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गुरुत्व कामाारम द्वारा प्रस्तुत...
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Nonprofit Publications
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2018
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FREE E CIRCULAR गरु ु त्व ज्मोततष
साप्ताहहक ई-ऩत्रिका 2 8
2018
सॊऩादक
ध त ॊ न जोशी
गरु ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक ई-ऩत्रिका भें रेखन हे तु
फ्रीराॊस (स्वतॊि) रेखकों का स्वागत हैं...
सॊऩका गुरुत्व ज्मोततष ववबाग
गुरुत्व कामाारम
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA
पोन
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ऩत्रिका प्रस्तुतत
ध त ॊ न जोशी,
गुरुत्व कामाारम पोटो ग्राफपक्स
ध त ॊ न जोशी, गुरुत्व कामाारम
गरु ु त्व
ज्मोततष
साप्ताहहक
ई-ऩत्रिका भें आऩके द्वारा लरखे गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, पेंगशई ु , टै यों, ये की एवॊ अन्म आध्मात्त्भक ऻान वधाक
रेख को प्रकालशत कयने हे तु बेज सकते हैं।
अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।
GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:-
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अनुक्रभ 6
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यत्नों का अद्भत ु यहस्म: प्रकृतत की अरौफकक दे न रुद्राऺ धायण कयने से राब (
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अॊक ज्मोततष का यहस्म 7
24
)
वणाभारा के अनस ु ाय स्वप्न पर वव ाय
( 18
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26 29
)
कारसऩा मोग एक कष्टदामक मोग !
32
स्थामी औय अन्म रेख सॊऩादकीम 8
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साप्ताहहक ऩॊ ाॊग 8 साप्ताहहक
-
8 -
कामा लसवि मोग
4
दै तनक शब ु एवॊ अशब ु सभम ऻान तालरका
52
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हदन के
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हदन फक होया - सम ू ोदम से सम ू ाास्त तक
ौघडडमे
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ई- जन्भ ऩत्रिका अत्माधुतनक ज्मोततष ऩितत द्वाया उत्कृष्ट बववष्मवाणी के साथ १००+ ऩेज भें प्रस्तत ु
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वप्रम आत्त्भम, फॊध/ु फहहन जम गुरुदे व
-
स्वत्स्त न इॊद्रो वि ृ श्रवा: स्वत्स्त न् ऩूषा ववश्ववेदा:।
स्वत्स्त नस्तार्क्ष्मो अरयष्टनेलभ् स्वत्स्त नो फह ृ स्ऩततदा धातु॥
अथाात: भहान कीतता वारे इन्द्रदे व हभाया कल्माण कयो, ववश्व के ऻानस्वरूऩ ऩूषादे व (सूमद ा े व) हभाया कल्माण कयो। त्जसका शस्ि अटूट है ऐसे गरूड़ बगवान हभाया भॊगर कयो। फह ृ स्ऩततदे व हभाया भॊगर कयो।
हभाये ववद्वान ऋवष-भुतनमों ने हजायों वषा ऩूवा उक्त भॊि को तनलभात फकमा था। सभग्र ब्रहभाॊड भें व्माप्त ब्रहभ के
ववयाट स्वरुऩ को सॊक्षऺप्त भें अॊफकत कयने का बावाथा स्वत्स्तक भें तनहहत है , स्वत्स्तक की खड़ी औय आड़ी ये खा स्ऩष्ट रूऩ से मह फात को दशााती हैं। स्वत्स्तक की खड़ी ये खा ज्मोततलरिंग को औय आड़ी ये खा ववश्व का ववस्ताय दशााती है । स्वत्स्तक की
ाय बज ु ाएॉ बगवान ववष्णु के
ाय हाथ को दशााते है , जो
ायों हदशाओॊ का ऩारन कयते
है । स्वत्स्तक हहन्द ू धभा भें अतत प्रा ीन प्रतीक है । जो दे वताओॊ की शत्क्त एवॊ भनष्ु म की भॊगरभम काभनाएॉ दोनों कें सॊमोजन को दशााता है । स्वत्स्तक भनष्ु म के लरए सवािंगी भॊगरभम बावना का प्रतीक है । -
द्वा
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इस साप्ताहहक ई-ऩत्रिका भें सॊफॊधधत जानकायीमों के ववषम भें साधक एवॊ ववद्वान ऩाठको से अनुयोध हैं,
महद दशाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, साधना एवॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाव इत्मादी के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भें , डडजाईन भें , टाईऩीॊग भें , वप्रॊहटॊग भें , प्रकाशन भें कोई िुहट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ
सुधाय रें मा फकसी मोग्म ज्मोततषी, गुरु मा ववद्वान से सराह ववभशा कय रे । क्मोफक ववद्वान ज्मोततषी, गुरुजनो एवॊ साधको के तनजी अनुबव ववलबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, साधना, उऩाम के प्रबावों का वणान कयने भें बेद होने ऩय काभना लसवि हे तु फक जाने वारी वारी ऩूजन ववधध एवॊ उसके प्रबावों भें लबन्नता सॊबव हैं।
आऩका जीवन सुखभम, भॊगरभम हो ऩयभात्भा की कृऩा
आऩके ऩरयवाय ऩय फनी यहे । ऩयभात्भा से मही प्राथना हैं…
ध त ॊ न जोशी
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***** साप्ताहहक ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत सू ना ***** ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख गुरुत्व कामाारम के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।
ई-ऩत्रिका भें वर्णात रेखों को नात्स्तक/अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।
ई-ऩत्रिका के रेख आध्मात्भ से सॊफॊधधत होने के कायण बायततम धभा शास्िों से प्रेरयत होकय प्रस्तुत फकमा गमा हैं।
ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभार्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।
ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत जानकायीकी प्राभार्णकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की
नहीॊ हैं औय ना हीॊ प्राभार्णकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।
ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।
ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत फकसी बी प्रकाय की आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।
ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत रेख हभाये वषो के अनब ॊ ान के आधाय ऩय हदए गमे हैं। हभ ु व एवॊ अनश ु ध
फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वाया प्रमोग फकमे जाने वारे धालभाक, एवॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं। मह त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी।
क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानूनी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्वाथा ऩूतता हे तु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िुहट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।
ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत जानकायी को भाननने से प्राप्त होने वारे राब, राब की हानी मा हानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हैं।
हभाये द्वाया ऩोस्ट फकमे गमे सबी जानकायी एवॊ भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा कव , भॊि-मॊि मा उऩामो द्वाया
तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं। ई-ऩत्रिका भें गरु ु त्व कामाारम द्वाया प्रकालशत सबी उत्ऩादों को केवर ऩाठको की जानकायी हे तु हदमा गमा हैं, कामाारम फकसी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने हे तु फकसी बी प्रकाय से फाध्म नहीॊ कयता हैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कहीॊ से बी क्रम कयने हे तु ऩूणत ा ् स्वतॊि हैं। अधधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं। (सबी वववादो केलरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
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सॊकरन गरुु त्व कामाारम द्वा
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, जो स्वत्स्तक को ऋग्वेद भें ^ ^(
:
सूमा भनोवाॊतित परदाता सम्ऩूणा जगत का कल्माण
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कयने वारा औय दे वताओॊ को अभयत्व प्रदान कयने वारा भाना गमा है ।
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अन्म सॊस्कृतत भें स्वत्स्तक
(gammadion
(Hakenkreuz),
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करात्भक
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इनके अरावा
स्वत्स्तक के ववलबन्न राब
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भहवषा वलशष्ठ के दशान का पर
सॊकरन गरुु त्व कामाारम भाण्डव्म ऋवष वॊश भें एक ववद्वान ब्राहभण हुए जो साॊसारयक जीवन को त्माग सत्म की खोज भें
का साॉऩ हो जाना, लशरा के अन्दय का कीड़ा हो जाना
तनकर ऩड़े थे। ब्राहभण सत्म की खोज के लरए अनेक
रेफकन दफ ु वुा ि भनुष्म का सॊग कये तो अच्िा नहीॊ होगा।
जऩ-तऩ, व्रत-ऩूजन फकए त्जससे उसका अन्त्कयण शुि हो गमा। उसके ऩूवा सॊग्रहहत ऩाऩ कभा जर गमे। रेफकन
ऩूणा सॊतोष नहीॊ लभरा। तफ अऩनी खोज भे व्माकुर ध त्त से ब्राहभण जॊगर से सत्म की खोज ऩुन् िोड़कय गाॉव की औय तनकर ऩड़े
रकय जरऩान
कयके वऺ ृ के नी े थोड़ा ववश्राभ कयरूॊगा ! कुि ही रे थे की भहवषा वलशष्ठजी ने ब्राहभण के भन
त्स्थतत बाॊऩ उन्हें फी
श्री वलशष्ठजी कहते हैं अये ब्राहभण ! तू त्जससे लभरने
के लरए दौड़ता जा यहा है वे दफ ु वुा ि रोग है । वहॉ स्वमॊ अऻान की आग भें जर यहे हैं। वे तुझे कैसे सख ु दे सकेंगे ?
रते- रते उन्हें एक जगह
कुि घय हदख उन्हों ने सो ा वहाॊ कदभ
अथवा भरुबूलभ का भग हो जाएॊ तो अच्िा होगा, ृ
वलशष्ठ जी आगे कहते हैं,"हे ब्राहभण ! तुभ
ऻानवानों का सॊग कयना। वलशष्ठजी के व न सुन ब्राहभण के भन को खफ ू शाॊतत लभरती है ।
ब्राहभण वलशष्ठजी से ऩि ू ने रगे "हे बगवन ्!
भें ही योक हदमा औय कहने रगे
आऩके व न एवॊ दशान से भेये ध त्त को शाॊतत लभरी है
"अये ब्राहभण ! तू कहाॉ जाते हो ? ब्राहभण नें
औय बीतय भें प्रसन्नता पैर गई है । रेफकन आऩको
उत्तय हदमा भे सत्म खी खोज भें बटकता फपय यहा हूॊ, अबी तक असपर यहा हूॊ, अत् वाऩस रोट यहा हूॊ। उसका उत्तय सन ु भहवषा वलशष्ठजी फोरे तू अॊधेयी गप ु ा
दे खकय भुझे ववश्वास हो गमा है फक आऩकी शयणागत भें भेया कल्माण अवश्म होगा । वलशष्ठ जी के दशान से ऩण ू ा सॊतोष से ब्राहभण आॊतरयक शाॊतत को प्राप्त हुए।
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सवा कामा लसवि कव त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊतित सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें लसवि (राब) लसवि कव
प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा अवश्म धायण कयना
ाहहमे।
कवच के प्रभुख राब: सवा कामा लसवि कव
के द्वारा
सख ु सभवृ ि औय नव ग्रहों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र
का नाश हो कय सख ु -सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय
जीवन भे सलब प्रकाय के शब ु कामा लसि होते हैं। त्जसे धायण
कयने से व्मत्क्त महद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि होतत हैं औय महद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं।
सवा कामा लसवि कव
के साथ भें सववजन वशीकयण कव
के लभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस ू ये व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं।
सवा कामा लसवि कव
के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव
के
लभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रर्क्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रर्क्ष्भी
के अष्ट रुऩ (१)-आहद रर्क्ष्भी, (२)-धान्म रर्क्ष्भी, (३)- धैमा रर्क्ष्भी, (४)-गज रर्क्ष्भी, (५)-सॊतान रर्क्ष्भी, (६)ववजम रर्क्ष्भी, (७)-ववद्या रर्क्ष्भी औय (८)-धन रर्क्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं।
सवा कामा लसवि कव
के साथ भें तंत्र यऺा कव
के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,
साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव
के प्रबाव
से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं।
सवा कामा लसवि कव
के साथ भें शत्रु ववजम कव
के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त
ऩये शातनओ से स्वत् ही िुटकाया लभर जाता हैं। कव कुि नही त्रफगाड़ सकते। अन्म कव
के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का
ाहकय
के फाये भे अधधक जानकायी के लरमे कामाारम भें सॊऩका कये :
फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा लसवि कव
दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सयु क्षऺत हैं।
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बववष्म ऻान के लरए यभर प्रश्नावरी
सॊकरन गुरुत्व कामाारम ववधध: यभर प्रश्नावरी से प्रश्न का उत्तय जान ने का तयीका है फक
द ॊ न की रकड़ी का
ौकोय ऩासा फनाकय उस
ऩय 1, 2, 3, 4 अॊफकत कया रें। फपय अऩने सॊफॊधधत प्रश्न का ध त ॊ न कयते हुए तीन फाय ऩासा िोड़ें। पेके हुवे ऩासे के उसका जो अॊक आमे, उसी अॊक ऩय अऩने प्रश्न का पर दे खें। महद फकसी कायण ऩासा नहीॊ हो तो, महाॊ दशाामी गई सायणी भें अनालभका अॊगुरी यखकय अऩने प्रश्नों का पर जान सकते हैं। 111
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111. आऩकी भनोकाभना शीघ्र ऩूणा होगी।
112. कोई भहत्वऩूणा कामा कयने से ऩूवा अऩने तनणाम ऩुववा ाय कय रें । 113. कहठन ऩरयश्रभ के फाद गमा धन ऩुन् प्राप्त होगा। 114. ऩूणा ववश्वास से सुख की प्रात्प्त होगी। 121. अऩना
रयि साप यखें एवॊ अनुध त कभा से फ ।े
122. सभम शीघ्र फदरने वारा है । इष्ट उऩासना कयें ।
123. फकसी तनणाम को रेने से ऩूवा अत्च्ितयह सो -वव ायरें। अन्मथा नुक्शान सॊबव हैं। 124. प्रततकूर ऩरयत्स्थतत भें अऩना सॊमभ एवॊ धैमा फनामे यखे। सपरता जरूय लभरेगी। 131. वास्तववकता भें जीवन जीमे व अऩनी बावुकता ऩय तनमॊिण यखें । 132. करकी ध त ॊ ा िोड़कय वताभान भें जीने का प्रमास कयें ।
133. सब्र का पर भीठा होता है । कभों का पर अवश्म प्राप्त होगा। 134. सच् ाई औय ईभानदायी से अऩने बाग्म को उज्जवर फनामे।
141. अऩने इष्ट ऩय बयोसा यखे आऩके शब ु हदन जल्द आने वारे है । 142. अच्िे कभा कयें पर बी अच्िा लभरेगा।
143. नीतत औय यीतत से कामा कयें सपरता अवश्म प्राप्त होगी। 144. धन राब उत्तभ यहे गा, सत्कभा कयते यहें । 211. जल्दफाजी से फ े व फकसी भहत्वऩण ू ा तनणाम ऩय सो -वव ाय कय ही पैसरा रें। े़ 212. घय की सख ु -सभवृ ि फढे गी।
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213. घय-ऩरयवाय भें जल्द भाॊगलरक कामा होगें । ववधधवत इष्ट आयाधना कयते यहें । 214. अच्िे कभा कयते यहे जल्द ही आऩके बाग्म का लसताया फुरॊहदमों ऩय होगा। े़ 221. भाता-वऩता एवॊ फडे फज ु ुगोंकी सेवाकयें धन राब होगा। 222. जरुयत भॊद की सहामता कयें । बाग्म उज्जवर होगा।
223. तनमलभत दे वी उऩासना कयें , औयतों का सम्भान कयें सकर कामा लसि होगा। 224. ऩूयानी ऩये शातनमों से जल्द िुटकाया लभरने वारा हैं।
231. दृढ़ तनत्श् म से अऩने कामा को ऩूया कयने का प्रमत्न कयें सपरता तनत्श् न्त लभरेगी। 232. अऩने गुस्से ऩय तनमॊिण यखें , अन्मथा हानी सॊबव हैं।
233. इष्ट आयाधना कयते यहें , आऩके साये कष्ट जल्द दयू हो जामेंगे। 234. वप्रमजनो का ऩूणा सहमोग प्राप्त होगा।
े़ 241. आॉख भूॊद कय फकसी ऩय बयोंसा भत कयें , फडा े़ नुक्शान उठाना ऩडेगा। 242. नकायात्भक वव ायों को िोड़ कय सकायात्भ सो
अऩनामे कामा सपर होगें ।
243. उध त सभम ऩय उध त तनणाम रेने भें सऺभ फने अऩको सबी प्रकाय के सुख-सभवृ ि प्राप्त होगी। 244. अऩने कामा को ऩूणा ईभानदायी से कयें , सपरता अवश्म लभरेगी। 311. ईश्वय ऩय बयोसा यखें आऩका कामा सपर होगा।
312. दफ ु ुवा ि व दष्ु ट वव ायधाया वारे रोगों से सावधान यहें , महॊ रोग आऩका इस्तभार कय सकते हैं। 313. आऩकी इच्िा ऩूणा होगी।
314. जीवन भें सकायात्भक द्रत्ष्ट कोण अऩनामे अवश्म सपरता लभरेगी। 321. आधथाक राब लभरने की प्रफर सॊबावना हैं। 322. सभम प्रततकूर हैं, थोडा े़ इन्तजाय कयें ।
323. वप्रमजनों की बावनाओॊ का सम्भान कयें सपरता लभरेगी। 324. अऩनों के त्रफ
भें यहकय कामा कयें , सपरता लभरेगी।
331. शिु ऩऺ से सावधान यहें , आऩ ऩय गप्ु त वाय हो सकता हैं। 332. आऩके सबी कामा शीघ्र ऩण ू ा होंगे सॊदेह न कयें ।
333. सभम शुब हैं भहत्वऩूणा तनणाम से आऩको ववशेष राब की प्रात्प्त होगी।
द्वादश महा यंत्र मॊि को अतत प्राध न एवॊ दर ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनस ु ब ु ॊधान द्वारा फनामा गमा हैं। ऩयभ दर ा वशीकयण मॊि, ु ब
सहस्िाऺी रर्क्ष्भी आफि मॊि
बाग्मोदम मॊि
आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि
भनोवाॊतित कामा लसवि मॊि
ऩण ू ा ऩौरुष प्रात्प्त काभदे व मॊि
याज्म फाधा तनवत्ृ त्त मॊि गह ु मॊि ृ स्थ सख
