाना ऩड़ सकता हैं।

रयि साप-सथ ु या यखें अन्मथा व्मत्क्त को

भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त कबी-कबी इतने स्वाथॉ

हो जाते हैं की वहॊ अऩने कामा-उद्देश्म की ऩूतता के लरए

उध त-अनुध त, नैततक-अनैततक सबी भूल्मों को ताक ऩय यख दे ते हैं, औय केवर अऩने स्वाथा की ऩूतता भें ही रगे यहते हैं, त्जस कायण व्मत्क्त को प्राम् सभम कामा

ऺेि भें असपरता का साभना कयना ऩडाता ा़ हैं। इस लरए भूराॊक

4

वारे

व्मत्क्त

महद

अऩने

स्वबाव

तथा

वव ायधाया भें सुधाय कयते हैं तो व्मत्क्त हय ऺेि भें सपरता प्राप्त कय सकते हैं।

व्मत्क्त गस् ु सेर मा तन ु कलभजाज ककाश स्वबाव

के होने के कायण व्मत्क्त फात-फात भें ध ड़ जाते हैं। व्मत्क्त के भन से अरग कामा हो जाने ऩय मे अऩने आऩे से फाहय हो जाते हैं। रेफकन त्जतनी गतत से क्रोध ढ़ता हैं , उतनी ही तीव्र गतत से वह उतय बी जाता हैं।

भर ू ाॊक 4 वारे व्मत्क्त को फकसी बी प्रकाय के

गस् ु से भें व्मत्क्त अऩना आऩा खों फेठते हैं औय फकसे

को एक फाय फकसी व्मसन की रत रग जाती हैं तो वह

त्जस कायण व्मत्क्त हय फकसी से शित ु ा एवॊ ववयोध कय

व्मसन औय नशे आहद से दयू यहना

ाहहए, महद व्मत्क्त

जल्द नहीॊ छुटती व्मत्क्त नशे का गुराभ हो जाता हैं,

औय अऩनी सॊध त जभा ऩूॊत्ज को नशे के ऩीछे ही ख ा कय दे ता हैं। इसके अरावा व्मत्क्त को जुआ, धत ृ क्रीड़ा, सट्टा, रॉटयी इत्माहद कामों से बी दयू यहना

ाहहए नहीॊ

तो व्मत्क्त इस कामों भें अऩना सफ कुछ खो फैठता हैं।

क्मा फोरना मा कहना

ाहहए इस का होश नहीॊ होता

रेता हैं। व्मत्क्त के जीवन भें शिओ ु ॊ की कभी नहीॊ होती, एक शिु को ऩयास्त कयने ऩय दस नए शिु ऩैदा

हो जामेंगे हैं। व्मत्क्त के शिु ऩीठ ऩीछे कु क्र य ें गे,

षड़मॊि कयते यहें गे रेफकन भुॊह के साभने कुछ बी नहीॊ कय ऩाएॊगे।

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

26 शुब हदन:

भूरांक 4 के व्मक्क्त के लरए कष्ट ननलायक उऩाम

शब वषा 22,31,40,49,58,67,76 वाॊ वषा हैं, ु

ततधथ 4,13,22,31 वषा दामक होती हैं , फकसी कामा भें

सपरता प्राप्त कयने के लरमे इन्हीॊ ततधथ का प्रमोग कयना

ाहहमे, इन ततधथमों भें शतनवाय का हदन ऩड़े तो

फहुत वषा होता हैं।

 आऩका भूरांक के स्वाभी ग्रह याहु के शुब प्रबावो की ववृ ि हे तु आऩ अऩनी भध्मभा उॊ गरी भें गोभेद धायण कय सकते हैं। अऩने ऩूजा स्थान भें प्राण-

प्रततत्ष्ठत याहु मॊि को स्थावऩत कय सकते हैं।  महद आधथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रततत्ष्ठत श्रीमॊि का तनमलभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा।

स्वास्र्थम् व्मत्क्त प्राम् यक्त की कभी से ऩीडड़त यहते हैं। यक्त की कभी से अनेक योग आ घेयते हैं। ऐसे व्मत्क्तमों को रोहतत्व मक् ु त बोजन कयना

ाहहमें।

रने-फपयने तथा ष्वास रेने भें कश्ट होना, पैपड़ो की

खयाफी, अतनद्रा, भ्रभ, हहस्रीयीमा, शदॊ, ऩैयों का पटना

ग्रश ळांनत के लरए व्रत उऩलाव:

व्रत: याहु ग्रह के लरए कोई हदन तनत्श् त नहीॊ फकमा

गमा हैं, इस लरए याहु को प्रसन्न कयने हे तु शतनवाय के हदन व्रत फकमा जा सकता हैं। याहु का व्रत कयने से शिओ ु ॊ ऩय ववजम प्राप्त हैं, सयकायी कामों भें सहमोग

ऩैयों भें ददा , ऩैयों की अन्म फीभारयमाॊ होती हैं। गुदे से

प्राप्त होता हैं, याहु-केतु से सॊफॊधधत सबी योगो का शभन

अस्वस्थ एवॊ तनावग्रस्त यहता हैं। लसय ददा बी ऩामा

ग्रश ळांनत के लरए उऩमुक्त रुद्राष:

सॊफॊधध योग बी हो जाते हैं। व्मत्क्त भानलसक रूऩ से बी जाता हैं। उऩमुक्त आहाय् रौकी,

ककड़ी,

खीया,

अॊगूय,

सेफ,

अनानस,

तुरसी, कारीलभ ा एवॊ हल्दी उऩमोंगी हैं। नषीरी

ीजों

से ऩयहे ज कयें तेज भसारेदाय बोजन से फ ें , षाकाहाय ऩय अधधक ध्मान दें । अनुकूर व्मवसाम:

होता हैं।

आऩका भर ू ांक स्वाभी याहु हैं अत् याहु ग्रह के अशब ु प्रबाव को दयू कयने औय शब ु परों की प्रात्प्त के लरए 8 भख ु ी रुद्राऺ धायण कयना आऩके लरए उऩमक् ु त यहे गा।

आऩ 8 भख ु ी रुद्राऺ के साथ भें 7 भख ु ी मा 14 भख ु ी

औय 9 भख ु ी रुद्राऺ धायण कयने से बी आऩको ववशेष शुब ऩरयणाभो की प्रात्प्त होगी। ळांनत के लरए दान

व्मत्क्त इॊजीतनमय, सेल्सभैन, भुतनभ ;ब्ण ्। ि,

ग्रश:- याशु लाय:- ळननलाय याहु ग्रह फक शाॊतत हेतु कारी वस्तु एवॊ गोभेद, नीरा

जहाज, यॊ ग कामा, टे लरपोन, ओऩये टय, करा, दजॉ,

ततर व तेर का दान कयने से शुबपर फक प्रात्प्त होती हैं

दारू, त्स्प्रट, तेर, केयोसीन, अका, ईि, वामु सेना, जर-

कऩड़ा, कॊफर, साफूत सयसों (याई), ऊनी कऩड़ा, कारे

स्टे नो, वषल्ऩ काय, ववघुत, ठे केदाय, खदान, वकारत,

ग्रश ळांनत के अन्म वयर उऩाम: ा़  भाता-वऩता एवॊ फडे-फुजुगों का सम्भान कयें ।

ये रवे, टे रीग्रापी, ऩिकारयता, तम्फाकू, रेखन, सॊऩादन,

राॊसऩोटा , याजनीतत, ज्मोततष, फीभा, दरारी, ऩुयातत्व ववऻान आहद सॊफॊधधत कामो भें अधधक सपर होते हैं। शब ु हदशा: व्मत्क्त के लरए नौकत्म कोण एवॊ ऩत्श् तभ हदशा अनुकूर होती हैं। व्मत्क्त के लरए क्रीभयॊ ग, नीरा, लभधश्रत, खाकी,

भकदाय, नीरेयॊग के वस्ि अनुकूर एवॊ

बाग्मशारी होते हैं।

 सत्कभा कयते यहें आऩके सबी कामा स्वत् लसवि होते जामेगें।  बगवान लशव, ववष्णु मा भाॉ दग ु ाा का स्भयण कयते हुवे हदन की शुरुवात कयें ।  बोजन कयते सभम लसय ढक कय न यखें औय दक्षऺण हदशा की ओय भुॊह कयके बोजन न कयें ।

 फकसी से दव्ु मावहाय न कयें ।

>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

27

भॊि लसि दर ा साभग्री ु ब कारी हल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900

कभर गट्टे की भारा - Rs- 370

भामा जार- Rs- 251, 551, 751

हल्दी भारा - Rs- 280

धन ववृ ि हकीक सेट Rs-280 (कारी हल्दी के साथ Rs-550)

तुरसी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460

घोडे की नार- Rs.351, 551, 751

नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above

हकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370

नवयॊ गी हकीक भारा Rs- 280, 460, 730

रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190

हकीक भारा (सात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910

नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-145

भॊग ू े की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above

स्पहटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250

ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above

सपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910

वैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460

यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550,

रुद्राऺ भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450

भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above

ववधुत भारा - Rs- 190, 280

कालभमा लसॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above

भल् ू म भें अॊतय छोटे से फड़े आकाय के कायण हैं।

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भॊि लसि स्पहटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩण ू ा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त

शब ु र्रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से अधधक से अधधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के लरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩण ै न्म मक् ू ा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा त ु त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके लरमे "श्री मॊि" अत्मन्त र्रदामी लसि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सख ु की प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भे सभाई अहद्रततम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनष्ु म की सभस्त शब ु इ्छाओॊ को ऩयू ा कयने भे सभथा होतत है । त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनष्ु म असर्रता

से सर्रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सख ु ो फक प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भनष्ु म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से

वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩये शातन भे न्मन ु ता आतत है व सख ु -सभवृ ि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है ।

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गुरुत्ल कामावरम भे ववलबन्न आकाय के "श्री मॊि" उप्रब्ध है

भूल्म:- प्रनत ग्राभ Rs. 28.00 वे Rs.100.00

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सवा कामा लसवि कव त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊतछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें लसवि (राब) लसवि कव

प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा अवश्म धायण कयना

ाहहमे।

कलच के प्रभुख राब: सवा कामा लसवि कव

के द्वारा

सख ु सभवृ ि औय नल ग्रशों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र

का नाश हो कय सख ु -सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय

जीवन भे सलब प्रकाय के शब ु कामा लसि होते हैं। त्जसे धायण

कयने से व्मत्क्त महद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि होतत हैं औय महद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें वलवजन लळीकयण कव

के लभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस ू ये व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव

के

लभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रक्ष्भी

के अष्ट रुऩ (१)-आहद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)ववजम रक्ष्भी, (७)-ववद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें तंत्र यषा कव

के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,

साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव

के प्रबाव

से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें ळत्रु वलजम कव

के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त

ऩये शातनओ से स्वत् ही छुटकाया लभर जाता हैं। कव कुछ नही त्रफगाड़ सकते। अन्म कव

के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का

ाहकय

के फाये भे अधधक जानकायी के लरमे कामाारम भें सॊऩका कये :

फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा लसवि कव

दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सयु क्षऺत हैं।

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GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ Email Us:- [email protected], [email protected] (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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दस भहाववद्या ऩज ू न मॊि Das Mahavidy a Poojan Yantra | Dasmahavidy a Pujan Yantra

दस भहाववद्या ऩूजन मॊि को दे वी दस भहाववद्या

की

शत्क्तमों

से

मुक्त

अत्मॊत

प्रबावशारी औय दर ा मॊि भाना गमा हैं। ु ब इस मॊि के भाध्मभ से साधक के ऩरयवाय ऩय दसो महाविद्याओॊ का आलशवााद प्राप्त होता हैं। दस भहाववद्या मॊि के तनमलभत ऩूजन-दशान से भनुष्म की सबी भनोकाभनाओॊ की ऩूतता होती हैं।

दस

भहाववद्या

इ्छाओॊ

मॊि

साधक

को ऩण ू ा कयने भें

भहाववद्या

मॊि

भनुष्म

को

की

सभस्त

सभथा हैं। दस शत्क्तसॊऩन्न

एवॊ

बूलभवान फनाने भें सभथा हैं। दस भहाववद्या मॊि के श्रिाऩूवक ा ऩूजन से शीघ्र दे वी कृऩा प्राप्त होती हैं औय साधक को दस भहाववद्या दे वीमों की कृऩा से सॊसाय की सभस्त लसविमों की प्रात्प्त सॊबव हैं। दे वी दस भहाववद्या की कृऩा से साधक को धभा, अथा, काभ व ् भोऺ

तुववाध ऩुरुषाथों की प्रात्प्त हो

सकती हैं। दस भहाववद्या मॊि भें भाॉ दग ु ाा के दस अवतायों का आशीवााद सभाहहत हैं, इस लरए दस भहाववद्या मॊि को के ऩूजन एवॊ दशान भाि से व्मत्क्त अऩने जीवन को तनयॊ तय अधधक से अधधक साथाक एवॊ सपर फनाने भें सभथा हो सकता हैं। दे वी के आलशवााद से व्मत्क्त को ऻान, सख ु , धन-सॊऩदा, ऐश्वमा, रूऩ-सौंदमा की प्रात्प्त सॊबव हैं। व्मत्क्त को वादवववाद भें शिओ ु ॊ ऩय ववजम की प्रात्प्त होती हैं।

दश भहाववद्या को शास्िों भें आद्या बगवती के दस बेद कहे गमे हैं, जो क्रभश् (1) कारी, (2) ताया, (3) षोडशी, (4) बव ु नेश्वयी, (5) बैयवी, (6) तछन्नभस्ता, (7) धभ ू ावती, (8) फगरा, (9) भातॊगी एवॊ (10) कभात्त्भका। इस सबी दे वी स्वरुऩों को, सत्म्भलरत रुऩ भें दश भहाववद्या के नाभ से जाना जाता हैं।

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अभोद्य भहाभत्ृ मॊुजम कव

अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज ु म कव



उल्रेणखत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से

ववद्वान ब्राह्भणो द्वारा वला राख भशाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वारा तनलभात कव अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।

अभोद्य् भहाभत्ृ मॊुजम कव कव

फनवाने हे त:ु

अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे कव

अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज ु म कव

दक्षऺणा भाि: 10900

के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु गरु ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें । >> Order Now

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श्री हनुभान मॊि शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनभ ा े व ने ब्रह्भा जी के आदे श ऩय हनभ ु ान जी को बगवान सम ू द ु ान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि का ऩूणा ऻान दॉ ग ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की आयाधना से

ऩुरुषों की ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें

अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वादवववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम,

ोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से

यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं। श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गरु ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।

भल् ू म Rs- 325 वे 12700 तक >> Shop Online | Order Now

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भॊि लसि ऩायद प्रततभा ऩायद श्री मॊि

21 Gram से 5.250 Kg तक

ऩायद रक्ष्भी गणेश

100 Gram

ऩायद रक्ष्भी नायामण

ऩायद रक्ष्भी नायामण

121 Gram

100 Gram

उऩरब्ध ऩायद लशवलरॊग

ऩायद लशवलरॊग+नॊहद

21 Gram से 5.250 Kg तक

101 Gram से 5.250 Kg

उऩरब्ध

तक उऩरब्ध

ऩायद दग ु ाा

82 Gram ऩायद हनुभान 2

100 Gram

ऩायद लशवजी

ऩायद कारी

75 Gram

37 Gram

ऩायद दग ु ाा

ऩायद सयस्वती

ऩायद सयस्वती

100 Gram

50 Gram

225 Gram

ऩायद हनुभान 3

125 Gram

ऩायद हनुभान 1

100 Gram

ऩायद कुफेय

100 Gram

हभायें महाॊ सबी प्रकाय की भॊि लसि ऩायद प्रततभाएॊ, लशवलरॊग, वऩयालभड, भारा एवॊ गुहटका शुि ऩायद भें उऩरब्ध हैं।

त्रफना भॊि लसि की हुई ऩायद प्रततभाएॊ थोक व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हैं। ा़ ज्मोततष, यत्न व्मवसाम, ऩूजा-ऩाठ इत्माहद ऺेि से जुडे फॊध/ु फहन के लरमे हभायें ववशेष मॊि, कव , यत्न, रुद्राऺ व अन्म दर ु ब साभग्रीमों ऩय ववशेष सुत्रफधाएॊ उऩरब्ध हैं। अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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हभाये ववशेष मॊि व्माऩाय लवृ ि मंत्र: हभाये अनब ु वों के अनस ु ाय मह मॊि व्माऩाय ववृ ि एवॊ ऩरयवाय भें सख ु सभवृ ि हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।

बलू भराब मंत्र: बलू भ, बवन, खेती से सॊफॊधधत व्मवसाम से जड़ु े रोगों के लरए बलू भराब मॊि ववशेष राबकायी लसि हुवा हैं।

तंत्र यषा मंत्र: फकसी शिु द्वारा फकमे गमे भॊि-तॊि आहद के प्रबाव को दयू कयने एवॊ बूत, प्रेत नज़य आहद फुयी शत्क्तमों से यऺा हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।

आकक्स्भक धन प्राक्प्त मंत्र: अऩने नाभ के अनुसाय ही भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्प्त हे तु परप्रद हैं इस मॊि के ऩज ू न से साधक को अप्रत्मालशत धन राब प्राप्त होता हैं।

ाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से हो,

धन-सॊऩत्त्त इत्माहद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राप्त हो सकता हैं। हभाये वषों के अनस ु ॊधान एवॊ अनब ु वों से हभने आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि से शेमय रे डडॊग, सोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्माहद सॊफॊधधत ऺेि से जड ु े रोगो को ववशेष रुऩ से आकत्स्भक धन राब प्राप्त होते दे खा हैं। आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि से ववलबन्न स्रोत से धनराब बी लभर सकता हैं।

ऩदौन्ननत मंत्र: ऩदौन्नतत मॊि नौकयी ऩैसा रोगो के लरए राबप्रद हैं। त्जन रोगों को अत्माधधक ऩरयश्रभ एवॊ श्रेष्ठ कामा कयने ऩय बी नौकयी भें उन्नतत अथाात प्रभोशन नहीॊ लभर यहा हो उनके लरए मह ववशेष राबप्रद हो सकता हैं।

यत्नेश्लयी मंत्र: यत्नेश्वयी मॊि हीये -जवाहयात, यत्न ऩत्थय, सोना- ाॊदी, ज्वैरयी से सॊफॊधधत व्मवसाम से जुडे रोगों के लरए अधधक प्रबावी हैं। शेय फाजाय भें सोने- ाॊदी जैसी फहुभल् ू म धातओ ु ॊ भें तनवेश कयने वारे रोगों के लरए बी ववशेष राबदाम हैं।

बलू भ प्राक्प्त मंत्र: जो रोग खेती, व्मवसाम मा तनवास स्थान हे तु उत्तभ बूलभ आहद प्राप्त कयना

ाहते हैं, रेफकन

उस कामा भें कोई ना कोई अड़ न मा फाधा-ववर्घन आते यहते हो त्जस कायण कामा ऩण ू ा नहीॊ हो यहा हो, तो उनके लरए बलू भ प्रात्प्त मॊि उत्तभ परप्रद हो सकता हैं।

गश ु ान, ओफपस, पैक्टयी आहद के लरए बवन प्राप्त कयना ृ प्राक्प्त मंत्र: जो रोग स्वमॊ का घय, दक

ाहते हैं।

मथाथा प्रमासो के उऩयाॊत बी उनकी अलबराषा ऩूणा नहीॊ हो ऩायही हो उनके लरए गह ृ प्रात्प्त मॊि ववशेष उऩमोगी लसि हो सकता हैं।

कैराव धन यषा मंत्र: कैरास धन यऺा मॊि धन ववृ ि एवॊ सुख सभवृ ि हे तु ववशेष परदाम हैं। आधथाक राब एवॊ सुख सभवृ ि हे तु 19 दर ा रक्ष्भी मॊि ु ब

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ववलबन्न रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भहारक्ष्भमै फीज मॊि

कनक धाया मॊि

श्री मॊि (भॊि यहहत)

भहारक्ष्भी फीसा मॊि

वैबव रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सहहत)

रक्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि

श्री श्री मॊि

श्री मॊि (फीसा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीसा मॊि

अॊकात्भक फीसा मॊि

श्री मॊि श्री सूक्त मॊि

रक्ष्भी फीसा मॊि

ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम)

रक्ष्भी गणेश मॊि

(भहान लसवि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)

(रलरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्री भहामॊि)

धनदा मॊि > Shop Online | Order Now

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सवालसविदामक भहु द्रका

इस भहु द्रका भें भग ॊू े को शब ु भह ु ू ता भें त्रिधातु (सव ु णा+यजत+ताॊफें) भें जड़वा कय उसे शास्िोक्त ववधधववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वारा सवालसविदामक फनाने हे तु प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ै न्म मक् ू ा त ु त फकमा जाता हैं। इस भहु द्रका को फकसी बी वगा के व्मत्क्त हाथ की फकसी बी उॊ गरी भें धायण कय

सकते हैं। महॊ भहु द्रका कबी फकसी बी त्स्थती भें अऩववि नहीॊ होती। इस लरए कबी भहु द्रका को उतायने की आवश्मक्ता नहीॊ हैं। इसे धायण कयने से व्मत्क्त की सभस्माओॊ का सभाधान होने रगता हैं। धायणकताा को जीवन भें सपरता प्रात्प्त एवॊ उन्नतत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हैं औय जीवन भें सबी प्रकाय की लसविमाॊ बी शीध्र प्राप्त होती हैं।

भल् ू म भात्र- 6400/-

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वलवलवविदामक भहु द्रका के वलऴम भें अधधक जानकायी के लरमे शे तु वम्ऩकव कयें ।

ऩतत-ऩत्नी भें करह तनवायण हे तु महद ऩरयवायों भें सख ु -सुववधा के सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भें ऩतत-ऩत्नी के त्रफ भे करह होता यहता हैं, तो घय के त्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्वारा शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण ू ा

ैतन्म मक् ु त वशीकयण कव

एवॊ गहृ करह नाशक

डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें त्रफना फकसी ऩूजा, ववधध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय

सकते हैं। महद आऩ भॊि लसि ऩतत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गह ृ करह नाशक डडब्फी फनवाना ाहते हैं, तो सॊऩका आऩ कय सकते हैं।

100 से अधधक जैन मॊि हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभुख, दर ा एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ऩि, ु ब लसरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे उऩरब्ध हैं।

हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, लसरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है।

इसके अरावा आऩकी आवश्मकता अनस ु ाय आऩके द्वारा प्राप्त (ध ि, मॊि, डड़ज़ाईन) के अनरु ु ऩ मॊि

बी फनवाए जाते है. गुरुत्व कामाारम द्वारा उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊडडत एवॊ 22 गेज शि ु कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 ट

शि ु लसरवय ( ाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है। मॊि

के ववषम भे अधधक जानकायी के लरमे हे तु सम्ऩका कयें ।

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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द्वादश भहा मॊि मॊि को अतत प्राध न एवॊ दर ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान ु ब

द्वारा फनामा गमा हैं।

 ऩयभ दर ा वशीकयण मॊि, ु ब

 सहस्िाऺी रक्ष्भी आफि मॊि

 भनोवाॊतछत कामा लसवि मॊि

 ऩूणा ऩौरुष प्रात्प्त काभदे व मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 याज्म फाधा तनवत्ृ त्त मॊि  गहृ स्थ सुख मॊि

 शीघ्र वववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि  योग तनवत्ृ त्त मॊि

 साधना लसवि मॊि  शिु दभन मॊि

उऩयोक्त सबी मॊिो को द्वादश भहा मॊि के रुऩ भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि ऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत एवॊ

ैतन्म मक् ु त फकमे जाते हैं। त्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩज ू ा

अ न ा ा-ववधध ववधान ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं।

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 क्मा आऩके फ् े कुसॊगती के लशकाय हैं?  क्मा आऩके फ् े आऩका कहना नहीॊ भान यहे हैं?  क्मा आऩके फ् े घय भें अशाॊतत ऩैदा कय यहे हैं? घय ऩरयवाय भें शाॊतत एवॊ फ् े को कुसॊगती से छुडाने हे तु फ् े के नाभ से गरु ु त्व कामाारत

द्वारा शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा

ैतन्म मुक्त वशीकयण कव

एवॊ एस.एन.डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩज ू ा, ववधध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। महद आऩ तो आऩ भॊि लसि वशीकयण कव एस.एन.डडब्फी फनवाना

ाहते हैं, तो सॊऩका इस कय सकते हैं।

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: [email protected], [email protected],

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एवॊ

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सॊऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत 22 गेज शुि स्टीर भें तनलभात अखॊडडत

ऩुरुऴाकाय ळनन मंत्र

ऩरु ु षाकाय शतन मॊि (स्टीर भें ) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शतन की कायक धातु शि ु स्टीर(रोहे ) भें फनामा गमा हैं। त्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राप्त होता हैं। महद जन्भ कॊु डरी भें शतन प्रततकूर होने ऩय व्मत्क्त को अनेक कामों भें असपरता प्राप्त होती है, कबी व्मवसाम भें घटा, नौकयी भें ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गह ु ट ृ क्रेश आहद ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी त्स्थततमों भें प्राणप्रततत्ष्ठत ग्रह ऩीड़ा तनवायक शतन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भें ा़ स्थाऩना कयने से अनेक राब लभरते हैं। महद शतन की ढै मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩज ू ना

ाहहए। शतनमॊि के ऩज ू न भाि से व्मत्क्त को भत्ृ मु, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा ,

फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्क्त के लरमे शतन मॊि अधधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आहद के रोगों को ऩदौन्नतत बी शतन द्वारा ही लभरती है अत् मह मॊि अतत उऩमोगी मॊि है त्जसके द्वारा शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है । भल् ू म: 1225 वे 8200 >> Shop Online | Order Now

सॊऩण ू ा प्राणप्रततत्ष्ठत

22 गेज शुि स्टीर भें तनलभात अखॊडडत

शतन तैततसा मॊि

शतनग्रह से सॊफॊधधत ऩीडा के तनवायण हे तु ववशेष राबकायी मॊि।

भल् ू म: 640 वे 12700 >> Shop Online | Order Now

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

नवयत्न जडड़त श्री मॊि

शास्ि व न के अनुसाय शुि सुवणा मा यजत भें तनलभात श्री मॊि के

ायों औय

महद नवयत्न जड़वा ने ऩय मह नवयत्न जडड़त श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनत्श् त स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट के रूऩ भें धायण कयने से व्मत्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रात्प्त होती हैं। व्मत्क्त को एसा आबास होता हैं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशुब

दशा का धायणकयने वारे व्मत्क्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं। गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे

तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस प्रकाय के नवयत्न जडड़त श्री मॊि गरू ु त्व कामाारम द्वाया शब ु भह ु ू ता भें प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से 10,900 से अधधक अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

भॊि लसि वाहन दघ ा ना नाशक भारुतत मॊि ु ट

ऩौयाणणक ग्रॊथो भें उल्रेख हैं की भहाबायत के मुि के सभम अजुन ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुतत ध्वज

एवॊ भारुतत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुि के दौयान हज़ायों-राखों प्रकाय के आग्नेम अस्ि-शस्िों का प्रहाय होने के फाद बी अजन ुा का यथ जया बी ऺततग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृष्ण भारुतत मॊि के इस अद्भत ु यहस्म को जानते थे फक त्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुतत नॊदन कयते हों, वह दघ ा नाग्रस्त कैसे हो सकता हैं। वह यथ मा वाहन तो वामव ु ट ु ेग से, तनफााधधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय ववजम ऩतका

रहयाता हुआ ऩहुॊ ग े ा। इसी लरमे श्री कृष्ण नें अजन ुा के यथ ऩय श्री भारुतत मॊि को अॊफकत कयवामा था। त्जन रोगों के स्कूटय, काय, फस, रक इत्माहद वाहन फाय-फाय दघ ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन ु ट को नऺ ा ना से यऺा के उद्देश्म से अऩने वाहन ऩय भॊि लसि श्री भारुतत मॊि अवश्म ु ान हो यहा हों! उन्हें हानी एवॊ दघ ु ट रगाना

ाहहए। जो रोग रान्स्ऩोहटं ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जड ु े हैं उनको श्रीभारुतत मॊि को अऩने वाहन भें

अवश्म स्थावऩत कयना

ाहहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जड ु े सैकडों रोगों का अनब ु व यहा हैं की श्री भारुतत मॊि

को स्थावऩत कयने से उनके वाहन अधधक हदन तक अनावश्मक ख ो से एवॊ दघ ा नाओॊ से सयु क्षऺत यहे हैं। हभाया ु ट स्वमॊका एवॊ अन्म ववद्वानो का अनुबव यहा हैं, की त्जन रोगों ने श्री भारुतत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हैं, उन

रोगों के वाहन फडी से फडी दघ ा नाओॊ से सुयक्षऺत यहते हैं। उनके वाहनो को कोई ववशेष नुक्शान इत्माहद नहीॊ होता ु ट हैं औय नाहीॊ अनावश्मक रुऩ से उसभें खयाफी आतत हैं।

लास्तु प्रमोग भें भारुनत मंत्र: मह भारुतत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । महद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस ऩय कोई वाद-वववाद हो, तो इ्छा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उध त भूल्म ऩय त्रफक जामे इस लरमे इस भारुतत मॊि का प्रमोग फकमा जा सकता हैं। इस भारुतत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा वववादभुक्त हो जाएगी। इस लरमे मह मॊि दोहयी शत्क्त से मुक्त है ।

भारुतत मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।

श्री हनुभान मॊि

भल् ू म Rs- 325 वे 12700 तक

शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद ा े व ने ब्रह्भा जी के आदे श ऩय

हनुभान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि का ऩूणा ऻान दॉ ग ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुसाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषों की

ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वाद-वववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम,

बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं।

ोय

श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें । भूल्म Rs- 910 वे 12700 तक

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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वललबन्न दे लताओं के मंत्र गणेश मॊि गणेश मॊि (सॊऩण ू ा फीज भॊि सहहत) गणेश लसि मॊि

एकाऺय गणऩतत मॊि

भहाभत्ृ मज ुॊ म मॊि

भहाभत्ृ मज ुॊ म कव

याभ यऺा मॊि याज मॊि

याभ मॊि

भहाभत्ृ मज ॊु म ऩज ू न मॊि

भहाभत्ृ मुॊजम मुक्त लशव खप्ऩय भाहा लशव मॊि

हरयद्रा गणेश मॊि

लशव ऩॊ ाऺयी मॊि

कुफेय मॊि

लशव मॊि

दत्तािम मॊि

द्वादशाऺय ववष्णु भॊि ऩज ू न मॊि ववष्णु फीसा मॊि गरुड ऩज ू न मॊि

ध त ॊ ाभणी मॊि याज

श्री द्वादशाऺयी रुद्र ऩज ू न मॊि

अवद्वतीम सवाकाम्म लसवि लशव मॊि

ध त ॊ ाभणी मॊि स्वणााकषाणा बैयव मॊि

दत्त मॊि

नलृ सॊह ऩज ू न मॊि ऩॊ दे व मॊि

आऩदि ु ायण फटुक बैयव मॊि

सॊतान गोऩार मॊि

हनभ ु ान मॊि

व्मॊकटे श मॊि

कृष्ण फीसा मॊि

हनभ ु ान ऩज ू न मॊि

फटुक मॊि

श्री कृष्ण अष्टाऺयी भॊि ऩज ू न मॊि

कातावीमााजन ुा ऩज ू न मॊि

सवा काभ प्रद बैयव मॊि

व्माऩाय ववृ ि कायक मॊि

सॊकट भो न मॊि वीय साधन ऩज ू न मॊि

दक्षऺणाभतू ता ध्मानभ ् मॊि

भनोकाभना ऩूनतव एलं कष्ट ननलायण शे तु वलळेऴ मंत्र अभत ृ तत्व सॊजीवनी कामा कल्ऩ मॊि

िम ताऩोंसे भत्ु क्त दाता फीसा मॊि

व्माऩाय वधाक मॊि

ववद्यामश ववबूतत याज सम्भान प्रद लसि फीसा

ज्वय तनवायण मॊि

व्माऩायोन्नतत कायी लसि मॊि

सम्भान दामक मॊि

योग कष्ट दरयद्रता नाशक मॊि

बाग्म वधाक मॊि

सख ु शाॊतत दामक मॊि

योग तनवायक मॊि

सवा कामा फीसा मॊि

फारा यऺा मॊि

कामा लसवि मॊि

गबा स्तम्बन मॊि

ववद्मत ु भानस मॊि

सख ु सभवृ ि मॊि

सॊतान प्रात्प्त मॊि

सवा सख ु दामक ऩैंसहठमा मॊि

व्माऩाय ववृ ि मॊि

ववजमयाज ऩॊ दशी मॊि मॊि

स्वत्स्तक मॊि

फारा मॊि

सवा रयवि लसवि प्रद मॊि

भधुभेह तनवायक मॊि

तनाव भक् ु त फीसा मॊि गह ृ करह नाशक मॊि

करेश हयण फत्त्तसा मॊि

प्रसत ू ा बम नाशक मॊि

वशीकयण मॊि

प्रसव-कष्टनाशक ऩॊ दशी मॊि

भोहहतन वशीकयण मॊि

ऋवि लसवि दाता मॊि

शाॊतत गोऩार मॊि

कणा वऩशा नी वशीकयण मॊि

सवा लसवि मॊि

त्रिशर ू फीशा मॊि

वाताारी स्तम्बन मॊि

साफय लसवि मॊि

ऩॊ दशी मॊि (फीसा मॊि मक् ु त प्रकायके)

