Gurutva Jyotish E-magazine 16 Dec To 22-dec 2018 Weekly

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गुरुत्व कामाारम द्वारा प्रस्तुत...

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16 ददसम्फय से 22 ददसम्फय 2018

Nonprofit Publications

.

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FREE E CIRCULAR गरु ु त्व ज्मोततष

साप्ताहहक ई-ऩत्रिका 16 22

2018

सॊऩादक

ध त ॊ न जोशी

गरु ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक ई-ऩत्रिका भें रेखन हे तु

फ्रीराॊस (स्वतॊि) रेखकों का स्वागत हैं...

सॊऩका गुरुत्व ज्मोततष ववबाग

गुरुत्व कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA

पोन

91+9338213418, 91+9238328785, ईभेर [email protected], [email protected],

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ऩत्रिका प्रस्तुतत

ध त ॊ न जोशी,

गुरुत्व कामाारम पोटो ग्राफपक्स

ध त ॊ न जोशी, गुरुत्व कामाारम

गरु ु त्व

ज्मोततष

 साप्ताहहक

ई-ऩत्रिका भें आऩके द्वारा लरखे गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, पेंगशई ु , टै यों, ये की एवॊ अन्म आध्मात्त्भक ऻान वधाक

रेख को प्रकालशत कयने हे तु बेज सकते हैं।

अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected]

अनुक्रभ

16

2018

!

6

वणाभारा के अनस ु ाय स्वप्न पर वव ाय

7

अॊक ज्मोततष का यहस्म (भूराॊक 9 स्वाभी

22 )

12 यत्नों का अद्भत ु यहस्म:

16

25 28

कारसऩा मोग एक कष्टदामक मोग !

30

प्रकृतत की अरौफकक दे न रुद्राऺ धायण कयने से राब -

(

19

भख ु ी)

स्थामी औय अन्म रेख सॊऩादकीम 16

22

2018 साप्ताहहक ऩॊ ाॊग

16

22

2018 साप्ताहहक व्रत-

ऩवा-त्मौहाय कामा लसवि मोग

4

दै तनक शुब एवॊ अशुब सभम ऻान तालरका

50

44

हदन के

51

44

हदन फक होया - सम ू ोदम से सम ू ाास्त तक

ौघडडमे

55

50

ई- जन्भ ऩत्रिका अत्माधुतनक ज्मोततष ऩितत द्वाया उत्कृष्ट बववष्मवाणी के साथ १००+ ऩेज भें प्रस्तुत

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हहॊदी/ English भें भूल्म भाि 910/- Limited time offer 450 Only GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected]

वप्रम आत्त्भम, फॊध/ु फहहन जम गुरुदे व बायतीम ऩॊ ाॊग भें खयभास हय वषा सौय ऩौष भास को कहते हैं। बायत के कई हहस्सों भें इसे भरभास एवॊ कई हहस्सों

भें कारा भहीना कहा जाता है । इस खय भास भें हहन्द ू धभा भें सबी प्रकाय के धालभाक औय शुब भाॊगलरक कामा वत्जात भाने जाते

हैं। खय भास भें मऻोऩवीत, वववाह, गह ृ प्रवेश, बूलभ ऩूजन, फेटी की ववदाई, कई प्रकाय के धालभाक कभाकाॊड आहद का तनषेध भाता जाता है।

ऩुयाणों के अनस ु ाय खय भास भें भत्ृ मु का पर अशुब होता है। भहाबायत के अनुसाय खय भास के दौयान जफ अजन ुा

ने बीष्भ वऩताभह को सैकडों फाणों से त्रफन्ध हदमा था। रेफकन फाणों की शैमा ऩय रेटे होने फावजद ू बी बीष्भ वऩताभह ने अऩने

प्राण नहीॊ त्मागे। इसका भर ू कायण खय भास की अशुबता है, क्मोफक खय भास भें महद बीष्भ वऩताभह ने प्राण त्मागे तो उनका अगरा जन्भ नका की ओय जाएगा। इसी लरए बीष्भ वऩताभह ने अजन ुा से तनवेदन फकमा की एक तीय

राए जो उनके लसय ऩय

एसे रगे री वह तफकए के सभान काभ कये । खय भास की अशब ु ता से फ ने के लरए बीष्भ वऩताभह ऩयू े खय भास भें अधभयी

अवस्था भें फाणों की शैमा ऩय ही रेटे यहे औय खय भास की सभात्प्त के फाद भाघ भास के शक् ु र ऩऺ की एकादशी को उन्हों ने अऩने प्राणों का त्माग फकमा। क्मोफक की एसी भान्मता हैं की भाघ भास भें दे ह त्माग से व्मत्क्त सीधा स्वगा का बागी होता है। भाघ शक् ु र एकादशी को दे ह त्मागने वारे को वैकुण्ठ की प्रात्प्त होती है।

साभान्म बाषा भें खय गधे को कहते हैं। भाकाण्डेम ऩुयाण भें वर्णात हैं की बगवान सम ा े व अऩने सतों घोडों के यथ ऩय ू द

सवाय हो कय सॊऩूणा ब्रहभाॊड की ऩरयक्रभा कयते है । त्जसभें बगवान सम ा े व को त्रफना रुके-थके तनयॊ तय गततभान यहना ऩडता है , ू द

रेफकन एक फाय सार बय इसी प्रकाय ब्रहभाॊड की तनयॊ तय ऩरयक्रभा कयते हुए बगवान सूमद ा े व के घोडे अत्माधधक प्मासे हो जाते है । बगवान सम ा े व घोडों की त्स्थतत को दे ख उनकी प्मास फझ ा े व को ू द ु ाने के उऩाम सो ने रगते है । रेफकन दस ू द ू यी ही ऺण बगवान सम तनयॊ तय गततभान यहे न का अऩना कताव्म ऻात हो जाता है, कुछ दयू

रने के फाद उनकी नज़य ताराफ के फकनाये खडे दो गधों ऩय

ऩडती है । बगवान सम ा े व ने ताराफ के तनकट अऩना यथ योक हदमा औय अऩने घोडों को यथ से छोड गधों को यथ से जोड अऩनी ू द

मािा ऩय तनकर ऩडते है । जैसा की गधे की गतत घोडों से धीभी होती है । उसी प्रकाय बगवान सूमद ा े व का यथ बी इस दौयान धीभी गतत से बभण कयता है। इस धीभी गतत के कायण बगवान सम ा े व का तेज बी कभ हो जाता है । ू द

ज्मोततषीम के अनस ु ाय सम ू ा के धनु यालशभें प्रवेश से अथाात धनु सॊक्राॊतत से खय मा भरभास होता है। सम ू ा जफ फह ृ स्ऩतत की धनु

यालश अथवा भीन यालश भें होता है , तो मह दोनों यालशमाॊ सूमा की शुबता के लरए अशुब यालश भानी जाती है । सम ू ा का फह ृ स्ऩतत की

यालश भें ऩरयभ्रभण अच्छा नहीॊ भाना जाता है , क्मोंफक फहृ स्ऩतत की यालश भें सम ू ा कभज़ोय त्स्थतत भें यहता हैं। सूमा वषा भें दो फाय फह ु ाास एवॊ भीनभास ृ स्ऩतत की यालश धनु एवॊ भीन भें ऩरयभ्रभण कयते है । सौय भास की गणना से प्राम् इन दोनों भाह को धनभ

कहा जाता है । इन दोनों भहीनों भें सबी प्रकाय के भाॊगलरक कामा अशुब भाना जाता है । खास भास के दौया अन्न-वस्ि तथा औषधध का दान कयना श्रेष्ठ कय भाना है।

इस साप्ताहहक ई-ऩत्रिका भें सॊफॊधधत जानकायीमों के ववषम भें साधक एवॊ ववद्वान ऩाठको से अनुयोध हैं,

महद दशाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, साधना एवॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाव इत्मादी के सॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भें , डडजाईन भें , टाईऩीॊग भें , वप्रॊहटॊग भें , प्रकाशन भें कोई िुहट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ

सुधाय रें मा फकसी मोग्म ज्मोततषी, गुरु मा ववद्वान से सराह ववभशा कय रे । क्मोफक ववद्वान ज्मोततषी, गुरुजनो एवॊ साधको के तनजी अनुबव ववलबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, साधना, उऩाम के प्रबावों का वणान कयने भें बेद होने ऩय काभना लसवि हे तु फक जाने वारी वारी ऩूजन ववधध एवॊ उसके प्रबावों भें लबन्नता सॊबव हैं।

आऩका जीवन सख ु भम, भॊगरभम हो ऩयभात्भा की कृऩा

आऩके ऩरयवाय ऩय फनी यहे । ऩयभात्भा से मही प्राथना हैं …

ध त ॊ न जोशी

5

6

8

***** साप्ताहहक ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत सू ना *****  ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख गुरुत्व कामाारम के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।

 ई-ऩत्रिका भें वर्णात रेखों को नात्स्तक/अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।

 ई-ऩत्रिका के रेख आध्मात्भ से सॊफॊधधत होने के कायण बायततम धभा शास्िों से प्रेरयत होकय प्रस्तुत फकमा गमा हैं।

 ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभार्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।

 ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत जानकायीकी प्राभार्णकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की

नहीॊ हैं औय ना हीॊ प्राभार्णकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।

 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त

ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।

 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत फकसी बी प्रकाय की आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।

 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत रेख हभाये वषो के अनब ॊ ान के आधाय ऩय हदए गमे हैं। हभ ु व एवॊ अनश ु ध

फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वाया प्रमोग फकमे जाने वारे धालभाक, एवॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा

उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं। मह त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी।

 क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानूनी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्वाथा ऩूतता हे तु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िुहट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।

 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत जानकायी को भाननने से प्राप्त होने वारे राब, राब की हानी मा हानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हैं।

 हभाये द्वाया ऩोस्ट फकमे गमे सबी जानकायी एवॊ भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा कव , भॊि-मॊि मा उऩामो द्वाया

तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।  ई-ऩत्रिका भें गरु ु त्व कामाारम द्वाया प्रकालशत सबी उत्ऩादों को केवर ऩाठको की जानकायी हे तु हदमा

गमा हैं, कामाारम फकसी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने हे तु फकसी बी प्रकाय से फाध्म नहीॊ कयता हैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कहीॊ से बी क्रम कयने हे तु ऩूणत ा ् स्वतॊि हैं। अधधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं। (सबी वववादो केलरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

6

धनु सॊक्राॊतत 16 हदसॊफय 2018

शुब कामा वत्जात !

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम हदसॊफय 2018 को सम ू ा के धनु यालश भें प्रवेश

प्रफर यहती हैं। नमे व्मवसाम भें अनावश्मक ख ा औय

है , औय मह खयभास अगरे भहीने सूमा के भकय यालश

बूलभ-बवन सॊफॊधधत कामा बी इस दौयान अशुब भाने

के साथ खयभास रगने से शब ु कामा वत्जात भाने जाते

कजा भें ववृ ि के सॊबावनाएॊ बी प्रफर होती है । नई

भें प्रवेश के साथ सभाप्त हो जामेंगे। सूमा के भकय

जाते है ।

यालश भें प्रवेश से शुब कामा ऩुन् शुरू हो जाते है ।

इस दौयान सबी प्रकाय के भाॊगलरक कामा तनषेध भाने जाते है ।

र यहे हों खयभास

का अशुब प्रबाव उसभें ववशेष प्रबावी नहीॊ भाना इस लरए उसको जायी यखा जा सकता है ।

सूमा का भकय यालश भें प्रवेश के साथ अथाात

भकय सॊक्राॊतत ऩय मह खयभास सभाप्त होता है ।

साधायणत् सॊक्राॊतत सूमा के फकसी एक यालश से दस ू यी यालश भें प्रवेश को कहा जाता है ।

जो कामा तनमलभत रूऩ से

इसी क्रभ भें जफ

सूमा का धनु याशी भें प्रवेश होता हैं, तो उसे धनु सॊक्राॊतत कहा जाता है ।

ज्मोततष के अनुसाय धनु यालश के स्वाभी दे व

गुरु फह ृ स्ऩतत हैं। एसी धालभाक भान्मता हैं धनु सॊक्राॊतत

खयभास नाभ के ऩीछे की भन्मता हैं , की एक फाय बगवान सूमद ा े व अऩने सातो घोडों वारे यथ ऩय

सवाय होकय भ्रभण कय यहे थे। अधधक सभम घूभते-

घूभते घोडे अऩनी प्मास फुझाने के लरए एक ताराफ के फकनाये ऩानी ऩीने के लरए रुके। ऩानी ऩीने के फाद घोडों

भें आरस्म आ गमा औय वह ताराफ के फकनाये ही आयाभ कयने के लरए रुक गए। सूमद ा े व को सत्ृ ष्ट को

जीवन उजाा प्रदान कयने का अऩना कताव्म स्भयण हो

से अथाात खयभास के दौयान सूमा के यालश ऩरयवतान से

गमा। इस फी

सूमद ा े व को ताराफ के फकनाये दो गधे

सूमा के फर की आवश्मक्ता होती है , जो इस दौयान

ही छोड उने दों गधों को अऩने यथ भें जोड कय अऩने

उसका प्रबाव ऺीण हो जाता है । फकसी बी शुब कामा भें

नज़य आए। सम ा े व नें अऩने थके घोडों को फकनाये ऩय ू द

ऺीण होने के कायण सभस्त प्रकाय के शुब कामा वत्जात

कताव्म का ऩारन कयने के लरए तनकर ऩडे। गधों से

भाने जाते हैं।

सम ू ा का प्रबाव गरु ु की यालश भें प्रवेश से कभ

जुडे यथ ऩय सवाय बगवान सूमद ा े व एक भाह तक इसी प्रकाय धीभी गतत से

रते यहे । त्जस कायण उनके तेज

हो जाता है , एसी भान्मता हैं ग्रहों के याजा सम ू ा जफ

का प्रबाव कभ हो गमा। फपय एक भाह ऩश् मात सम ू ा

कय रेते है । इस ववशेष सॊमोग से ववलबन्न योग फढ़ने

सातों घोडों ऩय सवाय हो कय ऩन ु ् अऩनी गतत से

दे वों के गरु ु को लभरने जाते है , तो अऩना तेक कभ का ववशेष खतया होता है। इस दौयान भानलसक

ॊ रता

भें बी ववृ ि होती हैं।

ज्मोततष भें धनु याशी को सख ु -सभहृ ि-बाग्म की

यालश भाना जाता है । रेफकन सूमा का धनु याशी भें प्रवेश

सुख-सभवृ ि के लरए अशुब होता। इस दौयान फकमे जाने

के भकय यालश भें प्रवेश अथाात भकय सॊक्राॊतत ऩय अऩने

रने

रगे।

श्री मॊि

गुरुत्व कामाारम भें ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" 21 ग्राभ से रेकय 2250 ग्राभ

वारे शुब कामा से बाग्म कभजोय होने की सॊबावनाएॊ

साईज़ भें उऩरब्ध हैं। श्रीमॊि के सॊफॊध भें अधधक

अधधक होती है । इस दौयान फकसी बी प्रकाय के नमे

जानकायी के लरए कामाारम भें सॊऩका कयें । >>Order Now

कायोफाय इत्माहद की शुरुआत से उसभें अना श्मक

GURUTVA KARYALAY

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

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 सॊकरन गरुु त्व कामाारम (आ

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द्वादश भहा मॊि मॊि को अतत प्राध न एवॊ दर ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनस ु ब ु ॊधान द्वाया फनामा गमा हैं।

 ऩयभ दर ा वशीकयण मॊि, ु ब

 सहस्िाऺी रक्ष्भी आफि मॊि

 भनोवाॊतछत कामा लसवि मॊि

 ऩण ू ा ऩौरुष प्रात्प्त काभदे व मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि

 याज्म फाधा तनवत्ृ त्त मॊि

 योग तनवत्ृ त्त मॊि

 गहृ स्थ सख ु मॊि

 साधना लसवि मॊि

 शीघ्र वववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 शिु दभन मॊि

उऩयोक्त सबी मॊिो को द्वादश भहा मॊि के रुऩ भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि ऩण ू ा प्राणप्रततत्ष्ठत एवॊ

त ै न्म मक् ा ा-ववधध ववधान ववशेष ु त फकमे जाते हैं। त्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩज ू ा अ न

राब प्राप्त कय सकते हैं।

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

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धन ववृ ि डडब्फी

धन ववृ ि डडब्फी को अऩनी अरभायी, कैश फोक्स, ऩूजा स्थान भें यखने से धन ववृ ि होती हैं त्जसभें कारी हल्दी,

रार- ऩीरा-सपेद रक्ष्भी कायक हकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पहटक यत्न, 3 ऩीरी कौडी, 3 सपेद कौडी, गोभती क्र, सपेद गुॊजा, यक्त गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊद्र जार, भामा जार, इत्मादी दर ा वस्तुओॊ को शुब भहुता भें तेजस्वी ु ब

भॊि द्वाया अलबभॊत्रित फकम जाता हैं।

भूल्म भाि Rs-730 >> Order Now

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34 8, 9 + 9 383 8785

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

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सवा कामा लसवि कव त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊतछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें लसवि (राब) लसवि कव

प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा अवश्म धायण कयना

ाहहमे।

कवच के प्रभुख राब: सवा कामा लसवि कव

के द्वारा

सख ु सभवृ ि औय नव ग्रहों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र

का नाश हो कय सख ु -सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय

जीवन भे सलब प्रकाय के शब ु कामा लसि होते हैं। त्जसे धायण

कयने से व्मत्क्त महद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि होतत हैं औय महद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें सववजन वशीकयण कव

के लभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस ू ये व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव

के

लभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रक्ष्भी

के अष्ट रुऩ (१)-आहद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)ववजम रक्ष्भी, (७)-ववद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें तंत्र यऺा कव

के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,

साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव

के प्रबाव

से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें शत्रु ववजम कव

के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त

ऩये शातनओ से स्वत् ही छुटकाया लभर जाता हैं। कव कुछ नही त्रफगाड सकते। अन्म कव

के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का

ाहकय

के फाये भे अधधक जानकायी के लरमे कामाारम भें सॊऩका कये :

फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा लसवि कव

दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सयु क्षऺत हैं।

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

12

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम एक कथा के अनश ु ाय:

भहफपर जभी है । कई स्िी ऩरु ु ष साथ भें ना ते-कूदते-हॉ सते

'श्रीयाभ' नाभ का अजऩाजाऩ कयते हुए अऩनी भस्ती भें रे जा यहे थे। जाऩ कयते हुए वे एक गहन जॊगर से गज ु य यहे

हाथ ऩकडकय कहा् ओ भनुष्म ! हभाये याजा तुझे फुराते हैं,

एक सॊत भहात्भा श्माभदासजी यात्रि के सभम भें

थे।

ववयक्त होने के कायण वे भहात्भा फाय-फाय दे शाटन कयते यहते थे। वे फकसी एक स्थान भें अधधक सभम नहीॊ यहते थे। वे इश्वय नाभ प्रेभी थे। इस लरमे हदन-यात उनके भुख से याभ नाभ जऩ

रता यहता था। स्वमॊ याभ

नाभ का अजऩाजाऩ कयते तथा औयों को बी उसी भागा ऩय राते। श्माभदासजी गहन जॊगर भें भागा बूर गमे थे ऩय

अऩनी भस्ती भें

रे जा यहे थे फक जहाॉ याभ रे रे वहाॉ....।

दयू अॉधेये के त्रफ

भें फहुत सी दीऩभाराएॉ प्रकालशत थीॊ। भहात्भा जी उसी हदशा की ओय रने रगे। तनकट ऩहुॉ ते ही दे खा फक वटवऺ ृ के ऩास अनेक

प्रकाय के वाद्यमॊि फज यहे हैं, ना

-गान औय शयाफ की

तथा औयों को हॉ सा यहे हैं। उन्हें भहसस ू हुआ फक वे भनष्ु म नहीॊ प्रेतात्भा हैं। श्माभदासजी को दे खकय एक प्रेत ने उनका

र। वे भस्तबाव से याजा के ऩास गमे जो लसॊहासन ऩय फैठा

था। वहाॉ याजा के इदा -धगदा कुछ प्रेत खडे थे। प्रेतयाज ने कहा् तुभ इस ओय क्मों आमे? हभायी भॊडरी आज भदभस्त हुई है ,

इस फात का तुभने वव ाय नहीॊ फकमा? तुम्हें भौत का डय नहीॊ है ?