शीघ्र वववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि
योग तनवत्ृ त्त मॊि
साधना लसवि मॊि
शिु दभन मॊि
उऩयोक्त सबी मॊिो को द्वादश भहा मॊि के रुऩ भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि ऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत एवॊ
फकमे जाते हैं। त्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩूजा अ न ा ा-ववधध ववधान ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं।
त ै न्म मुक्त
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15 334. एकाग्रध त्त से अऩने कामा को सॊऩन्न कयें , अधधक राब की प्रात्प्त होगी। 341. शिु ऩय ववजम प्राप्त होगी।
342. सपरता की दौड़ भें अऩनो की अवहे रना न कयें , अन्मथा बाग्म साथ िोड दे गा। 343. फुयाईमोंको दयू कयें व अऩनी वव ायधाया को शुि यखें ।
344. आऩको जल्द ही इष्ट कृऩा से राब की प्रात्प्त होगी।
411. आऩके बौततक सुख साधन एवॊ धन-सम्ऩत्त्त भें ववृ ि होगी। 412. आऩके उध त व्मवहाय से आऩके कामा लसि होगें ।
413. फकसी बी कामा भें अतत आत्भववश्वास अच्िा नहीॊ हैं इसलरए दोफाया सो
कय तनणाम रें।
414. आऩकी भनोकाभनाएॊ ऩूणा होगी।
421. आऩको कामा ऺेि भें सपरता प्राप्त होगी। 422. इस सभम फकसी कामा भें फड़े़ जोर्खभ नहीॊ उठामें। 423. बाग्म आऩके साथ हैं, आऩके सबी कामा सपर होगें । 424. अऩने कामा भें राऩयवाहीॊ नहीॊ यखें , अन्मथा प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं। 431. फकसी कामा भें जल्दफाजी अच्िी नहीॊ हैं , धैमा यखें। 432. भौके का पामदा उठामे ऩरयत्स्थती अनुकूर हैं। 433. सावधानी से कामा कयें , सपरता लभरेगीॊ। 434. वप्रमजनों का ऩूणा सहमोग प्राप्त होगा।
441. शब ु कभों का पर जल्द ही लभरने वारा हैं।
442. सतका यहकय कामा कयें शिओ ु ॊ ऩय ववजम लभरेगी। 443. शीघ्र ही अच्िा सभम आनेवारा हैं।
444. आऩका कामा सपर होगा, अऩने इष्ट ऩय बयोसा यखें।
ई- जन्भ ऩत्रिका एडवाॊस्ड
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के प्रकाय मन्ि
सॊकरन गरुु त्व कामाारम मॊि कई रुऩों भें तनलभात फकम जाते हैं। प्रा ीन ग्रॊथों भें ववलबन्न प्रकाय के मन्िों का उल्रेख लभरते हैं। महाॊ हभ ऩाठकों के भागादशान हे तु मन्िों की प्रभुख श्रेणीमों का वणान कय यहे हैं।
खद ु ी हुई होती हैं।
ऩातार मन्ि: ऩातार मन्ि को भेरुऩष्ृ ठ मन्ि से ववऩयीत
तनलभात फकमा जाता हैं जहाॊ भेरुऩष्ृ ठ मन्ि भें मन्ि का
बऩ ू ष्ृ ठ मन्ि:
लशखय होता हैं वहीॊ ऩातार मन्ि भें मन्ि का भध्म
सभतर आकाय वारे मन्ि अथाात वह मन्ि
त्जनका आधाय सभरत मा धयातर ऩय हो उसे बऩ ू ष्ृ ठ
मन्ि कहाॊ जाता हैं। मन्ि क्र इसी सभतर आधाय ऩय मन्ि की ये खामे, वगा, त्रफन्द,ु त्रिबज ु ,
तब ु ज ुा , कभर
दर, अॊक, फीज भॊि आहद को उत्कीणा फकमा जाता हैं। कहने का भतरफ हैं की सभतर आधाय वारे मन्ि को बूऩष्ृ ठ मन्ि कहाॊ जाता हैं।
हहस्सा कटोयी के साभान अॊदय की औय से क्रभश् गहया होता जाता हैं हैं।
भेरुप्रस्ताय मन्ि: भेरुप्रस्ताय मन्ि, भेरुऩष्ृ ठ मन्ि के सभान होता
हैं, रेफकन भेरुऩष्ृ ठ मन्ि भें ये खाॊकन की फक्रमा को
उबायकय मा उत्कीणा कयके ऩूणा की जाती हैं, वहीॊ भेरुप्रस्ताय मन्ि भें ये खाॊकन मन्िाकाय होता हैं। इस
भेरुऩष्ृ ठ मन्ि:
भेरुऩष्ृ ठ आगाय वारे मन्ि की आकृतत भेरु की
तयह उऩय की ओय क्रभश् उठी हुई होती हैं जो दे खने भें ऩवाताकाय हदखती हैं। मॊि का अॊततभ बाग अथाात
लशखय उऩय से नुकीरा होता हैं, व नी े का हहस्सा ौड़ा अथाात पैरा हुवा होता हैं, इस प्रकाय के मॊिों भें नी े से उऩय का हहस्सा क्रभश् िोटा होता जाता हैं
औय आर्खय भें लशखय वारा हहस्सा नुकीरा होता हैं।
इस तयह के मन्िों भें ये खाएॊ उबयी हुई मा उत्कीणा मा
तयह के मन्ि को दे खने ऩय रगता हैं की सॊऩूणा मन्ि
को टुकड़ों भें काटकय एक-दस ू ये ऩय आधश्रत फकमा गमा है ।
कूभाऩष्ृ ठ मन्ि:
कूभाऩष्ृ ठ मन्ि भें
भेरुऩष्ृ ठ मन्ि के सभान
लशखय नहीॊ होता। मह नी े से
ौकोय औय उऩय से
गोराई लरमे होता हैं। रेफकन इसभें भेरुऩष्ृ ठ मन्ि के सभान लशखय नहीॊ होता।
दे खने भें मह किुएॊ की ऊ ी
श्री भहारक्ष्भी मंत्र
धन फक दे वी रर्क्ष्भी हैं जो भनुष्म को धन, सभवृ ि एवॊ ऐश्वमा प्रदान कयती हैं। अथा(धन) के त्रफना भनुष्म जीवन द्ु ख,
दरयद्रता, योग, अबावों से ऩीडडत होता हैं, औय अथा(धन) से मक् ु त भनष्ु म जीवन भें सभस्त सख ु -सवु वधाएॊ बोगता हैं। श्री भहारर्क्ष्भी मॊि के ऩूजन से भनुष्म की जन्भों जन्भ की दरयद्रता का नाश होकय, धन प्रात्प्त के प्रफर मोग फनने रगते
हैं, उसे धन-धान्म औय रर्क्ष्भी की ववृ ि होती हैं। श्री भहारर्क्ष्भी मॊि के तनमलभत ऩूजन एवॊ दशान से धन की प्रात्प्त होती है औय मॊि जी तनमलभत उऩासना से दे वी रर्क्ष्भी का स्थाई तनवास होता है ।
श्री भहारर्क्ष्भी मॊि भनुष्म फक सबी बौततक
काभनाओॊ को ऩूणा कय धन ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा हैं। अऺम तत ृ ीमा, धनतेयस, दीवावरी, गुरु ऩुष्माभत ृ मोग यववऩुष्म इत्माहद शुब भुहूता भें मॊि की स्थाऩना एवॊ ऩूजन का ववशेष भहत्व हैं।
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17 ऩीठ के सभान नझय आता हैं। इस प्रकाय के मन्ि को कूभाऩष्ृ ठ मन्ि कहते हैं।
अॊकगलबात मॊि: अॊकगलबात
1. ये खात्भक मॊि, 2. आकृततभूरक मन्ि
ये खात्भक मॊि भें केवर ये खाओॊ का प्रमोग फकमा जाता तब ु ज ुा , वक्र, कभराकाय,
आमध ु , वरम आहद को मथाथाऩण ू ा दशाामा जाता हैं।
भें
अॊकात्भक
दे वताओॊ
इसलरए अॊकों को दे वता के प्रतततनधध के रुऩ भें ववलबन्न उद्देश्म से मन्िों के तनभााण के लरए अॊकों का फकमा
जाता हैं। इस
प्रकाय
के मन्िों को
अॊकगलबात मॊि कहते हैं।
आकृततभर ू क मन्ि भें ये खाओॊ को ज्मालभततक आकाय भें
प्रमोग नहीॊ कयके स्ऩष्ट रुऩ से ध िाॊकन फकमा जाता हैं। मन्ि के तनभााण भें कामा उद्देश्म के अनश ु ाय ववलबन्न
प्रकाय के दे व-दे वी, भानव, ऩश-ु ऩक्षऺ, वऺ आहद के ृ स्वरुऩ का ध िाॊकन फकमा जाता हैं।
ये खात्भक मॊि के तनम्न
ाय वगा होते हैं।
1. फीजभॊिमुक्त मॊि ।
लभश्र मॊि: लभश्र मॊि भें उऩय दशाामे गमे तीनों श्रेणीमों का प्रमोग एक साथ (अथाात फीजभॊिमुक्त मॊि, भॊिवणामुक्त
मॊि, अॊकगलबात मॊि) हुवा हो मा एक के साथ दस ू यी श्रेणी का प्रमोग होने ऩय उसे लभश्र मॊि कहते हैं।
शास्िों भें मॊि के भुख्म सात प्रकाय फतामे गम हैं।
शास्िों भें मन्िों का वगॉकयण उसकी उऩमोधगता के
2. भॊिवणामुक्त मॊि ।
आधाय ऩय फकमा गमा हैं। त्जसके अनश ु ाय उसके क्रभ
3. अॊकगलबात मॊि ।
इस प्रकाय हैं..
4. लभश्र मॊि । 5.
फीजभॊिमक् ु त मॊि: को
फकसी
दे वी-दे वता
के
सॊक्षऺप्त रुऩ के भन्ि का प्रमोग फकमा जाता हैं। अथाात
1. शयीय मन्ि
2. धायण मन्ि
3. आसन मन्ि
4. भण्डर मन्ि
5. ऩूजा मन्ि
6. िि मन्ि
7. दशान मन्ि
दे वी-दे वताओॊ के शत्क्तशारी फीज भॊिों का प्रमोग फकमा जाता हैं। जो सॊफॊधधत दे वी-दे वताओॊ का सक्षऺप्त रुऩ होता
हैं
अथाात
त्जसभें
का
प्रत्मेक अॊक फकसी-न-फकसी दे वता का प्रततक होता हैं।
प्रमोग
2. आकृततभर ू क मन्ि
मॊि
मॊि
तनवास होता हैं। हहन्द ू धभा भें एसा भाना जाता हैं की
1.ये खात्भक मॊि
फीजभॊिमक् ु त
हैं इसलरए भॊिवणामुक्त मॊि भें भन्ि शत्क्त ववशेष रुऩ से सभाहहत होती हैं।
मन्िों का वगॉकयण
हैं, जो भख् ु मत् त्रिकोण,
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उस
दे वी-दे वता
की
गुप्त
शत्क्तमाॊ तनहहत होती हैं। त्जससे उस फीज भन्ि के
स्भयण मा उच् ायण से ही साधक की सभग्र काभनाएॊ ऩूणा होने रगती हैं। फीजभॊिमुक्त मॊि को सवााधधक शत्क्तशारी मन्ि भाना जाता हैं।
भॊिवणामक् ु त मॊि: भॊिवणामुक्त मॊि भें ववशेष्ट वणों को क्रभ भें
सजाकय भन्ि को दशाामा जाता हैं। भॊिवणामुक्त मॊि भें
प्रमुक्त वणों द्वाय ही भन्िों का तनभााण फकमा गमा होता
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प्रश्न कुण्डरी से जाने स्वास््म राब के मोग
सॊकरन गरुु त्व कामाारम सबी व्मत्क्त स्वमॊ के औय अऩने स्वजनो के उत्तभ
स्वास््म की काभना कयता है । रेफकन हभाया शयीय भें
ग्रह)
ववलबन्न कायणो से स्वास््म सॊफॊधधत ऩये शातनमाॊ सभम के साथ-साथ आती-जाती यहती हैं।
औय दशभेश (दशभ बाव का स्वाभी ग्रह)
लभि हो तो योगी को शीघ्र स्वास््म राब दे ते हैं।
रेफकन महद त्रफभायी होने ऩय
प्रश्न कॊु डरी भें महद रग्ने (रग्न का स्वाभी
प्रश्न कॊु डरी भें ग्रह)
स्वास््म भें जल्दी सुधाय नहीॊ होता तो, तयह-तयह की ध त ॊ ा औय भानलसक तनाव होना साधायण फात हैं। फक
स्वास््म भें सुधाय कफ आमेगा?, कफ
उत्तभ स्वास््म राब होगा?, स्वास््म राब होगा मा नहीॊ?, इत्माहद प्रश्न उठ खडे हो जाते हैं। भनुष्म की इसी ध त ॊ ाको दयू
?
हभें प्रदान
न्द्र के साथ सॊफॊध हो औय
न्द्र शब ु ग्रहों से मक् ु त मा द्रष्ट हो मा
केन्द्र
भे
त्स्थत
हो
तो
शीघ्र
स्वास््म राब होता हैं। महद कॊु डरी भें रग्नेश (रग्न का स्वाभी ग्रह) न्द्र शुब ग्रहो से मुक्त मा द्रष्ट होकय
महद न्द्र स्वयालश मा उच्
यालश भे फरवान हो कय
फकसी शुब ग्रह से मुक्त हो मा द्रष्ट हो तो योगी को शीघ्र स्वास््म राब होते दे खा गमा हैं।
कयवा यहे हैं।
महद प्रश्न कॊु डरी भें महद
न्द्र
य यालश अथाात
द्ववस्वबाव यालश भें त्स्थत हो कय रग्न मा रग्नेश
मोग।
से द्रष्ट हो तो शीघ्र स्वास््म राब की सॊबावना प्रफर
महद रग्न भें फरवान ग्रह त्स्थत हो तो योगी को शीघ्र स्वास््म राब दे ते हैं।
का
न्द्रभा से योग भत्ु क्त के मोग
आऩके भागादशान हे तु महाॊ ववशेष मोग से आऩको अवगत
रग्न भें त्स्थत ग्रह मा रग्नेश से योग भत्ु क्त के
ग्रह)
महद रग्नेश (रग्न का स्वाभी
तो शीघ्र स्वास््म राब होता हैं।
प्रश्न कंु डरी के भाध्मभ से स्वास््म से संफंधधत
आवश्मक हैं।
अष्टभ बाव के स्वाभी ग्रह से प्रबाव भुक्त हो
सयरता से सभाधन फकमा जासकता हैं!
शीघ्र स्वास््म राब के मोग हैं मा नहीं मह दे ख रेना अतत
लभिता हो तो
केन्द्र भें त्स्थत हो औय सप्तभेश वक्री न हो एवॊ
से सॊफॊधधत प्रश्नो का ज्मोततषी गणनाओॊ के भाध्मभ से
जानकायी प्राप्त कयने हे तु सवव प्रथभ प्रश्न कंु डरी भें योगी के
के फी
शीघ्र स्वास््म राब के मोग फनते हैं।
औय
की हैं। त्जस के पर स्वरुऩ फकसी बी व्मत्क्त के स्वास््म
औय सप्तभेश (सप्तभ बाव का
स्वाभी ग्रह)
कयने के लरए हजायो वषा ऩूवा बायतीम ज्मोततषा ामो नें प्रश्न कॊु डरी के भाध्मभ से ऻात कयने की वव
तुथेश ( तुथा बाव का स्वाभी
होती हैं।
महद
न्द्र स्वयालश से
तथ ु ा मा दशभ बाव भें
त्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््म राब हो ने के मोग फनते हैं।
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प्रश्न कॊु डरी भें शुब ग्रहो से द्रष्ट भें ,
न्द्र मा सूमा रग्न
तथ ु ा मा सप्तभ बाव भें त्स्थत हो तो शीघ्र
प्रश्न कंु डरी का अध्ममन कयते सभम मह मोग बी दे खरे की योगी को उधचत उऩमाय प्राप्त हो यहा हैं मा नहीं।
योग का उध त उऩ ाय होने के मोग हैं मा नहीॊ!
स्वास््म राब के मोग फनते हैं। प्रश्न कंु डरी के भाध्मभ से स्वास््म राब भें ववरम्फ होने के
मोग दे ख रेना बी आवश्मक होता हैं।
जाता हैं।
सधायणत् जातक भें षष्टभ बाव व षष्टे श से योग
तुथेश औय सप्तभेश ग्रहो के फी
भें शित ु ा
हो तो योग फढने की सॊबावनाऎ अधधक होती हैं औय प्रश्न कुण्डरी भें महद षष्ठे श अष्टभेश अथवा
द्वादशेश के साथ मतु त मा द्रष्टी सॊफॊध फनाता हो तो
फाद ही योग से भुत्क्त लभरती हैं।
न्द्र मा शुक्र की
सॊबव होता हैं।
प्रश्न कुण्डरी भें महद रग्नेश एवॊ भॊगर की फकसी ही बाव भें मुतत हो तो स्वास््म राब भें ववरम्फ हो सकता हैं।
महद प्रश्न कॊु डरी भें
तथ ु ा बाव भें शब ु ग्रह त्स्थत
से बी ऻात हो सकता है फक योगी को दवाईमों से
त्स्थत हो तो योग शीघ्र ऩीिा नहीॊ िोडता।
महद प्रश्न कॊु डरी भें सप्तभ बाव भें शुब ग्रह त्स्थत हों औय सप्तभाॊश फरवान हों तो योग का उऩ ाय
औय स्वास््म राब भें ववरम्फ हो सकता हैं। प्रश्न कुण्डरी भें महद रग्न भे
महद प्रश्न कॊु डरी भें तत ृ ीम, षष्टभ, नवभ एवॊ एकादश बाव भें शब ु ग्रह त्स्थत हों तो उऩ ाय के
स्वास््म राब की सॊबावना अधधक कभ होती हैं
न्द्रभा फरवान हो औय 1, 5, 7 एवॊ 8 बाव भें
सॊबव हो ऩाता हैं।
स्वास््म राब भें ववरम्फ हो सकता हैं।
महद
शुब ग्रह त्स्थत हों तो उऩ ाय से योग का दयू होना
प्रश्न कॊु डरी भें महद रग्नेश औय दशभेश के फी अथवा
न्द्रभा कभजोय मा ऩाऩ
ग्रह से ऩीडड़त हों तो योग का उऩ ाय कहठन हो
को दे खा जाता हैं।
प्रश्न कुण्डरी भें प्रथभ, ऩॊ भ, सप्तभ एवॊ अष्टभ बाव भें ऩाऩ ग्रह हों औय
स्वास््म राब भें ववरॊफ होने के मोग
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उध त राब प्राप्त होगा मा नहीॊ। प्रश्न कंु डरी दे खते सभम शयीय के ववसबन्न अंगो ऩय ग्रहो के प्रबाव एवं बफभायीमों को जानना बी आवश्मक होता हैं।
महद रग्नेश द्वादश बाव भे त्स्थत हो तो योगी दे य से
ज्मोततषी लसिाॊतो के अनश ु ाय कॊु डरी के फायह बाव
योगभक् ु त होने की सॊबावनाऎ होती हैं।
शयीय के ववलबन्न अॊगो को दशााते है ।
महद रग्नेश षष्टभ, अष्टभ बाव भे त्स्थत हो औय
प्रथभ बाव
अष्टभेश केन्द्र भे त्स्थत हो तो योग शीघ्र दयू नहीॊ
द्ववतीम बाव : ह े या, गरा, कॊठ, गदा न, आॊख.
होते।
तीसया बाव : कधे, िाती, पेपडे, श्वास, नसे औय
मदद प्रश्न कंु डरी भें स्वास््म राब भें ववरंफ होने के मोग फन यहे हो तो धचंततत होने के फजाम शास्त्रोक्त उऩाम इत्मादद कयना राबदामक ससद्ध होता हैं। एसी स्स्थतत भें ववद्वानो के भत से भहाभत्ृ मंज ु म भंत्र-मंत्र का प्रमोग शीघ्र योग भस्ु क्त हे तु याभफाण होता हैं।
:लसय, भत्स्तष्क, स्नामु तॊि.
फाहें .
तुथा बाव
:स्तन, ऊऩयी आन्ि, ऊऩयी ऩा न
तॊि ऩॊ भ बाव षष्ठभ बाव
:रृदम, यक्त, ऩीठ, यक्तसॊ ाय तॊि. :तनम्न उदय, तनम्न ऩा न तॊि,
आतें, अॊतडडमाॉ, कभय, मकृत.
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प्रश्न ज्मोततष के अनुसाय प्रश्न कॊु डरी भें
सप्तभ बाव :उदयीम गुहहका, गुदे. अष्टभ बाव
:गप्ु त अॊग, स्िावी तॊि, अॊतडडमाॊ,
भराशम, भूिाशम औय भेरुदण्ड.
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तुथा
स्थान उऩ ाय औय औषधधमों अथाात दवाईमों का स्थान हैं।
तुथा बाव भें महद शुब ग्रह मा शुब ग्रहों
की दृत्ष्ट मा मुतत हो तो सभझे की योग साभान्म
नवभ बाव :जॉघें, तनतम्फ औय धभनी तॊि.
उऩ ाय से शीघ्र ठीक हो सकता हैं।
दशभ बाव :घुटने, हडडमाॊ औय जोड़.
कॊु डरी भें िठा एवॊ सातवाॊ बाव योग का स्थान होता
एकादश बाव :टागे, टखने औय श्वास.
हैं।
द्वादश बाव :ऩैय, रसीका तॊि औय आॊखे.
कॊु डरी भें दशभ बाव योगी का भानाजाता हैं।
महद प्रश्न कॊु डरी भें षष्टभ एवॊ सप्तभ बाव ऩय शुब
प्रश्न कुण्डरी भें योग से सॊफॊधधत बाव
प्रश्न ज्मोततष के अनुसाय प्रश्न कॊु डरी भें रग्न स्थान ध फकत्सक बाव होता हैं। अत् शुब ग्रह
प्रश्न कॊु डरी के रग्न भें शुब ग्रह की त्स्थतत से ऻात होता हैं की योगी को फकसी कुशर ध फकत्सक की सराह प्राप्त हो यही हैं मा होगी।
महद अशुब ग्रह त्स्थत हो तो सभझरे की योगी को फकसी कुशर ध फकत्सक की आवश्मकता हैं।
ग्रहों का प्रबाव हो औय षष्ठे श औय सप्तभेश तनफार हों तो स्वास््म राब धीये धीये होने का सॊकेत लभरता हैं।
नोट: प्रश्न कॊु डरी का ववश्रेषण सावधानी से कयना उध त यहता हैं। ववद्वानो के अनुशाय प्रश्न कॊु डरी का
ववश्रेषण कयते सभम सॊफॊधधत बाव एवॊ बाव के स्वाभी ग्रह अथाात् बावेश एवॊ बाव के कायक ग्रह को
भॊि लसि स्पहटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब
फ़रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से अधधक से अधधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के लरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके लरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी लसि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सुख की प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भे सभाई अद्ववतीम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनुष्म की सभस्त शुब इच्िाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होतत
है । त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सख ु ो फक प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भनष्ु म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की
स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩये शातन भे न्मुनता आतत है व सुख-सभवृ ि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है ।
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यत्नों का अद्भत ु यहस्म
सॊकरन गरुु त्व कामाारम गताॊक से आगे...