ायों

वास्तु मॊि

शाफयी मॊि

फेकायी तनवायण मॊि

श्री भत्स्म मॊि

लसिाश्रभ मॊि

षोडशी मॊि

ज्मोततष तॊि ऻान ववऻान प्रद लसि फीसा

अडसहठमा मॊि

वाहन दघ ा ना नाशक मॊि ु ट

ब्रह्भाण्ड साफय लसवि मॊि

अस्सीमा मॊि

कुण्डलरनी लसवि मॊि

ऋवि कायक मॊि

मॊि

क्रात्न्त औय श्रीवधाक

ौंतीसा मॊि

श्री ऺेभ कल्माणी लसवि भहा मॊि

प्रेत-फाधा नाशक मॊि

बत ू ादी व्माधधहयण मॊि

कष्ट तनवायक लसवि फीसा मॊि

भन वाॊतछत कन्मा प्रात्प्त मॊि

बम नाशक मॊि

वववाहकय मॊि

स्वप्न बम तनवायक मॊि

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

39 ऻान दाता भहा मॊि

रग्न ववर्घन तनवायक मॊि

कामा कल्ऩ मॊि

रग्न मोग मॊि

दीधाामु अभत ृ तत्व सॊजीवनी मॊि

दरयद्रता ववनाशक मॊि

कुदृत्ष्ट नाशक मॊि

श्री शिु ऩयाबव मॊि

शिु दभनाणाव ऩज ू न मॊि

भॊि लसि ववशेष दै वी मॊि सधू

आद्य शत्क्त दग ु ाा फीसा मॊि (अॊफाजी फीसा मॊि)

सयस्वती मॊि

भहान शत्क्त दग ु ाा मॊि (अॊफाजी मॊि)

सप्तसती भहामॊि(सॊऩण ू ा फीज भॊि सहहत)

नवाणा मॊि ( ाभड ुॊ ा मॊि)

श्भशान कारी ऩज ू न मॊि

नव दग ु ाा मॊि

कारी मॊि

नवाणा फीसा मॊि

दक्षऺण कारी ऩज ू न मॊि

ाभड ॊु ा फीसा मॊि ( नवग्रह मक् ु त)

सॊकट भोध नी कालरका लसवि मॊि

त्रिशर ू फीसा मॊि

खोडडमाय मॊि

फगरा भख ु ी मॊि

खोडडमाय फीसा मॊि

फगरा भख ु ी ऩज ू न मॊि

अन्नऩण ू ाा ऩज ू ा मॊि

याज याजेश्वयी वाॊछा कल्ऩरता मॊि

एकाॊऺी श्रीपर मॊि

भॊि लसि ववशेष रक्ष्भी मॊि सधू

श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भहारक्ष्भमै फीज मॊि

श्री मॊि (भॊि यहहत)

भहारक्ष्भी फीसा मॊि

श्री मॊि (सॊऩण ू ा भॊि सहहत)

रक्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि

श्री मॊि (फीसा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीसा मॊि

श्री मॊि श्री सक् ू त मॊि

रक्ष्भी गणेश मॊि

रक्ष्भी फीसा मॊि

कनक धाया मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम)

ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩज ू न मॊि

श्री श्री मॊि (श्रीश्री रलरता भहात्रिऩयु सन्ु दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्री भहामॊि)

वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान लसवि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)

अॊकात्भक फीसा मॊि ताम्र ऩत्र ऩय वल ु णव ऩोरीव (Gold Plated)

ताम्र ऩत्र ऩय यजत ऩोरीव (Silver Plated)

ताम्र ऩत्र ऩय (Copper)

साईज 1” X 1”

भल् ू म 550

साईज 1” X 1”

भल् ू म 370

साईज 1” X 1”

भल् ू म 325

2” X 2”

910

2” X 2”

640

2” X 2”

550

3” X 3”

1450

3” X 3”

1050

3” X 3”

910

4” X 4”

2350

4” X 4”

1450

4” X 4”

1225

6” X 6”

3700

6” X 6”

2800

6” X 6”

2350

9” X 9”

9100

9” X 9”

4600

9” X 9”

4150

12” X12”

12700

12” X12”

9100

12” X12”

9100

मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

40

11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018 साप्ताहहक ऩॊ ाॊग दि

माह

पक्ष

11 यवव

कातताक

शक् ु र

12 सोभ

कातताक

13 भॊगर 14

िार

फध ु

विवि

करण समावि

चंद्र समावि रावि

14:23

वणणज

11:06

धनु

-

धतृ त

14:43

फव

12:59

धनु

-

29:36

शर ू

15:25

कौरव

15:22

धनु

09:21

श्रवण

....

गॊड

16:21

गय

18:03

भकय

-

श्रवण

08:44

ववृ ि

17:21

वणणज

07:24

भकय

22:18

समावि

नक्षत्र

समावि

योग

समावि

तथ ु ॉ

23:58

भर ू

24:1

सक ु भाा

शक् ु र

ऩॊ भी

26:8

ऩव ू ााषाढ़

26:37

कातताक

शक् ु र

षष्ठी

28:41

उत्तयाषाढ़

कातताक

शक् ु र

सप्तभी

-

सप्तभी-

7 ततधथ

अष्टभी

ववृ ि 07:24

गरु ु

कातताक

शक् ु र

16 शक्र ु

कातताक

शक् ु र

अष्टभी

10:00

धतनष्ठा

11:45

ध्रुव

18:11

फव

10:00

कॊु ब

-

17 शतन

कातताक

शक् ु र

नवभी

12:13

शतलबषा

14:25

व्माघात

18:43

कौरव

12:13

कॊु ब

-

15

11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018 साप्ताहहक व्रत-ऩवा-त्मौहाय हद

लाय

भाश

ऩष

नतधथ

समावि

11

यवव

कातताक

शक् ु र

तथ ु ॉ

23:58

12

सोभ

कातताक

शक् ु र

ऩॊ भी

26:8

13 भॊगर

कातताक

शक् ु र

फध ु

कातताक

15

गरु ु

कातताक

शक् ु र

16

शक्र ु

कातताक

शक् ु र

14

शक् ु र

षष्ठी

प्रभुख व्रत-त्मोशाय वयदववनामक

तथ ा ष्ठी व्रत ु ॉ व्रत ( ॊद्र.अस्त 19:43 फजे), सूमष

प्रायम्ब, छठऩूजा शुरू-नहाम खाम (त्रफहा., झाय,)

सौबाग्म-राब ऩॊ भी, ऩाण्डव ऩॊ भी, छठ ऩूजा का दस ू या हदन, छठऩूजा का खयना, ऻानऩॊ भी (जैन),

षष्ठी छठ ऩूजा, सूमष ा ष्ठी व्रत, प्रततहायषष्ठी व्रत (लभधथ.), डारा 28:41

छठ, छठ ऩूजा-उऩवास एवॊ सामॊकार अस्तॊगत सूमा को प्रथभ अध्मादान, स्कन्दषष्ठी,

सप्तभी

अरुणोदमकार भें उदीमभान सूमा को द्ववतीम अध्मादान, छठ व्रत -

का ऩायण, सहस्राजन ुा जमन्ती, साभाऩूजा ऩूणणाभा तक (लभधथ.), जगिािी ऩूजा 3 हदन (ऩ.फॊ),

सप्तभी-

7 ततधथ

अष्टभी

ववृ ि 07:24

अष्टभी

10:00

गोऩाष्टभी, गोऩार अष्टभी, श्रीदग ु ााष्टभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााष्टभी व्रत,

सूमा वत्ृ श् क सॊक्राॊतत 18:38 फजे से, अऺमनवभी व्रत, आॊवरा नवभी ऩूजन, भाॉ कूष्भाण्ड नवभी,

17

शतन

कातताक

शक् ु र

नवभी

12:13

अनरा नवभी (ओड़ीसा), सत्ममुगाहद ततधथ, श्रीहॊ स बगवान एवॊ

सनकाहद जमॊती, जगिािी नवभी भहाऩूजा (ऩ.फॊगार), ववष्णु त्रियाि प्रतायॊ ब,

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

41

यालश यत्न भेष यालश:

भग ॊू ा

Red Coral (Special) 5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800

वष ृ ब यालश:

हीया

Diamond (Special)

10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent

Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

लभथन ु यालश:

कका यालश:

लसॊह यालश:

कन्मा यालश:

Green Emerald

Naturel Pearl (Special)

Ruby (Old Berma) (Special)

Green Emerald

ऩन्ना

(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

भोती

5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

भाणेक

Rs. 910 Rs. 1250 Rs. 1450 Rs. 1900 Rs. 2300 Rs. 2800

2.25" 3.25" 4.25" 5.25" 6.25"

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

12500 15500 28000 46000 82000

ऩन्ना

(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

** All Weight In Rati

All Diamond are Full White Colour.

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तुरा यालश:

वत्ृ श् क यालश:

धनु यालश:

कॊु ब यालश:

भीन यालश:

हीया

भग ूॊ ा

ऩख ु याज

भकय यालश:

नीरभ

नीरभ

Diamond (Special)

Red Coral

Y.Sapphire

B.Sapphire

B.Sapphire

Y.Sapphire

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent

Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

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5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800 ** All Weight In Rati

ऩख ु याज

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

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* उऩमोक्त वजन औय भल् ू म से अधधक औय कभ वजन औय भल् ू म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भल् ू म ऩय उप्रब्ध हैं।

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

42

श्रीकृष्ण फीसा मॊि

फकसी बी व्मत्क्त का जीवन तफ आसान फन जाता हैं जफ उसके भें हों। जफ कोई व्मत्क्त का आकषाण दस ु यो के उऩय एक

ायों औय का भाहोर उसके अनरु ु ऩ उसके वश

ुम्फकीम प्रबाव डारता हैं, तफ

सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना अधधक कष्ट व

श्रीकृष्ण फीसा कव

ऩये शानी से सॊऩन्न हो जाते हैं। आज के बौततकता वाहद मुग भें हय व्मत्क्त के लरमे दस ू यो को अऩनी औय खी ने हे तु एक प्रबावशालर