अट्टहास कयते हुए भहात्भा श्माभदासजी फोरे् भौत का डय? औय भुझ?े याजन ् ! त्जसे जीने का भोह हो उसे भौत

का डय होता हैं। हभ साधु रोग तो भौत को आनॊद का ववषम

भानते हैं। मह तो दे हऩरयवतान हैं जो प्रायब्धकभा के त्रफना फकसी से हो नहीॊ सकता। प्रेतयाज् तुभ जानते हो हभ कौन हैं?

भहात्भाजी् भैं अनुभान कयता हूॉ फक आऩ प्रेतात्भा हो।

प्रेतयाज् तुभ जानते हो, रोग सभाज हभाये नाभ से काॉऩता

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

13 हैं।

कर सॊध्मा के ऩहरे उसकी भौत होगी। फपय उसकी

भहात्भाजी् प्रेतयाज ! भुझे भनुष्म भें धगनने की गरती भत

कयना। हभ त्जॊदा हदखते हुए बी जीने की इच्छा से यहहत, भत ृ तुल्म हैं। महद त्जॊदा भानों तो बी आऩ हभें भाय नहीॊ

शादी भेयी कन्मा से होगी। इस लरमे यात बय गीत-नत्ृ म औय भद्यऩान कयके हभ आनॊदोत्सव भनामेंगे।

श्माभदासजी वहाॉ से ववदा होकय श्रीयाभ नाभ का

सकते। जीवन-भयण कभााधीन हैं। भैं एक प्रश्न ऩूछ सकता

अजऩाजाऩ कयते हुए जॊगर के फकनाये के गाॉव भें ऩहुॉ े। उस

भहात्भा की तनबामता दे खकय प्रेतों के याजा को

एक ग्राभीण से भहात्भा नें ऩूछा् इस गाॉव भें कोई

हूॉ?

आश् मा हुआ फक प्रेत का नाभ सुनते ही भय जाने वारे भनुष्मों भें एक इतनी तनबामता से फात कय यहा हैं। स भु ,

ऐसे भनुष्म से फात कयने भें कोई हयकत नहीॊ। प्रेतयाज फोरा्

सभम सुफह हो क ु ी थी।

श्रीभान ् का फेटा फीभाय हैं?

ग्राभीण् हाॉ, भहायाज ! नवरशा सेठ का फेटा

ऩूछो, क्मा प्रश्न है ?

साॊकर द ॊ एक वषा से योगग्रस्त हैं। फहुत उऩ ाय फकमे ऩय उसका योग ठीक नहीॊ होता।

भनामा जा यहा है ?

ग्राभीण् उनके ऩूवज ा जैन थे फकॊतु बाहटमा के साथ व्माऩाय

भहात्भाजी् प्रेतयाज ! आज महाॉ आनॊदोत्सव क्मों प्रेतयाज् भेयी इकरौती कन्मा, मोग्म ऩतत न लभरने

के कायण अफ तक कुआॉयी हैं। रेफकन अफ मोग्म जभाई

भहात्भा् क्मा वे जैन धभा ऩारते हैं? कयते हुए अफ वे वैष्णव हुए हैं।

लभरने की सॊबावना हैं। कर उसकी शादी हैं इसलरए मह

भहात्भा नवरशा सेठ के घय ऩहुॊ े साॊकर द ॊ की हारत गॊबीय थी। अत्न्तभ घडडमाॉ थीॊ फपय बी भहात्भा को

उत्सव भनामा जा यहा हैं।

दे खकय भाता-वऩता को आशा की फकयण हदखी। उन्होंने

भहात्भा ने हॉसते हुए कहा् तम् ु हाया जभाई कहाॉ हैं? भैं

उसे दे खना ाहता हूॉ।" प्रेतयाज् जीने की इच्छा के भोह के त्माग कयने वारे

भहात्भा ! अबी तो वह हभाये ऩद (प्रेतमोनी) को प्राप्त नहीॊ हुआ हैं।

भहात्भा का स्वागत फकमा। सेठऩि ु के ऩरॊग के तनकट आकय

भहात्भा याभनाभ की भारा जऩने रगे। दोऩहय होते-होते रोगों का आना-जाना फढ़ने रगा। भहात्भा ने ऩछ ू ा् क्मों, साॊकर द ॊ ! अफ तो ठीक हो?

साॊकर द ॊ ने आॉखें खोरते ही अऩने साभने एक वह इस जॊगर के फकनाये एक गाॉव के श्रीभॊत

प्रताऩी सॊत को दे खा तो यो ऩडा। फोरा् फाऩजी ! आऩ भेया

(धनवान) का ऩि ु हैं। भहादयु ा ायी होने के कायण वह

अॊत सध ु ायने के लरए ऩधाये हो। भैंने फहुत ऩाऩ फकमे हैं। बगवान के दयफाय भें क्मा भॉुह हदखाऊॉगा? फपय बी आऩ जैसे

इसवक्त बमानक योग से ऩीडडत हैं।

नवयत्न जडडत श्री मॊि

शास्ि व न के अनस ु ाय शि ु सव ु णा मा यजत भें तनलभात श्री मॊि के

ायों औय महद

नवयत्न जडवा ने ऩय मह नवयत्न जडडत श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनत्श् त स्थान ऩय जड कय रॉकेट के रूऩ भें धायण कयने से व्मत्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रात्प्त होती हैं। व्मत्क्त को एसा आबास होता हैं

जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशुब दशा का धायण कयने वारे व्मत्क्त

ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं। गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो

जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस प्रकाय के नवयत्न जडडत श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्वाया शुब भुहूता भें प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

14 सॊत के दशान हुए हैं, मह भेये लरए शुब सॊकेत हैं। इतना फोरते ही उसकी साॉस पूरने रगी, वह खाॉसने रगा।

फेटा ! तनयाश न हो बगवान याभ ऩततत ऩावन है ।

तेयी मह अत्न्तभ घडी हैं। अफ कार से डयने का कोई कायण

भहात्भा ने नम्रबाव से कहा् भैंने आऩका अहहत फकमा मह भुझे सभझ भें नहीॊ आता। ऺभा कयना, भुझे भेयी बूर फताओगे तो भैं दफ ु ाया नहीॊ करूॉगा।

प्रेतयाज ने जरते रृदम से कहा् महाॉ से जाकय तूने

नहीॊ। खफ ू शाॊतत से ध त्तवत्ृ त्त के तभाभ वेग को योककय

भयने वारे को नाभ स्भयण का भागा फतामा औय अॊत सभम

श्रीयाभ नाभ के जऩ भें भन को रगा दे । अजऩाजाऩ भें रग

बी याभ नाभ कहरवामा। इससे उसका उिाय हो गमा औय

जा।

भेयी फेटी कॉु आयी यह गमी।

भहात्भाजी् क्मा? लसपा एक फाय नाभ जऩ रेने से

शास्त्र कहते हैं-

वह प्रेतमोतन से छूट गमा? आऩ स कहते हो?

चरयतभ ् यघुनाथस्म शतकोदटभ ् प्रववस्तयभ ्।

एकैकभ ् अऺयभ ् ऩूण्मा भहाऩातक नाशनभ ्।।

प्रेतयाज् हाॉ बाई ! जो भनुष्म याभ नाभजऩ कयता हैं

अथावत् सौ कयोड शब्दों भें बगवान याभ के गुण गामे गमे हैं।

वह याभ नाभजऩ के प्रताऩ से कबी हभायी मोतन को प्राप्त

उसका एक-एक अऺय ब्रहभहत्मा आहद भहाऩाऩों का नाश

नहीॊ होता। बगवन्नाभ जऩ भें नयकोिारयणी शत्क्त हैं। प्रेत

कयने भें सभथा हैं।

के

हदन ढरते ही साॊकर द ॊ की फीभायी फढ़ने रगी। वैद्य-हकीभ फुरामे गमे। हीया बस्भ आहद कीभती औषधधमाॉ

दी गमीॊ। फकॊतु अॊततभ सभम आ गमा मह जानकय भहात्भाजी

ने थोडा नी े झुककय उसके कान भें याभनाभ रेने की माद हदरामी। याभ फोरते ही उसके प्राण ऩखेरू उड गमे। रोगों ने

योना शरु ु कय हदमा। श्भशान मािा की तैमारयमाॉ होने रगीॊ। भौका ऩाकय भहात्भाजी वहाॉ से र हदमे।

नदी तट ऩय आकय स्नान कयके नाभस्भयण कयते हुए वहाॉ से यवाना हुए। शाभ ढर क ु ी थी। फपय वे भध्मयात्रि के सभम जॊगर भें उसी वटवऺ ृ के ऩास ऩहुॉ ।े प्रेत सभाज उऩत्स्थत था। प्रेतयाज लसॊहासन ऩय हताश होकय फैठे थे। आज गीत, नत्ृ म, हास्म कुछ न था।

ायों ओय करुण आक्रॊद

हो यहा था, सफ प्रेत यो यहे थे। हास्म कुछ न था।

ायों ओय

करुण आक्रॊद हो यहा था, सफ प्रेत यो यहे थे।

भहात्भा ने ऩूछा् प्रेतयाज ! कर तो महाॉ आनॊदोत्सव

था, आज शोक-सभुद्र रहया यहा हैं। क्मा कुछ अहहत हुआ हैं?

प्रेतयाज् हाॉ बाई ! इसीलरए यो यहे हैं। हभाया

सत्मानाश हो गमा। भेयी फेटी की आज शादी होने वारी थी। अफ वह कॉु आयी यह जामेगी

या याभनाभ का मह प्रताऩ सुनकय भहात्भाजी प्रेभाश्रु

फहाते हुए बाव सभाधध भें रीन हो गमे। उनकी आॉखे खर ु ीॊ तफ वहाॉ प्रेत-सभाज नहीॊ था, फार सूमा की सुनहयी फकयणें वटवऺ ृ को शोबामभान कय यही थीॊ।

कफीय ऩत्र ु कभार की एक कथा हैं। एक फाय याभ नाभ के प्रबाव से कभार

या एक

कोढ़ी का कोढ़ दयू हो गमा। कभार सभझते हैं फक याभनाभ

की भहहभा भैं जान गमा हूॉ। कभार के इस कामा से फकॊतु कफीय जी प्रसन्न नहीॊ हुए। कफीयजी तुरसीदास जी के ऩास बेजा।

ने कभार को

तुरसीदासजी ने तुरसी के ऩि ऩय याभनाभ लरखकय

वह तुरसी ऩि जर भें डारा औय उस जर से 500 कोहढ़मों को ठीक कय हदमा।

कभान सभझ ने रगा फक तुरसीऩि ऩय एक फाय

याभनाभ लरखकय उसके जर से 500 कोहढ़मों को ठीक फकमा

जा सकता है , याभनाभ की इतनी भहहभा हैं। फकॊतु कफीय जी

इससे बी सॊतुष्ट नहीॊ हुए औय उन्होंने कभार को बेजा सॊत सूयदास जी के ऩास।

भहात्भा ने ऩूछा् प्रेतयाज ! तुम्हाया जभाई तो आज

सॊत सूयदास जी ने गॊगा भें फहते हुए एक शव के कान भें याभ शब्द का केवर य काय कहा औय शव जीववत हो

प्रेतयाज ने ध ढ़कय कहा् तेये ऩाऩ से। भैं ही भूखा हूॉ फक भैंने कर तुझे सफ फता हदमा। तूने हभाया सत्मानाश कय

गमा। तफ कभार ने सो ा फक याभ शब्द के य काय से भुदाा

भय गमा हैं। फपय तुम्हायी फेटी कॉु आयी क्मों यही?

हदमा।

जीववत हो सकता हैं। मह याभ शब्द की भहहभा हैं।

15 तफ कफीय जी ने कहा् मह बी नहीॊ। इतनी सी भहहभा नहीॊ है याभ शब्द की।

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

फाॉधा हैं फक भैं सभुद्र ऩय सयरता से भुझे जया दे खना ाहहए।

बक ृ ु दट ववरास सष्ृ ष्ट रम होई। त्जसके बक ृ ु हट ववरास भाि से प्ररम हो सकता है , उसके नाभ

र सकता हूॉ। इस

उस व्मत्क्त ने अऩने ऩल्रू भें फॉधा हुआ ऩत्ता खोरा औय ऩढ़ा तो उस ऩय दो अऺय भें केवर याभ नाभ लरखा हुआ

की भहहभा का वणान तभ ु क्मा कय सकोगे?

था। याभ नाभ ऩढ़ते ही उसकी श्रिा तुयॊत ही अश्रिा भें

याभ नाभ भदहभा भें एक अन्म कथा:

सीधा सादा याभ नाभ हैं ! भन भें इस प्रकाय की अश्रिा उऩजते

फदर गमी् अये ! मह कोई तायक भॊि हैं ! मह तो सफसे

सभद्र ॊ ातयु फैठा था, इतने भें ु तट ऩय एक व्मत्क्त ध त

उधय से ववबीषण तनकरे। उन्होंने उस ध त ॊ ातुय व्मत्क्त से ऩूछा् क्मों बाई ! तुभ फकस फात की ध त ॊ ा भें ऩडे हो?

भुझे सभुद्र के उस ऩाय जाना हैं ऩयॊ तु भेयें ऩास सभुद्र

ऩाय कयने का कोई साधन नहीॊ हैं। अफ क्मा करूॉ भुझे इस फात की ध त ॊ ा हैं। अये बाई, इसभें इतने अधधक उदास क्मों होते हो?

ही वह व्मत्क्त डूफ कय भयगमा।

कथा साय: इस लरमे वव नो ने कहाॊ हैं श्रिा औय ववश्वास के भागा भें सॊदेह नहीॊ कयना

ाहहए क्मोफक

अववश्वास एवॊ अश्रिा ऐसी ववकट ऩरयत्स्थततमाॉ तनलभात हो जाती हैं फक भॊि जऩ से कापी ऊॉ ाई तक ऩहुॉ ा हुआ साधक बी वववेक के अबाव भें सॊदेहरूऩी षड्मॊि का लशकाय होकय अऩना अतत सयरता से ऩतन कय फैठता हैं। इस

ऐसा कहकय ववबीषण ने एक ऩत्ते ऩय एक नाभ

लरमे साधायण भनष्ु म को तो सॊदेह की आॉ

ही धगयाने के

लरखा तथा उसकी धोती के ऩल्रू से फाॉधते हुए कहा् इसभें भेनें तायक भॊि फाॉधा हैं। तू इश्वय ऩय श्रिा यखकय ततनक

लरए ऩमााप्त हैं। हजायों-राखों-कयोडों भॊिो की साधना

जामेगा।

तर ु सीदास जी कहते हैं-

बी घफयामे त्रफना ऩानी ऩय

रते आना। अवश्म ऩाय रग

ववबीषण के व नों ऩय ववश्वास यखकय वह व्मत्क्त

सभुद्र की ओय आगे फढ़ने रगा। वहॊ व्मत्क्त सागय के सीने ऩय ना ता-ना ता ऩानी ऩय

रने रगा। वह व्मत्क्त जफ

सभुद्र के फी भें आमा तफ उसके भन भें सॊदेह हुआ फक ववबीषण ने ऐसा कौन सा तायक भॊि लरखकय भेये ऩल्रू से

जन्भों-जन्भ की साधना अऩने सदगुरु ऩय सॊदेह कयने भाि से नष्ट हो जाती है ।

याभ ब्रह्भ ऩयभायथ रूऩा। अथाात ्: ब्रहभ ने ही ऩयभाथा के लरए याभ रूऩ धायण फकमा था। याभनाभ की औषधध खयी ननमत से खाम। अंगयोग व्माऩे नहीं भहायोग मभट जाम।।

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

16

यत्नों का अद्भत ु यहस्म

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम गताॊक से आगे... केतु का यत्न रहसुतनमा केतु ग्रह के शुब परों

की प्रात्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं। रहसतु नमा को



व्माधध का अॊत होता हैं।  

सस्कृत भे :- ववदयु ाज, वैदम ू ,ा केतु यत्न, ववडाराऺ,



नाभो से जाना जाता हैं।



वामज, अम्रयोह, याष्टुक, भेघखयाॊकुय, फारसम ू ा आहद अयफी भे :- एन अरहहय

अंग्रेजी :- केटस आई

वैदम ू ा यत्न की उऩयी सतह ऩय सपेद यॊ ग का

सूि मा धायी हदखाई दे ती हैं। मह धायी वैदम ू ा को

हहराने-डुराने ऩय हहरती हुई प्रतीत होती है । साभान्मत् वैदम ू ा को दे खने से मह त्रफल्री की आॊख के सभान हदखाई दे ता हैं इस लरमे इसे अॊग्रजी केटस आई कहाॊ जाता हैं।

प्रात्प्त स्थान: रहसुतनमा भुख्मत् बायत, श्रीरॊका, ब्राजीर, अभेरयका, मुयार,

ीन तथा फभाा भें प्राप्त होता है । सवाश्रेष्ठ

रहसुतनमा बायत भें उडीसा से प्राप्त होते है । उडीसा व





त्जन व्मत्क्तमों को सयकायी कामों भें फाधाएॊ आयही हो उन्हें वैदम ू ा यत्न धायण कयने से कामा भें सपरता प्राप्त होती हैं।



वैदम ा ना आहद ू ा यत्न धायण कयने से आकत्स्भक दध ु ट से यऺा होती हैं।

रहसुतनमा धायण कयने से श्वाॊस योग, न्मूभोतनमा आहद योगो भें ववशेष राब प्राप्त होता हैं।



रहसुतनमा

धायण

कयने

से

उसका

ऩरयणाभ शीघ्र हदखाता हैं।   

शुब-अशुब

रहसुतनमा धायण कयने से ऩाऩों का नाश होता हैं।

रहसुतनमा धायण कयने से फुयी नजय से फ ाता हैं।

रहसुतनमा धायण कयने से यक्त से सम्फॊधधत योग व दोष दयू होते हैं।



रहसुतनमा धायण कयने से पोडे-पुॊदी आहद नहीॊ होते।

भान्मता:



वऩत्त जन्म योगों का नाशक होता हैं।

प्रसव के सभम गबावती स्िी के प्रसव ऩीडा भें फारों भें रहसुतनमा फाॊधने से प्रसव शीध्र हो जाता हैं।

रहसतु नमा के राब वैदम ू ा यत्न धायण कयने से मह वामु-गोरा तथा

रहसुतनमा धायण कयने से ऩाॊडुयोग भें शयीय का ऩीराऩन शीघ्र कभ होने रगता हैं।





रहसुतनमा धायण कयने से नेि योग भें राबदामक होता हैं।

श्रीरॊका से प्राप्त होने वारे रहसुतनमा की अॊतयात्ष्िम फाजायो भें अधधक भाॊग यहती है ।

रहसुतनमा धायण कयने से धायण कताा को बूत-प्रेत आहद फाधाएॊ ऩीडा नहीॊ कयती हैं।

केतु का यत्न भाना गमा है । दहन्दी भे :- रहसतु नमा

रहसतु नमा धायण कयने से द्ु ख दरयद्रता, आधध-

उत्तभ गण ु ो वारे रहसतु नमा भें अधधक

भकीराऩन

तथा ध कनाहट होती हैं।

रहसुतनमा वजन भें साभान्म से ज्मादा वजनदाय प्रतीत होता हैं।



रहसुतनमा की उऩयी सतह ऩय सपेद यॊ ग का सत ू के सभान धायी होती हैं।



रहसुतनमा को कऩडे ऩय यगडने से इसकी

भक भें

ववृ ि होती हैं।

दोष: 

त्जस वैदम ू ा भें अन्म यॊ ग के छीटे मा धब्फे हो, एसे वैदम ू ा को धायण कयने से योगकायक होता हैं।

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

17



त्जस वैदम ू ा भें गड्ढा हो एसे वैदम ू ा को धायण कयने



से स्वास््म के लरए हाफककायक होता हैं।   

त्जस वैदम ू ा भें

ीय मा आडी, ततयछी, खडी ये खाएॊ

होती हैं। 

वैदम ू ा को धायण कयना वत्जात भाना गमा हैं।



त्जस वैदम ू ा अफयक जैसी आबा हदखाई दे ती हो, एसे

कामो भें रुकावटे ऩैदा कयता हैं। 

जो वैदम ू ा खॊडडत अथाात टूटा-पूटा हो, छे द हो, एसा त्जस वैदम ू ा भें रार यॊ ग के छीटे मा धब्फे हो, उसे धायण कयने से याजबम, कायावास जाने के मोग फनाता हैं।



त्जस वैदम ू ा भें सपेद यॊ ग के छीटे मा धब्फे हो, एसा

त्जस वैदम ू ा भें ऩाॊ हदखाई

वैदम ू ा धायण कयने से शिु बम उत्ऩन्न होता हैं। 

त्जस वैदम ू ा भें शहद के यॊ ग जैसे छीॊटे मा धब्फे

हदखाई दे ते हो, एसा वैदम ू ा धायण कयने से याजकीम

पीकी नजय आती हों, एसे वैदम ू ा को धायण कयने से 

त्जस वैदम ू ा भें ज्वारा हदखाई दे ती हो, एसे वैदम ू ा को धायण कयने से ऩत्नी को हातन होती हैं।

भक न हों दे खने भें उसकी आबा

धन का नाश होता हैं।

ीय मा आडी, ततयछी, खडी ये खाएॊ

हो, एसे वैदम ू ा को धायण कयने से शिु ऩऺ से हातन

हो, एसे वैदम ू ा को धायण कयना ऺततकायक होता हैं।

त्जस वैदम ू ा भें

त्जस वैदम ू ा भें

दे ती

हो,

अतनष्टकायी होता हैं। 

से अधधक सूत मा धारयमा

एसा

वैदम ू ा

धायण

कयने

से

त्जस वैदम ू ा भें हदखने वारा सूत मा धारयमा उफड-

खाफड मा टूटी हुई हदखाई दे ती हो, एसा वैदम ू ा धायण कयने से नेि योग होता हैं।

वैदम ू ा धायण कयने से आमु क्षऺण कयने वारा होता हैं।

>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

18

भॊि लसि दर ा साभग्री ु ब कारी हल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900

कभर गट्टे की भारा - Rs- 370

भामा जार- Rs- 251, 551, 751

हल्दी भारा - Rs- 280

धन ववृ ि हकीक सेट Rs-280 (कारी हल्दी के साथ Rs-550)

तुरसी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460

घोडे की नार- Rs.351, 551, 751

नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above

हकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370

नवयॊ गी हकीक भारा Rs- 280, 460, 730

रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190

हकीक भारा (सात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910

नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-145

भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above

स्पहटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250

ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above

सपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910

वैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460

यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550,

रुद्राऺ भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450

भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above

ववधुत भारा - Rs- 190, 280

कालभमा लसॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above

भूल्म भें अॊतय छोटे से फडे आकाय के कायण हैं।

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भॊि लसि स्पहटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩण ू ा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त

शब ु फ़रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से अधधक से अधधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के लरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩण ै न्म मक् ू ा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा त ु त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके लरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी लसि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सख ु की प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भे सभाई अहद्रततम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनष्ु म की सभस्त शब ु इच्छाओॊ को ऩयू ा कयने भे सभथा होतत है । त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनष्ु म असफ़रता

से सफ़रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सख ु ो फक प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भनष्ु म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से

वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩये शातन भे न्मन ु ता आतत है व सख ु -सभवृ ि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है ।

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गरु ु त्व कामावरम भे ववलबन्न आकाय के "श्री मॊि" उप्रब्ध है

भूल्म:- प्रनत ग्राभ Rs. 28.00 से Rs.100.00

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

19

प्रकृतत की अरौफकक दे न रुद्राऺ धायण कयने से राब

 सॊकरन गुरुत्व कामाारम गताॊक से आगे...



िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से भनुष्म की सॊऩूणा भनोकाभनाएॊ लसि होती हैं।

िमोदश भख ु ी रुद्राऺ:



िमोदश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अतुल्म धनसॊऩत्त्तअ प्राप्त होती हैं।



िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से व्मत्क्त

सॊऩूणा धातुओॊ की यसामनाहदक लसविमों का ऻाता फन जाता हैं। 

िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से व्मत्क्त को

भान-सम्भान, मश, ऩद-प्रततष्ठा, आकषाक व्मत्क्तत्व की प्रात्प्त होती हैं।  

िमोदश भुखी रुद्राऺ को काभदे व का साऺात स्वरुऩ भाना जाता हैं।



िमोदश भुखी रुद्राऺ को इन्द्र का स्वरुऩ बी भाना गमा हैं।

िमोदश भुखी रुद्राऺ का ववशेषऻ की सराह से दध ू के साथ प्रमोग राबकयी लसि होता हैं।



िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से सभस्त प्रकाय की शत्क्त व लसविमों की प्रात्प्त भें ववशेष सहामता प्राप्त होती हैं।

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फ़रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मन्िो से अधधक से अधधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के लरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩण ू ा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा ैतन्म मक् ु त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके

लरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी लसि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सुख की प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भे सभाई अद्ववतीम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनष्ु म की सभस्त शब ु इच्छाओॊ को ऩयू ा कयने भे सभथा होतत है । त्जस्से

उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता

है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सख ु ो फक प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भनष्ु म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्माफाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

20 िमोदश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्ि:-



ॐ ईं माॊ आऩ ओभ ्॥

तुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से भनुष्म

ववलबन्न योगों से भुत्क्त लभरती हैं औय स्वास््म राब प्राप्त होता हैं।

तद ु ा श भख ु ी रुद्राऺ:



तुदाश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से व्मत्क्त को

सबी ऺेिों भें उन्नतत प्राप्त होती हैं। 

तुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से ऩयभ ऩद

की प्रात्प्त होती हैं। 

तुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से शतन ग्रह से

सॊफॊधधत अशुब प्रबाव की शाॊतत होती हैं। 

तुदाश भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शिु व दष्ु टों का

नाश होता हैं। 

तुदाश भुखी रुद्राऺ धायण को भस्तक ऩय धायण

कयने से सभस्त ऩाऩों का नाश होता हैं। 

तद ु ा श भख ु ी रुद्राऺ को लशव का साऺात स्वरुऩ भाना जाता हैं। वव नो ने

तुदाश भुखी रुद्राऺ को

हनुभान का स्वरुऩ बी भाना हैं। इस लरए

तद ु ाश

जो भनुष्म ऩ् ृ वी ऩय रुद्राऺ को भॊि सहहत धायण कयते

तुदाश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से सकर

यहहत रुद्राऺ धायण कयते हैं वे घोय नयक के बागी होते

तुदाश भुखी रुद्राऺ की उत्ऩत्त्त के फाये भें उल्रेख

उऩयोंक्त रुद्राऺों को धायण कयने वारे भनुष्म को बूत,

तनकरे थे तथा कुछ प्रभख शास्िों भें बी एक से ु

यहता। रुद्राऺ धायण कयता भनष्ु म ऩय दे वी-दे वता शीघ्र

अबीष्ट लसविमों की प्रात्प्त होती हैं। 

हैं की बगवान लशव के डभरु से

ौदह प्रत्माहाय

तद ु ा श भख ु ी रुद्राऺ का उल्रेख लभरता हैं।



ॐ औॊ स्पे खव्पैं हस्िौ हसव्फ्रै्॥

भुखी रुद्राऺ को हनुभान रुद्राऺ के नाभ से बी जाना जाता हैं। 

चतुदवश भुखी रुद्राऺ को धायण कयने का भन्त्र:-

तद ु ा श भख ु ी रुद्राऺ धायण कयने से सबी प्रकाय के

हैं वे रुद्ररोक भें जाकय वास कयते हैं तथा जो भॊि हैं।

प्रत, वऩशा , डाफकनी, शाफकनी आहद का बम नहीॊ प्रसन्न होते हैं। व भनष्ु म की सभस्त काभनाएॊ ऩण ू ा होती हैं।

>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...

कष्टों का तनवायण हो जाता हैं।

आकत्स्भक धन प्रात्प्त कव आकत्स्भक धन प्रात्प्त कव

अऩने नाभ के अनुसाय ही भनष्ु म को आकत्स्भक धन प्रात्प्त हे तु परप्रद हैं इस कव

को धायण कयने से साधक को अप्रत्मालशत धन राब प्राप्त होता हैं।

ाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से

हो, धन-सॊऩत्त्त इत्माहद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राप्त हो सकता हैं। हभाये वषों के अनस ॊ ान एवॊ अनब ु ध ु वों से हभने आकत्स्भक धन प्रात्प्त कव

को धायण कयने से शेमय िे डडॊग, सोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्माहद सॊफॊधधत ऺेि

से जुडे रोगो को ववशेष रुऩ से आकत्स्भक धन राब प्राप्त होते दे खा हैं। आकत्स्भक धन प्रात्प्त कव स्रोत से धनराब बी लभर सकता हैं।

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21

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क्मा आऩ फकसी सभस्मा से ग्रस्त हैं? आऩके ऩास अऩनी सभस्माओॊ से छुटकाया ऩाने हे तु ऩज ा ा, साधना, भॊि जाऩ इत्माहद कयने ू ा-अ न का सभम नहीॊ हैं? अफ आऩ अऩनी सभस्माओॊ से फीना फकसी ववशेष ऩज ा ा, ववधध-ववधान के ू ा-अ न

आऩको अऩने कामा भें सपरता प्राप्त कय सके एवॊ आऩको अऩने जीवन के सभस्त सख ु ो को प्राप्त

कयने का भागा प्राप्त हो सके इस लरमे गुरुत्व कामाारत द्वाया हभाया उिेश्म शास्िोक्त ववधध-ववधान

से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वाया लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण ै न्म मक् ू ा त ु त ववलबन्न प्रकाय के मन्ि- कव शब ु परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहो ाने का है ।

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एवॊ

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

22

वणाभारा के अनुसाय स्वप्न पर वव ाय

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम गताॊक से आगे...

 स्वप्न भें धब्फे दे खना शुब सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धालभाक आमोजना दे खना शब ु सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धागा दे खना कामा भें ववृ ि होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धयु ी दे खना साभात्जक भान सम्भान भें ववृ ि होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धआ दे खना ऩये शानीमाॊ फढ़ने औय सॊकट ु भें पॊसने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धभाका सन ु ना कष्ट फढ़ने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धतयू ा खाते दे खना सॊकट से यऺा होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धनष ु दे खना सबी कभो भें सपरता लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धध ुॊ दे खना शुब सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धन ु सुनना (भधयु ) ऩये शानी फढ़ने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें धर ू दे खना मािा भें राब लभरने का सॊकेत हैं।

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

23  स्वप्न भें धोफी दे खना कामा भें सपरता लभरने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें धोती दे खना मािा ऩय जाने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें ऩर अन्म को कयते दे खना मािा भें रुकावट व फनते काभ त्रफगडने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नक्शा फनाना कोई नई मोजनामे शुरू होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नकसीय फहते दे खना भानलसक ऩये शातनमा फढ़ने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नकाफ रगाना फकसी गॊबीय फीभायी के आगभन का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नट (कराफाज़) को दे खना ऩारयवारयक सुख शातत फढ़ने का सॊकेत हैं।

 स्वप्न  स्वप्न भें नर खर ु ा दे खना कामा भें शीघ्र सपरता लभरने का सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नर फॊद दे खना कामा भें ववघ्न-फाधा आने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नयक दे खना कहठनाइमाॉ फढ़ने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नगीना दे खना शुब सभा ाय लभरने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नगाडा दे खना धन राब औय भान-सम्भान लभरने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नभाज़ ऩढ़ते दे खना ऩूयाने कष्ट दयू हो कय शात्न्त प्राप्त होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नभक खाते दे खना झगडे भें पॉसने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नभक दे खना ऩयु ानी फीभायी दयू हों औय कामा ऺेि भें राब की प्रात्प्त होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नभकदानी दे खना गह ु भें ववृ ि का ृ स्थ सख

भें

नसवाय

सूॊघते

दे खना

भानलसक

ऩरयशातनमा फढ़ने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नदी दे खना बववष्म भें सुखों की प्रात्प्त होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नदी भें स्नान कयते दे खना कामा भें सपरता लभरने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नदी भें धगयते दे खना कामा भें फकसी रुकावट के फाद भें सपरता लभरने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नहय खोदना कामा सम्फन्धी नई मोजनामे लभरने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नग्न होते दे खना बोग-ववरास के साधन फढ़ने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नदी दे खना द्ु ख दयू हो कय धन लभरने का सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नाखन ू टूटते दे खना सपरता ववरम्फ से लभरने का सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नाक फहुत फडी दे खना भान सम्भान फढ़ने औय ऩदौन्नतत होने का सॊकेत हैं।

सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नाखन ू दे खना कामा भें फाधा आने का

रेफकन सभस्मा फढ़ने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नाक से खन ू फहते दे खना धन ववृ ि होने

 स्वप्न भें स्वमॊ को नशे भें दे खना धन ववृ ि हों होने  स्वप्न भें नयधगस का पूर दे खना ऩारयवारयक सख ु ववृ ि का सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नदी-नारे भें धगयते दे खना अनेक सॊकट आने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें ऩर स्वमॊ को कयते दे खना कामा भें असपरता लभरने का सॊकेत हैं।

सॊकेत हैं।

का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नाटक दे खना गह ृ स्थ का सुख भें ववृ ि रेफकन बववष्म अतनत्श् त होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नाटक भें बाग रेते दे खना स्वजन से धोखा लभरने का सॊकेत हैं।

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

24  स्वप्न

भें

नारयमर

आमोजना भें

दे खना

धन

राब,

धालभाक

शालभर होने व स्वाहदष्ट बोजन

लभरने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नाक ऩय

ोट रगते दे खना भान सम्भान

भें हातन होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नासूय दे खना फकसी फीभायी से छुटकाया लभरने का सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नाऩतोर कयना व्माऩाय भें घाटा होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नाग को त्रफर भें जाते दे खना धन ववृ ि होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नाग को त्रफर से फाहय तनकरते दे खना धन हातन का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नाग का डॊक भायना सभाज भें भान सम्भान फढ़ने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नाग को घय भें दे खना उस दे खे गए स्थान की ऩवविता का सॊकेत है ।  स्वप्न भें फकसी को नाग उठामे दे खना धन-सॊऩत्त्त प्राप्त होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें तनशाना हाथ रगते दे खना ऩुयानी इच्छा ऩूणा होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें तनतम्फ दे खना गह ृ स्थ सुख भें ववृ ि होने का सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नीभ का वऺ ृ दे खना ऩुयानी त्रफभायी दयू होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नीरभ यत्न दे खना शुब सभा ाय लभरने औय दश्ु भन के ऩयस्त होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नीॊद भें सोते मा नीॊद से उठाते दे खना धन राब होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नीरकॊठ दे खना भान सम्भान फढ़ने का सॊकेत है व अवववाहहत हैं तो शीघ्र वववाह होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नीॊफू काटते मा तन ोडते दे खना धालभाक कामा भें सालभर होने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नुकीरी

ीज़ से

ोट रगते दे खना फकसे

से वाद वववाद भें पसने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नक ु ीरा जत ू ा दे खना सभाज भें भान सम्भान फढ़ने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नाना-नानी को दे खना ऩारयवारयक सख ु

 स्वप्न भें नेवरा दे खना ऩयु ाने सॊकट सभाप्त हो एवॊ

 स्वप्न भें नाडा फॊधते-टूटते दे खना ऩारयवारयक करेश

>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...

फढ़ने का सॊकेत है । फढ़ने का सॊकेत है ।

 स्वप्न भें नारा दे खना कामा भें सपरता लभरने का सॊकेत हैं।  स्वप्न भें नाव दे खना गह ृ स्थ सुख भें ववृ ि का सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नाव भें फैठना अनेक सॊकट से ग्रस्त होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नाई से हजाभत फनवाते दे खना फकसी से धोखा लभरने का सॊकेत हैं।

 स्वप्न भें नायद दे खना धन राब रेफकन रडाई झगडा होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें नालब दे खना कामा ऺेि भें प्रगतत तथा धन राब होने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें तनयादय होते दे खना भान सम्भान फढ़ने का सॊकेत है ।

सव ू णा की प्रात्प्त का सॊकेत हैं।

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

25

अॊक ज्मोततष का यहस्म

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम ववस्पोटक हदखाई दे ते हो, रेफकन अॊदय से एकदभ

गताॊक से आगे...

कोभर रृदम के होते हैं। भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त

9

अनुशासन

भूराॊक 9

सभ:- 6, 8

स्वाभी ग्रह:- भॊगर

स्व अॊक:- 9

लभि अॊक:-1, 2, 3, 4, 7

तत्व:- अत्ग्न

जीवन

भें

भानते

हैं

औय

ववश्वास यखते हैं।

भर ू ाॊक 9 वारे व्मत्क्त जॊग भें मा भक ु ाफरे भें

हायकय, ऩयास्त होकय मा नी ा दे खकय जीने वारे नहीॊ। फकसी

व्मत्क्त

का

व्मत्क्त हय जॊग का डॊट कय साभना कयने भें

जन्भ

भाहीय होते हैं।

फकसी बी भास की 9, 18 व 27 तायीख को हुवा हैं तो उनका भर ू ाॊक 9 होता है ।

भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त

धीये -धीये धआ ु ॊ छोडती रकडी की तयह

भूराॊक 9 अॊक के व्मत्क्त अनुशासन

जीॊदगी

नहीॊ

नहीॊ

व्मतीत

जानते,

भगय फारूद की तयह बबक

वप्रम

कय

वव ाय धाया वारे होते हैं।

जीना

औय

जरना

जानते हैं। ऺण-बय के लरए

व्मत्क्त को कामा ऺेि भें एकाधधकाय वारे ऺेिों

मे

कयना

का जीवन अधधक साहसी औय

सवोऩरय

अनुशासन व्मवस्था से हय कामा को ऩूया कयने भें

शिु अॊक:- 5 महद

को

ही सही, ऩय उस एक ऺण भें

का

ही दतु नमाॉ को

न ु ाव कयना ऩसॊद कयता हैं।

का ौंध कयने भें

ववश्वास यखते हैं।

भूराॊक 9 का स्वाभी ग्रह

ज्मोततष

भॊगर हैं, इस लरए भूराॊक 9 भें जन्भ रेने

वारे व्मत्क्त के उऩय भॊगर का ववशेष प्रबाव दे खने को

भें

भॊगर

ग्रह

को

सेनाऩतत भाना गमा हैं, इस कायण भर ू ाॊक 9 वारे

लभरता हैं, क्मोफक 9 भूराॊक भें जन्भ रेने के कायण

व्मत्क्त के अॊदय बी सेनाऩतत, भुर्खमा, नेता फकसी

भॊगर ग्रह के गुणों का सभावेश अन्म ग्रहों की अऩेऺा

ववशेष गुण होता हैं।

व्मत्क्त के लबतय भॊगर ग्रह की अनक ु ू रता के कायण

सॊस्था का प्रभुख आहद

अधधक भािा भें हो जाता हैं। भॊगर ग्रह के इस ववशेष प्रबावव गण ु ों के कायण ही व्मत्क्त को जीवन भें

शायीरयक औय भानलसक रूऩ से धनी होते हैं। इनका साहस कबी-कबी इतना

अधधक अधधक हो जाता हैं फक

दस् ु साहस का रूऩ धायण कय रेता हैं। भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त अऩने अद्भत ु एवॊ

न ु ौती-

बये कामो से सभाज भें नाभ अभय कय जाते हैं। भूराॊक 9

वारे

व्मत्क्त

ऊऩय

से

ाहें

प्र ड ॊ ,

कठोय

एवॊ

फनने का नेतत्ृ व कयने का

भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त अदम्म साहसी होने के

कायण फकसी बी भुत्श्कर मा ऩये शानी भें वव लरत नहीॊ

होती मह रोग उस कहठनाईमों को आसानी से ऩाय कय रेते हैं।

भर ू ाॊक 9 वारे व्मत्क्त स्वबाव से थोडे तेज होते

हैं, व्मत्क्त हय कामा को पुतॉ एवॊ जल्दफाजी से ऩयु ा कयने का प्रमत्न कयते हैं।

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

26 भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त स्वबाव से साहसी होने

आसानी से भूखा फना सकती है । भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त

नहीॊ हह फक ाते भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त के उ े ऩद एवॊ

लरए गह ृ स्थ जीवन भें न्मुनाधधक रूऩ से ववऩयीतता

से मे फकसी भुत्श्कर से भुत्श्कर कामा को बी कयने से

प्रततष्ठा के कायण उनके इदा -धगदा एसें रोग भॊडयाते यहते हैं जो उनकी खश ु ाभद मा

का दाॊऩत्म जीवन अधधक सुखभम नहीॊ यहता।

इस

फनी यहती हैं। परस्वरूऩ व्मत्क्त फात-फात भें झल्रा

ाऩरूसी कयते हो त्जस

उठते हैं, क्रोधधत हो जाना आहद सॊबव हैं , अत् व्मत्क्त

भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त को क्रोध शीघ्र आता हैं

ऩय अऩना जीवन सपर, उन्नत एवॊ श्रेष्ठ फना सकते

कायण उन्हें कबी-कबी नुकसान बी उठाना ऩडता हैं।

महद अऩने आऩ ऩय ऩूणा तनमॊिण यखें , तो तनत्श् त तौय

त्जस कायण रोगों से ववयोध कय फैठते हैं। व्मत्क्त से

हैं।

शित ु ा कभ रोगों से ही होती हैं क्मोफक भूराॊक 9 वारे

शुब हदन:

व्मत्क्त अऩने शिओ ु ॊ का दभन कयने के लरए सदै व

तैमाय ही होते हैं। व्मत्क्त का स्वबाव से उग्र होते हुवे बी उनकी प्रकृतत ॊ र होती हैं। भर ू ाॊक 9 वारे व्मत्क्त महद अऩने कामा ऺेि भें ववशेष ध्मान दे औय नीतत से

कामा कयें तो उनके बाग्म के फर से उनके सख ु साधनो भें तनयॊ तय ववृ ि होती यहे गी। भर ू ाॊक 9 वारे व्मत्क्त साहसी, ऩयाक्रभी तथा सॊघषाशीर होते हैं। इस कायण इन्हें सॊघषा के ऩश् ात सपरता अवश्म लभरती है । भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त को हभेशा सजग औय

सतका यहना

ाहहए अन्मथा जीवन भें व्मफक के साथ

ोट, घाव, शस्िाघात, दघ ा ना इत्माहद घटनाएॊ होती ु ट

यहती है ।

भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त को फकसी से वाद-वववाद

इत्माहद मथा सॊबव टारना

ाहहए अन्मथा मह रोग

जीवन ऩमान्त झगडे वाद-वववाद कोटा -क हयी, थानाऩलु रस आहद के

क्कयों भें ही उरझ कय यह जाते हैं।

क्मोफक भर ू ाॊक 9 वारे व्मत्क्त उग्र स्वबाव के होने के कायण मह रोग जल्द फकसी से बी लबड़़ जाते हैं।

व्मत्क्त अऩने से ज्मादा फरशारी व्मत्क्त से लबड नें भें ़़ बी नहीॊ कतयाते। भर ू ाॊक 9 वारे व्मत्क्त छोटे -फडे फकसी

प्रकाय के वाद-वववाद भें अग्रस्त हो जाते हैं। व्मत्क्त को अऩनी तनॊदा मा आरो ना सुनना ऩसॊद नहीॊ होता।

भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त प्रेभसॊफॊधो के अधधक

इच्छुक होते हैं। भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त प्रेभ भें अॊधे हो जाते हैं महीॊ कायण हैं की मह रोग अऩने प्रेभी के लरए

सफ कुछ न्मोछावय कय दे ते हैं। मही कायण हैं की

भूराॊक 9 वारे व्मत्क्त को कोई बी स्िी मा ऩुरुष

शुब वषा 18,27,36,45,54,63,72 वाॊ वषा हैं, ततधथ 9,18,27 शुब दामक होती हैं, फकसी कामा भें सपरता प्राप्त कयने के लरमे इन्हीॊ ततधथ का प्रमोग कयना

ाहहमे, इन ततधथमों भें भॊगरवाय का हदन ऩडे तो फहुत शुब होता हैं। स्वास््म् व्मत्क्त

भायोग तथा नासायॊ ध्र से सॊफॊधधत जुकाभ आहद

योगों से ऩीडडत हो सकते हैं। भत्स्तश्क सॊफॊधधत योग, जननेत्न्द्रम सॊफॊधधत योग, भूि योग, यक्त एवॊ त्व ा योग, खाज- खज ु री, पोडे, सूजन, नासूय, अषा तथा वीमा सॊफॊधधत ववकाय होते हैं। उऩमक् ु त आहाय: सॊतया, अभरूद, अॊगूय, केरा, ककडी, खीया, ऩारक, आर,ू प्माज, रहसुन, अदयक उऩमोगी हैं। लभ ा से ऩयहे ज कयना

ाहहमे।

अनक ु ू र व्मवसाम: व्मत्क्त सेना, ऩुलरस, कैलभस्ट, भषीनयी, अत्ग्नशभन, वकारत,

सॊगठन,

सॊ ारक,

तनमॊिण,

ध फकत्सक,

ज्माततष, गोरा-फारूद, धालभाक कामा, इॊजीतनमय, औषधध आहद सॊफॊधधत कामो भें अधधक सपर होते हैं। लरए गर ु ाफी, गहया रार, सपेद, तथा ऩीरा यॊ ग

अनुकूर एवॊ शुबप्रद है । इनके लरए अनुकूर यत्न, रुफी, गायनेट, भॉग ू ा, भार्णक, यत्न धायण कयना राबप्रद एवॊ

बाग्मोन्नतत कायक होते हैं। इनके लरए ऩूवा, उत्तयऩूवा एवॊ उत्तय ऩत्श् भ हदशा अनुकूर होती है ।

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

27

आऩके भूरांक का स्वाभी भॊगर हैं अत् भॊगर

शुब हदशा: व्मत्क्त के लरए अनक ु ू र हदशा दक्षऺण औय अत्ग्न कोण

है । व्मत्क्त के लरए गर ु ाफी, गहया रार, सपेद, तथा ऩीरा यॊ ग अनक ु ू र एवॊ शब ु प्रद है ।

भूरांक 9 के व्मष्तत के मरए कष्ट ननवायक उऩाम: भूरांक 9 स्वाभी भॊगर ग्रह के शुब प्रबावो की

ववृ ि हे तु आऩ अऩनी अनालभका उॊ गरी भें भूॊगा धायण कय सकते हैं।

अऩने

ऩूजा स्थान

भें

प्राण-प्रततत्ष्ठत

भॊगर

गणेश मॊि, भॊगर मॊि को स्थावऩत कय सकते हैं। महद जीवन भें आधथाक सभस्मा हो तो प्राणप्रततत्ष्ठत श्रीमॊि का तनमलभत ऩज ू न कयना राबप्रद यहे गा।

प्रात्प्त के लरए ऩाॊ

दाने 3 भुखी रुद्राऺ धायण कयना

आऩके लरए उऩमुक्त यहे गा।

आऩ 3 भुखी रुद्राऺ के साथ भें 1 भुखी मा 12 भुखी औय 5 भुखी रुद्राऺ बी धायण कयने से आऩको ववशेष शुब ऩरयणाभो की प्रात्प्त होगी। ग्रह शांनत के मरए दान ग्रह:- भंगर

वाय:- भंगरवाय

भॊगर ग्रह फक शाॊतत हे तु भूॊगा, भसूय, घी, गुड, रार कऩडा, यक्त

द ॊ न, गेहूॉ, केसय, ताॉफा, रार पूर का दान कयने से शुब पर फक प्रात्प्त होती हैं ग्रह शांनत के अन्म सयर उऩाम:

भंगरवाय का व्रत: भॊगर ग्रह को प्रसन्न कयने हे तु भॊगरवाय का व्रत फकमा जाता हैं। त्जस व्मत्क्त स्वबाव उग्रता मुक्त मा हहॊसात्भक, अधधक गस् ु से वारा हो उनके भॊगरवाय का व्रत कयने से भन शाॊत होता हैं। भॊगरवाय का व्रत कयने से गणऩतीजी, हनभ ु ानजी बी प्रसन्न होते हैं। भॊगरवाय का व्रत कयने से बूत-प्रेत फाधा दयू होती हैं, व्मत्क्त के सबी सॊकट दयू हो जाते हैं। भूरांक 9 वारी अवववाहहत रडको के व्रत कयने से उसफक फुवि औय फर का ववकास होता हैं। भॊगरवाय का व्रत कयने से भॊगर के प्रबाव भें आने वारे सबी व्मवसाम एवॊ वस्तुओ से राब प्राप्त होता हैं।

भूरांक 9 के रोगों को फकसी बी प्रकाय के द्ु खो

एवॊ सॊकटो के तनवायण हे तु श्री गणेश जी फक आयाधना अवश्म कयनी

ाहहमे।

हय भॊगरवाय को हनभ ु ान जी को फेसन के रड्डू का बोग रगामे औय रड्डू के प्रसाद को भॊहदय

भें फाॊटदें । हनभ ु ान जी के दशान कयते सभम ऩहरे ऩैय दे खें फपय अऩनी नजय उऩयकी औय

कयते हुवे भख ु दे खें। धन ववृ ि हे तु भछलरमों को आटे फक गोरीमा फनाकय र्खरामे औय ऩक्षऺमों को दाना डारे।

लशऺा से सॊफॊधधत सभस्मा रार पूर के ऩौधे रगाएॊ।

दयू कयने के लरए

स्वास््म राब हे तु रार योरी(कूभकूभ) डार कय सूमा को जर

ग्रह शांनत के मरए उऩमुतत रुद्राऺ:

कारसऩा शाॊतत कव

ग्रह के अशुब प्रबाव को दयू कयने औय शुबपरों की

ढ़ाएॊ।

>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...

ग्रह शाॊतत हे तु ववशेष भॊि लसि कव 3700

भाॊगलरक मोग तनवायण कव

1450

शतन साडेसाती-ढ़ै मा कष्ट तनवायण कव

2350

नवग्रह शाॊतत

1250

लसि शतन कव

820

श्रावऩत मोग तनवायण कव

1900 1900

लसि भॊगर कव

820 820

ॊडार मोग तनवायण कव

1450

ग्रहण मोग तनवायण कव

लसि फुध कव

लसि याहु कव लसि केतु कव

820

ववष मोग तनवायण कव

लसि सम ू ा कव

1450

लसि गुरु कव

लसि शुक्र कव

820

820

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

28

भोऺदा एकादशी 18 हदसम्फय 2018

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम मुधधत्ष्ठय श्री कृष्ण से ऩूछते है, हे प्रबु! भागाशीषा

तनणाम फकमा। अगरे हदन याज्म के सबी श्रेष्ठ ब्राहभणों

भास के शुक्रऩऺ को कौन सी एकादशी होती है ?

को आभॊत्रित फकमा।

उसका क्मा ववधध-ववधान है तथा इस एकादशी भें फकस

सबी उऩत्स्थत ब्राहभणों को प्रणाभ कय याजा

दे वता का ऩूजन फकमा जाता है ? प्रबु कृप्मा मह सफ

फोरे हे श्रेष्ठ ब्रहभण गण भैने कर यात स्वप्न भें जो

वास्तववक से फताइमे।

श्रीकृष्ण फोरें हे मुधधत्ष्ठय भागाशीषा भास के

शुक्रऩऺ की एकादशी का वणान तुभ ध्मान ऩूवक ा सुनों, इस व्रत के भाहात्भम को ऩढ़ने औय श्रवण भाि से

व्मत्क्त को वाजऩेम मऻ के सभान पर की प्रात्प्त होती

दे खा उसका सॊऩूणा वत ृ ाॊत आऩके साभने कय यहा हूॊ कृप्मा आऩ सफ ध्मान ऩूवा इस सुने कर यात स्वप्न भें

भैने अऩने वऩतयों को नयक भें धगया हुआ दे खा है , सफ भुझसे कह यहे थे फक ‘तुभ हभाये वॊशज हो, इसलरए तभ ु इस नयक से हभ रोगों का उिाय कयो।

है । इस एकादशी का नाभ भोऺदा एकादशी है । भोऺदा एकादशी भनष्ु म के सकर ऩाऩों का नाश कयने वारी

है । याजन ् भोऺदा एकादशी के हदन तर ु सी की भॊजयी एवॊ बगवान दाभोदय का ऩूजन धऩ ू -दीऩ आहद से ववधधववधान ऩव ा कयना ू क

ाहहए । एकादशी व्रत का तनमभ

एक हदन ऩव ू ा अथाात दशभी से कयना उध त होता है । याजन ् मह भोऺदा एकादशी फडे से फडे ऩातकों का बी नाश कयने भें सभथा है । उस हदन यात्रि जागयण कयना ाहहए ।

दशान हुए हैं । त्जस के ऩश् मात भझ ै नहीॊ लभरता ु े न । भेये जैसे ऩि ु के होते हुए बी भेये वऩतय गण घोय नयक भें ऩडे हुए हैं, तो भेये जैसे ऩि ु से क्मा राब है ? अत् आऩ सफ कृप्मा कय भेये ऩव ा ों के नयक रोक से ू ज

उिाय एवॊ कल्माण के लरए कोई उऩाम फताए। ब्राहभणों ने सुझाव हदमा की तनकट भें ही श्रेष्ठ ऩवात भुतन का आश्रभ है । जो बूत-बववष्म के ऻाता हैं । अत् आऩ

उन्हीॊके ऩास जाइमे औय अऩने वऩतयों के उिाय का भागा

महद वऩतग ृ ण फकसी कायण से कष्ट बोग यहे हो

मा भोऺ नहीॊ हो यहा हों, वह भोऺदा एकादशी का व्रत कये औय इस व्रत का ऩुण्मदान अऩने वऩतयों के नाभ कयें तो अवश्म ही वऩतय भोऺ को प्राप्त होता हैं ।

अफ तुभ इस भोऺदा एकादशी फक व्रत कथा का

ऩौयार्णक प्रसॊग ध्मान ऩूवक ा श्रवण कयों,

हे ब्राहभण दे व इस प्रकाय भझ ु े अऩने वऩतयों के

म्ऩक नगय

भें वैखानस नाभ का याजा याज कयते थे। याजा अऩनी प्रजा का अऩनी सॊतान की बाॉतत ऩारन कयते थे । वैखानस को एक हदन यात को स्वप्न भें अऩने वऩतयों को कष्टभम अवस्था भें नयक रोक भें दे खा । याजा ने अऩने ऩूवज ा ों को इस अवस्था भें दे खकय कय

भन भें फडा अ यज हुआ । याजा ने अगरे हदन अऩने इस स्वप्न का पर अऩने याज्म के श्रेष्ठ ब्राहभणों के सभऺ कयने का

ऩूतछमे।

ब्राहभणों की फात सुनकय याजा वैखानस ऩवात

भुतन के आश्रभ ऩय गमे औय ऩवात भुतन को दण्डवत ् प्रणाभ कयके भुतन के आलशवााद लरमा । भुतन ने याजा से याज्म के

कुशर-भॊगर ऩूछे। याजा फोरे भुतनश्रेष्ठ

प्रबुकी कृऩा से भेये याजकाज सकुशर हैं ।

रेफकन भैंने स्वप्न भें दे खा फक भेये वऩतय नयक

भें कष्ट बोग यहे हैं । कृप्मा फताइमे फक फकस प्रकय

उनका उस नयक रोक से छुटकाया होगा ? याजा की फात सुनकय भुतन ऩवात फोरे ,भहायाज भागाशीषा के

शुक्रऩऺ की भोऺदा एकादशी का व्रत कयने से औय

उसका ऩुण्म वऩतयों के नाभ कयने से, उस ऩुण्म के प्रबाव से आऩके वऩतयो का नयक से उिाय होगा ।

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

29 भुतन के व न सुनकय याजा ने भागाशीषा भास भें

श्रीकृष्ण फोरे हे याजन ् जो व्मत्क्त इस प्रकाय

भुतन के कहें अनुसाय भोऺदा एकादशी का व्रत कयके

कल्माणकायी भोऺदा एकादशी का ववधध-ववधान से व्रत

ऩुण्म दे ते ही वैखानस के वऩतयों को नयक से लभर गई

के ऩश् ात उसे भोऺ की प्रात्प्त होती है । मह भोऺदा

उसका ऩुण्म

वऩतयों के नाभ कय हदमा।

। नयक से भुक्त होते ही, वऩतय गण फोरे फेटा तम् ु हाया कल्माण हो । इतना कहकय सबी वऩतय स्वगा रोक को

कयता है । उसके सबी ऩाऩ नष्ट हो जाते हैं औय भत्ृ मु एकादशी व्मत्क्त की सभस्त काभनाओॊ को ऩूणा कयने भें सभथा है ।

प्राप्त हुए।

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30

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

कारसऩा मोग एक कष्टदामक मोग ! कार का भतरफ है भत्ृ मु । ज्मोततष के जानकायों

मोग के कायण सबी कामों भें अत्माधधक सॊघषा कयना

मोग भे हुवा हो वह व्मत्क्त जीवन बय भत्ृ मु के सभान कष्ट बोगने वारा होता है , व्मत्क्त जीवन बय कोइ ना

से हो ऩाता है । अगय जग ु ाड होजामे तो रम्फे सभम तक

के अनुसाय त्जस व्मत्क्त का जन्भ अशुबकायी कारसऩा

कोइ सभस्मा से ग्रस्त होकय अशाॊत ध त होता है ।

कारसऩा मोग अशुब एवॊ ऩीडादामक होने ऩय व्मत्क्त के जीवन को अत्मॊत द्ु खदामी फना दे ता है ।

कारसऩव मोग भतरफ तमा? फी

जफ जन्भ कॊु डरी भें साये ग्रह याहु औय केतु के त्स्थत यहते हैं तो उससे ज्मोततष ववद्या के जानकाय

उसे कारसऩा मोग कहा जाता है ।

कारसऩव मोग ककस प्रकाय फनता है औय तमों फनता हैं? जफ 7 ग्रह याहु औय केतु के भध्म भे त्स्थत हो मह अत्च्छ त्स्थतत नहह है । याहु औय केतु के भध्म भे फाकी सफ ग्रह आजाने से याहु केतु अन्म शब ु ग्रहों के प्रबावों को ऺीण कय दे ते हों!, तो अशब ु कारसऩा मोग

ऩडताअ है । उसकी योजी-योटी का जुगाड बी फडी भुत्श्कर हटकती नही है । फाय-फाय व्मवसाम मा नौकयी भे फदराव

आते ये हते है । धनाढम घय भें ऩैदा होने के फावजूद फकसी न फकसी वजह से उसे अप्रत्मालशत रूऩ से आधथाक ऺतत

होती यहती है । तयह-तयह की ऩये शानी से तघये यहते हैं। एक सभस्मा खतभ होते ही दस ू यी ऩाव ऩसाये खडी होजाती है । कारसऩा मोग से व्मत्क्त को

ैन नही लभरता उसके

कामा फनते ही नही औय फन जामे आधे भे रुक जाते है । व्मत्क्त के 99% हो

ुका कामा बी आखयी ऩरो भे

अकस्भात ही रुक जात है ।

ऩयॊ तु मह ध्मान यहे , कारसऩा मोग वारे सबी

जातकों ऩय इस मोग का सभान प्रबाव नही ऩडता।

क्मोफक फकस बाव भें कौन सी यालश अवत्स्थत है औय उसभें कौन-कौन ग्रह कहाॊ त्स्थत हैं औय दृत्ष्ट कय यहे है

उस्का प्रबाव फराफर फकतना है - इन सफ फातों का बी सॊफॊधधत जातक ऩय भहत्वऩूणा प्रबाव ऩडता है ।

इसलरए भािा कारसऩा मोग सुनकय बमबीत हो

फनता है , क्मोफक ज्मोततष भे याहु को सऩा(साऩ) का भुह(भुख) एवॊ केतु को ऩूॊछ कहा जाता है ।

जाने की जरूयत नहीॊ फत्ल्क उसका जानकाय मा कुशर

कारसऩव मोग का प्रबाव तम होता है ?