सॊऩत्त्त, फवु ि, फर, मश, आम,ु सॊऩत्त्त-सॊततत की
शतन का यत्न नीरभ शतन ग्रह के शब ु परों की
प्रात्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं। नीरभ को शतन का
प्रात्प्त होती हैं।
भान्मता के अनुशाय नीरभ धायण कयने से
रयि
स्वच्ि यहता हैं धायण कयता भें अनैततकता के गण ु
यत्न भाना गमा है ।
जागत ृ नहीॊ होते।
दहन्दी भे :- नीरभ, नीर भर्ण, सस्कृत भे :- नीर, भहानीर, शतनयत्न, शतन वप्रम, नीर
यत्न, नीरोऩान, शोरय यत्न, इन्द्रनीर, तण ृ ाशाही आहद नाभो से जाना जाता हैं। फ़ायसी भे :-
तनरभ धायण कयने से व्मत्क्त को धन-धान्म, सख ु -
जाता हैं।
अनैततक व ऩाऩ कभो भें लरप्त व्मत्क्तमों को नीरभ ववऩयीत पर प्रदान कयता हैं।
माकूत, कफद ू
प्रेभ भें सपरता हे तु नीरभ बाग्मवान यत्न भाना
भन एवॊ आत्भा की प्रसन्नता हे तु नीरभ धायण कयना भददगाय लसि होता हैं।
अयफी भे :- माकूत-अर-असीय
रेदटन भे :- सेपामयस
नीरभ धायण कयने से श्वास, खाॊसी औय वऩत्त से सॊफॊधधत योगों को शाॊत कयता हैं।
अंग्रेजी :- ब्रू सैपामय
वैहदक ज्मोततष शास्ि भें शतन की भहादशा मा
भान्मता:
अॊतयदशा भें शतन के अशुब प्रबावो को दयू कयने के
जानकाय ज्मोततषी की सराह से नीरभ धायण कयना
गाम के दध ू भें नीरभ डार हदमा जाम तो दध ू का यॊ ग नीरा हो जाता है ।
लरए एवॊ शतन ग्रह के कोऩ को शाॊत कयने के लरए
काॊ
के धगरास भें ऩानी बयकय उसभें नीरभ यत्न
एक उत्तभ उऩाम भाना जाता हैं।
डार हदमा जाम तो ऩानी से नीरे यॊ ग की आबा
प्रात्प्त स्थान:
स्ऩष्ट तनकरती हुई हदखाई दे ती हैं।
बायत भें कश्भीय से प्राप्त होने वारे नीरभ
यॊ ग की तीव्र फकयणें तनकरती हदखाई दे ती हैं।
सवाश्रेष्ठ भाने जाते हैं। जो भमयू नीरभ के नाभ से जाने जाते हैं, क्मोंफक इस नीरभ का यॊ ग भोय की गदा न के यॊ ग के सभान नीरा होता हैं। इस के अरावा
का प्रात्प्त स्थान भख् ु म रूऩ से श्रीरॊका, फभाा, थाईरैंड,
आहद नीरभ प्राप्त होते हैं। रेफकन उच्
नीरभ के राब
तनरभ धायण कयने से व्मत्क्त को योग, दोष, दख ु दारयद्रम से भुक्त कयदे ता हैं।
नीरभ
धायण
कयने
से
बूत-प्रेत
फाधाओॊ से िुटकाया लभरता हैं।
आस्रे लरमा, न्मू साउथ वेल्स, अभेरयका, मयू ोऩ, रुस फहुभूल्मवान नीरभ श्रीरॊका के भाने जाते हैं।
एसी भान्मता हैं की नीरभ को ववषैरे साॊऩ के साथ यखने से साॊऩ भय जाता हैं।
नीरभ
कोटी के
महद नीरभ को धऩ ू भें यखा जाम तो इससे नीरे
आहद
आसुयी
नीरभ धायण कयने से व्मत्क्त बववष्मवाणी कयने भें सभथा हो सकता हैं।
दष्ु ट एवॊ कुकभा भें लरप्त व्मत्क्त महद श्रेष्ठ गुणो वारा नीरभ बी धायण कयता हैं तो उस नीरभ की भक फपकी हो जाती हैं।
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कुि ववद्वानो का भत हैं की ववष प्रबाव को कभ
त्जस नीरभ भें स्वेत यॊ ग की ये खा हो, एसा नीरभ
कयने भें नीरभ को कापी असयकायक होता हैं। सहामक होता हैं।
धायण कयने से अस्ि-शस्ि के आघात से भत्ृ मु के
ोट मा घाव होने ऩय यक्त प्रवाह योकने भें नीरभ
नीरभ यतन ् धायण कयने से उसके शुब-अशुब प्रबाव
मोग फनाता हैं। त्जस नीरभ भें रार यॊ ग के िीटे मा धब्फे हो, एसा
नीरभ धायण कयना व्मत्क्त के स्वास््म, सुख व
कुि ही घॊटों के बीतय प्रकट कय दे ता हैं।
नीरभ यत्न धायण कयने से भुख की काॊतत तथा
स्वप्न हदखाई दें अथवा स्वमॊ की भख ु ाकृतत भें अॊतय
आकत्स्भक दघ ा ना, बम, ु ट
त्जस नीरभ भें जार के सभान ये खाएॊ हो एसा नीरभ
नीरभ धायण कयने के ऩश् ात यात भें फुये-बमावह जाम
उताय दे ना
मा
नेि
योग
हो
जामे
अथवा
कोई
ोयी, योग मा अन्म
ाहहए।
कयना धन-सॊऩत्त्त का नाश कयने वारा होता हैं। त्जस नीरभ भें गड्ढा हो एसे नीरभ को धायण कयने से शिु से कष्ट प्राप्त होता हैं। योग शोक भें ववृ ि कयने वारा होता हैं।
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
क्रूय कभा कयने वारे व्मत्क्तमों को हभेशाॊ नीरभ धायण कयना राबदामक होता हैं।
नीरभ धायण कयने से व्मत्क्त भें धैमा व साहस की ववृ ि होती हैं।
त्जस नीरभ का यॊ ग दध ू मा हो, एसा नीरभ धायण
नक् ु शानकायी प्रबाव हदखाई दे तो नीरभ को तयु ॊ त
सॊतान के लरमे हातनकायक होता हैं।
नेिों की ज्मोतत भें ववृ ि होती हैं।
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नीरभ ऩहनने से व्मत्क्त की कामा ऺभता फढ़ती हैं
गणेश रर्क्ष्भी मॊि
व धायणकताा को अऩनी भेहनतका ऩूणा पर प्राप्त होता हैं।
स्वास््म: नीरभ धायण कयने से नेि योग, हदभाग की गभॉ, ऩागरऩन, ज्वय, अजीणा, उऩदॊ श, खाॊसी, हह की, भुॊह से खन ू आना, उल्टी आहद योगो भें राबप्राप्त होता हैं।
दोष:
त्जस नीरभ भें दों से अधधक यॊ ग हो, एसा नीरभ धायण कयना ऩत्नी के लरमे नुक्शानकायी होता हैं।
त्जस नीरभ की
भक पीकी हो, एसा नीरभ धायण
कयने से आत्त्भम फॊध/ु फाॊधवो का होता हैं।
त्जस नीरभ भें अन्म यॊ ग के िीटे मा धब्फे हो, एसा नीरभ धायण कयना जीवन भें द्ु खो से सम्भुखीन कयवाता हैं।
त्जस नीरभ भें
ीय मा आडी, ततयिी, खडी ये खाएॊ
हो, एसे नीरभ को धायण कयने से दरयद्रता आती हैं।
प्राण-प्रततत्ष्ठत गणेश रर्क्ष्भी मॊि को अऩने घयदक ु ान-ओफपस-पैक्टयी भें ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी भें स्थावऩत कयने व्माऩाय भें ववशेष राब प्राप्त होता हैं। मॊि के प्रबाव से बाग्म भें उन्नतत, भान-प्रततष्ठा एवॊ व्माऩय भें ववृ ि होती हैं एवॊ आधथाक त्स्थभें सुधाय होता हैं। गणेश रर्क्ष्भी मॊि को स्थावऩत कयने से बगवान गणेश औय दे वी रर्क्ष्भी का सॊमुक्त आशीवााद प्राप्त होता हैं।
Rs.325 से Rs.12700 तक
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भॊि लसि दर ा साभग्री ु ब कारी हल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900
कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751
हल्दी भारा - Rs- 280
धन ववृ ि हकीक सेट Rs-280 (कारी हल्दी के साथ Rs-550)
तुरसी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751
नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
हकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370
नवयॊ गी हकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190
हकीक भारा (सात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-145
भॊग ू े की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पहटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250
ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
सपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910
वैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550,
रुद्राऺ भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above
ववधुत भारा - Rs- 190, 280
कालभमा लसॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above
भल् ू म भें अॊतय िोटे से फड़े आकाय के कायण हैं।
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भॊि लसि स्पहटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩण ू ा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त
शब ु फ़रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से अधधक से अधधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के लरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩण ै न्म मक् ू ा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा त ु त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके लरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी लसि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सख ु की प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भे सभाई अहद्रततम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनष्ु म की सभस्त शब ु इच्िाओॊ को ऩयू ा कयने भे सभथा होतत है । त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनष्ु म असफ़रता
से सफ़रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सख ु ो फक प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भनष्ु म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से
वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩये शातन भे न्मन ु ता आतत है व सख ु -सभवृ ि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है ।
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गुरुत्व कामावरम भे ववलबन्न आकाय के "श्री मॊि" उप्रब्ध है
भूल्म:- प्रतत ग्राभ Rs. 28.00 से Rs.100.00
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प्रकृतत की अरौफकक दे न रुद्राऺ धायण कयने से राब
सॊकरन गुरुत्व कामाारम गताॊक से आगे...
सम्भान, प्रततष्ठा भें ववृ ि होती हैं।
नव भख ु ी रुद्राऺ:
नव भुखी रुद्राऺ को कामा लसि के लरए उत्तभ भाना जाता हैं।
नव भुखी
रुद्राऺ
को
धायण
कयने
से
ऩयात्जत होता हैं।
शिुऩऺ
नव भुखी रुद्राऺ कोटा -क ये ी के कामो भें सपरता प्राप्त कयने के लरए उत्तभ भाना जाता हैं।
नव भुखी रुद्राऺ धायण कयने से रृदम योग तनमॊिण कयने भें ववशेष राबप्रद होता हैं।
नव भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्त्र:-
ॐ ह्ीॊ वॊ मॊ यॊ रॊ॥
दश भख ु ी रुद्राऺ:
नव भख ु ी रुद्राऺ नवदग ु ाा का साऺात स्वरुऩ भाना जाता हैं। नव भख ु ी रुद्राऺ को बैयव का प्रततक बी
भाना जाता हैं। नव भख ु ी रुद्राऺ को नवग्रह, नवनाथों एवॊ नवधा बत्क्त का प्रतीक बी सभझा जाता हैं।
नवभुखी रुद्राऺ नव तनधधमों के प्रदान कयने वारा हैं।
नव भुखी रुद्राऺ को हजायों-राखो-कयोड़ो ऩाऩों को नष्ट कयने वारा कहा गमा हैं।
नव भुखी रुद्राऺ भत्ृ मु बम दयू होता हैं।
नव भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से सबी प्रकाय की साधना भें शीघ्र सपरता प्राप्त होती हैं।
नव भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म के भान-
दश भुखी रुद्राऺ बगवान ववष्णु का साऺात स्वरुऩ
क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हैं? आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से िुटकाया ऩाने हे तु ऩज ा ा, साधना, भॊि जाऩ इत्माहद कयने का सभम नहीॊ हैं? ू ा-अ न
अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी ववशेष ऩज ा ा, ववधध-ववधान के आऩको अऩने कामा भें सपरता ू ा-अ न प्राप्त कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सख ु ो को प्राप्त कयने का भागा प्राप्त हो सके इस लरमे गरु ु त्व कामाारत द्वाया हभाया उद्देश्म शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वाया लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा मुक्त ववलबन्न प्रकाय के मन्ि- कव एवॊ शुब परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहो ाने का है ।
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त ै न्म
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25 भाना जाता हैं। दश भुखी रुद्राऺ को मभ एवॊ दस
एसा भानाजाता हैं फक दस भुखी रुद्राऺ भें बगवान
ताॊत्रिक साधनाओॊ भें दस भुखी रुद्राऺ का ववशेष
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से बूत-प्रेत, भायण-
नहीॊ होता।
दश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्त्र:-
हदक्ऩार का स्वरुऩ बी भाना गमा हैं।
दस
भुखी
रुद्राऺ
धायण
कयने
से
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से ग्रहों के अशुब प्रबाव शाॊत होते हैं।
भोहन इत्माहद ताॊत्रिक फाधाओॊ के दष्ु प्रबाव प्रबाव
योगों को शाॊत कयने भें दस भुखी रुद्राऺ से ववशेष राबदामक होता हैं।
भहत्व भाना जाता हैं।
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भनुष्म की सकर भनोकाभनाएॊ ऩूणा होती हैं।
ववष्णु के दशों अवतायों की शत्क्त सभाहहत होती हैं।
दस भुखी रुद्राऺ सबी प्रकाय की फाधाओॊ का नाश कय, भनुष्म को सुख-शाॊतत व सभवृ ि प्रदान कयता हैं
ॐ श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ व्रीॊ ॐ॥
आकत्स्भक
दघ ा नाओॊ से यऺा होती हैं। ु ट
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>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
दस भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शीघ्र ही भनुष्म का मश दशों हदशाओॊ भें पेर जाता हैं।
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वणाभारा के अनुसाय स्वप्न पर वव ाय
सॊकरन गरुु त्व कामाारम गताॊक से आगे...
स्वप्न भें टाई सपेद यॊ ग की दे खना अशब ु सॊकेत है । स्वप्न भें टाई यॊ गीन दे खना शब ु सॊकेत है ।
स्वप्न भें टे रीपोन कयते दे खना नमे रोगों से लभिता होने का सॊकेत है । स्वप्न भें टे फर दे खना रेने-दे ने सॊफॊधधत कामा से राब होने का सॊकेत है । स्वप्न भें टै क्स दे ते दे खना
रते कामा भें रूकावट
होने का सॊकेत है । स्वप्न भें झगडा होते दे खना शुब सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें झयना ठॊ डे ऩानी का दे खना सॊकेत है , रेफकन गभा ऩानी का झयना योग से ऩीडड़त होने सॊकेत है । स्वप्न भें झॊडा सपेद यॊ ग का मा फकसी भॊहदय का दे खना शुब सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें झॊडा हये यॊ ग का दे खना मािा भें कष्ट
स्वप्न भें टै क्स रेते दे खना आधथाक राब लभरने का सॊकेत है । स्वप्न भें टोकयी खारी दे खना शुब सॊकेत है ।
स्वप्न भें टोकयी बयी दे खना अशुब सॊकेत है ।
स्वप्न भें टोऩी उतायते दे खना सभाज भें भान सम्भान फढ़ने का सॊकेत है । स्वप्न भें टोऩी सय ऩय यखी दे खना स्वजनो से अऩभान होने का सॊकेत है ।
होने का सॊकेत है । स्वप्न भें झॊडा ऩीरे यॊ ग का दे खना फीभायी होने का सॊकेत है । स्वप्न भें झाडू रगाते दे खना घय भें
ोयी होने का
सॊकेत है ।
स्वप्न भें झन ु झन ु ा दे खना ऩरयवाय भें सख ु -सभवृ ि फढ़ने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें डॊडा दे खना दश्ु भन से सावधान यहने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें डपरी फजाते दे खना घय भें भाॊगलरक कामा होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें डाक खाना दे खना फुये सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें टॊ की खारी दे खना शब ु सॊकेत है ।
स्वप्न भें टॊ की बयी हुई दे खना अशब ु सॊकेत है ।
स्वप्न भें डाफकमा दे खना शुब सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें डॉक्टय दे खना तनयाशा लभरने का सॊकेत है ।
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स्वप्न भें डाकू दे खना धन ववृ ि होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तराक दे खना धन ववृ ि होने का सॊकेत
स्वप्न भें डडब्फा बया दे खना अशुब सॊकेत हैं।
स्वप्न भें तभा ा भायते दे खना शिु ऩय ववजम प्राप्त
स्वप्न भें डडब्फा खारी दे खना शुब सॊकेत हैं।
है ।
होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तयाजू भें तुरते दे खना बमॊकय फीभायी होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तवा खारी दे खना अशुब सॊकेत है ।
स्वप्न भें तवे ऩय योटी सेकते दे खना धन-सॊऩत्त्त फढने का सॊकेत है । स्वप्न भें तहखाना दे खना तीथा मािा ऩय जाने का स्वप्न भें तयफज ू दे खना धन राब प्राप्त होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तयाजू दे खना कामा उध त ढॊ ग से ऩूणा होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तफरा फजते दे खना जीवन भें सुख-शाॊतत प्राप्त होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तफकमा दे खना सभाज भें भान सम्भान फढने का सॊकेत है । स्वप्न भें तरवाय दे खना धलभाक कामा सॊऩन्न होने एवॊ शिु ऩय ववजम प्राप्त होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तऩस्वी दे खना भन की शाॊतत लभरने का सॊकेत है । स्वप्न भें तरा ऩकवान खाते दे खना शुब सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।
सॊकेत है । स्वप्न भें ताम्फा दे खना सयकाय से राब लभरने का सॊकेत है । स्वप्न भें ताराफ भें तैयते दे खना स्वस््म राब का सॊकेत है । स्वप्न भें तारा दे खना
रते काभ भें रूकावट आने
का सॊकेत है । स्वप्न भें तारी फजते दे खना त्रफगडे कामा फनने का सॊकेत है । स्वप्न भें ताॊगा दे खना जीवन भें सख ु ववृ ि एवॊ मािा भें राब लभरने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें ताफीज फाॊधा दे खना कामा भें हातन होने का सॊकेत है । स्वप्न भें ताफीज दे खना – शब ु सभम का आगभन होने का सॊकेत है ।
नवयत्न जडड़त श्री मॊि
शास्ि व न के अनुसाय शुि सव ु णा मा यजत भें तनलभात श्री मॊि के
ायों औय महद
नवयत्न जड़वा ने ऩय मह नवयत्न जडड़त श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनत्श् त स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट के रूऩ भें धायण कयने से व्मत्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रर्क्ष्भी की प्रात्प्त होती हैं। व्मत्क्त को एसा आबास होता हैं
जैसे भाॊ रर्क्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशब ु दशा का धायण कयने वारे व्मत्क्त
ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं। गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो
जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय रर्क्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस प्रकाय के नवयत्न जडड़त श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्वाया शुब भुहूता भें प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से
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स्वप्न भें ततजोयी टूटती दे खना व्माऩाय भें फढोतयी होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें ताये दे खना अशुब सॊकेत है । स्वप्न भें तततरी दे खना शीघ्र
स्वप्न भें ततरक कयते दे खना व्माऩाय भें फढोतयी
वववाह होने व प्रेभ
होने का सॊकेत है ।
की ववृ ि का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तूपान दे खना मा उसभे पॉसते दे खना
क्रेश होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तेर मा तेरी को दे खना सभस्मा फढने का
स्वप्न भें तततरी उड़ती हदखे तो दाॊऩत्म जीवन भें स्वप्न भें तततरी ऩकड़ते दे खना सॊतान सुख भें ववृ ि होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें ततर दे खना व्माऩाय भें राब लभरने का सॊकेत है ।
सॊकेत है । स्वप्न भें तोऩ दे खना शिु ऩय ववजम प्राप्त होने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तोता दे खना प्रसन्नता फढ़ने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें ततयाहा (तीन यास्ते) मा त्रिसॊगभ दे खना रडाई-झगडा होने का सॊकेत है । स्वप्न भें
सॊकट से िुटकाया लभरने का सॊकेत है ।
स्वप्न भें तोंद फढ़ी दे खना ऩेट सॊफॊधधत ऩये शानी होने का सॊकेत है ।
त्रिशूर दे खना भहत्वऩूणा भागा दशान
स्वप्न भें तोलरमा दे खना स्वस््म राब लभरने का
स्वप्न भें त्रिभूतता दे खना नौकयी लभरने का सॊकेत है ।
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
लभरने का सॊकेत है ।
सॊकेत है ।
स्वप्न भें ततजोयी फॊद कयते दे खना धन ववृ ि होने
***
का सॊकेत है ।
अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव
अभोद्य भहाभत्ृ मुॊजम कव
व
उल्रेर्खत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से
ववद्वान ब्राहभणो द्वाया सवा राख भहाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वाया तनलभात कव अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।
अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव कव
फनवाने हे तु:
अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे कव
अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज ु म कव
दक्षऺणा भाि: 10900
के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु गरु ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।
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अॊक ज्मोततष का यहस्म
सॊकरन गरुु त्व कामाारम भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त दस ू यों से जया हटके कामा
गताॊक से आगे...