ुॊफकत्व को

कामभ यखना अतत आवश्मक हो जाता हैं। आऩका आकषाण औय व्मत्क्तत्व आऩके

ायो ओय से रोगों को आकवषात कये इस लरमे सयर उऩाम हैं,

श्रीकृष्ण फीवा मंत्र। क्मोफक बगवान श्री कृष्ण एक अरौफकव एवॊ हदवम ॊुफकीम व्मत्क्तत्व के धनी थे। इसी कायण से श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के ऩूजन एवॊ दशान से आकषाक व्मत्क्तत्व प्राप्त होता हैं। श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के साथ व्मत्क्तको दृढ़ इ्छा शत्क्त एवॊ उजाा प्राप्त होती हैं, त्जस्से व्मत्क्त हभेशा एक बीड भें हभेशा आकषाण का केंद्र यहता हैं। महद फकसी व्मत्क्त को अऩनी प्रततबा व आत्भववश्वास के स्तय भें ववृ ि, अऩने लभिो व ऩरयवायजनो के त्रफ

भें रयश्तो भें सुधाय कयने की

ई्छा होती हैं उनके लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र का ऩूजन एक सयर व सुरब भाध्मभ सात्रफत हो सकता हैं। श्रीकृष्ण फीवा मंत्र ऩय अॊफकत शत्क्तशारी ववशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ अॊको से व्मत्क्त को अद्द्भत ु आॊतरयक शत्क्तमाॊ प्राप्त होती हैं जो व्मत्क्त को सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भें अग्रणणम फनाने भें सहामक लसि होती हैं।

श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के ऩूजन व तनमलभत दशान के भाध्मभ से बगवान

रोग उसकी सहामता एवॊ

श्रीकृष्ण

फीसा

कव

को

केवर

ववशेष शुब भुहुता भें तनभााण फकमा जाता

हैं।

कव

को

ववद्वान

कभाकाॊडी ब्राहभणों द्वाया शुब भुहुता भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी

भॊिो

द्वाया

प्रततत्ष्ठत ऩूणा

लसि

प्राण-

त ै न्म मुक्त कयके

तनभााण फकमा जाता हैं। त्जस के

पर स्वरुऩ धायण कयता व्मत्क्त को शीघ्र ऩूणा राब प्राप्त होता हैं। कव

को गरे भें धायण कयने से

वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हैं। गरे

भें

धायण

कयने

से

कव

हभेशा रृदम के ऩास यहता हैं त्जस्से व्मत्क्त ऩय उसका राब अतत तीव्र एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हैं। भर ू म भात्र: 2350 >>Order Now

श्रीकृष्ण का आशीवााद प्राप्त कय सभाज भें स्वमॊ का अद्ववतीम स्थान स्थावऩत कयें । श्रीकृष्ण फीवा मंत्र अरौफकक ब्रह्भाॊडीम उजाा का सॊ ाय कयता हैं, जो एक प्राकृत्त्त भाध्मभ से व्मत्क्त के बीतय सद्दबावना, सभवृ ि, सपरता, उत्तभ स्वास्र्थम, मोग औय ध्मान के लरमे एक शत्क्तशारी भाध्मभ हैं! 

श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के ऩूजन से व्मत्क्त के साभात्जक भान-सम्भान व ऩद-प्रततष्ठा भें ववृ ि होती हैं।



ववद्वानो के भतानुसाय श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग केंहद्रत कयने से व्मत्क्त फक होकय शीघ्र उ्



ेतना शत्क्त जाग्रत

स्तय को प्राप्तहोती हैं।

जो ऩुरुषों औय भहहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना

ाहते हैं औय उन्हें अऩनी औय आकवषात कयना

हैं। उनके लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र उत्तभ उऩाम लसि हो सकता हैं। 

ऩतत-ऩत्नी भें आऩसी प्रभ की ववृ ि औय सख ु ी दाम्ऩत्म जीवन के लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र राबदामी होता हैं।

भल् ू म:- Rs. 910 से Rs. 12700 तक उप्रब्ि >> Shop Online

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ाहते

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

43

जैन धभाके ववलशष्ट मॊिो की सू ी

श्री

ौफीस तीथंकयका भहान प्रबाववत

श्री

ोफीस तीथंकय मॊि

भत्कायी मॊि

श्री एकाऺी नारयमेय मॊि सवातो बद्र मॊि

कल्ऩवऺ ृ मॊि

सवा सॊऩत्त्तकय मॊि

ध त ॊ ाभणी ऩाश्वानाथ मॊि

सवाकामा-सवा भनोकाभना लसविअ मॊि (१३० सवातोबद्र मॊि)

ध त ॊ ाभणी मॊि (ऩैंसहठमा मॊि)

ऋवष भॊडर मॊि

ध त ॊ ाभणी

जगदवल्रब कय मॊि

श्री

क्र मॊि

क्रेश्वयी मॊि

ऋवि लसवि भनोकाभना भान सम्भान प्रात्प्त मॊि

श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि श्री घॊटाकणा भहावीय सवा लसवि भहामॊि

(अनब ु व लसि सॊऩण ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)

ऋवि लसवि सभवृ ि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि ववषभ ववष तनग्रह कय मॊि

श्री ऩद्मावती मॊि

ऺुद्रो ऩद्रव तननााशन मॊि

श्री ऩद्मावती फीसा मॊि

फह ृ ् क्र मॊि

श्री ऩाश्वाऩद्मावती ह्ींकाय मॊि

वॊध्मा शब्दाऩह मॊि

ऩद्मावती व्माऩाय ववृ ि मॊि

भत ृ वत्सा दोष तनवायण मॊि

श्री ऩाश्वानाथ ध्मान मॊि

फारग्रह ऩीडा तनवायण मॊि

श्री ऩाश्वानाथ प्रबक ु ा मॊि

रधद ु े व कुर मॊि

भणणबद्र मॊि

उवसग्गहयॊ मॊि

श्री मॊि

श्री ऩॊ

श्री रक्ष्भी प्रात्प्त औय व्माऩाय वधाक मॊि

ह्ीॊकाय भम फीज भॊि

श्री रक्ष्भीकय मॊि

वधाभान ववद्या ऩट्ट मॊि

रक्ष्भी प्रात्प्त मॊि

ववद्या मॊि

भहाववजम मॊि

सौबाग्मकय मॊि

ववजमयाज मॊि

डाफकनी, शाफकनी, बम तनवायक मॊि

ववजम ऩतका मॊि

बत ू ाहद तनग्रह कय मॊि

ववजम मॊि

ज्वय तनग्रह कय मॊि

लसि क्र भहामॊि

शाफकनी तनग्रह कय मॊि

दक्षऺण भख ु ाम शॊख मॊि

आऩत्त्त तनवायण मॊि

दक्षऺण भख ु ाम मॊि

शिभ ु ख ु स्तॊबन मॊि

श्री धयणेन्द्र ऩद्मावती मॊि

काॊक वॊध्मादोष तनवायण मॊि

बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक)

नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका ववलशष्ट मॊि भॊगर भहाश्रत ृ स्कॊध मॊि

मंत्र के वलऴम भें अधधक जानकायी शे तु वंऩकव कयें ।

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44

घॊटाकणा

भहावीय

सवा

लसवि

भहामॊि

को

स्थाऩीत कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩण ू ा होती हैं। सवा प्रकाय के योग बत ू -प्रेत आहद उऩद्रव से यऺण होता हैं। जहयीरे औय हहॊसक प्राणीॊ से सॊफॊधधत बम दयू होते हैं। अत्ग्न बम, हैं।

ोयबम आहद दयू होते

दष्ु ट व असयु ी शत्क्तमों से उत्ऩन्न होने वारे

बम से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हैं।

मॊि के ऩज ू न से साधक को धन, सख ु , सभवृ ि,

ऎश्वमा, सॊतत्त्त-सॊऩत्त्त आहद की प्रात्प्त होती हैं।

साधक की सबी प्रकाय की सात्त्वक इ्छाओॊ की ऩतू ता होती हैं।

महद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय

वशीकयण, भायण, उ् ाटन इत्माहद जाद-ू टोने वारे प्रमोग फकमे गमें होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नष्ट हो जाते हैं औय बववष्म भें महद कोई प्रमोग कयता हैं तो यऺण होता हैं।

कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका

मॊि से जुडे अद्द्भत ु व यहे हैं। महद घय भें श्री ु अनब घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थावऩत फकमा हैं औय महद कोई इषाा, रोब, भोह मा शित ु ावश महद अनधु त कभा कयके फकसी बी उद्देश्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हैं तो मॊि के

प्रबाव से सॊऩण ू ा ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हैं, कबी-कबी शिु के द्वाया फकमा गमा अनधु त कभा

शिु ऩय ही उऩय उरट वाय होते दे खा हैं। भल् ू म:- Rs. 2350 वे Rs. 12700 तक उप्रब्द्ि >> Shop Online | Order Now वंऩकव कयें । GURUTVA KARYALAY Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Email Us:- [email protected], [email protected]

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45

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

अभोघ भहाभत्ृ मॊुजम कव

अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव

व उल्रेणखत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से

ववद्वान ब्राह्भणो द्वाया वला राख भशाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वाया तनलभात फकमा जाता हैं इस लरए कव

अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।

अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव कव

फनवाने हे तु:

अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

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अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव

दक्षऺणा भाि: 10900

याशी यत्न एवॊ उऩयत्न ववशेष मॊि हभायें महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने- ाॊहदताम्फे भें आऩकी आवश्मक्ता के अनस ु ाय फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी

आवश्मक डडजाईन के अनुसाय २२ गेज सबी साईज एवॊ भल् ू म व क्वालरहट के

असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध हैं।

शुि ताम्फे भें अखॊडडत फनाने की ववशेष सवु वधाएॊ उऩरब्ध हैं।

हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भल् ू म ऩय उऩरब्ध हैं। ज्मोततष कामा से जड ु े फध/ु फहन व यत्न व्मवसाम से जड ु े रोगो के लरमे ववशेष भल् ू म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म सवु वधाएॊ उऩरब्ध हैं।

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ा़

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

46

11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018 -ववशेष मोग कामा लसवि मोग 11

प्रात् 05:50 से यात 12:03 तक

त्रत्रऩष्ु कय मोग (तीनगन ु ा पर दामक )

प्रात् 04:22 से प्रात् 05:38 तक

14

वलघ्नकायक बद्रा प्रात् 10:54 से यात 11:44 तक

11

(ऩातार)

प्रात् 07:04 से यात 08:24 तक

15

(ऩर्थ ृ वी)

मोग पर :

 कामा लसवि मोग भे फकमे गमे शब ु कामा भे तनत्श् त सपरता प्राप्त होती हैं, एसा शास्िोक्त व न हैं।  त्रिऩष्ु कय मोग भें फकमे गमे शब ु कामो का राब तीन गन ु ा होता हैं। एसा शास्िोक्त व न हैं।  शास्िोंक्त भत से ववर्घनकायक बद्रा मोग भें शब ु कामा कयना वत्जात हैं।

दै तनक शब ु एवॊ अशब ु सभम ऻान तालरका गुलरक कार (शुब)