की ववस्तत ृ जानकायी हालसर कय रेना ही फुविभत्ता है ।

त्जस प्रकाय फकसी व्मत्क्त को साऩ काट रे तो

ज्मोततषी से ज्मोततषीम ववश्रेषण कयवाकय उसके प्रबावों जफ असरी कायण ज्मोततषीम ववश्रेषण से स्ऩष्ट हो जामे

वह व्मत्क्त शाॊतत से नही फेठ सकता वेसे ही कारसऩा

तो तत्कार उसका उऩाम कयना

भानलसक, आधथाक ऩये शानी का साभना कयना ऩडता है ।

महद आऩकी जन्भ कॊु डरी भे बी अशुब कारसऩा मोग का

से सॊफॊधी कष्ट जेसे उसे सॊतान होती ही नहीॊ मा होती है

तो कारसऩा मोग के अशुब प्राबावों को शाॊत कयने के

भहत्वऩूणा वस्तु का अबाव यहता है । जातक को कारसऩा

को सुखी एवॊ सभि ृ फनाए।

मोग से ऩीडडत व्मत्क्त को जीवन ऩमान्त शायीरयक,

ाहहए। उऩाम से कारसऩा

मोग के कुप्रबावो को कभ फकमा जा सकता है ।

वववाह ववरम्फ से होता है एवॊ वववाह के ऩश्च्मात सॊतान

फन यहा हो औय आऩ उसके अशब ु प्रबावों से ऩये शान हो,

तो योग ग्रस्त होती है । उसे जीवन भें फकसी न फकसी

लरमे ववशेष अनुबूत उऩामों को अऩना कय अऩने जीवन

कारसऩा शाॊतत हे तु अनब ु त ू एवॊ सयर उऩाम भॊि लसि

कारसऩा शाॊतत मॊि

भॊि लसि

कारसऩा शाॊतत क व

ववस्तत ृ जानकायी हे तु सॊऩका कयें । GURUTVA KARYALAY

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सवा कामा लसवि कव त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊतछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें लसवि (राब) लसवि कव

प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा अवश्म धायण कयना

ाहहमे।

कवच के प्रभुख राब: सवा कामा लसवि कव

के द्वारा

सुख सभवृ ि औय नव ग्रहों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र

का नाश हो कय सुख-सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय

जीवन भे सलब प्रकाय के शुब कामा लसि होते हैं। त्जसे धायण

कयने से व्मत्क्त महद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि होतत हैं औय महद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें सववजन वशीकयण कव

के लभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस ू ये व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव

के

लभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रक्ष्भी

के अष्ट रुऩ (१)-आहद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)ववजम रक्ष्भी, (७)-ववद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें तंत्र यऺा कव

के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,

साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव

के प्रबाव

से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं। 

सवा कामा लसवि कव

के साथ भें शत्रु ववजम कव

के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त

ऩये शातनओ से स्वत् ही छुटकाया लभर जाता हैं। कव कुछ नही त्रफगाड सकते। अन्म कव

के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का

ाहकय

के फाये भे अधधक जानकायी के लरमे कामाारम भें सॊऩका कये :

फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा लसवि कव

दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सुयक्षऺत हैं।

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GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Call Us - 9338213418, 9238328785 Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ Email Us:- [email protected], [email protected] (ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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श्री गणेश मॊि गणेश मॊि सवा प्रकाय की ऋवि-लसवि प्रदाता एवॊ सबी प्रकाय की उऩरत्ब्धमों दे ने भें सभथा है , क्मोकी श्री गणेश मॊि के ऩज ू न का पर बी बगवान गणऩतत के ऩज ू न के सभान भाना जाता हैं। हय भनष्ु म को को जीवन भें सख ु -सभवृ ि की प्रात्प्त एवॊ तनमलभत जीवन भें प्राप्त होने वारे ववलबन्न कष्ट, फाधा-ववघ्नों को नास के लरए श्री गणेश मॊि को अऩने ऩज ू ा स्थान भें अवश्म स्थावऩत कयना

ाहहए। श्रीगणऩत्मथवाशीषा भें वर्णात हैं ॐकाय का ही व्मक्त स्वरूऩ

श्री गणेश हैं। इसी लरए सबी प्रकाय के शब ु भाॊगलरक कामों औय दे वता-प्रततष्ठाऩनाओॊ भें बगवान गणऩतत का

प्रथभ ऩूजन फकमा जाता हैं। त्जस प्रकाय से प्रत्मेक भॊि फक शत्क्त को फढाने के लरमे भॊि के आगें ॐ (ओभ ्)

आवश्म रगा होता हैं। उसी प्रकाय प्रत्मेक शुब भाॊगलरक कामों के लरमे बगवान ् गणऩतत की ऩूजा एवॊ स्भयण अतनवामा भाना गमा हैं। इस ऩौयार्णक भत को सबी शास्ि एवॊ वैहदक धभा, सम्प्रदामों ने गणेश जी के ऩूजन हे तु इस प्रा ीन ऩयम्ऩया को एक भत से स्वीकाय फकमा हैं।

श्री गणेश मॊि के ऩूजन से व्मत्क्त को फुवि, विद्या, वववेक का ववकास होता हैं औय योग, व्माधध एवॊ सभस्त

ववध्न-फाधाओॊ का स्वत् नाश होता है । श्री गणेशजी की कृऩा प्राप्त होने से व्मत्क्त के भुत्श्कर से भुत्श्कर कामा बी आसान हो जाते हैं।

त्जन रोगो को व्मवसाम-नौकयी भें ववऩयीत ऩरयणाभ प्राप्त हो यहे हों, ऩारयवारयक तनाव, आधथाक तॊगी, योगों से ऩीडा हो यही हो एवॊ व्मत्क्त को अथक भेहनत कयने के उऩयाॊत बी नाकाभमाफी, द:ु ख, तनयाशा प्राप्त हो यही हो, तो एसे व्मत्क्तमो की सभस्मा के तनवायण हे तु अ न ा ा कयने का ववधान शास्िों भें फतामा हैं।

तुथॉ के हदन मा फुधवाय के हदन श्री गणेशजी की ववशेष ऩूजा-

त्जसके पर से व्मत्क्त की फकस्भत फदर जाती हैं औय उसे जीवन भें सुख, सभवृ ि एवॊ ऐश्वमा की प्रात्प्त होती हैं। त्जस प्रकाय श्री गणेश जी का ऩूजन अरग-अरग उिेश्म एवॊ काभनाऩूतता हे तु फकमा जाता हैं, उसी प्रकाय श्री गणेश मॊि का ऩूजन बी अरग-अरग उिेश्म एवॊ काभनाऩूतता हे तु अरग-अरग फकमा जाता सकता हैं।

श्री गणेश मॊि के तनमलभत ऩूजन से भनुष्म को जीवन भें सबी प्रकाय की ऋवि-लसवि व धन-सम्ऩत्त्त की प्रात्प्त

हे तु श्री गणेश मॊि अत्मॊत राबदामक हैं। श्री गणेश मॊि के ऩज ू न से व्मत्क्त की साभात्जक ऩद-प्रततष्ठा औय कीतता

ायों औय पैरने रगती हैं।

 विद्वानों का अनब ु व हैं की फकसी बी शब ु कामा को प्रायॊ ऩ कयने से ऩव ू ा मा शब ु कामा हे तु घय से फाहय जाने से ऩव ू ा गणऩतत मॊि का ऩज ू न एवॊ दशान कयना शब ु परदामक यहता हैं। जीवन से सभस्त ववघ्न दयू होकय धन, आध्मात्त्भक

त े ना के ववकास एवॊ आत्भफर की प्रात्प्त के लरए भनष्ु म को गणेश मॊि का ऩज ू न कयना

गणऩतत मॊि को फकसी बी भाह की गणेश

ाहहए।

तथ ु ॉ मा फध ु वाय को प्रात: कार अऩने घय, ओफपस, व्मवसामीक

स्थर ऩय ऩज ू ा स्थर ऩय स्थावऩत कयना शब ु यहता हैं।

गरु ु त्व कामावरम भें उऩरब्ध अन्म : रक्ष्भी गणेश मॊि | गणेश मॊि | गणेश मॊि (सॊऩूणा फीज भॊि सहहत) | गणेश लसि मॊि | एकाऺय गणऩतत मॊि | हरयद्रा गणेश मॊि बी उऩरब्ध हैं। अधधक जानकायी आऩ हभायी वेफ साइट ऩय प्राप्त कय सकते हैं।

GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: [email protected], [email protected] Shop Online: www.gurutvakaryalay.com

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दस भहाववद्या ऩज ू न मॊि Das Mahavidy a Poojan Yantra | Dasmahavidy a Pujan Yantra

दस भहाववद्या ऩूजन मॊि को दे वी दस भहाववद्या

की

शत्क्तमों

से

मुक्त

अत्मॊत

प्रबावशारी औय दर ा मॊि भाना गमा हैं। ु ब इस मॊि के भाध्मभ से साधक के ऩरयवाय ऩय दसो महाविद्याओॊ का आलशवााद प्राप्त होता हैं। दस भहाववद्या मॊि के तनमलभत ऩूजन-दशान से भनुष्म की सबी भनोकाभनाओॊ की ऩूतता होती हैं।

दस

भहाववद्या

इच्छाओॊ

मॊि

साधक

को ऩण ू ा कयने भें

भहाववद्या

मॊि

भनुष्म

को

की

सभस्त

सभथा हैं। दस शत्क्तसॊऩन्न

एवॊ

बूलभवान फनाने भें सभथा हैं। दस भहाववद्या मॊि के श्रिाऩूवक ा ऩूजन से शीघ्र दे वी कृऩा प्राप्त होती हैं औय साधक को दस भहाववद्या दे वीमों की कृऩा से सॊसाय की सभस्त लसविमों की प्रात्प्त सॊबव हैं। दे वी दस भहाववद्या की कृऩा से साधक को धभा, अथा, काभ व ् भोऺ

तुववाध ऩुरुषाथों की प्रात्प्त हो

सकती हैं। दस भहाववद्या मॊि भें भाॉ दग ु ाा के दस अवतायों का आशीवााद सभाहहत हैं, इसलरए दस भहाववद्या मॊि को के ऩूजन एवॊ दशान भाि से व्मत्क्त अऩने जीवन को तनयॊ तय अधधक से अधधक साथाक एवॊ सपर फनाने भें सभथा हो सकता हैं। दे वी के आलशवााद से व्मत्क्त को ऻान, सख ु , धन-सॊऩदा, ऐश्वमा, रूऩ-सौंदमा की प्रात्प्त सॊबव हैं। व्मत्क्त को वादवववाद भें शिओ ु ॊ ऩय ववजम की प्रात्प्त होती हैं।

दश भहाववद्या को शास्िों भें आद्या बगवती के दस बेद कहे गमे हैं, जो क्रभश् (1) कारी, (2) ताया, (3) षोडशी, (4) बव ु नेश्वयी, (5) बैयवी, (6) तछन्नभस्ता, (7) धभ ू ावती, (8) फगरा, (9) भातॊगी एवॊ (10) कभात्त्भका। इस सबी दे वी स्वरुऩों को, सत्म्भलरत रुऩ भें दश भहाववद्या के नाभ से जाना जाता हैं।

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अभोद्य भहाभत्ृ मॊुजम कव

अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज ु म कव



उल्रेर्खत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से

ववद्वान ब्राहभणो द्वारा सवा राख भहाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वारा तनलभात कव अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।

अभोद्य् भहाभत्ृ मॊुजम कव कव

फनवाने हे त:ु

अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे कव

अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज ु म कव

दक्षऺणा भाि: 10900

के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु गरु ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें । >> Order Now

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श्री हनुभान मॊि शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनभ ा े व ने ब्रहभा जी के आदे श ऩय हनभ ु ान जी को बगवान सम ू द ु ान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि का ऩूणा ऻान दॉ ग ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की आयाधना से

ऩुरुषों की ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें

अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वादवववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम,

ोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से

यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं। श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गरु ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।

भल् ू म Rs- 325 से 12700 तक >> Shop Online | Order Now

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भॊि लसि ऩायद प्रततभा ऩायद श्री मॊि

21 Gram से 5.250 Kg तक

ऩायद रक्ष्भी गणेश

100 Gram

ऩायद रक्ष्भी नायामण

ऩायद रक्ष्भी नायामण

121 Gram

100 Gram

उऩरब्ध ऩायद लशवलरॊग

ऩायद लशवलरॊग+नॊहद

21 Gram से 5.250 Kg तक

101 Gram से 5.250 Kg

उऩरब्ध

तक उऩरब्ध

ऩायद दग ु ाा

82 Gram ऩायद हनुभान 2

100 Gram

ऩायद लशवजी

ऩायद कारी

75 Gram

37 Gram

ऩायद दग ु ाा

ऩायद सयस्वती

ऩायद सयस्वती

100 Gram

50 Gram

225 Gram

ऩायद हनुभान 3

125 Gram

ऩायद हनुभान 1

100 Gram

ऩायद कुफेय

100 Gram

हभायें महाॊ सबी प्रकाय की भॊि लसि ऩायद प्रततभाएॊ, लशवलरॊग, वऩयालभड, भारा एवॊ गुहटका शुि ऩायद भें उऩरब्ध हैं।

त्रफना भॊि लसि की हुई ऩायद प्रततभाएॊ थोक व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हैं। ़़ ज्मोततष, यत्न व्मवसाम, ऩूजा-ऩाठ इत्माहद ऺेि से जुडे फॊध/ु फहन के लरमे हभायें ववशेष मॊि, कव , यत्न, रुद्राऺ व अन्म दर ु ब साभग्रीमों ऩय ववशेष सुत्रफधाएॊ उऩरब्ध हैं। अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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हभाये ववशेष मॊि व्माऩाय ववृ ि मंत्र: हभाये अनब ु वों के अनस ु ाय मह मॊि व्माऩाय ववृ ि एवॊ ऩरयवाय भें सख ु सभवृ ि हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।

बमू भराब मंत्र: बलू भ, बवन, खेती से सॊफॊधधत व्मवसाम से जडु े रोगों के लरए बलू भराब मॊि ववशेष राबकायी लसि हुवा हैं।

तंत्र यऺा मंत्र: फकसी शिु द्वारा फकमे गमे भॊि-तॊि आहद के प्रबाव को दयू कयने एवॊ बूत, प्रेत नज़य आहद फुयी शत्क्तमों से यऺा हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।

आकष्स्भक धन प्राष्तत मंत्र: अऩने नाभ के अनुसाय ही भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्प्त हे तु परप्रद हैं इस मॊि के ऩज ू न से साधक को अप्रत्मालशत धन राब प्राप्त होता हैं।

ाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से हो,

धन-सॊऩत्त्त इत्माहद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राप्त हो सकता हैं। हभाये वषों के अनस ु ॊधान एवॊ अनब ु वों से हभने आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि से शेमय िे डडॊग, सोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्माहद सॊफॊधधत ऺेि से जड ु े रोगो को ववशेष रुऩ से आकत्स्भक धन राब प्राप्त होते दे खा हैं। आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि से ववलबन्न स्रोत से धनराब बी लभर सकता हैं।

ऩदौन्ननत मंत्र: ऩदौन्नतत मॊि नौकयी ऩैसा रोगो के लरए राबप्रद हैं। त्जन रोगों को अत्माधधक ऩरयश्रभ एवॊ श्रेष्ठ कामा कयने ऩय बी नौकयी भें उन्नतत अथाात प्रभोशन नहीॊ लभर यहा हो उनके लरए मह ववशेष राबप्रद हो सकता हैं।

यत्नेश्वयी मंत्र: यत्नेश्वयी मॊि हीये -जवाहयात, यत्न ऩत्थय, सोना- ाॊदी, ज्वैरयी से सॊफॊधधत व्मवसाम से जुडे रोगों के लरए अधधक प्रबावी हैं। शेय फाजाय भें सोने- ाॊदी जैसी फहुभल् ू म धातओ ु ॊ भें तनवेश कयने वारे रोगों के लरए बी ववशेष राबदाम हैं।

बमू भ प्राष्तत मंत्र: जो रोग खेती, व्मवसाम मा तनवास स्थान हे तु उत्तभ बूलभ आहद प्राप्त कयना

ाहते हैं, रेफकन

उस कामा भें कोई ना कोई अड न मा फाधा-ववघ्न आते यहते हो त्जस कायण कामा ऩण ू ा नहीॊ हो यहा हो, तो उनके लरए बलू भ प्रात्प्त मॊि उत्तभ परप्रद हो सकता हैं।

गह ु ान, ओफपस, पैक्टयी आहद के लरए बवन प्राप्त कयना ृ प्राष्तत मंत्र: जो रोग स्वमॊ का घय, दक

ाहते हैं।

मथाथा प्रमासो के उऩयाॊत बी उनकी अलबराषा ऩूणा नहीॊ हो ऩायही हो उनके लरए गह ृ प्रात्प्त मॊि ववशेष उऩमोगी लसि हो सकता हैं।

कैरास धन यऺा मंत्र: कैरास धन यऺा मॊि धन ववृ ि एवॊ सुख सभवृ ि हे तु ववशेष परदाम हैं। आधथाक राब एवॊ सुख सभवृ ि हे तु 19 दर ा रक्ष्भी मॊि ु ब

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ववलबन्न रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भहारक्ष्भमै फीज मॊि

कनक धाया मॊि

श्री मॊि (भॊि यहहत)

भहारक्ष्भी फीसा मॊि

वैबव रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सहहत)

रक्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि

श्री श्री मॊि

श्री मॊि (फीसा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीसा मॊि

अॊकात्भक फीसा मॊि

श्री मॊि श्री सूक्त मॊि

रक्ष्भी फीसा मॊि

ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम)

रक्ष्भी गणेश मॊि

(भहान लसवि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)

(रलरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्री भहामॊि)

धनदा मॊि > Shop Online | Order Now

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

सवालसविदामक भहु द्रका

इस भहु द्रका भें भग ॊू े को शब ु भह ु ू ता भें त्रिधातु (सव ु णा+यजत+ताॊफें) भें जडवा कय उसे शास्िोक्त ववधधववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वारा सवालसविदामक फनाने हे तु प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ै न्म मक् ू ा त ु त फकमा जाता हैं। इस भहु द्रका को फकसी बी वगा के व्मत्क्त हाथ की फकसी बी उॊ गरी भें धायण कय सकते हैं। महॊ भहु द्रका कबी फकसी बी त्स्थती भें अऩववि नहीॊ होती। इसलरए कबी भहु द्रका को

उतायने की आवश्मक्ता नहीॊ हैं। इसे धायण कयने से व्मत्क्त की सभस्माओॊ का सभाधान होने रगता हैं। धायणकताा को जीवन भें सपरता प्रात्प्त एवॊ उन्नतत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हैं औय जीवन भें सबी प्रकाय की लसविमाॊ बी शीध्र प्राप्त होती हैं।

भल् ू म भात्र- 6400/-

>> Shop Online | Order Now (नोट: इस भुहद्रका को धायण कयने से भॊगर ग्रह का कोई फुया प्रबाव साधक ऩय नहीॊ होता हैं।)

सववमसविदामक भदु द्रका के ववषम भें अधधक जानकायी के मरमे हे तु सम्ऩकव कयें ।

ऩतत-ऩत्नी भें करह तनवायण हे तु महद ऩरयवायों भें सख ु -सुववधा के सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भें ऩतत-ऩत्नी के त्रफ भे करह होता यहता हैं, तो घय के त्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्वारा शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण ू ा

ैतन्म मक् ु त वशीकयण कव

एवॊ गहृ करह नाशक

डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें त्रफना फकसी ऩूजा, ववधध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय

सकते हैं। महद आऩ भॊि लसि ऩतत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गह ृ करह नाशक डडब्फी फनवाना ाहते हैं, तो सॊऩका आऩ कय सकते हैं।

100 से अधधक जैन मॊि हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभुख, दर ा एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ऩि, ु ब लसरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे उऩरब्ध हैं।

हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, लसरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है।

इसके अरावा आऩकी आवश्मकता अनस ु ाय आऩके द्वारा प्राप्त (ध ि, मॊि, डडज़ाईन) के अनरु ु ऩ मॊि

बी फनवाए जाते है. गुरुत्व कामाारम द्वारा उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊडडत एवॊ 22 गेज शि ु कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 ट

शि ु लसरवय ( ाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है। मॊि

के ववषम भे अधधक जानकायी के लरमे हे तु सम्ऩका कयें ।

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द्वादश भहा मॊि मॊि को अतत प्राध न एवॊ दर ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान ु ब

द्वारा फनामा गमा हैं।

 ऩयभ दर ा वशीकयण मॊि, ु ब

 सहस्िाऺी रक्ष्भी आफि मॊि

 भनोवाॊतछत कामा लसवि मॊि

 ऩूणा ऩौरुष प्रात्प्त काभदे व मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 याज्म फाधा तनवत्ृ त्त मॊि  गहृ स्थ सुख मॊि

 शीघ्र वववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि  योग तनवत्ृ त्त मॊि

 साधना लसवि मॊि  शिु दभन मॊि

उऩयोक्त सबी मॊिो को द्वादश भहा मॊि के रुऩ भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि ऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत एवॊ

ैतन्म मक् ु त फकमे जाते हैं। त्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩज ू ा

अ न ा ा-ववधध ववधान ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं।

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 क्मा आऩके फच् े कुसॊगती के लशकाय हैं?  क्मा आऩके फच् े आऩका कहना नहीॊ भान यहे हैं?  क्मा आऩके फच् े घय भें अशाॊतत ऩैदा कय यहे हैं? घय ऩरयवाय भें शाॊतत एवॊ फच् े को कुसॊगती से छुडाने हे तु फच् े के नाभ से गरु ु त्व कामाारत

द्वारा शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा

ैतन्म मुक्त वशीकयण कव

एवॊ एस.एन.डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩज ू ा, ववधध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। महद आऩ तो आऩ भॊि लसि वशीकयण कव एस.एन.डडब्फी फनवाना