कयने भें ववश्वास अयखते हैं इसी लरमे इन भें ववशेष
7
गुण होते हैं की मह रोग वेस्ट भें से फेस्ट फना दे ते हैं
भूराॊक 7
शिु अॊक:- 1, 9
स्वाभी ग्रह:- केतु
सभ:- 3,4 5,8,
लभि अॊक:- 2, 6
स्व अॊक:- 7
महद फकसी व्मत्क्त का जन्भ फकसी बी भास की 7, 16 व 25 तायीख को हुवा हैं तो उनका भूराॊक 7 होता है । भूराॊक
7
अॊक
अधधक सहनशीर औय वव ाय
धाया
वारे
के
व्मत्क्त
सहमोगी
होते
हैं
अथाात फेकाय मा व्मथा वस्तुओॊ भें से फहुउऩमोगी साभग्रीमाॊ प्राप्त कय रेते मा फना रेते हैं। भर ू ाॊक 7 वारे व्मत्क्त का भन-भत्स्तष्क खारी
मा तनत्ष्क्रम नहीॊ यह सकता, इसलरए वह हय ऺण कुि ना कुि सो ते ही यहते हैं। इसलरए व्मत्क्त खारी
सभम भें बी कुि ना कुि नमा कयने का अवसय
खोजते यहते हैं। भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त को अऩनी एवॊ दस ू यों की स्वतॊिता अधधक वप्रम होती हैं इसलरए
कहठन
होता
क्मोफक
इन
रोगों
स्वबाव
भें
उताय- ढ़ाव
कय
हैं
से
सकते।
व्मत्क्त
के
इस
सभाज भें भान-सम्भान एवॊ
के
ऩद-प्रततष्ठा
दस ू यों
के
भुकाफरे जया हटके होती हैं।
की
प्रकृतत
व्मत्क्त
कामा ऺेि भें आधायबूत एवॊ अधधक रुध ऩूणा होती हैं।
भूराॊक 7 का स्वाभी ग्रह केतु
हैं, इसलरए भूराॊक 7 भें जन्भ रेने वारे व्मत्क्त के
उऩय केतु का ववशेष प्रबाव दे खने को लभरता हैं, क्मोफक 7 भूराॊक भें जन्भ रेने के कायण व्मत्क्त के लबतय केतु ग्रह की अनुकूरता के कायण केतु ग्रह के गुणों का सभावेश अन्म ग्रहों की अऩेऺा अधधक भािा भें हो जाता
हैं। केतु ग्रह के इस ववशेष प्रबावव गुणों के कायण ही व्मत्क्त की स्वतॊि वव ाय धाया औय ववशार व्मत्क्तत्व होता हैं।
प्रकाय
अनोखे गुण के कायण उसकी
होता यहता हैं। व्मत्क्त
फकसी
स्वतॊिता बॊग हो मह फदाास्त नहीॊ
भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त को ऩयखना
व्मत्क्त
की
जान
ऩेह ान ऊॉ े औय फड़े रोगों से होने के कायण व्मत्क्त जल्द उच् स्थान को प्राप्त कयने भें सभथा होता हैं। व्मत्क्त को अऩने लभिों एवॊ वप्रमजनों का ऩण ू ा
सहमोग प्राप्त होता हैं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त साहसी होने के कायण
साहलसक कामो भें ववशेष रूध
यखते हैं त्जसभें उन्हें
सपारता बी लभरती हैं। इसके अरावा व्मत्क्त का झुकाव करा के प्रतत बी हो सकता हैं त्जस कायण उसे करा के ऺेि भें बी सपरता प्राप्त हो सकती हैं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त का आधथाक ऩऺ कभजोय
होता हैं त्जस कायण उन्हें
धन सॊग्रह कयने भें कहठनाई
8
30 होती हैं। व्मत्क्त को मािा-भ्रभण इत्माहद भें ववशेष रुध होने के कायण व्मत्क्त इस ऩय अधधक धन व्मम कय सकते हैं।
8
सम्भुर्खन होना ऩडाता े़ हैं, त्जस कायण व्मत्क्त हभेशा द्ु खी यहते हैं।
भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त की सफसे फडी े़ कभी होती
भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त का आत्भ ववश् ास
हैं की वह दस ू यों के साभने स्वमॊ को अधधक फुविभान,
फात ऩढ़ने भें बी भाहहय होते हैं। इसके अरावा व्मत्क्त
त्जस कायण कई रोगों से शित ु ा कय फैठते हैं। व्मत्क्त
अच्िा होता हैं, इस कायण व्मत्क्त दस ू यों के भन की भें दस ू यों को अऩनी औय आकवषात कयने के गण ु बी होते हैं। त्जस कायण मह रोग प्राम् सभम
रोगों से
अऩना इत्च्ित काभ तनकार रेते हैं। भर ू ाॊक 7 वारे व्मत्क्त स्वतॊिता वप्रम होने के
शत्क्तशारी एवॊ
ाराक हदखाने का प्रमास कयते हैं।
को अऩनी खस ु ाभद कयने वारे रोग अधधक यास आते हैं व्मत्क्त खस ु ाभत कताा ऩय कुि बी दे ने भें सॊको नहीॊ कयते।
महद भर ू ाॊक 7 वारे व्मत्क्त दष्ु ट प्रकृत्त्त के
कायण उन्हें ऩयु ानी रूहढ़वादी यीतत मा ऩयॊ ऩया अधधक
रोगों से अधधक सॊऩका भें यहते हैं तो उनभें बी दष्ु ट
ऩरयवतानशीर वव ायधाया यखते हैं।
व्मत्क्त ववदे श भ्रभण के बी अधधक इच्िुक होते हैं।
यास नहीॊ आती व्मत्क्त इन यीतत मा ऩयॊ ऩयाओॊ के लरए
प्राम् भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त दयू स्थ स्थानों मा
दे शों की मािा कयना अधधक ऩसॊद कयते हैं इस कायण
प्रवत्ृ त्तमा जत्ल्द घय कय जाती हैं। भूराॊक 7 वारे भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त साभात्जक कामाकताा होने के कायण व्मत्क्त साभात्जक कामा भें बी व्मस्त यहते हैं।
अधधकतय भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त एसी ही योजगाय के
व्मत्क्त का स्वबाव थोडा शॊकाशीर होता हैं।
प्राप्त होते हों।
बी कष्टों एवॊ सॊकटों से रड़ने की अद्भत ु सहनशत्क्त होती हैं। महद व्मत्क्त एक फाय कुि कयने की ठान रे
साधन खोजते
हैं त्जसभें उन्हें फाय-फाय मािा के अवसय
भर ू ाॊक 7 वारे व्मत्क्त काल्ऩतनक वव ाय अधधक
कयने वारे एवॊ बावक ु स्वबाव के होते हैं, इस कायण व्मत्क्त को अच्िे फयु े की की ऩयख नहीॊ होती।
भूराॊक 7 वारे अधधक तय रोगों को जल्दी से
तनणाम रेने भें असपरता मा कष्ट का अनुबव कयते हैं। अनेक फाय व्मत्क्त को ठोस तनणाम के कायण ही अधधक राब की प्रात्प्त बी होती हैं। भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त भें अऩने कामा ऺेि की
व्मवस्था को सॊबारने की अद्भत ु शत्क्त होती हैं , त्जस कायण मह रोग फकसी के दफाव भें मा फकसी के नेतत्ृ व भें उध त कामा नहीॊ कय सकते मा अऩनी प्रततबा नही हदखा सकतें महद व्मत्क्त फकसी कें अॊदय कामा कयता हैं
तो उसकी प्रगतत अधधक नहीॊ हो सकती व्मत्क्त स्वमॊ बी अऩनी प्रगतत को रुका हुवा मा फॊधा हुवा ऩाते हैं। व्मत्क्त को साभात्जक कामा मा दस ू यों के कामा
भें सहामता मा हस्तऺेऩ कयने की आदत होती हैं त्जस के कायण उन्हें
कई फाय तनन्दा एवॊ फदनाभी से
भूराॊक 7 वारे व्मत्क्त भें ववऩरयत ऩरयत्स्थतत भें
तो उस रर्क्ष्म ऩय ऩहूॊ
कय ही दभ रेते हैं।
शब ु वषा: 16,25,34,43,52,61,70 वाॊ वषा हैं, ततधथ 6,15,24 शुब दामक होती हैं, फकसी कामा भें सपरता प्राप्त कयने के लरमे इन्हीॊ ततधथ का प्रमोग कयना
ाहहमे, इन
ततधथमों भें सोभवाय मा शतनवाय का हदन ऩड़े तो फहुत शुब होता हैं। स्वास््म् व्मत्क्त को
भायोग घेये यहते हैं। खज ु री मा दाद होनेकी
सॊबावना फनी यही हैं।
भा सॊफॊधध वषकामत होती ही
यहती हैं। आॉख, उदय तथा पेपड़ों से सॊफॊधध फीभारयमाॊ, गुप्त तथा कहठन योग एवॊ पोड़े आहद की वषकामते यहती हैं। अत्माधधक तनाव, सदै व फकसी ध त ॊ ा भें यहते
हैं, फदहजभी एवॊ कब्ज की लशकामत, नीॊद बी कभ आती हैं।
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31 उऩमुक्त आहाय: सेफ,
अॊगूय,
व्रत कयने से आकत्स्भक दध ा ना आहद से यऺा होती ु ट
ककड़ी,
प्माज,
भूरी,
गाजय,
टभाटय,
ऩारक, इभरी एवॊ सौंप उऩमोगी हैं।
औय द्ु ख दरयद्रता, आधध-व्माधध का अॊत होता हैं। ग्रह शांतत के सरए उऩमुक्त रुद्राऺ:
आऩका भूरांक स्वाभी केतु हैं अत् केतु ग्रह के अशुब
अनक ु ू र व्मवसाम: व्मत्क्त फपल्भ, तैयाकी, वामुसेना, ऩमाटन, जर-जहाज, डेयी,
8
ड्राईववॊग, दवाई, जासूसी, तयर ऩदाथा, कुस्ती,
यफड़, प्रास्टीक, करा, जादग ु य, पूटनीतत, बूलभगत
ऩदाथा, अनुवाद, रेखन, सॊऩादन, ऩिकारयता, याजनीतत आहद सॊफॊधधत कामो भें अधधक सपर होते हैं।
प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरों की प्रात्प्त के लरए 9 भुखी रुद्राऺ धायण कयना आऩके लरए उऩमुक्त यहे गा।
आऩ 9 भुखी रुद्राऺ के साथ भें 7 भुखी मा 14 भुखी
औय 4 भुखी रुद्राऺ धायण कयने से बी आऩको ववशेष शब ु ऩरयणाभो की प्रात्प्त होगी। शांतत के सरए दान
शब ु हदशा: व्मत्क्त के लरए अनुकूर हदशा वामव्म एवॊ ऩत्श् भ है । व्मत्क्त के लरए हल्का ऩीरा, सपेद, नीरा, आसभानी, गुराफी, आहद यॊ ग शुबसू क है । भर ू ांक 7 के व्मस्क्त के सरए कष्ट तनवायक उऩाम
आऩका भर ू ांक के स्वाभी ग्रह केतु के शुब
प्रबावो की ववृ ि हेतु आऩ अऩनी भध्मभा उॊ गरी
ग्रह:- केतु
वाय:- भॊगरवाय केतु फक शाॊतत हे तु सात प्रकाय के वैदम ू ,ा अनाज,
काजर, झॊडा, ऊनी कऩड़ा, ततर आहद का दान कयने से शुब पर फक प्रात्प्त होती हैं
ग्रह शांतत के अन्म सयर उऩाम: े़ भाता-वऩता एवॊ फडे-फज ु ग ु ों का सम्भान कयें ।
भें रहसुतनमा ( केटस आई) धायण कय सकते
अस्ऩतार, अनाथारम आहद भें तनस्वाथा सेवा
मॊि को स्थावऩत कय सकते हैं।
बगवान लशव, ववष्णु मा भाॉ दग ु ाा का स्भयण
हैं। अऩने ऩूजा स्थान भें प्राण-प्रततत्ष्ठत केतु महद आधथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रततत्ष्ठत श्रीमॊि का तनमलभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा। ग्रह शांतत के सरए व्रत उऩवास: व्रत: केतु ग्रह के लरए कोई हदन तनत्श् त नहीॊ फकमा
कय।ॊ कयते हुवे हदन की शुरुवात कयें । बोजन कयते सभम लसय ढक कय न यखें औय दक्षऺण हदशा की ओय भुॊह कयके बोजन न कयें ।
सपाई कभा ायी से दव्ु मावहाय न कयें ।
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
गमा हैं, इसलरए केतु को प्रसन्न कयने हे तु भॊगरवाय
***
मा शतनवाय के हदन व्रत फकमा जा सकता हैं। केतु का
ग्रह शाॊतत हे तु ववशेष भॊि लसि कव
कारसऩा शाॊतत कव
3700
भाॊगलरक मोग तनवायण कव
1450
शतन साड़ेसाती-ढ़ै मा कष्ट तनवायण कव
2350
नवग्रह शाॊतत
1250
लसि शतन कव
820
श्रावऩत मोग तनवायण कव
1900 1900
लसि भॊगर कव
820 820
ॊडार मोग तनवायण कव
1450
ग्रहण मोग तनवायण कव
लसि फुध कव
लसि याहु कव लसि केतु कव
820
ववष मोग तनवायण कव
लसि सूमा कव
1450
लसि गुरु कव
लसि शुक्र कव
820
820
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कारसऩा मोग एक कष्टदामक मोग ! कार का भतरफ है भत्ृ मु । ज्मोततष के जानकायों
मोग के कायण सबी कामों भें अत्माधधक सॊघषा कयना
मोग भे हुवा हो वह व्मत्क्त जीवन बय भत्ृ मु के सभान कष्ट बोगने वारा होता है , व्मत्क्त जीवन बय कोइ ना
से हो ऩाता है । अगय जग ु ाड़ होजामे तो रम्फे सभम तक
के अनुसाय त्जस व्मत्क्त का जन्भ अशुबकायी कारसऩा
कोइ सभस्मा से ग्रस्त होकय अशाॊत ध त होता है ।
कारसऩा मोग अशुब एवॊ ऩीड़ादामक होने ऩय व्मत्क्त के जीवन को अत्मॊत द्ु खदामी फना दे ता है ।
कारसऩव मोग भतरफ क्मा? फी
जफ जन्भ कॊु डरी भें साये ग्रह याहु औय केतु के त्स्थत यहते हैं तो उससे ज्मोततष ववद्या के जानकाय
उसे कारसऩा मोग कहा जाता है ।
कारसऩव मोग ककस प्रकाय फनता है औय क्मों फनता हैं? जफ 7 ग्रह याहु औय केतु के भध्म भे त्स्थत हो मह अत्च्ि त्स्थतत नहह है । याहु औय केतु के भध्म भे फाकी सफ ग्रह आजाने से याहु केतु अन्म शब ु ग्रहों के प्रबावों को ऺीण कय दे ते हों!, तो अशब ु कारसऩा मोग
ऩड़ताअ है । उसकी योजी-योटी का जुगाड़ बी फड़ी भुत्श्कर हटकती नही है । फाय-फाय व्मवसाम मा नौकयी भे फदराव
आते ये हते है । धनाढम घय भें ऩैदा होने के फावजूद फकसी न फकसी वजह से उसे अप्रत्मालशत रूऩ से आधथाक ऺतत
होती यहती है । तयह-तयह की ऩये शानी से तघये यहते हैं। एक सभस्मा खतभ होते ही दस ू यी ऩाव ऩसाये खडी होजाती है । कारसऩा मोग से व्मत्क्त को
ैन नही लभरता उसके
कामा फनते ही नही औय फन जामे आधे भे रुक जाते है । व्मत्क्त के 99% हो
ुका कामा बी आखयी ऩरो भे
अकस्भात ही रुक जात है ।
ऩयॊ तु मह ध्मान यहे , कारसऩा मोग वारे सबी
जातकों ऩय इस मोग का सभान प्रबाव नही ऩड़ता।
क्मोफक फकस बाव भें कौन सी यालश अवत्स्थत है औय उसभें कौन-कौन ग्रह कहाॊ त्स्थत हैं औय दृत्ष्ट कय यहे है
उस्का प्रबाव फराफर फकतना है - इन सफ फातों का बी सॊफॊधधत जातक ऩय भहत्वऩूणा प्रबाव ऩड़ता है ।
इसलरए भािा कारसऩा मोग सुनकय बमबीत हो
फनता है , क्मोफक ज्मोततष भे याहु को सऩा(साऩ) का भुह(भुख) एवॊ केतु को ऩूॊि कहा जाता है ।
जाने की जरूयत नहीॊ फत्ल्क उसका जानकाय मा कुशर
कारसऩव मोग का प्रबाव क्म होता है ?