मभ कार (अशुब) सभम अवधध

याहु कार (अशुब) सभम अवधध

यवववाय

03:00 से 04:30

12:00 से 01:30

04:30 से 06:00

सोभवाय

01:30 से 03:00

10:30 से 12:00

07:30 से 09:00

भॊगरवाय

12:00 से 01:30

09:00 से 10:30

03:00 से 04:30

फुधवाय

10:30 से 12:00

07:30 से 09:00

12:00 से 01:30

गरु ु वाय

शक्र ु वाय

09:00 से 10:30 07:30 से 09:00

06:00 से 07:30

03:00 से 04:30

01:30 से 03:00

शतनवाय

06:00 से 07:30

01:30 से 03:00

09:00 से 10:30

वाय

सभम अवधध

10:30 से 12:00

Beautiful Stone Bracelets  Lapis Lazuli Bracelet

 Amethyst Bracelet

 Amanzonite Bracelet

 Pearl Bracelet

 Red Carnelian Bracelet

 Sodalite Bracelet

 Druzy Agate Beads Bracelet

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 Black Obsidian Bracelet

 Smoky Quartz Bracelet

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 White Agate Bracelet

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 Unakite Bracelet  Calcite Bracelet

 Yellow Jade Bracelet

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 Snow Flakes Bracelet

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

47

हदन के

ौघडडमे

सभम

यवववाय

सोभवाय

भॊगरवाय फध ु वाय गरु ु वाय

शक्र ु वाय

शतनवाय

06:00 से 07:30

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

07:30 से 09:00

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

09:00 से 10:30

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

10:30 से 12:00

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

12:00 से 01:30

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

01:30 से 03:00

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

03:00 से 04:30

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

04:30 से 06:00

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

यात के

ौघडडमे

सभम

यवववाय

सोभवाय

भॊगरवाय

फुधवाय गुरुवाय

शुक्रवाय

शतनवाय

06:00 से 07:30

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

07:30 से 09:00

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

09:00 से 10:30

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

10:30 से 12:00

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

12:00 से 01:30

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

01:30 से 03:00

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

03:00 से 04:30

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

04:30 से 06:00

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

शास्िोक्त भत के अनस ु ाय महद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शब ु भह ु ू ता मा शब ु सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भें

सपरता प्राप्त होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हैं। इस लरमे दै तनक शब ु सभम

ौघडड़मा दे खकय प्राप्त फकमा जा

सकता हैं।

नोट: प्राम् हदन औय यात्रि के

ौघडड़मे फक धगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हैं। प्रत्मेक ौघडड़मे फक अवधध

1 घॊटा 30 लभतनट अथाात डेढ़ घॊटा होती हैं। सभम के अनुसाय

ौघडड़मे को शुबाशुब तीन बागों भें फाॊटा जाता हैं, जो क्रभश्

शुब, भध्मभ औय अशुब हैं।

* हय कामा के लरमे शब ु /अभत ृ /राब का

ौघडडमे के स्वाभी ग्रह शब ु

ौघडडमा

ौघडडमा स्वाभी ग्रह

शुब

गुरु

राब

फुध

अभत ृ

द्र ॊ भा

भध्मभ

ौघडडमा

ौघडडमा स्वाभी ग्रह य

शुक्र

अशब ौघडड़मा ु ौघडडमा

उद्बेग कार योग

स्वाभी ग्रह सूमा

शतन भॊगर

ौघडड़मा उत्तभ भाना जाता हैं।

* हय कामा के लरमे का

र/कार/योग/उद्वेग

ौघडड़मा उध त नहीॊ भाना जाता।

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

48

हदन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक

वाय

1.घॊ

2.घॊ

3.घॊ

4.घॊ

5.घॊ

6.घॊ

7.घॊ

8.घॊ

9.घॊ

यवववाय

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

ॊद्र

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गरु ु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

शतन

गरु ु

भॊगर

शतन

गुरु

सोभवाय भॊगरवाय

ॊद्र

भॊगर

फध ु वाय

फध ु

शक्र ु वाय

शक्र ु

गरु ु वाय

शतनवाय यवववाय सोभवाय

शतन ॊद्र

गुरु

शतन

गरु ु

भॊगर

शतन

गुरु

भॊगर

गुरु

भॊगर

सम ू ा

गुरु

भॊगर

शतन

गरु ु

फध ु

सम ू ा ॊद्र

भॊगरवाय

शतन

फध ु

फध ु वाय

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शक्र ु वाय

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

शतनवाय

ॊद्र

फध ु

शक्र ु

फध ु

गुरु भॊगर सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

ॊद्र

शक्र ु

फध ु

ॊद्र

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शक्र ु

फध ु

ॊद्र

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

भॊगर सम ू ा

शक्र ु

फध ु

गुरु भॊगर सम ू ा

शक्र ु

शतन

गरु भॊगर ु

ॊद्र

ॊद्र

शतन ॊद्र

फध ु

यात फक होया – सम ू ाास्त से सम ू ोदम तक

शक्र ु

गरु ु वाय

भॊगर सम ू ा

ॊद्र

ॊद्र

शतन

शतन ॊद्र

फध ु

शतन

गुरु भॊगर

शतन ॊद्र

सम ू ा ॊद्र

गरु ु

भॊगर

शतन

गुरु

10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ भॊगर

शतन

गुरु

भॊगर

शतन

गरु ु

ॊद्र

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

भॊगर फध ु

ॊद्र

शतन

गुरु

शक्र ु

ॊद्र

ॊद्र

ॊद्र

शतन ॊद्र

फध ु

सम ू ा ॊद्र

गुरु

शतन सम ू ा ॊद्र

भॊगर

होया भह ु ू ता को कामा लसवि के लरए ऩण ू ा परदामक एवॊ अ क ू भाना जाता हैं, हदन-यात के २४ घॊटों भें शब ु -अशब ु सभम को सभम से ऩव ू ा ऻात कय अऩने कामा लसवि के लरए प्रमोग कयना

ाहहमे।

वलद्वानो के भत वे इक्च्छत कामव लववि के लरए ग्रश वे वंफधं धत शोया का चन ु ाल कयने वे वलळेऴ राब प्राप्त शोता शैं।

 सूमा फक होया सयकायी कामो के लरमे उत्तभ होती हैं। 

द्र ॊ भा फक होया सबी कामों के लरमे उत्तभ होती हैं।

 भॊगर फक होया कोटा -क ये ी के कामों के लरमे उत्तभ होती हैं।  फुध फक होया ववद्या-फुवि अथाात ऩढाई के लरमे उत्तभ होती हैं।  गुरु फक होया धालभाक कामा एवॊ वववाह के लरमे उत्तभ होती हैं।  शुक्र फक होया मािा के लरमे उत्तभ होती हैं।  शतन फक होया धन-द्रव्म सॊफॊधधत कामा के लरमे उत्तभ होती हैं।

49

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सवा योगनाशक मॊि/कव भनुष्म अऩने जीवन के ववलबन्न सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता हैं। उध त उऩ ाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुत्क्त लभर जाती हैं, रेफकन कबी-कबी साध्म योग होकय बी असाध्म होजाते हैं, मा कोइ असाध्म योग से ग्रलसत होजाते हैं। हजायो राखो रुऩमे ख ा कयने ऩय बी अधधक राब प्राप्त नहीॊ हो ऩाता। डॉक्टय द्वारा हदजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के लरमे कायगय सात्रफत होती हैं, एसी त्स्थती भें राब प्रात्प्त के लरमे व्मत्क्त एक डॉक्टय से दस ू ये डॉक्टय के

क्कय रगाने

को फाध्म हो जाता हैं।

बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊतत हे तु ववलबन्न आमव ु ेय औषधो के अततरयक्त मॊि, भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भें कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा फकमा था। फुविजीवो के भत से जो व्मत्क्त जीवनबय अऩनी हदन माा ऩय तनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हैं, एसे व्मत्क्त को ववलबन्न योग से ग्रलसत होने की सॊबावना कभ होती हैं। रेफकन आज के फदरते मुग भें एसे व्मत्क्त बी बमॊकय योग से ग्रस्त होते हदख जाते हैं। क्मोफक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हैं। एवॊ भत्ृ मु तनत्श् त हैं त्जसे ववधाता के अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता,

रेफकन योग होने फक त्स्थती भें व्मत्क्त योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हैं। इस लरमे मंत्र भंत्र एलं तंत्र के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्क्त योगो से भत्ु क्त ऩाने का मा उसके प्रबावो को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हैं।

ज्मोनतऴ विद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को

उजागय कय सकते हैं। ज्मोततष शास्ि के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग लभरता हैं, जहा आधतु नक ध फकत्सा शास्ि अऺभ होजाता हैं वहा ज्मोततष शास्ि द्वाया योग के भूर(जड़) को ऩकड कय उसका तनदान कयना राबदामक एवॊ उऩामोगी लसि होता हैं। हय व्मत्क्त भें रार यॊ गकी कोलशकाए ऩाइ जाती हैं, त्जसका तनमभीत ववकास क्रभ फि तयीके से

होता यहता हैं। जफ इन कोलशकाओ के क्रभ भें ऩरयवतान होता है मा ववखॊडडन होता हैं तफ व्मत्क्त के शयीय भें स्वास्र्थम सॊफॊधी ववकायो उत्ऩन्न होते हैं। एवॊ इन कोलशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हैं। त्जस्से योगो के होने के कायण व्मत्क्त के जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गो य त्स्थती से प्राप्त होता हैं। सवा योग तनवायण कव

एवॊ भहाभत्ृ मॊुजम मॊि के भाध्मभ से व्मत्क्त के जन्भाॊग भें त्स्थत कभजोय

एवॊ ऩीडडत ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक ा फकमा जासकता हैं। जेसे हय व्मत्क्त को ब्रह्भाॊड फक उजाा एवॊ ऩर्थ ृ वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हैं हठक उसी प्रकाय कव

एवॊ

मॊि के भाध्मभ से ब्रह्भाॊड फक उजाा के सकायात्भक प्रबाव से व्मत्क्त को सकायात्भक उजाा प्राप्त होती हैं त्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भक् ु त कयने हे तु सहामता लभरती हैं। योग तनवायण हे तु भहाभत्ृ मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हैं। त्जस्से हहन्द ू सॊस्कृतत का प्राम् हय

व्मत्क्त भहाभत्ृ मुॊजम भॊि से ऩरयध त हैं।

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

50 कलच के राब :

 एसा शास्िोक्त व न हैं त्जस घय भें भहाभत्ृ मॊुजम मॊि स्थावऩत होता हैं वहा तनवास कताा हो नाना प्रकाय फक आधध-व्माधध-उऩाधध से यऺा होती हैं।

 ऩण ू ा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा रोग

ैतन्म मक् ु त सवा योग तनवायण कव

फकसी बी उम्र एवॊ जातत धभा के

ाहे स्िी हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हैं।

 जन्भाॊगभें अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रततकूरता से योग उतऩन्न होते हैं।

 कुछ योग सॊक्रभण से होते हैं एवॊ कुछ योग खान-ऩान फक अतनमलभतता औय अशुितासे उत्ऩन्न होते हैं। कव

एवॊ मॊि द्वाया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास्र्थम राब औय शायीरयक यऺण

प्राप्त कयने हे तु सवा योगनाशक कव

एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हैं।

 आज के बौततकता वादी आधुतनक मुगभे अनेक एसे योग होते हैं, त्जसका उऩ ाय ओऩये शन औय दवासे