ाहते हैं, तो सॊऩका इस कय सकते हैं।

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एवॊ

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सॊऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत 22 गेज शुि स्टीर भें तनलभात अखॊडडत

ऩुरुषाकाय शनन मंत्र

ऩरु ु षाकाय शतन मॊि (स्टीर भें ) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शतन की कायक धातु शि ु स्टीर(रोहे ) भें फनामा गमा हैं। त्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राप्त होता हैं। महद जन्भ कॊु डरी भें शतन प्रततकूर होने ऩय व्मत्क्त को अनेक कामों भें असपरता प्राप्त होती है, कबी व्मवसाम भें घटा, नौकयी भें ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गह ु ट ृ क्रेश आहद ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है ऐसी त्स्थततमों भें प्राणप्रततत्ष्ठत ग्रह ऩीडा तनवायक शतन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भें ़़ स्थाऩना कयने से अनेक राब लभरते हैं। महद शतन की ढै मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩज ू ना

ाहहए। शतनमॊि के ऩज ू न भाि से व्मत्क्त को भत्ृ मु, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा ,

फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्क्त के लरमे शतन मॊि अधधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आहद के रोगों को ऩदौन्नतत बी शतन द्वारा ही लभरती है अत् मह मॊि अतत उऩमोगी मॊि है त्जसके द्वारा शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है । भल् ू म: 1225 से 8200 >> Shop Online | Order Now

सॊऩण ू ा प्राणप्रततत्ष्ठत

22 गेज शुि स्टीर भें तनलभात अखॊडडत

शतन तैततसा मॊि

शतनग्रह से सॊफॊधधत ऩीडा के तनवायण हे तु ववशेष राबकायी मॊि।

भल् ू म: 640 से 12700 >> Shop Online | Order Now

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नवयत्न जडडत श्री मॊि

शास्ि व न के अनुसाय शुि सुवणा मा यजत भें तनलभात श्री मॊि के

ायों औय

महद नवयत्न जडवा ने ऩय मह नवयत्न जडडत श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनत्श् त स्थान ऩय जड कय रॉकेट के रूऩ भें धायण कयने से व्मत्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रात्प्त होती हैं। व्मत्क्त को एसा आबास होता हैं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशुब

दशा का धायणकयने वारे व्मत्क्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं। गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे

तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस प्रकाय के नवयत्न जडडत श्री मॊि गरू ु त्व कामाारम द्वाया शब ु भह ु ू ता भें प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से 10,900 से अधधक अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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भॊि लसि वाहन दघ ा ना नाशक भारुतत मॊि ु ट

ऩौयार्णक ग्रॊथो भें उल्रेख हैं की भहाबायत के मुि के सभम अजुन ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुतत ध्वज

एवॊ भारुतत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुि के दौयान हज़ायों-राखों प्रकाय के आग्नेम अस्ि-शस्िों का प्रहाय होने के फाद बी अजन ुा का यथ जया बी ऺततग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृष्ण भारुतत मॊि के इस अद्भत ु यहस्म को जानते थे फक त्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुतत नॊदन कयते हों, वह दघ ा नाग्रस्त कैसे हो सकता हैं। वह यथ मा वाहन तो वामव ु ट ु ेग से, तनफााधधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय ववजम ऩतका

रहयाता हुआ ऩहुॊ ग े ा। इसी लरमे श्री कृष्ण नें अजन ुा के यथ ऩय श्री भारुतत मॊि को अॊफकत कयवामा था। त्जन रोगों के स्कूटय, काय, फस, िक इत्माहद वाहन फाय-फाय दघ ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन ु ट को नऺ ा ना से यऺा के उिेश्म से अऩने वाहन ऩय भॊि लसि श्री भारुतत मॊि अवश्म ु ान हो यहा हों! उन्हें हानी एवॊ दघ ु ट रगाना

ाहहए। जो रोग िान्स्ऩोहटिं ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जड ु े हैं उनको श्रीभारुतत मॊि को अऩने वाहन भें

अवश्म स्थावऩत कयना

ाहहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जड ु े सैकडों रोगों का अनब ु व यहा हैं की श्री भारुतत मॊि

को स्थावऩत कयने से उनके वाहन अधधक हदन तक अनावश्मक ख ो से एवॊ दघ ा नाओॊ से सयु क्षऺत यहे हैं। हभाया ु ट स्वमॊका एवॊ अन्म ववद्वानो का अनुबव यहा हैं, की त्जन रोगों ने श्री भारुतत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हैं, उन

रोगों के वाहन फडी से फडी दघ ा नाओॊ से सुयक्षऺत यहते हैं। उनके वाहनो को कोई ववशेष नुक्शान इत्माहद नहीॊ होता ु ट हैं औय नाहीॊ अनावश्मक रुऩ से उसभें खयाफी आतत हैं।

वास्तु प्रमोग भें भारुनत मंत्र: मह भारुतत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । महद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस ऩय कोई वाद-वववाद हो, तो इच्छा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उध त भूल्म ऩय त्रफक जामे इस लरमे इस भारुतत मॊि का प्रमोग फकमा जा सकता हैं। इस भारुतत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा वववादभुक्त हो जाएगी। इस लरमे मह मॊि दोहयी शत्क्त से मुक्त है ।

भारुतत मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।

श्री हनुभान मॊि

भल् ू म Rs- 325 से 12700 तक

शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद ा े व ने ब्रहभा जी के आदे श ऩय

हनुभान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि का ऩूणा ऻान दॉ ग ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुसाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषों की

ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वाद-वववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम,

बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं।

ोय

श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें । भूल्म Rs- 910 से 12700 तक

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ववमबन्न दे वताओं के मंत्र गणेश मंत्र गणेश मंत्र (संऩण ू व फीज भंत्र सदहत) गणेश मसि मंत्र

भहाभत्ृ मज ुॊ म मॊि

भहाभत्ृ मज ुॊ म कव

याभ यऺा मॊि याज मॊि

याभ मॊि

भहाभत्ृ मज ॊु म ऩज ू न मॊि

भहाभत्ृ मुॊजम मुक्त लशव खप्ऩय भाहा लशव

एकाऺय गणऩनत मंत्र

मॊि

लशव ऩॊ ाऺयी मॊि

हरयद्रा गणेश मंत्र कुफेय मंत्र

लशव मॊि

दत्तात्रम मंत्र

द्वादशाऺय ववष्णु भॊि ऩज ू न मॊि ववष्णु फीसा मॊि गरुड ऩज ू न मॊि

ध त ॊ ाभणी मॊि याज

श्री द्वादशाऺयी रुद्र ऩज ू न मंत्र

अवद्वतीम सवाकाम्म लसवि लशव मॊि

ध त ॊ ाभणी मॊि स्वणााकषाणा बैयव मॊि

दत्त मंत्र

नलृ सॊह ऩज ू न मॊि ऩॊ दे व मॊि

आऩदि ु ायण फटुक बैयव मंत्र

सॊतान गोऩार मॊि

हनभ ु ान मॊि

व्मंकटे श मंत्र

कृष्ण फीसा मॊि

हनभ ु ान ऩज ू न मॊि

फटुक मंत्र

श्री कृष्ण अष्टाऺयी भॊि ऩज ू न मॊि

कातववीमावजन ुव ऩज ू न मंत्र

सवा काभ प्रद बैयव मॊि

सॊकट भो न मॊि वीय साधन ऩज ू न मॊि

दक्षऺणाभतू ता ध्मानभ ् मॊि

भनोकाभना ऩूनतव एवं कष्ट ननवायण हे तु ववशेष मंत्र अभत ृ तत्व सॊजीवनी कामा कल्ऩ मॊि

िम ताऩोंसे भत्ु क्त दाता फीसा मॊि

व्माऩाय वधवक मंत्र

ववद्यामश ववबूतत याज सम्भान प्रद लसि फीसा

ज्वय तनवायण मॊि

व्माऩायोन्ननत कायी मसि मंत्र

सम्भान दामक मॊि

योग कष्ट दरयद्रता नाशक मॊि

सख ु शाॊतत दामक मॊि

योग तनवायक मॊि

फारा यऺा मॊि

ववद्मत ु भानस मॊि

व्माऩाय ववृ ि कायक मंत्र व्माऩाय ववृ ि मंत्र

बाग्म वधवक मंत्र स्वष्स्तक मंत्र सवव कामव फीसा मंत्र कामव मसवि मंत्र

ववजमयाज ऩॊ दशी मॊि मॊि

फारा मॊि

सॊतान प्रात्प्त मॊि

सवव सख ु दामक ऩैंसदिमा मंत्र

सवव रयवि मसवि प्रद मंत्र ऋवि मसवि दाता मंत्र सवव मसवि मंत्र साफय मसवि मंत्र शाफयी मंत्र मसिाश्रभ मंत्र

गह ृ करह नाशक मॊि

करेश हयण फत्त्तसा मॊि

प्रसत ू ा बम नाशक मॊि

वशीकयण मॊि

प्रसव-कष्टनाशक ऩॊ दशी मॊि

भोहहतन वशीकयण मॊि

शाॊतत गोऩार मॊि

कणा वऩशा नी वशीकयण मॊि

त्रिशर ू फीशा मॊि

वाताारी स्तम्बन मॊि

ऩॊ दशी मॊि (फीसा मॊि मक् ु त प्रकायके)

ायों

वास्तु मॊि

फेकायी तनवायण मॊि

श्री भत्स्म मॊि

षोडशी मॊि

वाहन दघ ा ना नाशक मॊि ु ट

ज्मोनतष तंत्र ऻान ववऻान प्रद मसि फीसा

अडसहठमा मॊि

ब्रह्भाण्ड साफय मसवि मंत्र

अस्सीमा मॊि

मंत्र

तनाव भक् ु त फीसा मॊि

गबा स्तम्बन मॊि

सख ु सभवृ ि मंत्र

भधुभेह तनवायक मॊि

प्रेत-फाधा नाशक मॊि

बत ू ादी व्माधधहयण मॊि

कुण्डमरनी मसवि मंत्र

ऋवि कायक मॊि भन वाॊतछत कन्मा प्रात्प्त मॊि

बम नाशक मॊि

श्री ऺेभ कल्माणी मसवि भहा मंत्र

वववाहकय मॊि

स्वप्न बम तनवायक मॊि

क्राष्न्त औय श्रीवधवक चौंतीसा मंत्र

कष्ट तनवायक लसवि फीसा मॊि

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

43 रग्न ववघ्न तनवायक मॊि

ऻान दाता भहा मंत्र

कुदृत्ष्ट नाशक मॊि

रग्न मोग मॊि

कामा कल्ऩ मंत्र दीधावमु अभत ृ तत्व संजीवनी मंत्र

श्री शिु ऩयाबव मॊि

दरयद्रता ववनाशक मॊि

शिु दभनाणाव ऩज ू न मॊि

भंत्र मसि ववशेष दै वी मंत्र सधू च सयस्वती मॊि

आद्य शष्तत दग ु ाव फीसा मंत्र (अंफाजी फीसा मंत्र) भहान शष्तत दग ु ाव मंत्र (अंफाजी मंत्र)

सप्तसती भहामॊि(सॊऩण ू ा फीज भॊि सहहत)

नवाणव मंत्र (चाभड ुं ा मंत्र)

श्भशान कारी ऩज ू न मॊि

नव दग ु ाव मंत्र

कारी मॊि

नवाणव फीसा मंत्र

दक्षऺण कारी ऩज ू न मॊि

चाभड ुं ा फीसा मंत्र ( नवग्रह मत ु त)

सॊकट भोध नी कालरका लसवि मॊि

फगरा भख ु ी मंत्र

खोडडमाय फीसा मॊि

त्रत्रशर ू फीसा मंत्र

खोडडमाय मॊि

फगरा भख ु ी ऩज ू न मंत्र

अन्नऩण ू ाा ऩज ू ा मॊि एकाॊऺी श्रीपर मॊि

याज याजेश्वयी वांछा कल्ऩरता मंत्र

भंत्र मसि ववशेष रक्ष्भी मंत्र सधू च भहारक्ष्भमै फीज मॊि

श्री मंत्र (रक्ष्भी मंत्र) श्री मंत्र (भंत्र यदहत)

भहारक्ष्भी फीसा मॊि

श्री मंत्र (संऩण ू व भंत्र सदहत)

रक्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि

श्री मंत्र (फीसा मंत्र)

रक्ष्भी दाता फीसा मॊि

श्री मंत्र श्री सत ू त मंत्र

रक्ष्भी गणेश मॊि

श्री मंत्र (कुभव ऩष्ृ िीम)

ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩज ू न मॊि

रक्ष्भी फीसा मंत्र

कनक धाया मॊि

श्री श्री मंत्र (श्रीश्री रमरता भहात्रत्रऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्री भहामंत्र)

वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान लसवि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)

अंकात्भक फीसा मंत्र ताम्र ऩत्र ऩय सव ु णव ऩोरीस (Gold Plated)

ताम्र ऩत्र ऩय यजत ऩोरीस (Silver Plated)

ताम्र ऩत्र ऩय (Copper)

साईज 1” X 1”

भल् ू म 550

साईज 1” X 1”

भल् ू म 370

साईज 1” X 1”

भल् ू म 325

2” X 2”

910

2” X 2”

640

2” X 2”

550

3” X 3”

1450

3” X 3”

1050

3” X 3”

910

4” X 4”

2350

4” X 4”

1450

4” X 4”

1225

6” X 6”

3700

6” X 6”

2800

6” X 6”

2350

9” X 9”

9100

9” X 9”

4600

9” X 9”

4150

12” X12”

12700

12” X12”

9100

12” X12”

9100

मंत्र के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु संऩकव कयें ।

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

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16 दि

िार

16

यवव

भागाशीषा शक् ु र

17 सोभ

भागाशीषा शक् ु र

माह

22 विवि

पक्ष

फध ु

भागाशीषा शक् ु र

20

गरु ु

भागाशीषा शक् ु र

21

शक्र ु

भागाशीषा शक् ु र

22 शतन

भागाशीषा शक् ु र

16

-

07:46

वाय

भाह

ऩऺ

16

यवव

भागाशीषा

शक् ु र

17

सोभ

भागाशीषा

शक् ु र

शक् ु र

समावि

-

08:12

28:16

24:53

07:46

28:37

चंद्र समावि रावि -

23:38

08:12 04:17

07:47

28:11

21:45

07:47 -

28:40

27:03

19:17

17:43

26:12

25:21

16:20

15:30

09:59

-

23:18

23:14

नतधथ

सभाष्तत -

07:46

-

08:12

-

12:58

12:47

12:21

2018 साप्ताहहक व्रत-ऩवा-त्मौहाय

07:47

प्रभुख व्रत-त्मोहाय धनु सॊक्रात्न्त

05:35

खय भास प्रायॊ ब भहानन्दा नवभी,

, भाॊगलरक कामों भें वत्जात धन,ु

दशाहदत्म व्रत,

भोऺदा एकादशी व्रत, वैकुण्ठ एकादशी, श्रीभद् बगवद्गीता जमॊती, अखण्ड

दशी, श्माभफाफा

शक् ु र

20

गरु ु

भागाशीषा

शक् ु र

28:40

प्रदोष व्रत,

21

शक्र ु

भागाशीषा

शक् ु र

26:12

लशव

शक् ु र

समावि 19:15

भागाशीषा

भागाशीषा

करण

25:31

फध ु

शतन

समावि

28:07

19

22

योग

-

22

दद

18 भॊगर भागाशीषा

नक्षत्र उ

-

18 भॊगर भागाशीषा शक् ु र

19

समावि

2018 साप्ताहहक ऩॊ ाॊग

दान

दशी, भत्स्म

तद ु ा शी, वऩशा

दशी, केशव

दशी, व्मॊजन

दशी,

दशी,

भो न श्राि

तद ु ा शी,

स्नान-दान हे तु उत्तभ अग्रहामणी ऩर्ू णाभा, फत्तीसी ऩन ू भ, दत्तािेम 23:18

जमॊती, त्रिऩयु बैयवी भहाववद्मा जमॊती, अन्नऩण ू ाा जमॊती, छप्ऩन बोग, कात्मामनी ऩज ू ा ऩण ू ,ा रवण-दान, श्रीसत्मनायामण व्रत-कथा

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

45

यालश यत्न भेष यालश:

भग ॊू ा

Red Coral (Special) 5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800

वष ृ ब यालश:

हीया

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10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent

Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

लभथन ु यालश:

कका यालश:

लसॊह यालश:

कन्मा यालश:

Green Emerald

Naturel Pearl (Special)

Ruby (Old Berma) (Special)

Green Emerald

ऩन्ना

(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

भोती

5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

भाणेक

Rs. 910 Rs. 1250 Rs. 1450 Rs. 1900 Rs. 2300 Rs. 2800

2.25" 3.25" 4.25" 5.25" 6.25"

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

12500 15500 28000 46000 82000

ऩन्ना

(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

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All Diamond are Full White Colour.

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तुरा यालश:

वत्ृ श् क यालश:

धनु यालश:

कॊु ब यालश:

भीन यालश:

हीया

भग ूॊ ा

ऩख ु याज

भकय यालश:

नीरभ

नीरभ

Diamond (Special)

Red Coral

Y.Sapphire

B.Sapphire

B.Sapphire

Y.Sapphire

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

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Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

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ऩख ु याज

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

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श्रीकृष्ण फीसा मॊि

फकसी बी व्मत्क्त का जीवन तफ आसान फन जाता हैं जफ उसके भें हों। जफ कोई व्मत्क्त का आकषाण दस ु यो के उऩय एक

ायों औय का भाहोर उसके अनुरुऩ उसके वश

ुम्फकीम प्रबाव डारता हैं, तफ

सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना अधधक कष्ट व

श्रीकृष्ण फीसा कव

ऩये शानी से सॊऩन्न हो जाते हैं। आज के बौततकता वाहद मुग भें हय व्मत्क्त के लरमे दस ू यो को अऩनी औय खी ने हे तु एक प्रबावशालर

ुॊफकत्व को

कामभ यखना अतत आवश्मक हो जाता हैं। आऩका आकषाण औय व्मत्क्तत्व आऩके

ायो ओय से रोगों को आकवषात कये इस लरमे सयर उऩाम हैं,

श्रीकृष्ण फीसा मंत्र। क्मोफक बगवान श्री कृष्ण एक अरौफकव एवॊ हदवम ॊुफकीम व्मत्क्तत्व के धनी थे। इसी कायण से श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के ऩूजन एवॊ दशान से आकषाक व्मत्क्तत्व प्राप्त होता हैं। श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के साथ व्मत्क्तको दृढ़ इच्छा शत्क्त एवॊ उजाा प्राप्त होती हैं, त्जस्से व्मत्क्त हभेशा एक बीड भें हभेशा आकषाण का केंद्र यहता हैं। महद फकसी व्मत्क्त को अऩनी प्रततबा व आत्भववश्वास के स्तय भें ववृ ि, अऩने लभिो व ऩरयवायजनो के त्रफ

भें रयश्तो भें सुधाय कयने की

ईच्छा होती हैं उनके लरमे श्रीकृष्ण फीसा मंत्र का ऩूजन एक सयर व सुरब भाध्मभ सात्रफत हो सकता हैं। श्रीकृष्ण फीसा मंत्र ऩय अॊफकत शत्क्तशारी ववशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ अॊको से व्मत्क्त को अद्द्भत ु आॊतरयक शत्क्तमाॊ प्राप्त होती हैं जो व्मत्क्त को सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भें अग्रर्णम फनाने भें सहामक लसि होती हैं।

श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के ऩूजन व तनमलभत दशान के भाध्मभ से बगवान

रोग उसकी सहामता एवॊ

श्रीकृष्ण

फीसा

कव

को

केवर

ववशेष शुब भुहुता भें तनभााण फकमा जाता

हैं।

कव

को

ववद्वान

कभाकाॊडी ब्राहभणों द्वाया शुब भुहुता भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी

भॊिो

द्वाया

प्रततत्ष्ठत ऩूणा

लसि

प्राण-

त ै न्म मुक्त कयके

तनभााण फकमा जाता हैं। त्जस के

पर स्वरुऩ धायण कयता व्मत्क्त को शीघ्र ऩूणा राब प्राप्त होता हैं। कव

को गरे भें धायण कयने से

वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हैं। गरे

भें

धायण

कयने

से

कव

हभेशा रृदम के ऩास यहता हैं त्जस्से व्मत्क्त ऩय उसका राब अतत तीव्र एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हैं। भर ू म भात्र: 2350 >>Order Now

श्रीकृष्ण का आशीवााद प्राप्त कय सभाज भें स्वमॊ का अवद्वतीम स्थान स्थावऩत कयें । श्रीकृष्ण फीसा मंत्र अरौफकक ब्रहभाॊडीम उजाा का सॊ ाय कयता हैं, जो एक प्राकृत्त्त भाध्मभ से व्मत्क्त के बीतय सिबावना, सभवृ ि, सपरता, उत्तभ स्वास््म, मोग औय ध्मान के लरमे एक शत्क्तशारी भाध्मभ हैं! 