की ववस्तत ृ जानकायी हालसर कय रेना ही फुविभत्ता है ।
त्जस प्रकाय फकसी व्मत्क्त को साऩ काट रे तो
ज्मोततषी से ज्मोततषीम ववश्रेषण कयवाकय उसके प्रबावों जफ असरी कायण ज्मोततषीम ववश्रेषण से स्ऩष्ट हो जामे
वह व्मत्क्त शाॊतत से नही फेठ सकता वेसे ही कारसऩा
तो तत्कार उसका उऩाम कयना
भानलसक, आधथाक ऩये शानी का साभना कयना ऩडता है ।
महद आऩकी जन्भ कॊु डरी भे बी अशुब कारसऩा मोग का
से सॊफॊधी कष्ट जेसे उसे सॊतान होती ही नहीॊ मा होती है
तो कारसऩा मोग के अशुब प्राबावों को शाॊत कयने के
भहत्वऩूणा वस्तु का अबाव यहता है । जातक को कारसऩा
को सुखी एवॊ सभि ृ फनाए।
मोग से ऩीडड़त व्मत्क्त को जीवन ऩमान्त शायीरयक,
ाहहए। उऩाम से कारसऩा
मोग के कुप्रबावो को कभ फकमा जा सकता है ।
वववाह ववरम्फ से होता है एवॊ वववाह के ऩश्च्मात सॊतान
फन यहा हो औय आऩ उसके अशब ु प्रबावों से ऩये शान हो,
तो योग ग्रस्त होती है । उसे जीवन भें फकसी न फकसी
लरमे ववशेष अनुबूत उऩामों को अऩना कय अऩने जीवन
कारसऩा शाॊतत हे तु अनब ु त ू एवॊ सयर उऩाम भॊि लसि
कारसऩा शाॊतत मॊि
भॊि लसि
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सवा कामा लसवि कव त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊतित सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें लसवि (राब) लसवि कव
प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा अवश्म धायण कयना
ाहहमे।
कवच के प्रभुख राब: सवा कामा लसवि कव
के द्वारा
सुख सभवृ ि औय नव ग्रहों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र
का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय
जीवन भे सलब प्रकाय के शुब कामा लसि होते हैं। त्जसे धायण
कयने से व्मत्क्त महद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि होतत हैं औय महद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं।
सवा कामा लसवि कव
के साथ भें सववजन वशीकयण कव
के लभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस ू ये व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं।
सवा कामा लसवि कव
के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव
के
लभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रर्क्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रर्क्ष्भी
के अष्ट रुऩ (१)-आहद रर्क्ष्भी, (२)-धान्म रर्क्ष्भी, (३)- धैमा रर्क्ष्भी, (४)-गज रर्क्ष्भी, (५)-सॊतान रर्क्ष्भी, (६)ववजम रर्क्ष्भी, (७)-ववद्या रर्क्ष्भी औय (८)-धन रर्क्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं।
सवा कामा लसवि कव
के साथ भें तंत्र यऺा कव
के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,
साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव
के प्रबाव
से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं।
सवा कामा लसवि कव
के साथ भें शत्रु ववजम कव
के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त
ऩये शातनओ से स्वत् ही िुटकाया लभर जाता हैं। कव कुि नही त्रफगाड़ सकते। अन्म कव
के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का
ाहकय
के फाये भे अधधक जानकायी के लरमे कामाारम भें सॊऩका कये :
फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा लसवि कव
दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सुयक्षऺत हैं।
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श्री गणेश मॊि गणेश मॊि सवा प्रकाय की ऋवि-लसवि प्रदाता एवॊ सबी प्रकाय की उऩरत्ब्धमों दे ने भें सभथा है , क्मोकी श्री गणेश मॊि के ऩज ू न का पर बी बगवान गणऩतत के ऩज ू न के सभान भाना जाता हैं। हय भनष्ु म को को जीवन भें सख ु -सभवृ ि की प्रात्प्त एवॊ तनमलभत जीवन भें प्राप्त होने वारे ववलबन्न कष्ट, फाधा-ववघ्नों को नास के लरए श्री गणेश मॊि को अऩने ऩज ू ा स्थान भें अवश्म स्थावऩत कयना
ाहहए। श्रीगणऩत्मथवाशीषा भें वर्णात हैं ॐकाय का ही व्मक्त स्वरूऩ
श्री गणेश हैं। इसी लरए सबी प्रकाय के शब ु भाॊगलरक कामों औय दे वता-प्रततष्ठाऩनाओॊ भें बगवान गणऩतत का
प्रथभ ऩूजन फकमा जाता हैं। त्जस प्रकाय से प्रत्मेक भॊि फक शत्क्त को फढाने के लरमे भॊि के आगें ॐ (ओभ ्)
आवश्म रगा होता हैं। उसी प्रकाय प्रत्मेक शुब भाॊगलरक कामों के लरमे बगवान ् गणऩतत की ऩूजा एवॊ स्भयण अतनवामा भाना गमा हैं। इस ऩौयार्णक भत को सबी शास्ि एवॊ वैहदक धभा, सम्प्रदामों ने गणेश जी के ऩूजन हे तु इस प्रा ीन ऩयम्ऩया को एक भत से स्वीकाय फकमा हैं।
श्री गणेश मॊि के ऩूजन से व्मत्क्त को फुवि, विद्या, वववेक का ववकास होता हैं औय योग, व्माधध एवॊ सभस्त
ववध्न-फाधाओॊ का स्वत् नाश होता है । श्री गणेशजी की कृऩा प्राप्त होने से व्मत्क्त के भुत्श्कर से भुत्श्कर कामा बी आसान हो जाते हैं।
त्जन रोगो को व्मवसाम-नौकयी भें ववऩयीत ऩरयणाभ प्राप्त हो यहे हों, ऩारयवारयक तनाव, आधथाक तॊगी, योगों से ऩीड़ा हो यही हो एवॊ व्मत्क्त को अथक भेहनत कयने के उऩयाॊत बी नाकाभमाफी, द:ु ख, तनयाशा प्राप्त हो यही हो, तो एसे व्मत्क्तमो की सभस्मा के तनवायण हे तु अ न ा ा कयने का ववधान शास्िों भें फतामा हैं।
तुथॉ के हदन मा फुधवाय के हदन श्री गणेशजी की ववशेष ऩूजा-
त्जसके पर से व्मत्क्त की फकस्भत फदर जाती हैं औय उसे जीवन भें सुख, सभवृ ि एवॊ ऐश्वमा की प्रात्प्त होती हैं। त्जस प्रकाय श्री गणेश जी का ऩूजन अरग-अरग उद्देश्म एवॊ काभनाऩूतता हे तु फकमा जाता हैं, उसी प्रकाय श्री गणेश मॊि का ऩूजन बी अरग-अरग उद्देश्म एवॊ काभनाऩूतता हे तु अरग-अरग फकमा जाता सकता हैं।
श्री गणेश मॊि के तनमलभत ऩूजन से भनुष्म को जीवन भें सबी प्रकाय की ऋवि-लसवि व धन-सम्ऩत्त्त की प्रात्प्त
हे तु श्री गणेश मॊि अत्मॊत राबदामक हैं। श्री गणेश मॊि के ऩज ू न से व्मत्क्त की साभात्जक ऩद-प्रततष्ठा औय कीतता
ायों औय पैरने रगती हैं।
विद्वानों का अनब ु व हैं की फकसी बी शब ु कामा को प्रायॊ ऩ कयने से ऩव ू ा मा शब ु कामा हे तु घय से फाहय जाने से ऩव ू ा गणऩतत मॊि का ऩज ू न एवॊ दशान कयना शब ु परदामक यहता हैं। जीवन से सभस्त ववघ्न दयू होकय धन, आध्मात्त्भक
त े ना के ववकास एवॊ आत्भफर की प्रात्प्त के लरए भनष्ु म को गणेश मॊि का ऩज ू न कयना
गणऩतत मॊि को फकसी बी भाह की गणेश
ाहहए।
तथ ु ॉ मा फध ु वाय को प्रात: कार अऩने घय, ओफपस, व्मवसामीक
स्थर ऩय ऩज ू ा स्थर ऩय स्थावऩत कयना शब ु यहता हैं।
गरु ु त्व कामावरम भें उऩरब्ध अन्म : रर्क्ष्भी गणेश मॊि | गणेश मॊि | गणेश मॊि (सॊऩूणा फीज भॊि सहहत) | गणेश लसि मॊि | एकाऺय गणऩतत मॊि | हरयद्रा गणेश मॊि बी उऩरब्ध हैं। अधधक जानकायी आऩ हभायी वेफ साइट ऩय प्राप्त कय सकते हैं।
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दस भहाववद्या ऩज ू न मॊि Das Mahavidy a Poojan Yantra | Dasmahavidy a Pujan Yantra
दस भहाववद्या ऩूजन मॊि को दे वी दस भहाववद्या
की
शत्क्तमों
से
मुक्त
अत्मॊत
प्रबावशारी औय दर ा मॊि भाना गमा हैं। ु ब इस मॊि के भाध्मभ से साधक के ऩरयवाय ऩय दसो महाविद्याओॊ का आलशवााद प्राप्त होता हैं। दस भहाववद्या मॊि के तनमलभत ऩूजन-दशान से भनुष्म की सबी भनोकाभनाओॊ की ऩूतता होती हैं।
दस
भहाववद्या
इच्िाओॊ
मॊि
साधक
को ऩण ू ा कयने भें
भहाववद्या
मॊि
भनुष्म
को
की
सभस्त
सभथा हैं। दस शत्क्तसॊऩन्न
एवॊ
बूलभवान फनाने भें सभथा हैं। दस भहाववद्या मॊि के श्रिाऩूवक ा ऩूजन से शीघ्र दे वी कृऩा प्राप्त होती हैं औय साधक को दस भहाववद्या दे वीमों की कृऩा से सॊसाय की सभस्त लसविमों की प्रात्प्त सॊबव हैं। दे वी दस भहाववद्या की कृऩा से साधक को धभा, अथा, काभ व ् भोऺ
तुववाध ऩुरुषाथों की प्रात्प्त हो
सकती हैं। दस भहाववद्या मॊि भें भाॉ दग ु ाा के दस अवतायों का आशीवााद सभाहहत हैं, इसलरए दस भहाववद्या मॊि को के ऩूजन एवॊ दशान भाि से व्मत्क्त अऩने जीवन को तनयॊ तय अधधक से अधधक साथाक एवॊ सपर फनाने भें सभथा हो सकता हैं। दे वी के आलशवााद से व्मत्क्त को ऻान, सख ु , धन-सॊऩदा, ऐश्वमा, रूऩ-सौंदमा की प्रात्प्त सॊबव हैं। व्मत्क्त को वादवववाद भें शिओ ु ॊ ऩय ववजम की प्रात्प्त होती हैं।
दश भहाववद्या को शास्िों भें आद्या बगवती के दस बेद कहे गमे हैं, जो क्रभश् (1) कारी, (2) ताया, (3) षोडशी, (4) बव ु नेश्वयी, (5) बैयवी, (6) तिन्नभस्ता, (7) धभ ू ावती, (8) फगरा, (9) भातॊगी एवॊ (10) कभात्त्भका। इस सबी दे वी स्वरुऩों को, सत्म्भलरत रुऩ भें दश भहाववद्या के नाभ से जाना जाता हैं।
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अभोद्य भहाभत्ृ मॊुजम कव
अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज ु म कव
व
उल्रेर्खत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से
ववद्वान ब्राहभणो द्वारा सवा राख भहाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वारा तनलभात कव अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।
अभोद्य् भहाभत्ृ मॊुजम कव कव
फनवाने हे त:ु
अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे कव
अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज ु म कव
दक्षऺणा भाि: 10900
के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु गरु ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें । >> Order Now
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श्री हनुभान मॊि शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनभ ा े व ने ब्रहभा जी के आदे श ऩय हनभ ु ान जी को बगवान सम ू द ु ान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि का ऩूणा ऻान दॉ ग ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की आयाधना से
ऩुरुषों की ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूिाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें
अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वादवववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम,
ोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से
यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं। श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गरु ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।
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भॊि लसि ऩायद प्रततभा ऩायद श्री मॊि
21 Gram से 5.250 Kg तक
ऩायद रर्क्ष्भी गणेश
100 Gram
ऩायद रर्क्ष्भी नायामण
ऩायद रर्क्ष्भी नायामण
121 Gram
100 Gram
उऩरब्ध ऩायद लशवलरॊग
ऩायद लशवलरॊग+नॊहद
21 Gram से 5.250 Kg तक
101 Gram से 5.250 Kg
उऩरब्ध
तक उऩरब्ध
ऩायद दग ु ाा
82 Gram ऩायद हनुभान 2
100 Gram
ऩायद लशवजी
ऩायद कारी
75 Gram
37 Gram
ऩायद दग ु ाा
ऩायद सयस्वती
ऩायद सयस्वती
100 Gram
50 Gram
225 Gram
ऩायद हनुभान 3
125 Gram
ऩायद हनुभान 1
100 Gram
ऩायद कुफेय
100 Gram
हभायें महाॊ सबी प्रकाय की भॊि लसि ऩायद प्रततभाएॊ, लशवलरॊग, वऩयालभड, भारा एवॊ गुहटका शुि ऩायद भें उऩरब्ध हैं।
त्रफना भॊि लसि की हुई ऩायद प्रततभाएॊ थोक व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हैं। े़ ज्मोततष, यत्न व्मवसाम, ऩूजा-ऩाठ इत्माहद ऺेि से जुडे फॊध/ु फहन के लरमे हभायें ववशेष मॊि, कव , यत्न, रुद्राऺ व अन्म दर ु ब साभग्रीमों ऩय ववशेष सुत्रफधाएॊ उऩरब्ध हैं। अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।
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हभाये ववशेष मॊि व्माऩाय ववृ द्ध मंत्र: हभाये अनब ु वों के अनस ु ाय मह मॊि व्माऩाय ववृ ि एवॊ ऩरयवाय भें सख ु सभवृ ि हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।
बसू भराब मंत्र: बलू भ, बवन, खेती से सॊफॊधधत व्मवसाम से जड़ु े रोगों के लरए बलू भराब मॊि ववशेष राबकायी लसि हुवा हैं।
तंत्र यऺा मंत्र: फकसी शिु द्वारा फकमे गमे भॊि-तॊि आहद के प्रबाव को दयू कयने एवॊ बूत, प्रेत नजय आहद फुयी शत्क्तमों से यऺा हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।
आकस्स्भक धन प्रास्प्त मंत्र: अऩने नाभ के अनुसाय ही भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्प्त हे तु परप्रद हैं इस मॊि के ऩज ू न से साधक को अप्रत्मालशत धन राब प्राप्त होता हैं।
ाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से हो,
धन-सॊऩत्त्त इत्माहद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राप्त हो सकता हैं। हभाये वषों के अनस ु ॊधान एवॊ अनब ु वों से हभने आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि से शेमय रे डडॊग, सोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्माहद सॊफॊधधत ऺेि से जड ु े रोगो को ववशेष रुऩ से आकत्स्भक धन राब प्राप्त होते दे खा हैं। आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि से ववलबन्न स्रोत से धनराब बी लभर सकता हैं।
ऩदौन्नतत मंत्र: ऩदौन्नतत मॊि नौकयी ऩैसा रोगो के लरए राबप्रद हैं। त्जन रोगों को अत्माधधक ऩरयश्रभ एवॊ श्रेष्ठ कामा कयने ऩय बी नौकयी भें उन्नतत अथाात प्रभोशन नहीॊ लभर यहा हो उनके लरए मह ववशेष राबप्रद हो सकता हैं।
यत्नेश्वयी मंत्र: यत्नेश्वयी मॊि हीये -जवाहयात, यत्न ऩत्थय, सोना- ाॊदी, ज्वैरयी से सॊफॊधधत व्मवसाम से जुडे रोगों के लरए अधधक प्रबावी हैं। शेय फाजाय भें सोने- ाॊदी जैसी फहुभल् ू म धातओ ु ॊ भें तनवेश कयने वारे रोगों के लरए बी ववशेष राबदाम हैं।
बसू भ प्रास्प्त मंत्र: जो रोग खेती, व्मवसाम मा तनवास स्थान हे तु उत्तभ बूलभ आहद प्राप्त कयना
ाहते हैं, रेफकन
उस कामा भें कोई ना कोई अड़ न मा फाधा-ववघ्न आते यहते हो त्जस कायण कामा ऩण ू ा नहीॊ हो यहा हो, तो उनके लरए बलू भ प्रात्प्त मॊि उत्तभ परप्रद हो सकता हैं।
गह ु ान, ओफपस, पैक्टयी आहद के लरए बवन प्राप्त कयना ृ प्रास्प्त मंत्र: जो रोग स्वमॊ का घय, दक
ाहते हैं।
मथाथा प्रमासो के उऩयाॊत बी उनकी अलबराषा ऩूणा नहीॊ हो ऩायही हो उनके लरए गह ृ प्रात्प्त मॊि ववशेष उऩमोगी लसि हो सकता हैं।
कैरास धन यऺा मंत्र: कैरास धन यऺा मॊि धन ववृ ि एवॊ सुख सभवृ ि हे तु ववशेष परदाम हैं। आधथाक राब एवॊ सुख सभवृ ि हे तु 19 दर ा रर्क्ष्भी मॊि ु ब
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ववलबन्न रर्क्ष्भी मॊि
श्री मॊि (रर्क्ष्भी मॊि)
भहारर्क्ष्भमै फीज मॊि
कनक धाया मॊि
श्री मॊि (भॊि यहहत)
भहारर्क्ष्भी फीसा मॊि
वैबव रर्क्ष्भी मॊि
श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सहहत)
रर्क्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि
श्री श्री मॊि
श्री मॊि (फीसा मॊि)
रर्क्ष्भी दाता फीसा मॊि
अॊकात्भक फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सूक्त मॊि
रर्क्ष्भी फीसा मॊि
ज्मेष्ठा रर्क्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम)
रर्क्ष्भी गणेश मॊि
(भहान लसवि दामक श्री भहारर्क्ष्भी मॊि)
(रलरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारर्क्ष्भमैं श्री भहामॊि)
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सवालसविदामक भहु द्रका
इस भहु द्रका भें भग ॊू े को शब ु भह ु ू ता भें त्रिधातु (सव ु णा+यजत+ताॊफें) भें जड़वा कय उसे शास्िोक्त ववधधववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वारा सवालसविदामक फनाने हे तु प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ै न्म मक् ू ा त ु त फकमा जाता हैं। इस भहु द्रका को फकसी बी वगा के व्मत्क्त हाथ की फकसी बी उॊ गरी भें धायण कय सकते हैं। महॊ भहु द्रका कबी फकसी बी त्स्थती भें अऩववि नहीॊ होती। इसलरए कबी भहु द्रका को
उतायने की आवश्मक्ता नहीॊ हैं। इसे धायण कयने से व्मत्क्त की सभस्माओॊ का सभाधान होने रगता हैं। धायणकताा को जीवन भें सपरता प्रात्प्त एवॊ उन्नतत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हैं औय जीवन भें सबी प्रकाय की लसविमाॊ बी शीध्र प्राप्त होती हैं।
भल् ू म भात्र- 6400/-
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सववससवद्धदामक भदु द्रका के ववषम भें अधधक जानकायी के सरमे हे तु सम्ऩकव कयें ।
ऩतत-ऩत्नी भें करह तनवायण हे तु महद ऩरयवायों भें सख ु -सुववधा के सभस्त साधान होते हुए बी िोटी-िोटी फातो भें ऩतत-ऩत्नी के त्रफ भे करह होता यहता हैं, तो घय के त्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्वारा शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण ू ा
ैतन्म मक् ु त वशीकयण कव
एवॊ गहृ करह नाशक
डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें त्रफना फकसी ऩूजा, ववधध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। महद आऩ भॊि लसि ऩतत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गह ृ करह नाशक डडब्फी फनवाना ाहते हैं, तो सॊऩका आऩ कय सकते हैं।
100 से अधधक जैन मॊि हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभुख, दर ा एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ऩि, ु ब लसरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे उऩरब्ध हैं।
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, लसरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है।
इसके अरावा आऩकी आवश्मकता अनस ु ाय आऩके द्वारा प्राप्त (ध ि, मॊि, डड़जाईन) के अनरु ु ऩ मॊि
बी फनवाए जाते है. गुरुत्व कामाारम द्वारा उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊडडत एवॊ 22 गेज शि ु कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 ट
शि ु लसरवय ( ाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है। मॊि
के ववषम भे अधधक जानकायी के लरमे हे तु सम्ऩका कयें ।
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द्वादश भहा मॊि मॊि को अतत प्राध न एवॊ दर ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान ु ब
द्वारा फनामा गमा हैं।
ऩयभ दर ा वशीकयण मॊि, ु ब
सहस्िाऺी रर्क्ष्भी आफि मॊि
भनोवाॊतित कामा लसवि मॊि
ऩूणा ऩौरुष प्रात्प्त काभदे व मॊि
बाग्मोदम मॊि
याज्म फाधा तनवत्ृ त्त मॊि गहृ स्थ सुख मॊि
शीघ्र वववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि
आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि योग तनवत्ृ त्त मॊि
साधना लसवि मॊि शिु दभन मॊि
उऩयोक्त सबी मॊिो को द्वादश भहा मॊि के रुऩ भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि ऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत एवॊ