बी कहठन हो जाता हैं। कुछ योग एसे होते हैं त्जसे फताने भें रोग हह फक ाते हैं शयभ अनुबव कयते हैं एसे योगो को योकने हे तु एवॊ उसके उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव

एवॊ मॊि राबादातम लसि होता हैं।

 प्रत्मेक व्मत्क्त फक जेसे-जेसे आमु फढती हैं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हैं। त्जसके साथ अनेक प्रकाय के ववकाय ऩैदा होने रगते हैं एसी त्स्थती भें उऩ ाय हे तु सवायोगनाशक कव

एवॊ

मॊि परप्रद होता हैं।

 त्जस घय भें वऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक हह नऺिभे जन्भ रेते हैं, तफ उसकी भाता के लरमे अधधक कष्टदामक त्स्थती होती हैं। उऩ ाय हे तु भहाभत्ृ मॊुजम मॊि परप्रद होता हैं।

 त्जस व्मत्क्त का जन्भ ऩरयधध मोगभे होता हैं उन्हे होने वारे भत्ृ मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग, ध त ॊ ा भें उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव

नोट:- ऩूणा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हैं।

ैतन्म मुक्त सवा योग तनवायण कव

एवॊ मॊि के फाये भें अधधक

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

भंत्र लवि कलच

मंत्र वसद्ध किच को वििेष प्रयोजन में उपयोग के वलए और िीघ्र प्रभाि िाली बनाने के वलए िेजस्िी मंत्रो द्वारा िुभ महूित में िुभ दिन को िैयार दकये जािे है । अलग-अलग किच िैयार करने के वलए अलग-अलग िरह के मंत्रो का प्रयोग दकया जािा है ।  क्यों चुने मंत्र वसद्ध किच?  उपयोग में आसान कोई प्रविबन्ध नहीॊ  कोई वििेष वनवि-वनयम नहीं  कोई बुरा प्रभाि नहीं

भंत्र लवि कलच वधू च राज राजेश्वरी किच

11000

विष्णु बीसा किच

Raj Rajeshwari Kawach ………..………………………

Vishnu Visha Kawach ………..………………………...

अमोघ महामृतयुंजय किच

रामभद्र बीसा किच

Amogh Mahamrutyunjay Kawach …………………….

10900

िस महाविद्या किच Dus Mahavidhya Kawach ………..…………………….

7300 6400 6400 6400 6400 6400 5500 4600 4600 3700 3250 2800

कृ ष्ण बीसा किच Krushna Bisa Kawach ………..………………………... अष्ट विनायक किच Asht Vinayak Kawach ………..………………………...

2350

Ram Raksha Kawach ………..…………………………

2350

Narayan Raksha Kavach .……………………………...

2350

Hanuman Raksha Kawach ………..…………………..

2350

Bhairav Raksha Kawach ……………………………….

2350

Shani Sadesatee aur Dhaiya Kasht Nivaran Kawach …..

2350

Sharapit Yog Nivaran Kawach ……..…………………

1900

Vish Yog Nivaran Kawach ……..…………………….

1900

सितजन ििीकरण किच 2350

Sarvjan Vashikaran Kawach ……..……………………

1450

वसवद्ध विनायक किच 2350

Siddhi Vinayak Ganapati Kawach ……..……………..

1450

सकल सम्मान प्रावि किच 2350

आकषतण िृवद्ध किच Aakarshan Vruddhi Kawach ……..……………………

2350

विष योग वनिारण किच

श्रीिुगात बीसा किच Durga Visha Kawach ………..………………………….

Sankat Mochinee Kalika Siddhi Kawach ………..……

श्रावपि योग वनिारण किच

परिेि गमन और लाभ प्रावि किच Pardesh Gaman Aur Labh Prapti Kawach ………......

2350

िवन साड़ेसािी और ढ़ैया कष्ट वनिारण किच

इष्ट वसवद्ध किच Isht Siddhi Kawach ………..……………………………

Narvan Visha Kawach ………..………………………..

भैरि रक्षा किच

विलक्षण सकल राज ििीकरण किच Vilakshan Sakal Raj Vasikaran Kawach ………..……

2350

हनुमान रक्षा किच

कालसपत िांवि किच Kalsharp Shanti Kawach ………..……………………..

Sinha Visha Kawach ………..………………………….

नारायण रक्षा किच

स्िणातकषतण भैरि किच Swarnakarshan Bhairav Kawach ………..……………

2350

राम रक्षा किच

सुिणत लक्ष्मी किच Suvarn Lakshmi Kawach ………..…………………….

Lakshmi Visha Kawach ……..………………………….

संकट मोवचनी कावलका वसवद्ध किच

सित कायत वसवद्ध किच Sarv Karya Siddhi Kawach ………..…………………..

2350

निातण बीसा किच

पंचिेि िवि किच Pancha Dev Shakti Kawach ………..………………….

Garud Visha Kawach ………..…………………………

ससह बीसा किच

रसायन वसवद्ध किच Rasayan Siddhi Kawach ………..……………………..

2350

लक्ष्मी बीसा किच

नििुगात िवि किच Navdurga Shakiti Kawach ………..……………………

Kuber Visha Kawach ………..…………………………. गरुड बीसा किच

सकल वसवद्ध प्रि गायत्री किच Sakal Siddhi Prad Gayatri Kawach …………………...

2350

कु बेर बीसा किच

श्री घंटाकणत महािीर सित वसवद्ध प्रि किच Shri Ghantakarn Mahavir Sarv Siddhi Prad Kawach..

Ramabhadra Visha Kawach ………..…………………

2350

Sakal Samman Praapti Kawach ……..……………….

1450

स्िप्न भय वनिारण किच 1450

Swapna Bhay Nivaran Kawach ……..………………..

1050

52

ििीकरण नािक किच

सरस्ििी किच (कक्षा +10 के वलए)

Vasikaran Nashak Kawach ……..……………………..

1450

प्रीवि नािक किच 1450

चंडाल योग वनिारण किच

1050

Saraswati Kawach (For up to Class 10) ……………..

910

ििीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)

Chandal Yog Nivaran Kawach ……..…………………

1450

ग्रहण योग वनिारण किच

Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) …………….

1250

पत्नी ििीकरण किच

Grahan Yog Nivaran Kawach ……..…………………..

1450

Magalik Yog Nivaran Kawach (Kuja Yoga) ………….

Patni Vasikaran Kawach ………………………………...

820

पवि ििीकरण किच

मांगवलक योग वनिारण किच (कु जा योग ) 1450

अष्ट लक्ष्मी किच

Pati Vasikaran Kawach ………………………………….

820

ििीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए) ……..………………………...

1250

आकवस्मक धन प्रावि किच

Vashikaran Kawach (For 1 Person) ……………………

820

सुिितन बीसा किच

Akashmik Dhan Prapti Kawach ……..………………..

1250

स्पे.व्यापार िृवद्ध किच

Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…...

910

महा सुिितन किच

Special Vyapar Vruddhi Kawach ……..………………

1250

धन प्रावि किच

Mahasudarshan Kawach ……..……………...………….

910

िंत्र रक्षा किच

Dhan Prapti Kawach ……..…………………………...

1250

कायत वसवद्ध किच

Tantra Raksha Kawach ………………………………….

910

ििीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)

Karya Siddhi Kawach ……..……………………………

1250

भूवमलाभ किच

Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) …………….

1250

पत्नी ििीकरण किच

Bhumilabh Kawach ……..…………………………….

1250

निग्रह िांवि किच

Patni Vasikaran Kawach ………………………………...

820

पवि ििीकरण किच

Navgrah Shanti Kawach ……..………………………..

1250

संिान प्रावि किच

Pati Vasikaran Kawach ………………………………….

820

ििीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए)

Santan Prapti Kawach ……..…………………………..

1250

कामिेि किच

Vashikaran Kawach (For 1 Person) ……………………

820

सुिितन बीसा किच

Kamdev Kawach ……..……………………………….

1250

हंस बीसा किच

Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…...

910

महा सुिितन किच

Hans Visha Kawach ……..……………………………..

1250

पिौन्नवि किच Padounnati Kawach

Saraswati Kawach (For Class +10) ………………….. सरस्ििी किच (कक्षा 10 िकके वलए)

Preeti Nashak Kawach ……..………………………….

Asht Lakshmi Kawach

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

Mahasudarshan Kawach ……..……………...………….

910

िंत्र रक्षा किच ……..………………………….

1250

ऋण / कजत मुवि किच Rin / Karaj Mukti Kawach ……..………………………

वििाह बाधा वनिारण किच Vivah Badha Nivaran Kawach ………………………...

1250

मवस्िष्क पृवष्ट िधतक किच Mastishk Prushti Vardhak Kawach ……………………

Trishool Visha Kawach ……..…………………………...

910

व्यापर िृवद्ध किच 1050 1050

स्िवस्िक बीसा किच Swastik Visha Kawach ……..………………………….

910

वत्रिूल बीसा किच

ित्रु विजय किच Shatru Vijay Kawach …………………………………..

Tantra Raksha Kawach ………………………………….

Vyapar Vruddhi Kawach ………………………………...

910

सित रोग वनिारण किच Sarv Rog Nivaran Kawach ……………………………...

910

िारीररक िवि िधतक किच 1050 820

Sharirik Shakti Vardhak Kawach ..……………………...

910

वसद्ध िुक्र किच Siddha Shukra Kawach ………………………………….

820

53 िाणी पृवष्ट िधतक किच

11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

वसद्ध िवन किच

Vani Prushti Vardhak Kawach …………………………

820

कामना पूर्ति किच

Siddha Shani Kawach …………………………………...

820

वसद्ध राहु किच

Kamana Poorti Kawach ……………………………….

820

विरोध नािक किच

Siddha Rahu Kawach ……………………………………

820

वसद्ध के िु किच

Virodh Nashan Kawach ……………………………….

820

वसद्ध सूयत किच

Siddha Ketu Kawach …………………………………….

820

रोजगार िृवद्ध किच

Siddha Surya Kawach ………………………………….

820

वसद्ध चंद्र किच

Rojgar Vruddhi Kawach …………………………………

730

विघ्न बाधा वनिारण किच

Siddha Chandra Kawach ………………………………

820

Vighna Badha Nivaran Kawah ………………………….

730

नज़र रक्षा किच

वसद्ध मंगल किच (कु जा) Siddha Mangal Kawach (Kuja) ………………………

820

वसद्ध बुध किच

Najar Raksha Kawah …………………………………….

730

रोजगार प्रावि किच

Siddha Bhudh Kawach …………………………………

820

वसद्ध गुरु किच

Rojagar Prapti Kawach ………………………………….