श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के ऩूजन से व्मत्क्त के साभात्जक भान-सम्भान व ऩद-प्रततष्ठा भें ववृ ि होती हैं।



ववद्वानो के भतानुसाय श्रीकृष्ण फीसा मंत्र के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग केंहद्रत कयने से व्मत्क्त फक होकय शीघ्र उच्



ेतना शत्क्त जाग्रत

स्तय को प्राप्तहोती हैं।

जो ऩुरुषों औय भहहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना

ाहते हैं औय उन्हें अऩनी औय आकवषात कयना

हैं। उनके लरमे श्रीकृष्ण फीसा मंत्र उत्तभ उऩाम लसि हो सकता हैं। 

ऩतत-ऩत्नी भें आऩसी प्रभ की ववृ ि औय सख ु ी दाम्ऩत्म जीवन के लरमे श्रीकृष्ण फीसा मंत्र राबदामी होता हैं।

भल् ू म:- Rs. 910 से Rs. 12700 तक उप्रब्ि >> Shop Online

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ाहते

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

47

जैन धभाके ववलशष्ट मॊिो की सू ी

श्री

ौफीस तीथिंकयका भहान प्रबाववत

श्री

ोफीस तीथिंकय मॊि

भत्कायी मॊि

श्री एकाऺी नारयमेय मॊि सवातो बद्र मॊि

कल्ऩवऺ ृ मॊि

सवा सॊऩत्त्तकय मॊि

ध त ॊ ाभणी ऩाश्वानाथ मॊि

सवाकामा-सवा भनोकाभना लसविअ मॊि (१३० सवातोबद्र मॊि)

ध त ॊ ाभणी मॊि (ऩैंसहठमा मॊि)

ऋवष भॊडर मॊि

ध त ॊ ाभणी

जगदवल्रब कय मॊि

श्री

क्र मॊि

क्रेश्वयी मॊि

ऋवि लसवि भनोकाभना भान सम्भान प्रात्प्त मॊि

श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि श्री घॊटाकणा भहावीय सवा लसवि भहामॊि

(अनब ु व लसि सॊऩण ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)

ऋवि लसवि सभवृ ि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि ववषभ ववष तनग्रह कय मॊि

श्री ऩद्मावती मॊि

ऺुद्रो ऩद्रव तननााशन मॊि

श्री ऩद्मावती फीसा मॊि

फह ृ च् क्र मॊि

श्री ऩाश्वाऩद्मावती र्ह्रींकाय मॊि

वॊध्मा शब्दाऩह मॊि

ऩद्मावती व्माऩाय ववृ ि मॊि

भत ृ वत्सा दोष तनवायण मॊि

श्री ऩाश्वानाथ ध्मान मॊि

फारग्रह ऩीडा तनवायण मॊि

श्री ऩाश्वानाथ प्रबक ु ा मॊि

रधद ु े व कुर मॊि

भर्णबद्र मॊि

उवसग्गहयॊ मॊि

श्री मॊि

श्री ऩॊ

श्री रक्ष्भी प्रात्प्त औय व्माऩाय वधाक मॊि

र्ह्रीॊकाय भम फीज भॊि

श्री रक्ष्भीकय मॊि

वधाभान ववद्या ऩट्ट मॊि

रक्ष्भी प्रात्प्त मॊि

ववद्या मॊि

भहाववजम मॊि

सौबाग्मकय मॊि

ववजमयाज मॊि

डाफकनी, शाफकनी, बम तनवायक मॊि

ववजम ऩतका मॊि

बत ू ाहद तनग्रह कय मॊि

ववजम मॊि

ज्वय तनग्रह कय मॊि

लसि क्र भहामॊि

शाफकनी तनग्रह कय मॊि

दक्षऺण भख ु ाम शॊख मॊि

आऩत्त्त तनवायण मॊि

दक्षऺण भख ु ाम मॊि

शिभ ु ख ु स्तॊबन मॊि

श्री धयणेन्द्र ऩद्मावती मॊि

काॊक वॊध्मादोष तनवायण मॊि

बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक)

नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका ववलशष्ट मॊि भॊगर भहाश्रत ृ स्कॊध मॊि

मंत्र के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु संऩकव कयें ।

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घॊटाकणा

भहावीय

सवा

लसवि

भहामॊि

को

स्थाऩीत कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩण ू ा होती हैं। सवा प्रकाय के योग बत ू -प्रेत आहद उऩद्रव से यऺण होता हैं। जहयीरे औय हहॊसक प्राणीॊ से सॊफॊधधत बम दयू होते हैं। अत्ग्न बम, हैं।

ोयबम आहद दयू होते

दष्ु ट व असयु ी शत्क्तमों से उत्ऩन्न होने वारे

बम से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हैं।

मॊि के ऩज ू न से साधक को धन, सख ु , सभवृ ि,

ऎश्वमा, सॊतत्त्त-सॊऩत्त्त आहद की प्रात्प्त होती हैं।

साधक की सबी प्रकाय की सात्त्वक इच्छाओॊ की ऩतू ता होती हैं।

महद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय

वशीकयण, भायण, उच् ाटन इत्माहद जाद-ू टोने वारे प्रमोग फकमे गमें होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नष्ट हो जाते हैं औय बववष्म भें महद कोई प्रमोग कयता हैं तो यऺण होता हैं।

कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका

मॊि से जड ु े अद्द्भत ु व यहे हैं। महद घय भें श्री ु अनब घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थावऩत फकमा हैं औय महद कोई इषाा, रोब, भोह मा शित ु ावश महद अनधु त कभा कयके फकसी बी उिेश्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हैं तो मॊि के

प्रबाव से सॊऩण ू ा ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हैं, कबी-कबी शिु के द्वाया फकमा गमा अनधु त कभा

शिु ऩय ही उऩय उरट वाय होते दे खा हैं। भल् ू म:- Rs. 2350 से Rs. 12700 तक उतरब्ि >> Shop Online | Order Now संऩकव कयें । GURUTVA KARYALAY Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) Email Us:- [email protected], [email protected]

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

अभोघ भहाभत्ृ मॊुजम कव

अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव

व उल्रेर्खत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से

ववद्वान ब्राहभणो द्वाया सवा राख भहाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वाया तनलभात फकमा जाता हैं इसलरए कव

अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।

अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव कव

फनवाने हे तु:

अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

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अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव

दक्षऺणा भाि: 10900

याशी यत्न एवॊ उऩयत्न ववशेष मॊि हभायें महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने- ाॊहदताम्फे भें आऩकी आवश्मक्ता के अनस ु ाय फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी

आवश्मक डडजाईन के अनुसाय २२ गेज सबी साईज एवॊ भल् ू म व क्वालरहट के

असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध हैं।

शुि ताम्फे भें अखॊडडत फनाने की ववशेष सवु वधाएॊ उऩरब्ध हैं।

हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भल् ू म ऩय उऩरब्ध हैं। ज्मोततष कामा से जड ु े फध/ु फहन व यत्न व्मवसाम से जड ु े रोगो के लरमे ववशेष भल् ू म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म सवु वधाएॊ उऩरब्ध हैं।

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़़

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

50

16

22

2018 -ववशेष मोग

कामा लसवि मोग प्रात्06:13 से

16

06:14

18

7

. प्रात् 03:09 तक

19

.

04:13

20

06:15

04:39 ववघ्नकायक बद्रा

07:52

18

(

19

.

07:35

)

02:09

21

(

22

.

12:46

)

मोग पर :

 कामा लसवि मोग भे फकमे गमे शुब कामा भे तनत्श् त सपरता प्राप्त होती हैं, एसा शास्िोक्त व न हैं।  शास्िोंक्त भत से ववघ्नकायक बद्रा मोग भें शुब कामा कयना वत्जात हैं।

दै तनक शब ु एवॊ अशब ु सभम ऻान तालरका गुलरक कार (शुब)

मभ कार (अशुब) सभम अवधध

याहु कार (अशुब) सभम अवधध

यवववाय

03:00 से 04:30

12:00 से 01:30

04:30 से 06:00

सोभवाय

01:30 से 03:00

10:30 से 12:00

07:30 से 09:00

भॊगरवाय

12:00 से 01:30

09:00 से 10:30

03:00 से 04:30

फुधवाय

10:30 से 12:00

07:30 से 09:00

12:00 से 01:30

गुरुवाय

09:00 से 10:30

06:00 से 07:30

01:30 से 03:00

शुक्रवाय

07:30 से 09:00

03:00 से 04:30

10:30 से 12:00

शतनवाय

06:00 से 07:30

01:30 से 03:00

09:00 से 10:30

वाय

सभम अवधध

Beautiful Stone Bracelets  Lapis Lazuli Bracelet

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

51

हदन के

ौघडडमे

सभम

यवववाय

सोभवाय

भॊगरवाय फध ु वाय गरु ु वाय

शक्र ु वाय

शतनवाय

06:00 से 07:30

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

07:30 से 09:00

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

09:00 से 10:30

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

10:30 से 12:00

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

12:00 से 01:30

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

01:30 से 03:00

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

03:00 से 04:30

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

04:30 से 06:00

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

यात के

ौघडडमे

सभम

यवववाय

सोभवाय

भॊगरवाय

फुधवाय गुरुवाय

शुक्रवाय

शतनवाय

06:00 से 07:30

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

07:30 से 09:00

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

09:00 से 10:30

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

10:30 से 12:00

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

12:00 से 01:30

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

01:30 से 03:00

लाभ

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

03:00 से 04:30

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

िुभ

चल

काल

04:30 से 06:00

िुभ

चल

काल

उद्वेग

अमृि

रोग

लाभ

शास्िोक्त भत के अनस ु ाय महद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शब ु भह ु ू ता मा शब ु सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भें

सपरता प्राप्त होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हैं। इस लरमे दै तनक शब ु सभम

ौघडडमा दे खकय प्राप्त फकमा जा

सकता हैं।

नोट: प्राम् हदन औय यात्रि के

ौघडडमे फक धगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हैं। प्रत्मेक ौघडडमे फक अवधध

1 घॊटा 30 लभतनट अथाात डेढ़ घॊटा होती हैं। सभम के अनुसाय

ौघडडमे को शुबाशुब तीन बागों भें फाॊटा जाता हैं, जो क्रभश्

शुब, भध्मभ औय अशुब हैं।

* हय कामा के लरमे शब ु /अभत ृ /राब का

ौघडडमे के स्वाभी ग्रह शब ु

ौघडडमा

ौघडडमा स्वाभी ग्रह

शुब

गुरु

राब

फुध

अभत ृ

द्र ॊ भा

भध्मभ

ौघडडमा

ौघडडमा स्वाभी ग्रह य

शुक्र

अशब ौघडडमा ु ौघडडमा

उद्बेग कार योग

स्वाभी ग्रह सूमा

शतन भॊगर

ौघडडमा उत्तभ भाना जाता हैं।

* हय कामा के लरमे का

र/कार/योग/उद्वेग

ौघडडमा उध त नहीॊ भाना जाता।

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

52

हदन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक

वाय

1.घॊ

2.घॊ

3.घॊ

4.घॊ

5.घॊ

6.घॊ

7.घॊ

8.घॊ

9.घॊ

यवववाय

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

ॊद्र

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गरु ु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

शतन

गरु ु

भॊगर

शतन

गुरु

सोभवाय भॊगरवाय

ॊद्र

भॊगर

फध ु वाय

फध ु

शक्र ु वाय

शक्र ु

गरु ु वाय

शतनवाय यवववाय सोभवाय

शतन ॊद्र

गुरु

शतन

गरु ु

भॊगर

शतन

गुरु

भॊगर

गुरु

भॊगर

सम ू ा

गुरु

भॊगर

शतन

गरु ु

फध ु

सम ू ा ॊद्र

भॊगरवाय

शतन

फध ु

फध ु वाय

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शक्र ु वाय

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

शतनवाय

ॊद्र

फध ु

शक्र ु

फध ु

गुरु भॊगर सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

ॊद्र

शक्र ु

फध ु

ॊद्र

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शक्र ु

फध ु

ॊद्र

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

भॊगर सम ू ा

शक्र ु

फध ु

गुरु भॊगर सम ू ा

शक्र ु

शतन

गरु भॊगर ु

ॊद्र

ॊद्र

शतन ॊद्र

फध ु

यात फक होया – सम ू ाास्त से सम ू ोदम तक

शक्र ु

गरु ु वाय

भॊगर सम ू ा

ॊद्र

ॊद्र

शतन

शतन ॊद्र

फध ु

शतन

गुरु भॊगर

शतन ॊद्र

सम ू ा ॊद्र

गरु ु

भॊगर

शतन

गुरु

10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ भॊगर

शतन

गुरु

भॊगर

शतन

गरु ु

ॊद्र

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

भॊगर फध ु

ॊद्र

शतन

गुरु

शक्र ु

ॊद्र

ॊद्र

ॊद्र

शतन ॊद्र

फध ु

सम ू ा ॊद्र

गुरु

शतन सम ू ा ॊद्र

भॊगर

होया भह ु ू ता को कामा लसवि के लरए ऩण ू ा परदामक एवॊ अ क ू भाना जाता हैं, हदन-यात के २४ घॊटों भें शब ु -अशब ु सभम को सभम से ऩव ू ा ऻात कय अऩने कामा लसवि के लरए प्रमोग कयना

ाहहमे।

ववद्वानो के भत से इष्छछत कामव मसवि के मरए ग्रह से संफधं धत होया का चन ु ाव कयने से ववशेष राब प्रातत होता हैं।

 सूमा फक होया सयकायी कामो के लरमे उत्तभ होती हैं। 

द्र ॊ भा फक होया सबी कामों के लरमे उत्तभ होती हैं।

 भॊगर फक होया कोटा -क ये ी के कामों के लरमे उत्तभ होती हैं।  फुध फक होया ववद्या-फुवि अथाात ऩढाई के लरमे उत्तभ होती हैं।  गुरु फक होया धालभाक कामा एवॊ वववाह के लरमे उत्तभ होती हैं।  शुक्र फक होया मािा के लरमे उत्तभ होती हैं।  शतन फक होया धन-द्रव्म सॊफॊधधत कामा के लरमे उत्तभ होती हैं।

53

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

सवा योगनाशक मॊि/कव भनुष्म अऩने जीवन के ववलबन्न सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता हैं। उध त उऩ ाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुत्क्त लभर जाती हैं, रेफकन कबी-कबी साध्म योग होकय बी असाध्म होजाते हैं, मा कोइ असाध्म योग से ग्रलसत होजाते हैं। हजायो राखो रुऩमे ख ा कयने ऩय बी अधधक राब प्राप्त नहीॊ हो ऩाता। डॉक्टय द्वारा हदजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के लरमे कायगय सात्रफत होती हैं, एसी त्स्थती भें राब प्रात्प्त के लरमे व्मत्क्त एक डॉक्टय से दस ू ये डॉक्टय के

क्कय रगाने

को फाध्म हो जाता हैं।

बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊतत हे तु ववलबन्न आमव ु ेय औषधो के अततरयक्त मॊि, भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भें कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩूवा फकमा था। फुविजीवो के भत से जो व्मत्क्त जीवनबय अऩनी हदन माा ऩय तनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हैं, एसे व्मत्क्त को ववलबन्न योग से ग्रलसत होने की सॊबावना कभ होती हैं। रेफकन आज के फदरते मुग भें एसे व्मत्क्त बी बमॊकय योग से ग्रस्त होते हदख जाते हैं। क्मोफक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हैं। एवॊ भत्ृ मु तनत्श् त हैं त्जसे ववधाता के अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता,

रेफकन योग होने फक त्स्थती भें व्मत्क्त योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हैं। इस लरमे मंत्र भंत्र एवं तंत्र के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्क्त योगो से भत्ु क्त ऩाने का मा उसके प्रबावो को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हैं।

ज्मोनतष विद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को

उजागय कय सकते हैं। ज्मोततष शास्ि के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग लभरता हैं, जहा आधतु नक ध फकत्सा शास्ि अऺभ होजाता हैं वहा ज्मोततष शास्ि द्वाया योग के भूर(जड) को ऩकड कय उसका तनदान कयना राबदामक एवॊ उऩामोगी लसि होता हैं। हय व्मत्क्त भें रार यॊ गकी कोलशकाए ऩाइ जाती हैं, त्जसका तनमभीत ववकास क्रभ फि तयीके से

होता यहता हैं। जफ इन कोलशकाओ के क्रभ भें ऩरयवतान होता है मा ववखॊडडन होता हैं तफ व्मत्क्त के शयीय भें स्वास््म सॊफॊधी ववकायो उत्ऩन्न होते हैं। एवॊ इन कोलशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हैं। त्जस्से योगो के होने के कायण व्मत्क्त के जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गो य त्स्थती से प्राप्त होता हैं। सवा योग तनवायण कव

एवॊ भहाभत्ृ मॊुजम मॊि के भाध्मभ से व्मत्क्त के जन्भाॊग भें त्स्थत कभजोय

एवॊ ऩीडडत ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक ा फकमा जासकता हैं। जेसे हय व्मत्क्त को ब्रहभाॊड फक उजाा एवॊ ऩ् ृ वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हैं हठक उसी प्रकाय कव

एवॊ

मॊि के भाध्मभ से ब्रहभाॊड फक उजाा के सकायात्भक प्रबाव से व्मत्क्त को सकायात्भक उजाा प्राप्त होती हैं त्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भक् ु त कयने हे तु सहामता लभरती हैं। योग तनवायण हे तु भहाभत्ृ मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हैं। त्जस्से हहन्द ू सॊस्कृतत का प्राम् हय

व्मत्क्त भहाभत्ृ मुॊजम भॊि से ऩरयध त हैं।

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

54 कवच के राब :

 एसा शास्िोक्त व न हैं त्जस घय भें भहाभत्ृ मॊुजम मॊि स्थावऩत होता हैं वहा तनवास कताा हो नाना प्रकाय फक आधध-व्माधध-उऩाधध से यऺा होती हैं।

 ऩण ू ा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा रोग

ैतन्म मक् ु त सवा योग तनवायण कव

फकसी बी उम्र एवॊ जातत धभा के

ाहे स्िी हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हैं।

 जन्भाॊगभें अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रततकूरता से योग उतऩन्न होते हैं।

 कुछ योग सॊक्रभण से होते हैं एवॊ कुछ योग खान-ऩान फक अतनमलभतता औय अशुितासे उत्ऩन्न होते हैं। कव

एवॊ मॊि द्वाया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास््म राब औय शायीरयक यऺण

प्राप्त कयने हे तु सवा योगनाशक कव

एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हैं।

 आज के बौततकता वादी आधुतनक मुगभे अनेक एसे योग होते हैं, त्जसका उऩ ाय ओऩये शन औय दवासे

बी कहठन हो जाता हैं। कुछ योग एसे होते हैं त्जसे फताने भें रोग हह फक ाते हैं शयभ अनुबव कयते हैं एसे योगो को योकने हे तु एवॊ उसके उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव

एवॊ मॊि राबादातम लसि होता हैं।

 प्रत्मेक व्मत्क्त फक जेसे-जेसे आमु फढती हैं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हैं। त्जसके साथ अनेक प्रकाय के ववकाय ऩैदा होने रगते हैं एसी त्स्थती भें उऩ ाय हे तु सवायोगनाशक कव

एवॊ

मॊि परप्रद होता हैं।

 त्जस घय भें वऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक हह नऺिभे जन्भ रेते हैं, तफ उसकी भाता के लरमे अधधक कष्टदामक त्स्थती होती हैं। उऩ ाय हे तु भहाभत्ृ मॊुजम मॊि परप्रद होता हैं।

 त्जस व्मत्क्त का जन्भ ऩरयधध मोगभे होता हैं उन्हे होने वारे भत्ृ मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग, ध त ॊ ा भें उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव

नोट:- ऩूणा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हैं।

ैतन्म मुक्त सवा योग तनवायण कव

एवॊ मॊि के फाये भें अधधक

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55

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

भंत्र मसि कवच

मंत्र वसद्ध किच को वििेष प्रयोजन में उपयोग के वलए और िीघ्र प्रभाि िाली बनाने के वलए िेजस्िी मंत्रो द्वारा िुभ महूित में िुभ दिन को िैयार दकये जािे है । अलग-अलग किच िैयार करने के वलए अलग-अलग िरह के मंत्रो का प्रयोग दकया जािा है ।  क्यों चुने मंत्र वसद्ध किच?  उपयोग में आसान कोई प्रविबन्ध नहीॊ  कोई वििेष वनवि-वनयम नहीं  कोई बुरा प्रभाि नहीं

भंत्र मसि कवच सधू च राज राजेश्वरी किच

11000

विष्णु बीसा किच

Raj Rajeshwari Kawach ………..………………………

Vishnu Visha Kawach ………..………………………...