ैतन्म मक् ु त फकमे जाते हैं। त्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩज ू ा
अ न ा ा-ववधध ववधान ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं।
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क्मा आऩके फच् े कुसॊगती के लशकाय हैं? क्मा आऩके फच् े आऩका कहना नहीॊ भान यहे हैं? क्मा आऩके फच् े घय भें अशाॊतत ऩैदा कय यहे हैं? घय ऩरयवाय भें शाॊतत एवॊ फच् े को कुसॊगती से िुडाने हे तु फच् े के नाभ से गरु ु त्व कामाारत
द्वारा शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा
ैतन्म मुक्त वशीकयण कव
एवॊ एस.एन.डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩज ू ा, ववधध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। महद आऩ तो आऩ भॊि लसि वशीकयण कव एस.एन.डडब्फी फनवाना
ाहते हैं, तो सॊऩका इस कय सकते हैं।
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सॊऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत 22 गेज शुि स्टीर भें तनलभात अखॊडडत
ऩुरुषाकाय शतन मंत्र
ऩरु ु षाकाय शतन मॊि (स्टीर भें ) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शतन की कायक धातु शि ु स्टीर(रोहे ) भें फनामा गमा हैं। त्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राप्त होता हैं। महद जन्भ कॊु डरी भें शतन प्रततकूर होने ऩय व्मत्क्त को अनेक कामों भें असपरता प्राप्त होती है, कबी व्मवसाम भें घटा, नौकयी भें ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गह ु ट ृ क्रेश आहद ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी त्स्थततमों भें प्राणप्रततत्ष्ठत ग्रह ऩीड़ा तनवायक शतन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भें े़ स्थाऩना कयने से अनेक राब लभरते हैं। महद शतन की ढै मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩज ू ना
ाहहए। शतनमॊि के ऩज ू न भाि से व्मत्क्त को भत्ृ मु, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा ,
फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्क्त के लरमे शतन मॊि अधधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आहद के रोगों को ऩदौन्नतत बी शतन द्वारा ही लभरती है अत् मह मॊि अतत उऩमोगी मॊि है त्जसके द्वारा शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है । भल् ू म: 1225 से 8200 >> Shop Online | Order Now
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22 गेज शुि स्टीर भें तनलभात अखॊडडत
शतन तैततसा मॊि
शतनग्रह से सॊफॊधधत ऩीडा के तनवायण हे तु ववशेष राबकायी मॊि।
भल् ू म: 640 से 12700 >> Shop Online | Order Now
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us:
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नवयत्न जडड़त श्री मॊि
शास्ि व न के अनुसाय शुि सुवणा मा यजत भें तनलभात श्री मॊि के
ायों औय
महद नवयत्न जड़वा ने ऩय मह नवयत्न जडड़त श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनत्श् त स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट के रूऩ भें धायण कयने से व्मत्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रर्क्ष्भी की प्रात्प्त होती हैं। व्मत्क्त को एसा आबास होता हैं जैसे भाॊ रर्क्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशुब
दशा का धायणकयने वारे व्मत्क्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं। गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे
तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय रर्क्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस प्रकाय के नवयत्न जडड़त श्री मॊि गरू ु त्व कामाारम द्वाया शब ु भह ु ू ता भें प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से 10,900 से अधधक अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।
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भॊि लसि वाहन दघ ा ना नाशक भारुतत मॊि ु ट
ऩौयार्णक ग्रॊथो भें उल्रेख हैं की भहाबायत के मुि के सभम अजुन ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुतत ध्वज
एवॊ भारुतत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुि के दौयान हजायों-राखों प्रकाय के आग्नेम अस्ि-शस्िों का प्रहाय होने के फाद बी अजन ुा का यथ जया बी ऺततग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृष्ण भारुतत मॊि के इस अद्भत ु यहस्म को जानते थे फक त्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुतत नॊदन कयते हों, वह दघ ा नाग्रस्त कैसे हो सकता हैं। वह यथ मा वाहन तो वामव ु ट ु ेग से, तनफााधधत रुऩ से अऩने रर्क्ष्म ऩय ववजम ऩतका
रहयाता हुआ ऩहुॊ ग े ा। इसी लरमे श्री कृष्ण नें अजन ुा के यथ ऩय श्री भारुतत मॊि को अॊफकत कयवामा था। त्जन रोगों के स्कूटय, काय, फस, रक इत्माहद वाहन फाय-फाय दघ ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन ु ट को नऺ ा ना से यऺा के उद्देश्म से अऩने वाहन ऩय भॊि लसि श्री भारुतत मॊि अवश्म ु ान हो यहा हों! उन्हें हानी एवॊ दघ ु ट रगाना
ाहहए। जो रोग रान्स्ऩोहटिं ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जड ु े हैं उनको श्रीभारुतत मॊि को अऩने वाहन भें
अवश्म स्थावऩत कयना
ाहहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जड ु े सैकडों रोगों का अनब ु व यहा हैं की श्री भारुतत मॊि
को स्थावऩत कयने से उनके वाहन अधधक हदन तक अनावश्मक ख ो से एवॊ दघ ा नाओॊ से सयु क्षऺत यहे हैं। हभाया ु ट स्वमॊका एवॊ अन्म ववद्वानो का अनुबव यहा हैं, की त्जन रोगों ने श्री भारुतत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हैं, उन
रोगों के वाहन फडी से फडी दघ ा नाओॊ से सुयक्षऺत यहते हैं। उनके वाहनो को कोई ववशेष नुक्शान इत्माहद नहीॊ होता ु ट हैं औय नाहीॊ अनावश्मक रुऩ से उसभें खयाफी आतत हैं।
वास्तु प्रमोग भें भारुतत मंत्र: मह भारुतत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । महद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस ऩय कोई वाद-वववाद हो, तो इच्िा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उध त भूल्म ऩय त्रफक जामे इस लरमे इस भारुतत मॊि का प्रमोग फकमा जा सकता हैं। इस भारुतत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा वववादभुक्त हो जाएगी। इस लरमे मह मॊि दोहयी शत्क्त से मुक्त है ।
भारुतत मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।
श्री हनुभान मॊि
भल् ू म Rs- 325 से 12700 तक
शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद ा े व ने ब्रहभा जी के आदे श ऩय
हनुभान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि का ऩूणा ऻान दॉ ग ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुसाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषों की
ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूिाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वाद-वववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम,
बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं।
ोय
श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें । भूल्म Rs- 910 से 12700 तक
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44
ववसबन्न दे वताओं के मंत्र गणेश मंत्र गणेश मंत्र (संऩण ू व फीज भंत्र सदहत) गणेश ससद्ध मंत्र
भहाभत्ृ मज ुॊ म मॊि
भहाभत्ृ मज ुॊ म कव
याभ यऺा मॊि याज मॊि
याभ मॊि
भहाभत्ृ मज ॊु म ऩज ू न मॊि
भहाभत्ृ मुॊजम मुक्त लशव खप्ऩय भाहा लशव
एकाऺय गणऩतत मंत्र
मॊि
लशव ऩॊ ाऺयी मॊि
हरयद्रा गणेश मंत्र कुफेय मंत्र
लशव मॊि
दत्तात्रम मंत्र
द्वादशाऺय ववष्णु भॊि ऩज ू न मॊि ववष्णु फीसा मॊि गरुड ऩज ू न मॊि
ध त ॊ ाभणी मॊि याज
श्री द्वादशाऺयी रुद्र ऩज ू न मंत्र
अवद्वतीम सवाकाम्म लसवि लशव मॊि
ध त ॊ ाभणी मॊि स्वणााकषाणा बैयव मॊि
दत्त मंत्र
नलृ सॊह ऩज ू न मॊि ऩॊ दे व मॊि
आऩदद्ध ु ायण फटुक बैयव मंत्र
सॊतान गोऩार मॊि
हनभ ु ान मॊि
व्मंकटे श मंत्र
कृष्ण फीसा मॊि
हनभ ु ान ऩज ू न मॊि
फटुक मंत्र
श्री कृष्ण अष्टाऺयी भॊि ऩज ू न मॊि
कातववीमावजन ुव ऩज ू न मंत्र
सवा काभ प्रद बैयव मॊि
सॊकट भो न मॊि वीय साधन ऩज ू न मॊि
दक्षऺणाभतू ता ध्मानभ ् मॊि
भनोकाभना ऩूततव एवं कष्ट तनवायण हे तु ववशेष मंत्र अभत ृ तत्व सॊजीवनी कामा कल्ऩ मॊि
िम ताऩोंसे भत्ु क्त दाता फीसा मॊि
व्माऩाय वधवक मंत्र
ववद्यामश ववबूतत याज सम्भान प्रद लसि फीसा
ज्वय तनवायण मॊि
व्माऩायोन्नतत कायी ससद्ध मंत्र
सम्भान दामक मॊि
योग कष्ट दरयद्रता नाशक मॊि
सख ु शाॊतत दामक मॊि
योग तनवायक मॊि
फारा यऺा मॊि
ववद्मत ु भानस मॊि
व्माऩाय ववृ द्ध कायक मंत्र व्माऩाय ववृ द्ध मंत्र
बाग्म वधवक मंत्र स्वस्स्तक मंत्र सवव कामव फीसा मंत्र कामव ससवद्ध मंत्र
ववजमयाज ऩॊ दशी मॊि मॊि
फारा मॊि
सॊतान प्रात्प्त मॊि
सवव सख ु दामक ऩैंसदिमा मंत्र
सवव रयवद्ध ससवद्ध प्रद मंत्र ऋवद्ध ससवद्ध दाता मंत्र सवव ससवद्ध मंत्र साफय ससवद्ध मंत्र शाफयी मंत्र ससद्धाश्रभ मंत्र
गह ृ करह नाशक मॊि
करेश हयण फत्त्तसा मॊि
प्रसत ू ा बम नाशक मॊि
वशीकयण मॊि
प्रसव-कष्टनाशक ऩॊ दशी मॊि
भोहहतन वशीकयण मॊि
शाॊतत गोऩार मॊि
कणा वऩशा नी वशीकयण मॊि
त्रिशर ू फीशा मॊि
वाताारी स्तम्बन मॊि
ऩॊ दशी मॊि (फीसा मॊि मक् ु त प्रकायके)
ायों
वास्तु मॊि
फेकायी तनवायण मॊि
श्री भत्स्म मॊि
षोडशी मॊि
वाहन दघ ा ना नाशक मॊि ु ट
ज्मोततष तंत्र ऻान ववऻान प्रद ससद्ध फीसा
अडसहठमा मॊि
ब्रह्भाण्ड साफय ससवद्ध मंत्र
अस्सीमा मॊि
मंत्र
तनाव भक् ु त फीसा मॊि
गबा स्तम्बन मॊि
सख ु सभवृ द्ध मंत्र
भधुभेह तनवायक मॊि
प्रेत-फाधा नाशक मॊि
बत ू ादी व्माधधहयण मॊि
कुण्डसरनी ससवद्ध मंत्र
ऋवि कायक मॊि भन वाॊतित कन्मा प्रात्प्त मॊि
बम नाशक मॊि
श्री ऺेभ कल्माणी ससवद्ध भहा मंत्र
वववाहकय मॊि
स्वप्न बम तनवायक मॊि
क्रास्न्त औय श्रीवधवक चौंतीसा मंत्र
कष्ट तनवायक लसवि फीसा मॊि
8
8
45 रग्न ववघ्न तनवायक मॊि
ऻान दाता भहा मंत्र
कुदृत्ष्ट नाशक मॊि
रग्न मोग मॊि
कामा कल्ऩ मंत्र दीधावमु अभत ृ तत्व संजीवनी मंत्र
8
श्री शिु ऩयाबव मॊि
दरयद्रता ववनाशक मॊि
शिु दभनाणाव ऩज ू न मॊि
भंत्र ससद्ध ववशेष दै वी मंत्र सधू च सयस्वती मॊि
आद्य शस्क्त दग ु ाव फीसा मंत्र (अंफाजी फीसा मंत्र) भहान शस्क्त दग ु ाव मंत्र (अंफाजी मंत्र)
सप्तसती भहामॊि(सॊऩण ू ा फीज भॊि सहहत)
नवाणव मंत्र (चाभड ुं ा मंत्र)
श्भशान कारी ऩज ू न मॊि
नव दग ु ाव मंत्र
कारी मॊि
नवाणव फीसा मंत्र
दक्षऺण कारी ऩज ू न मॊि
चाभड ुं ा फीसा मंत्र ( नवग्रह मक् ु त)
सॊकट भोध नी कालरका लसवि मॊि
फगरा भख ु ी मंत्र
खोडडमाय फीसा मॊि
बत्रशर ू फीसा मंत्र
खोडडमाय मॊि
फगरा भख ु ी ऩज ू न मंत्र
अन्नऩण ू ाा ऩज ू ा मॊि एकाॊऺी श्रीपर मॊि
याज याजेश्वयी वांछा कल्ऩरता मंत्र
भंत्र ससद्ध ववशेष रक्ष्भी मंत्र सधू च भहारर्क्ष्भमै फीज मॊि
श्री मंत्र (रक्ष्भी मंत्र) श्री मंत्र (भंत्र यदहत)
भहारर्क्ष्भी फीसा मॊि
श्री मंत्र (संऩण ू व भंत्र सदहत)
रर्क्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि
श्री मंत्र (फीसा मंत्र)
रर्क्ष्भी दाता फीसा मॊि
श्री मंत्र श्री सक् ू त मंत्र
रर्क्ष्भी गणेश मॊि
श्री मंत्र (कुभव ऩष्ृ िीम)
ज्मेष्ठा रर्क्ष्भी भॊि ऩज ू न मॊि
रक्ष्भी फीसा मंत्र
कनक धाया मॊि
श्री श्री मंत्र (श्रीश्री रसरता भहाबत्रऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्री भहामंत्र)
वैबव रर्क्ष्भी मॊि (भहान लसवि दामक श्री भहारर्क्ष्भी मॊि)
अंकात्भक फीसा मंत्र ताम्र ऩत्र ऩय सव ु णव ऩोरीस (Gold Plated)
ताम्र ऩत्र ऩय यजत ऩोरीस (Silver Plated)
ताम्र ऩत्र ऩय (Copper)
साईज 1” X 1”
भल् ू म 550
साईज 1” X 1”
भल् ू म 370
साईज 1” X 1”
भल् ू म 325
2” X 2”
910
2” X 2”
640
2” X 2”
550
3” X 3”
1450
3” X 3”
1050
3” X 3”
910
4” X 4”
2350
4” X 4”
1450
4” X 4”
1225
6” X 6”
3700
6” X 6”
2800
6” X 6”
2350
9” X 9”
9100
9” X 9”
4600
9” X 9”
4150
12” X12”
12700
12” X12”
9100
12” X12”
9100
मंत्र के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु संऩकव कयें ।
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2 दद
िार
माह
2
यवव
पक्ष
8 विवि
8
2018 साप्ताहहक ऩॊ ाॊग चंद्र रावश
समावि
नक्षत्र
समावि
योग
समावि
करण
समावि
समावि
भागाशीषा
13:46
हस्त
27:00
आमष्ु भान
27:25
ववत्ष्ट
13:46
-
3
सोभ भागाशीषा
12:47
ध िा
26:49
सौबाग्म
25:31
फारव
12:47
14:53
4
भॊगर भागाशीषा
12:09
स्वाती
26:59
शोबन
23:54
तैततर
12:09
-
5
फध ु
भागाशीषा
11:55
ववशाखा
27:33
अततगॊड
22:35
वर्णज
11:55
21:23
6
गरु ु
भागाशीषा
12:08
अनयु ाधा
28:35
सक ु भाा
21:38
शकुतन
12:08
-
7
शक्र ु
भागाशीषा
12:50
जेष्ठा
30:6
धतृ त
21:03
भघा
12:50
-
8
शतन भागाशीषा
14:00
जेष्ठा
06:07
-
06:07
ᅠ
2 दद
वाय
2
यवव
3
सोभ
4
भॊगर
5
फध ु
6
गरु ु
7
शक्र ु
8
शतन
भाह
8 ऩऺ
ततधथ
सभास्प्त 13:46
भागाशीषा
12:47
भागाशीषा
12:09
भागाशीषा
11:55
भागाशीषा
12:08
भागाशीषा
12:50
ᅠ
/
2018 साप्ताहहक व्रत-ऩवा-त्मौहाय
भागाशीषा
भागाशीषा
-
14:00
प्रभुख व्रत-त्मोहाय उत्ऩत्त्त एकादशी व्रत ( बौभ-प्रदोष व्रत (ऋणभो न हे तु उत्तभ), भालसक लशवयात्रि व्रत, श्राि की भागाशीषॉ अभावस्मा, स्नान-दान हे तु उत्तभ भागाशीषॉ अभावस्मा, -
), वैतयणी एकादशी,
8
47
8
यालश यत्न भेष यालश:
भग ॊू ा
Red Coral (Special) 5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800
वष ृ ब यालश:
हीया
Diamond (Special)
10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent
Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500
लभथन ु यालश:
कका यालश:
लसॊह यालश:
कन्मा यालश:
Green Emerald
Naturel Pearl (Special)
Ruby (Old Berma) (Special)
Green Emerald
ऩन्ना
(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000
भोती
5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"
भाणेक
Rs. 910 Rs. 1250 Rs. 1450 Rs. 1900 Rs. 2300 Rs. 2800
2.25" 3.25" 4.25" 5.25" 6.25"
Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
12500 15500 28000 46000 82000
ऩन्ना
(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000
** All Weight In Rati
All Diamond are Full White Colour.
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
** All Weight In Rati
तुरा यालश:
वत्ृ श् क यालश:
धनु यालश:
कॊु ब यालश:
भीन यालश:
हीया
भग ूॊ ा
ऩख ु याज
भकय यालश:
नीरभ
नीरभ
Diamond (Special)
Red Coral
Y.Sapphire
B.Sapphire
B.Sapphire
Y.Sapphire
(Special)
(Special)
(Special)
(Special)
(Special)
10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent
Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500
All Diamond are Full White Colour.
5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800 ** All Weight In Rati
ऩख ु याज
5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000
5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000
5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000
5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000
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* उऩमोक्त वजन औय भल् ू म से अधधक औय कभ वजन औय भल् ू म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भल् ू म ऩय उप्रब्ध हैं।
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श्रीकृष्ण फीसा मॊि
फकसी बी व्मत्क्त का जीवन तफ आसान फन जाता हैं जफ उसके भें हों। जफ कोई व्मत्क्त का आकषाण दस ु यो के उऩय एक
ायों औय का भाहोर उसके अनुरुऩ उसके वश
ुम्फकीम प्रबाव डारता हैं, तफ
सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना अधधक कष्ट व
श्रीकृष्ण फीसा कव
ऩये शानी से सॊऩन्न हो जाते हैं। आज के बौततकता वाहद मुग भें हय व्मत्क्त के लरमे दस ू यो को अऩनी औय खी ने हे तु एक प्रबावशालर
ुॊफकत्व को
कामभ यखना अतत आवश्मक हो जाता हैं। आऩका आकषाण औय व्मत्क्तत्व आऩके
ायो ओय से रोगों को आकवषात कये इस लरमे सयर उऩाम हैं,
श्रीकृष्ण फीसा मंत्र। क्मोफक बगवान श्री कृष्ण एक अरौफकव एवॊ हदवम ॊुफकीम व्मत्क्तत्व के धनी थे। इसी कायण से श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के ऩूजन एवॊ दशान से आकषाक व्मत्क्तत्व प्राप्त होता हैं। श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के साथ व्मत्क्तको दृढ़ इच्िा शत्क्त एवॊ उजाा प्राप्त होती हैं, त्जस्से व्मत्क्त हभेशा एक बीड भें हभेशा आकषाण का केंद्र यहता हैं। महद फकसी व्मत्क्त को अऩनी प्रततबा व आत्भववश्वास के स्तय भें ववृ ि, अऩने लभिो व ऩरयवायजनो के त्रफ
भें रयश्तो भें सुधाय कयने की
ईच्िा होती हैं उनके लरमे श्रीकृष्ण फीसा मंत्र का ऩूजन एक सयर व सुरब भाध्मभ सात्रफत हो सकता हैं। श्रीकृष्ण फीसा मंत्र ऩय अॊफकत शत्क्तशारी ववशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ अॊको से व्मत्क्त को अद्द्भत ु आॊतरयक शत्क्तमाॊ प्राप्त होती हैं जो व्मत्क्त को सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भें अग्रर्णम फनाने भें सहामक लसि होती हैं।
श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के ऩूजन व तनमलभत दशान के भाध्मभ से बगवान
रोग उसकी सहामता एवॊ
श्रीकृष्ण
फीसा
कव
को
केवर
ववशेष शुब भुहुता भें तनभााण फकमा जाता
हैं।
कव
को
ववद्वान
कभाकाॊडी ब्राहभणों द्वाया शुब भुहुता भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी
भॊिो
द्वाया
प्रततत्ष्ठत ऩूणा
लसि
प्राण-
त ै न्म मुक्त कयके
तनभााण फकमा जाता हैं। त्जस के
पर स्वरुऩ धायण कयता व्मत्क्त को शीघ्र ऩूणा राब प्राप्त होता हैं। कव
को गरे भें धायण कयने से
वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हैं। गरे
भें
धायण
कयने
से
कव
हभेशा रृदम के ऩास यहता हैं त्जस्से व्मत्क्त ऩय उसका राब अतत तीव्र एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हैं। भर ू म भात्र: 2350 >>Order Now
श्रीकृष्ण का आशीवााद प्राप्त कय सभाज भें स्वमॊ का अवद्वतीम स्थान स्थावऩत कयें । श्रीकृष्ण फीसा मंत्र अरौफकक ब्रहभाॊडीम उजाा का सॊ ाय कयता हैं, जो एक प्राकृत्त्त भाध्मभ से व्मत्क्त के बीतय सद्दबावना, सभवृ ि, सपरता, उत्तभ स्वास््म, मोग औय ध्मान के लरमे एक शत्क्तशारी भाध्मभ हैं!