730

िुभातग्य नािक किच

Siddha Guru Kawach ………………………………..…

820

Durbhagya Nashak ………………………………………

640

उऩयोक्त कव के अरावा अन्म सभस्मा ववशेष के सभाधान हे तु एवॊ उद्देश्म ऩतू ता हे तु कव का तनभााण फकमा जाता हैं। कव के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें । *कव

भाि शब ु कामा मा उद्देश्म के लरमे

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

54

Gemstone Price List NAME OF GEM STONE

Emerald Yellow Sapphire Yellow Sapphire

GENERAL

(ऩन्ना)

(ऩुखयाज)

Bangkok (फैंकोक ऩख ु याज)

200.00 550.00 550.00 550.00 1000.00 100.00 100.00 5500.00 300.00 30.00 125.00 190.00 73.00 25.00 280.00 19.00 190.00 550.00 210.00 50.00 100.00 28.00 100.00 100.00 60.00 28.00 28.00 28.00 120.00 45.00 15.00 10.00 15.00 12.00 19.00 09.00 03.00 12.00 12.00

MEDIUM FINE

500.00 1200.00 1200.00 1200.00 1200.00 150.00 190.00 6400.00 600.00 60.00 190.00 280.00 100.00 45.00 460.00 28.00 280.00 730.00 320.00 120.00 145.00 46.00 190.00 190.00 90.00 46.00 46.00 46.00 140.00 75.00 30.00 19.00 28.00 19.00 46.00 11.00 05.00 19.00 19.00

FINE

SUPER FINE

1200.00 1900.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 190.00 550.00 370.00 730.00 8200.00 10000.00 1200.00 2100.00 90.00 120.00 280.00 370.00 370.00 460.00 190.00 280.00 90.00 120.00 730.00 1000.00 45.00 100.00 460.00 730.00 820.00 1050.00 410.00 550.00 230.00 390.00 190.00 280.00 90.00 120.00 280.00 460.00 280.00 460.00 120.00 240.00 90.00 120.00 90.00 190.00 90.00 120.00 190.00 300.00 90.00 120.00 45.00 60.00 28.00 55.00 45.00 100.00 28.00 55.00 15.00 30.00 15.00 19.00 10.00 15.00 23.00 27.00 23.00 27.00

SPECIAL

2800.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 1000.00 & above 1900.00 & above 21000.00 & above 3200.00 & above 280.00 & above 460.00 & above 550.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 1900.00 & above 190.00 & above 1000.00 & above 1250.00 & above 730.00 & above 500.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 640.00 & above 640.00 & above 410.00& above 190.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 730.00 & above 190.00 & above 100.00 & above 100.00 & above 190.00 & above 190.00 & above 45.00 & above 21.00 & above 21.00 & above 45.00 & above 45.00 & above

Blue Sapphire (नीरभ) White Sapphire (सर्ेद ऩुखयाज) Bangkok Black Blue(फैंकोक नीरभ) Ruby (भाणणक) Ruby Berma (फभाा भाणणक) Speenal (नयभ भाणणक/रारडी) Pearl (भोतत) Red Coral (4 यतत तक) (रार भूॊगा) Red Coral (4 यतत से उऩय)( रार भूॊगा) White Coral (सर्ेद भूॊगा) Cat’s Eye (रहसतु नमा) Cat’s Eye ODISHA(उडडसा रहसुतनमा) Gomed (गोभेद) Gomed CLN (लसरोनी गोभेद) Zarakan (जयकन) Aquamarine (फेरुज) Lolite (नीरी) Turquoise (फर्योजा) Golden Topaz (सुनहरा) Real Topaz (उडडसा ऩख याज/टोऩज) ु Blue Topaz (नीरा टोऩज) White Topaz (सर्ेद टोऩज) Amethyst (कटे रा) Opal (उऩर) Garnet (गायनेट) Tourmaline (तुभर ा ीन) Star Ruby (सुमक ा ान्त भणण) Black Star (कारा स्टाय) Green Onyx (ओनेक्स) Lapis (राजवात) Moon Stone ( न्द्रकान्त भणण) Rock Crystal (स्र्हटक) Kidney Stone (दाना फर्यॊ गी) Tiger Eye (टाइगय स्टोन) Jade (भयग ) Sun Stone (सन लसताया) Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Call Us - 09338213418, 09238328785 Email Us:- [email protected], [email protected], [email protected] Visit Us: www.gurutvakaryalay.com | www.gurutvajyotish.com | www.gurutvakaryalay.blogspot.com (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

GURUTVA KARYALAY YANTRA LIST

EFFECTS

Our Splecial Yantra 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

12 – YANTRA SET

For all Family Troubles

VYAPAR VRUDDHI YANTRA

For Business Development

BHOOMI LABHA YANTRA

For Farming Benefits

TANTRA RAKSHA YANTRA

For Protection Evil Sprite

AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA

For Unexpected Wealth Benefits

PADOUNNATI YANTRA

For Getting Promotion

RATNE SHWARI YANTRA

For Benefits of Gems & Jewellery

BHUMI PRAPTI YANTRA

For Land Obtained

GRUH PRAPTI YANTRA

For Ready Made House

KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA

-

Shastrokt Yantra 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42

AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA

Blessing of Durga

BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL)

Win over Enemies

BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL)

Blessing of Bagala Mukhi

BHAGYA VARDHAK YANTRA

For Good Luck

BHAY NASHAK YANTRA

For Fear Ending

CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta)

Blessing of Chamunda & Navgraha

CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA

Blessing of Chhinnamasta

DARIDRA VINASHAK YANTRA

For Poverty Ending

DHANDA POOJAN YANTRA

For Good Wealth

DHANDA YAKSHANI YANTRA

For Good Wealth

GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra)

Blessing of Lord Ganesh

GARBHA STAMBHAN YANTRA

For Pregnancy Protection

GAYATRI BISHA YANTRA

Blessing of Gayatri

HANUMAN YANTRA

Blessing of Lord Hanuman

JWAR NIVARAN YANTRA JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA KALI YANTRA

For Fewer Ending

KALPVRUKSHA YANTRA

For Fullfill your all Ambition

KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA)

Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga

KANAK DHARA YANTRA

Blessing of Maha Lakshami

For Astrology & Spritual Knowlage Blessing of Kali

KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA

-

KARYA SHIDDHI YANTRA

For Successes in work

 SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA KRISHNA BISHA YANTRA

For Successes in all work

KUBER YANTRA

Blessing of Kuber (Good wealth)

LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA

For Obstaele Of marriage

LAKSHAMI GANESH YANTRA

Blessing of Lakshami & Ganesh

MAHA MRUTYUNJAY YANTRA

For Good Health

MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA

Blessing of Shiva

MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA)

For Fullfill your all Ambition

MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA NAVDURGA YANTRA

For Marriage with choice able Girl Blessing of Durga

Blessing of Lord Krishna

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

YANTRA LIST

EFFECTS

43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64

NAVGRAHA SHANTI YANTRA

For good effect of 9 Planets

NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA

For good effect of 9 Planets

65

SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA)

66 67 68 69



SURYA YANTRA

Good effect of Sun



CHANDRA YANTRA

Good effect of Moon



MANGAL YANTRA

Good effect of Mars



BUDHA YANTRA

Good effect of Mercury



GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA)

Good effect of Jyupiter



SUKRA YANTRA

Good effect of Venus



SHANI YANTRA (COPER & STEEL)

Good effect of Saturn



RAHU YANTRA

Good effect of Rahu



KETU YANTRA

Good effect of Ketu

PITRU DOSH NIVARAN YANTRA

For Ancestor Fault Ending

PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA

For Pregnancy Pain Ending

RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA

For Benefits of State & Central Gov

RAM YANTRA

Blessing of Ram

RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA

Blessing of Riddhi-Siddhi

ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA

For Disease- Pain- Poverty Ending

SANKAT MOCHAN YANTRA

For Trouble Ending

SANTAN GOPAL YANTRA

Blessing Lorg Krishana For child acquisition

SANTAN PRAPTI YANTRA

For child acquisition

SARASWATI YANTRA

Blessing of Sawaswati (For Study & Education)

SHIV YANTRA

SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA

Blessing of Shiv Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & Peace Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth

SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA

For Bad Dreams Ending

VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE MAHALAKSHAMI YANTRA) VASTU YANTRA

For Vehicle Accident Ending Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All Successes For Bulding Defect Ending

70 71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA 72 VISHNU BISHA YANTRA 73 VASI KARAN YANTRA 74  MOHINI VASI KARAN YANTRA 75  PATI VASI KARAN YANTRA 76  PATNI VASI KARAN YANTRA 77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Yantra Available @:- Rs- 325 to 12700 and Above…..

For Education- Fame- state Award Winning Blessing of Lord Vishnu (Narayan) Attraction For office Purpose Attraction For Female Attraction For Husband Attraction For Wife Attraction For Marriage Purpose

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सू ना  ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख ऩत्रिका के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।  रेख प्रकालशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन वव ायो से सहभत हों।  नात्स्तक/ अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।  ऩत्रिका भें प्रकालशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष मा फकसी बी स्थान मा घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हैं।  प्रकालशत रेख ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण महद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तववक जीवन से भेर होता हैं तो मह भाि एक सॊमोग हैं।  प्रकालशत सबी रेख बायततम आध्मात्त्भक शास्िों से प्रेरयत होकय लरमे जाते हैं। इस कायण इन ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभाणणकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।  अन्म रेखको द्वाया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव फक त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं। औय नाहीॊ रेखक के ऩते हठकाने के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।  ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्त,ु भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।  ऩाठक द्वारा फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।  हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय लरखे होते हैं। हभ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वारा प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं।  मह त्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानन ू ी तनमभों के णखराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्वाथा ऩतू ता हे तु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िहु ट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।  हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्वारा तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।  ऩाठकों फक भाॊग ऩय एक हह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का अधधकाय यखता हैं। ऩाठकों को एक रेख के ऩून् प्रकाशन से राब प्राप्त हो सकता हैं।  अधधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं। (वबी वललादो केलरमे केलर बुलनेश्लय न्मामारम शी भान्म शोगा।)

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

FREE E CIRCULAR

गरु ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक ई-ऩत्रिका 11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018

सॊऩादक ध त ॊ न जोशी सॊऩका

गरु ु त्व ज्मोततष ववबाग गरु ु त्व कामाारम

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

हभाया उद्देश्म वप्रम आत्त्भम फॊधु/ फहहन जम गरु ु दे व जहाॉ आधतु नक ववऻान सभाप्त हो जाता हैं। वहाॊ आध्मात्त्भक ऻान प्रायॊ ब

हो जाता हैं, बौततकता का आवयण ओढे व्मत्क्त जीवन भें हताशा औय तनयाशा भें

फॊध जाता हैं, औय उसे अऩने जीवन भें गततशीर होने के लरए भागा प्राप्त नहीॊ हो ऩाता क्मोफक बावनाए हह बवसागय हैं, त्जसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता तनहहत हैं। उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय

सपरता हैं। सपरता को प्राप्त कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ अधधकाय हैं। ईसी लरमे हभायी शब ु काभना सदै व आऩ के साथ हैं। आऩ अऩने कामा-उद्देश्म एवॊ अनक ा भॊि शत्क्त से ऩण ु ू रता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर ू ा प्राणु ब प्रततत्ष्ठत ध ज वस्तु का हभें शा प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी लरमे

हभाया उद्देश्म महीॊ हे की शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वाया लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण ू ा

ैतन्म मक् ु त सबी प्रकाय के मन्ि- कव

परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहो ाने का हैं।

एवॊ शब ु

सूमा की फकयणे उस घय भें प्रवेश कयाऩाती हैं। जीस घय के णखड़की दयवाजे खुरे हों।

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11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

GURUTVA JYOTISH

Weekly 11-Nov to 17-Nov

2018

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