अमोघ महामृतयुज ं य किच

रामभद्र बीसा किच

Amogh Mahamrutyunjay Kawach …………………….

10900

िस महाविद्या किच Dus Mahavidhya Kawach ………..…………………….

7300 6400 6400 6400 6400 6400 5500 4600 4600 3700 3250 2800

कृ ष्ण बीसा किच Krushna Bisa Kawach ………..………………………... अष्ट विनायक किच Asht Vinayak Kawach ………..………………………...

2350

Ram Raksha Kawach ………..…………………………

2350

Narayan Raksha Kavach .……………………………...

2350

Hanuman Raksha Kawach ………..…………………..

2350

Bhairav Raksha Kawach ……………………………….

2350

Shani Sadesatee aur Dhaiya Kasht Nivaran Kawach …..

2350

Sharapit Yog Nivaran Kawach ……..…………………

1900

Vish Yog Nivaran Kawach ……..…………………….

1900

सितजन ििीकरण किच 2350

Sarvjan Vashikaran Kawach ……..……………………

1450

वसवद्ध विनायक किच 2350

Siddhi Vinayak Ganapati Kawach ……..……………..

1450

सकल सम्मान प्रावि किच 2350

आकषतण िृवद्ध किच Aakarshan Vruddhi Kawach ……..……………………

2350

विष योग वनिारण किच

श्रीिुगात बीसा किच Durga Visha Kawach ………..………………………….

Sankat Mochinee Kalika Siddhi Kawach ………..……

श्रावपि योग वनिारण किच

परिेि गमन और लाभ प्रावि किच Pardesh Gaman Aur Labh Prapti Kawach ………......

2350

िवन साड़ेसािी और ढ़ैया कष्ट वनिारण किच

इष्ट वसवद्ध किच Isht Siddhi Kawach ………..……………………………

Narvan Visha Kawach ………..………………………..

भैरि रक्षा किच

विलक्षण सकल राज ििीकरण किच Vilakshan Sakal Raj Vasikaran Kawach ………..……

2350

हनुमान रक्षा किच

कालसपत िांवि किच Kalsharp Shanti Kawach ………..……………………..

Sinha Visha Kawach ………..………………………….

नारायण रक्षा किच

स्िणातकषतण भैरि किच Swarnakarshan Bhairav Kawach ………..……………

2350

राम रक्षा किच

सुिणत लक्ष्मी किच Suvarn Lakshmi Kawach ………..…………………….

Lakshmi Visha Kawach ……..………………………….

संकट मोवचनी कावलका वसवद्ध किच

सित कायत वसवद्ध किच Sarv Karya Siddhi Kawach ………..…………………..

2350

निातण बीसा किच

पंचिेि िवि किच Pancha Dev Shakti Kawach ………..………………….

Garud Visha Kawach ………..…………………………

ससह बीसा किच

रसायन वसवद्ध किच Rasayan Siddhi Kawach ………..……………………..

2350

लक्ष्मी बीसा किच

नििुगात िवि किच Navdurga Shakiti Kawach ………..……………………

Kuber Visha Kawach ………..…………………………. गरुड बीसा किच

सकल वसवद्ध प्रि गायत्री किच Sakal Siddhi Prad Gayatri Kawach …………………...

2350

कु बेर बीसा किच

श्री घंटाकणत महािीर सित वसवद्ध प्रि किच Shri Ghantakarn Mahavir Sarv Siddhi Prad Kawach..

Ramabhadra Visha Kawach ………..…………………

2350

Sakal Samman Praapti Kawach ……..……………….

1450

स्िप्न भय वनिारण किच 1450

Swapna Bhay Nivaran Kawach ……..………………..

1050

56

ििीकरण नािक किच

सरस्ििी किच (कक्षा +10 के वलए)

Vasikaran Nashak Kawach ……..……………………..

1450

प्रीवि नािक किच 1450

चंडाल योग वनिारण किच

1050

Saraswati Kawach (For up to Class 10) ……………..

910

ििीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)

Chandal Yog Nivaran Kawach ……..…………………

1450

ग्रहण योग वनिारण किच

Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) …………….

1250

पत्नी ििीकरण किच

Grahan Yog Nivaran Kawach ……..…………………..

1450

Magalik Yog Nivaran Kawach (Kuja Yoga) ………….

Patni Vasikaran Kawach ………………………………...

820

पवि ििीकरण किच

मांगवलक योग वनिारण किच (कु जा योग ) 1450

अष्ट लक्ष्मी किच

Pati Vasikaran Kawach ………………………………….

820

ििीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए) ……..………………………...

1250

आकवस्मक धन प्रावि किच

Vashikaran Kawach (For 1 Person) ……………………

820

सुिितन बीसा किच

Akashmik Dhan Prapti Kawach ……..………………..

1250

स्पे.व्यापार िृवद्ध किच

Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…...

910

महा सुिितन किच

Special Vyapar Vruddhi Kawach ……..………………

1250

धन प्रावि किच

Mahasudarshan Kawach ……..……………...………….

910

िंत्र रक्षा किच

Dhan Prapti Kawach ……..…………………………...

1250

कायत वसवद्ध किच

Tantra Raksha Kawach ………………………………….

910

ििीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)

Karya Siddhi Kawach ……..……………………………

1250

भूवमलाभ किच

Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) …………….

1250

पत्नी ििीकरण किच

Bhumilabh Kawach ……..…………………………….

1250

निग्रह िांवि किच

Patni Vasikaran Kawach ………………………………...

820

पवि ििीकरण किच

Navgrah Shanti Kawach ……..………………………..

1250

संिान प्रावि किच

Pati Vasikaran Kawach ………………………………….

820

ििीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए)

Santan Prapti Kawach ……..…………………………..

1250

कामिेि किच

Vashikaran Kawach (For 1 Person) ……………………

820

सुिितन बीसा किच

Kamdev Kawach ……..……………………………….

1250

हंस बीसा किच

Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…...

910

महा सुिितन किच

Hans Visha Kawach ……..……………………………..

1250

पिौन्नवि किच Padounnati Kawach

Saraswati Kawach (For Class +10) ………………….. सरस्ििी किच (कक्षा 10 िकके वलए)

Preeti Nashak Kawach ……..………………………….

Asht Lakshmi Kawach

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

Mahasudarshan Kawach ……..……………...………….

910

िंत्र रक्षा किच ……..………………………….

1250

ऋण / कजत मुवि किच Rin / Karaj Mukti Kawach ……..………………………

वििाह बाधा वनिारण किच Vivah Badha Nivaran Kawach ………………………...

1250

मवस्िष्क पृवष्ट िधतक किच Mastishk Prushti Vardhak Kawach ……………………

Trishool Visha Kawach ……..…………………………...

910

व्यापर िृवद्ध किच 1050 1050

स्िवस्िक बीसा किच Swastik Visha Kawach ……..………………………….

910

वत्रिूल बीसा किच

ित्रु विजय किच Shatru Vijay Kawach …………………………………..

Tantra Raksha Kawach ………………………………….

Vyapar Vruddhi Kawach ………………………………...

910

सित रोग वनिारण किच Sarv Rog Nivaran Kawach ……………………………...

910

िारीररक िवि िधतक किच 1050 820

Sharirik Shakti Vardhak Kawach ..……………………...

910

वसद्ध िुक्र किच Siddha Shukra Kawach ………………………………….

820

57 िाणी पृवष्ट िधतक किच

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

वसद्ध िवन किच

Vani Prushti Vardhak Kawach …………………………

820

कामना पूर्ति किच

Siddha Shani Kawach …………………………………...

820

वसद्ध राहु किच

Kamana Poorti Kawach ……………………………….

820

विरोध नािक किच

Siddha Rahu Kawach ……………………………………

820

वसद्ध के िु किच

Virodh Nashan Kawach ……………………………….

820

वसद्ध सूयत किच

Siddha Ketu Kawach …………………………………….

820

रोजगार िृवद्ध किच

Siddha Surya Kawach ………………………………….

820

वसद्ध चंद्र किच

Rojgar Vruddhi Kawach …………………………………

730

विघ्न बाधा वनिारण किच

Siddha Chandra Kawach ………………………………

820

Vighna Badha Nivaran Kawah ………………………….

730

नज़र रक्षा किच

वसद्ध मंगल किच (कु जा) Siddha Mangal Kawach (Kuja) ………………………

820

वसद्ध बुध किच

Najar Raksha Kawah …………………………………….

730

रोजगार प्रावि किच

Siddha Bhudh Kawach …………………………………

820

वसद्ध गुरु किच

Rojagar Prapti Kawach ………………………………….

730

िुभातग्य नािक किच

Siddha Guru Kawach ………………………………..…

820

Durbhagya Nashak ………………………………………

640

उऩयोक्त कव के अरावा अन्म सभस्मा ववशेष के सभाधान हे तु एवॊ उिेश्म ऩतू ता हे तु कव का तनभााण फकमा जाता हैं। कव के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें । *कव

भाि शब ु कामा मा उिेश्म के लरमे

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

58

Gemstone Price List NAME OF GEM STONE

Emerald Yellow Sapphire Yellow Sapphire

GENERAL

(ऩन्ना)

(ऩुखयाज)

Bangkok (फैंकोक ऩख ु याज)

200.00 550.00 550.00 550.00 1000.00 100.00 100.00 5500.00 300.00 30.00 125.00 190.00 73.00 25.00 280.00 19.00 190.00 550.00 210.00 50.00 100.00 28.00 100.00 100.00 60.00 28.00 28.00 28.00 120.00 45.00 15.00 10.00 15.00 12.00 19.00 09.00 03.00 12.00 12.00

MEDIUM FINE

500.00 1200.00 1200.00 1200.00 1200.00 150.00 190.00 6400.00 600.00 60.00 190.00 280.00 100.00 45.00 460.00 28.00 280.00 730.00 320.00 120.00 145.00 46.00 190.00 190.00 90.00 46.00 46.00 46.00 140.00 75.00 30.00 19.00 28.00 19.00 46.00 11.00 05.00 19.00 19.00

FINE

SUPER FINE

1200.00 1900.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 190.00 550.00 370.00 730.00 8200.00 10000.00 1200.00 2100.00 90.00 120.00 280.00 370.00 370.00 460.00 190.00 280.00 90.00 120.00 730.00 1000.00 45.00 100.00 460.00 730.00 820.00 1050.00 410.00 550.00 230.00 390.00 190.00 280.00 90.00 120.00 280.00 460.00 280.00 460.00 120.00 240.00 90.00 120.00 90.00 190.00 90.00 120.00 190.00 300.00 90.00 120.00 45.00 60.00 28.00 55.00 45.00 100.00 28.00 55.00 15.00 30.00 15.00 19.00 10.00 15.00 23.00 27.00 23.00 27.00

SPECIAL

2800.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 1000.00 & above 1900.00 & above 21000.00 & above 3200.00 & above 280.00 & above 460.00 & above 550.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 1900.00 & above 190.00 & above 1000.00 & above 1250.00 & above 730.00 & above 500.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 640.00 & above 640.00 & above 410.00& above 190.00 & above 460.00 & above 190.00 & above 730.00 & above 190.00 & above 100.00 & above 100.00 & above 190.00 & above 190.00 & above 45.00 & above 21.00 & above 21.00 & above 45.00 & above 45.00 & above

Blue Sapphire (नीरभ) White Sapphire (सफ़ेद ऩुखयाज) Bangkok Black Blue(फैंकोक नीरभ) Ruby (भार्णक) Ruby Berma (फभाा भार्णक) Speenal (नयभ भार्णक/रारडी) Pearl (भोतत) Red Coral (4 यतत तक) (रार भूॊगा) Red Coral (4 यतत से उऩय)( रार भूॊगा) White Coral (सफ़ेद भूॊगा) Cat’s Eye (रहसुतनमा) Cat’s Eye ODISHA(उडडसा रहसुतनमा) Gomed (गोभेद) Gomed CLN (लसरोनी गोभेद) Zarakan (जयकन) Aquamarine (फेरुज) Lolite (नीरी) Turquoise (फफ़योजा) Golden Topaz (सुनहरा) Real Topaz (उडडसा ऩख याज/टोऩज) ु Blue Topaz (नीरा टोऩज) White Topaz (सफ़ेद टोऩज) Amethyst (कटे रा) Opal (उऩर) Garnet (गायनेट) Tourmaline (तुभर ा ीन) Star Ruby (सुमक ा ान्त भर्ण) Black Star (कारा स्टाय) Green Onyx (ओनेक्स) Lapis (राजवात) Moon Stone ( न्द्रकान्त भर्ण) Rock Crystal (स्फ़हटक) Kidney Stone (दाना फफ़यॊ गी) Tiger Eye (टाइगय स्टोन) Jade (भयग ) Sun Stone (सन लसताया) Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

GURUTVA KARYALAY YANTRA LIST

EFFECTS

Our Splecial Yantra 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

12 – YANTRA SET

For all Family Troubles

VYAPAR VRUDDHI YANTRA

For Business Development

BHOOMI LABHA YANTRA

For Farming Benefits

TANTRA RAKSHA YANTRA

For Protection Evil Sprite

AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA

For Unexpected Wealth Benefits

PADOUNNATI YANTRA

For Getting Promotion

RATNE SHWARI YANTRA

For Benefits of Gems & Jewellery

BHUMI PRAPTI YANTRA

For Land Obtained

GRUH PRAPTI YANTRA

For Ready Made House

KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA

-

Shastrokt Yantra 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42

AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA

Blessing of Durga

BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL)

Win over Enemies

BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL)

Blessing of Bagala Mukhi

BHAGYA VARDHAK YANTRA

For Good Luck

BHAY NASHAK YANTRA

For Fear Ending

CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta)

Blessing of Chamunda & Navgraha

CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA

Blessing of Chhinnamasta

DARIDRA VINASHAK YANTRA

For Poverty Ending

DHANDA POOJAN YANTRA

For Good Wealth

DHANDA YAKSHANI YANTRA

For Good Wealth

GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra)

Blessing of Lord Ganesh

GARBHA STAMBHAN YANTRA

For Pregnancy Protection

GAYATRI BISHA YANTRA

Blessing of Gayatri

HANUMAN YANTRA

Blessing of Lord Hanuman

JWAR NIVARAN YANTRA JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA KALI YANTRA

For Fewer Ending

KALPVRUKSHA YANTRA

For Fullfill your all Ambition

KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA)

Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga

KANAK DHARA YANTRA

Blessing of Maha Lakshami

For Astrology & Spritual Knowlage Blessing of Kali

KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA

-

KARYA SHIDDHI YANTRA

For Successes in work

 SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA KRISHNA BISHA YANTRA

For Successes in all work

KUBER YANTRA

Blessing of Kuber (Good wealth)

LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA

For Obstaele Of marriage

LAKSHAMI GANESH YANTRA

Blessing of Lakshami & Ganesh

MAHA MRUTYUNJAY YANTRA

For Good Health

MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA

Blessing of Shiva

MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA)

For Fullfill your all Ambition

MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA NAVDURGA YANTRA

For Marriage with choice able Girl Blessing of Durga

Blessing of Lord Krishna

60

16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

YANTRA LIST

EFFECTS

43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64

NAVGRAHA SHANTI YANTRA

For good effect of 9 Planets

NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA

For good effect of 9 Planets

65

SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA)

66 67 68 69



SURYA YANTRA

Good effect of Sun



CHANDRA YANTRA

Good effect of Moon



MANGAL YANTRA

Good effect of Mars



BUDHA YANTRA

Good effect of Mercury



GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA)

Good effect of Jyupiter



SUKRA YANTRA

Good effect of Venus



SHANI YANTRA (COPER & STEEL)

Good effect of Saturn



RAHU YANTRA

Good effect of Rahu



KETU YANTRA

Good effect of Ketu

PITRU DOSH NIVARAN YANTRA

For Ancestor Fault Ending

PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA

For Pregnancy Pain Ending

RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA

For Benefits of State & Central Gov

RAM YANTRA

Blessing of Ram

RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA

Blessing of Riddhi-Siddhi

ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA

For Disease- Pain- Poverty Ending

SANKAT MOCHAN YANTRA

For Trouble Ending

SANTAN GOPAL YANTRA

Blessing Lorg Krishana For child acquisition

SANTAN PRAPTI YANTRA

For child acquisition

SARASWATI YANTRA

Blessing of Sawaswati (For Study & Education)

SHIV YANTRA

SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA

Blessing of Shiv Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & Peace Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth

SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA

For Bad Dreams Ending

VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE MAHALAKSHAMI YANTRA) VASTU YANTRA

For Vehicle Accident Ending Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All Successes For Bulding Defect Ending

70 71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA 72 VISHNU BISHA YANTRA 73 VASI KARAN YANTRA 74  MOHINI VASI KARAN YANTRA 75  PATI VASI KARAN YANTRA 76  PATNI VASI KARAN YANTRA 77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Yantra Available @:- Rs- 325 to 12700 and Above…..

For Education- Fame- state Award Winning Blessing of Lord Vishnu (Narayan) Attraction For office Purpose Attraction For Female Attraction For Husband Attraction For Wife Attraction For Marriage Purpose

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

सू ना  ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख ऩत्रिका के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।  रेख प्रकालशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन वव ायो से सहभत हों।  नात्स्तक/ अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।  ऩत्रिका भें प्रकालशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष मा फकसी बी स्थान मा घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हैं।  प्रकालशत रेख ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण महद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तववक जीवन से भेर होता हैं तो मह भाि एक सॊमोग हैं।  प्रकालशत सबी रेख बायततम आध्मात्त्भक शास्िों से प्रेरयत होकय लरमे जाते हैं। इस कायण इन ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभार्णकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।  अन्म रेखको द्वाया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभार्णकता एवॊ प्रबाव फक त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं। औय नाहीॊ रेखक के ऩते हठकाने के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।  ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्त,ु भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।  ऩाठक द्वारा फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।  हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय लरखे होते हैं। हभ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वारा प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं।  मह त्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानन ू ी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्वाथा ऩतू ता हे तु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िहु ट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।  हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्वारा तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।  ऩाठकों फक भाॊग ऩय एक हह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का अधधकाय यखता हैं। ऩाठकों को एक रेख के ऩून् प्रकाशन से राब प्राप्त हो सकता हैं।  अधधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं। (सबी वववादो केमरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

FREE E CIRCULAR

गरु ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक ई-ऩत्रिका 6

सॊऩादक ध त ॊ न जोशी सॊऩका

गरु ु त्व ज्मोततष ववबाग गरु ु त्व कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA पोन 91+9338213418, 91+9238328785 ईभेर [email protected], [email protected],

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8

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

हभाया उिेश्म वप्रम आत्त्भम फॊधु/ फहहन जम गरु ु दे व जहाॉ आधतु नक ववऻान सभाप्त हो जाता हैं। वहाॊ आध्मात्त्भक ऻान प्रायॊ ब

हो जाता हैं, बौततकता का आवयण ओढे व्मत्क्त जीवन भें हताशा औय तनयाशा भें

फॊध जाता हैं, औय उसे अऩने जीवन भें गततशीर होने के लरए भागा प्राप्त नहीॊ हो ऩाता क्मोफक बावनाए हह बवसागय हैं, त्जसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता तनहहत हैं। उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय

सपरता हैं। सपरता को प्राप्त कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ अधधकाय हैं। ईसी लरमे हभायी शब ु काभना सदै व आऩ के साथ हैं। आऩ अऩने कामा-उिेश्म एवॊ अनक ा भॊि शत्क्त से ऩण ु ू रता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर ू ा प्राणु ब प्रततत्ष्ठत ध ज वस्तु का हभें शा प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी लरमे

हभाया उिेश्म महीॊ हे की शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वाया लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण ू ा

ैतन्म मक् ु त सबी प्रकाय के मन्ि- कव

परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहो ाने का हैं।

एवॊ शब ु

सूमा की फकयणे उस घय भें प्रवेश कयाऩाती हैं। जीस घय के र्खडकी दयवाजे खुरे हों।

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16 हदसम्फय से 22 हदसम्फय 2018

GURUTVA JYOTISH

Weekly 16-Dec to 22-Dec

2018

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