श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के ऩूजन से व्मत्क्त के साभात्जक भान-सम्भान व ऩद-प्रततष्ठा भें ववृ ि होती हैं।
ववद्वानो के भतानुसाय श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग केंहद्रत कयने से व्मत्क्त फक होकय शीघ्र उच्
ेतना शत्क्त जाग्रत
स्तय को प्राप्तहोती हैं।
जो ऩुरुषों औय भहहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना
ाहते हैं औय उन्हें अऩनी औय आकवषात कयना
हैं। उनके लरमे श्रीकृष्ण फीसा मंत्र उत्तभ उऩाम लसि हो सकता हैं।
ऩतत-ऩत्नी भें आऩसी प्रभ की ववृ ि औय सख ु ी दाम्ऩत्म जीवन के लरमे श्रीकृष्ण फीसा मंत्र राबदामी होता हैं।
भल् ू म:- Rs. 910 से Rs. 12700 तक उप्रब्ि >> Shop Online
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ाहते
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जैन धभाके ववलशष्ट मॊिो की सू ी
श्री
ौफीस तीथिंकयका भहान प्रबाववत
श्री
ोफीस तीथिंकय मॊि
भत्कायी मॊि
श्री एकाऺी नारयमेय मॊि सवातो बद्र मॊि
कल्ऩवऺ ृ मॊि
सवा सॊऩत्त्तकय मॊि
ध त ॊ ाभणी ऩाश्वानाथ मॊि
सवाकामा-सवा भनोकाभना लसविअ मॊि (१३० सवातोबद्र मॊि)
ध त ॊ ाभणी मॊि (ऩैंसहठमा मॊि)
ऋवष भॊडर मॊि
ध त ॊ ाभणी
जगदवल्रब कय मॊि
श्री
क्र मॊि
क्रेश्वयी मॊि
ऋवि लसवि भनोकाभना भान सम्भान प्रात्प्त मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि श्री घॊटाकणा भहावीय सवा लसवि भहामॊि
(अनब ु व लसि सॊऩण ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)
ऋवि लसवि सभवृ ि दामक श्री भहारर्क्ष्भी मॊि ववषभ ववष तनग्रह कय मॊि
श्री ऩद्मावती मॊि
ऺुद्रो ऩद्रव तननााशन मॊि
श्री ऩद्मावती फीसा मॊि
फह ृ च् क्र मॊि
श्री ऩाश्वाऩद्मावती ह्ींकाय मॊि
वॊध्मा शब्दाऩह मॊि
ऩद्मावती व्माऩाय ववृ ि मॊि
भत ृ वत्सा दोष तनवायण मॊि
श्री ऩाश्वानाथ ध्मान मॊि
फारग्रह ऩीडा तनवायण मॊि
श्री ऩाश्वानाथ प्रबक ु ा मॊि
रधद ु े व कुर मॊि
भर्णबद्र मॊि
उवसग्गहयॊ मॊि
श्री मॊि
श्री ऩॊ
श्री रर्क्ष्भी प्रात्प्त औय व्माऩाय वधाक मॊि
ह्ीॊकाय भम फीज भॊि
श्री रर्क्ष्भीकय मॊि
वधाभान ववद्या ऩट्ट मॊि
रर्क्ष्भी प्रात्प्त मॊि
ववद्या मॊि
भहाववजम मॊि
सौबाग्मकय मॊि
ववजमयाज मॊि
डाफकनी, शाफकनी, बम तनवायक मॊि
ववजम ऩतका मॊि
बत ू ाहद तनग्रह कय मॊि
ववजम मॊि
ज्वय तनग्रह कय मॊि
लसि क्र भहामॊि
शाफकनी तनग्रह कय मॊि
दक्षऺण भख ु ाम शॊख मॊि
आऩत्त्त तनवायण मॊि
दक्षऺण भख ु ाम मॊि
शिभ ु ख ु स्तॊबन मॊि
श्री धयणेन्द्र ऩद्मावती मॊि
काॊक वॊध्मादोष तनवायण मॊि
बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक)
नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका ववलशष्ट मॊि भॊगर भहाश्रत ृ स्कॊध मॊि
मंत्र के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु संऩकव कयें ।
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घॊटाकणा
भहावीय
सवा
लसवि
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भहामॊि
को
स्थाऩीत कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩण ू ा होती हैं। सवा प्रकाय के योग बत ू -प्रेत आहद उऩद्रव से यऺण होता हैं। जहयीरे औय हहॊसक प्राणीॊ से सॊफॊधधत बम दयू होते हैं। अत्ग्न बम, हैं।
ोयबम आहद दयू होते
दष्ु ट व असयु ी शत्क्तमों से उत्ऩन्न होने वारे
बम से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हैं।
मॊि के ऩज ू न से साधक को धन, सख ु , सभवृ ि,
ऎश्वमा, सॊतत्त्त-सॊऩत्त्त आहद की प्रात्प्त होती हैं।
साधक की सबी प्रकाय की सात्त्वक इच्िाओॊ की ऩतू ता होती हैं।
महद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय
वशीकयण, भायण, उच् ाटन इत्माहद जाद-ू टोने वारे प्रमोग फकमे गमें होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नष्ट हो जाते हैं औय बववष्म भें महद कोई प्रमोग कयता हैं तो यऺण होता हैं।
कुि जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका
मॊि से जुडे अद्द्भत ु व यहे हैं। महद घय भें श्री ु अनब घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थावऩत फकमा हैं औय महद कोई इषाा, रोब, भोह मा शित ु ावश महद अनधु त कभा कयके फकसी बी उद्देश्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हैं तो मॊि के
प्रबाव से सॊऩण ू ा ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हैं, कबी-कबी शिु के द्वाया फकमा गमा अनधु त कभा
शिु ऩय ही उऩय उरट वाय होते दे खा हैं। भल् ू म:- Rs. 2350 से Rs. 12700 तक उप्रब्द्ध >> Shop Online | Order Now संऩकव कयें । GURUTVA KARYALAY Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Email Us:-
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अभोघ भहाभत्ृ मॊुजम कव
अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव
व उल्रेर्खत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से
ववद्वान ब्राहभणो द्वाया सवा राख भहाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वाया तनलभात फकमा जाता हैं इसलरए कव
अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।
अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव कव
फनवाने हे तु:
अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे
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अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव
दक्षऺणा भाि: 10900
याशी यत्न एवॊ उऩयत्न ववशेष मॊि हभायें महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने- ाॊहदताम्फे भें आऩकी आवश्मक्ता के अनस ु ाय फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी
आवश्मक डडजाईन के अनुसाय २२ गेज सबी साईज एवॊ भल् ू म व क्वालरहट के
असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध हैं।
शुि ताम्फे भें अखॊडडत फनाने की ववशेष सवु वधाएॊ उऩरब्ध हैं।
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भल् ू म ऩय उऩरब्ध हैं। ज्मोततष कामा से जड ु े फध/ु फहन व यत्न व्मवसाम से जड ु े रोगो के लरमे ववशेष भल् ू म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म सवु वधाएॊ उऩरब्ध हैं।
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2018 -ववशेष मोग
कामा लसवि मोग 02
6:
3
.
05
03:01
3:35
7
.
:36
ववघ्नकायक बद्रा :
02
:
05
:
मोग पर :
कामा लसवि मोग भे फकमे गमे शब ु कामा भे तनत्श् त सपरता प्राप्त होती हैं, एसा शास्िोक्त व न हैं। शास्िोंक्त भत से ववघ्नकायक बद्रा मोग भें शब ु कामा कयना वत्जात हैं।
दै तनक शब ु एवॊ अशब ु सभम ऻान तालरका गुलरक कार (शुब)
मभ कार (अशुब) सभम अवधध
याहु कार (अशुब) सभम अवधध
यवववाय
03:00 से 04:30
12:00 से 01:30
04:30 से 06:00
सोभवाय
01:30 से 03:00
10:30 से 12:00
07:30 से 09:00
भॊगरवाय
12:00 से 01:30
09:00 से 10:30
03:00 से 04:30
फुधवाय
10:30 से 12:00
07:30 से 09:00
12:00 से 01:30
गुरुवाय
09:00 से 10:30
06:00 से 07:30
01:30 से 03:00
शुक्रवाय
07:30 से 09:00
03:00 से 04:30
10:30 से 12:00
शतनवाय
06:00 से 07:30
01:30 से 03:00
09:00 से 10:30
वाय
सभम अवधध
Beautiful Stone Bracelets Lapis Lazuli Bracelet Rudraksha Bracelet Pearl Bracelet Smoky Quartz Bracelet Druzy Agate Beads Bracelet Howlite Bracelet Aquamarine Bracelet White Agate Bracelet
Amethyst Bracelet
Amanzonite Bracelet
Black Obsidian Bracelet
Amethyst Jade
Red Carnelian Bracelet
Sodalite Bracelet
Tiger Eye Bracelet
Unakite Bracelet
Lava (slag) Bracelet
Calcite Bracelet
Blood Stone Bracelet
Yellow Jade Bracelet
Green Jade Bracelet
Rose Quartz Bracelet
7 Chakra Bracelet
Snow Flakes Bracelet
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3
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हदन के
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ौघडडमे
सभम
यवववाय
सोभवाय
भॊगरवाय फध ु वाय गरु ु वाय
शक्र ु वाय
शतनवाय
06:00 से 07:30
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
चल
काल
07:30 से 09:00
चल
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
09:00 से 10:30
लाभ
शुभ
चल
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
10:30 से 12:00
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
चल
काल
उद्वेग
12:00 से 01:30
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
चल
01:30 से 03:00
शुभ
चल
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
03:00 से 04:30
रोग
लाभ
शुभ
चल
काल
उद्वेग
अमृि
04:30 से 06:00
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
चल
काल
यात के
ौघडडमे
सभम
यवववाय
सोभवाय
भॊगरवाय
फुधवाय गुरुवाय
शुक्रवाय
शतनवाय
06:00 से 07:30
शुभ
चल
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
07:30 से 09:00
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
चल
काल
उद्वेग
09:00 से 10:30
चल
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
10:30 से 12:00
रोग
लाभ
शुभ
चल
काल
उद्वेग
अमृि
12:00 से 01:30
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
चल
01:30 से 03:00
लाभ
शुभ
चल
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
03:00 से 04:30
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
शुभ
चल
काल
04:30 से 06:00
शुभ
चल
काल
उद्वेग
अमृि
रोग
लाभ
शास्िोक्त भत के अनस ु ाय महद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शब ु भह ु ू ता मा शब ु सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भें
सपरता प्राप्त होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हैं। इस लरमे दै तनक शब ु सभम
ौघडड़मा दे खकय प्राप्त फकमा जा
सकता हैं।
नोट: प्राम् हदन औय यात्रि के
ौघडड़मे फक धगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हैं। प्रत्मेक ौघडड़मे फक अवधध
1 घॊटा 30 लभतनट अथाात डेढ़ घॊटा होती हैं। सभम के अनुसाय
ौघडड़मे को शुबाशुब तीन बागों भें फाॊटा जाता हैं, जो क्रभश्
शुब, भध्मभ औय अशुब हैं।
* हय कामा के लरमे शब ु /अभत ृ /राब का
ौघडडमे के स्वाभी ग्रह शब ु
ौघडडमा
ौघडडमा स्वाभी ग्रह
शुब
गुरु
राब
फुध
अभत ृ
द्र ॊ भा
भध्मभ
ौघडडमा
ौघडडमा स्वाभी ग्रह य
शुक्र
अशब ौघडड़मा ु ौघडडमा
उद्बेग कार योग
स्वाभी ग्रह सूमा
शतन भॊगर
ौघडड़मा उत्तभ भाना जाता हैं।
* हय कामा के लरमे का
र/कार/योग/उद्वेग
ौघडड़मा उध त नहीॊ भाना जाता।
8
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8
हदन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक
वाय
1.घॊ
2.घॊ
3.घॊ
4.घॊ
5.घॊ
6.घॊ
7.घॊ
8.घॊ
9.घॊ
यवववाय
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
ॊद्र
शतन
गुरु
भॊगर
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
सम ू ा
शक्र ु
शतन
गुरु
भॊगर
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
शतन
गरु ु
भॊगर
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
शतन
गुरु
भॊगर
सम ू ा
शक्र ु
गुरु
भॊगर
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
शतन
गुरु
भॊगर
सम ू ा
शक्र ु
शतन
गरु ु
भॊगर
शतन
गुरु
सोभवाय भॊगरवाय
ॊद्र
भॊगर
फध ु वाय
फध ु
शक्र ु वाय
शक्र ु
गरु ु वाय
शतनवाय यवववाय सोभवाय
शतन ॊद्र
गुरु
शतन
गरु ु
भॊगर
शतन
गुरु
भॊगर
गुरु
भॊगर
सम ू ा
गुरु
भॊगर
शतन
गरु ु
फध ु
सम ू ा ॊद्र
भॊगरवाय
शतन
फध ु
फध ु वाय
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
शक्र ु वाय
भॊगर
सम ू ा
शक्र ु
शतनवाय
ॊद्र
फध ु
शक्र ु
फध ु
गुरु भॊगर सम ू ा
शक्र ु
फध ु
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
ॊद्र
शक्र ु
फध ु
ॊद्र
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
शक्र ु
फध ु
ॊद्र
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
भॊगर सम ू ा
शक्र ु
फध ु
गुरु भॊगर सम ू ा
शक्र ु
शतन
गरु भॊगर ु
ॊद्र
ॊद्र
शतन ॊद्र
फध ु
यात फक होया – सम ू ाास्त से सम ू ोदम तक
शक्र ु
गरु ु वाय
भॊगर सम ू ा
ॊद्र
ॊद्र
शतन
शतन ॊद्र
फध ु
शतन
गुरु भॊगर
शतन ॊद्र
सम ू ा ॊद्र
गरु ु
भॊगर
शतन
गुरु
10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ भॊगर
शतन
गुरु
भॊगर
शतन
गरु ु
ॊद्र
फध ु
सम ू ा
शक्र ु
फध ु
सम ू ा
शक्र ु
भॊगर फध ु
ॊद्र
शतन
गुरु
शक्र ु
ॊद्र
ॊद्र
ॊद्र
शतन ॊद्र
फध ु
सम ू ा ॊद्र
गुरु
शतन सम ू ा ॊद्र
भॊगर
होया भह ु ू ता को कामा लसवि के लरए ऩण ू ा परदामक एवॊ अ क ू भाना जाता हैं, हदन-यात के २४ घॊटों भें शब ु -अशब ु सभम को सभम से ऩव ू ा ऻात कय अऩने कामा लसवि के लरए प्रमोग कयना
ाहहमे।
ववद्वानो के भत से इस्छछत कामव ससवद्ध के सरए ग्रह से संफधं धत होया का चन ु ाव कयने से ववशेष राब प्राप्त होता हैं।
सूमा फक होया सयकायी कामो के लरमे उत्तभ होती हैं।
द्र ॊ भा फक होया सबी कामों के लरमे उत्तभ होती हैं।
भॊगर फक होया कोटा -क ये ी के कामों के लरमे उत्तभ होती हैं। फुध फक होया ववद्या-फुवि अथाात ऩढाई के लरमे उत्तभ होती हैं। गुरु फक होया धालभाक कामा एवॊ वववाह के लरमे उत्तभ होती हैं। शुक्र फक होया मािा के लरमे उत्तभ होती हैं। शतन फक होया धन-द्रव्म सॊफॊधधत कामा के लरमे उत्तभ होती हैं।
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सवा योगनाशक मॊि/कव भनुष्म अऩने जीवन के ववलबन्न सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता हैं। उध त उऩ ाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुत्क्त लभर जाती हैं, रेफकन कबी-कबी साध्म योग होकय बी असाध्म होजाते हैं, मा कोइ असाध्म योग से ग्रलसत होजाते हैं। हजायो राखो रुऩमे ख ा कयने ऩय बी अधधक राब प्राप्त नहीॊ हो ऩाता। डॉक्टय द्वारा हदजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के लरमे कायगय सात्रफत होती हैं, एसी त्स्थती भें राब प्रात्प्त के लरमे व्मत्क्त एक डॉक्टय से दस ू ये डॉक्टय के
क्कय रगाने
को फाध्म हो जाता हैं।
बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊतत हे तु ववलबन्न आमव ु ेय औषधो के अततरयक्त मॊि, भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भें कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा फकमा था। फुविजीवो के भत से जो व्मत्क्त जीवनबय अऩनी हदन माा ऩय तनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हैं, एसे व्मत्क्त को ववलबन्न योग से ग्रलसत होने की सॊबावना कभ होती हैं। रेफकन आज के फदरते मुग भें एसे व्मत्क्त बी बमॊकय योग से ग्रस्त होते हदख जाते हैं। क्मोफक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हैं। एवॊ भत्ृ मु तनत्श् त हैं त्जसे ववधाता के अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता,
रेफकन योग होने फक त्स्थती भें व्मत्क्त योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हैं। इस लरमे मंत्र भंत्र एवं तंत्र के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्क्त योगो से भत्ु क्त ऩाने का मा उसके प्रबावो को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हैं।
ज्मोततष विद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को
उजागय कय सकते हैं। ज्मोततष शास्ि के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग लभरता हैं, जहा आधतु नक ध फकत्सा शास्ि अऺभ होजाता हैं वहा ज्मोततष शास्ि द्वाया योग के भूर(जड़) को ऩकड कय उसका तनदान कयना राबदामक एवॊ उऩामोगी लसि होता हैं। हय व्मत्क्त भें रार यॊ गकी कोलशकाए ऩाइ जाती हैं, त्जसका तनमभीत ववकास क्रभ फि तयीके से
होता यहता हैं। जफ इन कोलशकाओ के क्रभ भें ऩरयवतान होता है मा ववखॊडडन होता हैं तफ व्मत्क्त के शयीय भें स्वास््म सॊफॊधी ववकायो उत्ऩन्न होते हैं। एवॊ इन कोलशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हैं। त्जस्से योगो के होने के कायण व्मत्क्त के जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गो य त्स्थती से प्राप्त होता हैं। सवा योग तनवायण कव
एवॊ भहाभत्ृ मॊुजम मॊि के भाध्मभ से व्मत्क्त के जन्भाॊग भें त्स्थत कभजोय
एवॊ ऩीडडत ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक ा फकमा जासकता हैं। जेसे हय व्मत्क्त को ब्रहभाॊड फक उजाा एवॊ ऩ् ृ वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हैं हठक उसी प्रकाय कव
एवॊ
मॊि के भाध्मभ से ब्रहभाॊड फक उजाा के सकायात्भक प्रबाव से व्मत्क्त को सकायात्भक उजाा प्राप्त होती हैं त्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भक् ु त कयने हे तु सहामता लभरती हैं। योग तनवायण हे तु भहाभत्ृ मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हैं। त्जस्से हहन्द ू सॊस्कृतत का प्राम् हय
व्मत्क्त भहाभत्ृ मुॊजम भॊि से ऩरयध त हैं।
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कवच के राब :
एसा शास्िोक्त व न हैं त्जस घय भें भहाभत्ृ मॊुजम मॊि स्थावऩत होता हैं वहा तनवास कताा हो नाना प्रकाय फक आधध-व्माधध-उऩाधध से यऺा होती हैं।
ऩण ू ा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा रोग
ैतन्म मक् ु त सवा योग तनवायण कव
फकसी बी उम्र एवॊ जातत धभा के
ाहे स्िी हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हैं।
जन्भाॊगभें अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रततकूरता से योग उतऩन्न होते हैं।
कुि योग सॊक्रभण से होते हैं एवॊ कुि योग खान-ऩान फक अतनमलभतता औय अशुितासे उत्ऩन्न होते हैं। कव
एवॊ मॊि द्वाया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास््म राब औय शायीरयक यऺण
प्राप्त कयने हे तु सवा योगनाशक कव
एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हैं।
आज के बौततकता वादी आधुतनक मुगभे अनेक एसे योग होते हैं, त्जसका उऩ ाय ओऩये शन औय दवासे
बी कहठन हो जाता हैं। कुि योग एसे होते हैं त्जसे फताने भें रोग हह फक ाते हैं शयभ अनुबव कयते हैं एसे योगो को योकने हे तु एवॊ उसके उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव
एवॊ मॊि राबादातम लसि होता हैं।
प्रत्मेक व्मत्क्त फक जेसे-जेसे आमु फढती हैं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हैं। त्जसके साथ अनेक प्रकाय के ववकाय ऩैदा होने रगते हैं एसी त्स्थती भें उऩ ाय हे तु सवायोगनाशक कव
एवॊ
मॊि परप्रद होता हैं।
त्जस घय भें वऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक हह नऺिभे जन्भ रेते हैं, तफ उसकी भाता के लरमे अधधक कष्टदामक त्स्थती होती हैं। उऩ ाय हे तु भहाभत्ृ मॊुजम मॊि परप्रद होता हैं।
त्जस व्मत्क्त का जन्भ ऩरयधध मोगभे होता हैं उन्हे होने वारे भत्ृ मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग, ध त ॊ ा भें उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव
नोट:- ऩूणा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।
एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हैं।
ैतन्म मुक्त सवा योग तनवायण कव
एवॊ मॊि के फाये भें अधधक
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भंत्र ससद्ध कवच
मंत्र वसद्ध किच को विशेष प्रयोजन में उपयोग के वलए और शीघ्र प्रभाि शाली बनाने के वलए िेजस्िी मंत्रो द्वारा शुभ महूित में शुभ ददन को िैयार दकये जािे है । अलग-अलग किच िैयार करने के वलए अलग-अलग िरह के मंत्रो का प्रयोग दकया जािा है । क्यों चुने मंत्र वसद्ध किच? उपयोग में आसान कोई प्रविबन्ध नहीॊ कोई विशेष वनवि-वनयम नहीं कोई बुरा प्रभाि नहीं
भंत्र ससद्ध कवच सधू च राज राजेश्वरी किच
11000
विष्णु बीसा किच
Raj Rajeshwari Kawach ………..………………………
Vishnu Visha Kawach ………..………………………...
अमोघ महामृतयुज ं य किच
रामभद्र बीसा किच
Amogh Mahamrutyunjay Kawach …………………….
10900
दस महाविद्या किच Dus Mahavidhya Kawach ………..…………………….
7300 6400 6400 6400 6400 6400 5500 4600 4600 3700 3250 2800
कृ ष्ण बीसा किच Krushna Bisa Kawach ………..………………………... अष्ट विनायक किच Asht Vinayak Kawach ………..………………………...
2350
Ram Raksha Kawach ………..…………………………
2350
Narayan Raksha Kavach .……………………………...
2350
Hanuman Raksha Kawach ………..…………………..
2350
Bhairav Raksha Kawach ……………………………….
2350
Shani Sadesatee aur Dhaiya Kasht Nivaran Kawach …..
2350
Sharapit Yog Nivaran Kawach ……..…………………
1900
Vish Yog Nivaran Kawach ……..…………………….
1900
सितजन िशीकरण किच 2350
Sarvjan Vashikaran Kawach ……..……………………
1450
वसवद्ध विनायक किच 2350
Siddhi Vinayak Ganapati Kawach ……..……………..
1450
सकल सम्मान प्रावि किच 2350
आकषतण िृवद्ध किच Aakarshan Vruddhi Kawach ……..……………………
2350
विष योग वनिारण किच
श्रीदुगात बीसा किच Durga Visha Kawach ………..………………………….
Sankat Mochinee Kalika Siddhi Kawach ………..……
श्रावपि योग वनिारण किच
परदेश गमन और लाभ प्रावि किच Pardesh Gaman Aur Labh Prapti Kawach ………......
2350
शवन साड़ेसािी और ढ़ैया कष्ट वनिारण किच
इष्ट वसवद्ध किच Isht Siddhi Kawach ………..……………………………
Narvan Visha Kawach ………..………………………..
भैरि रक्षा किच
विलक्षण सकल राज िशीकरण किच Vilakshan Sakal Raj Vasikaran Kawach ………..……
2350
हनुमान रक्षा किच
कालसपत शांवि किच Kalsharp Shanti Kawach ………..……………………..
Sinha Visha Kawach ………..………………………….
नारायण रक्षा किच
स्िणातकषतण भैरि किच Swarnakarshan Bhairav Kawach ………..……………
2350
राम रक्षा किच
सुिणत लक्ष्मी किच Suvarn Lakshmi Kawach ………..…………………….
Lakshmi Visha Kawach ……..………………………….
संकट मोवचनी कावलका वसवद्ध किच
सित कायत वसवद्ध किच Sarv Karya Siddhi Kawach ………..…………………..
2350
निातण बीसा किच
पंचदेि शवि किच Pancha Dev Shakti Kawach ………..………………….
Garud Visha Kawach ………..…………………………
ससह बीसा किच
रसायन वसवद्ध किच Rasayan Siddhi Kawach ………..……………………..
2350
लक्ष्मी बीसा किच
निदुगात शवि किच Navdurga Shakiti Kawach ………..……………………
Kuber Visha Kawach ………..…………………………. गरुड बीसा किच
सकल वसवद्ध प्रद गायत्री किच Sakal Siddhi Prad Gayatri Kawach …………………...
2350
कु बेर बीसा किच
श्री घंटाकणत महािीर सित वसवद्ध प्रद किच Shri Ghantakarn Mahavir Sarv Siddhi Prad Kawach..
Ramabhadra Visha Kawach ………..…………………
2350
Sakal Samman Praapti Kawach ……..……………….
1450
स्िप्न भय वनिारण किच 1450
Swapna Bhay Nivaran Kawach ……..………………..
1050
58
िशीकरण नाशक किच 1450
प्रीवि नाशक किच
Saraswati Kawach (For Class +10) …………………..
1050
सरस्ििी किच (कक्षा 10 िकके वलए)
Preeti Nashak Kawach ……..………………………….
1450
चंडाल योग वनिारण किच
Saraswati Kawach (For up to Class 10) ……………..
910
िशीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)
Chandal Yog Nivaran Kawach ……..…………………
1450
ग्रहण योग वनिारण किच
Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) …………….
1250
पत्नी िशीकरण किच
Grahan Yog Nivaran Kawach ……..…………………..
1450
Magalik Yog Nivaran Kawach (Kuja Yoga) ………….
Patni Vasikaran Kawach ………………………………...
820
पवि िशीकरण किच
मांगवलक योग वनिारण किच (कु जा योग ) 1450
अष्ट लक्ष्मी किच
Pati Vasikaran Kawach ………………………………….
820
िशीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए) ……..………………………...
1250
आकवस्मक धन प्रावि किच
Vashikaran Kawach (For 1 Person) ……………………
820
सुदशतन बीसा किच
Akashmik Dhan Prapti Kawach ……..………………..
1250
स्पे.व्यापार िृवद्ध किच
Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…...
910
महा सुदशतन किच
Special Vyapar Vruddhi Kawach ……..………………
1250
धन प्रावि किच
Mahasudarshan Kawach ……..……………...………….
910
िंत्र रक्षा किच
Dhan Prapti Kawach ……..…………………………...
1250
कायत वसवद्ध किच
Tantra Raksha Kawach ………………………………….
910
िशीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)
Karya Siddhi Kawach ……..……………………………
1250
भूवमलाभ किच
Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) …………….
1250
पत्नी िशीकरण किच
Bhumilabh Kawach ……..…………………………….
1250
निग्रह शांवि किच
Patni Vasikaran Kawach ………………………………...
820
पवि िशीकरण किच
Navgrah Shanti Kawach ……..………………………..
1250
संिान प्रावि किच
Pati Vasikaran Kawach ………………………………….
820
िशीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए)
Santan Prapti Kawach ……..…………………………..
1250
कामदेि किच
Vashikaran Kawach (For 1 Person) ……………………
820
सुदशतन बीसा किच
Kamdev Kawach ……..……………………………….
1250
हंस बीसा किच
Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…...
910
महा सुदशतन किच
Hans Visha Kawach ……..……………………………..
1250
पदौन्नवि किच Padounnati Kawach
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सरस्ििी किच (कक्षा +10 के वलए)
Vasikaran Nashak Kawach ……..……………………..
Asht Lakshmi Kawach
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Mahasudarshan Kawach ……..……………...………….
910
िंत्र रक्षा किच ……..………………………….
1250
ऋण / कजत मुवि किच Rin / Karaj Mukti Kawach ……..………………………
वििाह बाधा वनिारण किच Vivah Badha Nivaran Kawach ………………………...
1250
मवस्िष्क पृवष्ट िधतक किच Mastishk Prushti Vardhak Kawach ……………………
Trishool Visha Kawach ……..…………………………...
910
व्यापर िृवद्ध किच 1050 1050
स्िवस्िक बीसा किच Swastik Visha Kawach ……..………………………….
910
वत्रशूल बीसा किच
शत्रु विजय किच Shatru Vijay Kawach …………………………………..
Tantra Raksha Kawach ………………………………….
Vyapar Vruddhi Kawach ………………………………...
910
सित रोग वनिारण किच Sarv Rog Nivaran Kawach ……………………………...
910
शारीररक शवि िधतक किच 1050 820
Sharirik Shakti Vardhak Kawach ..……………………...
910
वसद्ध शुक्र किच Siddha Shukra Kawach ………………………………….
820
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59 िाणी पृवष्ट िधतक किच
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वसद्ध शवन किच
Vani Prushti Vardhak Kawach …………………………
820
कामना पूर्ति किच
Siddha Shani Kawach …………………………………...
820
वसद्ध राहु किच
Kamana Poorti Kawach ……………………………….
820
विरोध नाशक किच
Siddha Rahu Kawach ……………………………………
820
वसद्ध के िु किच
Virodh Nashan Kawach ……………………………….
820
वसद्ध सूयत किच
Siddha Ketu Kawach …………………………………….
820
रोजगार िृवद्ध किच
Siddha Surya Kawach ………………………………….
820
वसद्ध चंद्र किच
Rojgar Vruddhi Kawach …………………………………
730
विघ्न बाधा वनिारण किच
Siddha Chandra Kawach ………………………………
820
Vighna Badha Nivaran Kawah ………………………….
730
नज़र रक्षा किच
वसद्ध मंगल किच (कु जा) Siddha Mangal Kawach (Kuja) ………………………
820
वसद्ध बुध किच
Najar Raksha Kawah …………………………………….
730
रोजगार प्रावि किच
Siddha Bhudh Kawach …………………………………
820
वसद्ध गुरु किच
Rojagar Prapti Kawach ………………………………….
730
दुभातग्य नाशक किच
Siddha Guru Kawach ………………………………..…
820
Durbhagya Nashak ………………………………………
640
उऩयोक्त कव के अरावा अन्म सभस्मा ववशेष के सभाधान हे तु एवॊ उद्देश्म ऩतू ता हे तु कव का तनभााण फकमा जाता हैं। कव के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें । *कव
भाि शब ु कामा मा उद्देश्म के लरमे
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Gemstone Price List NAME OF GEM STONE
Emerald Yellow Sapphire Yellow Sapphire
GENERAL
(ऩन्ना)
(ऩुखयाज)
Bangkok (फैंकोक ऩख ु याज)
200.00 550.00 550.00 550.00 1000.00 100.00 100.00 5500.00 300.00 30.00 125.00 190.00 73.00 25.00 280.00 19.00 190.00 550.00 210.00 50.00 100.00 28.00 100.00 100.00 60.00 28.00 28.00 28.00 120.00 45.00 15.00 10.00 15.00 12.00 19.00 09.00 03.00 12.00 12.00
MEDIUM FINE
500.00 1200.00 1200.00 1200.00 1200.00 150.00 190.00 6400.00 600.00 60.00 190.00 280.00 100.00 45.00 460.00 28.00 280.00 730.00 320.00 120.00 145.00 46.00 190.00 190.00 90.00 46.00 46.00 46.00 140.00 75.00 30.00 19.00 28.00 19.00 46.00 11.00 05.00 19.00 19.00
FINE
SUPER FINE
1200.00 1900.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 190.00 550.00 370.00 730.00 8200.00 10000.00 1200.00 2100.00 90.00 120.00 280.00 370.00 370.00 460.00 190.00 280.00 90.00 120.00 730.00 1000.00 45.00 100.00 460.00 730.00 820.00 1050.00 410.00 550.00 230.00 390.00 190.00 280.00 90.00 120.00 280.00 460.00 280.00 460.00 120.00 240.00 90.00 120.00 90.00 190.00 90.00 120.00 190.00 300.00 90.00 120.00 45.00 60.00 28.00 55.00 45.00 100.00 28.00 55.00 15.00 30.00 15.00 19.00 10.00 15.00 23.00 27.00 23.00 27.00
SPECIAL
2800.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 1000.00 & above 1900.00 & above 21000.00 & above 3200.00 & above 280.00 & above 460.00 & above 550.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 1900.00 & above 190.00 & above 1000.00 & above 1250.00 & above 730.00 & above 500.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 640.00 & above 640.00 & above 410.00& above 190.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 730.00 & above 190.00 & above 100.00 & above 100.00 & above 190.00 & above 190.00 & above 45.00 & above 21.00 & above 21.00 & above 45.00 & above 45.00 & above
Blue Sapphire (नीरभ) White Sapphire (सफ़ेद ऩुखयाज) Bangkok Black Blue(फैंकोक नीरभ) Ruby (भार्णक) Ruby Berma (फभाा भार्णक) Speenal (नयभ भार्णक/रारडी) Pearl (भोतत) Red Coral (4 यतत तक) (रार भूॊगा) Red Coral (4 यतत से उऩय)( रार भूॊगा) White Coral (सफ़ेद भूॊगा) Cat’s Eye (रहसतु नमा) Cat’s Eye ODISHA(उडडसा रहसुतनमा) Gomed (गोभेद) Gomed CLN (लसरोनी गोभेद) Zarakan (जयकन) Aquamarine (फेरुज) Lolite (नीरी) Turquoise (फफ़योजा) Golden Topaz (सुनहरा) Real Topaz (उडडसा ऩख याज/टोऩज) ु Blue Topaz (नीरा टोऩज) White Topaz (सफ़ेद टोऩज) Amethyst (कटे रा) Opal (उऩर) Garnet (गायनेट) Tourmaline (तुभर ा ीन) Star Ruby (सुमक ा ान्त भर्ण) Black Star (कारा स्टाय) Green Onyx (ओनेक्स) Lapis (राजवात) Moon Stone ( न्द्रकान्त भर्ण) Rock Crystal (स्फ़हटक) Kidney Stone (दाना फफ़यॊ गी) Tiger Eye (टाइगय स्टोन) Jade (भयग ) Sun Stone (सन लसताया) Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Call Us - 09338213418, 09238328785 Email Us:-
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GURUTVA KARYALAY YANTRA LIST
EFFECTS
Our Splecial Yantra 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
12 – YANTRA SET
For all Family Troubles
VYAPAR VRUDDHI YANTRA
For Business Development
BHOOMI LABHA YANTRA
For Farming Benefits
TANTRA RAKSHA YANTRA
For Protection Evil Sprite
AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA
For Unexpected Wealth Benefits
PADOUNNATI YANTRA
For Getting Promotion
RATNE SHWARI YANTRA
For Benefits of Gems & Jewellery
BHUMI PRAPTI YANTRA
For Land Obtained
GRUH PRAPTI YANTRA
For Ready Made House
KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA
-
Shastrokt Yantra 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42
AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA
Blessing of Durga
BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL)
Win over Enemies
BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL)
Blessing of Bagala Mukhi
BHAGYA VARDHAK YANTRA
For Good Luck
BHAY NASHAK YANTRA
For Fear Ending
CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta)
Blessing of Chamunda & Navgraha
CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA
Blessing of Chhinnamasta
DARIDRA VINASHAK YANTRA
For Poverty Ending
DHANDA POOJAN YANTRA
For Good Wealth
DHANDA YAKSHANI YANTRA
For Good Wealth
GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra)
Blessing of Lord Ganesh
GARBHA STAMBHAN YANTRA
For Pregnancy Protection
GAYATRI BISHA YANTRA
Blessing of Gayatri
HANUMAN YANTRA
Blessing of Lord Hanuman
JWAR NIVARAN YANTRA JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA KALI YANTRA
For Fewer Ending
KALPVRUKSHA YANTRA
For Fullfill your all Ambition
KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA)
Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
KANAK DHARA YANTRA
Blessing of Maha Lakshami
For Astrology & Spritual Knowlage Blessing of Kali
KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA
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KARYA SHIDDHI YANTRA
For Successes in work
SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA KRISHNA BISHA YANTRA
For Successes in all work
KUBER YANTRA
Blessing of Kuber (Good wealth)
LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA
For Obstaele Of marriage
LAKSHAMI GANESH YANTRA
Blessing of Lakshami & Ganesh
MAHA MRUTYUNJAY YANTRA
For Good Health
MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA
Blessing of Shiva
MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA)
For Fullfill your all Ambition
MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA NAVDURGA YANTRA
For Marriage with choice able Girl Blessing of Durga
Blessing of Lord Krishna
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YANTRA LIST
EFFECTS
43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64
NAVGRAHA SHANTI YANTRA
For good effect of 9 Planets
NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA
For good effect of 9 Planets
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SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA)
66 67 68 69
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SURYA YANTRA
Good effect of Sun
CHANDRA YANTRA
Good effect of Moon
MANGAL YANTRA
Good effect of Mars
BUDHA YANTRA
Good effect of Mercury
GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA)
Good effect of Jyupiter
SUKRA YANTRA
Good effect of Venus
SHANI YANTRA (COPER & STEEL)
Good effect of Saturn
RAHU YANTRA
Good effect of Rahu
KETU YANTRA
Good effect of Ketu
PITRU DOSH NIVARAN YANTRA
For Ancestor Fault Ending
PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA
For Pregnancy Pain Ending
RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA
For Benefits of State & Central Gov
RAM YANTRA
Blessing of Ram
RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA
Blessing of Riddhi-Siddhi
ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA
For Disease- Pain- Poverty Ending
SANKAT MOCHAN YANTRA
For Trouble Ending
SANTAN GOPAL YANTRA
Blessing Lorg Krishana For child acquisition
SANTAN PRAPTI YANTRA
For child acquisition
SARASWATI YANTRA
Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
SHIV YANTRA
SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA
Blessing of Shiv Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & Peace Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA
For Bad Dreams Ending
VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE MAHALAKSHAMI YANTRA) VASTU YANTRA
For Vehicle Accident Ending Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All Successes For Bulding Defect Ending
70 71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA 72 VISHNU BISHA YANTRA 73 VASI KARAN YANTRA 74 MOHINI VASI KARAN YANTRA 75 PATI VASI KARAN YANTRA 76 PATNI VASI KARAN YANTRA 77 VIVAH VASHI KARAN YANTRA Yantra Available @:- Rs- 325 to 12700 and Above…..
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सू ना ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख ऩत्रिका के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं। रेख प्रकालशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन वव ायो से सहभत हों। नात्स्तक/ अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं। ऩत्रिका भें प्रकालशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष मा फकसी बी स्थान मा घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हैं। प्रकालशत रेख ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण महद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तववक जीवन से भेर होता हैं तो मह भाि एक सॊमोग हैं। प्रकालशत सबी रेख बायततम आध्मात्त्भक शास्िों से प्रेरयत होकय लरमे जाते हैं। इस कायण इन ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभार्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं। अन्म रेखको द्वाया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभार्णकता एवॊ प्रबाव फक त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं। औय नाहीॊ रेखक के ऩते हठकाने के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं। ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्त,ु भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा। ऩाठक द्वारा फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी। हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय लरखे होते हैं। हभ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वारा प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं। मह त्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानन ू ी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्वाथा ऩतू ता हे तु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िहु ट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं। हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्वारा तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं। ऩाठकों फक भाॊग ऩय एक हह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का अधधकाय यखता हैं। ऩाठकों को एक रेख के ऩून् प्रकाशन से राब प्राप्त हो सकता हैं। अधधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं। (सबी वववादो केसरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
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गरु ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक ई-ऩत्रिका 2 हदसम्फय से 8 हदसम्फय 2018
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गरु ु त्व ज्मोततष ववबाग गरु ु त्व कामाारम
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हभाया उद्देश्म वप्रम आत्त्भम फॊधु/ फहहन जम गरु ु दे व जहाॉ आधतु नक ववऻान सभाप्त हो जाता हैं। वहाॊ आध्मात्त्भक ऻान प्रायॊ ब
हो जाता हैं, बौततकता का आवयण ओढे व्मत्क्त जीवन भें हताशा औय तनयाशा भें
फॊध जाता हैं, औय उसे अऩने जीवन भें गततशीर होने के लरए भागा प्राप्त नहीॊ हो ऩाता क्मोफक बावनाए हह बवसागय हैं, त्जसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता तनहहत हैं। उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय
सपरता हैं। सपरता को प्राप्त कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ अधधकाय हैं। ईसी लरमे हभायी शब ु काभना सदै व आऩ के साथ हैं। आऩ अऩने कामा-उद्देश्म एवॊ अनक ा भॊि शत्क्त से ऩण ु ू रता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर ू ा प्राणु ब प्रततत्ष्ठत ध ज वस्तु का हभें शा प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी लरमे
हभाया उद्देश्म महीॊ हे की शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वाया लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण ू ा
ैतन्म मक् ु त सबी प्रकाय के मन्ि- कव
परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहो ाने का हैं।
एवॊ शब ु
सूमा की फकयणे उस घय भें प्रवेश कयाऩाती हैं। जीस घय के र्खड़की दयवाजे खुरे हों।
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Weekly 2-Dec to 8-Dec
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